सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय
एमएसएमई क्षेत्र का विकास
Posted On:
01 AUG 2024 5:03PM by PIB Bhopal
सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं, जो निम्नांकित हैं:
- एमएसएमई क्षेत्र के दायरे को व्यापक करने हेतु निवेश और टर्नओवर के आधार पर उच्च सीमा वाले एमएसएमई के वर्गीकरण के लिए नए मानदंड 26.06.2020 को अधिसूचित किए गए।
- 200 करोड़ रुपये तक की खरीद के लिए कोई वैश्विक निविदा आवश्यक नहीं।
- "ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस" के लिए एमएसएमई हेतु “उद्यम पंजीकरण” 01.07.2020 को शुरू किया गया।
- अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों को औपचारिक दायरे में लाने के लिए 11.01.2023 को उद्यम सहायता मंच का शुभारंभ।
- क्रेडिट उद्देश्य के लिए 02.07.2021 से खुदरा और थोक व्यापारियों को एमएसएमई के रूप में शामिल किया गया।
- एमएसएमई के दर्जे में ऊपर की ओर तब्दीली के लिए गैर-कर लाभ 3 वर्ष के लिए बढ़ाए गए।
- सूक्ष्म और लघु उद्यमों को माल और सेवाओं के खरीदारों से बकाया राशि की निगरानी और शिकायत दर्ज करने के लिए समाधान पोर्टल का शुभारंभ।
- ई-गवर्नेंस के कई पहलुओं को शामिल करने के लिए जून, 2020 में एक ऑनलाइन पोर्टल “चैंपियंस” का शुभारंभ किया गया, जिसमें शिकायतों का निवारण और एमएसएमई की सहायता करना शामिल है।
वस्तु और सेवा कर परिषद सचिवालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, टर्नओवर के आधार पर व्यापार सुविधा उपाय के रूप में निम्नलिखित उद्यमों को जीएसटी पंजीकरण लेने की ज़रूरत नहीं है:
- वस्तुओं की अंतर-राज्यीय कर योग्य आपूर्ति में शामिल वे व्यक्ति जिनका एक वित्तीय वर्ष में कुल टर्नओवर ₹ 40 लाख से अधिक नहीं है।
- सेवाओं की अंतःराज्यीय या अंतर-राज्यीय कर योग्य आपूर्ति में शामिल वे व्यक्ति जिनका एक वित्तीय वर्ष में कुल टर्नओवर ₹ 20 लाख से अधिक नहीं है।
मासिक रिटर्न दाखिल करने में लगने वाले अनुपालन बोझ को कम करने के लिए एमएसएमई क्षेत्र के लिए कई सुविधा उपाय किए गए हैं। ये भी बताया गया है कि जीएसटी में कंपोजिशन लेवी योजना छोटे और मध्यम करदाताओं के लिए बनाई गई है, जिनका टर्नओवर निर्धारित सीमा के भीतर है। 1.5 करोड़ रुपये तक के कुल टर्नओवर वाला वस्तुओं का आपूर्तिकर्ता और 50 लाख रुपये तक के टर्नओवर वाला सेवाओं का आपूर्तिकर्ता कंपोजिशन योजना का विकल्प चुन सकता है। कर का भुगतान तिमाही आधार पर, घोषणा के आधार पर करना होता है और ऐसे करदाताओं को विस्तृत खाते नहीं रखने होते हैं और उन्हें केवल एक वार्षिक रिटर्न दायर करना होता है।
इसके अलावा वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आयकर अधिनियम, 1961 में केवल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए किसी विशेष दंड का प्रावधान नहीं है। ये जानकारी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
*****
एमजी/एएम/जीबी/एजे
(Release ID: 2040751)
Visitor Counter : 72