प्रधानमंत्री कार्यालय
वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के लीडर्स सत्र के समापन के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का समापन भाषण
Posted On:
13 JAN 2023 9:16PM by PIB Delhi
आपके प्रेरक शब्दों के लिए धन्यवाद! यह वास्तव में दृष्टिकोण और विचारों का एक उपयोगी आदान-प्रदान रहा है। यह ग्लोबल साउथ की साझा आकांक्षाओं को दर्शाता है।
यह स्पष्ट है कि विश्व के समक्ष उपस्थित अनेक महत्वपूर्ण चुनौतियों पर विकासशील देशों का दृष्टिकोण समान है।
यह न सिर्फ आज की चर्चा में, बल्कि इस ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ समिट’ के पिछले दो दिनों के दौरान भी देखा गया।
मैं इनमें से कुछ विचारों का सारांश प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं, जो ग्लोबल साउथ के सभी देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
हम सभी दक्षिण-दक्षिण सहयोग के महत्व और सामूहिक रूप से वैश्विक एजेंडे को आकार देने पर सहमत हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में, हम पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने, स्वास्थ्य सेवा के लिए क्षेत्रीय हब विकसित करने और स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों की गतिशीलता में सुधार करने पर जोर देते हैं। हम डिजिटल स्वास्थ्य उपायों को शीघ्रता से लागू करने की क्षमता के प्रति भी सचेत हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में, हम सभी व्यावसायिक प्रशिक्षण से जुड़ी अपनी सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणालियों को साझा करने और विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में दूरस्थ शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग से लाभान्वित हो सकते हैं।
बैंकिंग और वित्त के क्षेत्र में, डिजिटल तरीके से सार्वजनिक कल्याण का क्रियान्वयन विकासशील देशों में वित्तीय समावेशन को बड़े पैमाने पर और तेज गति से बढ़ा सकता है। भारत के अपने अनुभवों ने यह दिखाया है।
हम सभी कनेक्टिविटी से जुड़े बुनियादी ढांचे में निवेश के महत्व से सहमत हैं। हमें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने और विकासशील देशों को इन मूल्य श्रृंखलाओं से जोड़ने के तरीके खोजने की भी जरूरत है।
विकासशील देश इस मान्यता को लेकर एकजुट हैं कि विकसित देशों ने जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी पर अपने दायित्वों को पूरा नहीं किया है।
हम इस बात से भी सहमत हैं कि उत्पादन की प्रक्रिया में उत्सर्जन को नियंत्रित करने के अलावा ‘यूज एंड थ्रो’ वाले उपभोग से हटकर पर्यावरण के और अधिक अनुकूल टिकाऊ जीवन शैली की ओर बढ़ना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
यह भारत की ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट' या लाइफ पहल के पीछे का केंद्रीय दर्शन है - जो सचेत उपभोग और चक्रीय अर्थव्यवस्था पर केन्द्रित है।
मान्यवर,
व्यापक ग्लोबल साउथ द्वारा साझा किए गए ये सभी विचार, भारत को प्रेरणा प्रदान करेंगे क्योंकि वह जी20 के एजेंडे को आकार देने की कोशिश करता है। साथ ही साथ, ये विचार आप सभी देशों के साथ हमारी अपनी विकास साझेदारी में भी प्रेरक साबित होंगे।
एक बार फिर, मैं वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के आज के समापन सत्र में आपकी गरिमामयी उपस्थिति के लिए आपको धन्यवाद देना चाहता हूं।
धन्यवाद।
***
एमजी/एएम/आर/एजे
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