संस्‍कृति मंत्रालय
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पहली बार 100 महिला कलाकार पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत करेंगी


सरकार ने 'अनंत सूत्र' प्रदर्शनी के माध्यम से नारी शक्ति को नमन किया

संस्कृति मंत्रालय की झांकी "लोकतंत्र की जननी" लोकतंत्र के विकास को प्रदर्शित करती है, जो पारंपरिक मतपत्रों से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में परिवर्तन को प्रदर्शित करती है

Posted On: 23 JAN 2024 8:00PM by PIB Delhi

पहली बार, 100 महिला कलाकार अपने-अपने राज्यों की वेशभूषा में, 'विकसित भारत' (डेवलप्ड इंडिया) और 'भारत: लोकतंत्र की जननी' (इंडिया: मदर ऑफ डेमोक्रेसी) विषय पर शंख, ड्रम, और अन्य पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाते हुए परेड की शुरुआत करेंगी। साथ ही पहली बार 30 राज्यों की 1,500 महिला कलाकार लोक और शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत करेंगी। इसके साथ ही कर्तव्य पथ पर सभी राज्यों की करीब 1900 साड़ियां प्रदर्शित की जाएंगी। संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने यह जानकारी दी। वह 23 से 31 जनवरी तक गणतंत्र सप्ताह के दौरान संस्कृति मंत्रालय के विभिन्न सांस्कृतिक घटकों के संबंध में राष्ट्रीय मीडिया केंद्र, नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। श्री गोविंद मोहन, सचिव, संस्कृति मंत्रालय; श्रीमती उमा नंदूरी, संयुक्त सचिव संस्कृति, श्रीमती अमिता प्रसाद सरभाई, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी और संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा भी सम्मेलन के दौरान उपस्थित थे।

 

श्री गोविंद मोहन ने अपने शुरुआती संबोधन में अधिक समावेशी प्रतिनिधित्व की दिशा में उठाए गए एक कदम पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "सरकार के दर्शन के अनुरूप, हमारा लक्ष्य गणतंत्र दिवस और गणतंत्र सप्ताह के पारंपरिक पालन में सांस्कृतिक तत्वों के एकीकरण को मजबूत करना है। परंपरागत रूप से देश की सैन्य क्षमताओं को प्रदर्शित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है और इस फोकस के साथ कोई समझौता नहीं किया गया है। सरकार की नीतियों में अब हमारे देश की विविध संस्कृति की अधिकाधिक प्रस्तुति का समावेश किया जा रहा है। उन्होंने दोहराते हुए कहा कि इस बार, सांस्कृतिक प्रदर्शन बड़े पैमाने पर होने की उम्मीद है, जिसमें कलात्मक और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित होगी। इस दृष्टिकोण में देश के सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ व्यापक जुड़ाव पर जोर देते हुए उसे बढ़ावा दिया जाएगा। इसका उद्देश्य 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के आदर्श वाक्य में समाहित "अनेकता में एकता" के संदेश को प्रभावी ढंग से व्यक्त करना है, जो समग्र शासन की आधारशिला और मूलभूत नीति के रूप में विद्यमान है।

 

संगीत नाटक अकादमी की अध्यक्ष डॉ. संध्या पुरेचा ने बताया कि गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत हमेशा से मिलिट्री बैंड से होती आई है  हालांकि, इस बार महिला कलाकार पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ परेड की शुरुआत करेंगी।  ये महिला कलाकार पिछले एक महीने से नृत्य प्रस्तुतियों का अभ्यास कर रही हैं।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद ने इस बात का उल्‍लेख किया कि 75वें गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत पराक्रम दिवस से हुई, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने लाल किला परिसर में किया। लाल किला परिसर में सात दिनों तक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। लाल किले से नेताजी के संबंधों के कारण इस स्थान का चयन किया गया है। ललित कला अकादमी और राष्ट्रीय अभिलेखागार विभिन्न प्रदर्शनियां लगा  रहे हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पत्रों और ऑडियो भाषणों सहित उनके जीवन से संबंधित आवश्यक दस्तावेज प्रदर्शित किए जा रहे हैं। रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक भी यहां मौजूद रहेंगे। इसके अतिरिक्त, एक 270 डिग्री का थियेटर बनाया गया है, जहां उनके जीवन पर आधारित वीडियो देखा जा सकता है, जिसकी पटकथा अतुल तिवारी ने लिखी है। ये कार्यक्रम 31 जनवरी तक चलेंगे।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इस बार कर्तव्यपथ पर 'अनंत सूत्र' नाम से एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। कर्तव्य पथ के दोनों किनारों पर आयोजित इस प्रदर्शनी के लिए इंदिरा गांधी  राष्ट्रीय कला केंद्र नोडल एजेंसी है। 'अनंत सूत्र' के माध्यम से हम नारी शक्ति को नमन कर रहे हैं। विशेष रूप से, एक 'क्यूआर कोड' प्रदान किया गया है, जिसे स्कैन करने पर, सीधे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की वेबसाइट पर पहुंचा जा सकता है और साड़ी के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। कश्मीर और पंजाब की कोटा पंथी कला को प्रदर्शित करने वाली 150 साल पुरानी साड़ी भी प्रदर्शित की जाएगी।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस बार संस्कृति मंत्रालय की झांकी का विषय ‘लोकतंत्र की जननी’ है। उन्होंने इस तथ्य का उल्लेख किया कि संस्कृति मंत्रालय द्वारा 'लोकतंत्र की जननी' विषय पर किए गए व्यापक शोध नए संसद भवन की कलाकृति में परिलक्षित होते हैं। झांकी के पहले झलकी में वैदिक काल या उससे पहले के समय में लोकतांत्रिक परंपराओं के पालन को दर्शाया जाएगा, जिसमें अशोक के जूनागढ़ के शिलालेख की प्रतिकृति होगी। उन्होंने आगे कहा कि  हमने अपने दूसरे ट्रैक्टर पर एक ऐसी छवि प्रदर्शित की है, जिसमें प्रारूप समिति के अध्यक्ष बाबा साहेब अंबेडकर को संविधान समिति के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान प्रस्तुत करते हुए दिखाया गया है। भारतीय गणतंत्र के 75वें वर्ष का उत्सव मनाते हुए, इस ऐतिहासिक क्षण को फिर से स्मरण करना उचित है। इसके अतिरिक्त, हमारे पास एक ऐसी अनूठी प्रस्तुति है, जिसे संभवतः पहली बार कर्तव्य पथ पर दिखाया जायेगा। इस झांकी की विशिष्टता 3-डी तकनीक के माध्यम से कंटेंट प्रस्तुत करने में निहित है, जिसे ‘एनामॉर्फिक’ कहा जाता है। यह पारंपरिक मतपत्रों से आगे बढ़कर ईवीएम के उपयोग को प्रदर्शित करते हुए लोकतंत्र के विकास को दर्शाएगा।

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(Release ID: 1999373)