खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
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वर्षांत समीक्षा 2024 – खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की उपलब्धियां और पहल

Posted On: 27 DEC 2024 2:30PM by PIB Delhi

खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र कृषि आय बढ़ाने और कृषि से इतर रोजगार सृजित करने, संरक्षण और प्रसंस्करण अवसंरचना में कृषि और संबद्ध क्षेत्र के उत्पादन में फसल-पश्चात होने वाले नुकसान को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तदनुसार, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास को गति देने के लिए कई पहल की हैं और वर्ष 2024 के दौरान अपनी योजनाओं में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।

पिछले वर्ष की उल्लेखनीय उपलब्धियां इस प्रकार हैं: -

  • कृषि-खाद्य निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात की हिस्सेदारी 2014-15 में 13.7 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 23.4 प्रतिशत हो गई।
  • वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (एएसआई), 2022-23 की रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र कुल पंजीकृत/संगठित क्षेत्र में 12.41 प्रतिशत रोजगार के साथ संगठित विनिर्माण क्षेत्र में सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं में से एक है।
  • जनवरी 2024 से, पीएमएफएमई योजना के क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी घटक के तहत कुल 46,643 ऋण स्वीकृत किए गए हैं

पिछले वर्ष की अन्य उल्लेखनीय उपलब्धियां इस प्रकार हैं: -

  1. मंत्रालय बजट के माध्यम से क्षेत्रवार सहायता में वृद्धि-

भारत सरकार ने वर्ष 2024-25 में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए मंत्रालय को 3290 करोड़ रुपये का बजट अनुमान आवंटित किया है, जो 2023-24 के संशोधित अनुमान (आरई) 2527.06 करोड़ रुपये से लगभग 30.19 प्रतिशत अधिक है।

  1. क्षेत्रवार उपलब्धियों में उल्लेखनीय वृद्धि -
  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) प्रथम संशोधित अनुमान के अनुसार 2014-15 में 1.34 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 1.92 लाख करोड़ रुपये हो गया है
  • अप्रैल 2014 से मार्च 2024 के दौरान क्षेत्र ने 6.793 बिलियन अमरीकी डॉलर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित किया है।
  • कृषि-खाद्य निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात की भागीदारी 2014-15 में 13.7 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 23.4 प्रतिशत हो गई।
  • वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (एएसआई), 2022-23 की रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र कुल पंजीकृत/संगठित क्षेत्र में 12.41 प्रतिशत रोजगार के साथ संगठित विनिर्माण क्षेत्र में सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है।
  1. योजनाओं के अंतर्गत उपलब्धियां -
  2. प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना  (पीएमकेएसवाई)
  • पीएमकेएसवाई को 14वें वित्त आयोग के चक्र के लिए 2016-20 (जिसे 2020-21 तक बढ़ाया गया है) की अवधि के लिए 6 हजार करोड़ रुपये के आवंटन के साथ मंजूरी दी गई थी और 5520 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ 15वें वित्त आयोग के चक्र के दौरान पुनर्गठन के बाद इसे जारी रखने की मंजूरी दी गई है।
  • जनवरी 2024 से, पीएमकेएसवाई की विभिन्न घटक योजनाओं के तहत 143 परियोजनाओं को अनुमति दी गई है और 69 परियोजनाएं शुरू हो गई हैं, जिसके परिणामस्वरूप 14.41 लाख मीट्रिक टन की प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता में वृद्धि हुई। स्वीकृत परियोजनाओं के शुरू होने पर, 2303.24 करोड़ रुपये के निवेश का लाभ मिलने की आशा है, जिससे लगभग 3.53 लाख किसानों को लाभ होगा और और 0.57 लाख से अधिक प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की आशा है।
  • कुल मिलाकर, अब तक पीएमकेएसवाई की विभिन्न घटक योजनाओं के तहत 1646 परियोजनाओं को अनुमति दी गई है, जो उनके शुरू होने की संबंधित तिथियों से हैं। इनमें से 1087 परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप 241.94 लाख मीट्रिक टन की प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता  में वृद्धि हुई है। स्वीकृत परियोजनाओं के शुरू होने पर, 22778.60 करोड़ रुपये के निवेश का लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे लगभग 51 लाख किसानों को लाभ होगा और 7.46 लाख से अधिक प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
  • पीएमकेएसवाई ने कृषि उपज के मूल्य में वृद्धि और उसके नुकसान में कमी के संदर्भ में महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव डाला है। कोल्ड चेन परियोजनाओं पर नैबकॉन की मूल्यांकन अध्ययन रिपोर्ट से पता चला है कि स्वीकृत परियोजनाओं में से 70 प्रतिशत के पूर्ण होने से मत्स्य पालन के संबंध में 70 प्रतिशत तक और डेयरी उत्पादों के मामले में 85 प्रतिशत तक अपशिष्ट में कमी आई है।
  • वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 22 जुलाई 2024 को वार्षिक वित्तीय विवरण की प्रस्तुति के दौरान, वित्त मंत्री ने अनुच्छेद 49 में निम्नलिखित की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता के प्रावधान की घोषणा की।
    • 50 बहु-उत्पाद खाद्य किरणन परियोजनाएँ। 50 किरणन परियोजनाओं के संबंध में वित्त मंत्रालय की सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त हुई। 07.08.2024 को अभिरुचि की अभिव्यक्ति जारी की गई और 20 प्रस्ताव प्राप्त हुए।
    • एनएबीएल मान्यता प्राप्त 100 खाद्य गुणवत्ता एवं सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशालाओं की सुविधा प्रदान की जाएगी। तदनुसार, अगले दो वर्षों में 100 खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना के संबंध में ईएफसी नोट तैयार किया जा रहा है।

 

बी. प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना का औपचारिकीकरण

  • आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने जून, 2020 में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना (पीएमएफएमई) नामक एक केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में 'वोकल फॉर लोकल' को प्रोत्साहित करना है। इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2020-2025 की अवधि में कुल 10 हजार करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है। योजना को वित्त वर्ष 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है।
  • सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के लिए यह पहली सरकारी योजना है और इसका लक्ष्य ऋण से जुड़ी सब्सिडी और एक जिला एक उत्पाद के दृष्टिकोण को अपनाकर 2 लाख उद्यमों को लाभान्वित करना है।
  • जनवरी 2024 से अब तक पीएमएफएमई योजना के क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी घटक के तहत कुल 46,643 ऋण स्वीकृत किए गए हैं। 71,714 स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सदस्यों को प्रारंभिक पूंजी सहायता के रूप में 254.87 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इस अवधि के दौरान 2 इनक्यूबेशन केंद्रों को अनुमति दी गई और 11 इनक्यूबेशन केंद्रों का निर्माण पूर्ण/उद्घाटन/शुरू हो चुका है, जिससे जमीनी स्तर के सूक्ष्म उद्यमों को उत्पाद विकास सहायता प्रदान की जा रही है। सूक्ष्म उद्यमों को ब्रांडिंग सहायता प्रदान करने के लिए विपणन और ब्रांडिंग के 4 प्रस्तावों को अनुमति दी गई है।
  • योजना की शुरुआत से लेकर अब तक पीएमएफएमई योजना के क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी घटक के तहत व्यक्तिगत लाभार्थियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और उत्पादक सहकारी समितियों को कुल 1,14,388 ऋण स्वीकृत किए गए हैं। 3.10 लाख स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों को किसी व्यवसाय या नए उत्पाद के लिए पूंजी सहायता के रूप में 1032.31 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। ओडीओपी प्रसंस्करण लाइनों और संबद्ध उत्पाद लाइनों में 206.95 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 76 इनक्यूबेशन केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी गई है। 15 इनक्यूबेशन केंद्रों का निर्माण पूर्ण/उद्घाटन/शुरू हो चुका है।

2 राष्ट्रीय स्तर के प्रस्ताव (नेफेड चरण 1 और चरण 2) और 15 राज्य स्तरीय प्रस्ताव सहित विपणन और ब्रांडिंग के 17 प्रस्तावों को अनुमति दी गई है।

 

सी. खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई)

  • देश के प्राकृतिक संसाधनों के अनुरूप वैश्विक खाद्य विनिर्माण चैंपियन बनाने और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में खाद्य उत्पादों के भारतीय ब्रांडों का सहयोग करने के लिए, केंद्रीय क्षेत्र योजना - "खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई)" को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 31.03.2021 को 10,900 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई थी। योजना को वर्ष 2021-22 से वर्ष 2026-27 तक के छह साल की अवधि में लागू किया जा रहा है।
  • इस योजना के घटक हैं – चार प्रमुख खाद्य उत्पाद खंडों अर्थात बाजरा आधारित उत्पादों, प्रसंस्कृत फल और सब्जियां, समुद्री उत्पाद और मोज़ेरेला चीज़ (श्रेणी I) सहित रेडी टू कुक/रेडी टू ईट (आरटीसी/आरटीई) खाद्य पदार्थों के विनिर्माण को प्रोत्साहित करना। दूसरा घटक एसएमई (श्रेणी II) के अभिनव/जैविक उत्पादों के उत्पादन से संबंधित है। तीसरा घटक इन-स्टोर ब्रांडिंग, शेल्फ स्पेस रेंटिंग और मार्केटिंग के लिए मजबूत भारतीय ब्रांडों के उभरने को प्रोत्साहित करने के लिए विदेशों में ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए सहयोगी से संबंधित है। पीएलआईएसएफपीआई के तहत बचत से, आरटीसी/आरटीई उत्पादों में बाजरा के उपयोग को प्रोत्साहित करने और इसके उत्पादन, मूल्य संवर्धन तथा बिक्री को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना के तहत उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए बाजरा आधारित उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएमबीपी) के लिए एक घटक भी योजना में जोड़ा गया था।
  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएसएफपीआई) की विभिन्न श्रेणियों के अंतर्गत कुल 171 प्रस्तावों को वर्तमान में मंजूरी दी गई है। इस योजना के अंतर्गत अब तक 8910 करोड़ रुपए का कुल निवेश किया गया है, जिससे 2.89 लाख रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। 85 पात्र मामलों के अंतर्गत अब तक 1084.011 करोड़ रुपए की कुल प्रोत्साहन राशि वितरित की गई है।

4. मंत्रालय की योजनाओं के बारे में विभिन्न हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करने और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए देश भर में सेमिनार, कार्यशाला, सम्मेलन, प्रदर्शनी आदि आयोजित करने के लिए विभिन्न पात्र संगठनों को वित्तीय सहायता और लोगो सहयोग प्रदान किया है। विभिन्न जिलों में कुल 74 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें मुंबई (महाराष्ट्र), इंदौर (मध्य प्रदेश), सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल), कोहिमा (नागालैंड), भुवनेश्वर (ओडिशा), रांची (झारखंड), दिल्ली, मोन (नागालैंड), जामनगर (गुजरात), अहमदाबाद (गुजरात), पेरम्बलूर (तमिलनाडु), चेन्नई (तमिलनाडु), गुवाहाटी (असम), हैदराबाद (तेलंगाना), कोच्चि (केरल), बेंगलुरु (कर्नाटक), अगरतला (त्रिपुरा), ईटानगर (अरुणाचल) प्रदेश), आइजोल (मिजोरम), पटना (बिहार), विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), कोलकाता (पश्चिम बंगाल), भोपाल (मध्य प्रदेश), लुधियाना (पंजाब), जयपुर (राजस्थान), शिलांग (मेघालय), रायगड़ा (ओडिशा), उखरुल (मणिपुर), लखनऊ (उत्तर प्रदेश), गया (बिहार), उंझा (गुजरात), नागपुर (महाराष्ट्र), राजकोट (गुजरात), सिलचर (असम), गंगटोक (सिक्किम), सहारनपुर (उत्तर प्रदेश), पुणे (महाराष्ट्र)।

  1. वर्ल्ड फूड इंडिया -2024” के अंतर्गत गतिविधियां/उपलब्धियां-
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने 19 से 22 सितंबर , 2024 के दौरान भारत मंडपम, प्रगति मैदान, नई दिल्ली में एक वैश्विक खाद्य कार्यक्रम वर्ल्ड फूड इंडिया (डब्ल्यूएफआई) का आयोजन किया। इस कार्यक्रम ने उत्पादकों, खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं, उपकरण निर्माताओं, लॉजिस्टिक्स खिलाड़ियों, कोल्ड चेन खिलाड़ियों, प्रौद्योगिकी प्रदाताओं, स्टार्ट-अप और इनोवेटर्स, खाद्य खुदरा विक्रेताओं आदि के बीच बातचीत और तालमेल के लिए मंच प्रदान किया और देश को श्री अन्न की संभावनाओं सहित खाद्य प्रसंस्करण के लिए निवेश गंतव्य के रूप में प्रदर्शित किया।
  • यह कार्यक्रम नई दिल्ली के भारत मंडपम में 70,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में आयोजित किया गया था। भारत मंडपम में उद्घाटन सत्र के अलावा तकनीकी सत्र, मंत्री स्तरीय बैठकें, उद्योग गोलमेज सम्मेलन आयोजित किए गए। यह कार्यक्रम वरिष्ठ सरकारी गणमान्य व्यक्तियों, वैश्विक निवेशकों और प्रमुख वैश्विक और घरेलू कृषि-खाद्य कंपनियों के व्यापारिक नेताओं का सबसे बड़ा समागम था। कार्यक्रम के प्रमुख घटक थे- प्रदर्शनी, सम्मेलन और ज्ञान सत्र, फूड स्ट्रीट, भारतीय जातीय खाद्य उत्पाद और विशिष्ट मंडप खंड जो (ए) फल और सब्जियां; (बी) डेयरी और मूल्यवर्धित डेयरी उत्पाद; (सी) मशीनरी और पैकेजिंग; (डी) रीड टू ईट/रेडी टू कुक, (ई) प्रौद्योगिकी और नवाचार और (एफ) पालतू पशु खाद्य उत्पाद आदि पर केंद्रित थे।
  • वर्ल्ड फूड इंडिया -2024 का उद्घाटन केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रहलाद जोशी, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं रेल राज्य मंत्री श्री रवनीत सिंह बिट्टू द्वारा 19 सितंबर, 2024 को भारत मंडपम के प्लेनरी हॉल में संयुक्त रूप से किया गया
  • 19 सितंबर 2024 को नई दिल्ली के भारत मंडपम स्थित समिट हॉल में एक उच्च स्तरीय उद्योग गोलमेज चर्चा आयोजित की गई । इसकी सह-अध्यक्षता केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान ने की। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और रेल राज्य मंत्री श्री रवनीत सिंह बिट्टू ने बैठक में भाग लिया। इस गोलमेज में संबद्ध मंत्रालयों और विभागों (वित्त मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, एफएसएसएआई, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, मत्स्य पालन विभाग, वाणिज्य विभाग, एमएसएमई मंत्रालय) के सचिवों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ ब्रिटानिया, कोका-कोला, आईटीसी, मोंडेलेज, पेप्सिको, टेट्रापैक और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के सीईओ सहित 100 से अधिक प्रतिष्ठित उद्योग जगत के नेताओं ने भी भाग लिया। उच्च स्तरीय सीईओ गोलमेज सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य कृषि-खाद्य क्षेत्र के प्रमुख उद्योग नेताओं और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के बीच रणनीतिक संवाद को सुगम बनाना था। इस विशेष फोरम का उद्देश्य सरकारी सब्सिडी ढांचे, कराधान संरचनाओं, व्यापार वर्गीकरण और विनियामक जटिलताओं सहित महत्वपूर्ण उद्योग चुनौतियों का समाधान करना था।
  • मेगा फूड इवेंट को भारत सरकार के 09 मंत्रालयों/विभागों, 8 सहयोगी निकायों और 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा समर्थित किया गया था। इस कार्यक्रम में 1557 प्रदर्शकों, 20 देश मंडपों और 108 देशों के 809 खरीदारों और 2390 विदेशी प्रतिनिधियों की उल्लेखनीय भागीदारी की उल्लेखनीय उपस्थिति थी। 13 राज्य मंत्रियों और 4 केंद्रीय मंत्रियों ने वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 की शोभा बढ़ाई। नौ प्रदर्शनी हॉलों में 70,000 वर्ग मीटर के विशाल क्षेत्र में फैले इस कार्यक्रम ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में नवीनतम प्रगति को प्रदर्शित करने के लिए एक व्यापक मंच प्रदान किया। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक एक जिला एक उत्पाद प्रदर्शित किए गए।
  • इस कार्यक्रम में 06 मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडलों सहित 16 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया। जापान ने भागीदार देश के रूप में भाग लिया जबकि ईरान और वियतनाम ने फोकस देशों के रूप में भाग लिया। प्रदर्शनी, प्रौद्योगिकी, मशीनरी, उप-क्षेत्रों आदि पर विशेष मंडप, 18000 से अधिक बी2बी, बी2जी बैठकें, 40 सम्मेलन/सेमिनार जैसी विभिन्न गतिविधियाँ इस कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण थे।
  • भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने वर्ल्ड फूड इंडिया -2024 के एक भाग के रूप में वैश्विक खाद्य विनियामक शिखर सम्मेलन (जीएफआरएस)-2024 का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के एक भाग के रूप में वाणिज्य विभाग और उसके संबद्ध निकायों यानी एपेडा, मपेडा/कमोडिटी बोर्ड के सहयोग से एक रिवर्स बायर सेलर मीट (आरबीएसएस) का भी आयोजन किया गया।
  • वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 के एक भाग के रूप में पीएमएफएमई योजना के तहत गतिविधियाँ/उपलब्धियां
  • 19-22 सितंबर 2024 को आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 के उद्घाटन समारोह के दौरान, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री और राज्य मंत्री, एफपीआई ने 70,000 एसएचजी सदस्यों के लिए 245 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की।
  • पीएमएफएमई योजना के 25 हजार लाभार्थियों को 701 करोड़ रुपये की क्रेडिट लिंक्ड बैक-एंडेड सब्सिडी जारी की गई।
  • देश भर से अचार की लगभग 1100 किस्मों को प्रदर्शित किया गया, साथ ही भारत के मानचित्र का एक इंटरैक्टिव डिस्प्ले भी दिखाया गया, जिसमें अचार निर्माताओं के राज्यवार विवरण को और विस्तृत किया गया। उद्यमों को बाजार से जोड़ने के उद्देश्य से, सभी 1100 अचारों को क्यूआर कोड किया गया था, जिसके माध्यम से 4 दिवसीय डब्ल्यूएफआई कार्यक्रम के दौरान आगंतुकों द्वारा उत्पाद की जानकारी प्राप्त की गई।
  • पीएमएफएमई उत्पाद डिस्प्ले वॉल पर लगभग 550 ओडीओपी उत्पाद और 200 गैर-ओडीओपी उत्पादों को क्यूआर कोड एकीकरण के साथ प्रदर्शित किया गया, जिसमें इच्छुक खरीदारों के लिए उद्यम और उत्पाद की जानकारी प्रदर्शित की गई।

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