विधि एवं न्‍याय मंत्रालय
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आभासी न्यायालय

Posted On: 09 AUG 2024 12:37PM by PIB Bhopal
 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय की एक पहल वर्चुअल कोर्ट, ई-कमेटी है, जिसका उद्देश्य न्‍यायालय में किसी वादी या अधिवक्‍ता की उपस्थिति के बिना वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर मामलों का निपटारा करना है। यह अवधारणा न्‍यायालय के संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने और वादियों को विवादों को निपटाने के लिए एक प्रभावी मार्ग प्रदान करने के लिए तैयार की गई है। वर्तमान में, वर्चुअल कोर्ट केवल ट्रैफिक चालान मामलों से संबंधित मामलों को संभाल रहे हैं, जिससे न केवल मुकदमेबाजी की लागत कम हुई है, बल्कि ट्रैफिक चालान मामलों के निवारण की प्रक्रिया भी सरल हुई है। 28 वर्चुअल कोर्ट द्वारा 5.26 करोड़ से अधिक मामलों (5,26,53,142) का प्रबंधन किया गया है और 56 लाख (56,51,204) से अधिक मामलों में, 30 जून, 2024 तक 579.40 करोड़ रुपये से अधिक का ऑनलाइन जुर्माना वसूला गया है। देश भर में आभासी अदालतों के माध्यम से निपटाए गए मामलों का विस्तृत विवरण अनुलग्नक-I में है। 30 जून, 2024 तक, 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 28 ऐसे न्‍यायालय हैं। इनमें दिल्ली (2), हरियाणा, चंडीगढ़, गुजरात (2), तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल (2), महाराष्ट्र (2), असम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर (2), उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड (2), मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और मणिपुर में (2) न्‍यायालय हैं। हालांकि, आभासी न्यायालयों की स्थापना एक प्रशासनिक मामला है और यह संबंधित उच्च न्यायालय के न्‍यायाधिकार क्षेत्र में आता है। केंद्र सरकार की इस मामले में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है।

ई-कोर्ट परियोजना चरण-III के अंतर्गत, एक मजबूत डिजिटल बुनियादी व्‍यवस्‍था बनाने के लिए संबंधित उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र के तहत अतिरिक्त 1150 आभासी न्यायालयों की स्थापना का प्रावधान है। न्यायालयों को लंबित मामलों से निपटने में सहायता के लिए 413.08 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

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यह जानकारी विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोक सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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