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नई दिल्ली में इकोनॉमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट 2023 में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 17 FEB 2023 9:58PM by PIB Delhi

Times ग्रुप के श्री समीर जैन जी, श्री विनीत जैन जी, Global Business Summit में आए हुए सभी महानुभाव, इंडस्ट्री के साथी, CEOs, academicians, मीडिया जगत के लोग, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

मैं अपनी बात पर आने से पहले मैं शिव भक्ति और लक्ष्मी उपासना की तरफ थोड़ा, आपने सुझाव दिया इनकम tax बढ़ाने के लिए, पता नहीं ये लोग क्या करेंगे बाद में, लेकिन आपकी जानकारी के लिए इस बार बजट में एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है और महिलाएं विशेष रूप से अगर बैंक deposit करती हैं और दो साल का समय तय किया है, तो उनको assured एक विशिष्ट प्रकार का ब्याज दिया जाएगा और ये मैं समझता हूँ कि आप जो कह रहे हैं उसका एक अच्छा कदम और शायद ये आपको पसंद आएगा। अब ये आपके एडिटोरियल डिपार्टमेंट का काम है, वो सारी चीज़ें ढूंढकर कभी उचित लगे तो जगह दे दे इसको। देश और दुनियाभर से आए, बिजनेस लीडर्स का मैं अभिनंदन करता हूं, स्वागत करता हूं।

इससे पहले मुझे, 6 मार्च, 2020 को ET Global Business Summit में शामिल होने का अवसर मिला था। ऐसे तो तीन साल का समय बहुत लंबा नहीं होता, लेकिन अगर इस तीन साल के Specific Time Period को देखें, तो लगता है कि पूरे विश्व ने एक बहुत लंबा सफर तय किया है। जब हम पिछली बार मिले थे, तो मास्क, रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा नहीं थे। लोग सोचते थे कि वैक्सीन तो बच्चों के लिए जरुरी है या फिर कोई गंभीर बीमारी है तो मरीजों के लिए जरुरी है। बहुत से लोगों ने तब गर्मी की छुट्टियों में घूमने की तैयारी भी कर रखी थी। कई लोगों ने होटल बुक किये होंगे। लेकिन 2020 की उस ET समिट के ठीक 5 दिन बाद WHO ने कोविड को Pandemic घोषित कर दिया। और फिर हमने देखा कि कुछ ही समय में पूरी दुनिया ही बदल गई। इन तीन वर्षों में पूरा विश्व बदल गया है, वैश्विक व्यवस्थाएं बदल गई हैं और भारत भी बदल गया है। बीते कुछ समय में हम सभी ने ‘anti-fragile’ के interesting concept पर ढेर सारी चर्चाएं सुनी हैं। आप बिजनेस की दुनिया के ग्लोबल लीडर्स हैं। आप ‘anti-fragile’ का अर्थ और इसकी भावना भलीभांति समझते हैं। एक ऐसा सिस्टम जो ना सिर्फ विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करे, बल्कि उन परिस्थितियों का ही उपयोग करके और ज्यादा मजबूत हो जाए, विकसित हो जाए।

मैंने जब ‘anti-fragile’ के concept के बारे में सुना तो सबसे पहले मेरे मन में 140 करोड़ भारतीयों की सामूहिक संकल्पशक्ति की छवि उभरी थी। बीते तीन वर्षों में जब विश्व, कभी कोरोना, कभी युद्ध, कभी प्राकृतिक आपदा की चुनौतियों से गुजर रहा था, तो उसी समय भारत ने और भारत के लोगों एक अभूतपूर्व शक्ति का प्रदर्शन किया। भारत ने दुनिया को दिखा दिया है कि anti-fragile होने का असली मतलब क्या होता है। आप सोचिए, कहां पहले Fragile Five की बात होती थी, वहीं अब भारत की पहचान anti-fragile से होने लगी है। भारत ने दुनिया को पूरे विश्वास से दिखाया है कि आपदा को अवसरों में कैसे बदला जाता है।

100 साल में आए सबसे बड़े संकट के समय, भारत ने जो सामर्थ्य दिखाया, उसकी स्टडी करके 100 साल बाद मानवता भी खुद पर गर्व करेगी। आज इस सामर्थ्य पर विश्वास करते हुए भारत ने 21वीं सदी के तीसरे दशक की बुनियाद बनाई है, साल 2023 में प्रवेश किया है। भारत के इस सामर्थ्य की गूंज आज ET Global Summit में भी सुनाई दे रही है।

Friends,

आपने इस वर्ष के ET Global Business Summit की थीम ‘Reimagine Business, Reimagine the world’ ये थीम आपने रखी है। वैसे मुझे नहीं पता कि ये Reimagine वाली थीम सिर्फ दूसरों के लिए ही है या फिर Opinion Makers के लिए भी है, वो भी क्या लागू करेंगे? हमारे यहाँ तो अधिकतर opinion makers हर छः महीने में एक ही प्रॉडक्ट के re-launch, re-relaunch उसमें busy रहते हैं। और इस relaunch में भी वो re-imagination नहीं करते। खैर, काफी समझदार लोग यहाँ बैठे हैं, जो भी हो, लेकिन ये आज के समय के लिए बहुत ही relevant theme है। क्योंकि जब देश ने हमें सेवा का अवसर दिया, तो हमने पहला काम यही किया, ज़रा भई Reimagine करें। 2014 में स्थिति ये थी कि लाखों करोड़ के घोटालों की वजह से देश की साख दांव पर लगी हुई थी। भ्रष्टाचार की वजह से गरीब, अपने हक की चीजों के लिए भी तरस रहा था। युवाओं की Aspirations, परिवारवाद और भाई-भतीजावाद की बलि चढ़ रहे थे। पॉलिसी पैरालिसिस की वजह से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में बरसों की देरी हो रही थी। ऐसे सोच और अप्रोच के साथ देश का तेजी से आगे बढ़ना मुश्किल था। इसलिए हमने तय किया कि governance के हर single element को Reimagine करेंगे, Re-invent करेंगे। सरकार, गरीबों को Empower करने के लिए welfare delivery को कैसे सुधारे, हमने ये reimagine किया। सरकार अधिक efficient तरीके से कैसे infrastructure बना सके, हमने ये reimagine किया। सरकार का देश के नागरिकों के साथ कैसा relation हो, हमने ये reimagine किया। मैं आपको welfare delivery से जुड़ी reimagination पर विस्तार से थोड़ा बताना चाहता हूं।

गरीबों के पास भी बैंक अकाउंट हो, गरीबों को भी बैंक से लोन मिले, गरीबों को अपने घर और प्रॉपर्टी के राइट्स मिले, उन्हें toilet, electricity और clean cooking fuel या फिर तेज इंटरनेट कनेक्टिविटी मिले, इनकी पहले उतनी ज़रूरत ही नहीं समझी जाती थी। इस सोच को बदला जाना, Reimagine किया जाना बहुत जरूरी था। कुछ लोग गरीबी हटाओं की बातें भले करते थे, लेकिन सच्चाई ये थी कि पहले गरीबों को देश पर बोझ माना जाता था। इसलिए उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया गया था। जबकि हमारा फोकस गरीबों को empower करने पर है, ताकि वे देश की तेज़ ग्रोथ में अपने पूरे potential के साथ कंट्रीब्यूट कर सकें। Direct Benefit Transfer का example आपकी भलीभांति नज़र इस पर गई होगी। आप जानते हैं कि हमारे यहां govt schemes में Corruption, leakage और middlemen, ये बातें आमतौर पर कॉमन थीं और समाज ने भी इसे स्वभाव से स्वीकार कर लिया था। सरकारों का बजट, सरकारों की spending बढ़ती गईं, लेकिन गरीबी भी बढ़ती गई। आज से 4 दशक पहले तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी ने कहा था कि वेलफेयर के लिए 1 रुपया दिल्ली से भेजते हैं तो beneficiary तक पहुँचते-पहुँचते वो 15 पैसा हो जाता है। कौन सा पंजा घिसता था मुझे मालूम नहीं है। हमारी सरकार अभी तक अलग-अलग स्कीम्स के तहत DBT welfare schemes के अंतर्गत 28 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर कर चुकी है। अब आप सोचिये राजीव गांधी जी ने जो कहा था, उसी बात को अगर मैं आज के साथ जोडू तो एक रुपए में से 15 पैसा पहुँचने वाली बात को पकडू तो 85 प्रतिशत यानि 24 लाख करोड़ रुपए ये रकम किसी कि जेब में चली गई होती किसी ने लूट लिया होता, रफादफा हो गई होती। और सिर्फ 4 लाख करोड़ रुपए गरीब के पास पहुंचा होता, लेकिन चूँकि मैंने reimagine किया, DBT की व्यवस्था को प्राथमिकता दी। आज एक रुपया दिल्ली से निकलता है, 100 के 100 पैसे उसके पास पहुँचते हैं। ये है reimagine.

साथियों,

कभी नेहरू जी ने कहा था कि जिस दिन हर भारतीय के पास toilet की सुविधा होगी, उस दिन हम जान जाएंगे कि देश विकास की एक नई ऊंचाई पर है। मैं ये पंडित नेहरु जी की बात कर रहा हूँ। कितने साल पहले की होगी आप अंदाजा लगा सकते हैं। मतलब नेहरु जी को भी समस्या का पता था, लेकिन समाधान की तत्परता नज़र नहीं आई और इस वजह से देश का बहुत बड़ा हिस्सा लंबे समय तक मूल सुविधाओं से वंचित रहा। 2014 में जब हमें सेवा करने का अवसर मिला तो देश के ग्रामीण इलाकों में Sanitation Coverage 40 परसेंट से भी कम था। हमने इतने कम समय में 10 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाए, स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया। आज देश के ग्रामीण इलाकों में Sanitation Coverage 100 परसेंट तक पहुंच गया है।

मैं आपको aspirational districts का भी एक उदाहरण देना चाहता हूँ। Reimagine वाला विषय आपने जो रखा है तो मैं उसी दायरे में अपने आपको रखना चाहता हूँ। हालत ये थी कि वर्ष 2014 में देश में 100 से ज्यादा ऐसे districts थे, जिन्हें बहुत ही backward माना जाता था। इन जिलों की पहचान थी- गरीबी, पिछ़ड़ापन, ना सड़क, ना पानी, ना स्कूल, ना बिजली, ना अस्पताल, ना शिक्षा, ना रोजगार। और इनमें हमारे देश के ज्यादातर आदिवासी भाई-बहन इन इलाकों में रहा करते थे। हमने backward के इस concept को reimagine किया और इन जिलों को Aspirational districts बनाया। पहले इन डिस्ट्रिक्ट्स में ऑफिसर्स को punishment postings के रूप में भेजा जाता था। आज वहां best and young officers को depute किया जाता है।

आज central govt, PSUs, state governments, district administration, सभी मिलकर इन डिस्ट्रिक्ट्स के turn-around के लिए पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं। इसके कारण हमें बेहतर results भी मिलने लगे हैं और इसकी रियल टाइम मोनिटरिंग भी हो रही है, टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया जा रहा है। अब जैसे यूपी के Aspirational District फतेहपुर में institutional deliveries अब 47 Percent से बढ़कर 91 Percent हो गई है और उसके कारण माता मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर में बहुत बड़ी कमी आई है। मध्य प्रदेश के Aspirational District बड़वानी वो पूरी तरह immunized बच्चों की संख्या 40 Percent से बढ़कर अब 90 Percent हो गई है, बच्चों की जिंदगी की चिंता हुई। महाराष्ट्र के Aspirational District वासिम में, TB treatment का success rate 40 Percent हुआ करता था, वो से बढ़कर करीब Ninety Percent हो गया है। कर्नाटका के Aspirational District यादगीर में अब ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से जुड़ी ग्राम पंचायतों की संख्या 20 परसेंट से 80 परसेंट पहुंच गई है। कितने ही ऐसे पैरामीटर्स हैं, जिसमें किसी समय जिसको बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट कहकर अछूत बना दिया गया था, ऐसे aspirational districts की कवरेज पूरे देश की average से भी बेहतर हो रही है। ये है reimagination.

मैं आपको clean water supply का भी उदाहरण दूंगा। आज़ादी के 7 दशक के बाद भी हमारे देश में सिर्फ 30 million यानि 3 करोड़ Rural households के पास ही tap connection था। 160 million rural households यानि 16 करोड़ परिवार इससे वंचित थे। हमने बड़ी-बड़ी बातों के बजाय, 80 million यानि 8 करोड़ नए tap connections सिर्फ साढ़े 3 वर्षों में दे दिए हैं। ये है Reimagination का कमाल।

Friends,

इस समिट में शामिल एक्सपर्ट्स भी इस बात को मानेंगे कि भारत की rapid growth के लिए अच्छा infrastructure ज़रूरी है। लेकिन देश में पहले क्या स्थिति थी? और जो स्थिति थी, वो क्यों थी? Even ET में तो बड़े-बड़े एडिटोरियल्स इस पर छपे हैं, लोगों ने अपनी Opinions दी हैं। और उनमें जो बात प्रमुखता से रही है, वो ये कि हमारे यहां Infrastructure से जुड़े फैसलों में, देश की जरूरत को कम देखा जाता था और राजनीतिक महत्वाकांक्षा को प्राथमिकता दी जाती थी। इसका जो नतीजा निकला, उसका भुक्तभोगी पूरा देश रहा है। अगर कहीं roads भी बननी है तो पहले देखा जाता था कि सड़क बनने के बाद वोट मिलेंगे या नहीं। ट्रेन कहां रुकेगी, कहां चलेगी, ये भी राजनीतिक नफा-नुकसान देखकर तय होता था। यानि Infrastructure की ताकत को पहले कभी समझा ही नहीं गया। हमारे पास और ये आपको चौकानें वाली चीज़ें लगेंगी, कभी ET वालों ने लिखा नहीं होगा, दुर्भाग्य है जी, हमारे यहाँ dams बनते थे, लेकिन canals नेटवर्क नहीं बनता था। आप सोच सकते हैं कि 6 मंजिला मकान बने, और लिफ्ट भी न हो staircase भी न हो, ऐसा सोच सकते हैं आप। डैम बने और कैनाल न हो, लेकिन शायद उस समय ET को देखना उचित नहीं लगा होगा।

हमारे पास mines थीं, लेकिन minerals को ट्रांसपोर्ट करने के लिए कनेक्टिविटी कभी नहीं थी। हमारे पास ports थे, लेकिन रेलवे और रोड कनेक्टिविटी की problem, भरपूर मात्रा में थी। हमारे पास power plants थे, लेकिन transmission lines काफी नहीं थीं, जो थीं वो भी बुरी स्थिति में थीं।

साथियों,

हमने infrastructure को silos में देखने की practice को बंद किया, और infrastructure के निर्माण को एक grand strategy के रूप में reimagine किया। आज भारत में 38 km per day की स्पीड से हाईवे बन रहे हैं और हर रोज 5 किलोमीटर से ज्यादा रेल लाइनें बिछ रही हैं। हमारी Port capacity आने वाले 2 वर्षों में 3000 MTPA तक पहुंचने वाली है। 2014 के मुकाबले operational airports की संख्या 74 से बढ़कर 147 हो चुकी है। इन 9 वर्षों में लगभग साढ़े 3 लाख किलोमीटर Rural roads बनाई गई हैं। करीब 80 हज़ार किलोमीटर नेशनल हाईवे बने हैं, ये सारे 9 साल का हिसाब मैं दे रहा हूँ आपको। ये याद कराना पड़ता है, क्योंकि इसको यहाँ ब्लैकआउट करने वाले बहुत बैठे हैं। इन्हीं 9 वर्षों में 3 करोड़ गरीब परिवारों को पक्के घर बनाकर दिए गए हैं और ये तीन करोड़ का आंकड़ा इतना बड़ा है कि दुनिया के कितने ही देशों की इतनी आबादी भी नहीं है, जितने घर बनाकर हमने 9 साल में भारत के गरीबों को दिए हैं।

साथियों,

भारत में पहली मेट्रो कोलकाता में 1984 में शुरु हुई थी। यानि हमारे पास टेक्नोलॉजी आ गई, एक्सपर्टीज आ गई, लेकिन फिर हुआ क्या? देश के ज्यादातर शहर मेट्रो से वंचित ही रहे। 2014 तक यानी आपने मुझे सेवा करने का मौका दिया उसके पहले 2014 तक हर महीने आधा किलोमीटर के आसपास ही नई मेट्रो लाइन बना करती थी। 2014 के बाद मेट्रो नेटवर्क बिछाने की एवरेज बढ़कर लगभग 6 किलोमीटर per month हो चुकी है। अभी भारत मेट्रो रूट लेंथ के मामले में दुनिया में 5वें नंबर पर पहुँच चुका है। आने वाले कुछ महीनों में ही हम दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंचने वाले हैं।

Friends,

आज PM Gatishakti National Master Plan, infrastructure के निर्माण को तो गति दे ही रहा है, और जैसा विनीत जी ने कहा गति और शक्ति दोनों को हमने जोड़ा है। यानी ये पूरा कांसेप्ट कैसे गति दे रहा है और उसका परिणाम क्या है ये बस रेल रोड तक सीमित नहीं है, जब हम गति शक्ति के बारे में सोचते हैं तो ये area development का भी उसमें कांसेप्ट है और वहाँ के people का development जैसी एक त्रिवेणी सी व्यवस्था इसमें जोड़ी गई है। गतिशक्ति प्लेटफॉर्म पर आपमें से जो लोग टेक्नोलॉजी में रूचि रखते होंगे, उनके लिए ये शायद ये जानकारी बड़ी interesting होगी। आज गतिशक्ति का हमारा जो प्लेटफॉर्म है, infrastructure mapping की 1600 से अधिक डेटा layers हैं। और कोई भी प्रपोजल आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस की मदद से 1600 लेयर्स e गुज़रकर निर्णय करती है। हमारे expressways हों या फिर दूसरा इंफ्रास्ट्रक्चर, आज shortest और सबसे efficient route तय करने के लिए इसे AI से भी जोड़ा गया है। PM गतिशक्ति से Area और People डेवलपमेंट कैसे होता है, इसका एक example मैं आपको देता हूं। इससे हम किसी एक एरिया में population density और schools की availability को मैप कर सकते हैं, 1600 पैरामीटर के आधार पर। और सिर्फ डिमांड या political consideration के आधार पर schools allot करने के बजाय, हम जहां ज़रूरत है, वहां स्कूल बना सकते हैं। यानी ये गतिशक्ति प्लेटफोर्म यानी मोबाइल टावर कहा लगाना उपयोगी होगा, वो भी तय कर सकते हैं। ये अपने आप में यूनिक व्यवस्था हमें खड़ी की है।

साथियों,

हम Infrastructure को कैसे reimagine कर रहे हैं, इसका एक और example हमारा aviation sector है। यहां मौजूद बहुत कम लोगों को ये पता होगा कि हमारे यहां बरसों तक एक बहुत बड़ा airspace, Defence के लिए restricted रहा है। इस वजह से हवाई जहाजों को भारत में कहीं भी आने-जाने में ज्यादा समय लगता था, क्योंकि वो अगर डिफेंस का एयरस्पेस है तो वहां नहीं जा सकते थे, आपको घूमकर जाना पड़ता था। इस समस्या को सुलझाने के लिए हमने armed forces के साथ बात की। आज 128 Air routes को civilian movement के लिए भी खोला जा चुका है। इसके कारण flight paths छोटे हो गए, जिससे time भी बच रहा है और fuel भी बच रहा है, दोनों की सेविंग में मदद मिल रही है। और मैं आपको एक और आंकड़ा दूंगा। इस एक फैसले से ही लगभग 1 lakh टन CO2 emissions भी कम हुआ है। ये होती है Reimagination की ताकत।

साथियों,

आज भारत ने Physical औऱ Social Infrastructure के डवलपमेंट का एक नया मॉडल पूरे विश्व के सामने रखा है। इसका Combined उदाहरण हमारा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर है। बीते 9 वर्षों में हमने देश में 6 लाख किलोमीटर से ज्यादा का ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है। बीते 9 वर्षों में देश में मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स कई गुना बढ़ी हैं। बीते 9 वर्षों में देश में इंटरनेट डेटा का रेट 25 गुना कम हुआ है। दुनिया का सबसे सस्ता और इसका नतीजा क्या हुआ? साल 2012 में मेरे आने से पहले भारत, global mobile data traffic में सिर्फ 2 परसेंट ही contribute करता था। जबकि western market की कंट्रीब्यूशन तब 75 per cent थी। 2022 में भारत के पास global mobile data traffic का 21% शेयर था। जबकि नॉर्थ अमेरिका और यूरोप के पास global traffic का one fourth share ही रह गया है। आज दुनिया की 40 परसेंट real time digital payments भारत में होती है। ये उन लोगों को देश के लोगों का जवाब है, जो सोचते थे कि भारत के गरीब कहां से डिजिटल पेमेंट कर पाएंगे। मुझे अभी किसी ने एक video भेजा था कि शादी में कोई ढोल बजा रहा था और उस पर QR कोड लगा हुआ था। और वो दुल्हे पर फ़ोन घुमाकर QR कोड की मदद से उसको पैसे दे रहे थे। Reimagination के इस दौर में भारत के लोगों ने ऐसे लोगों की सोच को ही Reject कर दिया है। ये लोग पार्लियामेंट में लोग बोलते थे, गरीब ये कहा से करेगा, मेरे देश के गरीब की ताकत का कभी उनको अंदाजा नहीं था जी। मुझे है।

Friends,

हमारे देश में लंबे समय तक जो सरकारें रहीं या जो सरकार चलाने वाले रहे, उन्हें माई-बाप कल्चर बहुत पसंद आता था। आप लोग इसे परिवारवाद और भाई-भतीजावाद से कंफ्यूज मत करिएगा। ये एक अलग ही मनोभाव था। इसमें government, अपने ही देश के citizens के बीच, master जैसा व्यवहार करती थी। हाल ये था कि देश का नागरिक भले कुछ भी करे, सरकार उसे शक की नजर से ही देखती थी। और नागरिक कुछ भी करना चाहे, उसे सरकार की permission लेनी पड़ती थी। इस कारण, पहले के समय, government और citizens के बीच mutual distrust और suspicion का माहौल बना रहता था। यहां जो सीनियर जर्नलिस्ट्स बैठे हैं, उन्हें मैं एक बात याद दिलाना चाहता हूं। आपको याद होगा कि एक जमाने में टीवी और रेडियो के लिए भी लाइसेंस लेना पड़ता था। इतना ही नहीं, इसे ड्राइविंग लाइसेंस की तरह ही बार-बार रीन्यू भी करना पड़ता था। और ये किसी एक सेक्टर में नहीं बल्कि लगभग हर सेक्टर में था। तब बिजनेस करना कितना मुश्किल था, लोगों को तब कैसे contracts मिलते थे, ये आप भलीभांति जानते हैं। 90s में compulsion के कारण कुछ पुरानी गलतियां सुधारी गईं, और उन्हें रिफॉर्म्स का नाम दिया गया, लेकिन ये माई-बाप वाली पुरानी mentality पूरी तरह से गई नहीं। 2014 के बाद हमने इस govt first mentality को people first approach की तरफ reimagine किया। हमने नागरिकों पर Trust के principle पर काम किया। Self-attestation हो या फिर lower rank jobs से interviews को खत्म करना हो, मेरिट के आधार पर कम्प्यूटर तय करता है, उसको जॉब मिल जाती है। छोटे-छोटे economic offences को decriminalize करना हो या फिर जन विश्वास बिल हो, Collateral free Mudra loans हों या फिर MSMEs के लिए सरकार खुद गारंटर बने, ऐसे हर प्रोग्राम, हर पॉलिसी में Trusting the people ही हमारा मंत्र रहा है। अब tax collections का example भी हमारे सामने है।

2013-14 में देश का gross tax revenue, लगभग 11 लाख करोड़ रुपए था। जबकि 2023-24 में ये 33 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहने का estimate है। यानि 9 सालों में gross tax revenue में 3 गुना की वृद्धि हुई है। और ये तब हुआ है, जब हमने tax rates घटाए हैं। समीर जी का सुझाव तो अभी हमने चुना नहीं है। हमने तो घटाया है। इसके जवाब मैं चाहूँगा आप लोग जो दुनिया से जुड़े हैं उसके साथ सीधा सम्बन्ध है। मैं तीन बातों पर फ़ोकस करूँगा। पहला ये कि tax payers का नंबर बढ़ा है, अब मुझे बताइए कि tax payers का नंबर बढ़ा है तो उसका क्रेडिट किसको दोगे आप, बहुत स्वाभाविक है कि उसका क्रेडिट सरकार के खाते में जाता है। या फिर ये कहा जा सकता है कि अब लोग ज्यादा ईमानदारी से टैक्स Pay कर रहे हैं। अगर ये भी तो क्रेडिट सरकार को जाता है। तो bottomline ये है कि जब टैक्सपेयर को लगता है कि उसका दिया टैक्स पाई पाई जनहित में, देशहित में, जन कल्याण में, देश कल्याण में ही उपयोग होगा तो वो ईमानदारी से tax देने में आगे आता है. उसको मोटिवेशन मिलता है। और ये आज देश देख रहा है। और इसलिए मैं टैक्सपेयर का आभार व्यक्त करता हूँ कि सरकार की ईमानदारी पर भरोसा करके वह सरकार को tax देने के लिए आगे आ रहे हैं। सीधी सी बात है कि लोग आप पर तब Trust करते हैं, जब आप उन पर trust करते हैं। भारत के टैक्स सिस्टम में आज जो बदलाव आया है, वो इसी वजह से आया है। Tax returns के लिए हमने process को simplify करने के लिए trust के आधार पर ही प्रयास किए। हम faceless assessment लेकर आए। मैं आपको एक और Figure देता हूं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस साल साढ़े 6 करोड़ से अधिक Returns को प्रोसेस किया है। इनमें से करीब-करीब 3 करोड़ Returns चौबीस घंटे के भीतर प्रोसेस हुए हैं। बाकी जो रिटर्न्स थे, वो भी कुछ ही दिन में प्रोसेस हो गए, और पैसा भी री-फंड हो गया। जबकि इसी काम में पहले औसतन 90 दिन लग जाते थे। और लोगों के पैसे 90 दिन पड़े रहते थे। आज वो घंटों में किया जाता है। कुछ साल पहले तक ये अकल्पनीय था। लेकिन इसे भी Reimagination की ताकत ने सच कर दिखाया है।

साथियों,

आज भारत की समृद्धि में दुनिया की समृद्धि है, भारत की ग्रोथ में दुनिया की ग्रोथ है। भारत ने G-20 की जो थीम तय की है One World, One Family, One Future, दुनिया की अनेक चुनौतियों का समाधान इसी मंत्र में है। साझा संकल्पों से, सबके हित की रक्षा से ही ये दुनिया और बेहतर हो सकती है। ये दशक और आने वाले 25 साल भारत को लेकर अभूतपूर्व विश्वास के हैं। सबके प्रयास से ही भारत अपने लक्ष्यों को तेजी से प्राप्त करेगा। मैं आप सभी का आह्वान करूंगा कि भारत की विकास यात्रा से ज्यादा से ज्यादा जुड़ें। और जब आप भारत की विकास यात्रा से जुड़ते हैं तो भारत आपकी विकास की गारंटी देता है, आज ये भारत का सामर्थ्य है। मैं ET का आभारी हूँ कि मुझ जैसे व्यक्ति को यहाँ बुलाया। अखबार में जगह न मिले, लेकिन यहाँ तो मिल जाती है कभी कभी। और मैं सोच रहा था कि जब विनीत जी और समीर जी बोलेंगे तब reimagine के सम्बन्ध में बोलेंगे, लेकिन उन्होंने उस विषय को छुआ ही नहीं। तो शायद उनके एडिटोरियल बोर्ड पीछे तय करता होगा और मालिक को बताते ही नहीं होंगे। क्योंकि मालिक हमें बताते हैं कि जो छपता है उसका हमें ज्ञान नहीं होता वो तो वो करते हैं। तो शायद ऐसा ही होता होगा। खैर इस खट्टी मीठी बातों के साथ साथ मैं बहुत बहुत धन्यवाद करता हूँ आप सबका।

 

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DS/ST/AK


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