स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और एशियाई विकास बैंक ने भविष्य में रणनीतिक जानकारी के साथ कार्य करने के लिए जलवायु और स्वास्थ्य समाधान भारत सम्मेलन समाप्त किया
क्लाइमेट रेसीलिएंट एंड रिस्पान्सिव हैल्थ सिस्टम्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर” पर चर्चा की अध्यक्षता आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, केरल और तमिलनाडु सहित 19 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने की
सम्मेलन ने ठोस, कार्य करने में सक्षम और दूरदर्शी समाधान के लिए महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य किया, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों के साथ जलवायु अभियान को जोड़ने के महत्व पर प्रकाश डाला गया
चूँकि भारत महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, हमारे पास न केवल जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य की चुनौतियों का जवाब देने का अवसर है, बल्कि इन मुद्दों पर वैश्विक एजेंडे का नेतृत्व करने का भी मौका है: केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव
प्रविष्टि तिथि:
27 SEP 2024 1:07PM by PIB Delhi
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्लू), और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित जलवायु एवं स्वास्थ्य समाधान (सीएचएस) इंडिया सम्मेलन का दूसरा दिन दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। दो दिवसीय सम्मेलन में भारत में जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य के तत्काल मिलन पर ध्यान केन्द्रित किया गया, जिसमें नीति निर्माताओं, विशेषज्ञों और हितधारकों को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कार्रवाई योग्य रणनीति तैयार करने के लिए बुलाया गया।
दिन की कार्यवाही की शुरुआत जानकारी युक्त अनेक महत्वपूर्ण गोलमेज बैठकों के साथ हुई। प्रतिभागियों ने गैर-संचारी रोगों (एनसीडी), मानसिक स्वास्थ्य, पोषण, जलवायु के अनुकूल स्वास्थ्य सेवा मानव संसाधन, जलवायु-स्वास्थ्य के लिए साहसिक कदम उठाने के लिए मिश्रित वित्त, डिजिटल प्रौद्योगिकी और डेटा, और जलवायु के अनुसार लचीली और उत्तरदायी स्वास्थ्य प्रणालियों और बुनियादी ढांचे के विकास सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा की।
सम्मेलन में 330 से अधिक प्रतिभागियों के साथ, दूसरे दिन का एक मुख्य आकर्षण " क्लाइमेट रेसीलिएंट एंड रिस्पान्सिव हैल्थ सिस्टम्स एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर" पर जानकारी के साथ एक गोलमेज चर्चा थी, जिसकी अध्यक्षता आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, केरल और तमिलनाडु सहित 19 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने की। इस सत्र में खराब मौसम में बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए अनुकूल बुनियादी ढांचे की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया।

“गैर-संचारी रोग, पोषण और मानसिक स्वास्थ्य” पर गोलमेज सम्मेलन में विभिन्न योगदानों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। डॉ. चेरियन वर्गीज ने केरल की बाढ़ पर चर्चा की और बताया कि कैसे जलवायु परिवर्तन गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के सामाजिक निर्धारकों को प्रभावित कर रहा है, विशेष रूप से आजीविका, स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और सबसे कमजोर लोगों पर असामान्य प्रभाव पड़ रहा है। डॉ. नवीन कुमार सी ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधों और इसके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों पर चर्चा की, जबकि ग्लोबल अलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रिशन (जीएआईएन) की डॉ. भुवनेश्वरी बालासुब्रमण्यन ने जलवायु परिवर्तन और पोषण को जोड़ने पर प्रकाश डाला।
“जलवायु-स्वास्थ्य के लिए साहसिक कदम उठाने के लिए मिश्रित वित्त” विषय पर सत्र में, ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय में एशिया प्रशांत क्षेत्र की नीति और कार्यक्रम प्रमुख सुश्री जया सिंह ने जलवायु और स्वास्थ्य में निजी क्षेत्र के निवेशकों के लिए नियम और सुरक्षा उपाय स्थापित करने में सरकार की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित लक्षित क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए आकर्षक फंडिंग मॉडल, जैसे कि ग्रीन कैटेलिटिक फंडिंग और गारंटी-आधारित अनुदान का भी आह्वान किया। पहल समृद्ध के कार्यक्रम प्रमुख हिमांशु सिक्का ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक रोग भार का 25 प्रतिशत पर्यावरणीय जोखिम कारकों से जुड़े होने के बावजूद, अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वित्त का केवल 0.5 प्रतिशत ही स्वास्थ्य पर खर्च होता है।
इस सत्र में सम्मेलन के उप-विषयगत क्षेत्रों में नवाचारों को भी प्रदर्शित किया गया, जैसे कि गर्मी के लिए जलवायु जोखिम वेधशाला उपकरण और स्वास्थ्य मानचित्रण और प्रबंधन, जलवायु लचीले स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के लिए प्लस टेक्नोलॉजीज, ब्लैकफ्रॉग टेक्नोलॉजीज और रेडविंग्स तथा जलवायु और स्वास्थ्य पूर्व चेतावनी प्रणालियों के लिए आईआईएससी बैंगलोर के एआरटीपार्क का कार्य।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और एडीबी प्रतिनिधियों के नेतृत्व में जलवायु और स्वास्थ्य परिवर्तन पर केन्द्रित कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों ने स्वास्थ्य प्रणालियों को जलवायु उद्देश्यों से जोड़ते हुए दो दिवसीय सम्मेलन के उप-विषयगत परिणामों को व्यापक रूप से प्रदर्शित किया। सम्मेलन ने ठोस, कार्य करने में सक्षम और दूरदर्शी समाधान के लिए महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य किया, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों के साथ जलवायु अभियान को जोड़ने के महत्व पर प्रकाश डाला गया। विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के प्रतिभागियों ने सफलतापूर्वक संवाद और कार्य योजनाएँ शुरू कीं जो आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य और जलवायु के प्रति भारत के दृष्टिकोण को आकार देंगी।

अपने समापन भाषण में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने सभी सहभागी हितधारकों, विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, "इस महत्वपूर्ण जलवायु एवं स्वास्थ्य समाधान सम्मेलन के समापन पर, पिछले दो दिनों में हुई चर्चाओं ने जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य के परस्पर जुड़े संकटों को उजागर किया है, तथा सामूहिक कार्रवाई की शक्ति को प्रदर्शित किया है। हमारे गहन सत्रों में प्रस्तुत समाधानों ने ऐसी कार्य-योजनाओं का मार्ग प्रशस्त किया है जो जलवायु के प्रति जागरूक सोच को स्वास्थ्य नीतियों को जोड़ती हैं। चूँकि भारत महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, हमारे पास न केवल जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य की चुनौतियों का जवाब देने का अवसर है, बल्कि इन मुद्दों पर वैश्विक एजेंडे का नेतृत्व करने का भी मौका है। आइए हम यहां प्राप्त ज्ञान को एक लचीले भविष्य के लिए ठोस कार्यों में बदलें।"
एडीबी और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय आगे बढ़ते हुए, एक परिणाम दस्तावेज प्रकाशित करेंगे जिसमें सम्मेलन के आठ प्रमुख विषय, परिणाम और कार्य शामिल होंगे जो राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और उप-राष्ट्रीय जलवायु और स्वास्थ्य कार्य योजनाओं की जानकारी देगा। जलवायु और स्वास्थ्य समाधान (सीएचएस) मल्टी-स्टेकहोल्डर थॉट एंड एक्शन इंडिया कन्क्लेव भारत में भविष्य के जलवायु-स्वास्थ्य छोटी अवधि की प्रांतीय पहलों को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए ब्लूप्रिंट के रूप में काम करेगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सार्वजनिक स्वास्थ्य की अपर सचिव सुश्री एलएस चांगसन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सार्वजनिक स्वास्थ्य की संयुक्त सचिव सुश्री लता गणपति ने इस सम्मेलन की सराहना करते हुए इसे एक महत्वपूर्ण सम्मेलन बताया जो भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। मानव और सामाजिक विकास क्षेत्र कार्यालय की वरिष्ठ निदेशक सुश्री अयाको इनागाकी और एशियाई विकास बैंक की स्वास्थ्य प्रैक्टिस टीम के प्रधान स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. दिनेश अरोड़ा ने इस बात को दोहराया कि भारत का अनुभव एशिया, प्रशांत और उससे आगे जलवायु और स्वास्थ्य एजेंडा निर्माण और परिचालन की शुरुआत के लिए एक मिसाल के रूप में काम करेगा।
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एमजी/आरपीएम/केसी/केपी
(रिलीज़ आईडी: 2060725)
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