प्रधानमंत्री कार्यालय
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत दिवस 2024 में भाग लिया


लगभग 10,000 करोड़ रुपये की लागत की विभिन्न स्वच्छता एवं सफाई परियोजनाओं का शिलान्यास एवं शुभारंभ किया

“स्वच्छ भारत के दस वर्ष पूरे होने पर, मैं स्वच्छता को ‘जन आंदोलन’ बनाने में 140 करोड़ भारतीयों की अटूट प्रतिबद्धता को सलाम करता हूँ”

“स्वच्छ भारत इस सदी में दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सफल जन आंदोलन है”

“स्वच्छ भारत मिशन ने देश के आम लोगों के जीवन पर जो प्रभाव डाला है, वह अमूल्य है”

“स्वच्छ भारत मिशन के कारण महिलाओं में संक्रामक रोगों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है”

“स्वच्छता की बढ़ती प्रतिष्ठा के कारण देश में बड़ा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन हुआ है”

“अब स्वच्छता समृद्धि का नया मार्ग बन रही है”

“स्वच्छ भारत मिशन ने चक्रीय अर्थव्यवस्था को नई गति दी है”

“स्वच्छता का मिशन एक दिन का नहीं, बल्कि पूरे जीवन का संस्कार है”

“गंदगी के प्रति घृणा, हमें स्वच्छता के प्रति अधिक सशक्त और मजबूत कर सकती है”

“आइये हम शपथ लें कि हम जहाँ भी रहें, चाहे वह हमारा घर हो, हमारा पड़ोस हो या हमारा कार्यस्थल हो, हम स्वच्छता बनाए रखेंगे”

Posted On: 02 OCT 2024 12:52PM by PIB Delhi

स्वच्छता के लिए सबसे महत्वपूर्ण जन आंदोलनों में से एक - स्वच्छ भारत मिशन के शुभारंभ के 10 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज 2 अक्टूबर को 155वीं गांधी जयंती के अवसर पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित स्वच्छ भारत दिवस 2024 कार्यक्रम में भाग लिया। श्री मोदी ने 9600 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न स्वच्छता और सफाई परियोजनाओं का शुभारंभ और शिलान्यास किया, जिनमें अमृत और अमृत 2.0, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और गोबरधन योजना के तहत विभिन्न परियोजनाएं भी शामिल हैं। स्वच्छता ही सेवा 2024 का विषय है - 'स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता'

इस अवसर पर अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने पूज्य बापू और लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती का उल्लेख किया और माँ भारती के सपूतों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री मोदी ने रेखांकित किया कि आज का अवसर, सामूहिक रूप से महात्मा गांधी और अन्य महान विभूतियों के सपनों को साकार करने के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2 अक्टूबर को वे कर्तव्य की भावना से भरे हुए हैं, लेकिन साथ ही भावुक भी हैं। स्वच्छ भारत अभियान के 10 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने कहा, "स्वच्छ भारत मिशन की यात्रा करोड़ों भारतीयों की अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।" उन्होंने पिछले 10 वर्षों में इस आंदोलन को मिले अपार जनसमर्थन पर प्रकाश डाला और कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक ने इसे अपना मिशन बना लिया है - अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। स्वच्छ भारत के 10 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन को एक बड़े जन आंदोलन में बदलने में सफाई मित्रों, धार्मिक गुरुओं, एथलीटों, मशहूर हस्तियों, गैर सरकारी संगठनों और मीडिया के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने स्वच्छ भारत के लिए भारत के पूर्व और वर्तमान राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के श्रमदान के रूप में योगदान का भी उल्लेख किया और देश को प्रेरित करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने आज गांवों, शहरों और मोहल्लों में हो रही अनेक स्वच्छता गतिविधियों पर प्रकाश डाला और राज्य के मंत्रियों, नेताओं और प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि इस साल के स्वच्छता पखवाड़ा में करोड़ों लोगों ने स्वच्छता ही सेवा कार्यक्रम में हिस्सा लिया है। उन्होंने कहा कि सेवा पखवाड़ा के 15 दिनों में पूरे देश में 27 लाख से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें 28 करोड़ लोगों ने भाग लिया। भारत को स्वच्छ रखने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर बल देते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत के प्रत्येक नागरिक के प्रति आभार व्यक्त किया।

आज की महत्वपूर्ण उपलब्धि को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वच्छता से संबंधित लगभग 10,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि मिशन अमृतके तहत कई शहरों में जल और सीवेज शोधन संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि चाहे वह नमामि गंगे हो या जैविक कचरे को बायोगैस में बदलने की गोबरधन परियोजना, ये परियोजनाएं स्वच्छ भारत मिशन को नई ऊंचाइयों पर ले जायेंगी।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जब भारत पर अध्ययन किया जाएगा, तो स्वच्छ भारत मिशन को 1000 साल बाद भी याद किया जाएगा। श्री मोदी ने कहा, "स्वच्छ भारत मिशन इस सदी का सबसे बड़ा और सबसे सफल जन आंदोलन है, जिसमें लोगों की भागीदारी और लोगों का नेतृत्व है।" उन्होंने कहा कि इस मिशन ने लोगों की वास्तविक ऊर्जा और क्षमता को उनके सामने उजागर किया है। श्री मोदी ने कहा कि उनके लिए स्वच्छता लोगों की शक्ति के अनुभव करने का उत्सव बन गया है। प्रधानमंत्री ने याद किया कि जब स्वच्छता अभियान शुरू किया गया था, तो लाखों लोगों ने एकजुटता दिखायी थी, चाहे वह शादी का उत्सव हो या कोई सार्वजनिक समारोह हो या कोई अन्य स्थान हो, स्वच्छता का संदेश प्रभावी ढंग से फैलाया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां बुजुर्ग माताओं ने शौचालय बनाने के लिए अपने मवेशी बेच दिए, कुछ महिलाओं ने अपना मंगलसूत्र बेच दिएकुछ लोगों ने अपनी जमीन बेच दीकुछ सेवानिवृत्त शिक्षकों ने अपनी पेंशन दान कर दी, कुछ सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों ने स्वच्छता के मिशन के लिए अपनी सेवानिवृत्ति लाभ दान कर दिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर यही दान किसी मंदिर या किसी समारोह में दिया जाता, तो यह अखबारों की सुर्खियां बन जाता। उन्होंने कहा कि देश को जानना चाहिए कि ऐसे लाखों लोग हैं, जिनका चेहरा कभी टीवी पर नहीं दिखाया गया, जिनका नाम कभी अखबार में नहीं छपा, लेकिन उन्होंने इस मिशन को सफल बनाने के लिए अपना पैसा और बहुमूल्य समय दान किया। श्री मोदी ने कहा कि ये सभी उदाहरण भारत की प्रकृति को दर्शाते हैं। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जब उन्होंने एकल-उपयोग (सिंगल-यूज) प्लास्टिक के इस्तेमाल को बंद करने का आह्वान किया, तो कई लोगों ने खरीदारी के लिए जूट और कपड़े के थैलों का उपयोग करने की परंपरा को फिर से शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि वे एकल-उपयोग प्लास्टिक के उत्पादन में शामिल उद्योगों के साथ-साथ लोगों के भी आभारी हैं, जिन्होंने इस पहल का समर्थन किया। उन्होंने इस पहल का समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों को भी धन्यवाद दिया।

प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में फिल्मों के माध्यम से स्वच्छता के संदेश के प्रचार-प्रसार में भारतीय फिल्म उद्योग के योगदान का उल्लेख किया और इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के काम को सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी किया जाना चाहिए। उन्होंने अपने मन की बात कार्यक्रम में करीब 800 बार स्वच्छता के मुद्दे को उठाने का उदाहरण दिया, जहां लोगों ने इसे सबसे आगे रखा था।

प्रधानमंत्री ने स्वच्छता के प्रति लोगों के प्रयासों का उल्लेख किया और कहा, "स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने स्वच्छता का मार्ग दिखाया था।" उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के बाद से पिछली सरकारों द्वारा स्वच्छता के प्रति उपेक्षा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने महात्मा गांधी का नाम अपने राजनीतिक लाभ और वोट बैंक के लिए इस्तेमाल किया, वे अब उनकी प्रमुख बातों को भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि गंदगी और शौचालयों की कमी को कभी भी राष्ट्रीय मुद्दा नहीं माना गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, समाज में इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई और गंदगी जीवन का हिस्सा बन गई। उन्होंने लाल किले की प्राचीर से इस मुद्दे को उठाने के बाद आलोचना का सामना करने को भी याद किया। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री की पहली प्राथमिकता आम नागरिकों के जीवन को आसान बनाना है।" उन्होंने शौचालय और सैनिटरी पैड के बारे में बात करने की अपनी जिम्मेदारी को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इसके परिणाम आज देखे जा सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दस साल पहले तक भारत की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी शौचालयों की कमी के कारण खुले में शौच करने के लिए मजबूर थी। उन्होंने कहा कि यह मानवीय गरिमा के खिलाफ है और देश के गरीबों, दलितों, आदिवासियों और पिछड़े समुदायों के प्रति असम्मानजनक है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता आ रहा है। श्री मोदी ने शौचालयों की कमी के कारण माताओं, बहनों और बेटियों की पीड़ा का उल्लेख किया तथा उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरों की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि खुले में शौच से होने वाली गंदगी ने बच्चों के जीवन को खतरे में डाल दिया था और यह बाल मृत्यु दर का एक बड़ा कारण है।

इस बात को रेखांकित करते हुए कि देश के लिए ऐसी दयनीय स्थिति में बने रहना कठिन था, श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने तय किया कि चीजें ऐसे ही नहीं जारी रह सकतीं। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने इसे राष्ट्रीय और मानवीय चुनौती माना तथा इसके समाधान के लिए अभियान चलाया और यहीं से स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई। उन्होंने आगे कहा कि कुछ ही समय में करोड़ों भारतीयों ने चमत्कार कर दिखाया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश में 12 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए और शौचालय कवरेज का दायरा पहले के 40 प्रतिशत से बढ़कर 100 प्रतिशत हो गया।

प्रधानमंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि देश के आम लोगों के जीवन पर स्वच्छ भारत मिशन का प्रभाव अमूल्य है। इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट वाशिंगटन, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के हाल के अध्ययन का हवाला देते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह बात सामने आई है कि स्वच्छ भारत मिशन से हर साल 60 से 70 हजार बच्चों की जान बच रही है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2014 से 2019 के बीच 3 लाख लोगों की जान बचाई गई, जो डायरिया के कारण गवां दी जाती। उन्होंने यूनिसेफ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि घर में शौचालय बनने से अब 90 प्रतिशत से अधिक महिलाएं सुरक्षित महसूस करती हैं और स्वच्छ भारत मिशन के कारण महिलाओं में संक्रमण से होने वाली बीमारियों में भी काफी कमी आई है। श्री मोदी ने आगे बताया कि लाखों स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय बनने से, स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई है। उन्होंने यूनिसेफ के एक अन्य अध्ययन का हवाला देते हुए बताया कि स्वच्छता के कारण गांवों में परिवारों को हर साल औसतन 50 हजार रुपये की बचत हो रही है, जो पहले बीमारियों के इलाज पर खर्च हो जाते थे।

स्वच्छ भारत मिशन से आई जन जागरूकता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने गोरखपुर में दिमागी बुखार से बच्चों की मौत का उदाहरण दिया, जिसका समाधान स्वच्छता पर जोर देते हुए किया गया।

प्रधानमंत्री ने बताया कि स्वच्छता से जुड़ी प्रतिष्ठा में वृद्धि से देश में बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक परिवर्तन आया है। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन द्वारा सोच में लाए गए बदलाव का उल्लेख किया और सफाई कार्य में शामिल लोगों का उदाहरण दिया, जिन्हें पहले नीची निगाह से देखा जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा, "जब सफाईकर्मियों को सम्मान मिला, तो उन्हें भी देश को बदलने में अपनी भूमिका पर गर्व महसूस हुआ। स्वच्छ भारत अभियान ने लाखों सफाई मित्रों को गौरवान्वित किया है।" उन्होंने सफाई मित्रों के लिए सम्मानजनक जीवन और सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। श्री मोदी ने कहा कि सेप्टिक टैंक में लोगों के काम करने के लिए जाने के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को खत्म करने के प्रयास किये जा रहे हैं और बताया कि सरकार इस संबंध में निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के साथ मिलकर काम कर रही है। उन्होंने कहा, "हम पेशेवरों और स्टार्टअप को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।"

स्वच्छ भारत अभियान के व्यापक रूप से विस्तारित दायरे पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह केवल स्वच्छता कार्यक्रम नहीं है और आज स्वच्छता, समृद्धि का नया मार्ग बना रही है।

उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान देश में बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन भी कर रहा है और पिछले कुछ वर्षों में करोड़ों शौचालयों के निर्माण से कई क्षेत्र लाभान्वित हुए हैं और कई लोगों को रोजगार मिला है। उन्होंने आगे कहा कि गांवों में राजमिस्त्री, प्लंबर, मजदूर जैसे कई लोगों को रोजगार मिला है। श्री मोदी ने कहा कि यूनिसेफ का अनुमान है कि इस मिशन के कारण लगभग 1.25 करोड़ लोगों को किसी न किसी रूप में रोजगार मिला है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि महिला राजमिस्त्रियों की एक नई पीढ़ी स्वच्छ भारत अभियान का एक बड़ा परिणाम रही है और हमारे युवाओं को भी स्वच्छता-तकनीक के माध्यम से बेहतर रोजगार और बेहतर अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्वच्छता-तकनीक से संबंधित लगभग 5 हजार स्टार्ट-अप पंजीकृत हैं। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि चाहे वह अपशिष्ट से धन सृजन हो, अपशिष्ट का संग्रह व परिवहन हो, या पानी का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण हो; जल और स्वच्छता क्षेत्र में कई नए अवसर पैदा हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनुमान है कि इस दशक के अंत तक इस क्षेत्र में रोजगार के 65 लाख नए अवसर सृजित होंगे और स्वच्छ भारत मिशन निश्चित रूप से इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, "स्वच्छ भारत मिशन ने भारत में चक्रीय अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण बढ़ावा दिया है।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि घरों से निकलने वाले कचरे को अब मूल्यवान संसाधनों में बदला जा रहा है। उन्होंने कहा कि घरेलू कचरे से खाद, बायोगैस, बिजली और सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाले चारकोल जैसे पदार्थों का उत्पादन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने गोबरधन योजना की सफलता की बात की, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बदलाव का एक प्रमुख संचालक रहा है और बताया कि गोबरधन योजना के तहत गांवों में सैकड़ों बायोगैस संयंत्र लगाए गए हैं, जहां पशु अपशिष्ट को बायोगैस में बदला जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि देश भर में सैकड़ों संपीड़ित बायोगैस संयंत्र भी स्थापित किए गए हैं। आज, कई नए सीबीजी संयंत्रों का उद्घाटन किया गया है और इस पहल को और आगे बढ़ाने के लिए नई परियोजनाओं की भी शुरुआत की गई है।

भविष्य की चुनौतियों के बारे में बात करते हुए, पीएम मोदी ने अर्थव्यवस्था और शहरीकरण में तेजी से हो रहे बदलावों के प्रति अनुकूल होने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने तेजी से हो रहे शहरीकरण और कचरे के उत्पादन का मुकाबला करने के लिए कुशल अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने में रणनीतियों के विस्तार पर जोर दिया। उन्होंने निर्माण में ऐसी प्रौद्योगिकियों के विकास की आवश्यकता पर भी बल दिया, जो पुनर्चक्रित सामग्रियों के उपयोग को बढ़ावा देती हों और कहा कि आवास परिसरों के लिए ऐसे डिजाइन तैयार किये जाने चाहिए, जो शून्य या न्यूनतम अपशिष्ट का स्राव सुनिश्चित करते हों। श्री मोदी ने यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने पर जोर दिया कि पानी का दुरुपयोग न हो और उपयोग से पहले अपशिष्ट जल का शोधन किया जाए। नमामि गंगे मिशन को नदी की सफाई के लिए एक मॉडल बताते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गंगा नदी काफी साफ हो गई है। उन्होंने अमृत मिशन और अमृत सरोवर पहलों का उल्लेख किया, जो महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने जल संरक्षण, शोधन और नदी की सफाई के लिए नई प्रौद्योगिकियों में निरंतर निवेश के महत्व को रेखांकित किया। पीएम मोदी ने स्वच्छता और पर्यटन के बीच के संबंध पर प्रकाश डाला और कहा कि स्वच्छ पर्यटन गंतव्य स्थल और विरासत स्थल आगंतुकों के अनुभव को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पर्यटन-स्थलों, आस्था-स्थलों और विरासत-स्थलों को साफ और अच्छी तरह प्रबंधित रखना महत्वपूर्ण है।

पिछले दशक में हुई प्रगति के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, "स्वच्छ भारत के इन दस वर्षों में हमने बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन हमारा मिशन अभी पूरा नहीं हुआ है। सच्चा बदलाव तब होता है, जब प्रत्येक नागरिक स्वच्छता को अपना कर्तव्य और जिम्मेदारी मानता है।" प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन के प्रति सरकार की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की और स्वच्छ भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर नागरिक की निरंतर भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता का मिशन एक दिन का नहीं, बल्कि पूरे जीवन का संस्कार है और इसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छता हर नागरिक की सहज प्रवृत्ति होनी चाहिए और इसे हर दिन किया जाना चाहिए। उन्होंने अगली पीढ़ी के बच्चों से कहा कि वे तब तक न रुकें, जब तक भारत वास्तव में स्वच्छ न हो जाए।

प्रधानमंत्री ने राज्य सरकारों से भी जिला, ब्लॉक, गांव और स्थानीय स्तर पर स्वच्छता पहल को लागू करने में अपने प्रयासों को तेज करने का आह्वान किया। उन्होंने जिला और ब्लॉक स्तर पर सबसे स्वच्छ स्कूलों, अस्पतालों और कार्यालयों के लिए प्रतियोगिता आयोजित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि नगरपालिकाओं को सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक शौचालयों का रखरखाव अच्छा हो और सफाई व्यवस्था पुराने तौर-तरीकों पर न लौट जाए। उन्होंने स्थानीय निकायों से स्वच्छता अवसंरचना और इनके रखरखाव को प्राथमिकता देने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सभी नागरिकों को यह संकल्प लेने के लिए प्रोत्साहित किया कि वे जहां भी हों, चाहे घर पर हों, अपने पड़ोस में हों या अपने कार्यस्थल पर हों, स्वच्छता बनाए रखेंगे। उन्होंने कहा, "जिस तरह हम अपने पूजा स्थलों को साफ रखते हैं, उसी तरह हमें अपने आस-पास के इलाकों में भी स्वच्छता के प्रति समर्पण की भावना पैदा करनी चाहिए", उन्होंने विकसित भारत की यात्रा में स्वच्छता की भूमिका पर प्रकाश डाला। अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने उद्देश्यों को हासिल करने के प्रति विश्वास व्यक्त किया और नागरिकों से नई ऊर्जा और उत्साह के साथ महात्मा गांधी के सिद्धांतों का पालन करके उन्हें श्रद्धांजलि देने का आह्वान किया। 

इस अवसर पर केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी आर पाटिल, केंद्रीय आवास और शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री तोखन साहू और केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री डॉ राज भूषण चौधरी भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने स्वच्छता और सफाई से जुड़ी 9600 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ और शिलान्यास किया। इनमें शामिल हैं - 6,800 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं, जिनका उद्देश्य अमृत और अमृत 2.0 के तहत शहरी जल और सीवेज प्रणाली को बेहतर बनाना है; राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत  1550 करोड़ रुपये से अधिक की 10 परियोजनाएं, जो गंगा बेसिन क्षेत्रों में जल गुणवत्ता और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार पर केंद्रित हैं तथा गोबरधन योजना के तहत 1332 करोड़ रुपये से अधिक की 15 संपीड़ित बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र परियोजनाएं।

स्वच्छ भारत दिवस कार्यक्रम, भारत की दशक भर की स्वच्छता उपलब्धियों और हाल ही में संपन्न स्वच्छता ही सेवा अभियान की उपलब्धियों को प्रदर्शित करता है। यह इस राष्ट्रीय प्रयास के अगले चरण के लिए भी मंच तैयार करेगा। इसमें स्थानीय सरकारी निकायों, महिला समूहों, युवा संगठनों और सामुदायिक अग्रणी व्यक्तियों की राष्ट्रव्यापी भागीदारी भी शामिल होगी, जिससे भारत के हर कोने तक संपूर्ण स्वच्छता की भावना का पहुंचना सुनिश्चित होगा।

स्वच्छता ही सेवा 2024 का विषय, 'स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता' ने एक बार फिर देश को स्वच्छता, जन स्वास्थ्य और पर्यावरण स्थायित्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में एकजुट किया है। स्वच्छता ही सेवा 2024 के तहत, 17 करोड़ से अधिक लोगों की जन भागीदारी के साथ 19.70 लाख से अधिक कार्यक्रम पूरे किए गए हैं। लगभग 6.5 लाख स्वच्छता लक्ष्य इकाइयों का रूपांतरण हासिल किया गया है। लगभग 1 लाख सफाई मित्र सुरक्षा शिविर भी आयोजित किए गए हैं, जिनसे 30 लाख से अधिक सफाई मित्रों को लाभ मिला है। इसके अलावा, एक पेड़ माँ के नामअभियान के तहत 45 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए हैं। 

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