विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

सतत नीली अर्थव्यवस्था के लिए वैज्ञानिक चुनौतियों और अवसरों पर कल दीव में जी20 अनुसंधान एवं नवाचार पहल समूह सम्मेलन


2023 में भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान आरआईआईजी का मुख्य विषय "एक समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार" है

दीव में जी 20 आरआईआईजी सम्मेलन में सतत नीली अर्थव्यवस्था के अवसरों पर चर्चा की जाएगी

Posted On: 17 MAY 2023 4:38PM by PIB Delhi

कल 18 मई, 2023 को दीव (दीव, दमन, नगर हवेली) में होने वाले जी20 अनुसंधान एवं नवाचार पहल समूह (रिसर्च एंड इनोवेशन इनिशिएटिव गैदरिंग- आरआईआईजी) सम्मेलन 2023  में जी20 सदस्यों, आमंत्रित अतिथि देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और वैज्ञानिक समुदाय के आमंत्रित विशेषज्ञ प्रतिभागियों के प्रतिनिधि एक सतत नीली अर्थव्यवस्था (सस्टेनेबल ब्ल्यू इकॉनमी) के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ने के तरीकों पर विचार-विमर्श करेंगे।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के सचिव और जी20 आरआईआईजी अध्यक्ष डॉ. श्रीवरी चंद्रशेखर इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस जी20 आरआईआईजी  सम्मेलन का समन्वनय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है। सम्मेलन में 35 से अधिक विदेशी प्रतिनिधियों और 40 भारतीय विशेषज्ञों, प्रतिनिधियों और आमंत्रितों के भाग लेने की संभावना है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन इस  आरआईआईजी सम्मेलन की कार्यवाही का समन्वयन करेंगे।

2023 में भारत की जी-20 अध्यक्षता (प्रेसीडेंसी) के दौरान अनुसंधान एवं नवाचार पहल समूह का मुख्य विषय "एक समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार" है। भारत की जी20 अध्यक्षता के अंतर्गत आरआईजी के चार प्राथमिकता वाले क्षेत्र इस प्रकार हैं: i) सतत ऊर्जा के लिए सामग्री; ii) चक्रीय जैव-अर्थव्यवस्था (सर्कुलर बायो-इकॉनमी); iii) ऊर्जा संक्रमण (एनर्जी ट्रांजिशन) के लिए पारिस्थितिकी-नवाचार (इको- इनोवेशन्स) ; और iv) सतत नीली अर्थव्यवस्था (ब्ल्यू इकॉनमी) के लिए वैज्ञानिक चुनौतियां और अवसर। सतत ऊर्जा के लिए सामग्री; एनर्जी ट्रांजिशन के लिए सर्कुलर बायो-इकोनॉमी और इको-इनोवेशन पर आरआईआईजी सम्मेलन क्रमशः रांची, डिब्रूगढ़ और धर्मशाला में संपन्न हो चुके हैं।

नीली अर्थव्यवस्था (ब्ल्यू इकॉनमी) पर आरआईआईजी का दीव सम्मेलन कई प्रमुख उप-विषयों पर जी20 सदस्यों के बीच ज्ञान को परस्पर साझा करने एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा जिसमें (क) ब्लू इकोनॉमी (सेक्टर) और अवसर, (ख) समुद्री प्रदूषण, (ग़) समुद्र तटीय और समुद्री (मैरीन) इकोसिस्‍टम एवं जैव विविधता, (घ) अवलोकन, डेटा और सूचना सेवाएं, (च) तटीय और समुद्री स्थानिक योजना, (छ) गहरे समुद्र की खोज, नई और नवीकरणीय अपतटीय (ऑफशोर) ऊर्जा, तथा (ज) नीली अर्थव्यवस्था की नीतियां और रणनीतियां शामिल हैं।  

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