संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

5जी का सबसे तेज शुभारंभ


​​​​​​​गंगोत्री में 2,00,000वीं 5जी साइट का शुभारंभ

700 जिलों को कवर करने वाली 2,00,000 साइट 8 माह में स्थापित की गई हैं 

5जी नेटवर्क का शुभारंभ अब सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में हो चुका है

चारधाम में फाइबर कनेक्टिविटी का लोकार्पण  

चारधाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) में अब 5जी मोबाइल कवरेज सुनिश्चित हो गई है और वहां फाइबर कनेक्टिविटी है

चारधाम की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को निर्बाध सेवा मुहैया कराने के लिए हाई इंटरनेट बैंडविड्थ

अमेरिका ने भारतीय 4जी/5जी टेक्नोलॉजी स्टैक में काफी रुचि दिखाई है

Posted On: 24 MAY 2023 10:27PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखंड के माणा में विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला रखे जाने पर कहा, ‘21वीं सदी के विकसित भारत के दो प्रमुख स्तंभ हैं। पहला, अपनी विरासत या धरोहर पर गर्व और दूसरा, विकास के लिए हरसंभव प्रयास और उत्तराखंड इन दोनों ही स्तंभों को मजबूती प्रदान कर रहा है।

प्रधानमंत्री के विजन को आगे बढ़ाने और विकास के स्तंभ को मजबूती प्रदान करने के लिए केंद्रीय संचार, रेल और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज गंगोत्री में 2,00,000वीं 5जी साइट का शुभारंभ किया और उत्तराखंड के देहरादून में चारधाम में फाइबर कनेक्टिविटी राष्ट्र को समर्पित की। केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न वरिष्ठ अधिकारीगण भी इस अवसर पर व्यक्तिगत रूप से और वर्चुअल रूप से शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने 1 अक्टूबर 2022 को 5G सेवाओं का शुभारंभ किया था और इसके शुभारंभ के महज 8 माह के भीतर ही 700 जिलों को कवर करने वाली 2,00,000 साइट स्थापित कर दी गई है। 5जी नेटवर्क का शुभारंभ अब सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में हो चुका है। यह पूरी दुनिया में 5जी के सबसे तेज शुभारंभ में से एक है।

चारधाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री) में अब 5जी मोबाइल कवरेज सुनिश्चित हो गई है। चारधाम यात्रा मार्ग के अधिकतर टावर भी अब इससे कनेक्‍ट हो चुके हैं।

अत्यधिक हाई बैंडविड्थ को आवश्‍यक सपोर्ट प्रदान करने वाली फाइबर कनेक्टिविटी इन तीर्थ स्‍थलों की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को निर्बाध सेवा मुहैया कराने के लिए अत्‍यधिक हाई इंटरनेट बैंडविड्थ सुनिश्चित करेगी जिससे आम जनता को जीवन यापन में काफी सहूलियत होगी जो कि सरकार की नागरिक-केंद्रित पहल का एक अहम हिस्सा है। तीर्थयात्रियों की अत्‍यधिक संख्या होने के बावजूद मंदिर परिसर में एवं उसके आसपास और यात्रा मार्ग पर वॉयस एवं वीडियो कॉल की गुणवत्ता अब से काफी अच्छी होगी। इसके अलावा, घांघरिया से लेकर हेमकुंड साहिब तक पूरे ट्रेकिंग पथ (6 किमी) पर भी मोबाइल सेवाएं सुलभ करा दी गई हैं।

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत दूरसंचार क्रांति का साक्षी बन रहा है। भारत में 5जी का शुभारंभ दरअसल पूरी दुनिया में इसके सबसे तेज शुभारंभ में से एक रहा है जिसके तहत हर मिनट एक साइट स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि गंगोत्री, चारधाम में 2,00,000वीं 5जी साइट शुरू कर दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि 6जी प्रौद्योगिकी के विकास में अगुवाई करने के प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप भारत के पास 6जी प्रौद्योगिकी में 100 से भी अधिक पेटेंट हैं, जो देश के प्रतिभाशाली इंजीनियरों और नवप्रवर्तकों या अन्‍वेषकों के उत्‍कृष्‍ट कौशल को दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे विकसित देश भारत के 4जी/5जी टेक्नोलॉजी स्टैक में काफी रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने आवश्‍यक सहयोग देने और त्वरित मंजूरी के लिए उत्तराखंड सरकार का धन्यवाद किया, जिससे उत्तराखंड में दूरसंचार सेवाओं को बहुत तेज गति से स्थापित करने में काफी मदद मिली।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के दूरदराज के इलाकों में दूरसंचार सेवाएं शुरू करने में आवश्‍यक सहयोग देने के लिए सेवा प्रदाताओं का धन्यवाद किया। चारधाम में यह उत्‍कृष्‍ट कनेक्टिविटी तीर्थयात्रियों को अपने परिजनों और दुनिया से जुड़े रहने में काफी मददगार साबित होगी। संचार क्रांति’ में दूरदराज के गांवों को भी कवर किया जा रहा है। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि 21वीं सदी का तीसरा दशक सही मायनों में उत्तराखंड का दशक होगा। उन्होंने कहा कि भारत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी है। उन्होंने विस्तार से बताया कि पहाड़ों में हाई-स्पीड नेटवर्क वास्तविक समय पर आपदा प्रबंधन और निगरानी करने में भी सक्षम साबित होगा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दुनिया में होने वाले समस्‍त डिजिटल लेन-देन का 40 प्रतिशत भारत में ही होता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत 5जी में वैश्विक मानक स्थापित कर रहा है और भारत मोबाइल के निर्माण में अग्रणी के रूप में उभर कर सामने आया है। उनका संबोधन डिवाइस, डिजिटल कनेक्टिविटी, डेटा रेट और डिजिटल फर्स्ट जैसे प्रमुख विषयों पर केंद्रित था। उन्होंने अपने संबोधन के आखिर में कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ‘अंत्योदय’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अंतिम छोर या व्‍यक्ति तक कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए आपसी समन्‍वय के साथ काम कर रही हैं।

भारत सरकार देश के हर दूरस्थ गांव में और हर व्यक्ति को विश्वस्तरीय कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए अथक प्रयास कर रही है।

उत्तराखंड में टेलीकॉम कनेक्टिविटी के लिए विभिन्न पहल

संचार मंत्रालय ने इस राज्य के यहां तक कि दूरदराज के कोने तक भी तेज गति से अत्‍यंत मजबूत और किफायती संचार सेवा की पहुंच बढ़ाने के लिए अनेक कार्यक्रम और नई प्रौद्योगिकियां शुरू की हैं।

आज उत्तराखंड राज्य में दूरसंचार सेवाएं निम्नानुसार हैं:

  • 92.5 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को 4जी मोबाइल सिग्नल से कवर कर लिया गया है (30.04.2023 तक उत्तराखंड राज्य में 1.4 करोड़ मोबाइल ग्राहक और 3.2 लाख वायरलाइन ग्राहक हो चुके हैं)।
  • इन्‍हें 9,000 टावरों द्वारा कवर किया गया है, जिनमें 33,000 बीटीएस हैं
  • उत्तराखंड में अनगिनत टावरों को 5जी क्षमता में अपग्रेड किया गया है।

विगत वर्षों में उत्तराखंड राज्य में निम्नलिखित विशेष कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है:

ए. 354 यूएसओएफ योजना - उत्तराखंड राज्य में 56 टावरों की योजना बनाई गई है, जिनमें से 41 साइटों को चालू कर दिया गया है, बाकी साइटों पर काम चल रहा है।

बी: 4जी सेचुरेशन स्कीम - इस योजना के तहत कुल 1236 गांवों को कवर करने की योजना है, 360 ग्रामीण स्थलों पर नए टावरों को अंतिम रूप दिया गया है, अतिरिक्त 382 गांवों को भी प्रस्तावित किया गया है, और 77 स्थानों पर मौजूदा टावरों को 4जी नेटवर्क में अपग्रेड किया जा रहा है। राज्य के सभी गांवों में 4जी मोबाइल सेवाएं सुलभ कराने के लिए सर्वेक्षण का कार्य प्रगति पर है।

सी: भारतनेट परियोजना: इसके प्रथम चरण की परियोजना के तहत समग्र योजना 1849 ग्राम पंचायतों (बीएचक्यू सहित) को कवर करने की थी; जिनमें से 1816 गांवों/ग्राम पंचायतों को पहले ही एकीकृत किया जा चुका है (22/05/2023 तक)। शेष 33 ग्राम पंचायतों (जीपी) में अब इस कार्य को जून 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है।  

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