उप राष्ट्रपति सचिवालय

आईआईपीए के 70वें स्थापना दिवस पर उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 29 MAR 2024 7:28PM by PIB Delhi

यह आईआईपीए के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है क्योंकि यह उसका 70वां संस्थापक दिवस है।

लोकतंत्र को कई पहलुओं में परिभाषित किया जाना चाहिए। लोकतंत्र के कुछ पहलू सशक्त, आवश्यक और अविभाज्य हैं और यह हमारे संविधान में शामिल है। संविधान की प्रस्तावना, विशेष रूप से संविधान के भाग 3 में मौलिक अधिकार, संविधान के भाग 4 में मौलिक कर्तव्य और अगर हम आगे देखते हैं तो हम पाएंगे कि एक संरचना तैयार है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसे फलीभूत करने के लिए, जमीनी स्तर पर इसे साकार करने के लिए लोक प्रशासन है।

आपके पास अच्छी नीतियां हो सकती हैं, महान दृष्टिकोण हो सकती है, लेकिन अगर इसे वास्तविक बनाने के लिए लागू नहीं किया जाता है, तो लोगों को लाभ प्राप्त नहीं होगा। इस प्रकार, जब मैं 1989 में लोक सभा के लिए चुना गया तो मुझे इसे नजदीकी से देखने का अवसर प्राप्त हुआ। मुझे केंद्रीय मंत्री के रूप में देश की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इसलिए, मैं सार्वजनिक व्यवस्था के मुद्दे पर, अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर, वैश्विक स्तर पर हमारी छवि पर, हमारे लोगों की आशा एवं आकांक्षा पर, उनकी हताशा को स्पष्ट रूप से याद कर सकता हूं क्योंकि मुझे इसे देखने का अवसर प्राप्त हुआ है।

यह 20 से ज्यादा पार्टियों का टकराव वाला शासन था। मेरे पास इस समय की बेहतर यादें हैं। हमारी अर्थव्यवस्था चिंता का कारण थी, हमारा विदेशी मुद्रा भंडार घट रहा था। यह 1 बिलियन डॉलर या 2 बिलियन डॉलर के बीच में फंसा हुआ था।

हमें उस दर्द को सहना पड़ा, जिसे कभी याद नहीं करना चाहिए कि हमारी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए हमारे भौतिक सोने को स्विट्जरलैंड के दो बैंकों में रखने के लिए एयरलिफ्ट किया गया था। मैं इसका गवाह रहा।

उस समय, मुझे जम्मू और कश्मीर जाने का अवसर प्राप्त हुआ। मैं प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा था। मैंने वहां की स्थिति का अवलोकन किया। हमारे पास कई पहलू थे जो चिंता का विषय थे। विश्व ने उस समय हमें विकासशील राष्ट्र भी नहीं माना। हमारी अर्थव्यवस्था उनके लिए चिंता का कारण थी। वैश्विक संस्थाएं हमारे अनुशासनात्मक प्राधिकरण के रूप में काम कर रही थीं। मैं इसका गवाह रहा।

मैं अब खुद को भाग्यशाली महसूस करता हूं कि 30 वर्षों के बाद, 2019 में जब मैं पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बना, तब देश में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। 30 वर्षों के दौरान, हमने टकराव करते हुए और शासन के माध्यम से अपनी राजनीतिक यात्रा तय की। 2014 तक एकदलीय शासन नहीं रहा। इसलिए, अगर आप उस अवधि को देखें, तो गठबंधन शासन हमारे कार्यकरण, हमारी वितरण प्रणाली और वैश्विक स्तर पर हमारी छवि के लिए अत्यधिक दुर्बल साबित हुआ। 2014 में एक बड़ा बदलाव हुआ जब एक अकेली पार्टी देश की सत्ता में आई।

मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि ऐसे कई लोग हैं जो आपकी नगन्य गलती के लिए आपको गलत बताने का इंतजार कर रहे हैं: मैं राजनीति में एक हितधारक नहीं हूं, मैं शासन का एक हितधारक हूं, मैं राष्ट्रवाद का एक हितधारक हूं।

2014 में, राजनीतिक परिदृश्य से परे, यह बहुत चिंताजनक विषय था। अगर हम अपने देश की आर्थिक स्थिति की बात करें तो हमारा देश पांच नाजुक देशों में से एक था। यह बहुत बड़ी चुनौती थी। हम पर वैश्विक संस्थाओं जैसे आईएमएफ, विश्व बैंक द्वारा पूछताछ की जा रही थी, जैसे अब हमारे पड़ोसियों से पूछताछ की जा रही है। नाजुक 5 में, हमने एक कठिन दौर पर विजय प्राप्त की और आगे बढ़े, विपरीत परिस्थितियों का मजबूती से सामना किया और सच्चाई यह है कि हम अपनी दूरदर्शी नीतियों, सकारात्मक शासन, अत्यधिक उत्पादक कार्यकारी और नागरिकों के योगदान के कारण भाग्यशाली रहे हैं। यह देश इस प्रक्रिया में शीर्ष 5 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभरा है, हमने अपने पूर्व औपनिवेशिक शासक को पछाड़कर, कनाडा, फ्रांस जैसे अन्य देशों को भी पीछे छोड़ दिया है। यह वर्तमान समय की बात है और इसे पूरा विश्व स्वीकार करता है। अगले 2 वर्षों में, अनुमान है कि भारत जापान और जर्मनी से आगे बढ़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन जाएगी।

मैं 1989 में इस बारे में सोच भी नहीं सकता था। आज देखिए हम कहां हैं। जो लोग हमें सलाह देते थे, वे हमारी सलाह ले रहे हैं। विश्व बैंक के अध्यक्ष भारत में आते हैं, हमारे डिजिटल पहुंच के बारे में बात करते हैं और कहते हैं कि भारत ने 6 वर्षों में वह प्राप्त किया है जो 40 वर्षों में प्राप्त नहीं किया जा सकता है, वह पूरी दुनिया से भारत से सबक सीखने की वकालत करते हैं। डिजिटल अवसंरचना में भारत उनकी मदद करेगा।

वैश्विक डिजिटल लेनदेन का 50% इस देश में होता है। इसके अलावा, हमारे नागरिकों में प्रौद्योगिकी के अनुकूल बनने की क्षमता है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। आपके दरवाजे पर तकनीक है; इंटरनेट का उपयोग अब हर नुक्कड़ और कोने में उपलब्ध है, इसका इष्टम उपयोग करें।

अगर हम अपनी प्रति व्यक्ति डेटा खपत को देखें तो हमारा उपभोग अमेरिका और चीन दोनों की कुल खपत से ज्यादा है, यह एक बहुत बड़ा बदलाव है।

विश्व ने कोविड-19 महामारी का सामना किया और सभी का नजर इस बात पर केंद्रित था कि 1.3 अरब की आबादी वाला देश इस चुनौती का सामना कैसे करेगा। उनके पास अपना कोई टीका नहीं है। देश में बहुत विविधता है और अराजकता उत्पन्न हो सकती है।

लेकिन उस समय, हमारे पास दूरदर्शी नेतृत्व था। लोग अब समझ रहे हैं कि दीया जलाने का क्या मतलब होता है, कर्फ्यू का क्या मतलब होता है, कोविड योद्धाओं के लिए ताली बजाने का क्या मतलब होता है।

हमने न केवल अपने देशवासियों का ख्याल रखा, बल्कि हमने कोवैक्सिन के साथ 100 अन्य देशों की सहायता की। इसके माध्यम से नरम कूटनीति के एक बहुत शक्तिशाली क्षण उत्पन्न हुए।

जब मैं वैश्विक नेताओं से मिलता हूं तो वे बताते हैं कि वे कोवैक्सीन देने के लिए भारत के प्रति आभारी हैं, जबकि यह उन्हें उपहार के रूप में दिया गया था।

अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान का एकमात्र अनुच्छेद है जो अस्थायी है। किन कारणों से उन्हें स्थायी माना गया यह मैं समझ नहीं पा रहा हूं, जिन लोगों ने संविधान के अंतर्गत शपथ ग्रहण किया, वे संसद के सदस्य बने, उनके स्वयं के दावे के विपरीत वह इसे हटा नहीं सके।

कुछ लोग जो अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करते हैं, शक्ति को नियंत्रित करते हैं, और अपने आप का लाभ देखते हैं और गायब हो जाते हैं। एक बड़ी उपलब्धि, लेकिन मेरे लिए, दृश्य अलग है। मैं 1990 में मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में वहां गया था। मैं चारों ओर लगातार चुप्पी देखता हूं। अब जीवंतता दिखती है। आंकड़ों पर ध्यान दें। इसका क्या हुआ?

दूसरे पहलू पर आएं: महिलाएं विकास का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अगर उन्हें देय राशि प्रदान  की जाती है तो आपकी अर्थव्यवस्था में भारी उछाल आएगा, और पहला देय तब उन्हें प्राप्त होगा जब वे नीति निर्माण का हिस्सा बनेंगी। लगभग तीन दशकों तक, ईमानदार प्रयास किए गए, लेकिन किसी न किसी कारण से वे सफल नहीं हुए। आज प्रयास फलीभूत हुए, इस देश की आधी मानवता के साथ न्याय हुआ। सितंबर 2023 में, संसद ने लोकसभा और राज्य विधानमंडल में महिलाओं की भागीदारी को 33 प्रतिशत का आरक्षण देने के लिए कानून पारित हुआ और इसमें सामाजिक न्याय का एक अंतर्निहित पहलू शामिल है। अगर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण है, तो यहां आरक्षण क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर है, अनुसूचित जनजाति का एक तिहाई महिलाओं को प्रतिनिधित्व प्रदान करता है, अनुसूचित जाति के बारे में भी यह एकसमान है। किसी ने कल्पना नहीं की थी कि ऐसा भी होगा।

हम आगे बढ़ते हैं। हम कानून औपनिवेशिक नियमों से पीड़ित थे। यह दर्दनाक था। शासकों द्वारा दंड प्रावधान किए गए थे। ये अधिकारी बहुत कठोर और निष्ठुर थे। उन्होंने एक संप्रभु राष्ट्र में नागरिकों के अधिकारों का हनन किया। दंड विधान को न्याय विधान बना दिया।

वैश्विक छवि को देखें। यह बाली था जब प्रधानमंत्री ने जी20 की जिम्मेदारे संभाली, 2023 में हमारी अध्यक्षता थी। भारत ने इसे गुणात्मक, लोकतांत्रिक और अत्यधिक प्रभावशाली कोण प्रदान किया। लगभग 60 स्थानों पर, यह सभी भारतीय क्षेत्रों और सभी राज्यों में पहुंचा। जी-20 एक समारोह था और जो संतोषप्रद बात यह है सहकारी संघवाद पूरे जोर पर रहा। सभी राज्य सरकारों ने इसमें उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम हर राज्य में सफल रहा और फिर हमने जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। यह भारत मंडपम में हुआ था, जो शीर्ष 10 वैश्विक सम्मेलन केंद्रों में से एक था। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत किया।

भारत एक स्थिर वैश्विक समावेशिता में विश्वास करता है। इसलिए, जी-20 ने इस देश के दूरदर्शी नेतृत्व की बदौलत अफ्रीकी संघ को एक सदस्य के रूप में शामिल किया।

वैश्विक दक्षिण, दुनिया में एक बड़ा हिस्सा, को नजरअंदाज किया गया था, लेकिन भारत वैश्विक दक्षिण की सबसे प्रमुख आवाज बना। सब जानते हैं कि आज वैश्विक दक्षिण क्या है।

इसके अलावा, जैव ईंधन के साथ व्यापार के मामले में इस पर ध्यान केंद्रित किया गया। हजारों वर्षों पहले हमारे पास एक व्यापार तंत्र था, लेकिन देखिए कि आज भारत की स्थिति पश्चिम एशिया और यूरोप में कहां है। यह सभी के लिए विशाल अवसर प्रदान करता है।

जी-20 दुनिया में चिह्नित किया गया। सभी ने इसकी सराहना की और मेरा विश्वास है कि सभी ने एक धारणा बनायी: जी-20 का आयोजन के साथ भारत जिस स्तर पर पहुंचा है, उस स्तर तक पहुंचना किसी देश के लिए मुश्किल होगा।

जी-20 के साथ, हमारे पास पी-20 थाऔर वह यशोभूमि में आयोजित किया गया था। कोई नहीं जानता कि यह कहां से आया और अचानक हम अपने देश में पाते हैं कि हमारे पास ऐसी सुविधा है जो दुनिया में हमें सर्वश्रेष्ठ बनाती है।

हमारे राजमार्गों को देखें, सड़क, रेल और आकाश पर हमने जो संपर्क स्थापित किया है, उसे देखें। विश्व मानता है कि भारत नंबर 1 बनने की शक्ति रखता है

हम एक निंद्रा में गए हुए एक विशाल जनसमूह नहीं हैं; हम एक ऐसा देश हैं जो आगे बढ़ रहे हैं। हमारी वृद्धि अजेय है, वृद्धि समृद्ध है, और मेरा विश्वास है कि यह  वृद्धि ऊर्ध्वाधर होगी, बस समय की बात है।

अमृत काल में हमने भारत @2047 को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए एक मजबूत नींव रखी है। मुझे कोई संदेह नहीं है। हो सकता है कि मैं आसपास न रहुं लेकिन सामने की पंक्ति में कुछ बहुत प्रतिष्ठित लोग रहेंगे।

2047 के लिए एक मैराथन मार्च है। अब, मेरे युवा मित्र इसका हिस्सा हैं। आप इस मार्च के योद्धा हैं। आपके पास भारत @ 2047 को अपने चरम पर पहुंचाने का अवसर है।

अगर हम प्रौद्योगिकी की बात करते हैं, तो रेडियो, टेलीविजन के संबंध में भी, हम पश्चिम की ओर देखते रहे हैं। हमारे पास उनके मॉडल का रेडियो, उनके मॉडल का टेलीविजन कब होगा? अब हम क्वांटम कंप्यूटिंग से आगे बढ़ने वाले हैं। हमारा एक मिशन है, इस देश में 6,000 करोड़ रुपये का समर्पित फंड काम कर रहा है। दुनिया में, ऐसे भी देश हैं जो इसके दहाई अंकों में भी नहीं हैं।

हमारे हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए 9,000 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। 2030 तक, यह रोजगार और निवेश के मामले में गेम-चेंजर साबित होगा। विघटनकारी प्रौद्योगिकियों पर हम अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम दूसरों से आगे हैं। यह एक चुनौती और अवसर है जिसे विनियमित शासन कहा जा सकता है। इस पर काम करते हुए दूसरों से बहुते आगे हैं।

हमारे सामने चुनौतियां हैं और चुनौतियां ज्यादातर हमारे अंदर हैं और बाहर से समर्थित हैं। भारत के विकास को कुछ वर्ग पचा नहीं पा रही हैं। अपनी सभ्यता, अर्थव्यवस्था, जनसंख्या, लोकतांत्रिक व्यवस्था के आधार पर भारत वैश्र्विक पटल पर परचम लहराता रहेगा। हमारे पास वैश्विक स्तर पर एक वैश्विक संगठन संयुक्त राष्ट् है। हमें वहां रहने की आवश्कता है। संयुक्त राष्ट्र संस्था तब तक उतनी उत्पादक और प्रभावी नहीं हो सकती है जब तक वहां भारत जैसे देश का प्रतिनिधित्व शामिल न हो, जिसे सभी स्तरों पर संवैधानिक रूप से जीवंत लोकतंत्र के साथ विश्व का एकमात्र देश होने का अद्वितीय स्थान प्राप्त है। हमारा संविधान लोकतंत्र को संरक्षण प्रदान करता है, जहां पर देश में, राज्यों में, जिलों में, गांवों में, नगरपालिकाओं में चुनाव होता है।

लोकतंत्र का तब तक कोई मतलब नहीं होता है जब तक कि कानून का शासन, एक मौलिक पहलू, कानून के समक्ष समानता न हो। अगर मेरे पास किसी और की तुलना में समान अधिकार नहीं हैं, तो मेरी ऊर्जा कम हो जाएगी। मैं लोकतंत्र का लाभ नहीं उठा पाउंगा। लोकतंत्र में अपनी वंशावली की अनदेखी करते हुए सभी को एक समान बनना होगा। वह पहले नहीं था। विशेषाधिकार, वंशावली, कुछ लोगों ने सोचा कि हम इसका हिस्सा हैं, हम कानून से ऊपर हैं, हम कानून से प्रतिरक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उसे ध्वस्त किया गया है। कानून के समक्ष समानता एक नया मानदंड है।

जब कानून का शासन है तो किसी व्यक्ति या संस्था के सड़क पर उतरने की क्या आवश्यकता है? हमारी न्यायिक प्रणाली तक सबकी पहुंच है और हमारी न्यायपालिका ने अपनी शक्ति, अपनी स्वतंत्रता, समझ, जन-केंद्रित दृष्टिकोण की पुष्टि की है।

भ्रष्टाचार लंबे समय से हमारे समाज के लिए अभिशाप रहा है। एक युवा प्रधानमंत्री ने अफसोस व्यक्त किया कि हमने बड़े पैमाने पर लोगों को लक्षित किया लेकिन केवल 15 प्रतिशत लोगों तक ही उसका लाभ पहुंचा। लेकिन अब इस प्रक्रिया में कोई छेद नहीं है, कोई भ्रष्टाचार नहीं है। एक वर्ग ने भ्रष्टाचार को नियंत्रित किया है। उन्होंने सत्ता के गलियारों के हर नुक्कड़ और कोने में निवेश किया है. उन्होंने सत्ता के गलियारों को नियंत्रित किया। उन्होंने निर्णय लेने में अतिरिक्त कानूनी अधिकारों का उपयोग किया है। निर्माण भ्रष्टाचार को पुरस्कृत कर रहा था। भ्रष्टाचार से आपको रोजगार, एक पद, एक अवसर, एक नौकरी नहीं मिल रही थी। स्थिति बहुत चिंताजनक थी। अगर हम कुछ वर्ष पहले सार्वजनिक डोमेन में जाकर देखें, तो प्रणाली इतनी बर्बाद हो गई थी कि मंत्रियों की नियुक्ति कानून के शासन से परे निर्धारित की जा रही थी। उस भ्रष्टाचार को चुनौती दी गई। अब, भ्रष्टाचार को पुरस्कृत नहीं किया जाता है। भ्रष्टाचार अब अवसर, रोजगार या अनुबंध का मार्ग नहीं है क्योंकि यह जेल का रास्ता बन चुका है।

हमें समझना होगा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) हमारी सभ्यता के लिए उपयुक्त है। हम उन लोगों को घर दे रहे हैं जो सताए हुए हैं। हम उन लोगों के लिए हैं जिन्हें कहीं और से बाहर निकाल दिया गया है जिसमें पारसी, यहूदी, जैन,बौद्ध शामिल हैं।

सीएए द्वारा जो किया गया, मैं कहूंगा कि देर से ही सही, बहुत देर से उन लोगों के साथ न्याय हुआ जो इस देश में एक कठिन परिस्थिति में थे, बाहर निकाले गए, अपने धर्म के लिए सताए गए, और वे इस देश में एक दशक से ज्यादा समय से हैं क्योंकि अंतिम तिथि 2014 है। यह अब निमंत्रण के लिए नहीं है क्योंकि वे पहले से ही इस देश में हैं। और यह दर्दनाक विभाजन के समय हमारी प्रतिबद्धता में हो सकता है लेकिन कुछ लोग इसे भेदभावपूर्ण मानते हैं।

यह कैसे भेदभावपूर्ण हो सकता है, किसी को भी इस देश की नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोका जा रहा है। किसी भी देश का कोई भी व्यक्ति इस देश की नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकता है। यह पहले की तरह है, कोई बदलाव नहीं है। इस पर क्या गुण-दोष के आधार पर विचार किया जाएगा? क्या किसी को अधिनियम के अंतर्गत नागरिकता से वंचित किया गया है?

ये बातें हमारी छवि, हमारी संस्था को कलंकित करने, धूमिल करने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। हमें अपने मन की बात कहने की आवश्यकता है; हमारी चुप्पी हमारे कानों में गूंजेगी। इतिहास में एक अवसर आया जब मैं अपनी बात कह सकता था, लेकिन मैं चुप रहा।

हाल ही में, लोग हमें कानून के शासन के बारे में बता रहे हैं। यूरोप एक विकसित लोकतंत्र है, उन्हें अपने बारे में सोचने की आवश्यकता है। उन्हें अपने मामलों में सोचने की आवश्यकता है। भारत मजबूत न्यायिक प्रणाली वाला एक लोकतांत्रिक देश है। इसमें किसी व्यक्ति या समूह द्वारा समझौता नहीं करवाया जा सकता है। यह अद्वितीय है। यह न्यायपालिका की वह संस्था है जिसने आधी रात को बैठक किया, छुट्टी के दिन बैठक किया, राहत प्रदान किया। क्या हम अपनी संस्था को इसलिए निशाना बना रहे हैं क्योंकि वह एक विशेष रूप से संचालित होते हैं? संस्था का इस मुद्दे पर एक दृष्टिकोण है।

पंजीकृत या मान्यता प्राप्त पार्टी के बिना लोगों का एक समूह एक राजनीतिक दल के रूप में कार्य कर रहा है। हम क्या कर सकते हैं?  वे जवाबदेह नहीं हैं। उन्हें वाहवाही मिलती है। हमें इससे ऊपर उठना होगा।

मेरा दृढ़ विश्वास है कि राष्ट्रवाद के लिए कोई बातचीत नहीं हो सकती है। यह वैकल्पिक नहीं है। आपके माध्यम से, मैं यह भी अपील करूंगा कि आर्थिक राष्ट्रवाद, राष्ट्रवाद की अवधारणा में गहराई से अंतर्निहित है। स्थानीय या "सब भारतीय" के लिए मुखर होना होगा। अगर हम इसका अभ्यास करते हैं, तो हम विदेशी मुद्रा में अरबों डॉलर बचाएंगे। हम अपने लिए ज्यादा काम उत्पन्न करेंगे। हम एक ऐसी स्थिति में पहुंचेंगे जहां उद्यमशीलता विकसित होगी।

मित्रों, भारत अब किसी भी विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार है। हमारे रॉकेट ने उड़ान भरी। भारत के लिए रॉकेट की तरह उठना मुश्किल था, लेकिन रॉकेट ने उड़ान भरी; अब हमारा रॉकेट गुरुत्वाकर्षण बल से बाहर निकल गया।

मैं बोल सकता हुं,

हम आसमान के ऊपर जा चुके हैं|

हम तो चंद्रयान को चांद पर ले जा चुके हैं।

आप जानते हैं, इंटरनेशनल एयरोनॉटिकल सोसाइटी ने आधिकारिक रूप से शिव शक्ति बिंदु घोषित किया है। हमें सबसे पहले अपनी मजबूत न्यायिक प्रणाली, हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने में राष्ट्र-विरोधी विचारों को निष्प्रभावी बनाने के लिए बहुत सावधान और संवेदनशील बनना होगा।

मैं यह कहते हुए मैं अपनी बात समाप्त करता हूं कि हमें भारतीय होने पर गर्व है। हम अपने ऐतिहासिक अभूतपूर्व विकास पर गर्व करते हैं और हम इस भारत को एक वैश्विक नेता मानते हैं क्योंकि भारत का एक वैश्विक नेता होने का मतलब है कि हम एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की विचारधारा में जीते है, और हमने इसे जी-20 में नहीं गढ़ा है; यह सदियों से हमारी विधिवताओं में प्रदर्शित हुआ है और यह वर्षों से कायम है।

मुझे आमंत्रित करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!

 

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एमजी/एआर/एके/डीए



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