स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

एफएसएसएआई ने एफबीओ को फलों के रस के लेबल और विज्ञापन से शत-प्रतिशत फलों के रस होने संबंधी दावे को हटाने का निर्देश दिया

Posted On: 03 JUN 2024 8:08PM by PIB Delhi

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने एक निर्देश जारी कर सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) को फ्रूट जूस के लेबल और विज्ञापनों से ‘शत-प्रतिशत फलों के रस’ के किसी भी दावे को तत्काल प्रभाव से हटाने का निर्देश दिया है। सभी एफबीओ को 1 सितंबर, 2024 से पहले सभी मौजूदा प्री-प्रिंटेड पैकेजिंग सामग्री को समाप्त करने का भी निर्देश दिया गया है।

एफएसएसएआई के ध्यान में आया है कि कई एफबीओ गलत तरीके से विभिन्न प्रकार के फ्रूट जूस (रिकंस्टीट्यूटेड फ्रूट जूस) को लेकर यह दावा करते हुए कि वे शत-प्रतिशत फलों के रस हैं, की मार्केटिंग कर रहे हैं। गहन जांच के बाद, एफएसएसएआई ने निष्कर्ष निकाला है कि खाद्य सुरक्षा और मानक (विज्ञापन और दावे) विनियम, 2018 के अनुसार, 'शत-प्रतिशत' दावा करने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे दावे भ्रामक हैं, खासकर उन परिस्थितियों में जहां फलों के रस का मुख्य घटक पानी है और प्राथमिक घटक, जिसके लिए दावा किया जाता है, केवल लिमिटेड कंस्ट्रेशन्स में मौजूद है, या जब फलों के रस को पानी और फलों के कंस्ट्रेशन या गूदे का उपयोग करके तैयार किया जाता है।

फ्रूट जूस का 'शत-प्रतिशत फलों के रस' के रूप में मार्केटिंग और बिक्री के संबंध में जारी स्पष्टीकरण में, एफबीओ को याद दिलाया जाता है कि उन्हें खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योजक) विनियमन, 2011 के उप-विनियमन 2.3.6 के तहत निर्दिष्ट फलों के रस के मानकों का पालन करना चाहिए। यह विनियमन बताता है कि इस मानक द्वारा कवर किए गए उत्पादों को खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियमन, 2020 के अनुसार लेबल किया जाना चाहिए। विशेष रूप से, घटक सूची में, "रिकंस्टीट्यूटेड" शब्द का उल्लेख उस रस के नाम के सामने किया जाना चाहिए जिसे कंस्ट्रेशन (जूस तैयार करने का तरीका) से तैयार किया जाता है। इसके अतिरिक्त, यदि उसमें डाले गए स्वीटनर 15 ग्राम/किलोग्राम से अधिक हैं, तो उत्पाद को 'स्वीटेंड जूस' के रूप में लेबल किया जाना चाहिए।

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) देश भर में खाद्य सुरक्षा मानकों के विनियमन और पर्यवेक्षण के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा और संवर्धन के लिए समर्पित है।

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