जनजातीय कार्य मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2024 : जनजातीय कार्य मंत्रालय की प्रमुख गतिविधियाँ
जनजातीय कार्य मंत्रालय का बजट परिव्यय 2023-24 के संशोधित अनुमान की तुलना में 45.80 प्रतिशत बढ़कर लगभग 14925.81 करोड़ रुपये हुआ
माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 10 फरवरी 2024 को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में आदि महोत्सव का उद्घाटन किया
माननीय प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर 2024 को महात्मा गांधी की जयंती पर झारखंड के हज़ारीबाग़ से धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ किया
पीवीटीजी क्षेत्रों में पीएम-जनमन योजनाओं की शत-प्रतिशत पहुंच सुनिश्चित करने के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 23 अगस्त से 10 सितंबर, 2024 तक आईईसी अभियान का आयोजन किया
2 अक्टूबर, 2024 को माननीय प्रधानमंत्री ने 40 ईएमआरएस का उद्घाटन किया और 2,800 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ 25 और ईएमआरएस की आधारशिला रखी
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की कि 15 नवम्बर 2024 से 15 नवम्बर 2025 तक की अवधि को भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाया जाएगा
जनजातीय छात्रों के लिए सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी का प्रशिक्षण
वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत कुल 23.72 लाख व्यक्तिगत स्वामित्व और कुल 1.15 लाख सामुदायिक स्वामित्व वितरित किए गए हैं, जिनमें लगभग 190.58 लाख एकड़ भूमि वितरित की गई है
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07 JAN 2025 4:09PM by PIB Delhi
भारत में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की संख्या 10.42 मिलियन है। यह कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है। देश के दूरदराज के भागों में 705 से अधिक विशिष्ट जनजातीय समूह रहते हैं। सरकार इन समुदायों को सहायता देने के लिए कई कल्याणकारी कार्यक्रम लागू कर रही है, जिनमें सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण, सतत विकास और उनकी जीवंत सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य जनजातीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना, शिक्षा को बढ़ावा देना और समावेशी विकास को बढ़ावा देना है।
जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने की अपनी प्रतिबद्धता के तहत जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) ने क्षेत्रीय विकास को प्राथमिकता देकर जनजातीय कल्याण के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। यह लक्ष्य वित्तीय आवंटन में वृद्धि, विभिन्न क्षेत्रों में प्रयासों के समन्वय तथा कार्यक्रमों और पहलों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए योजना और कार्यान्वयन तंत्र की पुनः संरचना के माध्यम से प्राप्त किया गया है।
वर्ष 2024 में जनजातीय कार्य मंत्रालय की योजनाओं, उपलब्धियों और पहलों की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
जनजातीय सशक्तिकरण और प्रगति के लिए बजट
जनजातीय कार्य मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए समग्र नीति, योजना और कार्यक्रमों के समन्वय के लिए नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य करता है। इसके कार्यक्रम और योजनाएं अन्य केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और स्वैच्छिक संगठनों के प्रयासों को वित्तीय सहायता प्रदान करके और अनुसूचित जनजातियों की आवश्यकताओं के आधार पर महत्वपूर्ण अंतराल को खत्म करके समर्थन प्रदान करती हैं। इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए मंत्रालय के लिए बजट आवंटन में पर्याप्त वृद्धि हुई है, जो 2014-15 में 4,497.96 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 13,000 करोड़ रुपये हो गया है।
जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) के तहत, जिसे अब अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के रूप में जाना जाता है, 42 मंत्रालय/विभाग शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, आवास, विद्युतीकरण, रोजगार सृजन और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में जनजातीय विकास परियोजनाओं के लिए प्रत्येक वर्ष अपने कुल योजना आवंटन का 4.3 से 17.5 प्रतिशत तक धन आवंटित करते हैं। डीएपीएसटी निधि आवंटन 2013-14 से लगभग 5.8 गुना बढ़ गया है, जो 2013-14 में 21,525.36 करोड़ रुपये (वास्तविक व्यय) से बढ़कर बजट अनुमान 2024-25 में 1,24,908.00 करोड़ रुपये हो गया है।
जनजातियों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ:
- धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ
2 अक्टूबर, 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के हज़ारीबाग में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान की शुरुआत की। 79,156 करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का उद्देश्य लगभग 63,843 जनजातीय गांवों में सामाजिक बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका विकास में महत्वपूर्ण अंतराल को दूर करना है।
- प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन)
15 नवंबर, 2023 को, झारखंड के खूंटी में जनजातीय गौरव दिवस के दौरान, प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएमजनमन) की शुरुआत की। पीएम-जनमन का उद्देश्य सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी, विद्युतीकरण और स्थायी आजीविका जैसे क्षेत्रों में लक्षित समर्थन के माध्यम से पीवीटीजी समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
इस मिशन का उद्देश्य 18 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में रहने वाले 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) का लक्षित विकास करना है, जो मंत्रालयों/विभागों की योजनाओं से वंचित थे। इसलिए इस मिशन के माध्यम से बहुक्षेत्रीय सहायता की आवश्यकता है, जिसमें 3 वर्षों में 9 मंत्रालयों की 11 कार्रवाई को पूर्ण करने के लिए 24,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। 15 जनवरी को प्रधानमंत्री ने 4450 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी। संबंधित मंत्रालयों को डीएपीएसटी के तहत एसटीसी बजट शीर्ष में उपलब्ध धनराशि का उपयोग करके अपनी मौजूदा योजनाओं की कार्रवाई का लाभ पीवीटीजी को प्रदान करने का अधिकार दिया गया है। अब तक मंत्रालयों ने 7356 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) मिशन की पहुंच और प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) अभियान शुरू किया है। 23 अगस्त, 2024 से 10 सितम्बर, 2024 तक चले इस अभियान का उद्देश्य विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) वाले क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं की शत-प्रतिशत पहुंच सुनिश्चित करना था।
अभियान के उद्देश्य
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- सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना और भारत के 206 जिलों में 28,700 पीवीटीजी बस्तियों में उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करना।
- इन पीवीटीजी क्षेत्रों में लगभग 44.6 लाख व्यक्तियों (10.7 लाख परिवारों) तक पहुंचें।
- दूरी, सड़क और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसी चुनौतियों का समाधान करते हुए पीवीटीजी परिवारों के दरवाजे पर आवश्यक दस्तावेज और सेवाएं उपलब्ध कराना।
- प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई)
1977-78 में जनजातीय कल्याण के लिए विकास के अंतराल को पाटने के उद्देश्य से 'जनजातीय उप-योजना के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता (एससीए से टीएसएस)' शुरू की गई। 2021-22 में इस योजना को प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई) के रूप में नया रूप दिया गया, जिसमें महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी वाले गांवों में बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित किया गया। पीएमएएजीवाई के अंतर्गत विकास के लिए कम से कम 50 प्रतिशत जनजातीय आबादी वाले 36,428 गांवों की पहचान की गई है, जिनमें आकांक्षी जिले भी शामिल हैं। 1.02 करोड़ परिवारों और 4.22 करोड़ अनुसूचित जनजाति की आबादी के लिए विभिन्न अंतरालों को पाटने के लिए केंद्र सरकार की अनुसूचित जनजाति घटक वाली 58 योजनाओं और राज्य सरकार की योजनाओं के साथ अभिसरण की योजना बनाई गई है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 5 वर्षों के लिए 7276 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। 2357.50 करोड़ की धनराशि जारी करने के साथ 17616 ग्राम विकास योजनाओं को मंजूरी दी गई है।
- प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम)
पीएमजेवीएम का उद्देश्य जनजातीय उद्यमिता को बढ़ावा देना और "जनजातियों द्वारा वोकल फॉर लोकल" पहल को आगे बढ़ाना है। यह जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाने पर जोर देता है ताकि वे स्थानीय रूप से उत्पादित वस्तुओं पर केंद्रित व्यवसायों का समर्थन करके लघु वन उत्पादों (एमएफपी) और गैर-लघु वन उत्पादों सहित प्राकृतिक संसाधनों का प्रभावी ढंग से दोहन कर सकें। इसका उद्देश्य पूरे देश में आजीविका-संचालित जनजातीय विकास को प्राप्त करना है। इसके लिए वन धन विकास केन्द्रों/वन धन उत्पादक उद्यमों की स्थापना करके आगे और पीछे के लिंकेज प्रदान करना है। इसके अलावा राज्यों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज की खरीद करने में सहायता करना है। इस योजना के तहत 3000 हाट बाजार और 600 गोदाम स्थापित करने का भी प्रावधान है। पीएमजेवीएम योजना के तहत पांच वर्षों के लिए 1612 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। ट्राइफेड प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन की कार्यान्वयन एजेंसी है। 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 12 लाख लोगों को कवर करने वाले 3959 वन धन विकास केंद्रों (वीडीवीके) को 587.52 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की गई है।
अन्य पहल:
- एमएफपी योजना के लिए एमएसपी के अंतर्गत कवर किए जाने हेतु एमएफपी की अधिसूचित वस्तुओं की सूची में 87 एमएफपी को जोड़ा गया।
- लघु वनोपजों की खरीद के लिए राज्य सरकारों को 319.65 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई। अब तक कुल 665.34 करोड़ रुपए की खरीद की जा चुकी है।
- बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए राज्य सरकारों को 89.14 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई, जिसके तहत 1316 हाट बाजार, 603 छोटी भंडारण इकाइयां और 22 प्रसंस्करण इकाइयां स्वीकृत की गईं।
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय
वर्ष 2018-19 में शुरू की गई एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) योजना का उद्देश्य जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, जिसमें उनके शैक्षणिक, सांस्कृतिक और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। 2 अक्टूबर, 2024 को प्रधानमंत्री ने 40 ईएमआरएस का उद्घाटन किया और 2,800 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश से 25 और ईएमआरएस की आधारशिला रखी। अब तक 728 ईएमआरएस को मंजूरी दी जा चुकी है।
2013-14 में 167 स्कूल स्वीकृत किए गए थे, जो नवंबर 2024 तक बढ़कर 715 हो गए हैं। अब ई.एम.आर.एस. की आवर्ती लागत 2023-24 में 1,09,000 रुपये (प्रति छात्र प्रति वर्ष) है, जबकि 2013-14 में यह 24,200 रुपये (प्रति छात्र प्रति वर्ष) थी। पंजीकृत छात्रों की कुल संख्या 2023-2024 में बढ़कर 1.33 लाख हो गई, जबकि 2013-14 में यह संख्या 34,365 थी।
अगले तीन वर्षों में केंद्र सरकार 3.5 लाख जनजातीय छात्रों की शिक्षा के लिए 728 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिए 38,800 शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों की भर्ती करेगी। 9023 पात्र चयनित अभ्यर्थियों (शिक्षण एवं गैर-शिक्षण स्टाफ) को नियुक्ति पत्र प्रदान किए जा चुके हैं।
- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने ओडिशा के मयूरभंज के बारसाही में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय का उद्घाटन किया
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने ओडिशा के मयूरभंज के बड़ासाही में नवनिर्मित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) का उद्घाटन किया। बरसाही ईएमआरएस परिसर लगभग 8 एकड़ भूमि पर निर्मित है। इस ईएमआरएस में 480 विद्यार्थियों के लिए 16 कक्षा-कक्ष होंगे, जिनमें 240 लड़कियां और 240 लड़के होंगे। यहाँ लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग छात्रावास, भोजनालय, प्रधानाचार्य, शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए आवास, प्रशासनिक ब्लॉक, खेल का मैदान, कंप्यूटर और विज्ञान प्रयोगशालाएँ हैं। ये विद्यालय इस क्षेत्र के जनजातीय छात्रों के समग्र विकास के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।
- तीन पूर्वोत्तर राज्यों के ईएमआरएस छात्रों ने राष्ट्रपति भवन में उद्यान उत्सव और विविधता का अमृत महोत्सव-2024 में भाग लिया
राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (एनईएसटीएस) ने तीन पूर्वोत्तर राज्यों - मणिपुर, सिक्किम और त्रिपुरा - के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के 255 छात्रों और शिक्षकों के लिए 8 से 12 फरवरी, 2024 तक नई दिल्ली में एक शैक्षिक भ्रमण का आयोजन किया। इसके अलावा राष्ट्रपति भवन ने एनईएसटीएस के साथ समन्वय करके इन छात्रों को 8 फरवरी को राष्ट्रपति संग्रहालय और अमृत उद्यान देखने का अवसर दिया है। पहली बार राजधानी शहर की यात्रा करने तथा अमृत उद्यान और राष्ट्रपति भवन की सुंदरता का अनुभव करने का अवसर इन जनजातीय छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण रहा। दिल्ली की भव्यता, अमृत उद्यान, राष्ट्रपति भवन और संग्रहालय के ऐतिहासिक महत्व ने विद्यार्थियों पर अमिट छाप छोड़ी, जिससे भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत के बारे में उनकी समझ समृद्ध हुई। इसके अलावा छात्रों को भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के साथ यादगार बातचीत करने का सम्मान भी प्राप्त हुआ।
- एनईएसटीएस ने भुवनेश्वर में 5वां राष्ट्रीय ईएमआरएस सांस्कृतिक एवं साहित्यिक महोत्सव एवं कला उत्सव का आयोजन किया
राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (एनईएसटीएस) ने 5वें राष्ट्रीय ईएमआरएस सांस्कृतिक और साहित्यिक महोत्सव और कला उत्सव - 2024 का आयोजन किया। यह भव्य कार्यक्रम 12 से 15 नवंबर 2024 तक शिक्षा ‘ओ’ अनुसंधान, खंडगिरी, भुवनेश्वर, ओडिशा में आयोजित किया गया और इसका आयोजन ओडिशा मॉडल ट्राइबल एजुकेशनल सोसाइटी (ओएमटीईएस) द्वारा किया गया।
- एनईएसटीएस ने एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिए 'अमेज़ॅन फ्यूचर इंजीनियर प्रोग्राम' शुरू किया है
राष्ट्रीय आदिवासी छात्र शिक्षा समिति (एनईएसटीएस) ने आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और त्रिपुरा में फैले 50 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) में ‘अमेज़ॅन फ्यूचर इंजीनियर प्रोग्राम’ के तीसरे चरण का शुभारंभ किया। तीसरे चरण में ब्लॉकचेन, कोडिंग, ब्लॉक प्रोग्रामिंग और एआई सत्र पर नीति शामिल था।
- जनजातीय छात्रों के लिए सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण
जनजातीय मामलों के मंत्रालय (एमओटीए), भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान जनजातीय अनुसंधान सूचना, शिक्षा, संचार और कार्यक्रम (टीआरआई-ईसीई) के अंतर्गत भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरू के नैनो विज्ञान और इंजीनियरिंग केंद्र को ‘जनजातीय समुदाय के छात्रों के लिए सेमीकंडक्टर निर्माण और विशेषता प्रशिक्षण’ परियोजना सौंपी है। इस परियोजना का लक्ष्य तीन वर्षों में जनजातीय छात्रों को सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी में 2100 एनएसक्यूएफ-प्रमाणित स्तर 6.0 और 6.5 प्रशिक्षण प्रदान करना है।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय ने संयुक्त रूप से आयुर्वेद के माध्यम से जनजातीय छात्रों की जांच और स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की परियोजना शुरू की
आयुष मंत्रालय ने अपने केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) के साथ मिलकर जनजातीय मामलों के मंत्रालय और आईसीएमआर-राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (एनआईआरटीएच), जबलपुर के साथ साझेदारी में जनजातीय छात्रों के लिए यह स्वास्थ्य पहल शुरू की है। इसका उद्देश्य देश के जनजातीय क्षेत्रों में ईएमआरएस में रहने वाले छात्रों की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करना है। इस परियोजना से 20,000 से अधिक जनजातीय छात्रों को लाभ मिलेगा।
जनजातीय सशक्तिकरण के लिए छात्रवृत्ति
भारत सरकार जनजातियों के लिए 5 छात्रवृत्ति योजनाएं लागू करती है, जिसके तहत 2500 करोड़ रुपये के वार्षिक बजट के साथ हर साल 30 लाख से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है। जनजातीय छात्रों की सहायता के लिए छात्रवृत्ति भी उपलब्ध है, जिसका उद्देश्य स्कूल छोड़ने की दर को कम करना तथा उनकी शैक्षिक प्रगति को बढ़ावा देना है। ये वित्तीय सहायताएं यह सुनिश्चित करती हैं कि जनजातीय समुदायों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक बेहतर पहुंच मिले और उन्हें बेहतर भविष्य बनाने का अवसर मिले।
- प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाएं
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- प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति: कक्षा IX और X में अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए वित्तीय सहायता, माध्यमिक शिक्षा में परिवर्तन को बढ़ावा देना।
- पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: कक्षा XI से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम तक अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु वित्तीय सहायता।
- अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति: यह योजना मेधावी एसटी छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरेट अध्ययन करने का अवसर प्रदान करती है।
- अनुसूचित जनजाति छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप: यह फेलोशिप योजना पूरी तरह से डिजिटल प्रक्रिया के माध्यम से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले जनजातीय छात्रों का समर्थन करती है, जिससे समय पर वित्तीय सहायता और डिजिलॉकर एकीकरण के माध्यम से शिकायत निवारण सुनिश्चित होता है।
- प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति पाने वाले 589 जनजातीय छात्रों को नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह के लिए विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया
26 जनवरी 2024 को भारतीय गणतंत्र के हीरक जयंती समारोह के दौरान सरकार ने नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस 2024 समारोह में भाग लेने के लिए 663 आदिवासी छात्रों और शिक्षकों को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। इस दल में 31 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से 589 छात्र (258 लड़कियां, 331 लड़के) और 74 शिक्षक शामिल हुए। ये बच्चे केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित योजना के तहत दी जाने वाली प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के भी लाभार्थी हैं।
- राष्ट्रपति द्वारा 10 फरवरी, 2024 को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम में आदि महोत्सव का उद्घाटन
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 10 फरवरी, 2024 को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में राष्ट्रीय जनजातीय महोत्सव आदि महोत्सव का उद्घाटन किया। आदि महोत्सव राष्ट्रीय मंच पर जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक प्रयास है और यह जनजातीय संस्कृति, शिल्प, भोजन, वाणिज्य और पारंपरिक कला की भावना का उत्सव मनाता है। यह जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ लिमिटेड (ट्राइफेड) की एक वार्षिक पहल है।
इस अवसर पर तत्कालीन केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की उपस्थिति में अनुसूचित जनजातियों के लिए उद्यम पूंजी कोष (वीसीएफ-एसटी) का शुभारंभ किया। यह फंड, एक सेबी पंजीकृत उद्यम पूंजी पहल है, जिसका प्रबंधन आईएफसीआई वेंचर द्वारा किया जाएगा, जो भारत सरकार के उपक्रम आईएफसीआई लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है। वीसीएफ-एसटी योजना में दो निवेशक जनजातीय कार्य मंत्रालय और भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राइफेड) हैं। यह योजना विनिर्माण, सेवा और संबद्ध क्षेत्र में कार्यरत अनुसूचित जनजाति द्वारा प्रवर्तित कम्पनियों को 10 लाख रुपये से 5 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करके अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देगी, जिसमें स्टार्ट-अप और प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटरों में इनक्यूबेट की जा रही इकाइयां शामिल हैं, जिससे इकाई/परियोजना में लगाई गई निधियों से 4 प्रतिशत प्रति वर्ष की रियायती दर (एसटी महिलाओं/एसटी विकलांग उद्यमियों के लिए 3.75 प्रतिशत प्रति वर्ष) पर परिसंपत्ति निर्माण सुनिश्चित होगा। इस कोष का लक्ष्य भारत का जनजातीय समुदाय होगा और यह पूरे देश पर लागू होगा। इस कोष से अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों में उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
जनजातीय अनुसंधान संस्थानों को सहायता योजना:
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- जनजातीय कार्य मंत्रालय ने "जनजातीय अनुसंधान संस्थान को सहायता" योजना के अंतर्गत 2014 से 10 नए टीआरआई के भवन निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत की है, जिनमें आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, मेघालय और गोवा शामिल हैं।
सिक्किम के मुख्यमंत्री श्री प्रेम सिंह तमांग ने 15 नवंबर 2024 को सांसद, लोकसभा सदस्यों, कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों के साथ नवनिर्मित टीआरआई भवन का आधिकारिक उद्घाटन किया।
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- इस योजना के अंतर्गत मंत्रालय ने 2017-18 से गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, मिजोरम और गोवा राज्यों में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिए 11 संग्रहालयों को मंजूरी दी है।
- 3 संग्रहालय अर्थात् भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय, रांची, जबलपुर में राजा शंकर शंकर शाह रघुनाथ शाह और छिंदवाड़ा में बादल भोई जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का काम पूरा हो चुका है।
- जनजातीय भाषाओं का संरक्षण
जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार ‘टीआरआई को सहायता योजना’ के अंतर्गत राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को जनजातीय भाषाओं की सुरक्षा, संरक्षण और संवर्धन के लिए शुरू की गई परियोजनाओं/गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। जनजातीय समुदायों को सम्मेलनों, सेमिनारों, कार्यशालाओं और आदान-प्रदान कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सरकारी आश्रम विद्यालयों के शिक्षक संबंधित समुदायों के भाषा विशेषज्ञों के साथ मिलकर जनजातीय बोलियों और भाषाओं में शब्दकोश और प्राइमर विकसित करने में जुटे हैं, जिससे न केवल जनजातीय भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन हो रहा है, बल्कि जनजातीय छात्रों को कक्षा 1 से 3 तक बुनियादी शिक्षा में मदद मिल रही है और उच्च कक्षाओं में जाने पर उन्हें आसानी से आगे बढ़ने में मदद मिल रही है। टीआरआई क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं (अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं) के लिए जनजातीय भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं।
- अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए कार्यरत स्वैच्छिक संगठनों को सहायता अनुदान:
पिछले 10 वर्षों में जनजातीय आबादी के लिए शिक्षा, आजीविका और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली लगभग 250 परियोजनाओं के लिए लगभग 200 गैर सरकारी संगठनों को लगभग 1000 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
जनजातीय आबादी के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल हेतु पहल:
सरकार ने जनजातीय समुदायों के कल्याण में सुधार लाने के उद्देश्य से कई प्रमुख स्वास्थ्य पहल शुरू की हैं।
- केंद्रीय बजट 2023-24 में सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन की घोषणा की गई
1 जुलाई, 2023 को शुरू किया गया सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन, जागरूकता अभियान, सार्वभौमिक जांच और सस्ती देखभाल के माध्यम से सिकल सेल रोग (एससीडी) के उन्मूलन पर केंद्रित है, जिसमें मध्य, पश्चिमी और दक्षिणी भारत में जनजातीय आबादी पर विशेष जोर दिया गया है। इसका उद्देश्य प्रभावित जनजातीय क्षेत्रों में 0-40 वर्ष आयु वर्ग के 7 करोड़ लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना और उनकी सार्वभौमिक जांच करना तथा केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से परामर्श प्रदान करना है। 7 करोड़ में से 4.5 करोड़ से अधिक व्यक्तियों का परीक्षण किया जा चुका है।
विश्व सिकल सेल दिवस 2024 के उपलक्ष्य में, जनजातीय कार्य मंत्रालय (एमओटीए) और ज्ञान साझेदार बिरसा मुंडा केंद्र, एम्स दिल्ली ने 19 जून 2024 को नई दिल्ली में सिकल सेल रोग (एससीडी) पर जागरूकता पैदा करने के लिए एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया। इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों के एक समूह को जागरूकता पैदा करने और एस.सी.डी. के अंतर-पीढ़ी संचरण को रोकने के तरीकों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक साथ लाया गया। केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम और जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री डी.डी. उइके ने इस अवसर पर अपनी उपस्थिति से इस अवसर की शोभा बढ़ाई। इस दिन देश भर के 17 राज्यों के 340 से अधिक उच्च एस.सी.डी.-प्रभाव वाले जिलों में 2 सप्ताह तक जागरूकता सृजन और स्क्रीनिंग अभियान की शुरुआत भी की गई।
एम्स, दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम की झलकियां।
वन अधिकार अधिनियम
वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत कुल 23.73 लाख व्यक्तिगत स्वामित्व और कुल 1.16 लाख सामुदायिक स्वामित्व वितरित किए गए हैं, जिसके अंतर्गत लगभग 190.39 लाख एकड़ भूमि वितरित की गई है।
वन अधिकार अधिनियम
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वितरित स्वामित्व की संख्या
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2013-14
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सितम्बर 2024
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व्यक्तियों को वितरित की गई स्वामित्व की संख्या
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14.36 लाख
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23.73 लाख
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समुदाय में वितरित स्वामित्व की संख्या
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23,000
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1.16 लाख
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दावे निपटाये गये
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25.11 लाख
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42.475 लाख
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भूमि क्षेत्र निहित
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55 लाख एकड़
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190.39 लाख एकड़
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- वितरित भूमि के कुल विस्तार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई: एफआरए की शुरुआत से मई 2014 तक की अवधि के दौरान कुल 55.30 लाख एकड़ भूमि वितरित की गई। जबकि 2014 से नवंबर 2024 तक की अवधि के दौरान 190.39 लाख एकड़ जमीन दी गई है, जो मई 2014 तक की अवधि के दौरान दिए गए आंकड़ों से लगभग साढ़े तीन गुना है। 30.11.2024 तक देश भर में कुल 190.39 लाख एकड़ वन भूमि (व्यक्तिगत के लिए 50.77 लाख एकड़ और समुदाय के लिए 139.62 लाख एकड़) वितरित की गई है।
- जम्मू और कश्मीर में एफआरए कार्यान्वयन: जम्मू और कश्मीर में एफआरए 31 अक्टूबर 2019 से लागू किया जा रहा है और अब तक कुल 4505 स्वामित्व (305 व्यक्तिगत अधिकार और 4190 सामुदायिक अधिकार) जारी किए गए हैं।
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 15 नवंबर, 2024 को अखिल भारतीय स्तर पर जन जातीय गौरव दिवस मनाया गया
भारत सरकार ने वर्ष 2021 में देश के महान स्वतंत्रता सेनानी और जनजातीय नेता भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया है, ताकि सभी जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया जा सके और स्वतंत्रता संग्राम और सांस्कृतिक विरासत में उनके योगदान को याद किया जा सके और आने वाली पीढ़ी को हमारी सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय गौरव की रक्षा के लिए प्रेरित किया जा सके। यह जनजातीय क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास के प्रयासों को फिर से सक्रिय करने की दिशा में एक कदम है। पिछले तीन वर्षों से भारत सरकार देश के इतिहास और संस्कृति में जनजातीय समुदायों के योगदान को याद करने के लिए इस दिन को मनाती आ रही है, जिसके तहत देश भर में नई योजनाएं और मिशन शुरू किए जाते हैं।
15 नवंबर को सुबह नई दिल्ली के प्रेरणा स्थल, संसद भवन में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इन राष्ट्रीय कार्यक्रमों के अतिरिक्त 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य स्तरीय कार्यक्रम और जिला स्तरीय समारोह आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य ग्राम पंचायतों और लाभार्थियों को विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देना है, जिसमें गणमान्य व्यक्तियों द्वारा लाभ वितरित करते हुए स्वीकृति पत्र दिये गए। राज्यों के माननीय मुख्यमंत्री, राज्यपाल और कैबिनेट मंत्रीयों ने अपने-अपने राज्यों में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिया। समारोह में स्वास्थ्य शिविर, जनजातीय कारीगर मेला, नुक्कड़ नाटक, तथा ऐसे सत्र आयोजित किए गए, जिनमें लाभार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए तथा जनजातीय समुदायों पर इन कार्यक्रमों के प्रभाव पर प्रकाश डाला। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 15 नवंबर से 26 नवंबर, 2024 तक चौथा जनजातीय गौरव दिवस मनाया, जो देश भर में संविधान दिवस समारोहों के साथ-साथ धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान पर आईईसी अभियान के साथ मनाया गया।
जनजातीय गौरव दिवस के चौथे वर्ष समारोह के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के जमुई में एक सार्वजनिक समारोह को संबोधित किया तथा भारत की जनजातीय आबादी के लिए कुछ परियोजनाओं/योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन/आरंभ किया। मंच पर प्रधानमंत्री के साथ बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जनजातीय मामलों के माननीय मंत्री श्री जुएल ओराम, माननीय केंद्रीय पंचायत राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह, माननीय केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्री गिरिराज सिंह, बिहार के माननीय राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, माननीय केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री श्री जीतन राम मांझी, माननीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान और माननीय जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके उपस्थित थे। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को दो-तरफा कनेक्टिविटी के माध्यम से 100 चयनित जिलों से जोड़ा गया। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की कि 15 नवम्बर 2024 से 15 नवम्बर 2025 तक एक वर्ष जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करते हुए जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।
माननीय प्रधानमंत्री ईएमआरएस छात्रों के साथ बातचीत करते हुए और डाक टिकट का उद्घाटन करते हुए
ईएमआरएस छात्रों, पीएमजनमन लाभार्थियों और वीडीवीके ने नई दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लिया
स्वतंत्रता दिवस के 78वें समारोह में देश भर से ईएमआरएस छात्रों, पीएमजनमन लाभार्थियों और वन धन विकास केंद्रों को अतिथि के रूप में दिल्ली में आमंत्रित किया गया था। उन्होंने लाल किला में आयोजित समारोह में भाग लिया और प्रधानमंत्री संग्रहालय, संसद भवन और राष्ट्रपति भवन का दौरा किया।
ईएमआरएस के छात्र और पीएम जनमन लाभार्थी राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री संग्रहालय का दौरा करते हुए। माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु राष्ट्रपति भवन में वीडीवीके का स्वागत करती हुई।
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एमजी/केसी/डीवी
(Release ID: 2091171)
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