पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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वर्षांत समीक्षा 2024 - पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की मुख्य बातें


भारत ने 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत 102 करोड़ पेड़ लगाने की उपलब्धि हासिल की, मार्च 2025 तक 140 करोड़ का लक्ष्य

मंत्रालय ने 26 सितंबर, 2024 को इको-मार्क नियमों को अधिसूचित किया

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) ने उपलब्धि हासिल की: 23 शहरों में पीएम में 40 प्रतिशत की कमी, प्रदूषण नियंत्रण के लिए 11,200 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया और तत्काल वायु गुणवत्ता निगरानी के लिए प्राण पोर्टल लॉन्च किया गया

मैंग्रोव को बहाल करने और तटीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस 2024 पर मिष्टी लॉन्च किया गया

13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 22,561 हेक्टेयर खराब मैंग्रोव को पुनर्स्थापित किया गया और 6 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 3,836 हेक्टेयर के लिए 17.96 करोड़ रूपये आवंटित किए गए

जैव विविधता नियमावली, 2024 भारत के राजपत्र में अधिसूचित की गई

2024-25 में 125 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई और 9 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 106.38 करोड़ रूपये जारी किए गए; नगर वन योजना के तहत 4 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 86 परियोजनाओं के लिए 26.40 करोड़ रूपये

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत भारत में बाघ अभयारण्यों की संख्या बढ़कर 57 हुई, 2024 में दो नए बाघ अभयारण्य: गुरु घासीदास-तमो पिंगला बाघ अभयारण्य और रातापानी बाघ अभयारण्य अधिसूचित

6 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 13 समुद्र तट सीजन 2024-2025 के लिए ब्लू फ्लैग प्रमाणन के साथ प्रमाणित

यूएनईए ने मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) के सिद्धांतों पर आधारित सतत जीवन शैली पर प्रस्ताव अपनाया

भारत ने 17 अगस्त, 2024 को "एक सतत भविष्य के लिए एक सशक्त वैश्विक दक्षिण" थीम के साथ तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की

भारत ने असम में पहली बार गंगा नदी में डॉल्फिन की टैगिंग की

भारत में वन की स्थिति पर रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 जारी: वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी तक पहुंचा, जो भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है

Posted On: 27 DEC 2024 4:18PM by PIB Delhi

वर्ष 2024 के दौरान पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की प्रमुख पहलों एवं उपलब्धियों का बिंदुवार उल्लेख किया गया है।

  1. "एक पेड़ मां के नाम" अभियान

प्रधानमंत्री ने 5 जून, 2024 को 'विश्व पर्यावरण दिवस' के अवसर पर , 'एक पेड़ मां के नाम/प्लांट4मदर' अभियान की शुरुआत की इस अभियान में उन्होंने लोगों से अपनी मां के प्रति प्रेम और सम्मान के प्रतीक के रूप में पेड़ लगाने और धरती मां की रक्षा और संरक्षण करने का आह्वान किया। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मार्च, 2025 तक निश्चित तौर पर 140 करोड़ पेड़ लगाने के लिए केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों, संस्थानों और संगठनों से संपर्क किया है। अब तक 'एक पेड़ मां के नाम/प्लांट4मदर' अभियान के तहत 102 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं।

2. इको-मार्क योजना

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 26 सितंबर, 2024 को 'लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट' (लाइफ) के अनुरूप, इको-मार्क नियमावली अधिसूचित की है यह 1991 की इको-मार्क योजना के स्थान पर है। यह योजना 'लाइफ' के सिद्धांतों के अनुरूप पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की मांग को प्रोत्साहित करेगी, ऊर्जा की कम खपत, संसाधन दक्षता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी। इस योजना का उद्देश्य सटीक लेबलिंग सुनिश्चित करना और उत्पादों के बारे में भ्रामक जानकारी को रोकना है।

  1. जलवायु के अनुकूल कार्रवाई, नेट जीरो, डी-कार्बोनाइजेशन, ग्रीन हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस)

सरकार जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत की जलवायु के अनुकूल कार्रवाई उसके अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) और 2070 तक नेट जीरो तक पहुंचने की दीर्घकालिक रणनीति द्वारा निर्देशित है और यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में फैली हुई है। ऐतिहासिक तौर पर कुल वैश्विक जीएचजी उत्सर्जन में मामूली योगदान के बावजूद भारत ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में सबसे आगे रहने की अपनी इच्छा दिखाई है। भारत में वैश्विक आबादी का लगभग 17 प्रतिशत हिस्सा रहता है, लेकिन इसका ऐतिहासिक तौर पर कुल योगदान 4 प्रतिशत से भी कम है।

वर्ष 2005 से 2019 के बीच हमारे सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 33 प्रतिशत की कमी आई है। इसलिए, उत्सर्जन तीव्रता में कमी का लक्ष्य तय समय से पहले ही हासिल कर लिया गया है। 31.10.2024 तक, गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से कुल विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता कुल संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता का 46.52 प्रतिशत है। भारत ने 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 45 प्रतिशत की कमी और गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता का 50 प्रतिशत तक अपने एनडीसी लक्ष्यों को अद्यतन किया है। भारत जलवायु परिवर्तन पर अपनी वैश्विक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) की औद्योगिक और बिजली क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने में महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका है। सीसीयूएस भारत में सतत विकास और वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से स्वच्छ उत्पादों और ऊर्जा के उत्पादन के लिए, जिससे आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो सके।

4. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

वर्ष 2019 में शुरू किए गए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 130 शहरों को शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता में पर्याप्त सुधार लाना है, 2017-18 की तुलना में वर्ष 2025-26 तक पार्टिकुलेट मैटर में 40 प्रतिशत तक की कमी लाना है। हमने वर्ष 2023-2024 तक 55 शहरों में पार्टिकुलेट मैटर में 20 प्रतिशत से अधिक की कमी और 23 शहरों में 40 प्रतिशत की कमी हासिल की है। निरंतर प्रयासों के कारण, उपरोक्त शहरों में से 18 राष्ट्रीय वायु परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा कर रहे हैं। वायु प्रदूषण शमन संबंधी उपायों के लिए इन शहरों को कुल 11,200 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया गया है। वायु गुणवत्ता डेटा को वास्तविक समय में अपडेट करने के लिए एक प्राण पोर्टल लॉन्च किया गया है।

5. सर्कुलर अर्थव्यवस्था और विस्तारित उत्पादक दायित्व (ईपीआर) कार्यक्रम

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट को लेकर सर्कुलर अर्थव्यवस्था के लिए विनियामक कार्यक्रम को अधिसूचित किया है। उत्पादकों को विस्तारित उत्पादक दायित्व प्रणाली के तहत अपशिष्टों को जीवन के अंत में रीसाईकल करने का आदेश दिया गया है। प्लास्टिक अपशिष्ट, टायर अपशिष्ट, बैटरी अपशिष्ट, प्रयुक्त तेल अपशिष्ट और ई-कचरे के लिए ईपीआर नियम अधिसूचित किए गए हैं। इसके अलावा, स्क्रैप धातुओं, जीवन के अंत में वाहनों, ठोस अपशिष्ट और तरल अपशिष्ट, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट के लिए ईपीआर कार्यक्रम पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है। ईपीआर कार्यक्रम न केवल अर्थव्यवस्था में सर्कुलरिटी को बढ़ाएगा, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल तरीके से अपशिष्टों का प्रबंधन करने में भी मदद करेगा। एक मजबूत रीसाइक्लिंग उद्योग अर्थव्यवस्था में योगदान के साथ कई लाख लोगों को रोजगार देने की क्षमता के साथ आएगा।

  1. भारत शीतलन कार्य योजना

भारत शीतलन कार्य योजना (आईसीएपी) सामाजिक-आर्थिक लाभों को अधिकतम करने के लिए चल रहे सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के साथ तालमेल बिठाने की सिफारिश करती है। भारत सरकार ने आईसीएपी में दी गई सिफारिशों को लागू करने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत शीतलन कार्य योजना (आईसीएपी) की सिफारिशों को लागू करने के लिए, विषयगत क्षेत्रों के लिए कार्य योजनाएं, अर्थात्, (i) इमारतों में स्पेस कूलिंग (ii) कोल्ड चेन (iii) घरेलू विनिर्माण और उत्पादन क्षेत्र - वैकल्पिक रेफ्रिजरेंट और प्रौद्योगिकियां (iv) अनुसंधान और विकास (v) सर्विसिंग सेक्टर (vi) परिवहन एयर कंडीशनिंग को मौजूदा सरकारी कार्यक्रमों/योजनाओं के साथ आईसीएपी में दी गई सिफारिशों की मैपिंग के बाद अंतिम रूप दिया गया है।

मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल कटौती कार्यक्रम के अनुसार, 2020-24 के दौरान हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन (एचसीएफसी) के 35 प्रतिशत चरणबद्ध कटौती लक्ष्य के मुकाबले, भारत ने उपभोग क्षेत्र में हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन में 50 प्रतिशत की कमी हासिल की है। नए उपकरणों के निर्माण में एचसीएफसी का उपयोग 31.12.2024 तक चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा।

  1. तटीय आवास एवं मूर्त आय के लिए मैंग्रोव पहल (मिष्टी)

मैंग्रोव को एक अद्वितीय, प्राकृतिक इकोसिस्टम के रूप में बहाल करने और बढ़ावा देने तथा तटीय आवासों की स्थिरता को संरक्षित करने और बढ़ाने के लिए 5 जून, 2024 को 'तटीय आवास और मूर्त आय मैंग्रोव पहल (मिष्टी)' शुरू की गई है। मिष्टी का उद्देश्य भारत के तट के किनारे मैंग्रोव पुनर्वनीकरण/वनीकरण उपायों को अपनाकर 'मैंग्रोव वनों का पुनर्स्थापनकरना है। इस योजना के लिए प्रारंभिक परियोजना परिव्यय के रूप में प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (सीएएमपीए) के माध्यम से 100 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। 13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 22,561 हेक्टेयर खराब मैंग्रोव क्षेत्र को पुनर्स्थापन के तहत लाया गया है और 6 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 3,836 हेक्टेयर पुनर्स्थापन के लिए कुल 17.96 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं

  1. वन संरक्षण

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम), भोपाल के साथ मिलकर 21-22 अगस्त, 2024 को सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम), भोपाल में "भारत में वन और वन्यजीव प्रबंधन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग" पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।

पिछले अग्नि सीजन (नवंबर, 2023-जून 2024) में, 24 घंटे के भीतर वन में नियंत्रित होने वाली बड़ी आगजनी का प्रतिशत पिछले सीजन में दर्ज 33 प्रतिशत मामलों से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गया। यह मुख्य रूप से सूचना के प्रसार की बढ़ी हुई गति और ज़मीन पर समन्वय के कारण हासिल किया गया।

  1. जैव विविधता

जैव विविधता (संशोधन) अधिनियम, 2023 को 1 अप्रैल, 2024 को लागू किया गया

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अक्टूबर-नवंबर, 2024 में कोलंबिया के कैली में आयोजित जैविक सम्मेलन के पक्षकारों के सम्मेलन में भाग लिया।

भारत ने 10 सितंबर, 2024 को राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना के तहत अपने राष्ट्रीय लक्ष्य प्रस्तुत किए और 31 अक्टूबर, 2024 को सीओपी-16 के दौरान जैव विविधता सम्मेलन की बैठकों में भी अपनी राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना प्रस्तुत की। राष्ट्रीय जैव विविधता लक्ष्य और कार्य योजना दोनों ही कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता कार्यक्रम के तहत निर्धारित लक्ष्यों और उद्देश्यों के अनुरूप हैं।

जैविक विविधता नियम, 2024 को 22 अक्टूबर, 2024 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया।

  1. राष्ट्रीय वनरोपण और पर्यावरण विकास बोर्ड (एनएईबी)

राष्ट्रीय वनरोपण और पर्यावरण विकास बोर्ड (एनएईबी) नगर वन योजना (एनवीवाई) को लागू कर रहा है। इसके तहत 2020-21 से 2026-27 की अवधि के दौरान देश में 600 नगर वन और 400 नगर वाटिकाएं विकसित करने की परिकल्पना की गई है, जिसका उद्देश्य वनों के बाहर पेड़ों और हरित आवरण को बढ़ाना, जैव विविधता को बढ़ाना और शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में पर्यावरण संबंधी लाभ के अलावा शहरवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। कैम्पा के राष्ट्रीय प्राधिकरण के तहत निधियों से केंद्रीय अनुदान मुख्य रूप से बाड़ लगाने, मिट्टी-नमी संरक्षण उपायों और संबंधित गतिविधियों, प्रशासनिक गतिविधियों, वृक्षारोपण और रखरखाव की लागत को कवर करने के लिए प्रदान किया जाता है।

वर्ष 2024-25 के दौरान, योजना के अंतर्गत 125 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई और 9 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 106.38 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। 4 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 86 परियोजनाओं के लिए 26.40 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त जारी की गई है।

यह योजना इन शहरी वनों के निर्माण और रखरखाव के लिए प्रति हेक्टेयर 4 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है इससे इन हरित स्थानों के निर्माण और प्रबंधन में नागरिकों, छात्रों और अन्य हितधारकों की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है। नगर वन क्षेत्र न्यूनतम 10 हेक्टेयर से लेकर 50 हेक्टेयर तक है।

  1. कार्बन मार्केट की उपलब्धियां: (जनवरी-2024 से नवंबर-2024 तक)

भारत ने 30 मई, 2022 की राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय नामित प्राधिकरण (एनडीएआईएपीए) को अधिसूचित किया है, जिसके अध्यक्ष पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव होंगे।

एनडीएआईएपीए समिति ने जीएचजी शमन गतिविधियों, वैकल्पिक सामग्रियों और निष्कासन गतिविधियों के अंतर्गत 14 गतिविधियों की सूची को अद्यतन और अंतिम रूप दिया है, जिन्हें क्रमशः अनुच्छेद 6.2 तंत्र और 6.4 तंत्र के अंतर्गत द्विपक्षीय/सहकारी दृष्टिकोण के तहत अंतरराष्ट्रीय कार्बन क्रेडिट के व्यापार के लिए विचार किया जाना है।

एनडीएआईएपीए ने सतत विकास मूल्यांकन रूपरेखा (एसडीईएफ) के मसौदे को भी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है, जिससे सीएमए के निर्णयों के अनुसार परियोजनाओं/कार्यक्रमों की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी तथा सतत विकास में उच्च योगदान देने वाली गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।

प्राधिकरण एवं अनुमोदन संबंधी मानदंड के प्रारूप को भी सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी गई, जो अनुच्छेद 6 तंत्र के तहत अनुमोदन एवं प्राधिकरण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संस्थागत तंत्र एवं प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है।

भारत सरकार ने भारत का कार्बन मार्केट स्थापित करने के उद्देश्य से ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 (संशोधन, 2022) के अंतर्गत 28 जून, 2023 को कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (सीसीटीएस) की घोषणा की।

भारतीय कार्बन मार्केट (आईसीएम) की देखरेख के लिए सीसीटीएस के अंतर्गत भारतीय कार्बन मार्केट के लिए राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससी-आईसीएम) का गठन किया गया है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव और विद्युत मंत्रालय के सचिव एनएससी-आईसीएम की अध्यक्षता करते हैं।

एनएससी-आईसीएम ने सीसीटीएस के अंतर्गत अनुपालन तंत्र के अंतर्गत 9 क्षेत्रों - एल्युमीनियम, क्लोर अल्कली, सीमेंट, उर्वरक, लोहा और इस्पात, लुगदी और कागज, पेट्रोकेमिकल, पेट्रोलियम रिफाइनरी और कपड़ा को अंतिम रूप दिया है।

ऑफसेट तंत्र के तहत, एनएससी-आईसीएम ने वर्तमान में दस क्षेत्रों को मंजूरी दी है, जिनमें ऊर्जा, उद्योग, अपशिष्ट प्रबंधन और निपटान, कृषि, वानिकी, परिवहन, निर्माण, भगोड़ा उत्सर्जन, विलायक उपयोग और सीसीयूएस शामिल हैं।

  1. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की सलाह पर, वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38वी के अंतर्गत निम्नलिखित बाघ अभयारण्य अधिसूचित किए गए हैं, जिससे देश में बाघ अभयारण्य की संख्या 57 हो गई है।

. गुरु घासीदास-तमो पिंगला बाघ अभयारण्य:

कोर : 2049.232 वर्ग किमी

बफर : 780.155 वर्ग किमी

कुल : 2829.387 वर्ग किमी

बी. रातापानी बाघ अभयारण्य:

कोर : 763.812 वर्ग किमी

बफर : 507.653 वर्ग किमी

कुल : 1271.465 वर्ग किमी

एनटीसीए ने मध्य प्रदेश के माधव राष्ट्रीय उद्यान को क्रमशः 375.23 वर्ग किलोमीटर और 1276.15 वर्ग किलोमीटर के कोर और बफर क्षेत्र के साथ बाघ अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने को अंतिम मंजूरी दे दी।

बाघ अभयारण्य नेटवर्क के अंतर्गत क्षेत्रफल अब 82,836.45 वर्ग किमी है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 2.5 प्रतिशत है।

भारत सरकार ने एनटीसीए के माध्यम से केन्या सरकार के साथ वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में संयुक्त रूप से सहयोग करने के लिए उच्चतम स्तर पर विचार-विमर्श किया और "वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग" शीर्षक से एक समझौता ज्ञापन पर विचार किया जा रहा है।

एनटीसीए के एक प्रतिनिधिमंडल ने कंबोडिया के कार्डामम वर्षावन क्षेत्र का दौरा किया और दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित "बाघ और उसके आवास की जैव विविधता संरक्षण और सतत वन्यजीव प्रबंधन पुनर्प्राप्ति रणनीति में सहयोग" शीर्षक वाले समझौता ज्ञापन के तहत क्षमता निर्माण पहल के हिस्से के रूप में विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रशिक्षण दिया।

वैश्विक बाघ दिवस पर, खतरनाक पौधों पर एक वेब-पोर्टल लॉन्च किया गया। यह प्रकृति संरक्षण के लिए संरक्षण निवेश को प्राथमिकता देने में मदद करेगा। बाघ के नाम पर, भारत कई तरह के इकोसिस्टम की निगरानी करता है।

दक्षिण अफ्रीका और केन्या के अधिकारियों ने मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क और गांधीसागर वन्यजीव अभयारण्य का दौरा किया और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीता के तहत पहलों से अवगत हुए। बोमास, नियंत्रण कक्ष और आगामी पशु चिकित्सा केंद्रों का दौरा करते हुए बहुमूल्य जानकारी साझा की गई।

भारत ने अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) की स्थापना की और कार्यक्रम हेतु समझौते पर हस्ताक्षर करके औपचारिक रूप से इसका सदस्य बन गया।

केन्द्र प्रायोजित योजना 'वन्यजीव आवास का एकीकृत विकास' के प्रोजेक्ट टाइगर घटक को भारत सरकार द्वारा 15वें वित्त आयोग चक्र के लिए अनुमोदित किया गया।

  1. टिकाऊ तटीय प्रबंधन

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने फरवरी, 2024 में नई दिल्ली स्थित गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (जीजीएसआईपीयू) में 9वें अंतरराष्ट्रीय नाइट्रोजन सम्मेलन को प्रायोजित किया है।

'स्वच्छता ही सेवा' अभियान के अंतर्गत, अंतरराष्ट्रीय तटीय सफाई दिवस के अवसर पर 21.9.2024 को तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 22 समुद्र तटों पर संबंधित राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों के सहयोग से समुद्र तट सफाई अभियान चलाया गया। महाराष्ट्र के मुंबई के जुहू बीच पर भी समुद्र तट की सफाई का एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सतत तटीय प्रबंधन केंद्र (एनसीएससीएम) की दूसरी आम सभा की बैठक 4.9.2024 को आयोजित की गई। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा मैंग्रोव जोनेशन एटलस की डिजिटल प्रति 4.9.2024 को जारी की गई।

6 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 13 समुद्र तटों को 2024-2025 सीजन के लिए ब्लू फ्लैग प्रमाणन दिया गया है।

ग्रीन क्लाइमेट फंड द्वारा बाह्य सहायता प्राप्त भारतीय तटीय समुदायों के तटीय लचीलेपन को बढ़ाने (ईसीआरआईसीसी) परियोजना के लिए अनुकूली प्रबंधन योजना तैयार की गई है।

14. अमृत धरोहर

5 जून, 2023 को शुरू की गई अमृत धरोहर कार्यान्वयन रणनीति चार प्रमुख घटकों अर्थात प्रजातियों और आवास संरक्षण, प्रकृति पर्यटन, आर्द्रभूमि आजीविका और आर्द्रभूमि कार्बन पर केंद्रित है।

भारतीय जैविक सर्वेक्षण (बीएसआई) और भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) द्वारा 75 रामसर स्थलों की पुष्प और जीव सूची प्रकाशित की गई है, जबकि इन स्थलों के लिए जन जैव विविधता रजिस्टर (पीबीआर) को जैव विविधता प्रबंधन समितियों (बीएमसी) के माध्यम से अद्यतन किया गया है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उच्च-मूल्य वाले प्रकृति पर्यटन विकास के लिए पर्यटन मंत्रालय के साथ सहयोग किया है। सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान (हरियाणा), भितरकनिका मैंग्रोव और चिल्का झील (ओडिशा) और सीतापुर वेटलैंड और यशवंत सागर (मध्य प्रदेश) जैसे रामसर स्थलों पर वैकल्पिक आजीविका कार्यक्रम (एएलपी) सहित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इसके अलावा, भितरकनिका मैंग्रोव और चिल्का झील में पर्यावरण नाविक प्रमाणपत्र (पीएनसी) प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। ग्रीन स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम (जीएसडीपी) के तहत नेचर गाइड के लिए एक व्यापक प्रशिक्षण मॉड्यूल भी विकसित किया गया है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आर्द्रभूमि में कार्बन स्टॉक का आकलन करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। वेटलैंड्स इंटरनेशनल साउथ एशिया (डब्ल्यूआईएसए) और जीआईजेड जैसे ज्ञान भागीदारों के साथ जलवायु लाभों का आकलन करने के लिए एक पद्धति विकसित की जा रही है। पीटलैंड की उच्च कार्बन भंडारण क्षमता को ध्यान में रखते हुए, इन भागीदारों के सहयोग से पीटलैंड इन्वेंटरी और मूल्यांकन पहल शुरू की गई है।

  1. संरक्षित क्षेत्र

वन्यजीवों और उनके आवासों का संरक्षण प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक लोकाचार में शामिल रहा है। पर्यावरण, वन और वन्य जीवन मंत्रालय को संविधान के अनुच्छेद 48-ए के तहत पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा देश के वन और वन्यजीवों की सुरक्षा करने का अधिकार है। भारत में संरक्षण योजना सभी इकोसिस्टम में प्रतिनिधि जंगली आवासों की पहचान करने और उनकी सुरक्षा करने के दर्शन पर आधारित है।

देश में संरक्षित क्षेत्रों की संख्या जो वर्ष 2014 में 745 थी, अब बढ़कर 1022 हो गई है। यह देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 5.43 प्रतिशत है। लोगों की भागीदारी को और बढ़ावा दिया जा रहा है। सामुदायिक रिजर्व की स्थापना में भी काफी वृद्धि हुई है। देश में सामुदायिक रिजर्व की संख्या वर्ष 2014 में 43 से बढ़कर आज 220 हो गई है।

संरक्षित क्षेत्रों के अलावा, देश में वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत अधिसूचित 57 बाघ अभयारण्य भी हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य बाघों और उनके आवास का संरक्षण करना है। राज्यों ने हाथियों को सुरक्षित आवास प्रदान करने के लिए 33 हाथी अभयारण्य भी घोषित किए हैं।

2014 से अब तक 59 वेटलैंड को रामसर साइट की सूची में जोड़ा गया है, जिससे देश में इनकी संख्या 85 हो गई है, जो 1.35 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करती है। भारत एशिया में सबसे बड़ा रामसर साइट नेटवर्क और साइटों की संख्या के मामले में दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है।

अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2022 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अनुमानित बाघों की आबादी 3,682 है, जो विश्व की जंगली बाघ आबादी का 70 प्रतिशत है।

16 इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए)

भारत ने 9 अप्रैल, 2023 को इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (आईबीसीए) की शुरुआत की है और दुनिया भर में 7 जंगली बिल्लियों के संरक्षण के लिए एक प्रभावकारी कदम की स्थापना की है। भारत, निकारागुआ, इस्वातिनी, सोमालिया और लाइबेरिया जैसे पांच देशों ने फ्रेमवर्क एग्रीमेंट (एफए) पर हस्ताक्षर किए हैं और वे आईबीसीए के सदस्य बन गए हैं। फ्रेमवर्क एग्रीमेंट का उद्देश्य दुनिया में सात बड़ी बिल्लियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए आम चुनौतियों का सामूहिक रूप से समाधान करने के लिए आईबीसीए की स्थापना करना है। इस समझौते के पक्ष सात बड़ी बिल्लियों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए समन्वित कार्रवाई के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होंगे, आईबीसीए के तहत सामूहिक कार्रवाई के लाभों की मांग करेंगे।

17. पर्यावरण (संरक्षण) गैर-अपराधीकरण अधिनियम, 1986

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (ईपीए) 1986 में पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार के उद्देश्य से अधिनियमित किया गया था।

सरकार ने जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) अधिनियम, 2023 के एक भाग के रूप में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के दंड प्रावधानों में संशोधन किया है, ताकि जीवन और व्यापार को आसान बनाने के लिए विश्वास आधारित शासन को और अधिक बढ़ाया जा सके और अपराधों को गैर-अपराधी और तर्कसंगत बनाया जा सके। इसे 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी बनाया गया है।

ईपीए में संशोधन की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

    • ईपीए, 1986 के अंतर्गत उल्लिखित दंड प्रावधानों को पूरी तरह से गैर-अपराधीकरण कर दिया गया है।
    • ईपीए, 1986 के अंतर्गत दंड निर्धारित करने के लिए न्यायनिर्णायक अधिकारी की नियुक्ति का प्रस्ताव।
    • जुर्माने से एकत्रित धनराशि के समुचित उपयोग के साथ-साथ वसूली के लिए निधि के सृजन एवं प्रबंधन का प्रावधान किया गया है।
  1. मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली)

मिशन लाइफ़ भारत द्वारा अक्टूबर, 2022 में शुरू की गई एक वैश्विक पहल हैइसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा के लिए सोच-समझकर और सोच-समझकर उपभोग के जरिए यथासंभव जीवनशैली को बढ़ावा देना है। 2021 में ग्लासगो में सीओपी-26 में इसकी शुरुआत के बाद, मिशन लाइफ व्यक्तियों और समुदायों को पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह पहल सात मुख्य विषयों: पानी की बचत, ऊर्जा का संरक्षण, कचरे को कम करना, -कचरे का प्रबंधन, एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को खत्म करना, यथासंभव खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना पर केंद्रित है। मिशन लाइफ को राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तहत एक गैर-मात्रात्मक संकेतक के रूप में शामिल किया गया है।

यूएनईए प्रस्ताव: संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूएनईए) ने 1 मार्च, 2024 को केन्या के नैरोबी में आयोजित अपने छठे सत्र में सतत जीवन शैली पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया। मिशन लाइफ के सिद्धांतों पर आधारित यह प्रस्ताव भारत द्वारा प्रस्तुत किया गया तथा श्रीलंका और बोलीविया द्वारा सह-प्रायोजित किया गया और यह मिशन लाइफ या पर्यावरण के लिए जीवन शैली (लाइफ) की अवधारणा के वैश्वीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

  1. 10 वर्षीय कार्यक्रम (10वायएफपी) में भारत की सदस्यता

भारत ने सतत उपभोग और उत्पादन पैटर्न के लिए 10 वर्षीय कार्यक्रम रूपरेखा के बोर्ड में बोर्ड सदस्य के रूप में स्थान प्राप्त किया, जो सतत जीवन शैली को बढ़ावा देने की दिशा में भारत के नेतृत्व और प्रयासों की वैश्विक स्वीकृति है। 10 वायएफपी सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा का हिस्सा है, जैसा कि "जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन" पर सतत विकास लक्ष्य 12 में परिलक्षित होता है, जो पर्यावरणीय गिरावट से आर्थिक विकास को अलग करने के लिए संदर्भ के कार्यक्रम के रूप में कार्य करता है।

  1. तीसरा वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन

भारत ने 17 अगस्त, 2024 को तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की, जिसका मुख्य विषय "एक सतत भविष्य के लिए सशक्त वैश्विक दक्षिण" है।

भारत ने वैश्विक दक्षिण के देशों को एकजुट होने, एक स्वर में साथ खड़े होने और एक दूसरे की ताकत बनने पर जोर दिया। पर्यावरण मंत्रियों के सत्र में वैश्विक दक्षिण के 18 देशों और 1 बैंक ने भाग लिया। भारत ने टिकाऊ उपभोग और उत्पादन पैटर्न को प्रोत्साहित करने, टिकाऊ जीवन शैली को बढ़ावा देने, अपशिष्ट को कम करने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया। विचार-विमर्श में जलवायु न्याय और विकासशील देशों की जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण की मांग पर प्रकाश डाला गया।

प्रतिभागियों ने समानता और सामान्य किन्तु विभेदित उत्तरदायित्व एवं संबंधित क्षमताओं (सीबीडीआर-आरसी) के सिद्धांतों की भी पुष्टि की।

21. पहली बार गंगा नदी डॉल्फिन टैगिंग

असम में पहली बार गंगा नदी डॉल्फिन (प्लैटनिस्टा गैंगेटिका) को टैग किया गया। इस पहल को भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) ने असम वन विभाग और आरण्यक के सहयोग से राष्ट्रीय सीएएमपीए प्राधिकरण से वित्त पोषण के साथ लागू किया। यह न केवल भारत में, बल्कि इस प्रजाति के लिए भी पहली टैगिंग है, और यह मील का पत्थर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रोजेक्ट डॉल्फिन की एक महत्वपूर्ण प्रगति है।

  1. वन एवं वृक्ष आवरण वृद्धि:

21.12.2024 को जारी भारतीय वन सर्वेक्षण की नवीनतम भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर), 2023 के अनुसार, पर्यावरण और वन संरक्षण के संदर्भ में देश की प्रमुख उपलब्धियां निम्नानुसार हैं:

    • देश का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किमी है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है इसमें 7,15,343 वर्ग किमी (21.76 प्रतिशत) वन आवरण और 1,12,014 वर्ग किमी (3.41 प्रतिशत) वृक्ष आवरण है।
    • 2021 के आकलन की तुलना में देश के वन एवं वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है, जिसमें वन आवरण में 156 वर्ग किमी तथा वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग किमी की वृद्धि शामिल है।
    • 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन क्षेत्र में है। इनमें से आठ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात् मिजोरम, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर में 75 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र है।
    • भारत के वन और वनों के बाहर वृक्षों का कुल बढ़ता हुआ स्टॉक 6430 मिलियन घन मीटर अनुमानित है, जिसमें से 4479 मिलियन घन मीटर वनों के अंदर और 1951 मिलियन घन मीटर वन क्षेत्र के बाहर है। पिछले आकलन की तुलना में कुल बढ़ते स्टॉक में 262 मिलियन घन मीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें वनों के अंदर 91 मिलियन घन मीटर और वन क्षेत्र के बाहर 171 मिलियन घन मीटर की वृद्धि शामिल है।
    • देश में बांस वाले क्षेत्र का विस्तार 1,54,670 वर्ग किलोमीटर होने का अनुमान लगाया गया है। 2021 में किए गए पिछले आकलन की तुलना में बांस क्षेत्र में 5,227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है।
    • वन के बाहर के वृक्षों से लकड़ी का कुल वार्षिक संभावित उत्पादन 91.51 मिलियन घनमीटर अनुमानित किया गया है।
    • वर्तमान आकलन में देश के वनों में कुल कार्बन स्टॉक 7,285.5 मिलियन टन होने का अनुमान है। पिछले आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 81.5 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।
    • कार्बन पृथक्करण से संबंधित एनडीसी के अंतर्गत लक्ष्य प्राप्ति की स्थिति के संबंध में, वर्तमान आकलन से पता चलता है कि भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन कार्बन डाईऑक्साइड के समतुल्य तक पहुंच गया है; जो दर्शाता है कि 2005 के आधार वर्ष की तुलना में, भारत पहले ही 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक तक पहुंच चुका है, जबकि 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन का लक्ष्य रखा गया है।

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