कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 'प्रधानमंत्री विश्वकर्मा' योजना भारत की सभ्यता और पारंपरिक शिल्पकला का उचित मेल है
"प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ने की संस्कृति प्रस्तुत की है और चंद्रयान इसका सबसे उल्लेखनीय उदाहरण है; डॉ. जितेंद्र सिंह
चंद्रमा मिशन को 'चंद्रयान' नाम देना, इसके लैंडर को 'विक्रम' और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इसके लैंडिंग स्थल को 'शिव शक्ति' के रूप में नामित करना सभ्यतागत लोकाचार को संरक्षित करता है और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से भेजे गए इनपुट इसे अत्याधुनिक तकनीक से जोड़ते हैं: डॉ जितेंद्र सिंह
यह भारत की विकास यात्रा में ऐतिहासिक दिवस है जब भारत की विशिष्ठ संपदा-पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को प्रधानमंत्री द्वारा 'पीएम विश्वकर्मा' योजना के शुभारंभ के साथ मुख्यधारा में सम्मिलित किया गया है : डॉ जितेंद्र सिंह
Posted On:
17 SEP 2023 2:37PM by PIB Delhi
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि 'पीएम विश्वकर्मा' योजना भारत की सभ्यता और पारंपरिक शिल्प कौशल का उचित मेल है।
श्री सिंह ने कहा कि यह योजना आजीविका अर्जित करने का विकल्प प्रदान करती है, साथ ही साथ भारत की सदियों पुरानी गुरु-शिष्य परंपरा को संजोए रखती है।
डॉ. जितेंद्र सिंह जम्मू में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 'पीएम विश्वकर्मा' योजना के शुभारंभ के अवसर पर संबोधित कर रहे थे।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने की संस्कृति शुरू की है और चन्द्रयान इसका सबसे उल्लेखनीय उदाहरण है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि चंद्रमा मिशन को 'चंद्रयान', इसके लैंडर को 'विक्रम' और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इसके लैंडिंग स्थल को 'शिव शक्ति' नाम देना भारत की सभ्यता के लोकाचार के संरक्षण का सबसे अच्छा उदाहरण है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से भेजे गए इनपुट इसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों से जोड़ते हैं और यह साबित करते हैं कि भारत तथाकथित विकसित देशों से आगे है, जो अब हमारे नेतृत्व में आना चाहते हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह भारत की विकास यात्रा का एक ऐतिहासिक दिवस है, जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 'पीएम विश्वकर्मा' योजना के शुभारंभ के साथ भारत की विशिष्ट संपदा,- पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को मुख्यधारा में लाया जा रहा है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पारंपरिक कारीगर और शिल्पकार, समाज के अन्य वर्गों की भांति महत्वपूर्ण हैं, जिन्होंने भारत की सदियों पुरानी परंपराओं और शिल्पकला को जीवित रखा है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद से उन पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ही यह संभव हो सका है कि समाज के इस अभिन्न अंग को आज 'पीएम विश्वकर्मा' योजना के शुभारंभ के साथ समर्थन दिया गया और कुशल बनाया गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 10 करोड़ उज्ज्वला कनेक्शन, स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत 12 करोड़ शौचालय, जल जीवन मिशन के अन्तर्गत 13 करोड़ कनेक्शन, आयुष्मान भारत के अन्तर्गत 18 करोड़ स्वास्थ्य कार्ड, मुद्रा ऋण, पीएम किसान निधि आदि योजनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि यह सरकार उन लोगों के प्रति समर्पित है जो पिछली सरकारों द्वारा मुख्यधारा से छूट गए थे।
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