संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने प्रसारण और केबल सेवाओं एवं रिलीज के लिए नियामक ढांचे में संशोधन को अधिसूचित किया

इलेक्ट्रॉनिक प्रोग्राम गाइड में टेलीविजन चैनलों को सूचीबद्ध करने और डीडी फ्री डिश प्लेटफॉर्म को एक ज्ञात प्रणाली (एड्रेसेबल सिस्टम) में उन्नत करने की सिफारिशें

Posted On: 08 JUL 2024 7:03PM by PIB Bhopal

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज दूरसंचार (प्रसारण और केबल) सेवाएं (आठवां) (ज्ञात प्रणाली) शुल्क (चौथा संशोधन) आदेश, 2024 (2024 का 1); दूरसंचार (प्रसारण और केबल) सेवाएं इंटरकनेक्शन (ज्ञात प्रणाली) (छठा संशोधन) विनियम, 2024 (2024 का 4); दूरसंचार (प्रसारण और केबल) सेवा गुणवत्ता के मानक और उपभोक्ता संरक्षण (ज्ञात प्रणाली) (चौथा संशोधन) विनियम, 2024 (2024 का 3) और ‘इलेक्ट्रॉनिक प्रोग्राम गाइड में चैनलों को सूचीबद्ध करने और डीडी फ्री डिश प्लेटफॉर्म को एक ज्ञात प्रणाली में उन्नत करने' के संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) को सिफारिशें जारी कीं। ये संशोधन, कुछ खंडों को छोड़कर, आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से 90 दिनों के बाद लागू होंगे।

केबल टीवी क्षेत्र के पूर्ण डिजिटलीकरण के अनुरूप, ट्राई ने 3 मार्च 2017 को प्रसारण और केबल सेवाओं के लिए नियामक ढांचे को अधिसूचित किया था। इस ढांचे को प्रसारण इकोसिस्टम की जरूरतों और 2020 एवं 2022 में जारी संशोधनों के जरिए विभिन्न हितधारकों की चिंताओं को दूर करने के उद्देश्यों के अनुरूप तैयार किया गया था।

प्रसारकों, एमएसओ, डीटीएच ऑपरेटरों और एलसीओ जैसे हितधारकों ने समय-समय पर प्राधिकरण के विचार के लिए कई अन्य मुद्दे उठाए थे।

ऐसे मुद्दों के समाधान के लिए, प्राधिकरण ने विभिन्न हितधारकों की टिप्पणियां आमंत्रित करने के लिए 8 अगस्त 2023 को “प्रसारण और केबल सेवाओं के लिए नियामक ढांचे की समीक्षा” से संबंधित एक परामर्श पत्र जारी किया था।

इस परामर्श पत्र में नेटवर्क क्षमता शुल्क (एनसीएफ), टीवी चैनलों के वितरकों (वितरण मंच के संचालकों-डीपीओ) द्वारा बुके का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) तय करने हेतु ए-ला-कार्टे चैनलों के एमआरपी के योग पर छूट की सीमा, क्षमता गणना के लिए एसडी चैनलों के संदर्भ में एक एचडी चैनल की समतुल्यता, डीपीओ द्वारा गठित सभी पैक में अनिवार्य एफटीए समाचार चैनल, डीडी फ्री डिश के साथ समान अवसर, रेफरेंस इंटरकनेक्ट ऑफर में संशोधन, इलेक्ट्रॉनिक प्रोग्राम गाइड (ईपीजी) में चैनलों को सूचीबद्ध करने, एमएसओ और एलसीओ के बीच राजस्व हिस्सेदारी, कैरिज शुल्क, मौजूदा इंटरकनेक्शन समझौते की समाप्ति के बाद चैनलों को हटाने, बिलिंग चक्र से संबंधित मुद्दे, प्लेटफ़ॉर्म सेवा चैनलों का विनियमन, निर्धारित शुल्कों की समीक्षा, उपभोक्ता कॉर्नर, डीपीओ द्वारा वेबसाइट की स्थापना, कार्यप्रणाली से संबंधित मैनुअल आदि सहित कई मुद्दों पर विभिन्न हितधारकों से टिप्पणियां और सुझाव मांगे गए।

प्राधिकरण ने हितधारकों की टिप्पणियों एवं खुले सदन में परिचर्चा के दौरान हुई चर्चा का विश्लेषण किया और कई प्रसारकों, डीपीओ (एमएसओ/डीटीएच/एचआईटीएस/आईपीटीवी) और एलसीओ की उपस्थिति के कारण बाजार में प्रतिस्पर्धा के स्तर पर गौर किया। तदनुसार, सेवा प्रदाताओं को गतिशील बाजार संबंधी स्थितियों को अपनाने में सक्षम बनाने हेतु लचीलापन प्रदान करने की आवश्यकता है और साथ ही पारदर्शिता, जवाबदेही एवं समानता के जरिए उपभोक्ताओं व छोटी कंपनियों के हितों की रक्षा भी की जानी चाहिए।

उपरोक्त विचारों के आधार पर, ट्राई ने टैरिफ ऑर्डर 2017, इंटरकनेक्शन रेगुलेशन 2017 और क्यूओएस रेगुलेशन 2017 में संशोधनों को अधिसूचित किया है। इन संशोधनों के प्राथमिक उद्देश्य में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:

  • नियामक अधिदेशों और अनुपालन संबंधी जरूरतों को कम करके प्रसारण क्षेत्र के विकास को सुगम बनाना।

बी. पारदर्शिता, जवाबदेही एवं समानता के जरिए उपभोक्ताओं और छोटी कंपनियों के हितों की रक्षा करते हुए बाजार संचालित दृष्टिकोण को अपनाने हेतु सेवा प्रदाताओं को लचीलापन प्रदान करना।

सी. नियामक प्रावधानों को सरल बनाकर व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देना।

इन संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:

. शुल्क संबंधी आदेश (टैरिफ ऑर्डर)

  1. नेटवर्क क्षमता शुल्क (एनसीएफ) में 200 चैनलों के लिए 130 रुपये और 200 से अधिक चैनलों के लिए 160 रुपये की सीमा हटा दी गई है तथा इसे बाजार संचालित और साथ ही न्यायसंगत बनाने हेतु रोक कर रखा गया है। सेवा प्रदाता अब चैनलों की संख्या, विभिन्न क्षेत्रों, विभिन्न ग्राहक वर्गों या उनके किसी भी संयोजन के आधार पर अलग-अलग एनसीएफ वसूल कर सकता है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु, ऐसे सभी शुल्कों को सेवा प्रदाताओं द्वारा अनिवार्य रूप से प्रकाशित किया जाना चाहिए और ट्राई को रिपोर्ट करने के अलावा उपभोक्ताओं को सूचित किया जाना चाहिए।
  2. डीपीओ को अब अपने बुके बनाते समय 45 प्रतिशत तक की छूट देने की अनुमति दी गई है ताकि बुके बनाने के क्रम में उन्हें लचीलापन हासिल हो सके और उपभोक्ताओं को आकर्षक सौदे पेश किए जा सकें। पहले यह छूट केवल 15 प्रतिशत तक ही थी।
  3. सार्वजनिक सेवा प्रसारक के डीटीएच प्लेटफॉर्म पर बिना किसी सदस्यता शुल्क के उपलब्ध पे-चैनल को चैनल के प्रसारक द्वारा सभी वितरण प्लेटफार्मों के लिए भी फ्री-टू-एयर घोषित किया जाना चाहिए ताकि एक समान अवसर प्राप्त हो सके।
  4. सभी डीपीओ को अपनी प्लेटफॉर्म सेवाओं के शुल्क (टैरिफ) की घोषणा करने का आदेश दिया गया है।

बी. इंटरकनेक्शन संबंधी विनियम

  1. एचडी टेलीविजन सेटों के प्रसार के साथ और हाई-डेफिनिशन कंटेंट के प्रसारण को प्रोत्साहित करने हेतु, कैरिज शुल्क के उद्देश्य से एचडी और एसडी चैनलों के बीच अंतर को समाप्त कर दिया गया है।
  2. कैरिज शुल्क व्यवस्था को सरल बनाया गया और कैरिज शुल्क के लिए केवल एकल सीमा निर्धारित करके प्रौद्योगिकी निरपेक्ष बनाया गया, जिससे उचित समझे जाने पर डीपीओ को कम कैरिज शुल्क लेने का विकल्प प्रदान किया गया।
  3. उपरोक्त उपायों से न केवल उपभोक्ताओं के लिए सेवा प्रदाताओं की पेशकश को सरल बनाने की उम्मीद है, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले चैनलों की उपलब्धता को भी बढ़ावा मिलेगा।

सी. क्यूओएस संबंधी विनियम

  1. स्थापना (इंस्टालेशन) व सक्रियण (एक्टिवेशन), विजिटिंग, स्थानांतरण (रिलोकेशन) और अस्थायी निलंबन जैसी सेवाओं के लिए शुल्क जो पहले विनियमन के तहत निर्धारित किए गए थे, उन्हें अब रोक कर रखा गया है। डीपीओ को उपभोक्ताओं के लिए स्पष्टता और पारदर्शिता के लिए अपनी सेवाओं के शुल्क प्रकाशित करने होंगे।
  2. छोटे डीपीओ के लिए कुछ नियामक अनुपालन में छूट।
  3. उपभोक्ताओं को अधिक स्पष्टता प्रदान करने हेतु सभी प्रीपेड सब्सक्रिप्शन की अवधि/अवधि/वैधता केवल दिनों की संख्या में निर्दिष्ट की जाएगी।
  4. सभी डीपीओ इलेक्ट्रॉनिक प्रोग्राम गाइड (ईपीजी) में चैनलों के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के साथ वितरक खुदरा मूल्य (डीआरपी) को भी प्रदर्शित कर सकते हैं।
  5. सभी डीपीओ ईपीजी में ‘प्लेटफॉर्म सर्विसेज’ के तहत प्लेटफॉर्म सेवा चैनलों को वर्गीकृत करेंगे।
  6. पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु डीपीओ को प्रत्येक प्लेटफॉर्म सेवा के सामने ईपीजी में प्लेटफॉर्म सेवा चैनल की संबंधित एमआरपी प्रदर्शित करनी होगी।
  7. सभी डीपीओ किसी भी प्लेटफॉर्म सेवा को सक्रिय/निष्क्रिय करने का विकल्प प्रदान करेंगे।

डी. सेवा प्रदाताओं की जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु शुल्क (टैरिफ) संबंधी आदेश के प्रावधानों एवं इंटरकनेक्शन विनियमन और क्यूओएस विनियमन के कुछ अन्य प्रावधानों के उल्लंघन के लिए वित्तीय हतोत्साहन को लागू किया गया है।

. सेवा प्रदाताओं को टैरिफ और अन्य शुल्कों से संबंधित सभी जानकारी, जिन्हें अब रोक दिया गया है, अपनी वेबसाइटों पर प्रकाशित करनी होगी। इसके अलावा, उन्हें सब्सक्राइब किए जा रहे प्लान से संबंधित टैरिफ और अन्य शुल्कों के बारे में सब्सक्राइबर को बताना होगा।

इसके अलावा, प्राधिकरण ने परामर्श प्रक्रिया में शामिल कुछ मुद्दों पर एमआईबी को सिफारिशें भी जारी कीं। इन मुद्दों में ‘इलेक्ट्रॉनिक प्रोग्राम गाइड में चैनलों को सूचीबद्ध करना’ और ‘डीडी फ्री डिश’ का एक ज्ञात प्रणाली में परिवर्तन शामिल है। इन अनुशंसाओं की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

. ईपीजी में चैनलों को सूचीबद्ध करना:

प्रत्येक चैनल को अनुमति देते समय, एमआईबी को इंटरकनेक्शन विनियमन 2017 के अनुसार प्रत्येक चैनल की प्राथमिक भाषा और प्रत्येक गैर-समाचार चैनल की उप-शैली के बारे में प्रसारकों से जानकारी मांगनी होगी और इसे एमआईबी के प्रसारण सेवा पोर्टल पर प्रदर्शित करना होगा ताकि वर्तमान विनियमन के अनुसार, उपभोक्ताओं की आसानी के लिए उक्त चैनल को ईपीजी में उचित स्थान देने में डीपीओ को सक्षम बनाया जा सके।

बी. डीडी फ्री डिश प्लेटफॉर्म को एक ज्ञात प्रणाली में उन्नत करना:

  1. देखने के अनुभव की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, पायरेसी से निपटने के लिए टेलीविजन चैनलों के अनधिकृत पुन: प्रसारण को रोकने और ग्राहकों के रिकॉर्ड को बनाए रखने हेतु, प्रसार भारती डीडी फ्री डिश प्लेटफॉर्म को एक अज्ञात प्रणाली से एक ज्ञात प्रणाली में बदलने के लिए कदम उठाएगी और अपलिंकिंग से पहले डीडी फ्री डिश हेडएंड पर निजी सैटेलाइट टेलीविजन चैनलों के सिग्नल को एन्क्रिप्ट करके एक शुरुआत करेगी। इसके बाद, डीडी फ्री डिश के अन्य सभी चैनल भी एन्क्रिप्टेड रूप में प्रसारित किए जा सकेंगे।
  2. एमआईबी द्वारा ऐसी अधिसूचना जारी होने के बाद, सार्वजनिक सेवा प्रसारक को ट्राई विनियमों की अपेक्षित छूट प्रदान की जाएगी।
  3. प्रसार भारती कंडीशनल एक्सेस सिस्टम (सीएएस), सब्सक्राइबर मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस) और इंटरऑपरेबल सेट टॉप बॉक्स (एसटीबी) के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर सकता है।
  4. प्रसार भारती को उपभोक्ताओं की पसंद को सशक्त बनाने हेतु ऑपरेटर-आधारित एसटीबी से पूरे इकोसिस्टम को इंटरऑपरेबल एसटीबी में बदलने के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करने के लिए डीडी फ्री डिश के इंटरऑपरेबल एसटीबी को अपनाना चाहिए। इससे हर बार सेवा प्रदाता बदलने पर एसटीबी बदलने की जरूरत खत्म हो जाएगी।
  5. एसटीबी की बिक्री और बिक्री उपरांत सेवा के लिए प्रसार भारती द्वारा निर्माताओं और वितरकों को अधिकृत करने के साथ-साथ डीडी फ्री डिश को अज्ञात प्लेटफॉर्म से ज्ञात प्लेटफॉर्म में बदलने के लिए एक रोडमैप का सुझाव एमआईबी को दिया गया है।
  6. एमआईबी निजी डीपीओ को इंटरऑपरेबल एसटीबी को अपनाने और लागू करने का निर्देश दे सकता है।

वर्तमान संशोधनों में, ट्राई ने उन मुद्दों को ध्यान में रखा है जो 8 अगस्त 2023 के परामर्श पत्र में शामिल थे। हालांकि, इन संशोधनों से संबंधित परामर्श प्रक्रिया के दौरान, विभिन्न हितधारकों द्वारा कुछ अन्य मुद्दे भी उठाए गए थे, जिनपर ट्राई द्वारा विचार के लिए एक विस्तृत परामर्श प्रक्रिया को अपनाने की आवश्यकता है। इन मुद्दों एवं सुझावों पर ध्यान दिया गया है और ट्राई प्रासंगिक मुद्दों को हल करने के लिए शीघ्र ही एक व्यापक परामर्श पत्र लेकर आएगा।

किसी भी स्पष्टीकरण/जानकारी के लिए, श्री दीपक शर्मा, सलाहकार (बी एंड सीएस), ट्राई से ईमेल आईडी: advbcs-2@trai.gov.in या टेलीफोन +91-11-20907774 पर संपर्क किया जा सकता है।

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