युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय
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विश्व में प्रगति के लिए अनुसंधान और नवाचार आवश्यक हैं: डॉ. मनसुख मांडविया


पीएम मोदी ने कहा है, कि हम 2036 में ओलंपिक की मेजबानी करेंगे, जो भारत की बढ़ती ताकत का प्रतीक होगा: डॉ. मनसुख मांडविया

2036 ओलंपिक के लिए भारत का मार्ग; राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय ने पहले अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक अनुसंधान सम्मेलन की मेजबानी की

इस चार दिवसीय सम्मेलन के दौरान दुनिया भर के विशेषज्ञों द्वारा 60 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किये जायेंगे

Posted On: 27 JAN 2025 6:34PM by PIB Delhi

पहले अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक अनुसंधान सम्मेलन का उद्घाटन आज केंद्रीय श्रम एवं रोजगार और युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में किया। इस चार दिवसीय सम्मेलन का मकसद 2036 ओलंपिक हेतु भारत की दावेदारी को मजबूत करने के लिए, वित्तीय स्थिरता, रणनीतिक योजना और सहयोगी नेटवर्क पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत को वैश्विक ओलंपिक जगत में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है।

अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. मनसुख मांडविया ने इस बात पर जोर दिया, कि राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में अनुसंधान और नवाचार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्र के परिवर्तन और प्रगति को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि, “विश्वविद्यालय भारत के बदलते चेहरे की नुमाइंदगी करता है। मैं विश्वविद्यालय की बी-कोर पहल को 'भारत का मूल' कहूंगा, क्योंकि बदलाव के इस दौर में देश, अनुसंधान और नवाचार को प्राथमिकता दे रहा है। हमें आगे बढ़ना चाहिए, प्रगति करनी चाहिए और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए, जिसके लिए अनुसंधान और नवाचार अहम भूमिका निभाते हैं। बिना शोध या नए विचारों के क्रियान्वयन के दुनिया में कोई आगे नहीं बढ़ सकता। अगर हम नेतृत्व करना चाहते हैं, तो हमें शोध और नवाचार को प्राथमिकता देनी होगी।'' उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला, कि राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय ने खेल और ओलंपिक में शोध पर ध्यान केंद्रित करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

डॉ. मांडविया ने कहा, कि ओलंपिक केवल प्रतियोगिताएं नहीं हैं, बल्कि खेलों की हमारी जीवनशैली में अभिन्न भूमिका का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि खेल कई चुनौतियों का समाधान प्रदान कर सकते हैं, और यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश को फिट रखने के लिए खेलो इंडिया और फिट इंडिया जैसे प्रमुख अभियान शुरू किए। उन्होंने आगे कहा, “पीएम मोदी ने 2036 में ओलंपिक की मेजबानी की कल्पना की है, जो भारत की बढ़ती ताकत का प्रतीक है। जैसे-जैसे हम एक विकसित भारत की ओर बढ़ रहे हैं, देश 2047 में अपनी स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष मनाएगा। तब तक, भारत विकसित देशों में से एक होगा। नागरिकों के बीच न केवल शारीरिक फिटनेस, बल्कि मानसिक फिटनेस सुनिश्चित करने में फिट इंडिया की अहम भूमिका है। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति एक आदर्श समाज के निर्माण में योगदान देता है, जो एक समृद्ध राष्ट्र का मार्ग प्रशस्त करता है। इसलिए खेल हमारी बढ़ती ताकत का प्रतीक है। मोदी जी ने 2036 तक भारत को खेलों में शीर्ष 10 देशों में शामिल करने का लक्ष्य रखा है और आजादी के शताब्दी वर्ष तक हमारा लक्ष्य शीर्ष 5 में शामिल होना है। इसे हासिल करने के लिए हमें मैदान पर उतरना होगा, प्रतिस्पर्धा करनी होगी और जीतना होगा। जो जीतते हैं, वे अपनी छाप छोड़ते हैं और अपनी जीत को पदक में बदल देते हैं। खेल विज्ञान हमारी पदक तालिका बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, जब हम ओलंपिक अनुसंधान के बारे में बात करते हैं, तो इसमें इसके सामाजिक, युवा, जोखिम और अंतर्राष्ट्रीय धारणा प्रभावों का अध्ययन शामिल होता है, जो मिलकर व्यापक ओलंपिक अनुसंधान बनाते हैं।

उन्होंने आगे कहा, “यह सम्मेलन कोई छोटा आयोजन नहीं है। यहां 60 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे। ओलंपिक पर शोध करने वाले कई देशों के शोधकर्ता इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। यह दक्षिण एशिया में इस तरह का पहला सम्मेलन है और इसका न केवल हमारे देश पर, बल्कि विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। यह खेलों को एक कदम आगे ले जाएगा।”

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष डॉ. थॉमस बाक ने युवा विकास और राष्ट्र-निर्माण के लिए समग्र दृष्टिकोण बनाने हेतु खेल और शिक्षा के एकीकरण पर जोर देते हुए एक प्रेरणास्पद संदेश दिया।

आरआरयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) बिमल एन. पटेल ने सम्मेलन के बाद 60 से अधिक शोध पत्रों के प्रत्याशित प्रकाशन पर ज़ोर देते हुए, इस ऐतिहासिक कार्यक्रम की मेजबानी करने पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने युवाओं को राह दिखाने और देश के विकास पर परिवर्तनकारी प्रभाव में खेलों के महत्व पर जोर दिया।

एक उच्च स्तरीय पैनल चर्चा में प्रमुख हस्तियां शामिल हुईं, जिनमें बीसीओआरई के निदेशक डॉ. उत्सव चावरे, श्री (डॉ.) मनसुख मांडविया, आरआरयू के वीसी प्रोफेसर (डॉ.) बिमल एन. पटेल, आरआरयू के प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर (डॉ.) कल्पेश एच. वांड्राभारत में केपीएमजी पार्टनर प्रशांत शांताकुमारन और पेरिस 2024 ओलंपिक के लिए योजना और समन्वय के कार्यकारी निदेशक श्री लैम्बिस कॉन्स्टेंटिनिडिस शामिल थे। पैनल ने 2036 ओलंपिक के लिए भारत की बोली, अन्य बोलीदाताओं से संभावित चुनौतियों, टिकाऊ बुनियादी ढांचे की योजना और वैश्विक मंच पर गलतियों से बचने के महत्व पर विचार-विमर्श किया। श्री कॉन्स्टेंटिनिडिस ने उन अहम पहलुओं पर प्रकाश डाला, जिन पर भारत को ध्यान देना चाहिए, जिसमें स्थिरता, तकनीकी योजना और एक आकर्षक मंच तैयार करना शामिल है, जो खेलों की मेजबानी के लिए भारत की विशिष्टता और तैयारियों को प्रदर्शित करता है।

गुजरात के माननीय खेल राज्य मंत्री श्री हर्ष सांघवी ने राज्य की जमीनी स्तर की खेल पहलों, विशेष रूप से खेल महाकुंभ में रिकॉर्ड-तोड़ भागीदारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने खेल को युवा शिक्षा के साथ जोड़ने पर जोर दिया और भारत के युवाओं को अंतरराष्ट्रीय मंचों के लिए तैयार करने में, एक मजबूत खेल संस्कृति की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया।

दिन का समापन श्री लैम्बिस कॉन्स्टेंटिनिडिस की मुख्य प्रस्तुति के साथ हुआ, जिसमें भारत की ओलंपिक तैयारियों के लिए एक व्यावहारिक रोडमैप पेश किया गया। उन्होंने खेलों की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सतत् विकास, मजबूत नेतृत्व और तकनीकी विशेषज्ञता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने भारत की रणनीतिक योजना के लिए पांच विचारोत्तेजक प्रश्न पूछे, जिनमें ओलंपिक खेल भारत को क्या दे सकते हैं, भारत ओलंपिक में क्या योगदान दे सकता है, और आयोजन की मेजबानी की दीर्घकालिक विरासत शामिल है।

30 जनवरी 2025 तक चलने वाला ये सम्मेलन, भारत की ओलंपिक महत्वाकांक्षाओं पर एक दूरगामी प्रभाव छोड़ने के लिए तैयार है, जो 2036 ओलंपिक के लिए एक स्थायी, अभिनव और सहयोगात्मक मार्ग बनाने के लिए नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और वैश्विक विशेषज्ञों को एक साथ लाएगा।

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एमजी/केसी/एनएस/डीके


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