खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
‘सुफलम 2024 में नवाचार और सहयोग पर मुख्य जोर’
Posted On:
16 FEB 2024 11:49AM by PIB Delhi
स्टार्ट अप फोरम फॉर एस्पायरिंग लीडर्स एंड मेंटर्स (सुफलम) 2024 का समापन इस संदेश के साथ हुआ कि खाद्य प्रसंस्करण के विभिन्न पहलुओं में नवाचार, सहयोग और उन्नत प्रौद्योगिकियां खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में स्टार्ट-अप को स्थापित खाद्य व्यवसायों में बदलने में प्रमुख प्रेरक की भूमिका निभातीं हैं।
13 और 14 फरवरी 2024 को नई दिल्ली में आयोजित इस दो-दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री पशुपति कुमार पारस ने कृषि एवं किसान कल्याण तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री श्रीमती शोभा करंदलाजे, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में सचिव श्रीमती अनीता प्रवीण, कुंडली स्थित एनआईएफटीईएम के निदेशक डॉ. हरिंदर ओबेरॉय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में अपर सचिव श्री मिन्हाज आलम की गरिमामयी उपस्थिति में किया। इस आयोजन में 250 से अधिक हितधारकों की भागीदारी देखी गई, जिसमें स्टार्ट-अप, खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी, एमएसएमई व वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधि, उद्यम पूंजीपति और शिक्षाविद शामिल थे। दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में तीन ज्ञान सत्र, दो पिचिंग सत्र, दो पैनल चर्चा, नेटवर्किंग सत्र और एक प्रदर्शनी शामिल थी। स्टार्ट-अप - सिंहावलोकन एवं लाभों से जुड़े ज्ञान सत्र के दौरान, प्रतिभागियों को स्टार्टअप इंडिया की भूमिका, स्टार्टअप इंडिया के तहत मेंटरशिप एवं नवाचारों से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों और इस पहल द्वारा देश में स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में मदद करने के बारे में बताया गया। खाद्य विनियमों से जुड़े अन्य ज्ञान सत्र के दौरान, प्रतिभागियों को एफएसएसएआई एवं ईआईसी नियमों के अनुसार विभिन्न खाद्य उत्पादों के घरेलू उपयोग, आयात और निर्यात में विभिन्न नियमों, प्रमाणपत्रों और अनुपालनों के बारे में उचित जानकारी दी गई। ताजा और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा के तहत विभिन्न योजनाओं के बारे में नई जानकारी स्टार्ट-अप के लिए व्यवसाय और वित्तीय मॉडलिंग थी, जिसमें व्यवहार्यता और स्थिरता दिखाने वाली व्यवसाय योजना की तैयारी और किसी भी व्यवसाय की वित्तीय योजना में मुक्त नकदी प्रवाह के महत्व एवं उचित नकदी प्रवाह प्रबंधन पर स्टार्ट-अप को विभिन्न सुझाव दिए गए थे।
खाद्य प्रणालियों को बदलने से जुड़ी पैनल चर्चा कच्चे माल के विविधीकरण, शैवाल एवं मिलेट्स जैसे जलवायु-अनुकूल विकल्पों और उद्यमिता में रचनात्मकता पर केंद्रित थी। खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा करने एवं आपूर्ति श्रृंखलाओं को अनुकूलित करने हेतु प्रसंस्करण मशीनरी, कच्चे माल और नवीन कृषि-तकनीकी उपायों की डिजाइनिंग पर प्रकाश डाला गया। कच्चे माल की सोर्सिंग में हस्तक्षेप, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों और टिकाऊ पैकेजिंग में अवसरों की खोज और निरंतर नवाचारों के लिए सहयोग पर भी चर्चा की गई।
खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े उद्यमियों के लिए स्टार्ट-अप कॉन्क्लेव पर सत्र के दौरान, खाद्य नवाचार केंद्र के रूप में भारत की क्षमता, उद्योग, स्टार्ट-अप और संस्थानों के बीच समन्वय की आवश्यकता पर बल देते हुए चर्चा की गई। मुख्य चर्चाएं उपभोक्ता प्राथमिकताओं और अनुपालन मानकों के अनुरूप टिकाऊ पैकेजिंग के महत्व पर केंद्रित थीं। स्टार्ट अप से गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की सोर्सिंग, किसानों के साथ सहयोग करने और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों और किफायती पोषण-आधारित उत्पादों में उद्यम करने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया गया। यह सत्र निरंतर नवाचार के लिए सभी क्षेत्रों में, विशेष रूप से क्रेडिट नवाचार और क्रॉस-उद्योग साझेदारी के माध्यम से सहयोग पर जोर देने के साथ संपन्न हुआ।
दोनों ही दिन निर्धारित दो पिचिंग सत्रों में बारह चयनित स्टार्ट-अप ने खाद्य प्रौद्योगिकीविदों, एसबीआई और एचडीएफसी बैंक के शीर्ष बैंकिंग अधिकारियों, वीसी, एनआईएफटीएम के संकाय और उद्योग पेशेवरों के एक पैनल के सामने अपने विचार पेश किए। छह स्टार्ट-अप को उत्पाद परिशोधन, बाजार लिंकेज के साथ-साथ निवेशक जुड़ाव के बारे में सलाह एवं सहायता की पेशकश की गई। पैनलिस्टों ने इस पहल का स्वागत किया और उभरते छोटे उद्यमों को मार्गदर्शन एवं मार्गदर्शन हेतु भविष्य में ऐसे प्रयासों के लिए समर्थन की पेशकश की। इस दो-दिवसीय कार्यक्रम के दौरान 26 स्टार्ट-अप, नौ पीएमएफएमई लाभार्थियों और तीन सरकारी एजेंसियों सहित कुल 38 प्रदर्शकों ने अपने उत्पादों, योजनाओं और प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया। इसके अलावा, स्टार्ट-अप और उद्योग के बीच अलग-अलग नेटवर्किंग सत्र भी हुए, जहां स्टार्ट-अप को मदद और तकनीकी सहायता देने पर चर्चा हुई।
सुफलम 2024 ने परिवर्तनकारी चर्चाओं के एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया है और इन चर्चाओं ने नवाचार-संचालित विकास की दिशा में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का मार्ग प्रशस्त किया है तथा स्टार्ट-अप, उद्योग और शिक्षाविदों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया है।
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