मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
भारत का मछली उत्पादन 2021-22 में रिकॉर्ड 162.48 लाख टन प्रति वर्ष तक पहुंचा: श्री परशोत्तम रूपाला
भारत वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है: श्री परशोत्तम रूपाला
भारत मत्स्यपालन एवं उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और दुनिया में शीर्ष कृत्रिम रूप से झींगा उत्पादक देशों में से एक है: श्री परशोत्तम रूपाला
तीन दिवसीय सागर परिक्रमा यात्रा के पांचवे चरण का समापन गोवा में हुआ
Posted On:
19 MAY 2023 4:36PM by PIB Delhi
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने कहा कि भारत समृद्ध तथा विविध मत्स्य संसाधनों से संपन्न है और विभिन्न प्रकार की मछलियों का उत्पादन करता है। मछली भारत में भोजन, पोषण, रोजगार व आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। मछली स्वस्थ पशु प्रोटीन और ओमेगा 3-फैटी एसिड का एक सस्ता तथा समृद्ध स्रोत होने के कारण भूख और कुपोषण को कम करने की अपार क्षमता प्रदान करती है। श्री परशोत्तम रूपाला ने कहा कि यह आशाओं से भरा यह क्षेत्र कई लाख रूपये की मूल्य श्रृंखला के साथ प्राथमिक स्तर पर 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरों और मत्स्य पालकों को आजीविका, रोजगार एवं उद्यमिता के अवसर प्रदान करता है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने कहा कि भारत का मत्स्य क्षेत्र धीरे-धीरे विकसित हुआ है और अब यह देश के सामाजिक-आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के समय विशुद्ध रूप से एक पारंपरिक आर्थिक गतिविधि के रूप में शुरू हुआ मछली उत्पादन पिछले 75 वर्षों में 22 गुना वृद्धि के साथ एक व्यावसायिक उद्यम में बदल गया है। साल 1950-51 में मात्र 7.5 लाख टन से शुरू हुआ भारत का कुल मछली उत्पादन 2021-22 में रिकॉर्ड 162.48 लाख टन प्रति वर्ष तक पहुंच गया है। उन्होंने बताया कि 2020-21 की तुलना में 2021-22 में मछली उत्पादन में 10.34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। श्री रूपाला ने बताया कि आज, भारत वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। उन्होंने कहा कि यह मत्स्य उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और दुनिया में शीर्ष कृत्रिम झींगा उत्पादक देशों में से एक है।
मुख्य रूप से मत्स्य उत्पादन द्वारा प्रेरित अंतर्देशीय मछली उत्पादन की वृद्धि और भी शानदार रही है। 2000-01 में मात्र 28.23 लाख टन प्रति वर्ष से अंतर्देशीय मछली उत्पादन 2021-22 में 121.21 लाख टन प्रति वर्ष हो गया, जो 400 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि को दर्शाता है। वास्तव में, देश का अंतर्देशीय मत्स्य पालन और मछली उत्पादन साल 2014 के बाद से लगभग दोगुना हो चुका है। यह विभिन्न प्रजनन प्रौद्योगिकियों के विकास में हमारे मत्स्य वैज्ञानिकों, विशेष रूप से आईसीएआर संस्थानों के महत्वपूर्ण योगदान, केंद्र एवं राज्य सरकारों, मछुआरों, मछली किसानों और उद्यमियों के ठोस प्रयासों तथा कड़ी मेहनत के कारण ही हुआ है।
"सागर परिक्रमा यात्रा" हमारे देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों, नाविकों एवं मछुआरों को नमन करते हुए 75वें आज़ादी का अमृत महोत्सव की भावना के रूप में सभी मछुआरों, मत्स्य उत्पादकों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए तटीय क्षेत्र में समुद्र में परिकल्पित एक विकासवादी यात्रा है। यह भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य मछुआरों तथा अन्य हितधारकों के विभिन्न मुद्दों को हल करना है और भारत सरकार द्वारा लागू की जा रही विभिन्न मत्स्य योजनाओं एवं कार्यक्रमों जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) व किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से उनके आर्थिक उत्थान की सुविधा प्रदान करना है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने डॉ. अभिलक्ष लिखी, आईएएस, ओएसडी (मत्स्य पालन), डॉ. जुज्जावरापु बालाजी, संयुक्त सचिव (समुद्री मत्स्य पालन), डॉ. अतुल पाटने, आईएएस, सचिव (मत्स्य) महाराष्ट्र सरकार और डॉ. एल एन मूर्ति, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड की उपस्थिति में इस महत्वपूर्ण अवसर की शोभा बढ़ाई और गेटवे ऑफ इंडिया, मुंबई से सागर परिक्रमा यात्रा के पांचवे चरण का शुभारंभ किया। यह यात्रा 17 मई 2023 को महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र (करंजा, जिला रायगढ़) से होते हुए वेल्डुर (जिला रत्नागिरी) पहुंची। 18 मई 2023 को यात्रा (मिर्या गांव, मीरकरवाड़ा, जिला रत्नागिरी, स्वातंत्र्यवीर सावरकर नाट्यगृह, मारुति मंदिर, जिला रत्नागिरी) शुरू हुई और आज, 19 मई 2023 को (वास्को, बैना, मडगांव , कानाकोना क्षेत्रों के बाद) गोवा में संपन्न हो गई।
गुजरात में 'सागर परिक्रमा' यात्रा के पहले चरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जो 5 मार्च 2022 को मांडवी से शुरू हुआ और 6 मार्च 2022 को गुजरात के पोरबंदर में पूरा हुआ। द्वितीय चरण के कार्यक्रम के रूप में सागर परिक्रमा यात्रा 22 सितंबर 2022 को मांगरोल से वेरावल तक आयोजित हुई और 23 सितंबर 2022 को मूल द्वारका से मधवाड़ तक मूल द्वारका में पूरी हुई। 'सागर परिक्रमा' का तीसरा चरण कार्यक्रम 19 फरवरी 2023 को गुजरात के सूरत से शुरू हुआ था और 21 फरवरी 2023 को सैसन डॉक, मुंबई में संपन्न हुआ। चौथा चरण 17 मार्च 2023 को गोवा के मोरमुगाओ पोर्ट से आरंभ हुआ और 19 मार्च 2023 को मैंगलोर में खत्म हुआ।
सागर परिक्रमा के पांचवे चरण के पहले दिन का कार्यक्रम करंजा (रायगढ़ जिले) में दीप जलाकर मछुआरा समुदाय के पुरुषों व महिलाओं द्वारा केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों के गर्मजोशी से स्वागत के साथ शुरू हुआ। उन्होंने आधारभूत विकास, विपणन, निर्यात और संस्थागत व्यवस्थाओं आदि सहित मत्स्य उत्पादन, उत्पादकता तथा उससे जुड़ी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया। श्री परशोत्तम रूपाला और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में उपस्थित मत्स्य पालकों एवं मछुआरों जैसे सभी लाभार्थियों के साथ बातचीत की। इसके अलावा, अन्य लाभार्थियों एवं मछुआरों, मत्स्य पालकों और अन्य हितधारकों को किसान क्रेडिट कार्ड तथा क्यूआर कोड आधार कार्ड/ई-श्रम कार्ड से सम्मानित किया गया। करंजा (रायगढ़ जिला) में आयोजित कार्यक्रम में लगभग 6000 मछुआरों, मछली किसानों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
सागर परिक्रमा यात्रा के पांचवे चरण का दूसरा दिन एक विशेष कार्यक्रम वेल्डुर (जिला रत्नागिरी) से शुरू हुआ, जहां पर डॉ. अतुल पाटने, आईएएस, सचिव (मत्स्य पालन), महाराष्ट्र सरकार ने सागर परिक्रमा यात्रा के पांचवे चरण पर प्रतिभागियों को तटीय क्षेत्रों में मछली पालकों एवं मछुआरों द्वारा समुदायों तथा समग्र समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। श्री परशोत्तम रूपाला और अन्य गणमान्य लोगों ने वेल्डुर (जिला रत्नागिरी) में मौजूद विभिन्न लाभार्थियों i) श्री विठ्ठल भालेकर, ii) पीएन चौगले, iii) मकबूल हुसैन झंबरखर, मत्स्य उत्पादकों, मछुआरों से बातचीत की। एक इंटरैक्टिव सत्र के माध्यम से मत्स्य पालकों ने मछली पालन के अपने तरीके के बारे में जानकारी दी और अपने संबंधित अनुप्रयोगों को साझा किया। यह कार्यक्रम मिरकरवाड़ा, जिला रत्नागिरी तक चला और फिर विभिन्न लाभार्थियों जैसे मछुआरों, मछली पालकों और अन्य हितधारकों को किसान क्रेडिट कार्ड तथा क्यूआर कोड आधार कार्ड/ई-श्रम कार्ड से सम्मानित किया गया। मीरकरवाड़ा (जिला रत्नागिरी) में आयोजित इस कार्यक्रम में लगभग 8000 मछुआरों, मछली पालकों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
मंचीय कार्यक्रम स्वातंत्र्यवीर सावरकर नाट्यगृह, मारुति मंदिर (जिला रत्नागिरी) के वरिष्ठ आधिकारिक गणमान्य व्यक्तियों तथा अन्य लाभार्थियों यानी मछुआरों, मछली पालकों एवं अन्य हितधारकों की उपस्थिति में शुरू हुआ। श्री उदय सामंत उद्योग मंत्री, महाराष्ट्र सरकार, संसद सदस्य और विधान सभा सदस्य तथा महाराष्ट्र के अन्य जनप्रतिनिधि, डॉ अभिलक्ष लिखी, आईएएस, ओएसडी, मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ. अतुल पाटने, आईएएस सचिव मत्स्य एवं मत्स्य आयुक्त, महाराष्ट्र राज्य, डॉ. जे. बालाजी, आईएएस संयुक्त सचिव, मत्स्य पालन, भारत सरकार तथा भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग में राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के निदेशक, महाराष्ट्र सरकार और गोवा सरकार के मत्स्य विभाग में वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण, महाराष्ट्र समुद्री बोर्ड और अन्य हितधारकों के अलावा मछुआरों के प्रतिनिधि भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस यात्रा में देश भर के राज्य मत्स्य अधिकारियों, मछुआरों के प्रतिनिधियों, मछली-उत्पादकों, उद्यमियों, हितधारकों, पेशेवरों, अधिकारियों और वैज्ञानिकों के साथ अन्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।
सागर परिक्रमा में पांचवे चरण के तीसरे दिन का कार्यक्रम वास्को फिशिंग जेट्टी के रवाना होने के साथ शुरू हुआ। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत और गोवा सरकार में मत्स्य पालन मंत्री श्री नीलकंठ हलरंकर तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने मत्स्य उत्पादकों एवं मछुआरों जैसे लाभार्थियों के साथ बातचीत की। मछुआरों ने अपने मुद्दों को उजागर करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई तथा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) जैसी योजनाओं एवं कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सभी लोगों को धन्यवाद दिया है। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने स्वयंसेवकों से योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने में सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया ताकि देश के मछुआरे व मछली पालक केसीसी का लाभ उठा सकें और अपने स्वयं के जीवन को बेहतर बनाने में स्वयं का सहयोग कर सकें।
श्री परशोत्तम रूपाला और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने बैना तथा नानुटेल में ग्राम कार्यक्रम में भाग लिया। गोवा के बैना में श्री परशोत्तम रूपाला को मछुआरा संघ से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि देश भर से मछुआरों की आजीविका में सुधार के लिए उनकी सहायता करने की उच्च मांग के कारण प्रधानमंत्री ने मत्स्य पालन के लिए अलग विभाग की स्थापना की है और वर्ष 1950 से 2014 तक मत्स्य पालन क्षेत्र में निवेश लगभग 3,681 करोड़ रुपये का था। वर्ष 2014 में सरकार ने पीएमएमएसवाई जैसी योजनाओं को लगभग 20,500 करोड़ रूपए का अनुमानित बजट के साथ पेश किया था। जमीनी हकीकत को समझकर मत्स्य क्षेत्र के विकास के लिए काफी निवेश किया गया है। इसके अलावा, उन्होंने मछुआरा समुदाय के लोगों के साथ बातचीत की और उनके मुद्दों एवं जमीनी हकीकत पर चर्चा की। इस दौरान मछुआरों एवं मत्स्य उत्पादकों जैसे लाभार्थी आगे आए हैं तथा समुद्र तटों, बुनियादी ढांचे व मछुआरों के अधिकारों से जुड़ी आवासीय कॉलोनियों से संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है। इसके अलावा, मछुआरों ने गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के जहाज उपलब्ध कराने, मछली पकड़ने के उपकरण, जाल बंधन, तेल रिसाव व कटाव आदि के लिए बीमा कराने का अनुरोध किया। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला बहुत प्रसन्न थे कि मत्स्य पालकों एवं मछुआरों को अपनी जमीनी हकीकत और अनुभव साझा करने तथा उनके सामने आने वाली समस्याओं के बारे में बताने के लिए एक इंटरैक्टिव सत्र से मदद मिली है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने मत्स्य पालन से जुड़ी हुई गोवा ऑनलाइन सेवाओं से संबंधित योजना की शुरुआत की। राजबाग कानाकोना (गोवा) में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रगतिशील मछुआरों, विशेष रूप से पारंपरिक मत्स्य पालकों, मछली उत्पादकों व मत्स्य किसानों और युवा मत्स्य उद्यमियों आदि को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना तथा केसीसी से संबंधित प्रमाण पत्र/स्वीकृति प्रदान की गई। इस दौरान लाभार्थियों जैसे मछुआरों, मछली पालकों और अन्य हितधारकों को i) नाव (प्रतिस्थापन) और पारंपरिक मछुआरों के लिए जाल हेतु (ज़ेक अब्दुल हामिद को 1,15,500/- रुपये की राशि, तुकाराम बी. चांडेकर को 1,80,000/- रुपये की राशि कोंस्टासियो बैरेटो की राशि 1,30,682/- रुपये, अविनाश कबराल, रु.73,500/-, बाबू जी टंडेल, रु.1,68,000/-, जोस ब्रगेंज़ा, रु.1,40,000/-, सदानंद चंद्रू पागी को 1,24,182/- रुपये की राशि, रमानाथपीलू पगी की राशि 1,16,409/- रुपये, संतोष हरिश्चंद्र ठक्कर की राशि 96,211/- रुपये, प्रताप चंद्रकांत कांकणकर की राशि 1,26,112/- रुपये, सोकोरो ब्रागेंज़ा को राशि रु.97,382/, मिलाग्रिस फर्नांडीस, रु.1,14,210/-, फ्रांसिस्को ब्रगेंज़ा, राशि रु.1,57,800, केजेटन माइकल गुर्जाओ की राशि रु.1,36,500/-, महक मुकुंद पगी रु.1,42,200/-, उज्ज्वला शंकर पागी की राशि 1,62,000/- रुपये।
अना रीता फर्नांडिस, रुपये 1,46,482/- की राशि, ii) लाइव फिश वेंडिंग सेंटर की 1 यूनिट के लिए (मैसर्स जैश फार्म, केरी क्षेत्र में 8,00,000 रुपये की राशि) से सहायता प्राप्त), iii) इंसुलेटेड वाहनों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता (रूहिनाज़ एजाज काज़, रु. 1,37,400/- की राशि) प्रदत्त की गई, iv) जिन्हें किसान क्रेडिट कार्ड प्रदान किया गया (श्री रामेडियोस डी मेलो, रु. 1,60,000/- की राशि) -, श्री हेनरिक डे मेलो, 1,60,000/- रुपये की राशि), v) बाजार और किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर मछली विक्रेता की श्रेणी के लिए मछली विक्रेता कार्ड होल्डर (प्रतिमा हरिश्चंद्र पागी, बेबी रत्नाकर पागी, वत्सला पांडु पागी, कविता कांता पागी, सुमित्रा आर. पागी, शोभा बी. पागी, मायावती दत्तू पगुई, प्रियंका प्रदीप पगुई, 30 अमिता अमृत पगुई, सत्यवती राघोबा पागी, उज्ज्वला श्रीकांत पागी, दीपा दिलीप पागी, श्रीमती रत्नाकर पागी, तेजा तैकुश पागी, सविता बालचंद्र पागी, दीक्षा डी पागी, प्रशांति जयेश पागी, शिल्पा सतीश पागी, चंद्रकला सी पागी, अंकिता गुरुदास पगुई, लतिका लक्ष्मण पागी, सुरेखा राम पागी, राजश्री गणेशशम पागी, सुषमा प्रदीप पागी, दीपा पागी , अश्विनी अशोक पगी, भागीरथी भारत पगी) vi) इंसुलेटेड बक्सों के साथ (गुरुदास एल.धूरी, 100 लीटर, रु.1,553/- की राशि, शोशांत एस.पगी, 220 लीटर, रु. 4963/-, संतोष विठ्ठल पगी 220 लीटर, राशि रु. 4963/-, उर्मिला उल्हास पागी, 220 लीटर, राशि 4963/-, मधुकर कांता पागी 100 लीटर, राशि 1,553/-, सुधाकर डी. पागी 220 लीटर, राशि रु. 4963/-), vii) सुरक्षा उपकरणों के साथ (श्री फ्रांसिस रोड्रिग्स इको साउंडर (ट्रांसपोंडर और लाइफ जैकेट), रु.31,200/- की राशि, श्री इरफ़ान पोतकर (इको साउंडर), रु.34,000/- की राशि प्रदत्त, श्री जोआओ मारियानो गोज़ (इको साउंडर, ट्रांसड्यूसर) को रु.34,000/- की राशि, श्री केतनो फर्नांडीस (ट्रांसड्यूसर, लाइफ़ जैकेट और लाइफ़ बॉय), रु.44,950/- की राशि, श्री.सैनफ़ोर्ड रोड्रिग्स (फ़िश फ़ाइंडर, जीपीएस, ट्रांसड्यूसर), रु.1,00,000/- की राशि, श्री माइकल आर.फर्नांडिस (डिजिटल सोनार मॉनिटर), रु.1,00,000/- की राशि, श्री केतनो एग्नेलो निकोलौ रोड्रिग्स (मछली खोजक एआईएस), राशि रु.62,000/-, श्री मेनिनो अफोंसो (फिश फाइंडर एआईएस), रु.1,00,000 की राशि) अनुदान के रूप में दी गई है।
यह कार्यक्रम को एक बड़ी सफलता प्राप्त हुई, जिसमें 20,000 से अधिक लोग विभिन्न स्थानों से आकर स्वयं शामिल हुए थे और इस कार्यक्रम को यू ट्यूब, ट्विटर और फेसबुक जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीम किया गया था, जिसे लगभग 15,000 लोगों द्वारा लाइव देखा गया था। इसलिए, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास सहित मछुआरों तथा मत्स्य पालकों की आजीविका एवं समग्र विकास पर इस सागर परिक्रमा का प्रभाव दूरगामी होगा।
इस पहल से सरकार को तटीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लोगों, विशेषकर देश में समुद्री मछुआरों के जीवन की गुणवत्ता एवं आर्थिक कल्याण में सुधार के लिए बेहतर नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। सागर परिक्रमा यात्रा देश की खाद्य सुरक्षा के लिए समुद्री मात्स्यिकी संसाधनों के उपयोग, तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा, मछुआरा समुदायों तथा उनकी अपेक्षाओं की खाई को पाटने के बीच स्थायी संतुलन विकसित करने पर केंद्रित है। आने वाले चरणों में एक इकोसिस्टम आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से सतत एवं जिम्मेदारी से पूर्ण विकास सुनिश्चित करने के लिए मछली पकड़ने वाले लोगों के गांवों का विकास, मछली पकड़ने के बंदरगाह और लैंडिंग केंद्रों जैसे बुनियादी ढांचे का उन्नयन तथा निर्माण शामिल किया गया है।
सागर परिक्रमा यात्रा का पांचवां चरण अपनी जबर्दस्त सफलता और गहरा प्रभाव छोड़ते हुए अपने अंत तक पहुंची।
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