स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
डेटा से निदान तक
डिजिटलीकरण के ज़रिए स्वास्थ्य सेवाओं में परिवर्तन
Posted On:
20 JAN 2025 7:26PM by PIB Delhi
परिचय
भारत का स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य सरकार की पहलों, नीति सुधारों और तकनीकी प्रगति द्वारा संचालित डिजिटल बदलावों के दौर से गुजर रहा है। तेजी से बढ़ती आबादी और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की बढ़ती मांग के साथ, डिजिटल स्वास्थ्य समाधान तक पहुंच, सामर्थ्य और दक्षता बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। भारत में डिजिटल स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचा, शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच के अंतर को पाटने, टेलीमेडिसिन, इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड (ईएचआर) और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) द्वारा संचालित निदानों का लाभ उठाने के लिए लगातार विकसित हो रहा है।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) का हालिया लेख, एक मज़बूत डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करके डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डालता है। ये रिपोर्ट सार्वजनिक-निजी भागीदारी की भूमिका, अंतरसंचालनीयता के महत्व और मजबूत डेटा प्रशासन ढांचे की ज़रुरत पर जोर देती है। यह रेखांकित करता है कि किस तरह आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) और डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (डीएचआईएस), जैसी भारत की पहल, डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल परिवर्तन के लिए एक वैश्विक बेंचमार्क स्थापित कर सकती हैं।
भारत की डिजिटल स्वास्थ्य क्षमता पर विश्व आर्थिक मंच का लेख
15 जनवरी 2024 को जारी डब्ल्यूईएफ का लेख, "भारत डिजिटल स्वास्थ्य में एक वैश्विक पथप्रदर्शक बन सकता है", यह बताता है कि कैसे भारत की डिजिटल स्वास्थ्य सेवा पहल, देश को स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी में अग्रणी के रूप में स्थापित करती है। रिपोर्ट की मुख्य बातों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- अंतरसंचालनीयता और मानकीकरण: हितधारकों के बीच निर्बाध डेटा विनिमय सुनिश्चित करना।
- सार्वजनिक-निजी सहयोग: नवाचार और विस्तार के लिए भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- सामर्थ्य और पहुंच पर फोकस: स्वास्थ्य देखभाल को समावेशी बनाने के लिए डिजिटल उपकरणों का लाभ उठाना।
- वैश्विक प्रभाव: भारत के डिजिटल स्वास्थ्य मॉडल, अन्य विकासशील देशों के लिए टेम्पलेट के रूप में काम कर सकते हैं।
लेख में ये साफ तौर पर स्वीकार किया गया है कि भारत की डिजिटल स्वास्थ्य रणनीतियाँ, वैश्विक स्वास्थ्य समानता में योगदान कर सकती हैं, जिससे विभिन्न आबादियों में स्वास्थ्य देखभाल परिणामों में सुधार हो सकता है। ये लेख भारत के मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और अभिनव निजी क्षेत्र की विशेषताओं को दर्शाते हुए, डिजिटल स्वास्थ्य के प्रति भारत के सक्रिय दृष्टिकोण को भी स्वीकार करता है, जो भारत को अनुकूल स्वास्थ्य देखभाल समाधान विकसित करने में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करता है। विश्व आर्थिक मंच की डिजिटल हेल्थकेयर ट्रांसफॉर्मेशन (डीएचटी) पहल, वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल चुनौतियों से निपटने में सीमा पार सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए, स्केलेबल मॉडल बनाने की भारत की क्षमता को स्वीकार करती है, जिसे दुनिया भर में अपनाया जा सकता है। यह मान्यता न्यायसंगत और कुशल स्वास्थ्य देखभाल वितरण के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है, जो अन्य देशों के लिए भी एक मानक स्थापित करती है।
डिजिटल हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर
1. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम)
एबीडीएम का लक्ष्य विशिष्ट स्वास्थ्य आईडी के ज़रिए, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और रोगियों को एकीकृत करके, एक राष्ट्रव्यापी डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। इस योजना का मकसद शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, निगरानी और स्वास्थ्य अनुसंधान में अंतर को पाटना है, ताकि समुदाय ऐसी महामारी/स्वास्थ्य संकट के प्रबंधन में आत्मनिर्भर हो सकें। एबीडीएम की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
- स्वास्थ्य आईडी: व्यक्तियों के लिए मेडिकल रिकॉर्ड संग्रहित और साझा करने के लिए एक विशिष्ट पहचानकर्ता।
- हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री (एचपीआर): पंजीकृत हेल्थकेयर पेशेवरों का एक व्यापक डेटाबेस।
- स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री (एचएफआर): पूरे भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं का एक डिजिटल भंडार।
- एकीकृत स्वास्थ्य इंटरफेस (यूएचआई): डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा प्रदान करने वाला एक ओपन नेटवर्क।
शीघ्र निदान और उपचार की सुविधा के लिए देश भर में दो लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित किए गए हैं। ये आरोग्य मंदिर करोड़ों नागरिकों को कैंसर, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों की आसानी से जांच करने में सक्षम बनाते हैं।
इसके अलावा, ये मिशन सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी या हार्डवेयर या दोनों मामलों में क्षेत्रों के लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (एबीएचए) बनाने के लिए सहायता और ऑफलाइन मोड में सुविधाएं प्रदान करता है। 20 जनवरी 2025 तक 73 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (एबीएचए) सफलतापूर्वक बनाए जा चुके हैं और 5 लाख से अधिक स्वास्थ्य पेशेवर पंजीकृत हो चुके हैं। आयुष्मान भारत खाताधारकों वाले शीर्ष 5 राज्यों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात शामिल हैं। लाभार्थियों की कुल संख्या में 49.15% महिलाएं हैं।
हाल ही में, सितंबर 2024 में, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) और आईआईटी कानपुर ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत विभिन्न मशीन लर्निंग मॉडल पाइपलाइनों में एक संघीय शिक्षण मंच, एक गुणवत्ता-संरक्षण डेटाबेस, एआई मॉडल की तुलना और सत्यापन के लिए एक ओपन बेंचमार्किंग प्लेटफॉर्म, और एबीडीएम के तहत अनुसंधान के लिए एक सहमति प्रबंधन प्रणाली, आईआईटी कानपुर द्वारा विकसित की जाएगी। बाद में प्लेटफ़ॉर्म का संचालन एनएचए द्वारा किया जाएगा, जिससे स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए एआई की अपार क्षमताओं की जानकारी मिल पाएगी।
एबीडीएम के तहत शुरू की गई, डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (डीएचआईएस), डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड और सेवाओं को एकीकृत करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश करके, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को डिजिटल स्वास्थ्य समाधान अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। यह योजना अस्पतालों, क्लीनिकों और स्वास्थ्य सेवा स्टार्टअप्स को डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे कागज रहित स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में परिवर्तन में तेजी आ सके।
2. टेलीमेडिसिन और ई-संजीवनी
भारत में टेलीमेडिसिन सेवाओं में वृद्धि देखी गई है, खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) द्वारा लॉन्च किया गया ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म, भौतिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर बोझ को कम करते हुए दूरस्थ परामर्श को सक्षम बनाता है। इस प्लेटफ़ॉर्म में दो मॉड्यूल शामिल हैं:
- ई-संजीवनी ओपीडी: डॉक्टर-से-रोगी परामर्श की सुविधा दूरस्थ तौर पर प्रदान करना।
- ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी: दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य देखभाल पहुंच के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) को जोड़ना।
3. यू-विन पोर्टल
अक्टूबर 2024 में लॉन्च किया गया यू-विन पोर्टल, सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत गर्भवती महिलाओं और जन्म से 17 वर्ष तक के बच्चों के लिए टीकाकरण सेवाओं के पूर्ण डिजिटलीकरण और टीकाकरण रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए विकसित किया गया है। डिजिटल प्लेटफॉर्म की नागरिक-केंद्रित सेवाओं में 'एनीटाइम एक्सेस' और 'एनीव्हेयर' टीकाकरण सेवाएं, यू-विन वेब-पोर्टल या यू-विन नागरिक मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके नागरिकों द्वारा स्व-पंजीकरण, स्वचालित एसएमएस अलर्ट, यूनिवर्सल क्यूआर-आधारित ई-टीकाकरण प्रमाणपत्र और स्वयं के लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (एबीएचए) आईडी और अपने बच्चों के लिए चाइल्ड एबीएचए आईडी बनाने की उपयोगिता शामिल हैं। यह पोर्टल हिंदी समेत 11 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध है। नवंबर 2024 तक, 7.43 करोड़ लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया है, 1.26 करोड़ टीकाकरण सत्र आयोजित किए गए हैं और यू-विन पर 27.77 करोड़ वैक्सीन खुराक प्रशासित दर्ज की गई हैं।
4. आरोग्य सेतु ऐप
आरोग्य सेतु को एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य ऐप में बदल दिया गया है, जिसमें एबीडीएम द्वारा संचालित डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की एक पूरी श्रृंखला उपलब्ध है। आरोग्य सेतु का उपयोग करके, कोई भी आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते के लिए पंजीकरण कर सकता है और भाग लेने वाले स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ बातचीत के लिए इसका लाभ उठा सकता है, और इसके ज़रिए सत्यापित स्वास्थ्य पेशेवरों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं से डिजिटल लैब रिपोर्ट, नुस्खे और निदान भी प्राप्त किया जा सकता है। आरोग्य सेतु ई-संजीवनी ओपीडी एप्लिकेशन द्वारा संचालित डॉक्टर के साथ ऑनलाइन अपांइटमेंट को भी तय करने में भी मदद करता है। इसके ज़रिए कोई भी व्यक्ति घर बैठे ही डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट शेड्यूल कर सकता है और डॉक्टर से परामर्श ले सकता है। आरोग्य सेतु का उपयोग करके, कोई भी व्यक्ति कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र डाउनलोड कर सकता है या प्रमाणपत्र में बदलाव का अनुरोध कर सकता है।
5. ई-हॉस्पिटल
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की डिजिटल इंडिया पहल के हिस्से के रूप में, ई-हॉस्पिटल, ई-ब्लडबैंक और ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली (ओआरएस) एप्लिकेशन विकसित किए गए थे। ई-हॉस्पिटल एप्लिकेशन, अस्पतालों के आंतरिक कार्यप्रवाह और प्रक्रियाओं के लिए एक अस्पताल प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) है। यह वन-स्टॉप समाधान, मरीजों, अस्पतालों और डॉक्टरों को एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़ने में मदद करता है। ई- हॉस्पिटल को एसएएएस (सॉफ्टवेयर एज़ ए सर्विस) मॉडल के ज़रिए क्लाउड पर केंद्र सरकार/राज्य सरकार/ स्वायत्त/सहकारी अस्पतालों के लिए भी उपलब्ध कराया गया है।
ई-ब्लडबैंक एप्लिकेशन, संपूर्ण ब्लड बैंक प्रबंधन प्रणाली के कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करता है। ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली (ओआरएस), एक डिजिटल इंडिया पहल है, जिसका मकसद आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते के साथ एकीकृत, मरीजों के लिए अस्पताल सेवाओं तक ऑनलाइन पहुंच प्रदान करना है।
6. राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (टेली मानस)
सरकार ने देश में गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक पहुंच को और बेहतर बनाने के लिए 10 अक्टूबर 2022 को एक "राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम" शुरू किया। 20 जनवरी 2025 तक, 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने 53 टेली मानस सेल स्थापित किए हैं और टेली मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं शुरू की हैं। हेल्पलाइन नंबर पर 17.6 लाख से अधिक कॉल्स का निष्पादन किया गया है।
डिजिटल हेल्थकेयर को आकार देने वाली प्रमुख नीतियां
1. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) 2017
एनएचपी 2017, स्वास्थ्य सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देती है। यह पहुंच और दक्षता में सुधार के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड, स्वास्थ्य सूचना प्रणाली और टेलीमेडिसिन की वकालत करती है। इसका मकसद, खास तौर पर ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में सेवा वितरण में अंतर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल ढांचे के भीतर डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को एकीकृत करना है।
2. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम)
एनएचएम एक ऐसा कार्यक्रम है, जो एनएचपी के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए काम करता है। एनएचएम स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे में सुधार, स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्याप्त मानव संसाधनों की उपलब्धता, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में वंचित और हाशिए पर रहने वाले समूहों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता और पहुंच में सुधार के लिए सहायता प्रदान करता है। मंत्रालय एनएचएम के तहत कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं (पीआईपी) के रूप में प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर, सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
3. स्वास्थ्य डेटा प्रबंधन नीति
एबीडीएम का एक महत्वपूर्ण घटक, यह नीति डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड के लिए डेटा गोपनीयता, सुरक्षा और शासन मानकों की रूपरेखा तैयार करती है। यह रोगी की सहमति, डेटा की पहचान को सुरक्षित रखना और सुरक्षित डेटा विनिमय सुनिश्चित करता है। यह नीति, संवेदनशील स्वास्थ्य जानकारी के उपयोग और साझाकरण पर सख्त प्रोटोकॉल लागू करती है, यह सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, बीमा फर्मों और सरकारी एजेंसियों सहित सभी हितधारक, समान डेटा सुरक्षा उपायों का अनुपालन करें।
4. राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम)
एनडीएचएम का मकसद देश के सभी नागरिकों को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करके भारत को आत्मनिर्भर बनाना है। यह देश भर में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए एक डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) 2017 और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य ब्लूप्रिंट (एनडीएचबी) के लक्ष्यों और उद्देश्यों के अनुरूप है। एनडीएचबी, डिजिटल स्वास्थ्य एकीकरण के माध्यम से वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त करने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप के रूप में कार्य करता है। यह एक मजबूत डिजिटल हेल्थकेयर पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित करने के लिए अंतरसंचालनीयता, साइबर सुरक्षा और डेटा विनिमय तंत्र के लिए एक संरचित दृष्टिकोण प्रदान करता है। एनडीएचएम भारत में एक ऐसे राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र की कल्पना करता है, जो वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज का समर्थन करता है, जो कुशल, सुलभ, समावेशी, किफायती, समय पर और सुरक्षित है। इस डिजिटल बुनियादी ढांचे में जनता की व्यक्तिगत जानकारी की सख्त गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, बड़ी मात्रा में स्वास्थ्य संबंधी डेटा और विभिन्न मानकीकृत डिजिटल सेवाएं शामिल होंगी।
एनडीएचएम देश भर में निम्नलिखित डिजिटल सिस्टम लागू करेगा:
- स्वास्थ्य आईडी: पिछले स्वास्थ्य रिकॉर्ड के आधार पर किसी व्यक्ति की पहचान और प्रमाणित करने के लिए आधार आईडी की तरह एक विशिष्ट स्वास्थ्य आईडी (यूएचआईडी) का कार्यान्वयन।
- डिजी डॉक्टर: डिजिटल तौर पर डॉक्टरों का एक भंडार, जिसमें अन्य ज़रुरी जानकारियों के साथ उनका नाम, संस्थान, योग्यता, विशेषज्ञता और वर्षों के अनुभव जैसे व्यक्तिगत विवरण मौजूद होगा।
- स्वास्थ्य सुविधा रजिस्टर (एचएफआर): देश भर में स्वास्थ्य सुविधाओं का भंडार। एचएफआर को केंद्र द्वारा प्रबंधित किया जाएगा और भारत में निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के मानकीकृत डेटा विनिमय की सुविधा प्रदान की जाएगी।
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड (पीएचआर): पीएचआर किसी व्यक्ति का एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड है, जिसमें उस व्यक्ति की स्वास्थ्य संबंधी जानकारी होगी।
- इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड्स (ईएमआर): एक ऐप, जिसमें मरीज की चिकित्सा और उपचार से जुड़ी तमाम जानकारियां होंगी। ईएमआर की परिकल्पना एक वेब-आधारित प्रणाली के रूप में की गई है जिसमें किसी सुविधा में मरीज की व्यापक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी शामिल होगी।
5. प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम)
पीएम-एबीएचआईएम प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, सेवा वितरण में सुधार के लिए डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने पर केंद्रित है। इस पहल का मकसद मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को विकसित करना, आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाना और डिजिटल डेटाबेस के ज़रिए चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ाना है। यह 2005 के बाद से सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के लिए सबसे बड़ी अखिल भारतीय योजना है।
निष्कर्ष
भारत के डिजिटल स्वास्थ्य सेवा परिवर्तन में स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच और दक्षता बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। निरंतर नीति समर्थन, बुनियादी ढांचे के विकास और सार्वजनिक-निजी सहयोग के साथ, देश डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में उभरने की ओर अग्रसर है। भविष्य के फोकस क्षेत्रों में एआई-संचालित डायग्नोस्टिक्स, ब्लॉकचेन-आधारित स्वास्थ्य रिकॉर्ड और उन्नत साइबर सुरक्षा ढांचा शामिल हैं।
डिजिटल स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे और नीतियों के प्रति भारत सरकार का सक्रिय दृष्टिकोण, एक अधिक कुशल और सुलभ स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को नया आकार दे रहा है। डिजिटल स्वास्थ्य और तकनीकी प्रगति में बढ़ते निवेश के साथ, भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के, डिजिटल परिवर्तन के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मॉडल के रूप में विकसित होने की उम्मीद है, जो अन्य विकासशील देशों के लिए भी मानक स्थापित करेगी।
संदर्भ:
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(Release ID: 2094717)
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