संस्‍कृति मंत्रालय

कला और संस्कृति का संवर्धन और संरक्षण

Posted On: 22 JUL 2024 1:50PM by PIB Delhi

संस्कृति मंत्रालय विभिन्न केंद्रीय योजनाओं का संचालन करता है, जिसके अंतर्गत महाराष्ट्र के पालघर जिले और देश के आदिवासी क्षेत्रों सहित देश भर में कला और संस्कृति के संवर्धन और संरक्षण के लिए काम करने वाले पात्र सांस्कृतिक संगठनों/व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इन योजनाओं का संक्षिप्त विवरण अनुलग्नक-I में दिया गया है।

पिछले पांच वर्षों के दौरान पालघर जिले सहित महाराष्ट्र राज्य में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों/व्यक्तियों को जारी धनराशि का वर्षवार विवरण अनुलग्नक-II में दिया गया है ।

यह जानकारी संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

अनुलग्नक-I

दिनांक 22.07.2024 को लोक सभा के अतारांकित प्रश्न संख्या 166 के भाग (क) एवं (ख) के उत्तर में संदर्भित अनुलग्नक

  1. गुरु-शिष्य परम्परा को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता (रिपर्टरी अनुदान)

इस योजना का उद्देश्य नाट्य समूहों, रंगमंच समूहों, संगीत समूहों, बच्चों के रंगमंच आदि तथा गुरु-शिष्य परंपरा के अनुरूप नियमित आधार पर अपने-अपने गुरुओं द्वारा कलाकारों को प्रशिक्षण प्रदान करने जैसी प्रदर्शन कला गतिविधियों की सभी विधाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना के अनुसार, रंगमंच के क्षेत्र में 1 गुरु और अधिकतम 18 शिष्यों तथा संगीत और नृत्य के क्षेत्र में 1 गुरु और अधिकतम 10 शिष्यों को सहायता प्रदान की जाती है। गुरु के लिए सहायता राशि 15000/- रुपये प्रतिमाह है तथा शिष्य के लिए यह राशि कलाकार की आयु के आधार पर 2000-10000/- रुपये प्रतिमाह है।

  1. कला और संस्कृति के प्रसार के लिए वित्तीय सहायता: इस योजना के निम्नलिखित उप-घटक हैं:
  2. राष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता

देश भर में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में शामिल राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाले सांस्कृतिक संगठनों को बढ़ावा देने और उनका समर्थन करने के लिए, यह अनुदान ऐसे संगठनों को दिया जाता है, जिनके पास उचित रूप से गठित प्रबंध निकाय है, जो भारत में पंजीकृत हैं; जिनका संचालन अखिल भारतीय स्तर पर है; पर्याप्त कार्यशील संख्या है; और जिन्होंने पिछले 5 वर्षों में से 3 वर्षों के दौरान सांस्कृतिक गतिविधियों पर 1 करोड़ या उससे अधिक राशि खर्च की है। इस योजना के तहत अनुदान की राशि 1 करोड़ रुपये है जिसे अपवाद मामलों में 5 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

  1. सांस्कृतिक समारोह एवं उत्पादन अनुदान (सीएफपीजी)

इस योजना घटक का उद्देश्य गैर सरकारी संगठनों/समितियों/ट्रस्टों/विश्वविद्यालयों आदि को सेमिनार, सम्मेलन, अनुसंधान, कार्यशालाओं, त्यौहारों, प्रदर्शनियों, संगोष्ठियों, नृत्य, नाटक-रंगमंच, संगीत आदि के उत्पादन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। सीएफपीजी के तहत प्रदान की जाने वाली अधिकतम अनुदान राशि एक संगठन के लिए 5 लाख रुपये है जिसे असाधारण मामलों में 20 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

  1. हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता

इस योजना का उद्देश्य शोध, प्रशिक्षण और दृश्य-श्रव्य कार्यक्रमों के द्वारा हिमालय की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना और संरक्षित करना है। वित्तीय सहायता हिमालयी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले राज्यों अर्थात जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में स्थित संगठनों को प्रदान की जाती है। एक संगठन के लिए वित्त पोषण प्रति वर्ष 10 लाख रुपये है जिसे असाधारण मामलों में 30 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

  1. बौद्ध/तिब्बती संगठन के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता

इस योजना के अंतर्गत स्वैच्छिक बौद्ध/तिब्बती संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें बौद्ध/तिब्बती सांस्कृतिक और परंपरा के प्रचार-प्रसार और वैज्ञानिक विकास तथा संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान में लगे मठ शामिल हैं। योजना घटक के अंतर्गत वित्त पोषण की मात्रा एक संगठन के लिए प्रति वर्ष 30 लाख रुपये है, जिसे असाधारण मामलों में 1 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।

  1. स्टूडियो थियेटर सहित भवन अनुदान के लिए वित्तीय सहायता

इस योजना घटक का उद्देश्य गैर सरकारी संगठनों, ट्रस्टों, समितियों, सरकार द्वारा प्रायोजित निकायों, विश्वविद्यालय, महाविद्यालय आदि को सांस्कृतिक अवसंरचना (अर्थात स्टूडियो थियेटर, ऑडिटोरियम, रिहर्सल हॉल, कक्षा आदि) के सृजन तथा विद्युत, वातानुकूलन, ध्वनिकी, प्रकाश एवं ध्वनि प्रणाली आदि जैसी सुविधाओं के प्रावधान के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना घटक के अंतर्गत अनुदान की अधिकतम राशि मेट्रो शहरों में 50 लाख रुपये तक तथा गैर-मेट्रो शहरों में 25 लाख रुपये तक है।

  1. संबद्ध सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता

इस योजना घटक का उद्देश्य सभी पात्र संगठनों को संबद्ध सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए दृश्य-श्रव्य क्षमता बढ़ाने के लिए परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि नियमित आधार पर और खुले/बंद क्षेत्रों/स्थानों में त्योहारों के दौरान लाइव प्रदर्शनों का प्रत्यक्ष अनुभव दिया जा सके। योजना घटक के तहत अधिकतम सहायता, लागू शुल्कों और करों और पांच वर्षों के लिए संचालन और रखरखाव (ओ एंड एम) लागत सहित, निम्नानुसार होगी: - (i) ऑडियो: 1करोड़ रुपए; (ii) ऑडियो+वीडियो: 1.50 करोड़ रुपए ।

  • घरेलू त्यौहार और मेले

इस योजना का उद्देश्य संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित 'राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव' के आयोजन के लिए सहायता प्रदान करना है।

3. टैगोर सांस्कृतिक परिसर (टीसीसी) के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता

योजना का उद्देश्य एनजीओ, ट्रस्ट, सोसायटी, सरकार प्रायोजित निकायों, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार विश्वविद्यालय, केंद्रीय/राज्य सरकार एजेंसियों/निकायों, नगर निगमों, प्रतिष्ठित गैर-लाभकारी संगठनों आदि को मंच प्रदर्शन (नृत्य, नाटक और संगीत), प्रदर्शनियों, सेमिनारों, साहित्यिक गतिविधियों, ग्रीन रूम आदि के लिए सुविधाओं और बुनियादी ढांचे के साथ ऑडिटोरियम जैसे नए बड़े सांस्कृतिक स्थलों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। योजना मौजूदा सांस्कृतिक सुविधाओं (रवींद्र भवन, रंगशाला) आदि के रख-रखाव, नवीनीकरण, विस्तार, परिवर्तन, उन्नयन, आधुनिकीकरण के लिए भी सहयोग प्रदान करता है। इस योजना घटक के तहत, किसी भी परियोजना के लिए वित्तीय सहायता सामान्यतः अधिकतम 15 करोड़ रुपये तक होगी। केंद्रीय वित्तीय सहायता कुल अनुमोदित परियोजना लागत का 90% होगी और शेष 10% कुल अनुमोदित परियोजना लागत का वहन प्राप्तकर्ता राज्य सरकार/एनजीओ या संबंधित संगठन द्वारा एनईआर परियोजनाओं के लिए किया जाएगा और एनईआर को छोड़कर, केंद्रीय सहायता और राज्य हिस्सेदारी का 60:40 अनुपात है।

4. कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए छात्रवृत्ति और फेलोशिप योजना: इस योजना में निम्नलिखित तीन घटक शामिल हैं:

  1. संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट व्यक्तियों को फेलोशिप प्रदान करने की योजना

सांस्कृतिक अनुसंधान के लिए विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में 25 से 40 वर्ष (जूनियर) और 40 वर्ष (सीनियर) से अधिक आयु वर्ग के उत्कृष्ट व्यक्तियों को विभिन्न कला क्षेत्रों में कलात्मक शोध के लिए 2 वर्ष की अवधि तक क्रमशः 10,000 प्रति माह और 20,000 प्रतिमाह प्रदान की जाती है। एक बैच वर्ष में 400 तक फेलोशिप (200 जूनियर और 200 सीनियर) प्रदान की जाती हैं। फेलोशिप चार बराबर छह मासिक किस्तों में जारी की जाती है।

  1. विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में युवा कलाकारों के लिए छात्रवृत्ति योजना

एक बैच वर्ष में 400 तक छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं। इस योजना के अंतर्गत 18-25 वर्ष की आयु के प्रतिभाशाली युवा कलाकारों को भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, रंगमंच, मूकाभिनय, दृश्य कला, लोक, पारंपरिक और स्वदेशी कला तथा सुगम शास्त्रीय संगीत आदि के क्षेत्र में भारत में उन्नत प्रशिक्षण के लिए 5,000/- रुपये प्रतिमाह की दर से 2 वर्षों के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। छात्रवृत्ति चार बराबर छह मासिक किश्तों में जारी की जाती है।

  1. टैगोर राष्ट्रीय सांस्कृतिक अनुसंधान फेलोशिप

योजना घटक का उद्देश्य संस्कृति मंत्रालय (एमओसी) के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों और देश में अन्य चिन्हित सांस्कृतिक संस्थानों को सशक्त और पुनर्जीवित करना है, ताकि विद्वानों/शिक्षाविदों को इन संस्थानों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके ताकि वे आपसी हितों की परियोजनाओं पर काम कर सकें। अधिकतम 2 वर्षों की अवधि के लिए 15 फेलोशिप (80,000/- रुपये प्रति माह + आकस्मिक भत्ता) और 25 छात्रवृत्तियाँ (50,000/- रुपये प्रति माह + आकस्मिक भत्ता)। फेलोशिप चार बराबर छह मासिक किस्तों में जारी की जाती है।

 

  1. अनुभवी कलाकारों के लिए वित्तीय सहायता

इस योजना का उद्देश्य 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग कलाकारों और विद्वानों को जिनकी वार्षिक आय 72,000 रुपये से अधिक नहीं है और जिन्होंने कला, साहित्य आदि के अपने विशिष्ट क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है को प्रतिमाह 6,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करना है। लाभार्थी की मृत्यु की स्थिति में वित्तीय सहायता उसके पति/पत्नी को हस्तांतरित कर दी जाती है।

  1. सेवा भोज योजना

'सेवा भोज योजना' के अंतर्गत, जनता को मुफ्त भोजन वितरित करने के लिए धर्मार्थ/धार्मिक संस्थाओं द्वारा विशिष्ट कच्चे खाद्य पदार्थों की खरीद पर भुगतान किए गए केंद्रीय माल और सेवा कर (सीजीएसटी) और एकीकृत माल और सेवा कर (आईजीएसटी) में केंद्र सरकार के हिस्से की प्रतिपूर्ति भारत सरकार द्वारा वित्तीय सहायता के रूप में की जाएगी। गुरुद्वारा, मंदिर, धार्मिक आश्रम, मस्जिद, दरगाह, चर्च, मठ, मठ आदि जैसे धर्मार्थ/धार्मिक संस्थानों द्वारा दिया जाने वाला मुफ्त 'प्रसाद' या मुफ्त भोजन या मुफ्त 'लंगर' / 'भंडारा' (सामुदायिक रसोई) सेवा भोज योजना के अंतर्गत आते हैं।

 

अनुलग्नक - II

दिनांक 22.07.2024 के लोक सभा अतारांकित प्रश्न संख्या 166 के भाग (ग) के उत्तर में संदर्भित अनुलग्नक

 

महाराष्ट्र राज्य में पिछले पांच वर्षों के दौरान विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत जारी धनराशि का विवरण

क्रम सं.

योजना का नाम

वित्तीय वर्ष

2019-20

(लाख रुपए में)

वित्तीय वर्ष

2020-21

(लाख रुपए में)

वित्तीय वर्ष

2021-22

(लाख रुपए में)

वित्तीय वर्ष

2022-23

(लाख रुपए में)

वित्तीय वर्ष

2023-24

(लाख रुपए में)

  1.  

गुरु-शिष्य परम्परा को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता (रिपर्टरी अनुदान)

197.76

156.04

237.36

900.72

625.70

  1.  

राष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक संगठन को वित्तीय सहायता (आरके मिशन सहित)

5.81

-

-

-

15.00

  1.  

सांस्कृतिक समारोह एवं उत्पादन अनुदान (सीएफपीजी)

38.97

56.27

63.63

104.12

24.64

  1.  

बौद्ध/तिब्बती संस्कृति और कला के विकास के लिए वित्तीय सहायता

-

20

15

38.25

26

  1.  

स्टूडियो थियेटर सहित भवन अनुदान

-

8.8

5.4

-

8.00

  1.  

संबद्ध सांस्कृतिक गतिविधियाँ

35.48

-

-

-

-

  1.  

संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट व्यक्तियों को फेलोशिप प्रदान करने की योजना

59.40

66.00

121.80

118.80

84.00

  1.  

विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में युवा कलाकारों के लिए छात्रवृत्ति योजना

33.30

39.00

39.60

12.00

38.10

  1.  

टैगोर राष्ट्रीय सांस्कृतिक अनुसंधान फेलोशिप

17.13

3.60

30.10

-

33.60

  1.  

वरिष्ठ कलाकारों के लिए वित्तीय सहायता

85.86

106.61

190.49

273.49

795.97

 

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