वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के लिए वर्षांत समीक्षा


आईआईपी अप्रैल से सितंबर 2022 के दौरान पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 7 प्रतिशत बढ़ा, इस दौरान खनन, विनिर्माण और बिजली क्षेत्र में दिखी वृद्धि

अप्रैल से अक्टूबर 2022-23 के दौरान आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक में 8.2 प्रतिशत की दमदार वृद्धि

1,600 से अधिक क्षेत्रों को कवर करते हुए यूएलआईपी का 7 मंत्रालयों के 32 सिस्‍टम्‍स के साथ सफलतापूर्वक एकीकरण

भारत की विनिर्माण एवं निर्यात क्षमता बढ़ाने के लिए 14 प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना

परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) ने 64 लाख करोड़ रुपये के निवेश वाली 1,912 से अधिक परियोजनाओं की निगरानी की, पीएमजी ने 5,438 मामलों को निपटाया

देश के 662 जिलों में 84,000 से अधिक स्टार्टअप सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त, इनके जरिये 8.5 लाख से अधिक रोजगार सृजित हुए

वैकल्पिक निवेश फंड द्वारा 773 स्टार्टअप में कुल 13,493 करोड़ रुपये का निवेश

मेक इन इंडिया 2.0 भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए 27 क्षेत्रों पर केंद्रित

वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में भारत 2015 में 81वें पायदान से बढ़कर 2022 में 40वें पायदान पर पहुंचा

नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्‍ल्‍यूएस) के जरिये 44,000 से अधिक मंजूरियां प्रदान की गईं

ओएनडीसी नेटवर्क का पायलट परीक्षण अप्रैल 2022 में 5 शहरों में शुरू किया गया

Posted On: 16 DEC 2022 5:22PM by PIB Delhi

औद्योगिक प्रदर्शन:

आईआईपी के रुझानों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि:

आईआईपी द्वारा मापित औद्योगिक उत्पादन में अप्रैल से सितंबर 2022 के दौरान पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 7.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस अवधि के दौरान सभी तीन क्षेत्रों - खनन, विनिर्माण और बिजली में वृद्धि दर्ज की गई।

कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद लगातार सुधार:

  • वर्ष 2020-21 के दौरान जब कोविड-19 वैश्विक महामारी फैली और इसके प्रभाव को कम करने के लिए सरकार को देश भर में उद्योगों को बंद करना पड़ा तो औद्योगिक उत्पादन में काफी गिरावट आई और (-) 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। हालांकि उसके बाद उद्योग में लगातार सुधार दर्ज किया गया। अप्रैल से सितंबर 2022 की अवधि में आईआईपी की कुल वृद्धि दर 7.0 प्रतिशत दर्ज की गई है।
  • वर्ष 2021-22 के दौरान कुल औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। खनन, विनिर्माण और बिजली क्षेत्रों में 2020-21 के दौरान दो अंकों में वृद्धि दर्ज की गई। वर्ष 2022-23 में औद्योगिक गतिविधियां कहीं अधिक बेहतर हुई हैं। वर्ष 2022-23 की पहली दो तिमाहियों के दौरान खनन, विनिर्माण और बिजली क्षेत्र में क्रमशः 4.2 प्रतिशत, 6.8 प्रतिशत और 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
  1. आठ प्रमुख उद्योगों में वृद्धि के रुझान
  • आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक (आईसीआई) कोयला, क्रूड ऑयल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्‍पात, सीमेंट और बिजली जैसे आठ प्रमुख क्षेत्रों के प्रदर्शन को मापता है। आईसीआई में शामिल उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 40.27 प्रतिशत भारांश है।
  • वर्ष 2021-22 के दौरान आईसीआई की वृद्धि दर पिछले 3 वर्षों यानी 2018-19 से 2020-21 के दौरान दर्ज 0.5 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर के मुकाबले 10.4 प्रतिशत रही। चालू वित्त वर्ष (अप्रैल से अक्टूबर 2022-23) के दौरान वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत पर शानदार रही है। आठ प्रमुख क्षेत्रों में से दो ने दो अंकों में वृद्धि दर्ज की है। इनमें कोयला और उर्वरक क्षेत्र क्रमश: 18.1 प्रतिशत और 10.5 प्रतिशत वृद्धि दर के साथ सबसे आगे हैं। इस दौरान यानी अप्रैल से अक्टूबर 2022-23 की अवधि में क्रूड ऑयल क्षेत्र की वृद्धि सुस्‍त रही। इनसे प्रमुख उद्योगों में सुधार के संकेत मिलते हैं।
  1. पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी)
  • पीएम गतिशक्ति एनएमपी संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/ विभागों के 1,200 से अधिक डेटा लेयर्स और राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के 755 आवश्यक लेयर्स के साथ पूरी तरह परिचालन में है।
  • 22 बुनियादी ढांचे एवं उपयोगकर्ता आर्थिक मंत्रालयों और सभी 36 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के लिए आवश्यक डेटा लेयर्स, कस्‍टमाइज्‍ड टूल्‍स और फंक्‍सनैलिटीज के साथ व्यक्तिगत पोर्टल बनाए गए हैं।
  • 6 क्षेत्रीय सम्मेलनों के अलावा बीआईएसएजी-एन में 1,000 से अधिक राज्य स्तरीय अधिकारियों का फिजिकल मोड में प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण पूरा हुआ।
  • केंद्रीय मंत्रालयों/ विभागों के लिए 78 कार्यशालाएं लगभग 3,145 प्रतिभागियों के साथ पूरी हो चुकी हैं। पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान पर 50 से अधिक सार्वजनिक उपक्रमों के 180 से अधिक अधिकारियों को संवेदनशील बनाया गया है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर संस्थागत ढांचा यानी सचिवों का अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएस), नेटवर्क योजना समूह (एनपीजी) और तकनीकी सहायता इकाई (टीएसयू) पूरी तरह परिचालन में हैं। राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों ने भी इसी तरह का संस्थागत ढांचा तैयार किया है और वे बैठक कर रहे हैं।
  • एनपीजी की 38 बैठकें हो चुकी हैं जिनमें 57 परियोजनाओं की जांच की गई। इसके अलावा उपयोगकर्ता मंत्रालयों ने सड़क, रेल और बंदरगाह कनेक्टिविटी से संबंधित 197 महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की कमी को साझा किया है। एनपीजी द्वारा इसकी जांच की गई है।
  • सरकार के भीतर क्षमता निर्माण के लिए आईजीओटी प्लेटफॉर्म पर पीएम गतिशक्ति पर एक ऑनलाइन कोर्स भी चलाया गया है।
  • परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) तंत्र के जरिये परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से लागू करने के लिए समस्‍याओं के समाधान में तेजी आई है। पीएम गतिशक्ति की स्थापना के बाद अब तक 300 से अधिक परियोजनाओं से संबंधित 1,500 से अधिक समस्‍याओं का समाधान किया गया है।
  • 28 राज्यों ने अपनी वार्षिक कार्य योजना प्रस्तुत कर दी है। सभी राज्यों की 5,023 करोड़ रुपये की योजनाएं डीओई को सौंपी गई है।
  • 15 राज्यों ने लॉजिस्टिक्‍स नीति तैयार की है। कर्नाटक और पंजाब जैसे राज्‍यों ने नवंबर में अपनी लॉजिस्टिक नीति को अधिसूचित किया।
  1. लॉजिस्टिक्‍स:
  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्‍स नीति: प्रधानमंत्री द्वारा 17.09.2022 को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्‍स नीति (एनएलपी) शुरू की गई है। यह नीति लॉजिस्टिक्‍स क्षेत्र के लिए व्यापक अंतःविषयक, क्रॉस-सेक्टरल, मल्टी-मोडल क्षेत्राधिकार एवं व्यापक नीतिगत ढांचा निर्धारित करती है। यह नीति पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की पूरक है।
  • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म: यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (यूएलआईपी) को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा 17 सितंबर, 2022 को राष्‍ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) के एक हिस्से के रूप में पीएम गतिशक्ति की दृष्टि से लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत साइलो को तोड़कर, विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों के बीच एकीकरण को बढ़ावा देकर और एकल खिड़की व्‍यवस्‍था तैयार करते हुए लॉजिस्टिक्स उद्योग में दक्षता एवं पारदर्शिता को बढ़ावा देना है ताकि लॉजिस्टिक्‍स क्षेत्र में भारत को लागत प्रतिस्पर्धी एवं आत्मनिर्भर बनाया जा सके और मेक इन इंडिया संबंधी पहल को आगे बढ़ाया जा सके। सौ से अधिक एपीआई के जरिये 1,600 से अधिक क्षेत्रों को कवर करते हुए यूएलआईपी का 7 मंत्रालयों के 32 सिस्‍टम्‍स के साथ एकीकरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। यूएलआईपी को नीति आयोग के मार्गदर्शन में एनआईसीडीसी द्वारा डिजाइन एवं विकसित किया गया है।
  • ईज ऑफ लॉजिस्टिक्स सर्विसेज प्लेटफॉर्म (ईएलओजीएस): ईज ऑफ लॉजिस्टिक्स सर्विसेज प्लेटफॉर्म (ईएलओजीएस) को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा 'नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी (एनएलपी) के तहत 17 सितंबर 2022 को लॉन्च किया गया था। कंपनियां ईएलओजीएस प्लेटफॉर्म पर शिकायतें दर्ज करा सकती हैं और उन्‍हें संबंधित अधिकारियों द्वारा प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाएगा।
  • लॉजिस्टिक्स ईज एक्रॉस डिफ्रेंट स्‍टेट्स (एलईएडीएस): पीएम गतिशक्ति पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन 13 अक्टूबर 2022 को किया गया था। उसी दौरान केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री द्वारा एलईएडीएस यानी विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स सुगमता पर 2022 की रिपोर्ट जारी की गई थी।
  1. उत्‍पादन से जुड़ी प्रोत्‍साहन (पीएलआई) योजना
  • 'आत्मनिर्भर' बनने के भारत के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं की घोषणा की गई है। इससे भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
  • इन प्रमुख क्षेत्रों में पीएलआई योजना भारतीय विनिर्माताओं को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, मुख्य क्षमता एवं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने, दक्षता सुनिश्चित करने, बड़े पैमाने पर उत्‍पादन करने, निर्यात बढ़ाने और भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का एक अभिन्न हिस्‍सा बनाने में मदद करेगी।
  • पीएलआई योजनाओं की घोषणा के साथ ही अगले पांच वर्षों के दौरान और उसके बाद भी उत्पादन, रोजगार, आर्थिक वृद्धि और निर्यात का महत्वपूर्ण सृजन होने की उम्मीद है।
  • पीएलआई योजना का देश के एमएसएमई परिवेश पर व्यापक प्रभाव पड़ने वाला है। हरेक क्षेत्र में तैयार होने वाली प्रमुख इकाइयों को पूरी मूल्य श्रृंखला में एक नए आपूर्तिकर्ता आधार की आवश्यकता होगी। इनमें से अधिकतर सहायक इकाइयां एमएसएमई क्षेत्र में तैयार होंगी।
  • प्रमुख उपलब्धियां
    • अब तक 13 योजनाओं के तहत 650 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं।
    • बल्क ड्रग्स, चिकित्‍सा उपकरण, दूरसंचार, व्हाइट गुड्स और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों के पीएलआई लाभार्थियों में 100 से अधिक एमएसएमई शामिल हैं।
    • कार्यान्वयन मंत्रालयों/ विभागों की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, करीब 47,000 करोड़ रुपये (5.6 अरब डॉलर) का वास्तविक निवेश हुआ है। इससे 3.75 लाख करोड़ रुपये (45 अरब डॉलर) के पात्र उत्‍पादों का उत्पादन/ बिक्री और करीब 2.5 लाख रोजगार सृजित होने की सूचना मिली है।
    • दर्ज वास्‍तविक निवेश वित्त वर्ष 2021-22 के संबंधित अनुमानों के मुकाबले 106 प्रतिशत हासिल।
    • लार्ज स्‍केल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्‍युफैक्‍चरिंग, फार्मास्यूटिकल्स, दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पाद, फूड प्रोसेसिंग और व्हाइट गुड्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों ने निवेश, उत्पादन/ बिक्री और रोजगार सृजन में उल्‍लेखनीय योगदान किया।
    • दूरसंचार विनिर्माण में पूरी मूल्य श्रृंखला को बढ़ावा देने के लिए जून 2022 में डिजाइन आधारित पीएलआई को लॉन्‍च किया गया ताकि दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्‍पादों के लिए पीएलआई योजना के तहत 5जी के लिए एक मजबूत परिवेश तैयार हो सके। इस योजना के तहत पात्र कंपनियों को मंजूरियां पहले ही दी जा चुकी हैं।
    • हाल में मंत्रिमंडल ने सितंबर 2022 में 19,500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 'उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम' के लिए पीएलआई योजना (चरण II) को मंजूरी दी है। इससे भारत में उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के विनिर्माण के लिए एक परिवेश तैयार करने और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आयात निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी।
    • आरटीसी/ आरटीई उत्पादों में मिलेट्स के उपयोग को प्रोत्‍साहन और बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने हाल में 30 कंपनियों को बड़े उपक्रमों एवं एमएसएमई से मिलेट उत्पादों के लिए पीएलआई योजना के तहत बिक्री-आधारित प्रोत्साहन हासिल करने को मंजूरी दी है।
    • मोबाइल विनिर्माण एवं निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के तहत 53.28 करोड़ रुपये के पहले व्‍यय को मंजूरी दी गई है।
  • व्हाइट गुड्स (एसी और एलईडी लाइट्स) के लिए उत्‍पादन से जुड़ी प्रोत्‍साहन (पीएलआई) योजना:

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 अप्रैल 2021 को व्हाइट गुड्स (एयर कंडीशनर और एलईडी लाइट्स) के लिए 6,238 करोड़ रुपये के परिव्‍यय के साथ पीएलआई योजना को मंजूरी दी थी। इस योजना के लिए दिशानिर्देश 4 जून 2021 को प्रकाशित किए गए थे। इस योजना की एसी और एलईडी उद्योगों के लिए कहीं अधिक वृद्धि दर हासिल करने, भारत में पुर्जों के लिए पूर्ण परिवेश विकसित करने और वैश्विक चैंपियन तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका होने की उम्मीद है। इस योजना के तहत 6,766 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताओं के साथ कुल मिलाकर 64 आवेदकों का चयन लाभार्थियों के रूप में किया गया है। चयनित आवेदकों में एयर-कंडीशनर के पुर्जों के विनिर्माण के लिए 5,275 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताओं के साथ 34 आवेदक और एलईडी लाइट्स के पुर्जों के विनिर्माण के लिए 1,491 करोड़ रुपये के निवेश प्रतिबद्धताओं के साथ 30 आवेदक शामिल हैं।

  1. परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी)
  • दिसंबर 2021 तक पीएमजी पोर्टल को कैबिनेट सचिव के निर्देशों के अनुसार एक मामला आधारित समाधान ढांचे से उपलब्धि आधारित निगरानी प्रणाली में अपग्रेड कर दिया गया है। नई प्रणाली परियोजनाओं की सक्रिय निगरानी सुनिश्चित करेगी और समय पर सुधारात्‍मक उपाय करने में मदद करेगी। यह बुनियादी ढांचा क्षेत्र में परिवर्तनकारी बदलाव को बढ़ावा देने के लिए परियोजना निगरानी समूह को सबसे आगे रखेगा।  
  • पीएमजी ने अब तक 64 लाख करोड़ रुपये के निवेश वाली 1,912 परियोजनाओं की निगरानी की है। इसमें जबरदस्‍त प्रभाव वाली गतिशक्ति परियोजनाओं और महत्‍वपूर्ण बुनियादी ढांचा की कमी वाली परियोजनाओं के साथ-साथ सभी महत्वपूर्ण मेगा बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल हैं। इनके अलावा जनवरी 2022 के बाद 7.23 लाख करोड़ रुपये के निवेश वाली 294 परियोजनाओं को भी इसमें शामिल किया गया है।
  • पीएमजी ने अब तक 5,438 मामलों को निपटाने में मदद की है। इनमें से 16.2 लाख करोड़ रुपये के निवेश वाली 353 परियोजनाओं से संबंधित 1,548 मामलों को जनवरी 2022 के बाद निपटाया गया है।
  • पीएमजी निजी क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए भी समाधान में मदद कर रहा है। 1 जनवरी 2022 से अब तक निजी क्षेत्र की 21 परियोजनाओं से संबंधित 69 मामलों का समाधान पीएमजी ढांचे के तहत किया गया है।
  1. औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम
  • औद्योगिक गलियारा परियोजनाएं
  • एनआईसीडीआईटी द्वारा 4 परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया और कार्यान्वयन के लिए एचसीआईएम/ सीसीईए से आगे की मंजूरी ली जा रही है-
  • उत्‍तराखंड के खुरपिया फार्म में आईएमसी
  • पंजाब में पटियाला के राजपुरा में आईएमसी
  • भीमनाथ- धोलेरा रेल संपर्क, गुजरात
  • हैदराबाद नागपुर औद्योगिक गलियारा (एचएनआईसी), तेलंगाना के तहत जहीराबाद नोड
  • एनआईसीडीआईटी मैनडेट के तहत शामिल परियोजनाएं-  
  • डीएमआईसी के तहत मंडल बेचराजी निवेश क्षेत्र (एमबीआईआर), गुजरात नोड
  • एकेआईसी के तहत बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ (बीबीएन) आईएमसी, हिमाचल प्रदेश
  • प्रमुख ट्रंक इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर-
  • निर्मित- शेंद्रा बिडकिन औद्योगिक क्षेत्र
  • निर्माणाधीन-
  • धोलेरा विशेष निवेश क्षेत्र (डीएसआईआर) - 95 प्रतिशत,
  • आईएमएलएच, एनसी, हरियाणा- सड़क, बिजली, पानी के लिए बाहरी कनेक्टिविटी- 50 प्रतिशत और डीएफसीसीआईएल द्वारा रेल कनेक्टिविटी का काम
  • कृष्णापट्टनम और तुमकुरु नोड्स- ईपीसी निविदाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है
  • पर्यावरण मंजूरी -
  • कृष्णापट्टनम और तुमकुरु नोड्स
  • डीएसआईआर, गुजरात में 3,400 मेगावॉट सौर पार्क के विकास के लिए सीआरजेड मंजूरी मिली
  • दिघी बंदरगाह औद्योगिक क्षेत्र
  • 4 एसएचए/ एसएसए निष्पादित-
  • जोधपुर पाली मारवाड़ निवेश क्षेत्र (जेपीएमआईए) और खुशखेड़ा भिवाड़ी नीमराणा निवेश क्षेत्र (केबीएनआईआर), राजस्थान
  • दिघी बंदरगाह औद्योगिक क्षेत्र (डीपीआईए), महाराष्ट्र
  • पंजाब के राजपुरा- पटियाला में आईएमसी
  • उत्‍तराखंड के खुरपिया फार्म में आईएमसी
  • औद्योगिक गलियारा परियोजनाओं के विकास के लिए 2 एसपीवी निगमित -
  • पलक्कड़, केरल में आईएमसी
  • जेपीएमआईए और केबीएनआईआर, राजस्थान
  • मास्टर प्लानिंग और प्रारंभिक इंजीनियरिंग गतिविधियों के लिए 9 सलाहकार नियुक्त
  • इन 4 शहरों में कुल 209 भूखंड (1,172 एकड़) आवंटित किए गए हैं जहां दक्षिण कोरिया, रूस, चीन, ब्रिटेन, जापान के साथ-साथ एमएसएमई सहित भारतीय कंपनियों से निवेश आकर्षित
  • कुल 3,182 करोड़ रुपये के निवेश और 11,280 रोजगार सृजन क्षमता के साथ 450.5 एकड़ भूमि के साथ 84 प्लॉट आवंटित
  • 11 औद्योगिक गलियारों के विकास के लिए 50 करोड़ डॉलर के कार्यक्रम संबंधी ऋण के पहले उपकार्यक्रम के तहत एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से 25 करोड़ डॉलर का ऋण मंजूर।
  • दिल्ली (22 अप्रैल), कोच्चि (22 जून) और गांधीनगर (22 अगस्त) में इन्‍वेस्‍टर राउंड टेबल कॉन्‍फ्रेंस आयोजित
  1. स्‍टार्टअप इंडिया कार्यक्रम:
  • प्रधानमंत्री द्वारा 16 जनवरी 2016 को लॉन्च किया गया स्टार्टअप इंडिया पहल आज देश में नवाचार आइडिया का लॉन्चपैड बन चुका है। उद्यमियों की मदद करने, एक मजबूत स्टार्टअप परिवेश तैयार करने और भारत को रोजगार तलाशने वालों के बजाय रोजगार सृजित करने वाला देश बनाने के उद्देश्य से पिछले कुछ वर्षों के दौरान स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत कई कार्यक्रम लागू किए गए हैं।
  • भारतीय स्‍टार्टअप परिवेश को दुनिया में बेहतरीन बनाने के लिए सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं जिनमें पूंजी तक आसान पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकारों की सुरक्षा में खामियों को दूर करना, कर प्रोत्‍साहन, सार्वजनिक खरीद में सुगमता, अंतरराष्ट्रीय आयोजनों तक आसान पहुंच के लिए नियामकीय सुधार आदि शामिल हैं।
  • पिछले कुछ वर्षों में भारतीय स्टार्टअप परिवेश ने हर तरीके से विकास और तेजी से वृद्धि दर्ज की है। यह एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि है कि 84,000 से अधिक स्टार्टअप सरकार द्वारा मान्यता प्राप्‍त हैं। इन स्‍टार्टअप द्वारा 8.5 लाख से अधिक रोजगार सृजित होने की सूचना मिली है यानी प्रति मान्यता प्राप्त स्टार्टअप द्वारा औसतन 11 नौकरियों का सृजन हुआ। ये मान्यता प्राप्त स्टार्टअप सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कम से कम एक स्‍टार्टअप के साथ देश के 662 जिलों में फैले हुए हैं।
  • स्टार्टअप के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफएफएस) योजना के तहत सरकार ने 93 वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) के लिए करीब 7,528 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता जताई है। एआईएफ द्वारा 773 स्टार्टअप में कुल 13,493 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
  • स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) के तहत 119 इन्क्यूबेटरों को कुल 455.26 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। साथ ही, चयनित इन्क्यूबेटरों ने 656 स्टार्टअप के लिए कुल 104.76 करोड़ रुपये स्‍वीकृत किए हैं।
  • गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पोर्टल विभिन्न सरकारी विभागों/ संगठनों/ सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा सामान्‍य उपयोग की वस्तुओं एवं सेवाओं की ऑनलाइन खरीद के लिए वन-स्टॉप समाधान बन गया है। जीईएम पर 15,665 से अधिक डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप मौजूद हैं जिन्हें सरकारी संस्थाओं से कुल 9,512 करोड़ रुपये के 1,60,062 से अधिक ऑर्डर प्राप्‍त हुए हैं। जीईएम प्लेटफॉर्म पर स्टार्टअप को ऑनबोर्ड करने के लिए स्टार्टअप हाईवे एक फास्ट ट्रैक प्रक्रिया है।
  • सरकार ने स्टार्टअप परिवेश को बेहतर करने के लिए कारोबारी सुगमता, पूंजी जुटाने में आसानी और अनुपालन बोझ घटाने के लिए 53 प्रमुख नियामकीय बदलाव किए हैं।
  • मान्यता प्राप्त स्टार्टअप आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) (vii बी) के तहत एंजल कर छूट का दावा करने के पात्र हैं।
  • बीमा कंपनियां और भविष्य निधि घरेलू पूंजी पूल को बढ़ाने वाले एआईएफ/ फंड ऑफ फंड्स में निवेश कर सकती हैं।
  • विदेशी वेंचर कैपिटल निवेशक (एफवीसीआई) स्‍वचालित माध्यम से 100 प्रतिशत पूंजी का योगदान कर सकते हैं।
  • मान्यता प्राप्त स्टार्टअप के लिए 10 वर्षों में से लगातार 3 आकलन वर्षों के लिए कर अवकाश।
  • बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के संरक्षण एवं व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने स्‍टार्टअप को नि:शुल्‍क सेवा प्रदान करने के लिए 510 पेटेंट फैसिलिटेटर और 392 ट्रेडमार्क फैसिलिटेटर को पैनल में लिया है। 2,100 से अधिक स्टार्टअप ने त्‍वरित जांच के लिए पेटेंट आवेदन किए हैं। इनमें 994 से अधिक पेटेंट प्रदान किए गए हैं और 1,923 को प्रथम जांच रिपोर्ट जारी की गई है। 27,225 ट्रेडमार्क आवेदन दायर किए गए हैं जिनमें से 12,827 ट्रेडमार्क पंजीकृत किए गए हैं।
  • सरकार ने स्‍टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी योजना (सीजीएसएस) भी शुरू की है। इसके तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और एआईएफ द्वारा स्‍टार्टअप को दिए गए ऋण के लिए गारंटी प्रदान की गई है।
  • स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत 15 देशों के साथ पुल भी स्‍थापित किए गए हैं ताकि भारतीय और साझेदार देशों के स्‍टार्टअप के बीच आपसी सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए सॉफ्ट-लैंडिंग प्‍लेटफॉर्म उपलब्‍ध कराया जा सके।
  1. मेक इन इंडिया

डीपीआईआईटी देश में विनिर्माण एवं निवेश के लिए परिवेश को मजबूत करने में सबसे आगे रहा है। देश में निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बेहतरीन बुनियादी ढांचा स्‍थापित करने और भारत को विनिर्माण, डिजाइन एवं नवाचार का एक प्रमुख केंद्र बनाने के उद्देश्‍य से 25 सितंबर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम को लॉन्च किया गया था। मजबूत विनिर्माण क्षेत्र का विकास भारत सरकार की प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है।

'वोकल फॉर लोकल' पहल ने भारत के विनिर्माण क्षेत्र को दुनिया के सामने उजागर किया। इस क्षेत्र में न केवल आर्थिक वृद्धि को ऊंचाईयों पर ले जाने की क्षमता है बल्कि इसमें बड़ी तादाद में हमारे युवाओं को रोजगार प्रदान करने की भी क्षमता है।

मेक इन इंडिया ने अपने लॉन्‍च के बाद से ही महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं और अब मेक इन इंडिया 2.0 के तहत 27 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। डीपीआईआईटी 15 विनिर्माण क्षेत्रों के लिए कार्य योजनाओं का समन्वय कर रहा है जबकि वाणिज्य विभाग 12 सेवा क्षेत्रों के लिए समन्वय कर रहा है। डीपीआईआईटी अब  24 उप-क्षेत्रों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इनका चयन भारतीय उद्योगों की ताकत एवं प्रतिस्पर्धी बढ़त, आयात के विकल्‍प की आवश्यकता, निर्यात की संभावना और रोजगार में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इन 24 उप-क्षेत्रों में फर्नीचर, एयर कंडीशनर, चमड़ा एवं फुटवियर, तैयार खाद्य पदार्थ, मत्स्य पालन, कृषि-उत्पाद, वाहनो के कलपुर्जे, एल्यूमीनियम, इलेक्ट्रॉनिक्स, कृषि रसायन, इस्‍पात, कपड़ा, ईवी के लिए कलपुर्जे एवं एकीकृत सर्किट, एथनॉल, सिरैमिक्‍स, सेट टॉप बॉक्स, रोबोटिक्स, टेलीविजन, क्लोज सर्किट कैमरे, खिलौने, ड्रोन, चिकित्सा उपकरण, खेल के सामान और जिम के उपकरण शामिल हैं। इन उप-क्षेत्रों के विकास को एक समग्र एवं समन्वित तरीके से बढ़ावा देने के प्रयास जारी हैं।

मंत्रालयों, राज्य सरकारों और विदेशों में भारतीय मिशनों के जरिये निवेश आउटरीच कार्यक्रम किए जा रहे हैं। इन्वेस्ट इंडिया कार्यक्रम के तहत संभावित निवेशकों की पहचान, हैंडहोल्डिंग और निवेश के लिए सुविधा प्रदान की जाती है।

  1.  आईपीआर सुदृढ़ीकरण

डीपीआईआईटी ने वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में भारत की रैंकिंग में सुधार के लिए नीति आयोग के साथ मिलकर काम किया है। लगातार किए गए प्रयासों के परिणामस्‍वरूप पिछले कुछ वर्षों में भारत की रैंकिंग में उछाल आया है।

जीआईआई के 81 संकेतकों में से आईपीआर से संबंधित 9 संकेतक डीपीआईआईटी को सौंपे गए हैं। इसके अलावा वैश्विक नवाचार सूचकांक रैंकिंग में भारत की स्थिति में सुधार लाने के लिए अंतर-मंत्रालयी समन्वय समिति की तीसरी बैठक के अनुसार निवेश प्रवाह से संबंधित एक संकेतक भी डीपीआईआईटी को सौंपा गया है।

डीपीआईआईटी सौंपे गए संकेतकों के स्कोर को सुव्यवस्थित करने और उसमें सुधार लाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है। डीपीआईआईटी ने निर्दिष्ट संकेतकों के अनुरूप पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइन सहित घरेलू आईपीआर फाइलिंग में सुधार जैसी कई पहल की है।

डीपीआईआईटी हितधारकों की चिंताओं और उनकी समस्‍याओं की पहचान एवं निराकरण के लिए विभिन्न हितधारक के साथ परामर्श कार्यक्रम आयोजित कर रहा है ताकि अनुपालन बोझ को कम करते हुए प्रक्रियाओं को व्यवस्थित किया जा सके। इस पहल से देश के आईपी परिवेश को मजबूत करने और हितधारकों द्वारा आईपी फाइलिंग को बढ़ावा मिलेगी।

इसके अलावा, आईपी परिवेश को मजबूत करने और हितधारकों की प्रतिक्रिया के आधार पर विभाग ने विभिन्न आईपी कानूनों में संशोधन के प्रस्‍ताव दिए हैं और इनमें से कुछ संशोधन फिलहाल संसदीय प्रक्रिया के तहत हैं।

डीपीआईआईटी आईपीआर के संरक्षण एवं व्यावसायीकरण के लिए विभिन्न जागरूकता और प्रचार गतिविधियों का आयोजन भी कर रहा है।

साथ ही, डीपीआईआईटी लगातार निगरानी कर रहा है कि प्रासंगिक राष्ट्रीय स्रोतों से मांगे गए जीआईआई संकेतकों से संबंधित डेटा अंतर्राष्ट्रीय स्रोतों पर दिखे और अपडेट रहे।

इसके अलावा जीआईआई 2022 रैंकिंग का 15वां संस्करण 29 सितंबर 2022 को जारी किया गया है। वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) में भारत की रैंकिंग 2015 में 81वें पायदान से सुधर कर जीआईआई 2022 की रिपोर्ट में 40वें पायदान पर हो गई है।

  1. इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल:

भारत सरकार और राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों के साथ मिलकर डीपीआईआईटी और इन्वेस्ट इंडिया 2020-21 से ही एनएसडब्ल्यूएस पर काम कर रहे हैं। पोर्टल [www.nsws.gov.in] को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री द्वारा 22 सितंबर, 2021 को सॉफ्ट-लॉन्च किया गया था। वर्तमान में, एनएसडब्‍ल्‍यूएस पोर्टल पर 24 मंत्रालयों/ विभागों और 16 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के सिंगल विंडो सिस्टम की मंजूरियों को ऑन-बोर्ड किए गए हैं। अब तक विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों से संबंधित 226 मंजूरियों को एनएसडब्ल्यूएस के साथ एकीकृत किया गया है। इसके साथ ही यदि विश्‍व बैंक डीबीआर रिपोर्ट में अपनी रैंकिंग पर नए सिरे से गौर करेगा तो कारोबारी सुगमता के मोर्चे पर भारत की रैंकिंग में काफी सुधार होगा। अब तक 26 केंद्रीय मंत्रालयों/ विभागों और 31 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों ने इस पोर्टल पर अपनी मंजूरियों को जानें (केवाईए) मॉड्यूल को शामिल किया है। इसके अलावा एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल के जरिये अब तक निवेशकों से संबंधित 34,000 से अधिक मंजूरियां प्रदान की जा चुकी हैं।

  1. कारोबारी सुगमता:

डीपीआईआईटी देश में समग्र व्यापार विनियमन परिवेश में सुधार के लिए कई पहल कर रहा है। यह विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में महज 5 वर्षों के दौरान 79 रैंक की अभूतपूर्व छलांग (2014 में 42वीं  से 2019 में 63वीं तक), व्यापार सुधार कार्य योजना (बीआरएपी) के तहत राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सुधारों के कार्यान्वयन और मौजूदा कानूनों/ नियमों पर विशेष ध्‍यान केंद्रित करते हुए कारोबार और नागरिकों के लिए अनुपालन का सरलीकरण/ व्यवस्थित कमी से बिल्‍कुल स्पष्ट है।

बीआरएपी 2020 (पांचवां संस्करण) का मूल्यांकन 30 जून 2022 को जारी किया गया और उसमें सुधारों के कार्यान्वयन के आधार पर राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को चार श्रेणियों- टॉप अचीवर्स, अचीवर्स, एस्पिरर्स और इमर्जिंग बिजनेस इकोसिस्टम- में रखा गया था। बीआरएपी 2020 मूल्यांकन के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 7,496 सुधार लागू किए गए जिससे देश भर में कारोबारी सुगमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।

कारोबारियों और नागरिकों के लिए अनुपालन बोझ में कमी (आरसीबी) लाना शासन की उत्कृष्टता को अगले स्तर तक पहुंचाने और जीवन की सुगमता में सुधार लाने के लिए एक सतत प्रक्रिया है। मंत्रालयों और राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा 39,000 से अधिक अनुपालन कम किए गए हैं। इसका उद्देश्य कारोबारी सुगमता और जीवन की सुगमता को बेहतर करना है:

  • आवेदन, नवीनीकरण, निरीक्षण, फाइलिंग रिकॉर्ड आदि से संबंधित प्रक्रियाओं का सरलीकरण। प्रक्रिया और डेटा फॉर्म उपयोगकर्ताओं के अनुकूल हो और उससे केवल न्यूनतम एवं आवश्यक जानकारी हासिल की जाए।
  • अनावश्‍यक कानूनों को निरस्त, संशोधित या समाहित करते हुए युक्तिसंगत बनाना।
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाकर कारोबारियों और नागरिकों के लिए सेवाओं एवं इंटरफेस का डिजिटलीकरण ताकि मैनुअल फॉर्म एवं रिकॉर्ड को खत्‍म किया जा सके। डीपीआईआईटी का नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में कारोबारी सेवाओं को एकीकृत करने की प्रक्रिया में है। इसी प्रकार, नागरिक सेवाओं के लिए, इलेक्ट्रिॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के उमंग प्लेटफॉर्म ने केंद्र से लेकर स्थानीय सरकारी निकायों तक देश भर में लगभग 21,840 ई-गवर्नेंस सेवाओं को एकीकृत किया।
  • मौजूदा कानूनों/ नियमों के तहत मामूली तकनीकी एवं प्रक्रिया संबंधी अपराध के लिए कारोबारियों/ नागरिकों के बीच कैद की आशंका को कम किया गया है।

डीपीआईआईटी ने मंत्रालयों और राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के बीच विभिन्न अधिनियमों/ नियमों के तहत प्रावधानों के गैर-अपराधीकरण से संबंधित डेटा हासिल करने के लिए नियामकीय अनुपालन पोर्टल पर एक नई यूटिलिटी तैयार की है। इस पोर्टल पर अपलोड किए गए विवरण के आधार पर मंत्रालयों और राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा मामूली तकनीकी और/ अथवा प्रक्रियागत चूक से संबंधित 3,400 से अधिक प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है।

कारोबारी सुगमता और जीवन की सुगमता (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2022 को कानून एवं न्याय मंत्रालय के परामर्श से डीपीआईआईटी द्वारा तैयार किया गया है। केंद्रीय अधिनियमों के प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाने के लिए संबंधित मंत्रालयों के इनपुट के आधार पर इस विधेयक तैयार किया गया है। यह विधेयक 'भरोसा आधारित शासन' सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए शुरुआती कदमों में से एक है। मामूली तकनीकी एवं प्रक्रियात्मक अपराधों के गैर-अपराधीकरण के लिए इस विधेयक में प्रस्‍तावित उपाय इस प्रकार हैं:

  • पुराने प्रावधानों को हटाना
  • मामूली अपराधों के लिए कैद/ जुर्माने को हटाना या उन्‍हें युक्तिसंगत बनाना
  • सुलह प्रस्‍तावों को बढ़ावा देना
  • श्रेणीबद्ध दंड (पहले और बाद के अपराधों के लिए अलग-अलग दंड)

डीपीआईआईटी ने छह कानूनों- बॉयलर्स एक्ट 1923, इंडस्ट्रीज (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट 1951, पेटेंट एक्ट 1970, ट्रेड मार्क्स एक्ट 1999, ज्‍योग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स एक्ट 1999 और कॉपीराइट एक्ट 1957- के प्रावधानों को अपराधमुक्‍त करने का प्रस्ताव दिया है। रजिस्टर (कॉपीराइट एक्‍ट 1957/ ज्‍योग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स एक्‍ट 1999) में झूठे बयान/ प्रविष्टियां दर्ज होने जैसे अपराधों के लिए कारावास और जुर्माने को हटाने का प्रस्ताव है। कारोबार के स्थान का अनुचित वर्णन करने (ज्‍योग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गूड्स एक्‍ट 1999 और ट्रेड मार्क्‍स एक्‍ट 1999) जैसे अपराधों के लिए कारावास को हटा दिया गया है लेकिन बॉयलर (बॉयलर्स एक्ट 1923) पर आवंटित रजिस्टर नंबर को चिह्नित करने में विफलता जैसे उल्‍लंघन के लिए जुर्माने को बरकरार रखा गया है। जबकि सूचना प्रदान करने से इनकार या विफलता (पेटेंट एक्‍ट 1970) आदि मामलों में जुर्माने को अर्थ दंड में बदल दिया गया है।

  1. नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्‍ल्‍यूएस)
  • निवेशकों को एंड टू एंड सुविधा एवं सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से बजट 2020-21 में नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्‍ल्‍यूएस) स्‍थापित करने की घोषणा की गई थी। इस प्रकोष्‍ठ को एक ऑनलाइन डिजिटल पोर्टल के जरिये काम करना था। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री द्वारा 22 सितंबर 2021 को नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्‍ल्‍यूएस) [www.nsws.gov.in] को सॉफ्ट-लॉन्च किया गया था।
  • वर्तमान में नो योर अप्रूवल्स (केवाईए) यानी अपनी मंजूरियों को जानो निवेश पूर्व एडवाइजरी मॉड्यूल है 32 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में 4,011 से अधिक मंजूरियों और 32 केंद्रीय मंत्रालयों/ विभागों में 595 मंजूरियों के साथ लाइव है। इसके अलावा, 27 मंत्रालयों/ विभागों की कुल 376 मंजूरियों में से 249 मंजूरियों के लिए एनएसडब्‍ल्‍यूएस पोर्टल के जरिये ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।
  • 19 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों (आंध्र प्रदेश, बिहार, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, नागालैंड, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा) में सिंगल विंडो सिस्टम को एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल से जोड़ दिया गया है। इससे इन राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में एनएसडब्ल्यूएस के जरिये आवेदन करने और मंजूरी हासिल करने की सुविधा प्रदान की गई है।
  • प्रॉसेस ऑप्टिमाइजेशन और प्रौद्योगिकी के उपयोग से भारत में निवेश करना आसान हो गया है। इसके लिए विभिन्‍न योजनाएं जैसे 13 राज्यों (गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, असम, राजस्थान, चंडीगढ़, बिहार, पंजाब, गोवा और उत्तराखंड) के लिए वाहन स्क्रैपिंग योजना और भारतीय फुटवियर एवं चमड़ा विकास कार्यक्रम (आईएफएलडीपी) के तहत योजनाएं और एथनॉल नीति के तहत मंजूरियां इस पोर्टल पर लाइव हैं। निवेशक इन योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए आसानी से एनएसडब्ल्यूएस का उपयोग कर रहे हैं।
  • वर्तमान में एनएसडब्‍ल्‍यूएस पोर्टल पर लगभग 3.7 लाख यूनिक विजिटर्स हैं जिनमें 54,000 से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ता शामिल हैं। एनएसडब्‍ल्‍यूएस के जरिये 44,000 से अधिक मंजूरियां के लिए सुविधा प्रदान की गई है जबकि करीब 28,000 मंजूरिया प्रक्रिया के अंतर्गत हैं।
  • एनएसडब्ल्यूएस सभी क्षेत्रों और आकार के कारोबार के लिए केंद्र एवं राज्‍य सरकारों से मंजूरियां, योजनाओं, पंजीकरण, अनुमोदन आदि के लिए जानकारी हासिल करने के लिए एकल स्रोत स्‍थापित करते हुए प्रौद्योगिकी उत्‍प्रेरक के रूप में सुविधा प्रदान कर रहा है। एकल एकीकृत आवेदन फॉर्म के जरिेये निवेशक कई मंजूरियों के लिए एक साथ आवेदन कर सकते हैं और वे इन्‍वेस्‍टर डैशबोर्ड के जरिये अपने आवेदन की स्थिति पर नजर भी रख सकते हैं। निवेशक इस पोर्टल पर सवाल और शिकायतें भी दर्ज कर सकते हैं।
  • एनएसडब्ल्यूएस विशेष योजनाओं जैसे उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाओं को केंद्र और राज्य सरकार की मंजूरियों को क्षेत्रवार बंडलिंग, सभी नियामकीय मंजूरियों के साथ-साथ नवीनीकरण को तेजी से लागू करने में भी मदद करेगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय भूमि बैंक को एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल के साथ एकीकृत किया गया है जिसके जरिये निवेशक जीआईएस सक्षम पोर्टल द्वारा भूमि की उपलब्धता संबंधी जानकारी भी हासिल कर सकता है। फिलहाल एनएसडब्‍ल्‍यूएस पर विभिन्न औद्योगिक पार्कों और एस्‍टेट में 1 लाख हेक्टेयर भूमि उपलब्ध है।
  • एकल कारोबारी यूजर आईडी के लिए मंत्रालयों और राज्यों के बीच डेटा एकीकरण के लिए एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) के लिए एक विशिष्‍ट पहचानकर्ता के तौर पर एनएसडब्ल्यूएस द्वारा पैन नंबर के उपयोग पर विचार किया जा रहा है। एनएसडब्ल्यूएस डेटा दोहराव को कम करने और ऑटो-पॉपुलेशन मॉड्यूल के उपयोग से विभिन्‍न फॉर्म पर समान डेटा भरने में भी मदद करता है।
  • एनएसडब्ल्यूएस एक महत्वाकांक्षी पहल है जो देश में निवेश बढ़ाने और अनुपालन बोझ को कम करने में नाटकीय बदलाव ला सकती है। यह प्रणाली संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण के जरिये सभी मंत्रालयों/ विभागों और राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को एकीकृत करने की दिशा में काम करेगी।
  1. सार्वजनिक खरीद (मेक इन इंडिया को प्राथमिकता) आदेश, 2017
  • पीपीपी-एमआईआई आदेश सार्वजनिक खरीद में स्थानीय तौर पर विनिर्मित वस्तुओं, कार्यों और सेवाओं को प्राथमिकता देता है ताकि देश में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिल सके और लोगों के लिए आय और रोजगार के अवसर बेहतर हो सकें।
  • आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए डीपीआईआईटी ने 16.09.2020 को निम्नलिखित विशेषताओं के साथ अपनी सार्वजनिक खरीद आदेश 2017 (मेक इन इंडिया ऑर्डर को प्राथमिकता) संशोधित किया:

Ø आपूर्तिकर्ताओं का पुनर्वर्गीकरण-

I. प्रथम श्रेणी के स्थानीय आपूर्तिकर्ता- 50 प्रतिशत से अधिक स्थानीय सामग्री

II. द्वितीय श्रेणी के स्थानीय आपूर्तिकर्ता- 20-50 प्रतिशत स्थानीय सामग्री

III. गैर-स्थानीय आपूर्तिकर्ता- 20 प्रतिशत से कम स्थानीय सामग्री

Ø प्रथम श्रेणी के स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं (50 प्रतिशत से अधिक स्थानीय सामग्री वाले आपूर्तिकर्ता) के लिए खरीद प्राथमिकता।

Ø 20 प्रतिशत से कम घरेलू स्थानीय मूल्यवर्धन वाली वस्तुओं की पेशकश करने वाले आपूर्तिकर्ता घरेलू/ राष्ट्रीय बोली प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकते।

Ø नोडल मंत्रालयों/ विभागों को प्रथम श्रेणी/द्वितीय श्रेणी के स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं के लिए अधिक न्यूनतम स्थानीय सामग्री यानी 50/20 प्रतिशत से अधिक की आवश्यकता को अधिसूचित करने के लिए अधिकृत किया गया है।

Ø 200 करोड़ रुपये से कम अनुमानित मूल्य की खरीद के लिए कोई वैश्विक निविदा पूछताछ जारी नहीं की जाएगी।

  • यह आदेश सभी केंद्रीय मंत्रालयों/ विभागों, उनके संबद्ध/ अधीनस्थ कार्यालयों, भारत सरकार द्वारा नियंत्रित स्वायत्त निकायों और कंपनी अधिनियम के तहत परिभाषित सरकारी कंपनियों द्वारा वस्‍तुओं, सेवाओं और कार्यों (टर्नकी कार्य सहित) की खरीद के लिए लागू है।

15. प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश

भारत आज दुनिया में सबसे आकर्षक एफडीआई गंतव्यों में शामिल है। सरकार ने निवेशकों के अनुकूल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति लागू की है। इसके तहत रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण कुछ क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई के लिए खुले हैं। भारत एफडीआई की सीमा बढ़ाकर, अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए नियामकीय बाधाओं को हटाकर, बुनियादी ढांचे के विकास और कारोबारी माहौल को बेहतर करते हुए वैश्विक निवेशकों के लिए अपने क्षेत्रों को लगातार खोल रहा है। भारत को निवेश के लिए कहीं अधिक आकर्षक गंतव्य बनाने के लिए सरकार ने 2014 से रक्षा, पेंशन, अन्य वित्तीय सेवाओं, परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों, प्रसारण, फार्मास्यूटिकल्स, एकल ब्रांड खुदरा व्यापार, निर्माण एवं विकास, नागरिक उड्डयन, पावर एक्सचेंज, ई-कॉमर्स गतिविधियां, कोयला खनन, अनुबंध आधारित विनिर्माण, डिजिटल मीडिया, बीमा मध्यस्थ आदि जैसे क्षेत्रों में कई क्रांतिकारी एवं परिवर्तनकारी एफडीआई सुधारों को लागू किया है। पिछले एक साल में ही बीमा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और दूरसंचार और जैसे क्षेत्रों के लिए एफडीआई नीति में सुधार किए गए हैं। एफडीआई नीति में सुधार के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के परिणामस्वरूप देश में एफडीआई निवेश में वृद्धि हुई है जो साल दर साल नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

वर्ष 2014-2015 में भारत में एफडीआई निवेश 45.15 अरब डॉलर था और तब से इसमें लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2015-16 में एफडीआई प्रवाह बढ़कर 55.56 अरब डॉलर, वर्ष 2016-17 में 60.22 अरब डॉलर, वर्ष 2017-18 में 60.97 अरब डॉलर, वर्ष 2018-19 में 62 अरब डॉलर, वर्ष 2019-20 में 74.39 अरब डॉलर और  वर्ष 2020-21 में 81.97 अरब डॉलर हो गया। भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 में 84.84 अरब डॉलर (अनंतिम आंकड़े) पर अपना अब तक का सर्वाधिक वार्षिक एफडीआई निवेश दर्ज किया है।

  • चालू वित्त वर्ष 2022-23 (सितंबर, 2022 तक) के दौरान 39.10 अरब डॉलर का एफडीआई निवेश दर्ज किया गया है जो अप्रैल से सितंबर 2021 के दौरान दर्ज 41.9 अरब डॉलर के एफडीआई निवेश से करीब 9 प्रतिशत कम है।
  • पिछले 8 वित्त वर्षों (2014-22: 525.10 अरब डॉलर) के दौरान एफडीआई निवेश इससे पहले के 8 वित्‍त वर्षों (2006-14: 289.03 अरब डॉलर) की अवधि के मुकाबले 82 प्रतिशत बढ़ा है।
  • पिछले वित्त वर्ष 2020-21 (12.09 अरब डॉलर) के मुकाबले वित्त वर्ष 2021-22 (21.34 अरब डॉलर) के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी निवेश 76 फीसदी बढ़ा।

भारत के एफडीआई में इस प्रकार के रुझान वैश्विक निवेशकों के बीच भारत को एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में स्‍थापित करते हैं।

  1. एक जिला एक उत्‍पाद (ओडीओपी)

केंद्र सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की शुरुआत की है। ओडीओपी को किसी जिले की वास्तविक क्षमता को भुनाने, आर्थिक वृद्धि को गति देने, रोजगार एवं ग्रामीण उद्यमिता सृजित करने और हमें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य तक ले जाने की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में देखा जाता है। ओडीओपी पहल का विलय वाणिज्य विभाग के डीजीएफटी की 'डिस्ट्रिक्ट्स एज एक्सपोर्ट हब (डीईएच)' पहल के साथ उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के साथ एक प्रमुख हितधारक के रूप में कर दिया गया है।

ओडीओपी पहल का उद्देश्य देश के सभी जिलों में संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है ताकि सभी क्षेत्रों में समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास हो सके। इसका उद्देश्य जिले में निर्यात क्षमता वाले उत्पादों की पहचान करते हुए देश के प्रत्येक जिले को विनिर्माण एवं निर्यात केंद्र के रूप में बदलना है। सभी 36 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में निर्यात के लिए मदद प्रदान करने और जिले से निर्यात बढ़ाने की राह में मौजूद बाधाओं को दूर करने के लिए राज्य निर्यात संवर्धन समितियों (एसईपीसी) और जिला निर्यात प्रोत्साहन समितियों (डीईपीसी) के तहत निर्यात हब के तौर पर संस्थागत ढांचे की स्‍थापना की गई है। विभाग ओडीओपी की पहल को बढ़ावा देने के लिए राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसियों के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री द्वारा गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) पर ओडीओपी जीईएम बाजार का अनावरण किया गया। इस प्‍लेटफॉर्म पर 250 से अधिक उत्पाद श्रेणियां हैं ताकि सभी सरकारी संस्‍थानों को प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' दृष्टिकोण के अनुरूप ओडीओपी उत्पादों की खरीद करने की सुविधा मिल सके। राज्य सरकारों/ केंद्रशासित प्रदेशों से मिल रही लगातार समर्थन के कारण ओडीओपी जीईएम बाजार को बड़ी सफलता मिली है। ओडीओपी पहल 'गति शक्ति मॉडल' पर आधारित ओडीओपी जीईएम बाजार के जरिये ओडीओपी हितधारकों की पहचान और सक्षम करने के लिए डीजीएफटी के तहत निर्यात हब योजना (डीईएच) के तहत जिले के साथ मिलकर काम करती है।

ओडीओपी उत्पाद अब उपहार देने के उद्देश्य से विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा जीईएम के जरिये खरीदे जाने के लिए उपलब्ध हैं। जी-20 सचिवालय ने भी दिसंबर 2022 से भारत की अध्‍यक्षता में जी-20 की बैठकों के लिए ओडीओपी उपहारों की खरीद में अपनी रुचि दिखाई है।

ये उपाय न केवल देश भर के किसानों/ बुनकरों/ कारीगरों/ शिल्पकारों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करते हुए आत्‍मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में भी उनकी उल्‍लेखनीय भूमिका होगी।

  1. डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी)

डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) डीपीआईआईटी की एक पहल है जिसका उद्देश्य डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के सभी पहलुओं के लिए खुले नेटवर्क को बढ़ावा देना है। ओएनडीसी ओपन सोर्स पद्धति पर आधारित है जो ओपन स्पेसिफिकेशंस और किसी विशिष्ट प्लेटफॉर्म से स्वतंत्र ओपन नेटवर्क प्रोटोकॉल का उपयोग करता है।

इन ओपन प्रोटोकॉल का उपयोग सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान को सक्षम करने के लिए ओपन रजिस्ट्री और ओपन नेटवर्क गेटवे के रूप में सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा सथापित करने में किया जाता है। इस प्रकार सेवा प्रदाता और उपभोक्ता ओएनडीसी पर सूचनाओं के आदान-प्रदान और लेनदेन करने के लिए अपनी पसंद के किसी भी उपयुक्‍त ऐप्लिकेशन का उपयोग कर सकते हैं।

ओएनडीसी नेटवर्क का एक पायलट परीक्षण अप्रैल 2022 में 5 शहरों यानी दिल्ली, बेंगलूरु, शिलांग, कोयम्बटूर और भोपाल में चयनित विक्रेताओं और उपयोगकर्ताओं के साथ शुरू किया गया है। पायलट चरण का उद्देश्य वास्तविक ऑर्डर देना, वास्तविक दुनिया के वातावरण में डिलिवरी प्राप्त करना और संबंधित प्रक्रियाओं में तालमेल स्‍थापित करना है।

  1. स्‍वच्‍छता अभियान 2.0
  • डीपीआईआईटी (और इसके 18 संबद्ध/ अधीनस्थ कार्यालयों) सहित भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/ विभागों में 2.10.2022 से 31.10.2022 के दौरान विशेष स्‍वच्‍छता अभियान 2.0 चलाया गया। डीपीआईआईटी ने अपने अधीन सभी उप-संगठनों को स्वच्छता अभियान 2.0 लागू करने को कहा था। अभियान के दौरान अन्य बातों के साथ-साथ मुख्य तौर पर फाइलों की छंटाई और कबाड़/ पुरानी वस्तुओं के निपटान पर ध्‍यान केंद्रित किया गया। डीपीआईआईटी के तहत 18 संबद्ध/ अधीनस्थ संगठनों के 75 उप-कार्यालयों में स्वच्छता अभियान 2.0 की प्रगति की समीक्षा के लिए 49 यूएस/ एसओ स्तर के अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के दौरे निर्धारित किए गए थे।
  • विशेष अभियान के दौरान डीपीआईआईटी और इसके उप-संगठनों में 5,42,585 फाइलों की समीक्षा की गई है। समीक्षा की गई फाइलों में से 1,83,592 फाइलों की छंटाई की गई। 52,195 ई-फाइलों की समीक्षा की गई, जिनमें से 3,862 फाइलों को बंद कर दिया गया। इन फाइलों के निस्तारण से 23,087 वर्ग फुट जगह खाली हुई।

19. अंतरराष्‍ट्रीय सहयोग:

  • भारत जापान शिखर सम्मेलन 19 मार्च 2022 को आयोजित किया गया था। उस दौरान जापान के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया था। दोनों प्रधानमंत्रियों ने प्रशंसा के साथ-साथ माना कि विशेष सामरिक एवं वैश्विक साझेदारी के लिए करार किए जाने के बाद से आर्थिक सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि 2014 में घोषित 3.5 लाख करोड़ जापानी येन के निवेश लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है। उन्‍होंने इच्‍छा जताई कि अगले पांच वर्षों के दौरान भारत में 5 लाख करोड़ जापानी येन  के सार्वजनिक एवं निजी निवेश और वित्तपोषण का इरादा है। पारस्परिक हित वाली निजी परियोजनाओं में यह निवेश किया जाएगा।  
  • एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम), विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों सहित दोनों देशों के बीच औद्योगिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत-जापान औद्योगिक प्रतिस्पर्धात्मकता भागीदारी (आईजेआईसीपी) के लिए सहयोग ज्ञापन (एमओसी) पर 16.11.2021 को हस्ताक्षर किए गए थे। जापान के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान 19.03.2022 को एमईटीआई, जापान और डीपीआईआईटी के बीच एक रोडमैप पर हस्ताक्षर किए गए।
  1. आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम में विभाग का योगदान

आजादी के 75 साल पूरे होने और अपने लोगों, संस्कृति एवं उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का जश्न मनाने के लिए भारत सरकार की पहल आजादी का अमृत महोत्सव में डीपीआईआईटी सक्रिय तौर पर भाग ले रहा है। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत डीपीआईआईटी ने निम्नलिखित विषयों पर 15 अगस्त 2022 से शुरू होने वाले 75 दिनों की कार्य योजना तैयार की है:

    • कारोबारी सुगमता
    • जीवन की सुगमता
    • अनुपालन बोझ में कमी
    • मामूली, प्रक्रिया संबंधी एवं तकनीकी उल्‍लंघन को अपराध की श्रेणी से अलग करना

मंत्रालयों/ विभागों, राज्यों और उद्योग संघों के साथ विभिन्न विषयों पर कई कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। इसके अलावा, विभिन्न समाचार पत्रों (द इकनॉमिक टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, बिजनेस स्टैंडर्ड, फाइनेंशियल एक्सप्रेस), पत्रिकाओं (बिजनेस टुडे, आउटलुक इंडिया) और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (द प्रिंट, ब्लूमबर्ग) में लेख प्रकाशित किए गए हैं। साथ ही कारोबारी सुगमता, अनुपालन बोझ घटाने और मौजूदा अधिनियमों/ नियमों के गैर-अपराधीकरण जैसे मुद्दों पर विभिन्न सोशल मीडिया पोस्ट जारी किए गए हैं।

डीपीआईआईटी इनोवेट माईजीओवी (https://innovateindia.mygov.in/suggestion-box) पर 'सहज कारोबार एवं सुगम जीवन हेतु सुझाव' शीर्षक से एक अभियान भी चला रहा है ताकि कारोबारी सुगमता और जीवन की सुगमता को बेहतर करने के लिए कारोबारियों और नागरिकों से सुझाव आमंत्रित किए जा सकें।

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एमजी/एएम/एसकेसी/एजे



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