उप राष्ट्रपति सचिवालय
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राज्यसभा के 266वें सत्र में सभापति के समापन सम्‍बोधन का मूल पाठ

Posted On: 20 DEC 2024 1:21PM by PIB Delhi

माननीय सदस्यगण,

मैं अपना समापन सम्‍बोधन दे रहा हूं।

हमारे संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस सत्र का समापन करते हुए, हम गंभीर चिंतन के क्षणों का अनुभव कर रहे हैं। ऐतिहासिक संविधान सदन में संविधान दिवस मनाने का हमारा उद्देश्य लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि करना था, लेकिन इस सदन में हमारे कार्य एक अलग ही कहानी बयां करते हैं।

यह कटु सत्‍य परेशान करने वाला है कि इस सत्र में काम-काज की स्थिति मात्र 40.03 प्रतिशत रही है, जिसमें केवल 43 घंटे और 27 मिनट ही प्रभावी कामकाज हुआ। सांसदों के रूप में, हम भारत के लोगों से कड़ी आलोचना का सामना कर रहे हैं और यह सही भी है। ये निरंतर व्यवधान हमारे लोकतांत्रिक संस्थानों में जनता के विश्वास को लगातार कम कर रहे हैं, जबकि हमने तेल क्षेत्र संशोधन विधेयक और बॉयलर्स विधेयक 2024 पारित किया और भारत-चीन संबंधों पर माननीय विदेश मंत्री के बयान को भी सुना परन्‍तु ये उपलब्धियां हमारी विफलताओं से ढक गई हैं।

संसदीय विचार-विमर्श से पहले मीडिया के माध्यम से नोटिस का प्रचार करने और नियम 267 का सहारा लेने की बढ़ती प्रवृत्ति हमारी संस्थागत गरिमा को और कम करती है। हम एक महत्वपूर्ण दोराहे पर खड़े हैं, भारत के 1.4 बिलियन नागरिक हमसे बेहतर की उम्मीद करते हैं।

सार्थक बहस और हानिकारक व्यवधान के बीच चयन करने का समय आ गया है। हमारी लोकतांत्रिक विरासत की मांग है कि हम राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठें और संसदीय विमर्श की पवित्रता को बनाए रखें।

मैं उपसभापति, उपाध्यक्ष, महासचिव, कर्मचारियों और मीडिया को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं।

आइए हम अपने देश की सेवा करने के लिए नई प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ें, जिस गरिमा का देश हकदार है।

जय हिंद।

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एमजी/केसी/एसएस/केके


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