स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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पद्मश्री, खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित डॉ. (मानद) दीपा मलिक ने 42वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में 'आयुष्मान भव' स्वास्थ्य मंत्रालय मंडप का दौरा किया


"प्रत्येक नागरिक को टीबी मुक्त राष्ट्र बनने की हमारी यात्रा में तेजी लाने के लिए कम से कम एक टीबी रोगी के लिए निक्षय मित्र बनने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए"

"मैं इस वर्ष 10 टीबी रोगियों के लिए निक्षय मित्र बनी थी, जिनमें से सभी अब टीबी से ठीक हो गए हैं"

Posted On: 22 NOV 2023 3:32PM by PIB Delhi

पद्मश्री, खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित भारत की पहली महिला पैरालंपिक पदक विजेता और भारत की पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष, डॉ. (मानद) दीपा मलिक टीबी मुक्त भारत अभियान की राष्ट्रीय राजदूत और स्वयं निक्षय मित्र भी हैं। "प्रत्येक नागरिक को टीबी मुक्त राष्ट्र बनने की हमारी यात्रा में तेजी लाने के लिए कम से कम एक टीबी रोगी के लिए निक्षय मित्र बनने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए।" यह बात डॉ. (मानद) दीपा मलिक ने आज 42वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) में आयुष्मान भव स्वास्थ्य मंडप का दौरा करते हुए कही। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के इस वर्ष के मंडप की थीम "वसुधैव कुटुंबकम, यूनाइटेड बाय ट्रेड" है, जबकि स्वास्थ्य मंडप की थीम "आयुष्मान भव" है।

उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए डॉ. (मानद) दीपा मलिक ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2025 तक टीबी मुक्त भारत के सपने को दोहराया। "स्वास्थ्य ही परम धन है" पर जोर देते हुए, उन्होंने भारत को गति प्रदान करने में योगदान देने के लिए इस जनांदोलन में भाग लेने का आग्रह किया, ताकि देश को 2025 तक टीबी से मुक्त कर दिया जाए। उन्होंने निक्षय मित्र बनने के प्रभाव पर भी प्रकाश डाला। टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए अपने समर्थन के बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. (मानद) दीपा मलिक ने आगे कहा, "मैं इस साल 10 टीबी रोगियों के लिए निक्षय मित्र बनी थी। ये सभी अब टीबी से मुक्त होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं।"

उन्होंने एक टीबी सर्वाइवर बनने की अपनी कहानी भी सुनाई, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि उपचार शारीरिक है, रिकवरी का पहला कदम मानसिक कल्याण से शुरू होता है, सकारात्मक मानसिकता बनाए रखने और इस स्थिति से जुड़े कलंक से ऊपर उठने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि सही मार्गदर्शन, पोषण और देखभाल से इस स्थिति पर काबू पाना पूरी तरह संभव है।

देखभाल करने वालों की प्रतिबद्धता और प्रभाव की सराहना करते हुए, डॉ. (मानद) दीपा मलिक ने इस बात पर जोर दिया कि देखभाल करने वाले टीबी रोगी के सफल इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह दोहराते हुए कि विभिन्न टीबी केंद्रों पर इलाज पूरी तरह से संभव और सुलभ है, उन्होंने मरीजों से आग्रह किया कि वे अपना इलाज पूरा करें, और इस स्थिति की अवधि और प्रभावों से हतोत्साहित न हों। उन्होंने जनता से अपील की कि वे इस स्थिति से जुड़े कलंक से ऊपर उठें और इस देश से टीबी को खत्म करने के लिए पूरे दिल से अपना समर्थन दें। उन्होंने रेखांकित किया कि समग्र दृष्टिकोण अपनाना और टीबी रोगियों के उपचार के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना इस स्थिति को हराने और पूरी तरह से ठीक होने के लिए उनकी प्रेरणा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

डॉ. (मानद) दीपा मलिक ने न केवल टीबी से लड़ने के लिए सूचना के प्रसार और जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए बल्कि टीबी से बचे लोगों की सफलता की कहानियों और निक्षय मित्रों की बढ़ती संख्या को प्रस्तुत करने में मीडिया की भी प्रशंसा की।

इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सेंट्रल टीबी डिवीजन (सीटीडी) के उप महानिदेशक डॉ. राजेंद्र पी जोशी, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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