प्रधानमंत्री कार्यालय
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
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18 MAR 2023 11:17PM by PIB Delhi
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में जुड़े सभी महानुभावों को मेरा नमस्कार। देश-विदेश से जो दर्शक-पाठक, डिजिटल माध्यम से हमारे साथ जुड़े हैं, उनका भी अभिनंदन। मुझे ये देखकर अच्छा लगा कि इस कॉन्क्लेव की थीम है - The India Moment. आज दुनिया के बड़े economists, analysts, thinkers, सभी ये कहते हैं कि ये और एक स्वर में कहते हैं ‘It is India’s moment’. लेकिन जब India Today group ये optimism दिखाता है, तो ये extra special है। वैसे मैंने 20 महीने पहले लाल किले से कहा था- यही समय है, सही समय है। लेकिन यहां पहुंचते पहुंचते 20 महीने लग गए। तब भी भावना यही थी- This is India’s Moment.
साथियों,
किसी भी राष्ट्र की विकास यात्रा में अनेक उतार चढ़ाव आते रहते हैं, कई पड़ाव आते हैं। आज 21वीं सदी के इस दशक में भारत के सामने जो Time Period आया है, ये अभूतपूर्व है। आज से कुछ दशक पहले जो देश आगे बढ़े, कई देश आगे बढ़े, विकसित हुए, लेकिन उनके सामने स्थितियां बहुत अलग थीं। एक तरह से उनका मुकाबला खुद से ही था, उनके सामने इतनी प्रतिस्पर्धा नहीं थी। लेकिन आज जिन परिस्थितियों में भारत आगे बढ़ रहा है, वे चुनौतियां बहुत ही अलग हैं, बहुत ही व्यापक हैं, विविधताओं से भरी हुई हैं।
आज इतने सारे Global Challenges हैं, अब देखिए 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी, सबसे बड़ा संकट है, दो देश महीनों से युद्ध में हैं, पूरी दुनिया की सप्लाई चेन अस्त-व्यस्त है, उस स्थिति में, इस background को सोचिए, उस स्थिति में The India Moment की बात होना सामान्य नहीं है। ये एक नया इतिहास बन रहा है जिसके हम सभी साक्षी हैं। आज पूरी दुनिया भारत को लेकर एक विश्वास से भरी हुई है। आज भारत दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। आज भारत दुनिया में नंबर वन स्मार्टफोन डेटा कंज्यूमर है। आज भारत, ग्लोबल फिनटेक adoption rate में नंबर वन है। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरर है। आज भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है।
ऐसी कितनी ही बातों पर चर्चा होती रही है। लेकिन चलो पुरानी बातें कभी किसी को जरूरत पड़ेगी तो खोद कर निकालेगा। लेकिन मैं अभी-अभी की बात करना चाहता हूं और वो भी 2023 की। 2023 के 75 दिन हुए हैं। मैं 75 days की ही बात आज करना चाहता हूं। इन 75 दिनों में देश का ऐतिहासिक ग्रीन बजट आया। इन 75 दिनों में कर्नाटका के शिवमोगा में एयरपोर्ट का लोकार्पण हुआ। इन 75 दिनों में मुंबई में मेट्रो रेल का अगला फेज शुरू हुआ। इन 75 दिनों में देश में दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज चला। बेंगलुरु मैसूर एक्सप्रेस वे शुरू हुआ। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का एक सेक्शन शुरू किया गया। मुंबई से, विशाखापट्टनम से वंदे भारत ट्रेनें चलनी शुरू हुईं। IIT धारवाड़ के परमानेंट कैंपस का लोकार्पण हुआ। भारत ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों को परमवीर चक्र विजेताओं के नाम किया।
साथियों,
इन 75 दिनों में ही भारत ने पेट्रोल में 20 परसेंट इथेनॉल की ब्लेंडिंग करके E20 fuel लॉन्च किया है। इन 75 दिनों में ही तुमकुरू में एशिया की सबसे बड़ी आधुनिक हेलीकॉप्टर फैक्ट्री का लोकार्पण हुआ है। एयर इंडिया ने दुनिया का सबसे बड़ा aviation order दिया है। इन 75 दिनों में ही भारत ने e-Sanjivani के माध्यम से 10 करोड़ टेली-कंसल्टेशन का मुकाम हासिल किया है। इन 75 दिनों में ही भारत ने 8 करोड़ नए टैप वॉटर कनेक्शन्स देने का मुकाम हासिल किया। इन 75 दिनों में ही यूपी-उत्तराखंड में रेल नेटवर्क के 100 परसेंट electrification का काम पूरा हुआ।
साथियों,
इन 75 दिनों में कुनो नेशनल पार्क में 12 चीताओं का नया बैच आया है। भारतीय महिला टीम ने अंडर-19 क्रिकेट T-20 वर्ल्ड कप जीता है। इन 75 दिनों में देश को 2 ऑस्कर जीतने की खुशी मिली है।
साथियों,
इन 75 दिनों में हजारों विदेशी डिप्लोमेट्स और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि जी-20 की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए भारत आए। इन 75 दिनों में जी-20 की 28 अहम बैठकें हुई हैं यानी हर तीसरे दिन एक बैठक। इसी दौरान एनर्जी समिट हुई, आज ही ग्लोबल मिलेट्स कॉन्फ्रेंस हुई है। हमने देखा, बेंगलुरू में हुए एयरो-इंडिया में हिस्सा लेने के लिए 100 से ज्यादा देश भारत आए। इन 75 दिनों में ही सिंगापुर के साथ UPI linkage की शुरुआत हुई। इन 75 दिनों में ही तुर्किए की मदद के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाया। अब से कुछ घंटे पहले ही भारत-बांग्लादेश गैस पाइप लाइन का लोकार्पण हुआ है। ये 75 दिनों की ही इतनी लंबी लिस्ट है कि समय कम पड़ जाएगा। और मैं 75 दिन की कुछ बातें इसलिए दिखा रहा हूं कि यही India Moment का ही तो Reflection है।
साथियों,
आज देश एक ओर रोड-रेलवे, पोर्ट-एयरपोर्ट जैसे Physical इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है, दूसरी ओर भारतीय संस्कृति और सॉफ्ट पावर के लिए भी दुनिया में अभूतपूर्व आकर्षण है। आज योग पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो चुका है। आज आयुर्वेद को लेकर उत्साह है, भारत के खान-पान को लेकर उत्साह है। आज भारतीय फिल्में, भारतीय संगीत, नई ऊर्जा के साथ लोगों को अपना दीवाना बना रहे हैं। हमारे मिलेट्स- श्रीअन्न भी पूरी दुनिया में पहुँच रहे हैं। बात चाहे इंटरनेशनल सोलर अलायंस की हो या Coalition for Disaster Resilient Infrastructure की हो, विश्व आज इस बात को महसूस कर रहा है कि भारत के ideas और भारत का सामर्थ्य, Global Good के लिए है। इसलिए आज विश्व कह रहा है- This is India’s Moment.
और आप सबने हाल-फिलहाल एक और बात भी नोट की होगी। इन सबका Multiplier Effect होता है। एक छोटी सी बात की तरफ मैं आपका ध्यान आकर्षित करता हूं। आजकल अधिकतर देश जब भी मुझे मिलना होता है या उनका भारत आना होता है या भारत से किसी का वहां दौरा होता है, आपने मार्क किया होगा हर देशों में स्पर्धा चल पड़ी है कि भारत से चोरी की गई जो प्राचीन मूर्तियां हैं ना, वो खुद ब खुद हमको देते हैं, ले जाइए। क्योंकि अब उनका भरोसा हुआ है कि इसका सम्मान भी वहीं अब संभव है। यही तो Moment है।
और ये सब ऐसे ही तो नहीं हो रहा है दोस्तों। आज के India Moment की सबसे विशेष बात ये है कि आज इसमें Promise के साथ-साथ performance भी जुड़ गई है। यहां इतने वरिष्ठ लोग बैठे हैं। आपने तो 2014 से पहले की हेडलाइन्स लिखी हैं, पढ़ी हैं, रिपोर्ट की हैं। और तब मेरे जैसा कोई दुकान चलाने वाला नहीं था। पहले क्या हेडलाइंस होती थीं? इस सेक्टर में इतने लाख करोड़ रुपए का घोटाला। भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनता सड़कों पर उतरी। आज क्या हेडलाइन होती है? भ्रष्टाचार के मामलों में एक्शन के कारण भयभीत भ्रष्टाचारी लामबंद हुए, सड़कों पर उतरे। आप लोगों ने तो घोटालों की खबरें दिखा-दिखाकर इतनी TRP बटोरी है। अब आपके पास Opportunity है, भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई दिखा करके TRP बढ़ाइए। किसी के प्रेशर में ना आएं, बैलेंसिंग के चक्कर में ये मौका ना गवाएं।
साथियों,
पहले शहरों में बम ब्लास्ट की हेल्डलाइन्स होती थीं, नक्सली वारदातोँ की हेडलाइन होती थी। आज शांति और समृद्धि की खबरें ज्यादा आती हैं। पहले पर्यावरण के नाम पर बड़े-बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट रोके जाने की खबरें आती थीं। आज पर्यावरण से जुड़ी Positive News के साथ ही, नए हाईवे, एक्सप्रेसवे बनने की खबरें आती हैं। पहले ट्रेनों की दुखद दुर्घटनाओं की खबरें आम बात होती थीं। आज आधुनिक ट्रेनों की शुरुआत हेडलाइन बनती है। पहले एयर इंडिया के घोटालों की, बेहाली की चर्चा होती थी। आज दुनिया की सबसे बड़ी एयरक्राफ्ट डील की खबरें दुनिया में हेडलाइन बनती हैं। Promise और performance का यही बदलाव India Moment लेकर आया है।
वैसे साथियों, जब देश आत्मविश्वास से भरा हो- संकल्प से भरा हो, विदेश भी, दुनिया के विद्वान भी भारत को लेकर आशावान हो, इन सबके बीच निराशा की बातें, हताशा की बातें, भारत को नीचा दिखाने की बातें, भारत का मनोबल तोड़ने की बातें भी होती रहती हैं। अब हम जानते हैं कि किसी का कहीं पर भी शुभ होता है ना तो एक काला टीका लगाने की पंरपरा रहती है। तो आज इतना शुभ हो रहा है, इतना शुभ हो रहा है कि कुछ लोगों ने काला टीका लगाने का जिम्मा लिया है और ये इसलिए कि नजर न लग जाए।
साथियों,
गुलामी के लंबे कालखंड के चलते हमने गरीबी का एक लंबा दौर देखा है। ये दौर जितना भी लंबा रहा हो, एक बात हमेशा शाश्वत रही। भारत का गरीब, जल्द से जल्द गरीबी से बाहर निकलना चाहता था। आज भी वो दिनभर कड़ी मेहनत करता है। वो ये चाहता है कि उसका जीवन बदले, उसकी आने वाली पीढ़ियों का जीवन बदले। वो सिर्फ दो टाइम की रोटी तक सीमित नहीं रहना चाहता।
बीते दशकों में जो भी सरकारें रही हैं, उन्होंने अपने-अपने सामर्थ्य और सूझबूझ से कोशिशें भी की हैं। उन्हीं प्रयासों के हिसाब से उन सरकारों को परिणाम भी मिले हैं। हम नए नतीजे चाहते थे, इसलिए हमने अपनी स्पीड भी बढ़ाई और स्केल भी बढ़ाया। अब जैसे, शौचालय तो पहले भी बनते थे। लेकिन हमने रिकॉर्ड तेजी से 11 करोड़ से अधिक टॉयलेट्स का निर्माण किया। बैंक तो देश में पहले भी थे और गरीबों के नाम पर बैंकों का राष्ट्रीयकरण भी किया गया था। लेकिन हमने..और अभी अरुण जी विस्तार से बता रहे थे, हमने तेजी से 48 करोड़ लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा। गरीबों के लिए घर की योजना भी पहले से थी। उन योजनाओं की स्थिति क्या थी, ये आप लोग भली-भांति जानते हैं। हमारी सरकार ने इसे भी पूरी तरह बदला। अब घर का पैसा सीधे उस गरीब के बैंक अकाउंट में भेजा जाता है। अब घर बनाने की पूरी प्रक्रिया की लगातार मॉनिटरिंग होती है, और owner driven scheme ले करके हम चल रहे हैं। और जब owner driven होता है तो घपले नहीं होते, वो अच्छा घर बनाना चाहता है।
हमने पिछले 9 साल में 3 करोड़ से अधिक घर बनाकर गरीबों को दिए हैं। यानी दुनिया के कई देश हैं, पूरा देश नया बना रहे हैं हम। हमारे यहां अक्सर महिलाओं के नाम प्रॉपर्टी नहीं होती है। दुकान खरीदी जाती है, पुरुष के नाम। गाड़ी खरीदी जाती है, तो पुरुष के नाम। जमीन खरीदी जाती है, पुरुष के नाम। लेकिन हमारी सरकार ने जो घर गरीबों को बनाकर दिए हैं, उसमें से करीब-करीब ढाई करोड़ घर, Joint Name से हैं, उनमें महिलाओं का भी मालिकाना हक है। अब आप सोचिए, गरीब महिला खुद को Empower Feel करेगी तो फिर India Moment आएगा या नहीं?
देश में ऐसे कितने ही बदलाव हुए हैं जो India Moment को लाए हैं। इनमें से कुछ बदलावों की चर्चा तो मीडिया भी नहीं करता। क्या आप जानते हैं कि पूरे विश्व की एक बहुत बड़ी चुनौती- प्रॉपर्टी राइट्स की भी है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में सिर्फ 30 परसेंट आबादी के पास ही उनकी प्रॉपर्टी का legally registered title है। यानी दुनिया की 70 परसेंट आबादी के पास उनकी प्रॉपर्टी का कानूनी दस्तावेज नहीं है।
प्रॉपर्टी का अधिकार ना होना, वैश्विक विकास के सामने बहुत बड़ा अवरोध माना जाता है। दुनिया के अनेक विकसित देश भी इस चुनौती से जूझ रहे हैं। लेकिन आज का भारत, इसमें भी lead ले रहा है। पिछले दो-ढाई साल से भारत में पीएम-स्वामित्व योजना चल रही है। टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग हो रहा है। भारत के गांवों में, ड्रोन टेक्नॉलॉजी की मदद से जमीन की मैपिंग की जा रही है। अब तक भारत के दो लाख चौंतीस हजार गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा किया जा चुका है। एक करोड़ बाईस लाख प्रॉपर्टी कार्ड दिए भी जा चुके हैं। इस पूरी प्रक्रिया का एक और लाभ हुआ है। गांव के लोगों का ये डर भी कम हुआ है कि अगर वो गांव से बाहर गए तो उनके घर या जमीन पर कब्जा हो जाएगा।
ऐसे कितने ही Silent Revolution आज भारत में हो रहे हैं और यही India Moment का आधार बन रहा है। एक और उदाहरण किसानों को मिलने वाली मदद का भी है। पहले चुनाव को देखते हुए किसानों को कर्ज माफी की घोषणाएं होती थीं। लेकिन करोड़ों किसानों के पास बैंक खाते ही नहीं थे, वो तो और स्रोतों से कर्ज लिया करते थे। उन्हें तो कर्ज माफी का कोई लाभ ही नहीं मिलता था। हमने इस परिस्थिति को भी बदला। पीएम किसान सम्मान निधि से अभी तक लगभग ढाई लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के बैंक खाते में भेजे गए हैं। इसका लाभ देश के उन 11 करोड़ छोटे किसानों को हुआ है, जिन्हें पहले कोई पूछता नहीं था।
साथियों,
किसी भी देश की प्रगति में, नीति-निर्णयों में ठहराव, Stagnation, Status Quo एक बहुत बड़ी बाधा होता है। हमारे देश में भी पुरानी सोच और अप्रोच के कारण, कुछ परिवारों की Limitations के कारण, एक लंबा ठहराव रहा। देश को आगे बढ़ना है तो उसमें हमेशा गतिशीलता होनी चाहिए, साहसिक निर्णय शक्ति होनी चाहिए। देश को आगे बढ़ना है तो उसमें नयापन स्वीकार करने का सामर्थ्य होना चाहिए, उसमें प्रगतिशील मानसिकता होनी चाहिए। देश को आगे बढ़ना है तो उसे अपने देशवासियों की क्षमताओं पर, उनकी प्रतिभा पर भरोसा होना चाहिए। और इन सबसे ऊपर, देश के संकल्पों और सपनों पर देश की जनता का आशीर्वाद होना चाहिए, लक्ष्यों की प्राप्ति में जनता की सहभागिता होनी चाहिए।
सिर्फ सरकार और सत्ता के माध्यम से समस्याओं का समाधान खोजने का रास्ता, बहुत ही Limited Result देता है। लेकिन जब 130 करोड़ देशवासियों का सामर्थ्य जुटता है, जब सबका प्रयास लगता है, तो फिर देश के सामने कोई भी समस्या टिक नहीं पाती। इसके लिए देश के लोगों का सरकार पर भरोसा उतना ही जरूरी है। मुझे संतोष है कि आज देशवासियों में ये विश्वास जगा है कि सरकार को उनकी परवाह है।
इसकी और वजह भी मैं आपको बताना चाहूंगा। और वो है गवर्नेंस में Human Touch, सुशासन में संवेदनशीलता। हमने गवर्नेंस को Human Touch दिया है, तब जाकर इतना बड़ा प्रभाव दिख रहा है। अब जैसे वाइब्रेंट विलेज योजना है। दशकों तक बॉर्डर के हमारे गांवों को आखिरी गांव माना गया। हमने उन्हें देश का पहला गांव होने का विश्वास दिया, हमने वहां विकास को प्राथमिकता दी। आज सरकार के अधिकारी, मंत्री इन गांवों में जा रहे हैं, वहां के लोगों से मिल रहे हैं, वहां लंबा वक्त गुजार रहे हैं।
नॉर्थ ईस्ट के लोगों को भी पहले दिल की और दिल्ली की दूरी बहुत अखरती थी। हमने यहां भी गवर्नेंस को Human Touch से जोड़ा। अब केंद्र सरकार के मंत्री..जैसे अरुण जी ने बड़े विस्तार से बताया, नियमित रूप से नॉर्थ ईस्ट विज़िट करते हैं। और वो भी स्टेट केपिटल पर नहीं, इंटिरियर में जाते हैं। मैं भी नॉर्थ ईस्ट जाने की हाफ सेंचुरी मार चुका हूं।
साथियों,
इस संवेदनशीलता ने ना सिर्फ नॉर्थ ईस्ट की दूरी कम की है बल्कि वहां शांति की स्थापना में भी बहुत मदद की है। आपको यूक्रेन क्राइसिस के दौरान सरकार की कार्य संस्कृति को भी याद करना चाहिए। देश के हज़ारों परिवार चिंता में थे। हमने करीब-करीब 14 हजार परिवारों से कनेक्ट किया, हर घर में सरकार का एक प्रतिनिधि भेजा। उन परिवार के अंदर, बीच बैठा, सरकार के व्यक्ति के रूप में बैठा। हमने उन्हें मुश्किल घड़ी में विश्वास दिया कि सरकार उनके साथ है। आपको मालूम होगा कभी-कभी ऐसी चीजों को इतना उछाल दिया जाता है कि जहां काम करना है उसमें भी रोड़े अटक जाते हैं। और इसलिए हमने पहला काम किया, जाओ भई उस परिवार में जाकर बैठो। उनको regularly communicate करो। और इसके कारण देश के सब आश्वस्त हो गए लोग कि ठीक है भई बच्चा वहां है, अभी इस स्थिति में कल आएगा, परसों आएगा, ये स्थिति बनाई।
मानवीय संवेदनाओं से भरपूर ऐसी ही गवर्नेंस से India Moment को Energy मिलती है। आप कल्पना कर सकते हैं। अगर गवर्नेंस में ये Human Touch ना होता, तो हम कोरोना के खिलाफ इतनी बड़ी लड़ाई भी नहीं जीत सकते थे।
साथियों,
आज भारत जो कुछ हासिल कर रहा है उसके पीछे हमारी डेमोक्रेसी की ताकत है, हमारे Institutions की शक्ति है। दुनिया आज देख रही है कि आज भारत में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार, निर्णायक फैसले ले रही है। और भारत ने दुनिया को दिखाया है democracy can deliver. बीते वर्षों में भारत ने अनेकों नए Institutions का निर्माण किया है। International Solar Alliance भारत के नेतृत्व में बना। Coalition for Disaster Resilient Infrastructure CDRI का गठन, भारत के नेतृत्व में हुआ। नीति आयोग आज भविष्य के रोडमैप को तय करने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। National Company Law Tribunal (NCLT) देश में कॉर्पोरेट गवर्नेंस को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहा है। GST काउंसिल की वजह से देश में आधुनिक टैक्स व्यवस्था बनी है।
दुनिया आज देख रही है कि कैसे भारत में ज्यादा से ज्यादा लोगों की लोकतान्त्रिक भागीदारी बढ़ रही है। देश में कोरोना के बीच भी अनेकों चुनाव हुए, सफलतापूर्वक हुए, ये हमारे इंस्टिट्यूशंस की ताकत है। वैश्विक संकट के बीच आज भारत का अर्थ तंत्र मजबूत है, बैंकिंग सिस्टम मजबूत है। ये हमारे इंस्टिट्यूशंस की ताकत है। हमने दूर-सुदूर तक कोरोना की वैक्सीन पहुंचाई, 220 करोड़ से अधिक डोज लगवाई, ये हमारे इंस्टिट्यूशंस की ताकत है। मुझे लगता है हमारी डेमोक्रेसी और हमारे डेमोक्रेटिक इंस्टिट्यूशंस पर इसी वजह से ये सफलता ही कुछ लोगों को चुभती है और इसलिए हमले भी हो रहे हैं। लेकिन मुझे विश्वास है, इन हमलों के बीच भी भारत, अपने लक्ष्यों की तरफ तेजी से आगे बढ़ेगा, अपने लक्ष्यों को प्राप्त करेगा।
साथियों,
भारत की भूमिका जब ग्लोबल हो रही है, तो भारत के मीडिया को भी अपनी भूमिका ग्लोबल बनानी है। ‘सबका प्रयास’ से ही India Moment को हमें सशक्त करना है। आज़ादी के अमृतकाल में विकसित भारत की यात्रा को सशक्त करना है। मैं एक बार फिर अरुण जी का, इंडिया टुडे ग्रुप का, मुझे यहां आने का अवसर दिया, बात करने का अवसर दिया, इसलिए उनका मैं धन्यवाद करता हूं और 2024 में निमंत्रण का जो साहस दिखाया, इसलिए विशेष धन्यवाद।
Thank You!
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DS/VJ/NS/AK
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