विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा- 2022: डीएसटी (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय)

Posted On: 27 DEC 2022 1:55PM by PIB Delhi

2022 के दौरान प्रमुख उपलब्धियां

1. वैश्विक एस एंड टी सूचकांकों में भारत की रैंकिंग बढ़ी

भारत ने वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक (जीआईआई) 2022 में दुनिया की बड़ी नवोन्मेषी अर्थव्यवस्थाओं में 40वां स्थान हासिल किया है। एनएसएफ डेटाबेस के अनुसार वैज्ञानिक प्रकाशन, उच्च शिक्षा प्रणाली के आकार में पीएचडी की संख्या और स्टार्ट-अप की संख्या के लिहाज से देश शीर्ष 3 देशों में बना हुआ है।

2. मजबूत स्टार्ट-अप और नवोन्मेष पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना

नवाचारों के विकास एवं संवर्धन के लिए राष्ट्रीय पहल (निधि) कार्यक्रम के तहत डीएसटी देशभर में टेक्नोलॉजी बिजनस इन्क्यूबेटर्स (टीबीआई) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एंटरप्रेन्योर्स पार्क्स (स्टेप) का नेटवर्क स्थापित करने में अग्रणी रहा है। नवाचार पिरामिड के बेस को बढ़ाने, किफायती एवं जमीनी स्तर पर नवाचारों को सहयोग करने समेत व्यावसायीकरण के लिए स्टार्ट-अप्स की देखभाल और सलाह के लिए नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र के सभी पहलुओं के माध्यम से इसका काफी प्रभाव पड़ा। निधि (एनआईडीएचआई) के पास संपूर्ण नवाचार मूल्य श्रृंखला है और निधि-टेक्नोलॉजी बिजनस इन्क्यूबेटर (टीबीआई) के माध्यम से पूंजी/उपकरण सहयोग के साथ संस्थागत तंत्र, निधि-उत्कृष्टता केंद्र (निधि-सीओई) निधि- युवा एवं महत्वाकांक्षी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने जैसे, कई घटकों के साथ इसे विशेष रूप से टेक्नोलॉजी बिजनस इन्क्यूबेटर्स के लिए तैयार किया गया है।

ज्ञान के भंडार के रूप में कार्य करने के लिए निधि-सीओई की स्थापना की गई। उद्यम को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ संबंधों को मजबूत करते हुए सहयोग करना इसका मकसद है। 2022 के दौरान टी-हब, तेलंगाना, हैदराबाद में एक नया उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया गया, जिससे कुल 8 सीओई हो गए हैं। 2022 के दौरान 13 नए प्रयास (पीआरएवाईएएस) केंद्रों को सहयोग किया गया, इसके अलावा देश में पहले से चल रहे 30 प्रयास केंद्रों के जरिए युवा इनोवेटर्स को, अपने विचारों को प्रोटोटाइप में बदलने में मदद मिल रही है। इस साल 10 नए एंटरप्रेन्योर्स-इन-रेजिडेंस (ईआईआर) केंद्रों को सहायता प्रदान की गई। इसके अलावा पहले से चल रहे 18 ईआईआर केंद्रों को सहयोग किया जा रहा है, जो 18 महीने की अवधि में भविष्य के लिए उम्मीद जगाने वाली टेक्नोलॉजी बिजनस आइडिया को आगे बढ़ाने के लिए क्षमतावान नवोदित उद्यमियों को सपोर्ट कर रहे हैं।

3. सुपरकंप्यूटिंग में नए मुकाम हासिल कर रहा है भारत

देश के पांच संस्थानों (आईआईटी खड़गपुर, एनआईटी त्रिची, आईआईटी गांधीनगर, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी मंडी) में उच्च क्षमता वाले कंप्यूटर स्थापित किए गए हैं। इस मिशन के तहत प्रशिक्षित लोगों का आंकड़ा 17,500 तक पहुंच गया।

4. अनुसंधान एवं नवाचार हब के माध्यम से एआई, रोबोटिक्स, आईओटी जैसे साइबर फिजिकल डोमेन में प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2018 में पांच साल की अवधि के लिए 3660 करोड़ रुपये के बजट के साथ अंत: विषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) को मंजूरी दी। इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। इस मिशन को देशभर के प्रतिष्ठित संस्थानों में बनाए गए 25 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्रों (टीआईएच) के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। टीआईएच मिशन के उद्देश्यों को हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं। आईआईएससी बेंगलुरु स्थित आर्टपार्क ने एक ऐसा एआई संचालित प्लेटफॉर्म 'एक्सरे सेतु' विकसित किया है जिसने व्हाट्सएप पर भेजी गई तस्वीरों से चेस्ट एक्स-रे की व्याख्या में मदद की और कोविड-19 की तेजी से जांच में भी सहयोग किया। इसके जरिए उन डॉक्टरों की सहायता होती है, जिनके पास एक्स-रे मशीन उपलब्ध नहीं है। आईआईटी बॉम्बे के वैज्ञानिकों की एक टीम ने आईआईटी जोधपुर में टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) के सहयोग से कोविड-19 के समग्र विश्लेषण (रक्षक), जानकारी और उपचार के लिए एक विधि विकसित की है।  इसने एक नए चेस्ट एक्स-रे आधारित कोविड डायग्नोसिस सिस्टम, भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कोविड मामलों के लिए ओपन डेटा- कोवबेस (इमेजिंग, क्लिनिकल पैरामीटर आदि), कैंपस रक्षक- परिसर की सुरक्षा के लिए तंत्र के विकास में मदद की है।

5. अंतरराष्ट्रीय एस एंड टी जुड़ाव पर भारत की स्थिति मजबूत करना

भारत ने 1 दिसंबर 2022 को जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की और 2023 में देश पहली बार जी20 नेताओं का शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा। इसके तहत 2023 में भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान डीएसटी ने साइंस-20 (एस20) की गतिविधियों और अनुसंधान नवाचार पहल (आरआईआईजी) को लेकर समूहों में समन्वय की जिम्मेदारी ली है। क्वांटम कंप्यूटिंग में वर्चुअल नेटवर्क सेंटर स्थापित करने के लिए भारत ने फिनलैंड के साथ हाथ मिलाया है। इसके तहत पहले चरण में संयुक्त रूप से 20 क्यूबिट सुपरकंडक्टिंग आधारित क्वांटम कंप्यूटर तैयार करना है और दूसरे चरण में इसे 54 क्यूबिट तक बढ़ाने की योजना है।

6. नागरिक सेवाओं में सुधार के लिए भू-स्थानिक डेटा, अवसंरचना एवं प्रौद्योगिकी

  • दूसरा संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी) 'ग्लोबल विलेज को भू-सक्षम बनाना: कोई भी पीछे न रहे' विषय पर हैदराबाद में 10-14 अक्टूबर 2022 को सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। 'जेनरेशन जेड और अल्फा के साथ ग्लोबल विलेज की जियो-इनेबलिंग' पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें देशभर के स्कूली बच्चों ने हिस्सा लिया और स्थानीय सोच के जरिए एसडीजी के स्थानीयकरण का प्रदर्शन किया।
  • एशिया एवं प्रशांत के लिए यूएन-जीजीआईएम की क्षेत्रीय समिति (यूएन-जीजीआईएम-एपी) द्वारा हैदराबाद में आयोजित 11वीं पूर्ण बैठक के दौरान भारत को एकीकृत भू-स्थानिक सूचना तंत्र (आईजीआईएफ) के लिए गठित नए कार्य समूह की अध्यक्षता सौंपी गई।
  • आईआईटी बॉम्बे, आईआईएसटी त्रिवेंद्रम, आईआरएस अन्ना विश्वविद्यालय, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद, एमएनएनआईटी इलाहाबाद और एमएएनआईटी भोपाल में राष्ट्रीय भू-स्थानिक कार्यक्रम के तहत भूगणित (जियोडेसी) के छह क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किए गए हैं। इनका उद्देश्य भूगणित से संबंधित अवसंरचना को मजबूत करने की दिशा में देश में जियोडेसी शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास के प्रसार में सहायता करना है।
  • देश के राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण संगठन, भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एसओआई) ने स्वामित्व (ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक की मदद से मैपिंग और गांवों के सर्वे की योजना) के हिस्से के रूप में 2 लाख से अधिक गावों के आबादी वाले इलाकों का ड्रोन से सफलतापूर्वक सर्वेक्षण किया है। इसका मकसद गांववालों को अपनी आवासीय संपत्ति का मालिकाना हक दिलाने में मदद करना है। उन्हें संपत्ति कार्ड भी दिया गया। कई राज्यों के लिए राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 1:500 के पैमाने पर मानचित्रण का काम पूरा कर लिया गया है और हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिए किया जा रहा है।
  • निरंतर परिचालन संदर्भ स्टेशन (सीओआरएस) अपनी तरह का एक जियोडेटिक इन्फ्रास्ट्रक्टर है जिसमें जियोडेटिक गुणवत्ता के जीएनएसएस रिसीवर और एंटीना का नेटवर्क शामिल है। इसे पूरे देश में स्थायी रूप से स्थापित किया गया है। देश के लगभग 80% हिस्से को कवर करते हुए कुल 815 सीओआरएस स्टेशन स्थापित किए गए हैं। बताए गए पोर्टल पर अब तक कुल 1795 यूजर्स ने पंजीकरण कराया है।
  • यूजर्स को विभिन्न डिजिटल भू-स्थानिक उत्पाद (मुफ्त और उचित एवं पारदर्शी मूल्य के साथ) प्रदान करने के लिए 17 अगस्त 2021 को ऑनलाइन मैप्स पोर्टल शुरू किया गया। शुरुआत से अब तक कुल 275 सरकारी और 41182 निजी यूजर्स इस पोर्टल पर पंजीकृत हैं और 13957 शुल्क वाले उत्पाद और 381345 मुफ्त मानचित्र उत्पाद डाउनलोड किए गए हैं। लिंक- www.onlinemaps.surveyofindia.gov.in
  • बाढ़ जोखिम के बेहतर मानचित्रण और दूसरे योजना संबंधी उद्देश्यों के लिए बेहद स्पष्ट जीआईएस और डिजिटल एलिवेशन मॉडल (डीईएम) प्रदान करने के लिए प्रमुख नदी बेसिनों के लिए उच्च रिजॉलूशन का मानचित्रण किया जा रहा है।
  • मानकीकृत भौगोलिक स्थानों के नाम (टोपोनीमी): एसओआई ने 23 भाषाओं में राष्ट्रीय स्थलाकृतिक (स्थान नामिकी) डेटाबेस तैयार किया है।

7. प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने की पहल

29 जनवरी 2022 की शाम बीटिंग द रिट्रीट समारोह में आसमान में 1000 स्वदेशी ड्रोनों के झुंड ने मनमोहक आकृतियां बनाईं। महिलाओं द्वारा संचालित मैसर्स बॉटलैब डायनेमिक्स के ड्रोन शो ने भारत को दुनिया में चौथे स्थान पर स्थापित किया है और माननीय प्रधानमंत्री से सराहना भी प्राप्त की। मैसर्स स्वजल वाटर प्राइवेट लिमिटेड, गुरुग्राम (एक टेक स्टार्टअप कंपनी) ने न केवल प्लास्टिक की बोतलों के इस्तेमाल में कमी का प्रस्ताव रखा, बल्कि शुद्ध पानी की लागत को 25 पैसे प्रति लीटर तक कम करने की क्षमता भी दिखाई। मैसर्स स्काईशेड डेलाइट्स प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद ने कार्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए भारत की पहली एकीकृत, केंद्रीकृत डे लाइटिंग प्रणाली का प्रस्ताव दिया। यह एसी लोड को भी कम कर सकता है जिससे बदले में हमारे पर्यावरण और जलवायु का संरक्षण होगा। यह दिन का प्रकाश तहखानों तक में पहुंचा सकता है। मैसर्स सैपिजेन बायोलॉजिक्स प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद ने एक कोविड-19 इंट्रा नेजल वैक्सीन तैयार की है जो म्यूकोसल प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकती है और इस तरह से टीका लगवाए व्यक्ति की ऊपरी और निचली श्वसन प्रणाली की रक्षा करती है और संक्रमण एवं संचरण के चक्र को तोड़ती है।

मैसर्स ऑरेंज कोई प्राइवेट लिमिटेड, विशाखापत्तनम का उद्देश्य मेडिकल सर्जिकल उपकरणों और उपकरण घटकों के निर्माण के लिए मेटल इंजेक्शन मोल्डिंग (एमआईएम) प्रक्रिया  को लागू करना है। प्लास्टिक इंजेक्शन मोल्डिंग की डिजाइन फ्लैक्सिबिलिटी और पाउडर धातु शोधन द्वारा सामग्री के असीमित विकल्प को संयोजित करने में एमआईएम की विशिष्ट क्षमता है। महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप मैसर्स एस्ट्रोम टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु ने ग्रामीण भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी के मसलों को हल करने के लिए नवोन्मेषी वायरलेस प्रोडक्ट का प्रस्ताव रखा है। इनका काम इतना विशिष्ट है कि इसने माननीय प्रधानमंत्री का ध्यान अपनी ओर खींचा और उन्होंने 90वें मन की बात कार्यक्रम में इसका जिक्र किया।

माननीय प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (एनएचएम) के दृष्टिकोण के अनुरूप, मैसर्स मल्टी नैनो सेंस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, महाराष्ट्र ने स्वदेशी तरीके से हाइड्रोजन सेंसर के निर्माण की योजना बनाई है। प्रधानमंत्री की अटल भूजल योजना (अटल जल) के वास्तविक लाभ के लिए, झारखंड का एक स्टार्टअप, मैसर्स कृत्सनाम टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड एक ऐसा 'धारा स्मार्ट फ्लोमीटर' विकसित कर रहा है जो ऑनलाइन निगरानी की एकीकृत प्रणाली है। इसकी मदद से रियल टाइम में जल वितरण को ट्रैक किया जा सकता है।

मैसर्स पैनासिया मेडिकल टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु पैनासिया ने टीडीबी की वित्तीय मदद से एक ऐसा लीनियर एक्सीलरेटर- सिद्धार्थ II विकसित किया है जो आईएमआरटी, आईजीआरटी, वीएमएटी और एसबीआरटी जैसी उन्नत स्टीरियो टैक्टिक इमेजिंग और अत्याधुनिक वितरण तकनीकों से लैस है। यह एक 'मेक इन इंडिया' उत्पाद है जिसने भारत को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के पहले रिंग गैन्ट्री आधारित लीनियर एक्सीलरेटर के विकास के साथ पैनासिया का लक्ष्य भारत और दुनिया के दूसरे देशों में कैंसर का सस्ता इलाज प्रदान करना है। रिंग गैन्ट्री आधारित सिद्धार्थ II में एक बीम स्टॉपर होता है जो शील्डिंग की जरूरतों को कम करता है और बदले में बंकर निर्माण की लागत घट जाती है।

8. सभी हितधारकों के लिए वैज्ञानिक बुनियादी ढांचा सुलभ करना

'एस एंड टी इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए कोष' के तहत 'विश्वविद्यालय शोध और वैज्ञानिक उत्कृष्टता (पर्स) को प्रोत्साहन' के तहत चार नए विश्वविद्यालयों और विभिन्न शैक्षणिक संगठनों एवं विश्वविद्यालयों में 65 विभागों को अनुसंधान बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए एफआईएसटी के तहत सहायता प्रदान की गई। पूर्वोत्तर क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, हरियाणा, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान के विश्वविद्यालयों और 11 नए विश्वविद्यालयों को सहयोग के लिए चुना गया है। पर्स के तहत इन राज्यों के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नए एवं उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचा और सुविधाएं प्रदान की जानी हैं। 300 केईवी क्रायो-ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की स्थापना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। देश के उत्तरी हिस्से के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचों में से एक के तौर पर इसे आईआईटी दिल्ली में परिष्कृत विश्लेषणात्मक और तकनीकी सहायता संस्थान (साथी) के जरिए स्थापित किया गया है और यह आई-स्टेम पोर्टल के माध्यम से उपयोग के लिए तैयार है। स्तुति (एसटीयूटीआई) प्रोग्राम के तहत 191 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं जिससे देशभर के 6395 शोधकर्ताओं को लाभ हुआ।

9. ऊर्जा और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधान

विभाग स्वच्छ ऊर्जा, जल और पर्यावरण के क्षेत्रों में विभिन्न मिशन मोड में प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रमों में सहयोग कर रहा है। अपनी तरह की पहली डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम ऑपरेटर (डीएसओ) रिपोर्ट तैयार की गई है जो भारतीय बिजली क्षेत्र की परिचालन और वित्तीय स्थिति को बदलने में मदद कर सकती है। इससे उद्योग में आवश्यक निवेश और नवाचार को आकर्षित करने के लिए निजी क्षेत्र के भरोसे को बढ़ाने में मदद मिलेगी। एक रियल टाइम प्रदूषण निगरानी फोटोनिक सिस्टम, एयर यूनिक क्वॉलिटी मॉनिटरिंग सिस्टम (एयूएम) विकसित किया गया है जो सभी वायु गुणवत्ता मानकों की उच्च संवेदनशीलता और सटीकता के साथ वास्तविक समय में दूरस्थ निगरानी करने में सक्षम है। बीएचईएल-हैदराबाद में हाई-एश कोयले से मेथनॉल के उत्पादन के प्रदर्शन के लिए कोयले से मेथनॉल का पायलट प्लांट (0.25 टीपीडी) स्थापित किया गया है। सिनगैस से 99 प्रतिशत से अधिक शुद्धता वाला मेथनॉल तैयार किया गया है। ऊर्जा संरक्षण और भंडारण मंच के लिए सामग्री, पर कार्यक्रम के तहत डीएसटी के सहयोग से आईआईएससी के शोधकर्ताओं ने सॉलिड-स्टेट लीथियम मेटल बैट्री में तेजी से चार्ज-डिस्चार्ज रेट को सक्षम बनाने के लिए एक अभिनव इंटरफेशियल इंजीनियरिंग एप्रोच विकसित किया है।

10. जलवायु परिवर्तन अनुसंधान का नए क्षेत्रों में विस्तार

विभाग जलवायु परिवर्तन पर दो राष्ट्रीय मिशनों को संचालित कर रहा है। चार नए राज्य जलवायु परिवर्तन प्रकोष्ठ (एससीसीसी) गोवा, केंद्रशासित चंडीगढ़, झारखंड और उत्तर प्रदेश में स्थापित किए गए हैं। माइक्रोक्लाइमेट पर थर्मल पावर प्लांट्स के प्रभाव के आकलन का अध्ययन करने के लिए महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में एक उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) को सपोर्ट किया जा रहा है।

11. महिला वैज्ञानिकों के लिए करियर के अवसरों को बढ़ावा देना

डीएसटी अपनी प्रमुख पहल 'विज्ञान ज्योति' के माध्यम से मेधावी लड़कियों को कम प्रतिनिधित्व वाले एसटीईएम क्षेत्रों में उच्च शिक्षा और करियर के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। सालभर में 200 जिलों से कक्षा 9-12वीं की 30 हजार लड़कियों को अभिभावक-विद्यार्थी काउंसलिंग, विषय उन्मुख कक्षाओं, पाठ्यक्रम आधारित स्टेम गतिविधियों, एक्सपोजर विजिट आदि जैसे विभिन्न पहलों का लाभ हासिल करने के लिए विज्ञान ज्योति के तहत पंजीकृत किया गया। बेसिक और अप्लाइड साइंसेज के 5 विषय क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए महिला वैज्ञानिक योजना-ए (डब्ल्यूओएस-ए) के तहत करीब 370 महिला वैज्ञानिकों को अनुसंधान सहायता प्रदान की गई। 99 महिला वैज्ञानिकों को बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) में प्रशिक्षण प्रदान किया गया। रिसर्च इन्फ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट, क्यूरी (कंसोलिडेशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च फॉर इनोवेशन एंड एक्सीलेंस) कार्यक्रम को 25 महिला पीजी कॉलेजों तक बढ़ाया गया। महिला वैज्ञानिकों को 01-03 महीने की अवधि के लिए दुनियाभर के प्रमुख संस्थानों/विश्वविद्यालयों का दौरा करने की सुविधा प्रदान करने के लिए 'सर्ब-पावर मोबिलिटी ग्रांट' की शुरुआत की गई।

12. विज्ञान में करियर बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करना

बेसिक और नैचरल साइंस में स्नातक और स्नातकोत्तर करने के लिए प्रतिस्पर्धा के आधार पर चुने गए 10,833 विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति (एसएचई) प्रदान की गई। प्रतिस्पर्धा के आधार पर चुने गए 16 'इंस्पायर शी' मेधावी विद्यार्थियों को अगस्त 2022 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियाई साइंस कैंप में भाग लेने का अवसर मिला। इस दौरान एक भारतीय प्रतिभागी ने पोस्टर प्रतियोगिता में तीसरा पुरस्कार जीता। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में डॉक्टरेट डिग्री कार्यक्रम के लिए 845 फेलो को इंस्पायर फेलोशिप की पेशकश की गई। इस साल एसईआरबी-नेशनल पोस्ट-डॉक्टरल फेलोशिप बढ़ाकर 300 फेलो को दी गई।

13. डिजिटल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से विरासत का संरक्षण

डीएसटी के विज्ञान एवं विरासत अनुसंधान पहल (श्री) कार्यक्रम के तहत पट्टामदाई चटाई के इस्तेमाल की संभावनाएं टटोली गई हैं। यह एक ऐसी मैट होती है, जिसे कोरई घास को सूती धागों से बुनकर बनाया जाता है। कक्षाओं में बाहरी शोरगुल को दूर रखने और स्टूडियो में इस्तेमाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे तमिलनाडु के तिरुनेलवेली की इस पारंपरिक कला की मांग काफी बढ़ सकती है। श्री के सहयोग से एसएएसटीआरए डीम्ड यूनिवर्सिटी ने तमिलनाडु की लगभग 20 हेरिटेज चावलों की किस्मों का पता लगाया, इकट्ठा किया और संरक्षण के प्रयास किए गए। इससे राज्य के 10 सामुदायिक बीज बैंकों के माध्यम से 500 से अधिक किसानों को फायदा हो रहा है।

14. राज्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अनुसंधान क्षमताओं को बढ़ाना

राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान करने और गुणवत्ता में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में मौजूदा अनुसंधान क्षमता का विकास आवश्यक है, जिससे सभी शोध छात्रों के लिए अनुसंधान उत्कृष्टता का अवसर सुनिश्चित किया जा सके। इसके लिए एक समर्पित योजना, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा स्टेट यूनिवर्सिटी रिसर्च एक्सीलेंस (सर्ब-श्योर) शुरू की गई है। इसका मकसद निजी सहित राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एक मजबूत अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है।

15. स्वायत्त संस्थानों की प्रमुख उपलब्धियां

- क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी

  • रमन अनुसंधान संस्थान (आरआरआई) और टीआईएफआर के भौतिक विज्ञानियों ने अंतरराष्ट्रीय सैद्धांतिक विज्ञान केंद्र (आईसीटीएस) के साथ क्वाटंम प्रौद्योगिकी में नॉइज की भूमिका की जांच की और क्वांटम ब्राउनियन मोशन के बारे में नई जानकारी सामने रखी कि किसी चुंबकीय क्षेत्र में काफी ठंडे तापमान में कोई आवेशित कण वातावरण के संपर्क में आने पर कैसे व्यवहार करता है। यह अध्ययन क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नॉइज को नियंत्रित करने के तरीकों का पता लगाने में मदद कर सकता है।
  • आरआरआई और क्वांटम कंप्यूटिंग इंस्टीट्यूट कनाडा के वैज्ञानिकों ने उच्च आयामी प्रणालियों में जटिलता (अड़चन) को मापने का एक आसान तरीका खोज निकाला है। उन्होंने सांख्यिकीय उपायों और ज्ञात जटिलताओं वाले उपायों के बीच विश्लेषणात्मक संबंध की जानकारी हासिल की है। इस स्टडी की मदद से क्वांटम टेलीपोर्टेशन जैसी तकनीकी एप्लीकेशन में प्रभावकारिता के बेहतर मूल्यांकन में मदद मिल सकती है।
  • थर्मोडाइनेमिक्स और क्वांटम सूचना सिद्धांत (क्यूआईटी) के नियमों के बीच संबंधों की भारतीय वैज्ञानिकों की खोज के जरिए एस. एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के वैज्ञानिकों ने एक नई सैद्धांतिक अवधारणा तैयार की है।

बी- खगोल विज्ञान

  • एआरआईईएस के तहत देवस्थल, नैनीताल में स्थित 3.6-एम देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (डीओटी) (भारत के सबसे बड़े ऑप्टिकल टेलीस्कोप) और 1.3एम देवस्थल फास्ट ऑप्टिकल टेलीस्कोप (डीएफओटी) का उपयोग कर भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों सहित वैज्ञानिकों की एक टीम ने प्लूटों की सतह पर उसके वायुमंडलीय दबाव की सटीक वैल्यू निकाली है। यह पृथ्वी पर औसत समुद्री स्तर पर वायुमंडलीय दबाव से 80,000 गुना कम है।
  • स्वदेशी, सारस 3 रेडियो टेलीस्कोप का उपयोग करते हुए, रमन अनुसंधान संस्थान के शोधकर्ताओं ने हमारे ब्रह्मांड की प्रारंभिक अवस्था में, जब तारे और आकाशगंगाएं अस्तित्व में आईं, रेडियो तरंग संकेतों की खोज के हालिया दावे का खंडन किया है।
  • एरीज और आईआईए के खगोलविदों ने सोलर कोरोना के बैकग्राउंड को अलग कर डायनेमिक कोरोना को प्रकट करने की एक आसान तकनीक विकसित की है। इस शोध को सोलर फिजिक्स जर्नल में प्रकाशन के लिए स्वीकार किया गया है।
  • अपने सहयोगियों के साथ आईआईए के खगोलविदों की टीम ने इंटर-प्लेनेटरी मीडियम में दो अलग-अलग कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) के बीच इंटरएक्शन का पता लगाया है, जब वे पृथ्वी की ओर यात्रा करते हैं तो उनके विकास में अहम भूमिका निभाते हैं।
  • रमन अनुसंधान संस्थान (आरआरआई) के शोधकर्ता ने बिग बैंक के ठीक 200 मिलियन साल बाद बने रेडियो लुमिनस आकाशगंगाओं के गुण निर्धारित किए हैं। इस अवधि को कॉस्मिक डॉन के रूप में जाना जाता है। इससे शुरुआती रेडियो लाउड गैलेक्सीज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है, जो आमतौर पर सुपरमैसिव ब्लैक होल से संचालित थे।

सी- नैनो साइंस

  • आईएनएसटी वैज्ञानिकों ने पहली बार पॉलिमर नैनोकणों में पीजोइलेक्ट्रिक डेल्टा चरण (पीवीडीएफ) नामक प्रॉपर्टी को प्रेरित करने का एक कुशल तरीका सामने रखा है। यह टच सेंसर, एकास्टिक सेंसर और पीजोइलेक्ट्रिक नैनोजेनरेटर में अनुप्रयोगों के लिए उपयोगी है। उन्होंने पीवीडीएफ  नैनो पार्टिकल से एक डिवाइस बनाया है जो फिल्म की तुलना में बेहतर पीजोइलेक्ट्रिक प्रतिक्रिया प्रदर्शित करता है।
  • आईएएसएसटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा बायोडिग्रेडेबल, बायोपॉलिमर नैनोकंपोजिट विकसित किया है जो सापेक्ष आर्द्रता का पता लगा सकता है। यह विशेष रूप से फूड इंडस्ट्री के लिए, स्मार्ट पैकेजिंग सामग्री में इस्तेमाल हो सकता है। फैब्रिकेटेड नैनोकंपोजिट फिल्म नमी के खिलाफ ऑन-ऑफ तंत्र पर आधारित एक उत्कृष्ट स्मार्ट सेंसर के रूप में काम करती है।
  • एस एन बोस सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज के शोधकर्ताओं ने मशीन लर्निंग का उपयोग कर नैनो स्केल पर मिश्रधातुओं का डिजाइन मैप विकसित किया है जो धातुओं के जोड़े के मिलान में मदद कर सकता है जो बाईमेटैलिक नैनोअलॉयज बनाते हैं।
  • आईएनएसटी के वैज्ञानिकों ने कंप्यूटेशनल रूप से दो 2डी मोनोलेयर्स के बारे में जानकारी दी है जिसमें अगली पीढ़ी की स्व-संचालित सामग्रियों में अनुप्रयोग के लिए काफी संभावनाएं हैं।

डी- जलवायु और पर्यावरण

  • वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) के एक अध्ययन में पाया गया है कि सुरु बेसिन, लद्दाख और पश्चिमी हिमालय में ग्लेशियरों में लिटिल आइस एज (एलआईए) के मरीन आइसोटोप स्टेजों में काफी उतार-चढ़ाव आया है। ऐसे हिमनद कालक्रम पिछले जलवायु परिवर्तनों को समझने और क्षेत्र में भविष्य के जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आकलन करने में मदद कर सकते हैं।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने पहली बार 52 किलो-साल (एक हजार साल) के दौरान मध्य हिमालय से सबसे पुराने हिमनदों के आगे मूव करने की सूचना दी है।
  • वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) ने जम्मू और कश्मीर में राम नगर से एक नई प्रजाति से संबंधित गिलहरी से मिलते जुलते एक छोटे स्तनपायी के जीवाश्म के बारे में जानकारी इकट्ठा की है।
  • भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान मुंबई द्वारा की गई एक स्टडी में उपग्रह से मिले उच्च रिजॉलूशन वाले गुरुत्वाकर्षण डेटा की मदद से पहली बार ग्रेटर मालदीव रिज (जीएमआर) के पास संभावित जियोलॉजिकल क्रॉस-सेक्शन के बारे में जानकारी जुटाई है।
  • शोधकर्ताओं का अनुमान है कि जीएमआर एक समुद्री पपड़ी की तरह है। इस अध्ययन के परिणाम से हिंद महासागर के प्लेट-टेक्टोनिक विकास को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है।
  • बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियोबॉटेबी (बीएसआईपी) के शोध में कहा गया है कि पूर्वी तट के पास चिल्का और सुंदरबन और भारत के पश्चिमी तट के साथ द्वारका और पोरबंदर में कुछ मैंग्रोव प्रजातियों के 2070 तक घटने और भूमि की ओर स्थानांतरित होने की संभावना है। पूर्वानुमान मॉडल पर आधारित शोध में कहा गया है कि बारिश और समुद्री स्तर में बदलाव के कारण उपयुक्त ठिकाने घट जाएंगे। यह शोध संरक्षण और प्रबंधन के लिए अत्यधिक उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान करने और भविष्य के लिए संरक्षण रणनीतियां तैयार करने में मदद करेगा।

- स्वास्थ्य

  • जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) के वैज्ञानिकों ने एक कृत्रिम एक्टिव-मैटर सिस्टम के ग्लासी डायनमिक्स का अध्ययन किया है। इनका रिसर्च फिजिकल रिसर्च लेटर्स में पब्लिश हुआ है। इसमें बताया गया है कि कणों के ओरिएंटेशनल में अभाव से पैटर्न शुरू हो गए थे और इसने कणों को गतिमान रखने में मदद की और सिस्टम को सामान्य ग्लास की तरह व्यवहार करने से रोका।
  • जेएनसीएएसआर के वैज्ञानिकों ने एक नए घटक का पता लगाया है जो जीवाणु झिल्ली को खराब कर सकता है। इस प्रकार एंटीबायोटिक दवाओं के कई वर्गों के लिए जीवाणु प्रतिरोध का मुकाबला करने में, पुरानी एंटीबायोटिक दवाओं की प्रभावकारिता को फिर से मजबूत करने में मदद मिल सकती है। यह एंटीबायोटिक दवाओं की गतिविधि को मजबूत कर सकती है।
  • एक नए पहचाने गए जीन से फंगल संक्रमण कैंडिडिऑसिस को रोकने में मदद मिल सकती है। यह अक्सर आईसीयू मरीजों, कैंसर मरीजों और इम्युनोसप्रेसिव थेरेपी लेने वाले रोगियों को प्रभावित करता है।

एफ- ऊर्जा

  • जेएनसीएएसआर के वैज्ञानिकों ने एकल-क्रिस्टलीय स्कैंडियम नाइट्राइड (एससीएन) नामक नई सामग्री का पता लगाया है जो पूरी दक्षता के साथ इन्फ्रारेड प्रकाश का पता लगाकर, उत्सर्जन और संशोधित कर सकती है। ऑप्टिकल संचार उपकरणों और अन्य क्षेत्रों में यह उपयोगी हो सकता है।
  • एआरसीआई ने वातावरण के दबाव और तापमान पर मेथनॉल-पानी के मिश्रण से उच्च शुद्धता (99.99%) के साथ हाइड्रोजन का उत्पादन करने का एक नया तरीका विकसित किया है। यह वाटर इलेक्ट्रोलिसिस में जरूरी विद्युत ऊर्जा का केवल एक तिहाई उपयोग करता है। यह इस प्रक्रिया का बड़ा लाभ है।
  • एआरसीआई द्वारा एक प्लेटिनम आधारित इलेक्ट्रो-कैटलिस्ट विकसित किया गया है जिसका इस्तेमाल फ्यूल सेल्स में किया जा सकता है। इस इलेक्ट्रोकैटलिस्ट ने व्यावसायिक रूप से उपलब्ध इलेक्ट्रोकैटलिस्ट की तुलना में बेहतर नतीजे सामने रखे हैं, इससे फ्यूल सेल के प्रदर्शन की अवधि बढ़ सकती है।

16. राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एस एंड टी के माध्यम से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से कई एस एंड टी परिषदों ने नए तरीकों और नई पहलों के जरिए राज्यों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाई है। गुजरात काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (जीयूजेसीओएसटी) ने राज्य में 483 कला, वाणिज्य और विज्ञान कॉलेजों में इनोवेशन क्लब स्थापित करने की एक अनूठी परियोजना सामने रखी है। पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने मोहाली में 400 एकड़ में अत्याधुनिक संस्थागत क्लस्टर 'नॉलेज सिटी' में विश्वस्तरीय एस एंड टी बुनियादी ढांचे की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया है।

17. अच्छी प्रयोगशालाएं

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ओईसीडी सिद्धांतों के अनुसार गैर-नैदानिक स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा अध्ययन करने, भारतीय टेस्ट सुविधाओं/प्रयोगशालाओं के प्रमाणन के लिए राष्ट्रीय बेहतर प्रयोगशाला अभ्यास (जी एल पी) अनुपालन निगरानी कार्यक्रम लागू कर रहा है। जीएलपी अनुपालन के रूप में चार नई टेस्ट फसिलिटीज/प्रयोगशालाओं को प्रमाणित किया गया है। इसी प्रकार से, 16 मौजूदा टेस्ट फसिलिटीज/प्रयोगशालाओं को जीएलपी अनुपालन के रूप में दोबारा प्रमाणित किया गया है।

18. कुछ प्रमुख क्षेत्रों में नीति निर्माण

साल के दौरान दो दिशानिर्देश जारी किए गए और दो प्रमुख नीतियों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया चल रही है।

ए. वैज्ञानिक अनुसंधान अवसंरचना साझा रखरखाव एवं नेटवर्क (श्रीमान) दिशानिर्देश

बी. वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) दिशानिर्देश

सी. विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार (एसटीआई) नीति

डी. राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति

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एसजी/एएम/एएस/वाईबी



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