कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय
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केंद्रीय कॉर्पोरेट कार्य राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री दीपक मिश्रा ने नई दिल्ली में जिम्मेदारी पूर्ण व्यवसायिक आचरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया


भारतीय व्यवसाय नैतिक और टिकाऊ तौर तरीकों को अपनाने में उदाहरण पेश करें, जिससे भारत जिम्मेदारी पूर्ण शासन में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित हो सकेगा: राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा

मजबूत ईएसजी नीतियां व्यवसायों का न्याय और निष्पक्षता की सीमाओं के भीतर संचालन सुनिश्चित करने का काम करेंगी: न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) दीपक मिश्रा

Posted On: 04 SEP 2024 7:41PM by PIB Delhi

केंद्रीय कॉरपोरेट कार्य और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा ​​और भारत के 45वें मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री दीपक मिश्रा ने आज नई दिल्ली में ‘विकसित भारत के लिए जिम्मेदारी पूर्ण व्यावसायिक आचरण 2024- पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) को बढ़ावा देने पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन का आयोजन भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) के स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट द्वारा किया गया था।

अपने मुख्य संबोधन में, श्री मल्होत्रा ​​ने जिम्मेदारी पूर्ण व्यावसायिक तौर तरीकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जो सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही, उन्होंने ईएसजी, विशेष रूप से विकसित भारत को प्राप्त करने में समावेशिता की आवश्यक भूमिका पर प्रकाश डाला और भारतीय व्यवसायों से नैतिक और टिकाऊ तौर तरीकों को अपनाने में उदाहरण पेश करने का आग्रह किया, जिससे भारत जिम्मेदार शासन में वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित हो सके।

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) दीपक मिश्रा ने कॉर्पोरेट प्रशासन की नैतिक अनिवार्यताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक विशेष भाषण दिया। उन्होंने ईएसजी नीतियों को तैयार करने की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे व्यवसायों का न्याय और निष्पक्षता की सीमाओं के भीतर काम करना, अपने व्यवहार को सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के व्यापक लक्ष्यों के साथ संरेखित करना सुनिश्चित होगा।

उन्होंने बताया कि ईएसजी एक समझदारी भरा विचार है जिसे अपनाया जाना चाहिए और इसे केवल कानूनी अनुपालन कार्य के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। न्यायमूर्ति मिश्रा ने उपस्थित सम्मानित लोगों को याद दिलाया कि नेशनल टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन बनाम पी. आर. रामकृष्णन मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने देश की आर्थिक और सामाजिक नीतियों के लक्ष्य के रूप में समाज के समाजवादी पैटर्न को अपनाने वाले निगम की नई अवधारणा को मान्यता दी थी। उन्होंने बताया कि पर्यावरण नैतिकता का रखरखाव एक स्पष्ट अनिवार्यता है क्योंकि किसी भी व्यावसायिक इकाई का मूल्य संवर्धन उसके 'हरित व्यवहार' पर निर्भर करता है और इस लिहाज से ईएसजी अब प्रतिष्ठा के लिए एक प्रतिस्पर्धी बैरोमीटर बन गया है। उन्होंने सुझाव दिया कि यह राष्ट्र के उच्चतम स्तर पर वाणिज्यिक चिंताओं के दर्शन को बदलने का प्रयास करने और प्रत्येक कॉर्पोरेट और व्यक्ति को नई शब्दावली से अवगत कराने का संकल्प लेने का समय है, जिसे दुनिया के विचारक विकसित कर रहे हैं और प्रत्येक इकाई (एंटिटी) से अपेक्षा करते हैं कि वह लगातार शिकायत करने के लिए 'आग्रही' बनी रहे और शीघ्र संस्थागत समाधान लाने के लिए किसी भी चालाकी भरी मंशा की आड़ न लें।

अपने स्वागत भाषण में, आईआईसीए के महानिदेशक और सीईओ डॉ. अजय भूषण प्रसाद पांडे ने प्रतिष्ठित वक्ताओं और प्रतिभागियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और भारत के सतत विकास एजेंडे को आगे बढ़ाने में जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईआईसीए अपने स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट के माध्यम से ईएसजी, स्थिरता, सीएसआर, व्यवसाय और मानवाधिकार, व्यवसाय और जैव विविधता संरक्षण, सतत वित्त आदि के पहलुओं पर सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लिए नीति संबंधी बहस, अनुसंधान और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण को बढ़ावा दे रहा है। जिम्मेदारी पूर्ण व्यावसायिक आचरण पर वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन आईआईसीए की विकसित और सतत भारत के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

आईआईसीए के स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट की प्रमुख प्रोफेसर गरिमा दाधीच ने उद्घाटन सत्र में सम्मेलन के लिए संदर्भ निर्धारित किया।

भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर श्री शोम्बी शार्प ने अपने विशेष संबोधन में विकसित भारत के विजन को प्राप्त करने में जिम्मेदारी पूर्ण व्यावसायिक आचरण के महत्व पर प्रकाश डाला और सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के बीच सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।

उद्घाटन सत्र में जिम्मेदारी पूर्ण व्यावसायिक आचरण से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर विशेष संबोधन दिए गए। यूनिसेफ की भारत में प्रतिनिधि सुश्री सिंथिया मैककैफ़री ने समावेशी विकास को बढ़ावा देने और विकसित भारत को प्राप्त करने में सार्थक सतत आजीविका एकीकृत लक्ष्य को शामिल करने में ईएसजी सिद्धांतों की वैश्विक प्रासंगिकता पर अंतर्दृष्टि साझा की; और एसीसीए की मुख्य कार्यकारी सुश्री हेलेन ब्रांड ओबीई ने जिम्मेदारी पूर्ण व्यावसायिक तौर तरीकों को बढ़ावा देने में शासन की उभरती भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया और ईएसजी-संचालित विकास को आगे बढ़ाने में वैश्विक मंच पर भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उद्घाटन सत्र में जिम्मेदारी पूर्ण और सतत विकास को आगे बढ़ाने में व्यवसायों की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार-विमर्श करने के लिए प्रतिष्ठित लीडर, नीति निर्माता, कॉर्पोरेट अधिकारी और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ एक साथ आए।

उद्घाटन सत्र के दौरान, डॉ. गरिमा दाधीच और डॉ. रवि राज अत्रे द्वारा लिखित पुस्तक ‘भारत में ईएसजी को अपनाना’ (एम्ब्रेसिंग ईएसजी इन इंडिया) का भी विमोचन किया गया। यह पुस्तक भारतीय संदर्भ में ईएसजी के तौर तरीकों पर एक व्यापक मार्गदर्शिका प्रस्तुत करती है, जो परिवर्तन के प्रणेता, प्रवर्तक और सर्जक की केस स्टडीज का संकलन है। इसके अतिरिक्त, इस अवसर पर व्यवसाय उत्तरदायित्व और स्थिरता रिपोर्टिंग (बीआरएसआर) पर ऑनलाइन डेटा पोर्टल लॉन्च किया गया, जो व्यवसायों और हितधारकों को जिम्मेदार व्यवसाय आचरण के लिए महत्वपूर्ण डेटा और जानकारियों तक पहुंचने के लिए एक आवश्यक साधन प्रदान करता है।

जिम्मेदारी पूर्ण शासन: नेतृत्व संवाद’ पर पहली नई जानकारियों वाली उच्च स्तरीय पैनल चर्चा में भारत के सरकारी और निजी क्षेत्रों के कुछ सबसे प्रतिष्ठित लीडर एक साथ आए, जिन्होंने सतत और न्यायसंगत विकास को आगे बढ़ाने में जिम्मेदारी पूर्ण शासन की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की। प्रतिष्ठित वक्ताओं में डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन, मुख्य आर्थिक सलाहकार, भारत सरकार; श्री इंद्र दीप सिंह धारीवाल, संयुक्त सचिव, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय; श्री प्रवीण कुमार, पूर्व सचिव, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय, भारत सरकार; श्री अरुण मैरा, पूर्व सदस्य, भारतीय योजना आयोग और पूर्व चेयरमैन, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप, भारत; श्री भरत वाखलू, पूर्व रेजिडेंट डायरेक्टर, टाटा संस; सुश्री मेघा गर्ग, निदेशक, हैप्पी फोर्जिंग्स लिमिटेड शामिल रहे। पैनल का संचालन प्रोफेसर गरिमा दाधीच ने किया। पैनल ने कॉर्पोरेट ढांचे के भीतर जिम्मेदारी पूर्ण शासन को शामिल करने खासकर भारत के विकसित राष्ट्र बनने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य - विकसित भारत के संदर्भ में से जुड़ी चुनौतियों और अवसरों पर विस्तार से चर्चा की।

पैनल का समापन शासन के लिए बहु-हितधारक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर आम सहमति के साथ हुआ, जिसमें सरकार, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के बीच सहयोग शामिल है। इस चर्चा से प्राप्त अंतर्दृष्टि और सिफारिशों से सम्मेलन के आगामी सत्रों को आकार मिलने की उम्मीद है, जो भारत में जिम्मेदारी पूर्ण व्यावसायिक आचरण के एजेंडे को आगे बढ़ाएगा।

दूसरी उच्च स्तरीय पैनल चर्चा ‘प्रकृति पुनरुद्धार: व्यवसाय की भूमिका’ विषय पर केंद्रित थी। पैनल में उद्योग जगत के प्रमुख लीडर: श्री विशाल देव, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया निदेशक (सतत व्यवसाय के), श्री बोस वर्गीस, सिरिल अमरचंद मंगलदास में वरिष्ठ निदेशक (ईएसजी), और श्री सिद्धार्थ एडके, डब्ल्यूआरआई इंडिया में वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक (खाद्य, भूमि और जल) शामिल थे, जिसका संचालन संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट नेटवर्क इंडिया में वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार श्री सुनील पडेले ने किया।

यह कार्यक्रम एक नई जानकारियों से भरे तीसरे उच्च स्तरीय पैनल के साथ जारी रहा, जिसमें मुख्य रूप से ‘रेडीमेड गारमेंट क्षेत्र में जिम्मेदार व्यावसायिक आचरण पर राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के क्षेत्रीय अनुकूलन’ पर जोर दिया गया

सत्र की शुरुआत इनोवेटिव चेंज कोलैबोरेटिव सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (आईसीसीएसफीएल) के निदेशक श्री अलाय बराह ने की, जिन्होंने रेडीमेड गारमेंट सेक्टर की विशिष्ट जरूरतों और चुनौतियों के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देशों को अपनाने के महत्व को रेखांकित करते हुए विचार व्यक्त किए। पैनल में उद्योग और नीति-निर्माण दोनों क्षेत्रों से जुड़े प्रमुख लोग शामिल थे, जिनमें आदित्य बिड़ला फैशन एंड रिटेल लिमिटेड के चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर डॉ नरेश त्यागी, अरविंद लिमिटेड में वाइस प्रेसिडेंट (सस्टेनेबिलिटी) श्री अभिषेक बंसल, सीआईआई-सीईएसडी के कार्यकारी निदेशक श्री शिखर जैन, पार्टनर्स इन चेंज के निदेशक श्री प्रदीप नारायणन और क्लोथिंग मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के संयुक्त मानद महासचिव श्री नवीन सैनानी शामिल थे। इस चर्चा का कुशलतापूर्वक संचालन भारतीय कॉरपोरेट मामले संस्थान के एडजंक्ट फैकल्टी श्री शंकर वेंकटेश्वरन ने किया, जिन्होंने पैनलिस्टों के बीच विचारों और सर्वोत्तम तौर तरीकों के गतिशील आदान-प्रदान में सहायता की।

चौथे सत्र में ‘न्यायसंगत परिवर्तन: विकास, समानता और स्थिरता में संतुलन’ पर गहन चर्चा की गई। इस सत्र में आर्थिक विकास को समावेशी और न्यायसंगत बनाने के साथ-साथ सतत विकास प्राप्त करने की जटिल चुनौती पर चर्चा की गई। दुआ कंसल्टिंग और डेलॉइट इंडिया में सीएसआर और ईएसजी पर वरिष्ठ सलाहकार डॉ. भास्कर चटर्जी द्वारा संचालित इस पैनल में विशेषज्ञों का एक विविध समूह शामिल था, जिन्होंने न्यायसंगत परिवर्तन के बहुआयामी पहलुओं पर गहन जानकारियां प्रदान कीं। उच्च स्तरीय पैनल में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) में उद्यम विकास विशेषज्ञ सुश्री भारती बिड़ला, यूनिसेफ इंडिया में सार्वजनिक और निजी भागीदारी की प्रमुख सुश्री गीतांजलि मास्टर और आईआईसीए में एडजंक्ट फैकल्टी श्री विराफ मेहता शामिल थे।

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