इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2024: इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (भाग-1)
सरकार ने सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत देश में चार (4) सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाइयों को मंजूरी दी
भारत ने नई दिल्ली में जीपीएआई मंत्रिस्तरीय परिषद की छठी बैठक की मेजबानी करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) पर वैश्विक भागीदारी में अग्रणी भूमिका निभाई; 2025 में निवर्तमान परिषद अध्यक्ष बनने की तैयारी
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सेमीकंडक्टरों (एसपीईसीएस) के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना के तहत 9 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई जिससे 15,710 नौकरियां पैदा होंगी
प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा) के तहत 6.39 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित किया गया
रोजगार और उद्यमिता के लिए 81 आकांक्षी जिलों में 18,209 एससी/एसटी और ईडब्ल्यूएस (महिलाओं) के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया
50 से अधिक हितधारकों के साथ, भाषिनी सुलभ डिजिटल सेवाओं के लिए भाषा बाधाओं को दूर कर रही है; भाषिनी में 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं में अनुवाद सेवाएं उपलब्ध
प्रधानमंत्री ने भारत में अनुसंधान और नवाचार के लिए तीन (3) परम रुद्र सुपर कंप्यूटर लॉन्च किए; इससे भौतिकी, पृथ्वी विज्ञान और ब्रह्मांड संबंधी अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा
Posted On:
27 DEC 2024 9:52AM by PIB Delhi
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 2024 में भारत के डिजिटल विकास को निरन्तरता देने के लिए कई पहल की हैं। इसके अंतर्गत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया। इन प्रयासों का उद्देश्य प्रौद्योगिकी को अधिक सुलभ बनाना, नवाचार को बढ़ावा देना और वैश्विक तकनीकी मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत करना है।
सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम के तहत सेमीकंडक्टर विनिर्माण
- टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (टीईपीएल) के भारत में 91,526 करोड़ रुपए के निवेश से सेमीकंडक्टर फैब सुविधा स्थापित करने के प्रस्ताव को फरवरी 2024 में मंजूरी दी गई थी। यह फैब सुविधा पीएसएमसी, ताइवान के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी में स्थापित की जाएगी। पीएसएमसी एक प्रसिद्ध सेमीकंडक्टर कंपनी है जिसकी ताइवान में 6 सेमीकंडक्टर फाउंड्री हैं। इस परियोजना की उत्पादन क्षमता लगभग 50,000 वेफर स्टार्ट प्रति माह (डब्ल्यूएसपीएम) होगी।
- टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (टीईपीएल) के भारत में 27,120 करोड़ रुपए के निवेश के साथ ओएसएटी सुविधा स्थापित करने के प्रस्ताव को फरवरी 2024 में मंजूरी दी गई थी। यह सुविधा 48 मिलियन प्रतिदिन की उत्पादन क्षमता के साथ स्वदेशी सेमीकंडक्टर पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों का उपयोग करेगी।
- फरवरी 2024 में सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल सॉल्यूशंस लिमिटेड के भारत में 7,584 करोड़ रुपए के निवेश से ओएसएटी सुविधा केंद्र स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई थी। यह सुविधा रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स अमेरिका इंक., यूएसए और स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक, थाईलैंड के साथ संयुक्त उद्यम साझेदारी के रूप में स्थापित की जाएगी। इस सुविधा के लिए प्रौद्योगिकी रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन, जापान और स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक, थाईलैंड द्वारा प्रदान की जाएगी। इसकी उत्पादन क्षमता लगभग 15.07 मिलियन यूनिट प्रतिदिन होगी ।
- गुजरात के साणंद में आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट (ओएसएटी) सुविधा स्थापित करने हेतु वायर बॉन्ड इंटरकनेक्ट, सब्सट्रेट आधारित पैकेज के लिए केनेस टेक्नोलॉजी इंडिया लिमिटेड (केटीआईएल) के प्रस्ताव को सितंबर, 2024 में मंजूरी दे दी गई थी। यह तकनीक आईएसओ टेक्नोलॉजी Sdn. Bhd. और एप्टोस टेक्नोलॉजी इंक द्वारा प्रदान की जाएगी। यह सुविधा 3,307 करोड़ रुपए के निवेश से स्थापित की जाएगी। इस सुविधा में प्रतिदिन 6.33 मिलियन से अधिक चिप्स का उत्पादन करने की क्षमता होगी।
इंडियाएआई मिशन
- राष्ट्रीय एआई पोर्टल (इंडियाएआई) का डिजाइन, विकास और परिनियोजन
इंडियाएआई, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस प्रभाग और नैसकॉम का एक संयुक्त उद्यम है जिसकी स्थापना देश को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के भविष्य के लिए तैयार करने के लिए की गई है। इसे भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित गतिविधि, संसाधनों के आदान-प्रदान, स्टार्ट-अप के विवरण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में निवेश निधि, भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों आदि के लिए वन स्टॉप ऑनलाइन पोर्टल के रूप में लागू किया गया है।
इस पोर्टल में वर्तमान में निम्नलिखित प्रमुख खंड हैं-समाचार, लेख, केस स्टडी, शोध रिपोर्ट, स्टार्टअप की सूची, निवेश निधि की सूची, कॉलेज, कंपनियां, देश, लोग, वीडियो, डेटासेट, पाठ्यक्रम और राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों की पहल।
राष्ट्रीय एआई पोर्टल पर अब तक 2,806 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय लेख, 1,175 समाचार, 334 वीडियो, 164 शोध रिपोर्ट, 472 स्टार्टअप, 99 केस स्टडी और 184 सरकारी पहल सूचीबद्ध हैं।
- एआई अनुसंधान विश्लेषण और ज्ञान प्रसार मंच के लिए पीओसी (एआईआरएडब्ल्यूएटी)
सरकार ने एआई शोध और ज्ञान आत्मसात हेतु एक साझा कंप्यूट प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए एआईआरएडब्ल्यूएटी परियोजना शुरू की है। इस एआई कंप्यूटिंग बुनियादी ढांचे का उपयोग सभी प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्रों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, वैज्ञानिक समुदाय, उद्योग, स्टार्ट-अप और राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क के तहत संस्थानों द्वारा किया जाएगा। एआईआरएडब्ल्यूएटी के लिए अवधारणा का प्रमाण, 200 पेटाफ्लॉप्स मिश्रित परिशुद्धता एआई मशीन के साथ विकसित किया जाएगा जो 790 एआई पेटाफ्लॉप्स की अधिकतम गणना के लिए हिसाब से होगा।
एआईआरएडब्लूएटी ने जर्मनी में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग सम्मेलन (आईएससी 2023) में घोषित शीर्ष 500 वैश्विक सुपरकंप्यूटिंग सूची में 75 वां स्थान हासिल किया है जिससे भारत दुनिया भर में एआई सुपरकंप्यूटिंग देशों में शीर्ष पर पहुंच गया है।
- देश में रोबोटिक्स तंत्र के विकास के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया है जिसमें दूरसंचार विभाग (डीओटी), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) और नीति आयोग के सचिव सदस्य होंगे तथा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव संयोजक होंगे।
समिति अपने घरेलू रोबोटिक्स उद्योग की सहायता के लिए सरकार की भूमिका पर सर्वोत्तम व्यवस्थाओं का अध्ययन करेगी और अनुसंधान, डिजाइन, विनिर्माण, प्रोटोटाइपिंग और विनिर्माण में उपयोग सहित रोबोटिक्स पर केंद्रित एक एंड-टू-एंड तंत्र को बढ़ावा देने के लिए आगे का रास्ता सुझाएगी। दस्तावेज़ को सार्वजनिक परामर्श के लिए रखा गया है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर राष्ट्रीय कार्यक्रम
इंडियाएआई कार्यक्रम को मंत्रालय द्वारा एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में देखा गया है जिसका उद्देश्य सामाजिक प्रभाव के लिए समावेश, नवाचार और अपनाने को बढ़ावा देने के लिए परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाना है। इंडियाएआई के स्तंभों में एआई के लिए डेटा, कौशल, एआई नैतिकता और शासन, कंप्यूट, एआई अनुसंधान और विकास, एआई के लिए राष्ट्रीय केंद्र आदि शामिल हैं।
इंडियाएआई के इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर राष्ट्रीय कार्यक्रम ” के कार्यान्वयन का बीड़ा उठाया है जिसका उद्देश्य सामाजिक प्रभाव के लिए समावेश, नवाचार और नई तकनीक अपनाने को बढ़ावा देने के लिए परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम की स्थापना करना है। इसमें एआई तंत्र के चार स्तंभ शामिल हैं, जिनमें एआई में कौशल, जिम्मेदार एआई, डेटा प्रबंधन कार्यालय और एआई पर राष्ट्रीय केंद्र शामिल हैं।
- इंडियाएआई रिपोर्ट
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय इंडियाएआई कार्यक्रम को सामाजिक प्रभाव के लिए समावेशन, नवाचार और अपनाने को बढ़ावा देने के लिए परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के लिए एक मिशन-केंद्रित दृष्टिकोण के रूप में देखता है। इंडियाएआई के स्तंभों में शासन में एआई, एआई आईपी और नवाचार, एआई कंप्यूट और सिस्टम, एआई के लिए डेटा, एआई में कौशल और एआई नैतिकता और शासन शामिल हैं। 'भारत में एआई और भारत के लिए एआई' के निर्माण के अंतर्गत मंत्रालय ने भारत के प्रत्येक एआई स्तंभ के लिए दृष्टि, उद्देश्यों, परिणामों और डिजाइन पर सहयोगात्मक रूप से विचार-विमर्श करने के लिए सात विशेषज्ञ समूह बनाए हैं।
रिपोर्ट में इंडियाएआई के स्तंभों के उद्देश्यों को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया गया है तथा सामाजिक विकास के लिए एआई की क्षमता का दोहन करने तथा 'सभी के लिए एआई' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अगली कार्य-प्रणाली की सिफारिश की गई है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (जीपीएआई)
एआई की दौड़ में अग्रणी सबसे बड़ी वैश्विक दक्षिण अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में भारत ने जीपीएआई के अगले परिषद अध्यक्ष के पद के लिए खुद को नामांकित किया। भारत को दो-तिहाई से अधिक प्रथम वरीयता वोट मिले और इसलिए नवंबर 2022 में अगले परिषद अध्यक्ष के रूप में चुना गया। भारत 2023 में अगले अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा, उसके बाद 2024 में प्रमुख अध्यक्ष और 2025 में निवर्तमान अध्यक्ष के रूप में कार्य करेगा।
जीपीएआई मंत्रिस्तरीय परिषद की छठी बैठक 3 जुलाई 2024 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई।
2024 जीपीएआई नई दिल्ली बैठक और जीपीएआई के भविष्य पर बनी आम सहमति वैश्विक एआई चर्चा में भारत के नेतृत्व को रेखांकित करती है जो एआई के नैतिक और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को पुख्ता करती है। यह एआई की क्षमता का लाभ सभी के लिए उठाने के अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए नए सिरे से एकीकृत भागीदारी का मार्ग प्रशस्त करेगा। ( https://gpai.ai/ )
संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना
- ईएमसी योजना 2.0
केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के साथ, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं को उनकी आपूर्ति श्रृंखला के साथ ऐसे समूहों के माध्यम से अपनी विनिर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए आकर्षित करने हेतु प्लग एंड प्ले सुविधाओं सहित सामान्य सुविधाओं के साथ उद्योग-उन्मुख बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से 01 अप्रैल 2020 को ईएमसी 2.0 योजना को अधिसूचित किया।
यह योजना मार्च, 2024 तक आवेदन प्राप्त करने के लिए खुली थी तथा अनुमोदित परियोजनाओं को मार्च, 2028 तक धनराशि वितरित की जाएगी।
जनवरी 2024 से अब तक निम्नलिखित परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है:
- हैदराबाद नॉलेज सिटी, तेलंगाना में सीएफसी परियोजना (सबसे बड़ी प्रोटोटाइपिंग सुविधाओं में से एक) को मेसर्स टी-वर्क्स फाउंडेशन द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा जिसकी परियोजना लागत 104.63 करोड़ रुपए होगी इसमें 75 करोड़ रुपए की केंद्रीय अनुदान सहायता भी शामिल है ताकि उद्योग को डिजाइनिंग, इंजीनियरिंग, प्रोटोटाइपिंग से लेकर परीक्षण और सत्यापन आदि तक के लिए वन-स्टॉप समाधान प्रदान किया जा सके।
- तेलंगाना के महबूबनगर जिले के दिव्तिपल्ली गांव में 377.65 एकड़ क्षेत्र में ईएमसी (नया ऊर्जा पार्क) विकसित किया जाएगा, जिसे मेसर्स तेलंगाना इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (टीजीआईआईसी) द्वारा विकसित किया जाएगा। इसकी परियोजना लागत 569.66 करोड़ रुपए है जिसमें 258.10 करोड़ रुपए की केंद्रीय अनुदान सहायता शामिल है। यह इलेक्ट्रॉनिक्स पार्क पूरी तरह से उपयोग में है और इसने 10,574 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है। इसमें 19,164 लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है। पूरी तरह से चालू होने के बाद दिव्तिपल्ली ईएमसी में उत्पादन का कुल मूल्य लगभग 22,500 करोड़ रुपए होने का अनुमान है जबकि निर्यात का अनुमान 4,500 करोड़ रुपए से अधिक है।
- मेसर्स स्टेट इंडस्ट्रीज प्रमोशन कॉरपोरेशन ऑफ तमिलनाडु (एसआईपीसीओटी) ने 13 नवम्बर, 2024 को तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के श्रीपेरंबदूर तालुक के पिल्लईपक्कम गांव में 379.30 एकड़ क्षेत्र में ईएमसी की स्थापना के लिए मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की लागत 424.55 करोड़ रुपए है जिसमें 212.27 करोड़ रुपए की केंद्रीय वित्तीय सहायता शामिल है। इस ईएमसी से 8,737 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है, जिससे 36,300 लोगों को रोजगार मिलेगा।
ईएमसी का 66 प्रतिशत हिस्सा 4 कंपनियों को आवंटित किया गया है, जिनमें से एक अमेरिकी फर्म मेसर्स फर्स्ट सोलर भी शामिल है जिसने 4,941 करोड़ रुपए के निवेश के साथ उत्पादन शुरू कर दिया है और 1,463 लोगों को रोजगार प्रदान किया है।
- मेसर्स कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) ने 14 नवम्बर, 2024 को कर्नाटक के मैसूर जिले के कोचानाहल्ली गांव में 235.55 एकड़ क्षेत्र में ईएमसी की स्थापना के लिए मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की लागत 221.54 करोड़ रुपए है जिसमें 110.77 करोड़ रुपए का केंद्रीय अनुदान शामिल है। इस ईएमसी में 1,560 करोड़ रुपए का निवेश होने की उम्मीद है जिससे 19,500 लोगों को रोजगार मिलेगा। 3 कंपनियों ने पहले ही 1,591 करोड़ रुपए का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है, जिससे 2,490 लोगों को रोजगार मिलेगा।
- सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सेमीकन्डक्टरों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (एसपीईसीएस) के तहत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विनिर्माण के लिए 9 परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिसमें कुल 7,960 करोड़ रुपए का प्रस्तावित निवेश शामिल है। इनसे कुल 15,710 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। इनमें प्रमुख हैं - मेसर्स टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स टीडीके इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स मदरसन इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स भारत इनोवेटिव ग्लास टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड।
क्षमता निर्माण
प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा ) फरवरी 2017 में देश भर में 6 करोड़ ग्रामीण परिवारों (प्रति परिवार एक व्यक्ति) तक डिजिटल साक्षरता पहुंचाने के लिए शुरू किया गया था।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने अपने 79वें दौर (जुलाई, 2022 से जून, 2023) में ' व्यापक वार्षिक मॉड्यूलर सर्वेक्षण' (सीएएमएस) आयोजित किया और इसकी रिपोर्ट के आंकड़ों ने भारत के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता में एक महत्वपूर्ण सकारात्मक रुझान का संकेत दिया। 31 मार्च, 2024 तक देशभर में 6 करोड़ के मुकाबले 6.39 करोड़ व्यक्तियों को प्रशिक्षित किए जाने के बाद यह योजना समाप्त हो गई है। उपरोक्त रिपोर्टों से और ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्ट-फोन के उपयोग, इंटरनेट की पहुंच और डिजिटल जुड़ाव में उल्लेखनीय वृद्धि को देखते हुए योजना के उद्देश्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया है।
इसके अलावा, सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) क्षेत्र में कौशल विकास के लिए निम्नलिखित दो योजनाओं को मंजूरी दी है- “ईएसडीएम क्षेत्र में कौशल विकास के लिए चुनिंदा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता के लिए योजना ” (योजना-1) और “ डिजिटल इंडिया के लिए ईएसडीएम में कौशल विकास” (योजना-2)। इन योजनाओं का उद्देश्य पूरे देश में ईएसडीएम क्षेत्र के विकास के लिए एक तंत्र का निर्माण करना है। दोनों योजनाओं का संचयी कौशल लक्ष्य एल1 से एल5 स्तरों पर एनएसक्यूएफ अनुरूप पाठ्यक्रमों के माध्यम से 4,18,000 उम्मीदवारों (योजना 1-90,000 और योजना 2 - 3,28,000) का है।
कोर प्रौद्योगिकी और भविष्य की प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में असेंबली और विनिर्माण में उद्योग जगत की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इन योजनाओं के तहत कुल 99 राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) संरेखित पाठ्यक्रम (कोर प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम-61 और भविष्य की प्रौद्योगिकी पाठ्यक्रम-38) को मंजूरी दी गई है। कुल 320 उद्योगों ने उद्योग से जुड़ी मांग-आधारित आशय पत्र व्यवस्था अर्थात् "प्लेस एंड ट्रेन" मॉडल में भाग लिया है। इन योजनाओं के तहत लक्ष्य निर्धारित किए गए 4,18,000 उम्मीदवारों के मुकाबले 4,93,926 को प्रशिक्षित किया गया है। इनमें से 3,71,113 उम्मीदवारों को प्रमाणित किया गया है और लगभग 1,36,059 उम्मीदवारों को योजनाओं के अन्तर्गत रखा गया है।
क्षमता निर्माण और कौशल विकास योजना के तहत आईटी फॉर मास प्रोग्राम महिलाओं, अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी), वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लोगों के लिए आईसीटी गतिविधियों को बढ़ावा देकर डिजिटल अंतर को पाटने का प्रयास करता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र, पिछड़े जिलों और ब्लॉकों और 40 प्रतिशत से अधिक एससी/एसटी आबादी वाले जिलों सहित कम सेवा वाले क्षेत्रों के लिए भी यह कार्यक्रम जारी है। यह कार्यक्रम बुनियादी ढांचे के विकास, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और उद्यमिता गतिविधियों के माध्यम से समावेशी आईटी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देता है। वित्त वर्ष 2006-07 से, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पूरे भारत में 124 परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है, जिससे लगभग 5.56 लाख महिलाओं और अनुसूचित जाति के 1.12 लाख और अनुसूचित जनजाति के 0.59 लाख लोगों को सीधे लाभ हुआ है।
भारत में मजबूत डिजिटल व्यवस्था के लिए साइबर सुरक्षा
साइबर सुरक्षित भारत (सीबीएस) कार्यक्रम के अंतर्गत मंत्रालय ने मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारी (सीआईएसओ) के 45वें बैच के लिए गहन प्रशिक्षण आयोजित किया। इस पहल का उद्देश्य सरकारी क्षेत्रों, सार्वजनिक उपक्रमों और वित्तीय संस्थानों के सीआईएसओ और आईटी अधिकारियों को आवश्यक साइबर सुरक्षा कौशल से लैस करना और भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करना है। भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ने 388 संगठनों को साइबर स्वच्छता केंद्र में शामिल करके और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए साइबर सुरक्षा अभ्यास आयोजित कर महत्वपूर्ण प्रगति की है।
डिजिटल इंडिया भाषिनी: भाषा अनुवाद मंच
भाषिनी का उद्देश्य भाषा संबंधी समस्याओं को दूर करते हुए यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषा में डिजिटल सेवाओं तक आसानी से पहुंचा सके। वॉयस को माध्यम के रूप में उपयोग करते हुए भाषिनी में भाषा के साथ-साथ डिजिटल अंतर को पाटने की क्षमता है। जुलाई 2022 में राष्ट्रीय भाषा प्रौद्योगिकी मिशन के तहत माननीय प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च की गई भाषिनी का लक्ष्य 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं में प्रौद्योगिकी अनुवाद सेवाएं प्रदान करना है। इसमें 17 भारतीय भाषाओं में अनुवाद की सुविधा है।
प्रमुख सफलतायें:
- प्रति माह 100 मिलियन से अधिक अनुमान: भाषिनी ने सफलतापूर्वक 100 मिलियन मासिक अनुमान की सीमा को पार कर लिया है, जो एआई भाषा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में इसकी बढ़ती पहुंच और प्रभाव को दर्शाता है।
- 50 से अधिक हितधारक शामिल: प्रमुख सरकारी निकायों (एनपीसीआई, आरबीआईएच, ग्रामीण विकास मंत्रालय, लोकसभा, राज्यसभा, आदि) और निजी क्षेत्र के भागीदारों सहित 50 से अधिक हितधारक अब भाषिनी के साथ सहयोग कर रहे हैं।
- 700,000+ मोबाइल ऐप डाउनलोड: भाषिनी-संचालित मोबाइल ऐप को 500,000 से अधिक बार डाउनलोड किया गया है, जो इसकी व्यापक स्वीकृति और पहुंच को दर्शाता है।
- 100+ उपयोग के मामले: भाषिनी 100 से अधिक विविध उपयोग के सक्षम है, जो उद्योगों और क्षेत्रों में इस प्लेटफॉर्म की अनुकूलनशीलता को प्रदर्शित करता है।
- 17 भाषाओं का समर्थन: वर्तमान में भाषिनी 17 भारतीय भाषाओं का समर्थन करती है, जिससे व्यापक श्रेणी के भाषाई समुदायों के लिए समावेशिता संभव हो पाती है।
- 300 से अधिक एआई-आधारित मॉडल: यह प्लेटफॉर्म 300 से अधिक एआई-आधारित भाषा मॉडल होस्ट करता है, जो एआई भाषा प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अत्याधुनिक समाधानों के विकास को आगे बढ़ाता है।
पुरस्कार और स्वीकृति
- भाषिनी के योगदान को विभिन्न मंचों पर मान्यता मिली है। इससे एआई, डिजिटल परिवर्तन और समावेशिता में नेतृत्व की क्षमता प्रदर्शित होती है। पुरस्कारों और सम्मानों में शामिल हैं:
- एक्सप्रेस कंप्यूटर द्वारा डिजिटल ट्रेलब्लेज़र पुरस्कार : भारत में एआई तंत्र में उत्कृष्ट योगदान।
- एलेट्स आत्मनिर्भर पुरस्कार : सरकारी विभागों द्वारा एआई, एमएल और आईओटी पहलों के लिए डिजिटल गवर्नेंस की श्रेणी के तहत प्रदान किया गया।
- वर्ष का इम्पैक्ट लीडर : ग्लोबल स्पिन इनोवेशन समिट 2024
- एआई में नेतृत्व, परिवर्तन कारक और नवाचार पुरस्कार: एआई-संचालित नवाचार और नेतृत्व में उत्कृष्टता को मान्यता।
- एआई, डेटा एनालिटिक्स और प्रेडिक्टिव टेक्नोलॉजीज के लिए ईटी गवर्नमेंट अवार्ड : साक्षरता, भाषा और डिजिटल अंतर को पाटने के लिए मान्यता।
- एलेट्स एजुकेशन इनोवेशन अवार्ड : एआई के माध्यम से सुलभ और समावेशी शिक्षा प्रदान करने के लिए।
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम)
माननीय प्रधानमंत्री ने 26 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटर राष्ट्र को समर्पित किए। एनएसएम के तहत विकसित ये सुपरकंप्यूटर नई दिल्ली में इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर (आईयूएसी) (3 पेटाफ्लॉप), पुणे में नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स (एनसीआरए) में जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) (1 पेटाफ्लॉप) और कोलकाता में एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज (838 टेराफ्लॉप) में स्थापित किए गए हैं।
- इन सुपरकंप्यूटरों को स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग सर्वर, " रुद्र " के नाम से जाना जाता है। इसके साथ-साथ स्थानीय रूप से विकसित सॉफ्टवेयर स्टैक का भी उपयोग इसमें किया गया है। परम रुद्र सुपरकंप्यूटर भारत में युवा वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगा, जिससे भौतिकी, पृथ्वी विज्ञान और ब्रह्मांड विज्ञान में उन्नत अध्ययन की सुविधा मिलेगी।
- उपरोक्त तीन परम रुद्र सुपरकंप्यूटरों के चालू होने के साथ, अब तक 32 पेटाफ्लॉप की संयुक्त गणना क्षमता वाले कुल 33 सुपर कंप्यूटर विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान संगठनों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में तैनात किए जा चुके हैं, जिनमें आईआईएससी, आईआईटी, सी-डैक जैसे प्रमुख संस्थान और एनएसएम के तहत देश के श्रेणी-2 और श्रेणी-3 शहरों के अन्य संस्थान शामिल हैं।
- ये सुपरकंप्यूटर देश भर के 200 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के 1,700 से अधिक पीएचडी विद्वानों सहित 10,000 से अधिक शोधकर्ताओं को सुविधा प्रदान करते हैं। एनएसएम ने अत्याधुनिक सुपरकंप्यूटिंग सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करके श्रेणी-2 और श्रेणी-3 शहरों के शोधकर्ताओं के लिए शोध के अवसर पैदा किए हैं।
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एमजी/केसी/बीयू/केके
(Release ID: 2088401)
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