शिक्षा मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा - स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग
संशोधित समग्र शिक्षा योजना 2,94,283.04 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 2025-26 तक जारी रहेगी समग्र शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश के साथ जोड़ा गया है समतामूलक और समावेशी शिक्षा पर राष्ट्रीय दिशानिर्देश और कार्यान्वयन ढांचे को अंतिम रूप दिया गया और वितरित किया गया परख (समग्र विकास के लिए प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण), एनसीईआरटी द्वारा स्थापित एनईपी 2020 की सिफारिशों के बाद, जादुई पिटारा और कक्षा I और II के लिए पाठ्यपुस्तकें प्रस्तुत की गयीं स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ-एसई) जारी की गयी पीएम पोषण योजना में 12 करोड़ से अधिक बच्चे शामिल लगभग 4.11 लाख स्कूलों में स्कूल पोषण उद्यान (एसएनजी) विकसित किये गये उल्लास: समाज में सभी के लिये आजीवन सीखने की समझ योजना के तहत विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गयीं स्कूलों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय नीति घोषित की गयी छह लाख से अधिक स्कूल इससे जुड़े और 4.5 लाख से अधिक स्वयंसेवकों ने विद्यांजलि पोर्टल पर पंजीकरण कराया, जिससे 60 लाख से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित हुये देश भर के स्कूलों में दो करोड़ विद्यार्थियों ने नियमित एक भारत श्रेष्ठ भारत गतिविधियों में भाग लिया चेन्नई, अमृतसर, भुवनेश्वर और पुणे में जी20 शिक्षा कार्य समूह की बैठकें और प्रदर्शनियाँ आयोजित की गयीं सभी 500 आकांक्षी विकासखंडों के स्कूलों में ‘संकल्प सप्ताह’ का आयोजन
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07 JAN 2024 11:26AM by PIB Delhi
- समग्रशिक्षा
समग्रशिक्षा, प्रीस्कूल से कक्षा 12 तक स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिये एक व्यापक कार्यक्रम, 2017 में सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) की तीन पूर्ववर्ती योजनाओं को शामिल करके स्कूली शिक्षा के लिये समान अवसरों और समान सीखने के परिणामों के संदर्भ में मापी गयी स्कूल प्रभावशीलता में सुधार के व्यापक लक्ष्य के साथ तैयार किया गया था।), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) और शिक्षक शिक्षा (टीई)। यह योजना शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी-4) के अनुरूप है।
सरकार ने 2,94,283.04 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ संशोधित समग्र शिक्षा योजना को पांच साल की अवधि यानी 2021-22 से 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है, जिसमें 1,85,398.32 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है। समग्रशिक्षा को पूरी तरह से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश के अनुरूप बनाया गया है।
योजना के प्रमुख उद्देश्य हैं: (i) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) की सिफारिशों को लागू करने में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का समर्थन करना, (ii) बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के कार्यान्वयन में राज्यों का समर्थन करना, (iii) प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा पर ध्यान दें, (iv) मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर जोर, (v) छात्रों में 21वीं सदी के कौशल प्रदान करने के लिये समग्र, एकीकृत, समावेशी और गतिविधि आधारित पाठ्यक्रम और शिक्षाशास्त्र पर जोर देना, (vi) गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रावधान और छात्रों के सीखने के परिणामों को बढ़ाना, (vii) स्कूली शिक्षा में सामाजिक और लैंगिक अंतर को पाटना, (viii) स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर समानता और समावेशन सुनिश्चित करना, (ix) शिक्षक प्रशिक्षण के लिए नोडल एजेंसी के रूप में राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषदों (एससीईआरटी)/राज्य शिक्षा संस्थानों और जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों (डीआईईटी) का सुदृढ़ीकरण और उन्नयन, (x) सुरक्षित, संरक्षित और अनुकूल शिक्षण वातावरण सुनिश्चित करना और स्कूली शिक्षा प्रावधानों में मानकों का रखरखाव करना और (xi) व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देना।
इस योजना के तहत स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर प्रस्तावित प्रमुख हस्तक्षेप हैं (i) बुनियादी ढांचे के विकास और अवधारणा सहित सार्वभौमिक पहुंच, (ii) मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता, (iii) लिंग और समानता, (iv) समावेशी शिक्षा, (v) गुणवत्ता और नवीनता, (vi) शिक्षक वेतन के लिये वित्तीय सहायता, (vii) डिजिटल पहल, (viii) वर्दी, पाठ्यपुस्तकें आदि सहित आरटीई पात्रतायें, (ix) ईसीसीई के लिये समर्थन, (x) व्यावसायिक शिक्षा, (xi) खेल और शारीरिक शिक्षा, (xii) शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण को सुदृढ़ बनाना, (xiii) निगरानी, (xiv) कार्यक्रम प्रबंधन, और (xv) राष्ट्रीय घटक।
एक जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक की गयीं गतिविधियों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
1) 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने कक्षा एक के छात्रों के लिए विद्याप्रवेश - 3 महीने का खेल-आधारित ‘स्कूल तैयारी मॉड्यूल’ लागू किया है और 8,45,128 स्कूलों (96.3 प्रतिशत) के कुल 1,01.84,529 छात्रों (71.9 प्रतिशत) को 2023 में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में विद्याप्रवेश कार्यक्रम के तहत कवर किया गया था।
2) स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र उन्नति के लिये राष्ट्रीय पहल (निष्ठा) का विस्तार ईसीसीई के लिये मास्टर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण सहित स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर शिक्षकों को कवर करने के लिये किया गया। नामांकित 69751 मास्टर ट्रेनर्स में से, 32648 को अब तक 30 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्रमाणित किया जा चुका है।
3) समग्रशिक्षा के तहत प्रदान किये गये विद्या समीक्षा केंद्र (वीएसके) की स्थापना का प्रावधान और अब तक, वीएसके राष्ट्रीय स्तर पर एनसीईआरटी, सीबीएसई और 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (महाराष्ट्र, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश) में स्थापित किया
गया है।
4) समग्रशिक्षा के तहत बीआरसी में प्रत्येक ब्लॉक/यूएलबी में करियर काउंसलिंग के लिये एक अकादमिक रिसोर्स पर्सन के प्रावधान के लिये अगस्त 2023 में दिशानिर्देश जारी किये गये, ताकि छात्रों को उनकी पसंद, आवश्यकता और ताकत के अनुसार उपलब्ध विभिन्न करियर अवसरों को जानने में सक्षम बनाया जा सके।
5) शिक्षकों के प्रशिक्षण की पुन: कल्पना करने के उद्देश्य से, जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों को समग्र शिक्षा के
तहत उत्कृष्टता के जीवंत संस्थानों के रूप में विकसित किया जा रहा है। समग्र शिक्षा के माध्यम से अगले पांच वर्षों में चरणबद्ध तरीके से देश के सभी 613 कार्यात्मक डीआईईटी को 9,195 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर उत्कृष्ट डीआईईटी में अपग्रेड किया जायेगा। यह योजना वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 120 डीआईईटी के साथ शुरू होगी।
6) राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण हर तीन साल में एक बार आयोजित किया जाता है और अब अंतरिम वर्षों में भी आकलन करने के लिये राज्यों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। तदनुसार, राज्य शैक्षिक उपलब्धि सर्वेक्षण (एसईएएस) नवंबर 2023 में ग्रेड 3, 6 और 9 के शिक्षार्थियों को कवर करते हुये आयोजित किया गया था। एसईएएस को एनईपी 2020 के साथ जोड़ा गया है और इसे एनएएस के साथ आयोजित किया जायेगा।
7) कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जैसे वंचित समूहों से संबंधित कक्षा छह से बारहवीं तक की लड़कियों के लिये आवासीय विद्यालय हैं। वर्तमान में देश भर के 5,074 केजीबीवी में लगभग 6.91 लाख छात्रायें नामांकित हैं।
8) सीडब्ल्यूएसएन घटक के लिए समावेशी शिक्षा:
एनईपी 2020 विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) को फाउंडेशनल स्टेज से लेकर उच्च शिक्षा तक नियमित स्कूली शिक्षा प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग लेने का प्रावधान करता है। समग्रशिक्षा के अभिन्न अंग के रूप में सीडब्ल्यूएसएन की शिक्षा के लिये एक समर्पित समावेशी शिक्षा घटक है। वर्ष 2023-24 के दौरान, समग्र शिक्षाविज़ के तहत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए निम्नलिखित प्रावधानों को मंजूरी दी गयी थी,
समग्रशिक्षा वर्तमान में 1470.40 करोड़ रुपये के अनुमानित परिव्यय के साथ प्री-प्राइमरी से बारहवीं कक्षा तक विशेष जरूरतों वाले 18.50 लाख से अधिक बच्चों को कवर कर रही है।
लड़कियों को नामांकन और अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिये परिव्यय। विशेष आवश्यकता वाली 5.57 लाख लड़कियों के लिये वजीफे (10 महीने के लिये 200 रुपये मासिक) के लिये 111.43 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं। वजीफा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से वितरित किया जाता है।
एडीआईपी जैसी अभिसरण योजना के माध्यम से 3.65 लाख से अधिक पात्र सीडब्ल्यूएसएन के लिए सहायता और उपकरण 109.03 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अनुमोदित किये गये।
योजना के तहत बारहवीं कक्षा तक के बच्चों के लिये 20.68 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ गंभीर और / एकाधिक दिव्यांगता वाले 72,186 बच्चों को कवर करने वाली घर-आधारित शिक्षा का प्रावधान।
प्रारंभिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक सीडब्ल्यूएसएन की सीखने की जरूरतों को उचित रूप से संबोधित करने के लिये विशेष शिक्षकों के माध्यम से संसाधन सहायता के लिये आवंटन अलग से किया गया है। विभाग ने वर्ष 2023-24 के लिए 32,196 विशेष शिक्षकों के लिये 743.40 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता स्वीकृत की है।
विकासखंड स्तर पर संसाधन कक्षों को सुसज्जित करने के लिये 681 कमरों के लिए 13.33 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ गैर-आवर्ती सहायता को मंजूरी दी गयी है।
इनके अलावा एनईपी 2020 के अनुसार सीडब्ल्यूएसएन की जरूरतों को संबोधित करने के लिये निम्नलिखित प्रमुख उपलब्धियां हासिल की गयीं:
समतामूलक और समावेशी शिक्षा पर राष्ट्रीय दिशानिर्देश और कार्यान्वयन ढांचा (एनजीआईएफईआईई) को अंतिम रूप दिया गया और अनुपालन के लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और स्वायत्त निकायों को वितरित किया गया।
समग्रशिक्षा के तहत एनसीईआरटी (अजमेर, भोपाल, भुवनेश्वर, मैसूर और शिलांग) के क्षेत्रीय संस्थानों में - समतामूलक और समावेशी शिक्षा के तहत समावेशी शिक्षा में सामान्य शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण के लिये पांच दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों की स्क्रीनिंग वर्तमान में प्रशस्त एंड्रॉइड ऐप के माध्यम से की जा रही है और अब तक ऐप पर 729310 पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं।
शिक्षा मंत्रालय ने बधिर लोगों और सांकेतिक भाषा उपयोगकर्ताओं की भाषाई पहचान और सांस्कृतिक विविधता के बारे में जागरूकता पैदा करने और भारत में आईएसएल और बधिर संस्कृति की विशिष्ट विशेषताओं को उजागर करने के लिये माईगॉव के सहयोग से 23 सितंबर 2023 को अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर एक प्रश्नोत्तरी की मेजबानी की। 28 दिसंबर, 2023 तक भागीदारी 54820 थी।
शिक्षा मंत्रालय ने माईगॉव के सहयोग से हर जगह दिव्यांग लोगों के अधिकारों और कल्याण के लिये जागरूकता फैलाने और समर्थन जुटाने के लिये तीन दिसंबर को दिव्यांग व्यक्तियों के अंतरराष्ट्रीय दिवस (आईडीपीडी) पर एक प्रश्नोत्तरी की मेजबानी की। 28 दिसंबर 2023 तक भागीदारी 39974 थी।
9) परख: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पैरा 4.41 में परख (समग्र विकास के लिए प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) स्थापित करने का प्रस्ताव है, एक राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र जो स्वायत्त है और बुनियादी बातों को पूरा करने के लिए मूल्यांकन के क्षेत्र में एक विशेषज्ञ निकाय है। भारत के सभी मान्यता प्राप्त स्कूल बोर्डों के छात्र मूल्यांकन और मूल्यांकन के लिये मानदंड, मानक और दिशानिर्देश निर्धारित करने का उद्देश्य। आठ फरवरी 2023 को, एनसीईआरटी ने एक स्वतंत्र घटक निकाय के रूप में परख की स्थापना को अधिसूचित किया, जिसका उद्देश्य सभी स्कूल परीक्षा बोर्डों को समानता और मूल्यांकन के समान पैटर्न के लिये एक ही मंच पर लाने के लिये संस्थागत संरचनायें और गठजोड़ बनाना था, मूल्यांकन मानदंडों के साथ-साथ विभिन्न स्कूल स्तरों के लिये सीखने के मानक निर्धारित करना, विभिन्न राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षणों के माध्यम से देश भर में सीखने के परिणामों की निगरानी और रिपोर्टिंग और विभिन्न डोमेन और दक्षताओं को कवर करने के लिये स्कूल-आधारित मूल्यांकन को बदलना।
परख के तहत की गयी गतिविधियों पर एक संक्षिप्त अपडेट:
राज्य शैक्षिक उपलब्धि सर्वेक्षण: एनएएस हर तीन साल में एक बार आयोजित किया जाता है और अब यह प्रयास अंतरिम वर्षों में भी मूल्यांकन करने के लिये राज्यों तक पहुंचने के लिये काम कर रहा है। इस वर्ष से, राज्य शैक्षिक उपलब्धि सर्वेक्षण तीन नवंबर 2023 को आयोजित किया गया था। इस सर्वेक्षण का प्राथमिक उद्देश्य भाषा और गणित पर प्राथमिक ध्यान देने के साथ प्रत्येक शैक्षिक चरण यानी बुनियादी, प्रारंभिक और मध्य के अंत में विद्यार्थियों की सीखने की दक्षता का आकलन करना है। परख की ओर से आयोजित राज्य शैक्षिक उपलब्धि सर्वेक्षण, ग्रेड 3, 6 और 9 में प्रत्येक चरण के बुनियादी, प्रारंभिक और मध्य के अंत में छात्रों के लिये दक्षताओं के मानचित्रण के लिये आधार रेखा के रूप में काम करेगा। एनईपी 2020 चरणों या 5 प्लस 3 प्लस के साथ संरेखित तीन प्रणाली, सर्वेक्षण का उद्देश्य शिक्षार्थियों के बीच कौशल और ज्ञान के व्यापक विकास को सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न दक्षताओं की रणनीतिक प्रगति का अध्ययन करना है। यह ‘योग्यता-आधारित मूल्यांकन’ में प्रत्येक चरण (प्रारंभिक, प्रारंभिक और मध्य) के अंत में शिक्षक के प्रशिक्षण के लिये भी प्रोत्साहन प्रदान करेगा।
समग्र विकास के लिये योग्यता-आधारित मूल्यांकन और मूलभूत चरण के लिये समग्र प्रगति कार्ड (एचपीसी) तैयार किया गया है। एचपीसी का लक्ष्य शारीरिक विकास, सामाजिक-भावनात्मक विकास, संज्ञानात्मक विकास के साथ-साथ सौंदर्य और सांस्कृतिक विकास जैसे पहलुओं को कवर करके बच्चे के विकास का 360-डिग्री अवलोकन प्रदान करना है। शिक्षक फीडबैक के साथ-साथ सहकर्मी, स्वयं और माता-पिता की प्रतिक्रिया भी दर्ज की जाती है। शिक्षकों को इसके उपयोग में सहायता करने और राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसके कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिये ‘एचपीसी को समझना’ शीर्षक से एक शिक्षक दस्तावेज़ विकसित किया गया है। प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक चरणों के लिए समग्र रिपोर्ट कार्ड को अंतिम रूप दिया जा रहा है। राज्य और केंद्रशासित प्रदेश एचपीसी मूलभूत चरण का अनुवाद/अपनाने या अनुकूलन करने की प्रक्रिया में हैं।
स्कूल बोर्डों की समकक्षता: 22 मई 2023 को ‘स्कूल मूल्यांकन और परीक्षा प्रथाओं और पूरे भारत में बोर्डों की समकक्षता’ पर शैक्षिक बोर्डों के बीच पहली राष्ट्रीय स्तर की परामर्श बैठक आयोजित की गयी। लगभग 30 राज्यों के सचिवों/ एसपीडी नामांकितों के साथ छब्बीस स्कूल शिक्षा बोर्ड। /केंद्रशासित प्रदेशों ने भाग लिया, जहां सफलता और समता के अवसर में समानता सुनिश्चित करने के लिये स्कूल बोर्डों की समतुल्यता पर 10 स्कूल बोर्डों के साथ किये गये पायलट अध्ययन के निष्कर्ष एनसीईआरटी द्वारा साझा किये गये थे। जुलाई-अगस्त 2023 में ‘स्कूल मूल्यांकन और परीक्षा प्रथाओं और बोर्डों की समकक्षता पर अध्ययन’ पर उत्तरी, पश्चिमी पूर्वी, मध्य और उत्तर पूर्वी पांच क्षेत्रों में शिक्षा बोर्ड की पांच दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित की गयी। एक विस्तृत अध्ययन मूल्यांकन पैटर्न का विश्लेषण करने और बोर्डों के बीच समानता स्थापित करने के लिये विभिन्न बोर्डों द्वारा विकसित प्रश्न पत्रों का उपयोग करते हुये रिपोर्ट का आयोजन एनसीईआरटी द्वारा पूरे भारत में स्कूल शैक्षिक बोर्डों की समकक्षता के लिये मानक दिशानिर्देश विकसित करने के लिये किया जा रहा है।
राज्यों में स्थापित मूल्यांकन कोशिकाओं को मजबूत करना: 26 से अधिक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने मूल्यांकन कोशिकाओं की स्थापना की है। प्रोग्रामेटिक मानदंड 25-50 लाख रुपये का है, मूल्यांकन कक्षों के लिये राज्यों को समग्र शिक्षा के तहत (आवर्ती और गैर-आवर्ती) सहायता।
10) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख उपलब्धियां:
20 अक्टूबर 2022 को फाउंडेशनल स्टेज (एनसीएफ एफएस) के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा लॉन्च की गयी। इसके आधार पर, कक्षा I और II के लिये शिक्षण शिक्षण सामग्री (जदुई पिटारा) और पाठ्यपुस्तकें क्रमशः 20 फरवरी 2023 और 5 जुलाई 2023 को लॉन्च की गयीं।
एनईपी 2020 के अनुसरण में 23 अगस्त 2023 को स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ-एसई) जारी की गई। एनसीएफ-एसई के तहत, पाठ्यक्रम को 5 प्लस 3प्लस 3प्लस 4 डिजाइन पर जोर देते हुये राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ जोड़ा गया है। स्कूली शिक्षा की यह रूपरेखा मूलभूत से लेकर माध्यमिक स्तर तक की संपूर्ण शैक्षिक यात्रा को संबोधित करती है।
मानदंडों, मानकों और दिशानिर्देशों को स्थापित करने और छात्र मूल्यांकन से संबंधित गतिविधियों को लागू करने के उद्देश्यों को पूरा करने के लिये आठ फरवरी 2023 को परख (समग्र विकास के लिए प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) की स्थापना की।
समग्र प्रगति कार्ड: समग्र विकास के लिये योग्यता आधारित मूल्यांकन, फाउंडेशनल चरण के लिये समग्र प्रगति कार्ड तैयार किया गया है। शिक्षकों को इसके उपयोग में सहायता करने और राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसके कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिये ‘एचपीसी को समझना’ शीर्षक से एक शिक्षक दस्तावेज़ भी विकसित किया गया है।
शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (एनपीएसटी) शिक्षकों के काम को परिभाषित करता है और 21वीं सदी के स्कूलों में उच्च गुणवत्ता वाले, प्रभावी शिक्षण के तत्वों को स्पष्ट करता है जो छात्रों के लिये शैक्षिक परिणामों में सुधार करेगा। एनसीटीई ने एक मार्गदर्शक दस्तावेज विकसित किया है, जो उन दक्षताओं की रूपरेखा तैयार करता है जो शिक्षकों में अपनी भूमिका प्रभावी ढंग से निभाने के लिये होनी चाहिये। एनपीएसटी को 75 केंद्रीय विद्यालयों में प्रायोगिक तौर पर चलाया जा रहा है।
नेशनल मिशन फॉर मेंटरिंग (एनएमएम) स्कूल शिक्षकों को सलाह प्रदान करने के इच्छुक उत्कृष्ट पेशेवरों के एक बड़े समूह के निर्माण की बात करता है। ये संभावित सलाहकार, सलाहकार और शिष्य की उम्र या स्थिति की परवाह किये बिना, हमारे राष्ट्र के 21वीं सदी के विकासात्मक लक्ष्यों को साकार करने में योगदान देंगे। एक प्रारंभिक दस्तावेज़ 'ब्लूबुक ऑन एनएमएम' विकसित किया गया है और 30 केंद्रीय विद्यालयों में इसका परीक्षण किया जा रहा है।
राष्ट्रीय डिजिटल शैक्षिक वास्तुकला (एनडीईएआर) का दृष्टिकोण शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को सक्रिय और उत्प्रेरित करने के लिये एक एकीकृत राष्ट्रीय डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार करना है। एनडीईएआर ने 1500 प्लस माइक्रो कोर्स, पांच अरब प्लस लर्निंग सेशन, 12 अरब प्लस क्यूआर कोड, 20 हजार प्लस इकोसिस्टम प्रतिभागियों और विभिन्न लिंक्ड बिल्डिंग ब्लॉक्स में 15 हजार प्लस माइक्रो सुधार देखे हैं।
विद्यासमीक्षा केंद्र (वीएसके) 06.09.2020 को लॉन्च किया गया। अब तक, 11 राज्यों ने विद्यासमीक्षा केंद्र (आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, नागालैंड, पंजाब, ओडिशा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश) स्थापित किये हैं, जबकि 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वीएसके प्रगति पर है।
पीएम ई-विद्या के तहत, दीक्षा एक राष्ट्र, एक डिजिटल शिक्षा बुनियादी ढांचा है। सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को दीक्षा में शामिल किया गया है। यह डिजिटल बुनियादी ढांचा कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित है और अत्यधिक स्केलेबल है। इस बुनियादी ढांचे का उपयोग 31 भारतीय भाषाओं और आईएसएल सहित सात विदेशी भाषाओं में सक्रिय पाठ्यपुस्तकें बनाने के लिये भी किया जा रहा है।
स्कूली शिक्षा के लिये स्वयं प्रभा के मौजूदा 12 डीटीएच चैनल उन लोगों का समर्थन करने और उन तक पहुंचने के लिये हैं, जिनके पास इंटरनेट तक पहुंच नहीं है, उन्हें 200 चैनलों तक बढ़ा दिया गया है, जिसमें 31 भाषाओं में प्रसारण के लिए 13,000 से अधिक सामग्री तैयार की गयी है।
विद्यांजलि देश भर में सामुदायिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी के माध्यम से सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त
स्कूलों को मजबूत करने के लिये एक स्कूल स्वयंसेवक प्रबंधन कार्यक्रम है। सात सितंबर 2021 को इसकी स्थापना से अब तक, 671512 सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को शामिल किया गया है और 443539 स्वयंसेवकों ने विद्यांजलि पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।
11) 2018-19 से 2023-24 तक समग्रशिक्षा की उपलब्धियां:
प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर पर 3062 विद्यालयों का उन्नयन किया गया है।
235 नये आवासीय विद्यालय एवं छात्रावास खोले गये हैं
अतिरिक्त कक्षाओं सहित 97364 स्कूलों को मजबूत किया गया है
स्मार्ट स्कूलों सहित आईसीटी और डिजिटल पहल के अंतर्गत 122757 स्कूल शामिल हैं
व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत 8619 स्कूलों को शामिल किया गया है
351 केजीबीवी को कक्षा आठवीं से दसवीं तक अपग्रेड किया गया है
2264 केजीबीवी को कक्षा आठवीं से बारहवीं तक अपग्रेड किया गया है
28447 लड़कियों के लिये अलग शौचालयों का निर्माण किया गया है
आईसीटी और स्मार्ट क्लासरूम की मंजूरी: नवंबर 2023 तक (स्थापना के बाद से), देश भर में 135740 स्कूलों में आईसीटी लैब और 103662 स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम को मंजूरी दी गयी है।
2. पीएम पोषण
आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने स्कूलों में पीएम पोषण योजना (तत्कालीन एमडीएमएस) को पांच साल की अवधि 2021-22 से 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है, जिसमें केंद्रीय हिस्सेदारी का वित्तीय परिव्यय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक 54,061.73 करोड़ रुपये है।
2. 2023-24 के दौरान (28 दिसंबर 2023 तक), केंद्रीय सहायता के रूप में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 2571.37 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं और उन्हें 23.61 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न आवंटित किया गया है। साथ ही, लगभग 10.65 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 11.56 करोड़ विद्यार्थी पीएम पोषण योजना के अंतर्गत आते हैं।
3. पीएम पोषण योजना दिशानिर्देशों को व्यापक रूप से संशोधित किया गया है और सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली, गुणवत्ता और सुरक्षा पहलू, सामाजिक लेखा परीक्षा, संयुक्त समीक्षा मिशन, स्कूल पोषण उद्यान, खाना पकाने की प्रतियोगिताये, तिथिभोजन, आकांक्षी जिलों और जिलों में पूरक पोषण, कुपोषण का उच्च बोझ, सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) आदि जैसे कई क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
4. सामग्री लागत (जिसे पहले खाना पकाने की लागत के रूप में जाना जाता था), जिसमें दालें, सब्जियां, तेल, मसालों और ईंधन की खरीद की लागत शामिल है, को बढ़ाकर प्राथमिक में प्रति बच्चा प्रति दिन 5.45 रुपये और उच्च प्राथमिक प्रति दिन 8.17 रुपये कर दिया गया है।
5. डीओएसईएंडएल ने स्कूल पोषण (रसोई) उद्यान (एसएनजीएस) स्थापित करने और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करने का निर्णय लिया है। अब तक लगभग 4.11 लाख स्कूलों में एसएनजी विकसित किये जा चुके हैं। स्कूल पोषण (रसोई) उद्यान (एसएनजी) विद्यार्थियों को प्राकृतिक दुनिया से दोबारा जोड़ने के लिए स्कूल परिसर का उपयोग करता है, उन्हें उनके भोजन के वास्तविक स्रोत से अवगत कराता है और उन्हें मूल्यवान बागवानी, कृषि अवधारणाओं और कौशल सिखाता है जो गणित, विज्ञान , कला, स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा और सामाजिक अध्ययन आदि जैसे कई विषयों के साथ एकीकृत होते हैं।। इन रसोई उद्यानों में उगायी जाने वाली सब्जियों और फलों का उपयोग गर्म पका हुआ भोजन तैयार करने में किया जा रहा है। यह विद्यार्थियों को विटामिन और खनिजों से भरपूर ताज़ी उगायी गयी सब्जियाँ खाने का अवसर प्रदान करता है, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक स्रोत हैं।
6. सभी जिलों में पीएम पोषण योजना का सोशल ऑडिट कराना अनिवार्य कर दिया गया है। तदनुसार, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से योजना के कार्यान्वयन का सामाजिक ऑडिट करने का अनुरोध किया गया है। 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 626 जिलों के 40748 स्कूलों को कवर करते हुए सामाजिक ऑडिट किया है।
7. इस विभाग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पीएम पोषण योजना के तहत विभिन्न प्रकार के मेनू और स्थानीय रूप से उपलब्ध सब्जियों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये एक पाक कला प्रतियोगिता आयोजित करने की भी सलाह दी है। अब तक 17 राज्यों ने विभिन्न स्तरों पर खाना पकाने की प्रतियोगितायें आयोजित की हैं।
8. स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत देश भर में लगभग सात करोड़ विद्यार्थियों के लिये स्वास्थ्य जांच की गयी है।
9. पीएम पोषण योजना में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के माध्यम से केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) के तहत धन जारी करने की नयी प्रक्रियायें शुरू की गयी हैं और अब इसका उपयोग योजना के तहत धन जारी करने और उपयोग करने के लिये किया जा रहा है।
10. एक डीओ लेटर नं. संयुक्त सचिव (पीएमपी) की ओर से 4-5/2022-पीएम-पोषण-1-1-(ईई.5) दिनांक 15-09-2023 को सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष मनाने के लिये आईवाईओएम जारी किया गया था और इसे ले जाने का सुझाव दिया गया था। एक से 14 अक्टूबर 2023 तक एक पखवाड़े के लिये कुछ गतिविधियाँ आयोजित की गयीं। अंतरराष्ट्रीय मिलेट (श्री अन्न) वर्ष के जश्न के लिये पीएम पोषण योजना के तहत निम्नलिखित गतिविधियाँ की गयीं।
गतिविधियाँ:
· श्री अन्न पर माईगॉव पोर्टल पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता
· स्कूली बच्चों के बीच वाद-विवाद/ समूह चर्चा
· स्कूली बच्चों के बीच रैलियां/ नुक्कड़ नाटक
· श्री अन्न के उपयोग पर विशेष स्कूल प्रबंधन समिति की बैठकें
· स्वयंप्रभा चैनलों पर श्री अन्न के उपयोग पर विशेष कार्यक्रम।
3. उल्लास- नव भारत साक्षरता कार्यक्रम
भारत सरकार ने नव भारत साक्षरता कार्यक्रम या न्यू इंडिया साक्षरता कार्यक्रम (एनआईएलपी) नामक एक केंद्र प्रायोजित अभिनव योजना को मंजूरी दे दी है, जिसे आम तौर पर उल्लास के नाम से जाना जाता है: समाज में सभी के लिये आजीवन सीखने की समझ। यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के अनुरूप है और इसका उद्देश्य सभी पृष्ठभूमियों के 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के उन वयस्कों को सशक्त बनाना है, जिन्हें उचित स्कूली शिक्षा नहीं मिल पाई है और उन्हें समाज के साथ मुख्यधारा में लाना है ताकि वे देश की विकास गाथा में अधिक योगदान दे सकें।
वित्त वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक कार्यान्वयन के लिये योजना का बजट 1037.90 करोड़ रुपये । इस योजना में पाँच घटक शामिल हैं:
i) बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता,
ii) महत्वपूर्ण जीवन कौशल,
iii) बुनियादी शिक्षा,
iv) व्यावसायिक कौशल, और
v) सतत शिक्षा।
उल्लास की सफलता कार्यक्रम को जनभागीदारी यानी एक नागरिक आंदोलन में उत्प्रेरित करने की स्वैच्छिक भावना पर आधारित है। इसका उद्देश्य देश के प्रत्येक व्यक्ति को साक्षरता यानी जन-जन साक्षर की रोशनी से सशक्त बनाना है।
यह योजना स्वयंसेवकों को राष्ट्र निर्माण के प्रति कर्तव्य या कर्तव्यबोध के रूप में योजना में भाग लेने के लिये प्रेरित कर रही है और छात्र स्वयंसेवकों को स्कूल/ विश्वविद्यालय में क्रेडिट और अन्य माध्यमों जैसे प्रमाण पत्र, प्रशंसा पत्र, अभिनंदन आदि के माध्यम से सराहना करके प्रोत्साहित करेगी। यूजीसी के तहत स्कूलों, उच्च शिक्षा संस्थानों और एनसीटीई के तहत शिक्षक शिक्षा संस्थानों से स्वयंसेवी शिक्षक छात्र हैं। इसके अतिरिक्त, साक्षर व्यक्ति जो योगदान देने
के इच्छुक हैं, जैसे कि एनवाईएसके, एनएसएस, एनसीसी, सीएसओ, समुदाय के सदस्य, गृहिणियां, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और शिक्षक सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं।
योजना के हिस्से के रूप में, शिक्षार्थियों को एनसीईआरटी के दीक्षा मंच के माध्यम से अपनी स्थानीय भाषाओं में ऑनलाइन सामग्री तक पहुंचने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। अपनी स्थानीय भाषाओं में सामग्री तक पहुँचकर, शिक्षार्थी बेहतर समझ, जुड़ाव, सांस्कृतिक प्रासंगिकता, भाषा विकास, समावेशिता और उच्च-क्रम सोच कौशल के
विकास का अनुभव कर सकते हैं।
उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत प्रमुख उपलब्धियां/पहल:
(ए) उच्च शिक्षा विभाग और यूजीसी से छात्रों को यूएलएएलएस में स्वयंसेवकों के रूप में शामिल करने के लिये सभी विश्वविद्यालयों और एचईआई को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया था। तदनुसार, यूजीसी ने डी.ओ. निर्देश जारी किये हैं। देश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों को दिनांक 27.01.2023 के क्रमांक 2-2/2023CPP-II के लिए:
योजना के कार्यान्वयन में उच्च शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थियों को शामिल करना।
गैर-साक्षरों को पढ़ाने के लिये उन्हें क्रेडिट स्कोर प्रदान किया जायेगा।
छात्रों/वीटी को प्रमाणपत्र दिया जायेगा।
(बी) उच्च शिक्षा विभाग और एआईसीटीई से छात्रों को यूएलएएलएस में स्वयंसेवकों के रूप में शामिल करने के लिये सभी टीईआई को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया था। तदनुसार, एआईसीटीई ने निर्देश एफ.नं. जारी किया है। एआईसीटीई/पी एंड एपी/विविध/2023 दिनांक 16.01.2023 ने सभी तकनीकी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और सभी एआईसीटीई-अनुमोदित संस्थानों के निदेशकों/प्रिंसिपलों को देश में 100 प्रतिशत साक्षरता की उपलब्धि में योगदान देने के लिये टीईआई की विशाल क्षमता और संसाधनों का उपयोग करने के लिए कहा है।
एनसीटीई ने 09.05.2023 को अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश जारी किये हैं कि वे सभी शिक्षक शिक्षा संस्थानों (टीईआई) को हर साल 8-10 गैर-साक्षरों को पढ़ाने में अपने छात्रों की अनिवार्य भागीदारी के लिये निर्देशित करें।
(सी) इस योजना को आम लोगों के करीब लाने के लिये, एक फेसबुक पेज लॉन्च किया गया है जिसका लिंक है: https://www.facebook.com/people/ULLAS-Nav-भारत-साक्षारता-कार्यक्रम/100092449066375/?mibextid=LQQJ4d
(डी) छह और सात फरवरी 2023 को न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम (एनआईएलपी) के तहत शिक्षण अधिगम सामग्री की सामग्री पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला इंडिया हैबिटेट सेंटर, नयी दिल्ली में आयोजित की गयी थी।
(डी) पहला मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षण (एफएलएनएटी) 19 मार्च 2023 को 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ऑफ़लाइन मोड में हुआ। मूल्यांकन इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी/सहायता प्राप्त स्कूलों में आयोजित किया गया था। मूल्यांकन परीक्षा में 11 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के कुल 22,36,190 शिक्षार्थियों को मंजूरी दी गयी, जिनमें से 20,40,346 शिक्षार्थियों (91.23 प्रतिशत) ने एफएलएनएटी उत्तीर्ण किया और प्रमाणित साक्षर घोषित किये गये।
(ई) शिक्षार्थियों के प्रमाणीकरण के लिए उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (एनआईएलपी) के संबंध में 19 अप्रैल 2023 को शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये।
(एफ) नव भारत साक्षरता कार्यक्रम का लोगो, नारा/टैगलाइन: जन जनसाक्षर जनजनसाक्षर, और लोकप्रिय नाम: उल्लास (समाज में सभी के लिये आजीवन सीखने की समझ) को केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा 29.07.2023 को अखिल भारतीय शिक्षा समागम, 2023 के दौरान भारत मंडपम, अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र, प्रगति मैदान नयी दिल्ली में लॉन्च किया गया था।
(जी) उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल करने के लिये सभी केंद्र शासित प्रदेशों और सिक्किम, गोवा और मिजोरम राज्यों को एक पत्र संख्या 5-6/2023-एई-2 दिनांक 31.08.2023 भेजा गया था।
(ज) एक सितंबर से आठ सितंबर, 2023 तक सभी भाषाई बाधाओं को तोड़ते हुये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर साक्षरता सप्ताह मनाया गया। इसका समापन आठ सितंबर, 2023 को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के जश्न के साथ हुआ। 2.95 करोड़ से अधिक जनभागीदारी (भागीदारी) साक्षरता सप्ताह के दौरान दर्ज किया गया था।
इस साक्षरता सप्ताह के दौरान, उल्लास यूट्यूब चैनल और उल्लास मोबाइल ऐप और इसके उपयोग पर लघु फिल्में लॉन्च की गयीं।
06.09.2023 को एक ऑनलाइन ओरिएंटेशन प्रोग्राम आयोजित किया गया था, जहां सीएनसीएल द्वारा उल्लास कॉन्सिस प्राइमर विकसित किया गया था, और एनसीईआरटी को जेएस (एसएस-आई और एई) द्वारा लॉन्च किया गया
था।
(i) उल्लास - नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत वित्त वर्ष 2023-24 के लिये पहला मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक मूल्यांकन परीक्षण (एफएलएनएटी) 24 सितंबर 2023 को 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित किया गया था, जिसमें 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 18,39,427 शिक्षार्थी शामिल हुये थे। परीक्षण और उसके परिणाम की प्रतीक्षा है।
(जे) नव साक्षरों को कौशल प्रदान करने के लिये, सचिव (एसई एंड एल) और सचिव (एमएसडीई) का दिनांक 17.11.2023 का एक संयुक्त डी.ओ. पत्र 14 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के शिक्षा और कौशल विकास के सभी सचिवों को भेजा गया था। नवसाक्षरों के लिये बेहतर रोजगार और उत्पादकता के अवसरों के लिये शिक्षा और कौशल का अभिसरण।
4. डिजिटल शिक्षा
1. अपने नेताओं को जानें कार्यक्रम
राष्ट्रीय नेताओं को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुये “नो योर लीडर्स प्रोग्राम” का आयोजन संसदीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान फॉर डेमोक्रेसीज़ (प्राइड), लोकसभा सचिवालय द्वारा डीओएसईएल के सहयोग से किया जाता है। यह कार्यक्रम दो अक्टूबर 2023 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर संसद भवन में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम के लिये 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश से कुल 25 छात्रों का चयन एनसीईआरटी द्वारा किया गया था, जिनमें से 13 लड़कियां थीं (6 ग्रामीण क्षेत्रों से और 7 शहरी क्षेत्रों से) जबकि 12 लड़के थे (7 ग्रामीण क्षेत्रों से और 5 शहरी क्षेत्रों से)।
2. विद्यार्थियों/स्कूल जाने वाले बच्चों के लिये आत्महत्या की रोकथाम के लिये दिशानिर्देश
शिक्षा मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार, एनसीईआरटी ने सीबीएसई, केवीएस और एनवीएस के परामर्श से छात्रों/स्कूल जाने वाले बच्चों के लिये आत्महत्या की रोकथाम के लिये दिशानिर्देश तैयार किये हैं। इन दिशानिर्देशों को उम्मीद (समझें, प्रेरित करें, प्रबंधित करें, सहानुभूति रखें, सशक्त बनायें, विकसित करें) कहा जाता है। एनसीईआरटी ने इन दिशानिर्देशों के माध्यम से उन कारणों के बारे में विवरण साझा किया है, जिनके कारण ये आत्महत्यायें होती हैं और इसकी रोकथाम के लिये स्कूलों के लिये एक विस्तृत कार्य योजना बनायी गयी है। इन दिशानिर्देशों को सार्वजनिक डोमेन (एमओई वेबसाइट) पर डाल दिया गया और सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ उनकी टिप्पणियों के लिये साझा किया गया। एनसीईआरटी ने उम्मीद दिशानिर्देशों पर प्राप्त फीडबैक का विश्लेषण प्रस्तुत किया है। इसे अंतिम रूप देने के लिये राष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन आयोजित किया जायेगा।
3. स्कूलों में नवाचार को बढ़ावा देने पर नोट
डीओएसईएल ने स्कूलों में नवाचारों को बढ़ावा देने के लिये एक राष्ट्रीय नीति शुरू की थी। स्कूलों में नवाचार को बढ़ावा देने की पहल को आगे बढ़ाने के लिये सचिव (एसई एंड एल) की अध्यक्षता में 20.09.2023 को एक राष्ट्रीय संचालन समिति की स्थापना की गयी थी। समिति में डी/ओ एसईएंडएल, सीबीएसई, एनसीईआरटी, केवीएस, एनवीएस और एनआईओएस के इनोवेशन सेल के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
4. राष्ट्रीय स्कूल बैंड प्रतियोगिता
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय के सहयोग से गणतंत्र दिवस समारोह 2024 के लिये अखिल भारतीय स्तर पर एक राष्ट्रीय स्कूल बैंड प्रतियोगिता आयोजित करने का प्रस्ताव रखा। इस वर्ष का कार्यक्रम पहले राज्य स्तर पर आयोजित किया गया था। राज्य स्तर पर शॉर्टलिस्ट की गयी टीमों ने जोनल स्तर के आयोजन में भाग लिया, जहां राज्य स्तरीय कार्यक्रम के दौरान 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 12857 बच्चों वाली कुल 487 टीमों ने भाग लिया, वहीं क्षेत्रीय स्तर के कार्यक्रम के दौरान 2002 बच्चों वाली कुल 73 टीमों ने भाग लिया। इन 73 टीमों में से, 15 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों की कुल 16 टीमों को 457 बच्चों के साथ फाइनल के लिये शॉर्टलिस्ट किया गया है। आगामी राष्ट्रीय स्कूल बैंड प्रतियोगिता का फाइनल 21-22 जनवरी 2024 को मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, नयी दिल्ली में आयोजित किया जायेगा।
विद्यांजलि:
विद्यांजलि-स्कूल स्वयंसेवक पहल एक ऑनलाइन पोर्टल है जो स्वयंसेवकों को सीधे स्कूलों से जोड़कर एक सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करता है।
प्रयास नागरिक समाज में उपलब्ध संभावनाओं का दोहन करके स्कूलों में ज्ञान/ कौशल/ मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे की कमी को दूर है। यह सरकार की जिम्मेदारी को प्रतिस्थापित करने के लिये नहीं है, बल्कि सर्वोत्तम संभव तरीके से अंतिम मील तक पहुंचने के लिये सरकारी प्रयासों को पूरक और मजबूत करने के लिये है। सरकार समाज के सभी वर्गों से संपत्ति या सेवाओं का योगदान जुटाने की कोशिश कर रही है, जिसमें शैक्षणिक संस्थानों के पूर्व छात्र, सेवारत और सेवानिवृत्त शिक्षक, वैज्ञानिक, सरकारी/अर्ध-सरकारी अधिकारी, सेवानिवृत्त सशस्त्र बल कर्मी, स्व-रोज़गार और वेतनभोगी पेशेवर वगैरह शामिल हैं।
वर्ष के दौरान एक जनवरी 2024 तक, 6,84,147 स्कूल शामिल हुये और 4,46,898 स्वयंसेवकों ने विद्यांजलि पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। स्वयंसेवकों ने कई क्षेत्रों में अपनी रुचि व्यक्त की है जैसे विषय सहायता, प्रतिभाशाली बच्चों को सलाह देना, व्यावसायिक कौशल सिखाना, स्कूलों के लिये प्रोजेक्टर, छत के पंखे, लैपटॉप और पुस्तकालय को प्रायोजित करना आदि। स्वयंसेवकों की सक्रिय भागीदारी के साथ, कार्यक्रम देश भर में सफलतापूर्वक 6077832 छात्रों को प्रभावित करने में कामयाब रहा है।
इसके अलावा, टीम विद्यांजलि ने 25 से 26 सितंबर 2023 तक भारत मंडपम में सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) द्वारा आयोजित सीपीएसई गोलमेज और प्रदर्शनी 2023 में अपने पोर्टल और उपलब्धियों का प्रदर्शन किया। सभी आर्मी पब्लिक स्कूलों को पोर्टल पर शामिल किया गया है। ये स्कूल अपने आस-पास के क्षेत्रों में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। विद्यांजलि के तहत, वर्ष के दौरान देश भर के राज्य/जिला-स्तरीय नोडल अधिकारियों के लिये द्विभाषी प्रारूप में अभिविन्यास सत्र/ समीक्षा बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित की गयी है। विद्यांजलि ने भागीदारी के लिये एक सीएसआर मॉड्यूल भी पेश किया है, जिससे सीएसआर संगठनों को बड़े पैमाने पर स्कूलों में योगदान करने की अनुमति मिलती है। पोर्टल ने विद्यांजलि के माध्यम से स्कूलों में योगदान के लिए लगभग 2926 सीएसआर/एनजीओ को पंजीकृत किया है।
6.एक भारत, श्रेष्ठ भारत अभियान (2022-23):
राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों, शैक्षणिक संस्थानों और राज्यों के बीच समन्वित पारस्परिक जुड़ाव प्रक्रिया
के माध्यम से साहित्यिक, खेल, पर्यटन और लोगों के बीच आदान-प्रदान के अन्य रूपों के माध्यम से आम जनता के बीच राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिये सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर एकता दिवस (31 अक्टूबर 2015) को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम शुरू किया गया था। भाषाई, कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में रहने वाले विविध संस्कृतियों के लोगों के बीच सक्रिय रूप से बातचीत को बढ़ाना है। लोगों के बीच बातचीत के लिये प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को भारत के दूसरे राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के साथ जोड़ा गया है।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने स्कूलों में एक भारत श्रेष्ठ भारत (ईबीएसबी) कार्यक्रम को लागू करने के लिये दिशानिर्देश जारी किये हैं। विभाग द्वारा एनईपी 2020 के अनुसार स्कूलों में की जाने वाली सुझायी गयी गतिविधियों की एक उदाहरणात्मक सूची तैयार की गयी है और राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और संबंधित संगठनों के साथ साझा की गयी है। ईबीएसबी के तहत, वर्ष 2023 के दौरान देश भर से कुल मिलाकर दो करोड़ छात्रों ने नियमित ईबीएसबी गतिविधियों में भाग लिया है। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, गुजरात, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गोवा, उत्तराखंड, त्रिपुरा, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान के सीबीएसई स्कूल, केन्द्रीय विद्यालय आदि स्कूलों में चार लाख से अधिक ईबीएसबी क्लब बनाये गये हैं।
7.आकांक्षी जिले/विकासखंड :
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सात जनवरी 2023 को मुख्य सचिवों के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान एस्पिरेशनल ब्लॉक प्रोग्राम (एबीपी) लॉन्च किया गया था। यह परिवर्तनकारी कार्यक्रम मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करके, परिणामों को परिभाषित करने और निरंतर आधार पर उनकी निगरानी करके भारत के सबसे कठिन और अविकसित विकासखंडों में नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये शासन में सुधार पर केंद्रित है। एबीपी को भारत के 112 अविकसित जिलों में 2018 में शुरू किये गये सरकार के प्रमुख आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) की उल्लेखनीय सफलता पर बनाया गया है।
इन विकासखंडों की स्कूली शिक्षा में प्रगति की निगरानी के लिये 11 प्रमुख प्रदर्शन संकेतक (केपीआई) की पहचान की गयी है।
इन 500 विकासखंडों में भारी उत्साह को दिशा देने के लिये, तीन से नौ अक्टूबर 2023 तक सभी 500 एबीपी विकासखंडों को कवर करने वाले स्कूलों में एक ‘संकल्प सप्ताह’ आयोजित किया गया था, जिसे प्रधानमंत्री द्वारा 30 सितंबर 2023 को भारत मंडपम में लॉन्च किया गया था। पहचाने गये केपीआई के आधार पर 100 सबसे कम विकसित आकांक्षी ब्लॉकों को अंतिम रूप दिया गया और इसे नीति आयोग के साथ साझा किया गया। एबीपी में केपीआई को संतृप्त करने के लिये कार्ययोजना के अनुसार, राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को 24 नवंबर 2023 को एक डीओ पत्र भी जारी किया गया था। समग्र शिक्षा की वार्षिक कार्य योजना और बजट, 2024-25 और 2025-26 में आकांक्षी विकासखंडों/जिलों के प्रस्तावों को शामिल करें।
8.राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना
केंद्रीय क्षेत्र की योजना ‘राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना’ लागू की जा रही है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्रों को आठवीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ने से रोकने और उन्हें माध्यमिक स्तर पर अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिये छात्रवृत्ति प्रदान करना है। योजना के तहत राज्य सरकार, सरकारी सहायता प्राप्त और स्थानीय निकाय स्कूलों में अध्ययन के लिये हर साल नौवीं कक्षा के चयनित छात्रों को एक लाख नयी छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं और दसवीं से बारहवीं कक्षा में उनकी निरंतरता/नवीनीकरण किया जाता है। छात्रवृत्ति की राशि रु. 12000 प्रति वर्ष, यह योजना पूरी तरह से राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) पर शामिल है और पात्र उम्मीदवारों के पंजीकरण की प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिये छात्रवृत्ति लाभार्थियों की अपेक्षित संख्या 287550 है। 2022-23 की अवधि के लिये योजना के तहत लाभार्थियों को स्वीकृत छात्रवृत्ति की संख्या और मार्च 2023 में वितरित की गयी कुल राशि के संदर्भ में राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना का प्रदर्शन था:
क्र.सं.
|
वित्तीय वर्ष
|
छात्रवृत्तियों की संख्या (ताजा+नवीनीकरण)
|
कुल स्वीकृत राशि (करोड़ रुपये में)
|
1.
|
2022-23
|
259524
|
306.49
|
9.राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा और पाठ्यपुस्तक का विकास
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने के बाद, परिषद को चार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखाओं अर्थात स्कूली शिक्षा, शिक्षक शिक्षा, प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा और वयस्क शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के विकास का काम सौंपा गया है। एनसीईआरटी ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से इनपुट मांगकर और एनईपी, 2020 के तहत 25 क्षेत्रों - पाठ्यक्रम और शिक्षाशास्त्र, क्रॉस कटिंग थीम और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में फोकस समूहों के स्थिति पत्रों को विकसित करने के लिये बॉटम-अप दृष्टिकोण का पालन करके चार एनसीएफ विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की। एनसीएफ टेक प्लेटफॉर्म को 13 दिसंबर 2021 को सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए लाइव कर दिया गया था। फाउंडेशनल स्टेज के लिये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 20 नवंबर 2022 को घोषित की गयी है। एनसीईआरटी ने एससीईआरटी, डीआईईटी आदि में इसका प्रसार शुरू कर दिया है। अब तक, 12 से अधिक नागरिक-केंद्रित सर्वेक्षण में लाखों लोगों ने भाग लिया जिससे प्रक्रिया में एनसीएफ-एसई के लिए इनपुट प्रदान करने में मदद मिली। एनईपी 2020 और एनसीएफ-एफएस के परिप्रेक्ष्य के आधार पर फाउंडेशनल स्टेज के लिए पाठ्यक्रम और शिक्षण-शिक्षण सामग्री का विकास प्रक्रिया में है। जादुई पिटारा नामक शिक्षण-शिक्षण सामग्री का एक संग्रह 20 फरवरी 2023 को लॉन्च किया गया है। इसमें 3-8 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए खिलौने, कठपुतलियाँ, चार्ट, पोस्टर, कार्ड, वर्कशीट आदि शामिल हैं। व्यापक सार्वजनिक प्रतिक्रिया के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा एनसीएफ-एसई का प्री-ड्राफ्ट छह अप्रैल 2020 को जारी किया गया था। अब तक 1500 से ज्यादा ई-मेल मिल चुके हैं। विश्लेषण के बाद प्रासंगिक फीडबैक को राष्ट्रीय संचालन समिति के साथ साझा किया गया है। एनएससी की 13वीं बैठक में एनसीएफ-एसई को राष्ट्रीय संचालन समिति ने मंजूरी दे दी है। एनसीएफ-एसई रिलीज के लिए अंतिम रूप दिया जा रहा है। -एनसीईआरटी की सामान्य परिषद की 58वीं बैठक के दौरान कक्षा 1-2 के लिए एनसीईआरटी पाठ्य पुस्तकें जारी की गयीं। पाठ्य पुस्तकों की ये नयी पीढ़ी एनईपी-2020 और एनसीएफ-एफएस 2022 के आधार पर विकसित की गयी है। शिक्षक शिक्षा और वयस्क शिक्षा के लिए एनसीएफ के विकास का अनुकरण किया गया है। एनसीएफ-एसई को अंतिम रूप में 23 अगस्त को जारी किया गया है। सभी संबंधित विषयों में कक्षा 1 और 2 के लिए पाठ्य पुस्तकें इस प्रकार हैं - हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू और गणित चार जुलाई 2023 को जारी की गयी हैं। इन्हें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेज दिया गया है। इसे और एनसीएफ-एफएस पर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों और सीबीएसई और केवीएस के लिये संबंधित केआरपी का क्षमता निर्माण किया गया था।
शिक्षक शिक्षा के लिये एनसीएफ और वयस्क शिक्षा के लिये एनसीएफ प्रक्रिया में हैं। विभिन्न विषय क्षेत्रों में कक्षा 3-12 के लिए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों के विकास के लिये, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा समिति (एनओसी) और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण-शिक्षण सामग्री समिति (एनएसटीसी) का गठन किया गया है। एनएसटीसी के तहत, अब तक निम्नलिखित पाठ्यचर्या क्षेत्र समूहों का गठन किया गया है, जो पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें विकसित करने की प्रक्रिया
में हैं:
1.विज्ञान
- गणित
- व्यावसायिक शिक्षा
- भारतीय ज्ञान प्रणाली
- सामाजिक विज्ञान
- कला शिक्षा
- अर्थशास्त्र
- स्वास्थ्य, कल्याण, शारीरिक शिक्षा और खेल
- अभिनव, शिक्षाशास्त्र और टीएलएम
- सभी विषयों के लिए पाठ्यक्रम का प्रारूप तैयार कर लिया गया है।
निष्ठा - शिक्षक प्रशिक्षण
निष्ठा - ‘स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र उन्नति के लिये राष्ट्रीय पहल’ एक एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जिसे लगभग 42 लाख प्रारंभिक शिक्षकों और स्कूलों के प्रमुखों, एससीईआरटी और डीआईईटी और संसाधन समन्वयक और क्लस्टर संसाधन समन्वयक, ब्लॉक के संकाय सदस्यों की क्षमता निर्माण के लिये अगस्त 2019 में शुरू किया गया था। कोविड महामारी को देखते हुए, ‘निष्ठा-ऑनलाइन’ 2020 में शुरू किया गया था और प्रारंभिक स्तर पर निष्ठा का शेष प्रशिक्षण उच्च गुणवत्ता वाले पेशेवर रूप से निर्मित ई-सामग्री का उपयोग करके दीक्षा प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन आयोजित किया गया था। निष्ठा (प्राथमिक) में आमने-सामने और दूरस्थ मोड में 42 लाख शिक्षकों का कवरेज था। 2021-22 में, शिक्षकों की गुणवत्ता और छात्रों के सीखने के परिणामों में सुधार पर ध्यान देने के साथ पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के शिक्षकों के लिये निष्ठा को मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता और माध्यमिक स्तर
तक बढ़ा दिया गया है।
वर्तमान स्थिति
निष्ठा प्राथमिक स्तर - ऑनलाइन
18 ऑनलाइन पाठ्यक्रम
- 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने 11 भाषाओं में शुरुआत की
- एमओई, एमओडी और एमओटीए के तहत आठ स्वायत्त संगठन,
- प्राथमिक और उच्च प्राथमिक में 24 लाख शिक्षक और स्कूल प्रमुख शामिल हैं।
निष्ठा ईसीसीई - ऑनलाइन
- 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने दो भाषाओं में शुरुआत की
- एमओई, एमओडी और एमओटीए के तहत स्वायत्त संगठन
- पूर्व-प्राथमिक और प्राथमिक स्तर पर 25 लाख शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों का लक्ष्य
- 21 अप्रैल 2023 तक नामांकन- 69715(बालवाटिका के लिये)
- आनंद- जादुई पिटारा के लिए विकसित गतिविधि पुस्तक
- उन्मुख-(बालवाटिका के लिए प्रशिक्षक हैंडबुक) जादुई पिटारा के लिए
- निष्ठा (माध्यमिक)- माध्यमिक / उच्च माध्यमिक स्तर के शिक्षकों के लिये दीक्षा पर ऑनलाइन 29 जुलाई, 2021 को लॉन्च किया गया था। प्रशिक्षण कार्यक्रम का लक्ष्य सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में माध्यमिक स्तर पर लगभग 10 लाख शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों को कवर करना है। निष्ठा (माध्यमिक) के अंतर्गत लगभग 7.2 लाख शिक्षकों को शामिल किया गया है।
निष्ठा माध्यमिक स्तर - ऑनलाइन
12 जेनेरिक और एक शिक्षाशास्त्र ऑनलाइन पाठ्यक्रम, 33 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों ने 10 भाषाओं में शुरुआत की आठ एमओई, एमओडी और एमओटीएटी के तहत स्वायत्त संगठन ने माध्यमिक स्तर पर 10 लाख शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों को लक्षित किया
प्री-प्राइमरी से कक्षा पांच तक के शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों के लिये दीक्षा प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन मोड में निष्ठा (फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी) सात सितंबर, 2021 को लॉन्च किया गया था।
निष्ठा एमएलएन का लक्ष्य सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पूर्व-प्राथमिक और प्राथमिक स्तर पर लगभग 25 लाख शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों को कवर करना है। निपुण भारत मिशन के उद्देश्यों के अनुसार, इस उद्देश्य के लिये एनसीईआरटी द्वारा 12 ऑनलाइन मॉड्यूल से युक्त एक विशेष पैकेज विकसित किया गया है। लगभग 12.5 लाख शिक्षकों ने निष्ठा (एफएलएन) पाठ्यक्रम पूरा किया है।
निष्ठा कौशल के लिये व्यावसायिक शिक्षा पर ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल का विकास: संस्थान ने कुछ निष्ठा ऑनलाइन प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किये हैं
निष्ठा 6.0 के माध्यम से स्कूल प्रशासकों के उन्मुखीकरण के लिए मॉड्यूल का विकास: स्कूल प्रशासकों के उन्मुखीकरण के लिये छह ड्राफ्ट मॉड्यूल विकसित किये गये हैं और उन्हें दिक्षा प्रारूप में परिवर्तित करने की प्रक्रिया चल रही है।
iii. परख (राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र)
राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, परख (समग्र विकास के लिये प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) अधिसूचना संख्या के तहत एनसीईआरटी में एक स्वतंत्र घटक इकाई के रूप में स्थापित किया गया है। एनसीईआरटी दिनांक आठ फरवरी, 2023 के 1-4/2012-ईसी/ 101-164, एनईपी के पैरा 4.41 द्वारा अनिवार्य मानदंडों, मानकों, दिशानिर्देशों को स्थापित करने और छात्र मूल्यांकन से संबंधित गतिविधियों के साथ-साथ अन्य कार्यों को लागू करने के मूल उद्देश्यों को पूरा करने के लिए- 2020.
परख तीन प्रमुख क्षेत्रों पर काम कर रहे हैं:
i.बड़े पैमाने पर उपलब्धि सर्वेक्षण
ii. स्कूल बोर्ड की समानता
iii. समग्र विकास के लिये स्कूल बोर्डों की योग्यता आधारित मूल्यांकन
इस संबंध में माह में निम्नलिखित गतिविधियाँ आयोजित की गयी हैं:
बड़े पैमाने पर उपलब्धि सर्वेक्षण:
परख ने तीन नवंबर, 2023 को पूरे देश में राज्य शैक्षिक उपलब्धि सर्वेक्षण (एसईएएस) आयोजित किया है।
बुनियादी, प्रारंभिक और मध्य चरणों के अंत में बुनियादी साक्षरता, बुनियादी संख्यात्मकता, भाषा और गणित में दक्षताओं की उपलब्धि का आकलन करने के लिये ग्रेड 3, 6 और 9 के शिक्षार्थियों पर मूल्यांकन किया गया था। यह मूल्यांकन 30 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में 80 लाख शिक्षार्थियों के अनुमानित नमूने पर किया गया था।
सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के एससीईआरटी द्वारा सीएसवी फाइलों को स्कैन और अपलोड किया जा रहा है।
II स्कूल बोर्डों की समतुल्यता:
डेटा विश्लेषण और रिपोर्ट तैयार करने का काम चल रहा है। इस संबंध में, आठ से 10 नवंबर, 2023 तक एनआईई, नयी दिल्ली में बोर्डों के साथ ‘स्कूल बोर्डों की समकक्षता के लिए दस्तावेज़ को अंतिम रूप देने’ पर तीन दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी। रिपोर्ट को अंतिम रूप देने पर आगे की चर्चा के लिये एक और कार्यशाला ‘स्कूल बोर्डों की समकक्षता’ पर सात दिसंबर, 2023 को एनसीईआरटी, दिल्ली में आयोजित होने वाली है।
III समग्र विकास के लिये योग्यता-आधारित मूल्यांकन:
प्रारंभिक और मध्य चरणों के लिये समग्र प्रगति कार्ड (एचपीसी) तैयार किया गया है और सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है।
समग्र प्रगति कार्ड (एचपीसी) के प्रसार के लिये कार्यशालाओं की एक श्रृंखला नवंबर और दिसंबर, 2023 के महीने में आयोजित की जा रही है।
iv. मनोदर्पण:
‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के हिस्से के रूप में, शिक्षा मंत्रालय (एमओई), भारत सरकार (भारत सरकार) की पहल ‘मनोदर्पण’ का उद्देश्य छात्रों के बीच मानसिक और भावनात्मक कल्याण की चिंताओं को दूर करना है। इसका उद्देश्य महामारी और उसके बाद मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण के लिए छात्रों, शिक्षकों और परिवारों को मनोसामाजिक सहायता प्रदान करना भी है। मनोदर्पण पहल का उद्घाटन 21 जुलाई, 2020 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री द्वारा किया गया था।
विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं की निगरानी और उन्हें बढ़ावा देने के लिये शिक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और मनोविज्ञान के क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल करते हुये शिक्षा मंत्रालय द्वारा एक कार्य समूह का गठन किया गया था। पहल के तहत परिकल्पित कार्य को आगे बढ़ाने के लिये, 14 अक्टूबर 2020 को एनसीईआरटी में मनोदर्पण प्रकोष्ठ की स्थापना की गयी, जिसमें अजमेर, भोपाल, भुवनेश्वर, मैसूर और शिलांग में डीईपीएफई, एनआईई और आरआईई के संकाय सदस्य शामिल थे। मनोदर्पण प्रकोष्ठ और कार्य समूह के सदस्य विशेष रूप से छात्रों के लिये मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के महत्व की वकालत के लिए कई गतिविधियाँ चला रहे हैं।
जनवरी 2022 से मार्च 2022 के दौरान 28 राज्यों और आठ केंद्रशासित प्रदेशों के कक्षा छठी से 12वीं तक के 3,79,842 छात्रों के बीच एक मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण के आधार पर, एक रिपोर्ट जिसका शीर्षक है, “स्कूली छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण - ए” सर्वेक्षण, 2022” छह सितंबर 2022 को शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था जो छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुराग प्रदान करता है और इसमें स्कूल प्रणाली में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाने की दिशा में सिफारिशें शामिल हैं। इसके अलावा, राज्य और जिला स्तर पर एससीईआरटी/डीईओ/सीबीएसई/केवीएस/एनवीएस के लिए मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण निष्कर्षों पर एक अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया था। ‘स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण’ और ‘स्कूलों में मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए स्कूल प्रशासकों और सशक्त शिक्षकों की भूमिका’ पर मिश्रित मोड में राष्ट्रीय सम्मेलन 10-11 अक्टूबर 2022 को आरआईई भोपाल एनसीईआरटी और 14 से 16 दिसंबर 2022 तक क्रमशः एनईआरआईई, उनियाम (मेघालय) में आयोजित किये गये थे।
मनोदर्पण वेबपेज (https://manodarpan.education.gov.in/) शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर बनाया गया था। इसमें छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिये सलाह और दिशानिर्देश शामिल हैं, अन्य सहायता सामग्री के साथ परामर्शदाताओं की निर्देशिका (लगभग 350 परामर्शदाता, स्कूल और कॉलेज/विश्वविद्यालय दोनों स्तर)। मनोदर्पण पहल के तहत की गयी गतिविधियों का एक डिजिटल संकलन 'मंतरंग' तैयार किया गया और वेबपेज पर अपलोड किया गया। हितधारकों के बीच पहल के व्यापक प्रसार के लिये प्रकोष्ठ ने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को टेली-परामर्श प्रदान करने के लिये एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर (8448440632) शुरू किया, जो सुबह 8:00 बजे से रात 8:00 बजे तक सीआईईटी, एनसीईआरटी द्वारा संचालित आईवीआरएस के माध्यम से सेवा प्रदान करता है।
मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित मुद्दों पर छात्रों (कक्षा छह से 12) के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सोमवार से शुक्रवार (शाम 05:00 बजे से शाम 05:30 बजे तक) अभ्यास सलाहकारों के साथ लाइव इंटरैक्टिव सत्र ‘सहयोग’ आयोजित किया जाता है। एक दिसंबर, 2023 से 27 दिसंबर, 2023 तक कुल 19 सहयोग सत्र आयोजित किये गये। विशेषज्ञों द्वारा सीखने को साझा करने के लिये क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ प्रत्येक शुक्रवार (02:30 अपराह्न से 04:00 अपराह्न) तक लाइव वेबिनार ‘परिचर्चा’ आयोजित की जाती है। पूरे देश में, क्षेत्रीय संदर्भ पर प्रकाश डाला गया। इन सत्रों को पीएम ई-विद्या चैनलों पर भी प्रसारित किया जाता है और बाद में इन्हें ‘एनसीईआरटी आधिकारिक’ यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध कराया गया। एक दिसंबर, 2023 से 27 दिसंबर, 2023 तक कुल चार परिचर्चा सत्र आयोजित किये गये।
v. जी20 में योगदान
चेन्नई, अमृतसर, भुवनेश्वर और पुणे में जी20 शिक्षा कार्य समूह की बैठकों और प्रदर्शनियों में भागीदारी
छात्रों के लिये जी20 पर हिन्दी और अंग्रेजी में तैयार की गयी पठन सामग्री और वीडियो
सभी बैठकों में जादुई पिटारा का प्रदर्शन और पुणे में मॉडल बालवाटिका
सभी क्षेत्रीय शिक्षा संस्थानों में वेबिनार, जनभागीदारी कार्यक्रम
क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान माईगॉव प्लेटफॉर्म पर जी20 क्विज माईगॉव प्लेटफॉर्म पर स्लोगन लेखन प्रतियोगिता
vi. व्यावसायिक शिक्षा:
पंडित सुंदरलाल शर्मा सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ वोकेशनल एजुकेशन (पीएसएससीआईवीई) व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र
में एक शीर्ष अनुसंधान और विकास संगठन है। यह राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक घटक इकाई है, जिसे 1993 में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (एमओई) द्वारा स्थापित किया गया था। इसमें छह शैक्षणिक विषय शामिल हैं, अर्थात् कृषि और पशुपालन, व्यवसाय और वाणिज्य, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और पैरामेडिकल विज्ञान, गृह विज्ञान और आतिथ्य प्रबंधन और मानविकी, विज्ञान, शिक्षा और पांच केंद्रों के साथ अनुसंधान।
वर्ष 2023-34 के दौरान, पीएसएस सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ वोकेशनल एजुकेशन, भोपाल ने एक अनुसंधान, सात विकास, नौ प्रशिक्षण, आठ विस्तार का कार्य किया है। संस्थान ने ‘व्यावसायिक विषयों के शिक्षण और शिक्षण में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के एकीकरण का अध्ययन’ नामक एक शोध परियोजना शुरू की है। विकास कार्यक्रमों के बीच, संस्थान ने परिधान निर्मित अप और होम फर्निशिंग क्षेत्र में वर्चुअल टूर में नौकरी की भूमिकाओं के विकास, हस्तशिल्प और कालीन क्षेत्र में लोकप्रिय फ़ोल्डरों के विकास, पूर्व-व्यावसायिक शिक्षा के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना के विकास के लिए लगभग 22 कार्यशालाओं का आयोजन किया है। जनजातीय स्कूलों में, संस्थान की वेबसाइट के वेब एप्लिकेशन, सोशल मीडिया और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास और रखरखाव और उत्तर पूर्वी राज्यों के लिये हब और स्पोक मॉडल का विकास। संस्थान ने विभिन्न क्षेत्रों की नौकरी भूमिकाओं पर डिजिटल संसाधन विकास कार्यक्रम के तहत लगभग 400 वीडियो भी विकसित किये। संस्थान ने एनईपी-2020 के आलोक में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा को मजबूत करने के लिये प्रमुख पदाधिकारियों के 09वें ओरिएंटेशन कार्यक्रम का आयोजन किया। इन कार्यक्रमों में विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 500 प्रमुख पदाधिकारियों ने भाग लिया। संस्थान ने व्यावसायिक शिक्षाशास्त्र पर मास्टर प्रशिक्षकों के विकास के लिये नौ प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये। प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को उन्नत शैक्षणिक तकनीकों से सशक्त बनाना था जो व्यावसायिक शिक्षा वितरण की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकें। संस्थान ने मध्य स्तर (कक्षा 6 से 8 तक) में शिक्षा के व्यवसायीकरण पर शिक्षकों के लिए 05 क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किये। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को अनुभवात्मक शिक्षण अनुभव प्रदान करने के लिये अपने शिक्षण तरीकों में पूर्व-व्यावसायिक गतिविधियों को कैसे शामिल किया जाये, इसके बारे में शिक्षकों को मूल्यवान प्रशिक्षण और दृष्टि प्रदान करना था। इन कार्यक्रमों के अलावा, संस्थान ने कृषि, परिधान और मेड अप्स, ऑटोमोबाइल, खुदरा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में विभिन्न नौकरी भूमिकाओं पर छह व्यावसायिक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये। संस्थान दूरस्थ सह संपर्क मोड में एक वर्षीय डिप्लोमा इन वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (डीवीईटी) कार्यक्रम प्रदान करता है। डीवीईटी कार्यक्रम का उद्देश्य व्यावसायिक शिक्षाशास्त्र के क्षेत्र में शिक्षकों/पेशेवरों को प्रशिक्षित करना है। इस कार्यक्रम में छात्रों को आईसीटी कौशल के साथ-साथ ऑटोमोटिव, स्वास्थ्य देखभाल, आईटी-आईटीईएस, कृषि, परिधान और खुदरा जैसे अपने क्षेत्र से संबंधित कौशल में भी अनुभव दिया जाता है।
vii.डिजिटल शिक्षा:
‘आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम’ के एक भाग के रूप में, इक्विटी के साथ प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए एक व्यापक पहल, जिसे पीएम ई-विद्या कहा जाता है, शुरू की गयी है, जो मल्टी-मोड पहुंच को सक्षम करने के लिये डिजिटल/ ऑनलाइन/ ऑन-एयर शिक्षा से संबंधित सभी प्रयासों को एकीकृत करती है। शिक्षा। कार्यक्रम प्रमुख शीर्षकों के तहत बच्चों के लिये सीखने के डिजिटल मोड की कल्पना करता है: दीक्षा- एक राष्ट्र, स्कूली शिक्षा के लिए एक डिजिटल मंच, एक कक्षा, एक चैनल- पीएम ई-विद्या के लिये 2 चैनल, रेडियो, सामुदायिक रेडियो और पॉडकास्ट का उपयोग, डिजिटल दिव्यांगों के लिए शिक्षा, सांकेतिक भाषा के वीडियो भी विकसित और प्रसारित किये जाते हैं। 12 डीटीएच टीवी चैनल कक्षा 1 से 12 तक के लिये एनसीईआरटी के पाठ्य पुस्तक अध्याय-आधारित वीडियो संसाधनों को कवर करते हैं। इन वीडियो में क्यूआर कोड एम्बेडेड हैं, जिन्हें किसी भी डिवाइस के माध्यम से स्कैन किया जा सकता है और स्पष्टीकरण सामग्री और अन्य संसाधनों तक पहुंचने के लिये दीक्षा ऐप का उपयोग किया जा सकता है। यह किसी भी समय, कहीं भी इन संसाधनों तक सुसंगत तरीके से पहुंच सुनिश्चित करता है।
दीक्षा पोर्टल पर वर्तमान में 6,068 क्यूआर कोडित-ऊर्जावान पाठ्यपुस्तकें हैं, जिनमें 361 एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकें शामिल हैं। राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों और स्वायत्त निकायों द्वारा योगदान की गयी 307,475 लाख ई-सामग्री (वीडियो के रूप में) हैं, जो वर्तमान में दीक्षा पर लाइव हैं। एनसीईआरटी ने लगभग 52,531 प्लस ई-सामग्री का योगदान दिया है। दीक्षा पर अब तक 8,740 प्लस ई-पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। अब तक कक्षा एक से पांच के लिये 954 भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) आधारित वीडियो दीक्षा पर अपलोड किये गये हैं और साथ ही पीएम ई-विद्या चैनलों पर प्रसारित किये जाते हैं। दीक्षा पर वर्चुअल लैब वर्टिकल में 218 सिमुलेशन हैं और दीक्षा पर व्यावसायिक शिक्षा वर्टिकल ई-सामग्री ग्रेड 9-12 के लिये 19 क्षेत्रवार कार्य भूमिकाओं पर ऑडियो वीडियो प्रदान करता है।
10.राष्ट्रीय बाल भवन
- i.परिचय
राष्ट्रीय बाल भवन, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त निकाय है। यह संस्था पांच से 16 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये अनौपचारिक शिक्षा केंद्र प्रदान कर रही है। इसकी स्थापना 1956 में बच्चों के लिये सोच, कल्पना, रचनात्मक और मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से सीखने के सपने को ध्यान में रखते हुये की गयी थी। राष्ट्रीय बाल भवन ने देश भर में 141 संबद्ध बाल भवनों और बाल केंद्रों के साथ एक आंदोलन का रूप ले लिया है। इसके अलावा, दिल्ली के मांडी गांव में एक ग्रामीण जवाहर बाल भवन और अन्य 40 बाल केंद्र भी दिल्ली में कार्यरत हैं।
ii.कार्यशालायें
जनवरी 2023 से दिसंबर 2023 तक लगभग 185 कार्यशालायें आयोजित की गयीं , जैसे बेसिक सिलाई, कंप्यूटर जागरूकता, जानवरों का प्रागैतिहासिक जीवन, इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स और हाउस वायरिंग, रंग - बिरंगे धागों की दुनिया, जल एक अनमोल रत्न, हमारा संग्रहालय-हमारी विरासत, पॉट पेंटिंग, ऑयल पेस्टल पेंटिंग, एक्वेरियम और पर्यावरण, हिंदी कार्यशाला, मिट्टी, बुनाई, एकीकृत गतिविधियां, सौर मंडल, धूपघड़ी, कुचिपुड़ी नृत्य, सितार और गिटार, हस्तशिल्प, नाटक, विश्व पशु दिवस, डिजिटल ग्राफिक डिजाइनिंग, गायन संगीत, तबला और ढोलक, शारीरिक शिक्षा वगैरह।
iii. राष्ट्रीय बाल भवन के मुख्य कार्यक्रम
23 मई से 21 जून, 2023 तक ग्रीष्मकालीन उत्सव का आयोजन किया गया , जिसमें लगभग 3000 बच्चे प्रतिदिन भाग लेते थे और विभिन्न नवीन गतिविधियों और कार्यशालाओं के माध्यम से अपने कौशल और रचनात्मकता को बढ़ाते थे।
- सत्रह से 19 नवंबर, 2023 तक राष्ट्रीय बाल सभा और एकता शिविर का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 2500 बच्चे देश भर के 14 राज्यों को कवर करने वाले 37 राज्य बाल भवन/केंद्रों से, जवाहर बाल भवन, मंडी, दिल्ली के बाल केंद्र, सरकार। राष्ट्रीय बाल भवन के स्कूलों और सदस्य बच्चों ने बहुत खुशी और उत्साह के साथ भाग लिया।
- देश भर के विभिन्न वायु सेना स्कूलों के छात्र 11 से 15 अप्रैल, 2023 और 25 से 29 अप्रैल, 2023 तक दो बैचों में राष्ट्रीय बाल भवन में रहे और विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लिया।
- राष्ट्रीय बाल भवन द्वारा नवीन कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय बाल भवन ने सरकार के लिए तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल जिनमें लगभग 1500 बच्चों ने हस्तशिल्प, पेंटिंग, सिलाई, एकीकृत, मिट्टी की बुनाई, नृत्य, संगीत, वाद्य संगीत, विज्ञान गतिविधियां, शारीरिक शिक्षा आदि जैसी विभिन्न नवीन गतिविधियाँ सीखीं।
- थीम पर 28वें राष्ट्रीय युवा पर्यावरणविद् सम्मेलन का आयोजन किया गया। बारह से 14 मार्च, 2023 तक किलकारी बिहार बाल भवन, पटना (बिहार) में 'पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली' का आयोजन किया गया था जिसमें आठ राज्यों के 14 बाल भवनों / केंद्रों के सैकड़ों बच्चों और अनुरक्षकों ने भाग लिया था।
- केन्द्रीय शिक्षा, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान और मंत्रालय के अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने 16 सितंबर, 2023 को राष्ट्रीय बाल भवन का दौरा किया।
- शिक्षा मंत्रालय के एसईएंडएल विभाग के संयुक्त सचिव आनंदराव विष्णु पाटिल ने 27.10.2023 को राष्ट्रीय बाल भवन में विभिन्न गतिविधियों और प्रदर्शनी ‘बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट’ का दौरा किया।
vi.राष्ट्रीय बाल भवन की नियमित गतिविधियाँ/ कार्यक्रम
दिनांक 03.01.2023 को नववर्ष के स्वागत के लिये आमोद दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- .26 जनवरी, 2023 को बसंत पंचमी मनायी गयी।
- 13 से 15 फरवरी, 2023 तक प्रगति मैदान में संचार मंत्रालय द्वारा आयोजित अमृतपेक्स कार्यक्रम में भाग लिया गया।
- 28 फरवरी, 2023 को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- 10 मार्च को राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक आयोजित की गयी। 10 मार्च 2023 को ‘गूगल मीट’ के माध्यम से, जिसमें राजभाषा हिंदी के वार्षिक कार्यक्रम के साथ-साथ पिछली बैठक के कार्यवृत्त पर चर्चा की गयी।
- 21 अप्रैल, 2023 को पृथ्वी दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- नौ मई, 2023 को रवीन्द्रनाथ जयंती मनायी गयी।
- सदस्य बच्चों ने दो जून 2023 को मौसम भवन का भ्रमण किया।
- 16 जून, 2023 को साइबर सुरक्षा कार्निवल कार्यक्रम आयोजित किया
गया।
- एनबीबी के लगभग 40 सदस्य बच्चों ने 19 जून, 2023 को आम के बगीचों का दौरा किया।
- राष्ट्रीय बाल के सदस्य बच्चों ने दिनांक 14.10.2023. को राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र और राष्ट्रीय प्राणी उद्यान का अध्ययन दौरा किया।
v. शिक्षा मंत्रालय ने कार्यक्रम शुरू किये
27 जनवरी, 2023 को परीक्षा पे चर्चा में भागीदारी।
- राष्ट्रीय बाल भवन ने फिट इंडिया मूवमेंट के मद्देनजर 21 जून, 2023 को 9वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया। राष्ट्रीय बाल भवन 17 से 22 जून, 2023 तक जी20 कार्यक्रम के लिये पुणे में विभिन्न कलाकृतियों का प्रदर्शन किया।
- विभिन्न आजादी का अमृत महोत्सव के तहत गतिविधियां आयोजित की गयीं। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत तीन अगस्त, 2023 को अंग दान कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गयीं।
- राष्ट्रीय बाल भवन के सदस्य बच्चों ने तीन अगस्त, 2023 को दो से चार अगस्त तक महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गांधीनगर, गुजरात में आयोजित जी20 समापन समारोह में प्रदर्शन किया।
- ‘मेरी माटी मेरा देश’ अभियान के तहत नौ से 30 अगस्त, 2023 तक विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गयीं।
- सोलह सितंबर से 29 सितंबर, 2023 तक हिंदी पखवाड़ा का आयोजन किया गया।
- राष्ट्रीय बाल भवन के स्टाफ सदस्य ने 01.10.2023 को ‘श्रमदान’ में भाग लिया। स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत लोक नायक पार्क, फिरोजशाह कोटला, नयी दिल्ली-110002 की सफाई की गयी।
- स्वच्छता के संबंध में विशेष अभियान 3.0 के तहत तीन से 31 अक्टूबर, 2023 तक राष्ट्रीय बाल भवन के विभिन्न क्षेत्रों की सफाई और नवीनीकरण किया गया ताकि इको क्लब बनाया जा सके।
- विशेष अभियान 3.0 के एक भाग के रूप में 18 से 20 अक्टूबर, 2023 तक राष्ट्रीय बाल भवन में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें सदस्य बच्चों द्वारा सीखी गयी और बनाई गयी ‘अपशिष्ट से सर्वोत्तम’ कृतियों का प्रदर्शन किया गया।
- विभिन्न पहलुओं में सभी को सतर्क करने के लिये, 30 अक्टूबर से पांच नवंबर, 2023 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह मनाया गया, जिसमें प्रतिज्ञा लेना, सतर्कता पर गीत सीखना, गैलरी वार्ता आदि जैसी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गयीं।
- 31 अक्टूबर, 2023 को एकता दिवस का अवसर पर एकता दौड़ का आयोजन किया गया।
- 25 नवंबर, 2023 को संविधान दिवस मनाया गया, एनबीबी के सभी कर्मचारियों द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गयी।
- ‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम सप्ताह’ के तहत कर्मचारियों के लिये एक सेमिनार और संवेदीकरण कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।
- 26 दिसंबर, 2023 को वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में 21 से 26 दिसंबर तक राष्ट्रीय बाल भवन में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के ‘साहिबजादों’ पर विभिन्न गतिविधियां
आयोजित की गईं।
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एमजी/एआर/एसवी/एजे
(Release ID: 1994761)
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