नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
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120 सदस्य देशों के नेता नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सभा के सातवें सत्र में भाग लेंगे


आईएसए वैश्विक सौर सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें अब 120 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देश शामिल हैं: केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी

आईएसए का सातवां सत्र 3 से 6 नवंबर 2024 तक नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा

Posted On: 16 OCT 2024 7:01PM by PIB Delhi

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) असेंबली के प्रारंभिक सत्र का आयोजन आज नई दिल्ली में किया गया। इस कार्यक्रम में 60 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

सभा की अध्यक्षता केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी करेंगे। आईएसए असेंबली का सातवां सत्र वास्तव में एक वैश्विक कार्यक्रम बनने जा रहा है। 120 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों के मंत्री, मिशन और प्रतिनिधि, भागीदार संगठनों और हितधारकों के साथ, ऊर्जा पहुंच, सुरक्षा और बदलावों में सुधार की पहल पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक साथ एक मंच पर आएंगे।

केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री और आईएसए असेंबली के अध्यक्ष श्री प्रल्हाद जोशी ने सम्मानित सभा को संबोधित करते हुए कहा, "आईएसए वैश्विक सौर सहयोग के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें अब 120 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देश शामिल हैं। यह बढ़ती प्रतिबद्धता, हमारी साझा ऊर्जा पहुंच में आने वाली चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने में सौर ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाती है। सौर ऊर्जा को अपनाने में आईएसए के सदस्य देशों द्वारा की गई प्रगति उल्लेखनीय है। हमारे कुछ सदस्य देशों में पूरे वर्ष और प्रचुर मात्रा में सौर ऊर्जा उपलब्ध है, जो वैश्विक जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखता है। स्वच्छ, विश्वसनीय, मुफ़्त और सभी के लिए आसानी से सुलभ होने जैसी इसकी विशेषताएं, इसे सार्वभौमिक ऊर्जा पहुंच प्राप्त करने के लिए प्रमुख बनाती हैं। आईएसए के माध्यम से हमारे प्रयास, सौर बुनियादी ढांचे के विस्तार, हरित नौकरियाँ पैदा करने, आजीविका को समर्थन करने और जलवायु प्रभावों को कम करने पर केंद्रित हैं।

 

भारत गणराज्य की अध्यक्षता और फ्रांस गणराज्य की सह-अध्यक्षता के तहत, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सभा का सातवां सत्र 03 नवंबर से 06 नवंबर 2024 तक भारत मंडपम, नई दिल्ली, भारत में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में 120 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों के मंत्री, मिशन प्रमुख, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, संभावित देश, भागीदार संगठन, निजी क्षेत्र और प्रमुख हितधारक भाग लेंगे।

श्री अजय यादव, संयुक्त सचिव, एमएनआरई, भारत सरकार ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा, “वैश्विक सौर तैनाती निवेश, बुनियादी ढाँचे और स्वदेशीकरण जैसी चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है। इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए क्षेत्र के विस्तार का समर्थन करने की ज़रुरत है। आईएसए की भूमिका और महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “विभिन्न कार्यक्रमों, पहलों और सरकारों, निजी उद्यमों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग के माध्यम से और अपने सदस्य देशों के साथ काम करके इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए, आईएसए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने, सौर ऊर्जा की मांग को बढ़ावा देने, विनिर्माण क्षमता वृद्धि में योगदान देने के अवसर पैदा करता है"। केंद्रित प्रयासों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, “हम गर्व से अपने सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों में से 120 को गिनते हैं, जिनमें से 102 आईएसए फ्रेमवर्क समझौते का अनुमोदन करते हैं, जो हमारे बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है। सदस्य देशों के दृढ़ समर्थन की मदद से आईएसए ने सौर ऊर्जा अपनाने में तेजी लाने, नवाचार को बढ़ावा देने और क्षमता निर्माण प्रयासों को बढ़ाने के लिए सफलतापूर्वक पहल शुरू की है।"

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर ने कहा, "अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सतत् विकास लक्ष्यों, खासकर एसडीजी 7 और 13 यानी सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु कार्रवाई क्रमशः को प्राप्त करने के वैश्विक प्रयासों में सबसे आगे है।" सौर गठबंधन परिवर्तन के लिए एक शक्ति है। यह सौर वित्त, प्रौद्योगिकियों, नवाचार, अनुसंधान और विकास और क्षमता निर्माण की मांग को एकत्रित करता है और उनके साथ सामंजस्य स्थापित करता है। यह पहल सिर्फ एक गठबंधन से कहीं अधिक है, यह क्रांतिकारी आंदोलन हमारे ऊर्जा परिदृश्य और ग्रह को एक नया आकार दे रहा है। उन्होंने आगे कहा, “जैसे जैसे हम 2030 एजेंडा द्वारा परिभाषित लक्ष्यों को साकार करने के लिए आखिरी पांच वर्षों के करीब पहुंच रहे हैं, आईएसए असेंबली का यह सत्र हमारे कार्यों में तेजी लाने और हमारी महत्वाकांक्षाओं को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। सभी हितधारकों को इस दशक को जलवायु कार्रवाई के पक्ष में ही प्रयोग करना चाहिए। आईएसए में हमारा काम, सीधे तौर पर पेरिस समझौते के कार्यान्वयन का समर्थन करता है और सतत् विकास के लिए व्यापक संयुक्त राष्ट्र ढांचे में योगदान देता है। आईएसए सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश लाने हेतु अनुकूल नीतियों को आकार देने, सौर ऊर्जा से चलने वाली परियोजनाओं की एक स्थायी पाइपलाइन और लंबी अवधि में सौर परियोजनाओं को बनाए रखने के लिए कौशल बनाने में मदद करने के लिए सदस्य देशों के साथ काम कर रहा है।"

इस सभा में चर्चा का केंद्र बिंदु, वे साधन और तरीके होंगे, जिन्हें सदस्य देशों में, खासकर सीमित ऊर्जा पहुंच वाले क्षेत्रों में सौर तैनाती में तेजी लाने के लिए अपनाया जाएगा। इसके अलावा, उद्यमियों के लिए आईएसए की प्रमुख पहलों, कौशल वृद्धि और क्षमता निर्माण, वित्त जुटाने और एक विकल्प के रूप में सौर ऊर्जा की वकालत पर नई जानकारी प्रस्तुत की जाएगी:-

  • सोलरएक्स स्टार्टअप चैलेंज, ISA द्वारा 2022 में मिस्र में COP27 में इन्वेस्ट इंडिया के सहयोग से लॉन्च किया गया, इस चैलेंज का मकसद ISA के सदस्य देशों में मापने योग्य और प्रतिकृति सौर ऊर्जा व्यवसाय मॉडल का समर्थन करके उद्यमिता को बढ़ावा देना है।
  • ISA, UNIDO और यूरोप और विदेश मंत्रालय, फ्रांस द्वारा 2022 में शुरू की गई STAR-C पहल का मकसद क्षमता निर्माण और राष्ट्रीय प्रशिक्षण आवश्यकताओं के साथ कौशल को संरेखित करना है। यह आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए फोटोवोल्टिक और सौर तापीय उत्पादों के लिए गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे और मानकों को बढ़ाता है।
  • वैश्विक सौर सुविधा: 2022 में लॉन्च की गई, सौर भुगतान गारंटी निधि और सौर बीमा कोष जैसे उपकरणों का उपयोग करके, वंचित क्षेत्रों, खासकर अफ्रीका में सौर निवेश को बढ़ाती है।
  • सितंबर 2024 में शुरू किया गया पहला अंतर्राष्ट्रीय सौर महोत्सव, विचारों का आदान-प्रदान करने, सौर ऊर्जा द्वारा संचालित भविष्य के लिए रचनात्मकता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कॉर्पोरेट्स, शिक्षाविदों, युवाओं, सामुदायिक नेताओं और अन्य हितधारकों को एक साथ लाया।

सभा के सातवें सत्र के बाद 5 नवंबर 2024 को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार, एशियाई विकास बैंक और अंतर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा सोसायटी के सहयोग से आयोजित 'स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लिए नई प्रौद्योगिकियों पर उच्च स्तरीय सम्मेलन' के रूप में सत्रों की एक दिवसीय श्रृंखला आयोजित की जाएगी। सम्मेलन के तीसरे संस्करण में आईएसए सदस्य देशों के मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल, नीति निर्माता, विषय विशेषज्ञ और उद्योग जगत के नेता भाग लेंगे। अपने विचार-विमर्श के माध्यम से, सम्मेलन का मकसद वास्तविक दुनिया में बदलाव को प्रेरित करना और सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देकर वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति करना है। इसके साथ ही कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने, ऊर्जा पहुंच का विस्तार करने के तरीके खोजने और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देते हुए आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना है। सम्मेलन में प्रौद्योगिकी, वित्त और बाजार पर आईएसए की विश्व सौर रिपोर्ट के तीसरे संस्करण का विमोचन भी होगा।

सभा की कार्यवाही 6 नवंबर 2024 को नई दिल्ली के बाहरी इलाके में एक कृषि स्थल की यात्रा के समाप्त होगी, जहां एग्रीवोल्टिक प्रणालियों के व्यावहारिक कार्यान्वयन को प्रदर्शित किया जाएगा। नजफगढ़ में स्थित इस स्थल का रखरखाव नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनएसईएफआई) की एक पहल इंडिया एग्रीवोल्टिक्स एलायंस तथा भारत में एग्रीवोल्टिक्स की अवधारणा को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित समान विचारधारा वाले संगठनों द्वारा किया जाता है, जिसमें भूमि का कृषि और सौर ऊर्जा उत्पादन दोनों के लिए एक साथ उपयोग किया जाता है।

आईएसए सभा के बारे में जानकारी

असेंबली, आईएसए की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है, जो प्रत्येक सदस्य देश का प्रतिनिधित्व करती है। यह संस्था आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते के कार्यान्वयन और अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए किए जाने वाले समन्वित कार्यों से संबंधित निर्णय लेती है। आईएसए की सीट पर मंत्री स्तर पर सभा की सालाना बैठक होती है। यह सौर ऊर्जा की तैनाती, प्रदर्शन, विश्वसनीयता, लागत और वित्त के पैमाने के संदर्भ में कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों के समग्र प्रभाव का आकलन करती है। 120 देशों ने आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें से 102 देशों ने आईएसए के पूर्ण सदस्य बनने के समर्थन में आवश्यक दस्तावेज जमा कर दिए हैं। भारत गणराज्य के पास आईएसए असेंबली के अध्यक्ष का पद है, जबकि फ्रांस गणराज्य की सरकार सह-अध्यक्ष है।

आईएसए असेंबली का सातवां सत्र आईएसए की उन पहलों पर विचार-विमर्श करेगा जो ऊर्जा पहुंच, सुरक्षा और परिवर्तन को प्रभावित करती हैं, जिनके केंद्र में निम्नलिखित बिंदु हैं:

  • सौर ऊर्जा को पसंदीदा ऊर्जा स्रोत के रूप में अपनाने के लिए सदस्य देशों को सशक्त बनाना
  • स्थानीय समाधानों को बढ़ाते हुए सौर उद्यमियों का समर्थन करके ऊर्जा पहुंच को विश्व स्तरीय बनाना।
  • सौर तैनाती में तेजी लाने के लिए वित्त व्यवस्था जुटाना

अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के बारे में

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन 120 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों वाला एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। यह दुनिया भर में ऊर्जा पहुंच और सुरक्षा में सुधार करने और कार्बन-न्यूट्रल भविष्य में परिवर्तन के लिए स्थायी तरीके के रूप में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु सरकारों के साथ काम करता है।

आईएसए का मिशन प्रौद्योगिकी और इसके वित्तपोषण की लागत को कम करते हुए 2030 तक सौर ऊर्जा में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश हासिल करना है। यह कृषि, स्वास्थ्य, परिवहन और बिजली उत्पादन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देता है। आईएसए के सदस्य देश नीतियों और विनियमों को लागू करके, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करके, सामान्य मानकों पर सहमत होकर और निवेश जुटाकर बदलाव ला रहे हैं। इस कार्य के ज़रिए, आईएसए ने सौर परियोजनाओं के लिए नए बिजनेस मॉडल की पहचान, डिजाइन और परीक्षण किया है; ईज ऑफ डूइंग सोलर एनालिटिक्स और सलाह के माध्यम से अपने ऊर्जा कानून और नीतियों को सौर-अनुकूल बनाने के लिए सरकारों का समर्थन किया है; विभिन्न देशों में सौर प्रौद्योगिकी की मांग बढ़ी है और लागत में कमी आई है; जोखिमों को कम करके और क्षेत्र को निजी निवेश के लिए अधिक आकर्षक बनाकर वित्तीय मदद हासिल करने में सुधार; सौर इंजीनियरों और ऊर्जा नीति निर्माताओं के लिए सौर प्रशिक्षण, डेटा और अंतर्दृष्टि तक पहुंच में वृद्धि मुहैया कराई है।

आईएसए का गठन वर्ष 2015 में पेरिस में आयोजित जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के 21वें पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी21) में किया गया था और यह बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी), विकास वित्तीय संस्थानों (डीएफआई), निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, नागरिक समाज और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ साझेदारी कर रहा है, ताकि विशेष रूप से सबसे कम विकसित देशों (एलडीसी) और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों (एसआईडीएस) में सूर्य द्वारा संचालित लागत प्रभावी और परिवर्तनकारी ऊर्जा समाधान तैनात किए जा सकें।

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