पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया


नए एचपीसी सिस्टम का नाम 'अर्का' और 'अरुणिका' रखा गया है - जो पृथ्वी के प्राथमिक ऊर्जा स्रोत सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है

Posted On: 27 SEP 2024 1:42PM by PIB Delhi

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अधिग्रहित, मौसम और जलवायु अनुसंधान के लिए तैयार उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग (एचपीसी) प्रणाली का उद्घाटन किया है।

इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 850 करोड़ रुपये निवेश किए गए हैं। यह परियोजना विशेष रूप से चरम घटनाओं के लिए अधिक विश्वसनीय और सटीक मौसम और जलवायु पूर्वानुमान के लिए भारत की कम्प्यूटेशनल क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण छलांग है। यह दो प्रमुख स्थलों पर स्थित है - पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) और नोएडा में राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्ल्यूएफ)।  

आईआईटीएम सिस्टम 11.77 पेटा फ्लॉप्स और 33 पेटाबाइट स्टोरेज की प्रभावशाली क्षमता से लैस है, जबकि एनसीएमआरडब्ल्यूएफ सुविधा में 8.24 पेटा फ्लॉप्स और 24 पेटाबाइट स्टोरेज की सुविधा है। इसके अतिरिक्त, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग अनुप्रयोगों के लिए 1.9 पेटा फ्लॉप्स की क्षमता वाला एक समर्पित स्टैंडअलोन सिस्टम है।

इसके साथ, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की कुल कंप्यूटिंग शक्ति 22 पेटा फ्लॉप्स तक बढ़ जाएगी, जो 6.8 पेटा फ्लॉप्स की पिछली क्षमता से पर्याप्त वृद्धि है।

परंपरा के अनुसार, इन अत्याधुनिक प्रणालियों का नाम सूर्य से जुड़ी खगोलीय इकाइयों के नाम पर रखा गया है। पिछली प्रणालियों का नाम आदित्य, भास्कर, प्रत्युष और मिहिर रखा गया था। नई एचपीसी प्रणालियों को 'अर्क' और 'अरुणिका' नाम दिया गया है, जो सूर्य से उनके संबंध को दर्शाता है - सूर्य, पृथ्वी के लिए प्राथमिक ऊर्जा स्रोत है।

उन्नत कम्प्यूटेशनल ढांचा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाते हुए परिष्कृत मॉडलों के विकास को सक्षम करेगा, जिससे विभिन्न हितधारकों को प्रदान की जाने वाली अंतिम-मील सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार होगा।

एचपीसी सिस्टम द्वारा प्रदान की गई उन्नत कम्प्यूटेशनल क्षमताएं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को मौजूदा डेटा समाकलन क्षमताओं को और बेहतर बनाने तथा उच्च क्षैतिज रिज़ॉल्यूशन पर अपने वैश्विक मौसम पूर्वानुमान मॉडल की भौतिकी और गतिशीलता को परिष्कृत करने में सक्षम बनाएंगी। इसके अलावा, क्षेत्रीय मॉडल चुनिंदा भारतीय डोमेन पर 1 किमी या उससे कम के बेहतर रिज़ॉल्यूशन प्राप्त करेंगे। ये उच्च-रिज़ॉल्यूशन मॉडल उष्णकटिबंधीय चक्रवातों, भारी वर्षा, गरज, ओलावृष्टि, गर्मी की लहरों, सूखे और अन्य चरम मौसम की घटनाओं से संबंधित भविष्यवाणियों की सटीकता और लीड टाइम को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगे।

इन उन्नत एचपीसी प्रणालियों का लाभ उठाते हुए, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का लक्ष्य मौसम पूर्वानुमानों की सटीकता और विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार करना है, ताकि जलवायु परिवर्तनशीलता और चरम मौसम की घटनाओं से उत्पन्न चुनौतियों के लिए बेहतर तैयारी और प्रतिक्रिया सुनिश्चित हो सके।


एमजी/आरपीएम/केसी/एनकेएस


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