संस्कृति मंत्रालय
राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण एवं रोडमैप मिशन (एनएमसीएमआर)
भारत की समृद्ध विरासत को संरक्षित करना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना
Posted On:
10 DEC 2024 12:18PM by PIB Delhi
परिचय
मणिपुर के हृदय स्थल में स्थित थोंगजाओ गांव को 'मिट्टी के बर्तनों की भूमि' के रूप में जाना जाता है। यहां, प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार विजेता कुशल शिल्पकार नीलमणि देवी की विरासत इस प्राचीन कला के संरक्षण के लिए प्रेरणा देती है। नीलमणि के असाधारण कौशल ने न केवल उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है, बल्कि गांव की मिट्टी के बर्तनों की परंपरा को जीवित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज, उपयोगी बर्तनों से लेकर जटिल कृतियों तक सब कुछ बनाने में कुशल ग्रामीण अपनी कला को अगली पीढ़ी तक पहुंचा कर सांस्कृतिक विरासत से अपना गहरा जुड़ाव बनाए रख रहे हैं।
यह समृद्ध परंपरा अब ग्रामीण सांस्कृतिक प्रथाओं को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के भारत के बड़े मिशन का हिस्सा है। नेशनल मिशन ऑन कल्चरल मैपिंग एंड रोडमैप (एनएमसीएमआर) के तहत मेरा गांव मेरी धरोहर (एमजीएमडी) प्लेटफॉर्म के माध्यम से, थोंगजाओ के मिट्टी के बर्तनों को, इसके कारीगरों की कहानियों के साथ, एक वैश्विक मंच मिला है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने में मदद मिली है।

पुनर्जीवित भविष्य के लिए सांस्कृतिक मानचित्रण
संस्कृति मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र(आईजीएनसीए) द्वारा कार्यान्वित राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (एनएमसीएम) का उद्देश्य भारत की विविध सांस्कृतिक संपत्तियों का दस्तावेजीकरण और सूचीकरण करना है। ग्रामीण विरासत पर ध्यान केंद्रित करके, मिशन यह सुनिश्चित करता है कि थोंगजाओ की मिट्टी के बर्तनों जैसी स्थानीय परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा दिया जाए। एमजीएमडी पोर्टल पर अब 4.5 लाख गांवों को शामिल किया गया है, यह पहल ग्रामीण कारीगरों और व्यापक दर्शकों के बीच की खाई को पाटती है, जिससे सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक विकास के नए अवसर पैदा होते हैं।
मिशन के लक्ष्य एवं उद्देश्य:
- सांस्कृतिक विरासत की ताकत तथा विकास एवं सांस्कृतिक पहचान के साथ इसके संबंध के बारे में जागरूकता पैदा करना।
- 6.5 लाख गांवों का सांस्कृतिक मानचित्रण, उनके भौगोलिक, जनसांख्यिकीय प्रोफाइल और रचनात्मक राजधानियों के साथ।
- कलाकारों और कला प्रथाओं के राष्ट्रीय रजिस्टर का निर्माण ।
- राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल के रूप में कार्य करने के लिए एक वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप का विकास ।
उपर्युक्त उद्देश्यों को तीन परस्पर संबद्ध कार्यक्रमों की सहायता से पूरा किया जाएगा:
तीन परस्पर संबद्ध कार्यक्रम
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सांस्कृतिक प्रतिभा खोज
राष्ट्रीय सांस्कृतिक जागरूकता अभियान, प्रतिभा खोज, तथा लोक एवं जनजातीय विरासत का पुनरोद्धार।
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मेरा गांव मेरी धरोहर (एमजीएमडी)
कला प्रथाओं का सांस्कृतिक मानचित्रण और कलाकारों और शिल्पकारों की पहचान करना।
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राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल (एनसीडब्ल्यूपी)
एनसीडब्ल्यूपी कलाकारों और शिल्पकारों के लिए एक इंटरैक्टिव वेब पोर्टल होगा, जो सांस्कृतिक सेवा प्रदाताओं के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के रूप में परिणत होगा।
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मेरा गांव मेरी धरोहर (एमजीएमडी):
- मेरा गांव मेरी धरोहर (एमजीएमडी) आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के तहत शुरू किए गए एनएमसीएम का एक घटक है।
- एमजीएमडी पहल 29 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों के 6.5 लाख गांवों का व्यापक सांस्कृतिक मानचित्रण कर रही है, जिसमें से 4.5 लाख गांवों का पहले ही मानचित्रण कर लिया गया है और उन्हें राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल पोर्टल पर प्रदर्शित किया गया है, जो मिशन के लिए एक समर्पित मंच के रूप में कार्य करता है।
- सांस्कृतिक मानचित्रण में भौगोलिक, विकासात्मक और सांस्कृतिक रूपरेखा को शामिल करते हुए कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है, जिसमें गांव की कहानियां, पारंपरिक ज्ञान और बुद्धिमत्ता परंपराएं, रीति-रिवाज, आभूषण, भोजन, मेले और त्यौहार, अनुष्ठान, गांव के देवी-देवता, भौतिक और ऐतिहासिक स्थल, वास्तुकला, पूजा स्थल, कला के रूप - मौखिक, दृश्य, प्रदर्शन और शिल्प (लोक गीत, लोक नृत्य, लोक कथाएं, किंवदंतियां, महाकाव्य, लोक रंगमंच, हथकरघा, हस्तशिल्प) शामिल हैं।
- इस परियोजना के अंतर्गत 750 गांवों का 360 डिग्री कोण से वीडियो शूट किया गया है।
- एमजीएमडी के तहत एक समर्पित वेब पोर्टल बनाया गया है, जो राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल के रूप में कार्य करता है, ताकि संस्कृति सेवा प्रदाताओं के लिए एक एकीकृत ऑनलाइन मंच उपलब्ध कराया जा सके, जिससे आसान पहुंच और सहभागिता को बढ़ावा मिले।
दिलचस्प कहानियों वाले गांव!

- शनि शिंगणापुर, अहमदनगर, महाराष्ट्र।
उनका मानना है कि भगवान शनि उन्हें चोरी और डकैती से सुरक्षित रखेंगे, यही वजह है कि गांव के किसी भी घर में दरवाज़े नहीं हैं। इस इलाके में एक प्रसिद्ध शनि मंदिर भी है।

- तिरुचिगाडी, नीलगिरि, तमिलनाडु।
यह गांव दक्षिण भारत के नीलगिरी पहाड़ों में महिला कुम्हारों की बस्ती के लिए प्रसिद्ध है। मिट्टी के बर्तन बनाने का काम हमेशा से कोटा जनजाति की महिलाएं ही करती रही हैं।

- खोनोमा, कोहिमा, नागालैंड।
खोनोमा भारत का पहला हरित गांव है। खोनोमा भारत-म्यांमार सीमा के पास स्थित एक अंगामी नागा गांव है।

- सुकेती, सिरमौर, हिमाचल प्रदेश
एशिया का सबसे पुराना जीवाश्म पार्क और पझौता आंदोलन से भी जुड़ा हुआ है।
निष्कर्ष:
संस्कृति किसी राष्ट्र की पहचान बनाने में अहम भूमिका निभाती है। भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, सांस्कृतिक मानचित्रण पर राष्ट्रीय मिशन जैसी पहल ग्रामीण परंपराओं की समृद्ध परंपरा को संरक्षित और बढ़ावा देने में मदद करती है। मेरा गांव मेरी धरोहर मंच के माध्यम से, थोंगजाओ की मिट्टी के बर्तन और अनगिनत अन्य सांस्कृतिक प्रथाओं को मान्यता मिल रही है, जिससे यह सुनिश्चित हो रहा है कि भारत की विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवंत बनी रहे।
संदर्भ:
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