पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

भारतीय पेट्रोलियम उद्योग


विकास और नवाचार को बढ़ावा

Posted On: 27 JAN 2025 8:22PM by PIB Delhi

परिचय

भारत का पेट्रोलियम उद्योग एक व्यापक क्षेत्र है, जिसमें पेट्रोलियम और उसके सहायक-उत्पादों की खोज, उत्पादन, शोधन, वितरण एवं विपणन कार्य शामिल हैं। इसमें कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के निष्कर्षण जैसी समुद्र के अंदर की अपस्ट्रीम गतिविधियां, परिवहन व भंडारण की मिडस्ट्रीम गतिविधियां तथा पेट्रोल, डीजल, एलपीजी व केरोसिन जैसे ईंधनों के शोधन और वितरण जैसी डाउनस्ट्रीम प्रक्रियाएं पूरी की जाती हैं। भारत की ऊर्जा आवश्यकतों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला पेट्रोलियम उद्योग ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करता है और विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को आधार प्रदान करता है।

वर्तमान में, भारत में तेल परिशोधन के लिए उन्नीस सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पीएसयू) रिफाइनरी, तीन निजी क्षेत्र की रिफाइनरी और एक संयुक्त उद्यम रिफाइनरी हैं। देश की रिफाइनिंग क्षमता अप्रैल, 2014 में 215.066 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) से बढ़कर अप्रैल, 2024 में 256.816 एमएमटीपीए हो गई है।

उत्पत्ति एवं संक्षिप्त इतिहास

भारत के पेट्रोलियम उद्योग की शुरुआत 1867 में हुई थी, जब असम के डिगबोई में पहला तेल कुआं खोदा गया था। इस खोज ने देश की खोज एवं उत्पादन गतिविधियों की शुरुआत की। 1959 में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की स्थापना ने रिफाइनिंग और वितरण के लिए एक संरचित दृष्टिकोण की शुरुआत की। पिछले कुछ दशकों में इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण विस्तार हुआ है, जिसमें छोटे पैमाने की रिफाइनरियों से लेकर घरेलू और निर्यात मांगों को पूरा करने में सक्षम एक मजबूत नेटवर्क तक शामिल है। आज, भारत का पेट्रोलियम उद्योग लचीलेपन और नवाचार का प्रतीक है, जो वैश्विक एवं घरेलू ऊर्जा चुनौतियों के जवाब में विकसित हो रहा है।

उद्योग विकास और क्रमागत उन्नति

भारतीय पेट्रोलियम उद्योग तकनीकी प्रगति और नीतिगत सुधारों के कारण काफी विकसित हुआ है। 1990 का दशक आर्थिक उदारीकरण के साथ एक महत्वपूर्ण युग था, जिसके कारण निजी और विदेशी निवेश में वृद्धि हुई। ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने अन्वेषण तथा शोधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गुजरात में जामनगर रिफाइनरी जैसी अत्याधुनिक परिशोधनशाला की स्थापना ने रिफाइनिंग क्षमताओं को बढ़ाया है, जिससे भारत एशिया में रिफाइनिंग हब बन गया है। इसके अलावा, राष्ट्रीय अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) जैसी सरकारी गतिविधियों ने अन्वेषण कार्यों को प्रोत्साहित किया है।

भारत का ऊर्जा परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है। देश के तलछटी बेसिनों में 651.8 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल के भंडार और 1,138.6 अरब क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस के भंडार मौजूद हैं।

भारत के पेट्रोलियम उद्योग में कुछ हालिया अपडेट इस प्रकार हैं:

भारत 2030 तक अपने अन्वेषण क्षेत्र को 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाने की दिशा में अग्रसर है, जिसमें 2025 में 16% की वृद्धि होने की उम्मीद है।

भारत में घरेलू एलपीजी सिलेंडर का मूल्य दुनिया भर में सबसे कम है, वर्तमान में कीमत 14.2 किलोग्राम सिलेंडर के लिए 803 रुपये से भी कम है। पीएमयूवाई परिवारों के लिए 300 रुपये प्रति सिलेंडर की लक्षित सब्सिडी के बाद प्रभावी कीमत 503 रुपये प्रति सिलेंडर है।

पेट्रोलियम उद्योग में अन्वेषण एवं उत्पादन गतिविधियों के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को अब सरल कर दिया गया है, जिससे 37 अनुमोदन प्रक्रियाएं घटकर केवल 18 रह गई हैं, इनमें से नौ अब स्व-प्रमाणन के लिए उपलब्ध हैं। 2024 में तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक पेश करने से तेल व गैस उत्पादकों के लिए नीति स्थिरता सुनिश्चित होगी और सभी हाइड्रोकार्बन के लिए एकल लाइसेंस संभव होगा। यह विधेयक हाल ही में 3 दिसंबर, 2024 को राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था।

पेट्रोलियम का विदेशी व्यापार

पिछले दशक में भारत ने पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है। देश की रिफाइनिंग क्षमता अब 250 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) से अधिक हो गई है, जिससे यह क्षेत्र वैश्विक बाजारों की मांग को पूरा करने में सक्षम हो गया है।

भारत के प्रमुख निर्यात गंतव्यों में दक्षिण एशियाई, अफ्रीकी और यूरोपीय देश शामिल हैं। निर्यातोन्मुख विकास पर सरकार के जोर तथा परिशोधनशालाओं के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) की स्थापना ने इस प्रवृत्ति को और बढ़ावा दिया है। निर्यात न केवल विदेशी मुद्रा भंडार में योगदान देता है बल्कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की प्रतिष्ठा भी बढ़ाता है।

स्रोत: https://ppac.gov.in/

सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सेदारी

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, (पहले संशोधित अनुमान पर आधारित) कोक और परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों के विनिर्माण का सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) 2012-13 में 1.56 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 2.12 लाख करोड़ रुपये हो गया है। जिसने वर्तमान मूल्यों पर इसी अवधि में अखिल भारतीय सकल घरेलू उत्पाद को 99.44 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 269.49 लाख करोड़ रुपये करने में भी योगदान दिया है। यह उद्योग अन्वेषण, शोधन, वितरण और खुदरा क्षेत्रों में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी प्रदान करता है। तेल एवं गैस उद्योग की मूल्य श्रृंखला पेट्रोकेमिकल्स, लॉजिस्टिक्स और विनिर्माण जैसे सहायक उद्योगों का सहयोग करती है। यह क्षेत्र कौशल विकास को बढ़ावा देकर और विविध कैरियर के अवसर प्रदान करके सामाजिक-आर्थिक स्थिरता को बढ़ाता है।

रिफाइनिंग और आपूर्ति में वैश्विक रैंकिंग

भारत अपने सशक्त बुनियादी ढांचे और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति के कारण वैश्विक स्तर पर शीर्ष पांच रिफाइनिंग देशों में शामिल है। देश रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों का सातवां सबसे बड़ा निर्यातक है। जामनगर रिफाइनरी जैसी सुविधाएं, जो दुनिया की सबसे बड़ी परिशोधनशालाओं में से एक है और रिफाइनिंग क्षेत्र में भारत के प्रभुत्व को रेखांकित करती हैं। यह गतिविधि आधारित वैश्विक स्थिति भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाती है और इसे अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजारों में एक प्रमुख व्यापारिक राष्ट्र के रूप में स्थापित करती है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने फरवरी 2024 में आकलन किया था कि भारत अब से 2030 के बीच वैश्विक तेल मांग वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत बन जाएगा। भारत, ब्राजील के बाद जैव ईंधन सम्मिश्रण में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

मीट्रिक

भारत की वैश्विक रैंक

परिष्कृत उत्पादों का निर्यातक

7वां

पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण

दूसरा

जैव ईंधन उत्पादक

तीसरा

एलएनजी टर्मिनल क्षमता

चौथा

रिफाइनिंग क्षमता (एमएमटीपीए)

चौथा

 

पेट्रोलियम उद्योग में तकनीकी प्रगति

पेट्रोलियम उद्योग के विकास के लिए अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाना महत्वपूर्ण रहा है। उन्नत तेल पुनर्प्राप्ति (ईओआर) तकनीक, डिजिटलीकरण और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उपयोग ने अन्वेषण एवं उत्पादन प्रक्रियाओं को अनुकूलित किया है। अधिकतर रिफाइनरी पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए हरित तकनीकों को तेजी से अपना रही हैं। बायो-रिफाइनरी और कम्प्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) जैसे वैकल्पिक ईंधनों का विकास संबंधी परियोजनाएं स्थिरता एवं नवाचार के प्रति तेल उद्योग की वचनबद्धता को दर्शाती हैं।

सरकारी पहल

भारत सरकार ने पेट्रोलियम क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। यहां कुछ प्रमुख बताई गई हैं:

प्रधानमंत्री जी-वन योजना: टिकाऊ ईंधन उत्पादन के लिए दूसरी पीढ़ी और तीसरी पीढ़ी के संयंत्रों जैसी जैव-इथेनॉल परियोजनाओं को सहयोग देना।

सामरिक पेट्रोलियम भंडार: भंडारण सुविधाओं के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना। भारत में, एसपीआर मुख्य रूप से विशाखापत्तनम, मैंगलोर और पादुर (कर्नाटक) में तीन भूमिगत भंडारण सुविधाओं में स्थित है, जिनकी कुल क्षमता 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) कच्चे तेल की है, जिसका प्रबंधन इंडियन स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (आईएसपीआरएल) द्वारा किया जाता है।

इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम: जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिए जैव ईंधन को बढ़ावा देना। सरकार का लक्ष्य 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण प्राप्त करना है। ईबीपी कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से, इथेनॉल मिश्रण इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर ईएसवाई 2023-24 में 707.4 करोड़ लीटर से अधिक हो गया है।

शहरी गैस वितरण नेटवर्क विस्तार: 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 733 जिलों को कवर करते हुए पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) और कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) बुनियादी ढांचे का विस्तार करना, जिससे मुख्य भूमि का लगभग 100% क्षेत्र और देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 100% कवर हो जाएगा।

ऊर्जा सुरक्षा पहल: विदेशों में तेल ब्लॉकों की खोज और अधिग्रहण में निवेश।

हरित ईंधन की ओर बढ़ना

सतत पहल (किफायती परिवहन के लिए टिकाऊ विकल्प): सतत पहल संभावित निवेशकों को कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए आमंत्रित करती है। इसका उद्देश्य कृषि अवशेषों, मवेशियों के गोबर और नगरपालिका के ठोस कचरे का बेहतर उपयोग करना तथा किसानों को राजस्व का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करना है।

मिशन ग्रीन हाइड्रोजन: कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देना। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया जैसे इसके डेरिवेटिव की 100 एमएमटी से अधिक वैश्विक मांग उभरने की उम्मीद है। वैश्विक बाजार के लगभग 10% हिस्से पर कब्जा करने के लक्ष्य के साथ, भारत संभावित रूप से प्रति वर्ष लगभग 10 एमएमटी ग्रीन हाइड्रोजन/ग्रीन अमोनिया का निर्यात कर सकता है। 2030 तक लक्षित उत्पादन क्षमता से कुल निवेश में 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लाभ मिलने और 6 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है। मिशन के तहत विभिन्न ग्रीन हाइड्रोजन गतिविधियों के परिणामस्वरूप प्रति वर्ष लगभग 50 एमएमटी सीओ2 उत्सर्जन को रोकने की उम्मीद है। मिशन के लक्ष्यों की प्राप्ति से भारत की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान मिलने और 2030 तक कुल 1 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन आयात में कमी आने की उम्मीद है।

राष्ट्रीय जैव-ऊर्जा कार्यक्रम: जैव-ऊर्जा उत्पादन और अपशिष्ट को कम करने पर केंद्रित।

हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं लाइसेंसिंग नीति (हेल्प): अन्वेषण और उत्पादन में निजी निवेश को प्रोत्साहित करना।

भारत की वृद्धि और विकास पर प्रभाव

पेट्रोलियम उद्योग के विस्तार के बहुआयामी निहितार्थ हैं। आर्थिक रूप से, यह सकल घरेलू उत्पाद, विदेशी मुद्रा आय और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देता है। राजनीतिक रूप से, ऊर्जा स्वतंत्रता भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करती है और रणनीतिक कमजोरियों को दूर करती है। सामाजिक रूप से, उद्योग का विकास बेहतर ऊर्जा पहुंच और रोजगार के माध्यम से ग्रामीण विकास को बढ़ावा देता है।

भविष्य की संभावनाओं

भारत का पेट्रोलियम उद्योग एक गतिशील भविष्य को देख रहा है, जो वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन और घरेलू मांग से आकार लेगा। अन्वेषण में निवेश बढ़ाना, शोधन क्षमता का विस्तार करना और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना, इसकी प्रगति के पथ को निर्धारित करेगा। हरित हाइड्रोजन उत्पादन और कार्बन कैप्चर तकनीक जैसी पहल इस क्षेत्र की अनुकूलन क्षमता को उजागर करती हैं। स्थिरता और ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं के साथ तालमेल बिठाते हुए वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य में अपना नेतृत्व बनाए रखने के लिए तैयार है।

मुख्य क्षेत्र

भविष्य का लक्ष्य

शोधन क्षमता

2030 तक 309.5 एमएमटीपीए

इथेनॉल मिश्रण

2025-26 तक 20%

हरित हाइड्रोजन उत्पादन

2030 तक 5 एमएमटीपीए

अन्वेषण क्षेत्र

2030 तक 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर

संदर्भ

https://www.isprlindia.com/aboutus.asp

https://mopng.gov.in/

https://nghm.mnre.gov.in/overviews.php

https://ongcindia.com/web/eng/about-ongc/ongc-at-a-glance/oil-and-gas-industry

https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2043042

https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2038435

https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1940265

https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1946408

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2003519

https://pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=152007&ModuleId=3&reg=3&lang=1

https://pib.gov.in/newsite/pmreleases.aspx?mincode=20

https://ppac.gov.in/import-export

https://ppac.gov.in/infrastructure/installed-refinery-capacity

https://pmuy.gov.in/

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2024/jan/doc202413295811.pdf

पीडीएफ देखने के लिए यहां क्लिक करें।

अनुलग्नक 1

भारत में रिफाइनरी:

रिफाइनरी का स्थान

कंपनी का नाम

नेम प्लेट कैपेसिटी (एमएमटीपीए)

 

पीएसयू रिफाइनरी

 

डिगबोई - 1901

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

0.650

गुवाहाटी - 1962

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

1.200

बरौनी - 1964

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

6.000

कोयली - 1965

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

13.700

बोंगाईगांव - 1974

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

2.700

हल्दिया - 1975

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

8.000

मथुरा - 1982

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

8.000

पानीपत - 1998

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

15.000

पारादीप - 2016

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड

15.000

मनाली - 1965

चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

10.500

कावेरी बेसिन* - 1993

चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

0.000

मुंबई – 1954

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

9.500

विजाग – 1957

हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

13.700

मुंबई – 1955

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

12.000

बीना^ – 2011

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

7.800

कोच्चि - 1963

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड

15.500

नुमालीगढ़ - 2000

नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड.

3.000

मैंगलोर - 1996

मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड

15.000

तातिपाका, एपी - 2001

ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड

0.066

कुल पीएसयू रिफाइनरी

 

157.316

     
 

जेवी रिफाइनरी

 

बठिंडा - 2012

एचपीसीएल मित्तल एनर्जी लिमिटेड

11.300

कुल संयुक्त उद्यम रिफाइनरी

 

11.300

     

डीटीए-जामनगर - 1999

निजी क्षेत्र की रिफाइनरी

 

बठिंडा - 2012

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड

33.000

एसईजेड-जामनगर - 2008

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड

35.200

वाडिनार - 2006

नयारा एनर्जी (पूर्व में एस्सार ऑयल लिमिटेड)

20.000

कुल निजी क्षेत्र

 

88.200

कुल योग

 

256.816

* कावेरी बेसिन रिफाइनरी की क्षमता वृद्धि की जा रही है।

^बीना तेल रिफाइनरी, वर्ष 2021 में, भारत सरकार के एक 'महारत्न' सार्वजनिक उपक्रम - भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन चुकी है।

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