इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2022: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई)
यूआईडीएआई ने देश भर के 72 शहरों में 88 आधार सेवा केन्द्र शुरू किए 5.49 लाख सामान्य सेवा केन्द्र कार्यरत, इनमें से 4.37 लाख सीएससी ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत डिजीलॉकर निवासियों को भंडारण, साझा करने, दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए व्यक्तिगत स्थान के रूप में एक समर्पित क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म प्रदान करता है आरोग्य सेतु ऐप अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य ऐप में तब्दील, यह बहुतायत में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से प्रेरित डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं लाया है वित्त वर्ष 2018-19, 2019-20 और 20-21 में डिजिटल लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि, जहां हमने क्रमशः 3134 करोड़, 4572 करोड़ और 5554 करोड़ रुपये हासिल किए भारत ने उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन, इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों और सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण को बढ़ावा देने जैसी योजनाओं के साथ इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में बड़ी छलांग लगाई इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का घरेलू उत्पादन 2016-17 में 3,17, 331 करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 6,40,810 करोड़ रुपये हो गया
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15 DEC 2022 5:29PM by PIB Delhi
भारत की डिजिटल कहानी प्रौद्योगिकी के उपयोग से आईसीटी-आधारित विकास है जो सस्ती, समावेशी और परिवर्तनकारी है। 'डिजिटल इंडिया' कार्यक्रम का उद्देश्य डिजिटल समावेश और भागीदारी तक आसानी से पहुंच सुनिश्चित कर भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में बदलना है। डिजिटल बुनियादी ढांचे और डिजिटल सेवाओं की ताकत ने पहले ही महामारी के दौरान अपना लचीलापन साबित कर दिया है। भारत उन शीर्ष देशों में शामिल है, जिन्होंने तेजी से डिजिटल टेक्नोलॉजी अपनाई है। यह सरकार के केन्द्रित दृष्टिकोण और अभिनव पहलों के कार्यान्वयन से संभव हुआ है। इन पहलों ने न केवल नागरिकों के जीवन को आसान बनाया है, बल्कि स्टार्टअप्स, उद्योगों और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए भी एक अनुकूल इकोसिस्टम सृजित किया है ताकि भारत को एक "आत्मनिर्भर" राष्ट्र बनाया जा सके। इस वर्ष के दौरान निम्नलिखित प्रमुख पहलें और उपलब्धियां रहीं:
डिजिटल बुनियादी ढांचा
- डिजिटल पहचान: आधार
- आधार दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पहचान कार्यक्रम है जो बायोमीट्रिक और जनसांख्यिकीय आधारित अद्वितीय डिजिटल पहचान प्रदान करता है जिसे कभी भी, कहीं भी प्रमाणित किया जा सकता है और डुप्लीकेट और नकली पहचान को भी समाप्त करता है। यह विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के वितरण के लिए एक पहचान बुनियादी ढांचा प्रदान करता है। 30 नवम्बर 2022 तक 129.41 करोड़ [जीवंत] आधार जारी किए जा चुके हैं।
- लोगों को सुविधाजनक आधार नामांकन और अद्यतन सेवाएं प्रदान करने के लिए, यूआईडीएआई ने देश भर के 72 शहरों में 88 आधार सेवा केन्द्र (एएसके) शुरू किए हैं।
- यूआईडीएआई ने चेहरे के सत्यापन का तौर-तरीका शुरू किया है जिसके द्वारा आधार नंबर धारक की पहचान आधार प्रमाणीकरण के साथ सत्यापित की जा सकती है। वर्तमान में, 21 संस्थाओं को उत्पादन वातावरण में चेहरे के सत्यापन का उपयोग करने की अनुमति दी गई है। 15 अक्टूबर 2021 से 30 नवम्बर 2022 तक चेहरे के सत्यापन के कार्य की कुल संख्या 1.15 करोड़ है।
सेवाओं का डिजिटल वितरण
- सामान्य सेवा केन्द्र (सीएससी): सीएससी दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल सेवा वितरण नेटवर्क है, जिसकी ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तर तक ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक पहुंच है। ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के साथ ये सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सक्षम बूथ नागरिकों को विभिन्न सरकारी, निजी और सामाजिक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। अब तक, 5.49 लाख सीएससी कार्य कर रहे हैं (शहरी और ग्रामीण सहित) जिनमें से 4.37 लाख सीएससी ग्राम पंचायत स्तर पर कार्य कर रहे हैं।
- मेरी पहचान, एक राष्ट्रीय एकल साइन-ऑन (एनएसएसओ) की शुरूआत माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 4 जुलाई, 2022 को की गई थी जो एक उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण सेवा है, जिसमें परिचय पत्रों का एक सेट कई ऑनलाइन एप्लीकेशन या सेवाओं तक पहुंच प्रदान कर सकता है। वर्तमान में विभिन्न मंत्रालयों/राज्यों की 5057 सेवाएं एनएसएसओ से जुड़ी हुई हैं।
- माय स्कीम की शुरूआत माननीय प्रधानमंत्री ने 4 जुलाई, 2022 को की थी, यह एक ई-मार्केटप्लेस योजना है, जहां नागरिक अपनी जनसांख्यिकी के आधार पर पात्र योजनाओं की खोज कर सकते हैं। 27 केन्द्र और राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों की 180 से अधिक योजनाएं 13 विविध श्रेणियों में आयोजित की गई हैं।
- डिजीलॉकर ने निवासियों को भंडारण, साझा करने, दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों के सत्यापन के लिए एक व्यक्तिगत स्थान के रूप में एक समर्पित क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म प्रदान किया है, इस प्रकार यह वास्तविक दस्तावेजों के उपयोग को समाप्त करने में मदद कर रहा है। डिजीलॉकर के जरिये 13.5 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता पंजीकृत हैं और डिजीलॉकर के माध्यम से 562 करोड़ से अधिक दस्तावेजों तक पहुंचा जा सकता है।
- उमंग (यूनीफाइड मोबाइल एप्लीकेशन फॉर न्यू ऐज गवर्नेंस) को मोबाइल के माध्यम से प्रमुख सरकारी सेवाएं प्रदान करने के लिए एक एकीकृत मंच के रूप में विकसित किया गया है। अब तक 20,197 भारत बिल भुगतान सेवाओं (बीबीपीएस) के साथ केन्द्र/राज्य सरकार की 1,658 सेवाओं को उमंग पर ऑन-बोर्ड किया गया।
- इंडिया स्टैक ग्लोबल को भारत स्टैक और विश्व स्तर पर इसके बिल्डिंग ब्लॉक्स को प्रदर्शित करने के लिए शुरू किया गया है। वर्तमान में, आधार, यूपीआई, को-विन, एपीआई सेतु, डिजीलॉकर, आरोग्य सेतु, जीईएम, उमंग, दीक्षा, ई-संजीवनी, ई-हॉस्पिटल और ई-ऑफिस जैसी 12 प्रमुख परियोजनाएं/प्लेटफॉर्म इंडिया स्टैक ग्लोबल के पोर्टल पर यूएन की सभी भाषाओं में उपलब्ध हैं।
- एपीआई सेतुः एमईआईटीवाई ने 2015 में 'ओपन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) पर नीति' अधिसूचित की थी। नीति का उद्देश्य इंटरऑपरेबल सिस्टम के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए डेटा मालिकों और अंतर-और-अंत: सरकारी एजेंसियों के बीच डेटा के कुशल साझाकरण को बढ़ावा देना है ताकि एकीकृत तरीके से सेवाएं प्रदान की जा सकें। इसलिए, एपीआई सेतुप्रोजेक्ट इस नीति के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने का इरादा रखता है। एनडीएच गेटवे पर कई केन्द्रीय और राज्य सरकार के विभागों द्वारा प्रदान किए गए पोर्टल ने लगभग 2,118 एपीआई प्रकाशित किए हैं। वर्तमान में, 1047 प्रकाशक और 330 उपभोक्ता हैं .
- viii. ई-साइन एक आधार धारक द्वारा इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों पर आसान, कुशल और सुरक्षित हस्ताक्षर प्रदान करता है। अब तक, 34.41 करोड़ ई-साइन जारी किए गए हैं। इनमें से, सीडीएसी द्वारा जारी ई-साइन (अर्थात ई-हस्ताक्षर परियोजना के तहत) 8.22 करोड़ हैं।
- राष्ट्रीय एआई पोर्टल एक ही स्थान पर सभी हितधारकों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित सभी जानकारी प्रदान करने और देश में एआई पर जागरूकता और संचार को बढ़ावा देने के लिए विकसित किया गया है। 31 अक्टूबर 2022 तक, इसने एआई से संबंधित 1520 लेख, 799 समाचार, 262 वीडियो, 114 शोध रिपोर्ट और 120 सरकारी पहलें प्रकाशित की हैं।
- आरोग्य सेतु: यह सरकार के कोविड-19 प्रयासों में सहायता के लिए भारत सरकार द्वारा 2 अप्रैल, 2020 को शुरू किया गया एक मोबाइल एप्लीकेशन है। ऐप देश भर में कोविड-19 के सम्पर्क का पता लगाने के तरीके और उसकी पहचान, निगरानी रखने और कोविड के प्रसार को कम करने में सरकार की मदद करता है। यह ऐप अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य ऐप में तब्दील हो गया है, जिसमें बहुतायत में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) द्वारा संचालित डिजिटल स्वास्थ्य सेवाएं हैं। आरोग्यसेतु का उपयोग करके, नागरिक अब आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (अर्थात्, डिजिटल स्वास्थ्य आईडी) के लिए पंजीकरण कर सकते हैं और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ बातचीत में इसका लाभ उठा सकते हैं।
- जीएसटी प्राइम: जीएसटी-प्राइम एक उत्पाद है जो कर प्रशासकों को उनके अधिकार क्षेत्र में कर संग्रह और अनुपालन का विश्लेषण और निगरानी करने में मदद करता है। जीएसटी प्राइम जीएसटी अनुपालन में सुधार लाता है, कर संग्रह, कर आधार बढ़ाता है, कर चोरी और धोखाधड़ी का पता लगाता है और नीति परिवर्तन के प्रभाव की भविष्यवाणी करने में मदद करता है।
- ई-ताल 3.0 (इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन एग्रीगेशन एंड अनेलेसिस लेयर): ई-ताल भारत में केन्द्र, राज्य और स्थानीय सरकारों की विभिन्न एजेंसियों में वितरित की जा रही ई-सेवाओं की मात्रा के वास्तविक समय का समग्र दृश्य प्रदान करता है। ई-ताल डैशबोर्ड जी2सी, जी2बी और बी2सी ई-सेवाओं के प्रदर्शन को मापने के लिए संकेतक के रूप में ‘शुरू से आखिर तक के इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन' की संख्या प्रदर्शित करता है। जनवरी, 2022 से 7 दिसम्बर, 2022 तक, लगभग 13,897 करोड़ ई-लेनदेन दर्ज किए गए हैं और 20 अतिरिक्त ई-सेवाओं को प्लेटफॉर्म के साथ जोड़ा गया है, जिससे कुल 4033 ई-सेवाएं जुड़ गई हैं।
- xiii. व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग सिस्टम (वीएलटीएस) को जीपीएस आधारित ट्रैकिंग उपकरणों की मदद से सार्वजनिक वाहनों का पता लगाने और उनकी निगरानी करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिन्हें वाहनों में लगाया गया है। सिस्टम में पैनिक अलर्ट भेजने का भी प्रावधान है जो कमांड कंट्रोल सेंटर का उपयोग करके प्रभावी निगरानी की मदद से संकट में यात्रियों की सहायता के लिए आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रक्रिया को शुरू करता है।
- ई चालान: मोबाइल-आधारित ऐप और मानार्थ वेब एप्लीकेशन का उपयोग करके एक व्यापक यातायात प्रबंधन समाधान जो चालान/नोटिस जारी करने के लिए सीसीटीवी/एएनपीआर (स्वचालित नंबर प्लेट रीडिंग) कैमरा, आरएलवीडी/ओएसवीडी (रेड लाइट/ओवर स्पीड उल्लंघन) उपकरणों आदि से जुड़ा है।
- इलेक्ट्रॉनिक मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (ईएचआरएमएस): ईएचआरएमएस एप्लीकेशन भर्ती से सेवानिवृत्त होने तक, इलेक्ट्रॉनिक रूप में कर्मचारी के रिकॉर्ड का रखरखाव करने के लिए जिम्मेदार है। इस परियोजना में परम्परा में प्राप्त आंकड़ों को रखने और विभिन्न तौर-तरीकों; अर्थात् सर्विस बुक, छुट्टी, एलटीसी, व्यक्तिगत जानकारी, प्रतिपूर्ति, अग्रिम धनराशि, टूर, हेल्पडेस्क, आदि के माध्यम से अनेक ऑनलाइन सेवाओं के प्रावधान के लिए सर्विस बुक की स्कैनिंग/डिजिटाइजेशन शामिल है।
- सर्विसप्लस: यह एक मेटा डेटा आधारित ई-सर्विस डिलीवरी फ्रेमवर्क है जो सामान्य सेवा वितरण आउटलेट्स के माध्यम से आम आदमी के लिए सभी सरकारी सेवाओं को उसके इलाके में सुलभ बनाने में मदद करता है। वर्तमान में, यह फ्रेमवर्क 33 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में सफलतापूर्वक चल रहा है और केन्द्र, राज्य और स्थानीय सरकार की 2,791 से अधिक सेवाएं प्रदान कर रहा है।
- ओपन गवर्नमेंट डेटा (ओजीडी 2.0): ओजीडी प्लेटफॉर्म (https://data.gov.in) को स्पष्ट/मशीन पठनीय प्रारूप में इसकी उपयोग जानकारी के साथ, समय-समय पर, सरकार की विभिन्न संबंधित नीतियों, नियमों और अधिनियमों के ढांचे के भीतर सरकार के स्वामित्व वाले साझा करने योग्य डेटा तक सक्रिय पहुंच प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। ओजीडी प्लेटफॉर्म में 1 जनवरी 2022 से 7 दिसम्बर 2022 तक 66,000 डेटासेट संसाधन, 571 मंत्रालयों/विभागों द्वारा योगदान किए गए 876 कैटलॉग, 210 विज़ुअलाइज़ेशन तैयार किए गए, 44,704 एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) तैयार किए गए। अब तक, डेटासेट को ओजीडी प्लेटफॉर्म पर 32.22 लाख बार देखा गया है और 94.7 लाख बार डाउनलोड किया गया है।
- वैश्विक सूचकांक (ई-सरकार विकास सूचकांक): एमईआईटीवाई दो-लाइन मंत्रालयों/विभागों अर्थात उच्च शिक्षा विभाग और स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (डीएचई और डीओएसईएल) के साथ-साथ ई-सरकार विकास सूचकांक (ईजीडीआई) के लिए नोडल मंत्रालय है। ईजीडीआई ई-सरकार के तीन महत्वपूर्ण आयामों अर्थात्: ऑनलाइन सेवा सूचकांक, दूरसंचार अवसंरचना सूचकांक और मानव पूंजी सूचकांक का एक समग्र माप है।
नवीनतम ई-सरकार विकास सूचकांक (ईजीडीआई) 2022 संस्करण सभी 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों की ई-सरकार विकास स्थिति को इंगित करता है। भारत ईजीडीआई 2022 में 105वें स्थान पर है।
इंटरनेट डोमेन और वेबसाइटों की पहुंच:
- शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों के लिए डोमेन नाम: वर्तमान में एसी.इन, आरईएस.इन, एजु.इन और विद्या.भारत, शिक्षा॰भारत, शोध॰भारत के तहत डोमेन प्रदान करने के लिए ईआरएनईटी एकमात्र रजिस्ट्रार है। वर्तमान में ईआरएनईटी से 16000 से अधिक डोमेन समर्थित हैं।
- विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांगजन) के लिए सुलभ वेबसाइटें: ईआरएनईटी नागरिकों तक बिना किसी बाधा और समावेशिता के साथ डिजिटल जानकारी पहुँचाने के उद्देश्य से, देश भर में राज्य सरकार की वेबसाइटों को विकसित/बढ़ा रहा है ताकि उनका उपयोग आसान हो और उनकी समाज के सभी वर्गों विशेष रूप से दिव्यांगजन तक पहुँच हो। 600 से अधिक वेबसाइटों को अंतर्राष्ट्रीय वेब सामग्री अभिगम्यता दिशानिर्देशों (डब्ल्यूसीएजी) के अनुरूप विकसित किया गया है।
इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डों की विस्तारित सूची की मान्यता के लिए कानूनी सक्षमता
व्यवसाय में सुगमता (ईओडीबी), नागरिकों के लिए रहने में सुगमता (ईओएल) की मंत्रालय की पहल के हिस्से के रूप में एमईआईटीवाई ने इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डों की वैधता का दायरा बढ़ाया सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 ("आईटी कानून") अक्टूबर, 2022 की पहली अनुसूची (प्रविष्टियां 1, 2 और 5) में संशोधन करके इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और अनुबंधों की वैधता के दायरे का विस्तार किया है। ।
आईटी कानून की पहली अनुसूची में संशोधन के लिए उक्त अधिसूचना यहां देखी जा सकती है https://upload.indiacode.nic.in/showfile?actid=AC_CEN_45_76_00001_200021_1517807324077&type=notification&filename=notification.pdf
डिजिटल स्किलिंग
- प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीदिशा): पीएमदिशा का उद्देश्य 31.03.2022 तक ग्रामीण भारत में 6 करोड़ ग्रामीण परिवारों (प्रति परिवार एक व्यक्ति) को डिजिटल साक्षरता प्रदान करना है। अब तक, कुल लगभग 6.6 करोड़ उम्मीदवारों ने नाम दर्ज कराया है और 5.68 करोड़ को प्रशिक्षित किया गया है, जिनमें से 4.22 करोड़ उम्मीदवारों को पीएमजीदिशा योजना के तहत प्रमाण पत्र दिया गया है।
- शुल्क-प्रतिपूर्ति कार्यक्रम: कार्यक्रम के तहत एनआईईएलआईटी में विभिन्न औपचारिक, गैर-औपचारिक और आईटी साक्षरता पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को मुफ्त प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2021-2022 में, कुल 14,756 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार प्रशिक्षित थे।
- फ्यूचर स्किल प्राइम: एमईआईटीवाई और नैसकॉम ने संयुक्त रूप से "फ्यूचर स्किल्स प्राइम (प्रोग्राम फॉर री-स्किलिंग/अप-स्किलिंग ऑफ आईटी मैनपावर फॉर एम्प्लॉयबिलिटी)" नामक एक कार्यक्रम की कल्पना की है। दस उभरती प्रोद्योगिकीयों यानी इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग/3डी प्रिंटिंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, सोशल एंड मोबाइल, साइबर सिक्योरिटी, ऑगमेंटेड रियलिटी/वर्चुअल रियलिटी और ब्लॉकचेन में बी/सी लाभान्वितों को री-स्किलिंग/अप स्किलिंग के अवसर प्रदान करने के लिए इस कार्यक्रम की परिकल्पना की गई है। कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 9.67 लाख उम्मीदवारों ने साइन-अप किया है और लगभग 4.28 लाख उम्मीदवारों ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है, जिनमें से 1.47 लाख उम्मीदवारों ने पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है। साथ ही, संसाधन केन्द्रों (अग्रणी/उत्कृष्टा केन्द्रों) ने 7107 सरकारी अधिकारियों (जीओटी) और 606 प्रशिक्षकों (टीओटी) को प्रशिक्षित किया है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी के लिए विश्वेश्वरैया पीएचडी योजना इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) और आईटी/आईटी सक्षम सेवाओं (आईटी/आईटीईएस) क्षेत्रों में पीएचडी की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
- इस योजना ने 25 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों में 97 संस्थानों (आईआईटी, एनआईटी, केन्द्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों आदि) में 1019 पूर्णकालिक और 330 अंशकालिक पीएचडी उम्मीदवारों का सहयोग किया है।
- 673 पीएचडी उम्मीदवारों ने पीएचडी पूरा कर ली है/अपने शोधपत्र जमा कर दिए हैं। देश भर में इस योजना के तहत 545 पीएचडी उम्मीदवार पीएचडी कर रहे हैं।
- पीएचडी उम्मीदवारों और वाईएफआरएफ पुरस्कार विजेताओं ने 71 पेटेंट दायर किए हैं।
- शोध विद्वानों द्वारा 5,416 शोध पत्र प्रकाशित किए गए हैं
- अतिरिक्त 1000 पूर्णकालिक पीएचडी उम्मीदवारों और 150 अंशकालिक पीएचडी उम्मीदवारों का सहयोग करने के लिए योजना का चरण- II शुरू किया गया है।
- वित्तीय वर्ष 2021-2022 में, कुल 8.54 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है और 4.42 लाख उम्मीदवारों को विभिन्न औपचारिक/गैर-औपचारिक/डिजिटल साक्षरता पाठ्यक्रमों (ऑनलाइन/दूरस्थ प्रशिक्षण मोड सहित) के तहत राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) एमईआईटीवाई द्वारा प्रमाणित किया गया है।
डिजिटल भुगतान
एक डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम बनाना सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में पहचाना गया है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान बैंकों ने 2500 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 2071 करोड़ डिजिटल लेनदेन का सामूहिक लक्ष्य हासिल किया था और वित्त वर्ष 2016-17 की तुलना में 106 प्रतिशत की वर्ष दर वर्ष वृद्धि हुई थी। इसी तरह, वित्त वर्ष 2018-19, वित्त वर्ष 2019-20 और वित्त वर्ष 20-21 के लिए डिजिटल लेनदेन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जहां हमने क्रमशः 3134 करोड़, 4572 करोड़ और 5554 करोड़ के लक्ष्य हासिल किए हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में वर्ष दर वर्ष 59 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ 6,000 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 8840 करोड़ लेन-देन किए गए। हमारा स्वदेशी रूप से विकसित यूपीआई डिजिटल भुगतान की वृद्धि को आगे बढ़ा रहा है और अक्टूबर 2022 के दौरान 730 करोड़ डिजिटल लेनदेन देखे गए हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण को बढ़ावा देना
भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। नई नीतियां और योजनाएं, जैसे बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई), इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सेमीकंडक्टरों (एसपीईसीएस) के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना, संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) आदि ने उद्योग को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करके घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम को फलने-फूलने के लिए एक अनुकूल वातावरण बनाया है। परिणामस्वरूप, इलेक्ट्रॉनिक सामानों का घरेलू उत्पादन 2016-17 में ₹ 3,17,331 करोड़ से काफी बढ़कर 2021-22 में ₹6,40,810 करोड़ हो गया जो 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ रहा है। मात्रा के संदर्भ में, भारत दुनिया में मोबाइल हैंडसेट का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता है। मोबाइल फोन का उत्पादन मूल्य 2016-17 में ₹ 90,000 करोड़ से 25 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ बढ़कर वित्त वर्ष 21-22 में ₹ 2,75,000 करोड़ हो गया है।
i.संशोधित विशेष प्रोत्साहन पैकेज योजना
- योजना नई इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सुविधा की स्थापना या मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सुविधा के विस्तार के लिए पूंजीगत व्यय में निवेश के लिए 20-25 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करती है। 31 दिसम्बर, 2018 को नया आवेदन प्राप्त करने के लिए योजना को बंद कर दिया गया था।
- 30 नवम्बर, 2022 तक, लगभग 86,904 करोड़ रुपये के प्रस्तावित निवेश के साथ 315 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं। 121 आवेदकों को 1917.09 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि जारी की गई है।
- बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए पीएलआई
- पहले दौर में 16 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं।
- दूसरे दौर के तहत 16 कंपनियों को मंजूरी दी गई है
- आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई:
- दिनांक 03 मार्च, 2021 की राजपत्र अधिसूचना संख्या CG-DL-E-03032021-225613 द्वारा अधिसूचित आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और मूल्य श्रृंखला में बड़े निवेश को आकर्षित करने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन की पेशकश करती है।
- आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना के तहत 14 कंपनियों को मंजूरी दी गई है।
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए योजना (एसपीईसीएस)
- 30 नवम्बर 2022 तक, 11,131 करोड़ रुपये के कुल प्रस्तावित निवेश और 1,519 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध प्रोत्साहन के साथ बत्तीस (32) आवेदनों को मंजूरी दी गई है। स्वीकृत आवेदनों की कुल रोजगार सृजन क्षमता 32,547 है।
- संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना
- हरियाणा, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में ईएमसी की स्थापना के लिए 3 आवेदनों को एमईआईटीवाई से कुल 889 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के साथ मंजूरी दी गई है।
- भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम का विकास:
इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण को व्यापक और गहरा करने और देश में एक मजबूत और टिकाऊ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का विकास सुनिश्चित करने के लिए, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 15.12.2021 को 76,000 करोड़ रुपये की रूपरेखा के साथ भारत में सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास कार्यक्रम को मंजूरी दी।
सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब्स की स्थापना के लिए 15.02.2022 तक आवेदन आमंत्रित किए गए थे। सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग के इस ग्रीनफील्ड सेगमेंट में आवेदन जमा करने के लिए अति महत्वाकांक्षी समयसीमा के बावजूद, इस योजना को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन, जिसे सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम के लिए एक समर्पित संस्थान के रूप में स्थापित किया गया है, को सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले फैब्स के लिए कुल 20.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (153,750 करोड़ रुपये) के निवेश के साथ 5 आवेदन प्राप्त हुए हैं।
इसके अलावा, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 21.09.2022 को सेमीकंडक्टर्स के विकास और भारत में डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के कार्यक्रम में निम्नलिखित संशोधनों को मंजूरी दी है:
- भारत में सेमीकंडक्टर फैब्स की स्थापना के लिए योजना के तहत सभी प्रौद्योगिकी नोड्स के साथ-साथ परियोजना लागत की 50 प्रतिशत वित्तीय सहायता।
- डिस्प्ले फैब की स्थापना के लिए योजना के तहत समरूप आधार पर परियोजना लागत की 50 प्रतिशत वित्तीय सहायता।
- भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब और सेमीकंडक्टर असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी)/ओएसएटी सुविधाओं की स्थापना के लिए योजना के तहत बराबर-बराबर पूंजीगत व्यय की 50 प्रतिशत वित्तीय सहायता। इसके अतिरिक् योजना के तहत लक्ष्य प्रोद्योगिकी में डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर फैब्स शामिल होंगे।
आईटी/आईटी सक्षम सेवाओं का प्रचार
- नेक्स्ट जनरेशन इनक्यूबेशन स्कीम (एनजीआईएस) का उद्देश्य घरेलू सॉफ्टवेयर उत्पाद इकोसिस्टम का समर्थन करना और सॉफ्टवेयर उत्पाद (एनपीएसपी) पर राष्ट्रीय नीति के महत्वपूर्ण उद्देश्यों को निपटाना है। एनजीआईएस को 12 टियर-II स्थानों यानी अगरतला, भिलाई, भोपाल, भुवनेश्वर, देहरादून, गुवाहाटी, जयपुर, मोहाली, पटना, विजयवाड़ा, लखनऊ और प्रयागराज पर ध्यान केन्द्रित करने के साथ शुरू किया गया है। । एनजीआईएस का कुल बजट परिव्यय 95.03 करोड़ रुपये है और 3 साल की अवधि में इन स्थानों के 300 टेक स्टार्ट-अप की सहायता करने का लक्ष्य है।
अब तक, एनजीआईएस के तहत चौदह स्टार्ट-अप चुनौतियां, चुनौती (एडवांस्ड अनइनहिबीटेड टेक्नोलॉजी इंटरवेंशन के लिए एनजीआईएस के तहत चैलेंज हंट) शुरू की गई हैं। कुल 266 स्टार्ट-अप का चयन किया गया है, जिनमें से 179 स्टार्ट-अप को स्टाइपंड दिया जाता है और सम्यक तत्परता के बाद, शुरूआती राशि को 63 स्टार्ट-अप तक बढ़ाया गया है।
नॉर्डिक्स और अफ्रीका क्षेत्र में बाजार विकास पहल: भारतीय आईटी/आईटीईएस उद्योग विशेष रूप से लघु और मध्यम उद्यम (एसएमई) और नैसकॉम के माध्यम से स्टार्ट-अप के वैश्विक पदचिह्न को बढ़ाने के लिए एमईआईटीवाई ने उच्च क्षमता और पता लगाए गए बाजारों- अफ्रीका और नॉर्डिक्स क्षेत्र में आईटी/आईटीईएस बाजार विकास के लिए एक व्यापक और निरंतर दृष्टिकोण बनाए रखने के लिए परियोजना शुरू की है।
- बीपीओ प्रोत्साहन योजनाएँ:
एमईआईटीवाई ने रोजगार के अवसर पैदा करने और छोटे शहरों और कस्बों में आईटी/आईटीआईएस उद्योग के प्रसार के लिए इंडिया बीपीओ प्रमोशन स्कीम (आईबीपीएस) और नॉर्थ ईस्ट बीपीओ प्रमोशन स्कीम (एनईबीपीएस) की शुरुआत 53,300 सीटों वाले बीपीओ/आईटीईएस संचालन को विशेष प्रोत्साहन के साथ पूंजी और परिचालन व्यय के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण के रूप में प्रति सीट 1 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करके के लिए की थी। आईबीपीएस और एनईबीपीएस की अवधि क्रमशः 31.03.2019 और 31.03.2020 तक थी, हालांकि वित्तीय सहायता का वितरण इस अवधि से परे हो सकता है। इन योजनाओं के तहत सहायता प्रतिपूर्ति के आधार पर सीधे उद्देश्य से जुड़ी है यानी इकाइयों द्वारा रोजगार सृजन।
वर्तमान में, लगभग 246 बीपीओ/आईटीईएस इकाइयां या तो चालू हैं या एनईबीपीएस और आईबीपीएस के तहत अपना कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं और लगभग 51,521 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान कर रही हैं।
- निर्यात प्रोत्साहन योजनाएँ
देश से सॉफ्टवेयर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क ऑफ इंडिया (एसटीपीआई) की स्थापना 1991 में एमईआईटीआई के तहत एक स्वायत्त सोसायटी के रूप में की गई थी। एसटीपीआई सॉफ्टवेयर निर्यातकों को सेवाएं प्रदान करने में 'सिंगल-विंडो' के रूप में कार्य करता है। एसटीपी योजना सॉफ्टवेयर कंपनियों को सुविधाजनक और सस्ते स्थानों में परिचालन स्थापित करने और व्यावसायिक जरूरतों के आधार पर अपने निवेश और विकास की योजना बनाने की अनुमति देती है।
एसटीपी योजना के तहत पूंजीगत वस्तुओं का शुल्क मुक्त आयात जो आईजीएसटी से भी छूट प्राप्त है, डीटीए से खरीदे गए पूंजीगत सामान जीएसटी रिफंड के पात्र हैं, 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है, डीटीए में बिक्री की अनुमति है, पूंजी पर 100% मूल्यह्रास 5 वर्ष की अवधि में माल आदि जैसे कई लाभ हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर टेक्नोलॉजी पार्क (ईएचटीपी) योजना इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्माण के लिए एक निर्यातोन्मुखी योजना है।
दर्जा
- एसटीपीआई ने देश भर में कुल 63 एसटीपीआई परिचालन केन्द्र /उप-केन्द्र स्थापित किए हैं, जिनमें से 55 केन्द्र टीयर II और टीयर III शहरों में हैं, जिसका उद्देश्य संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए छोटे शहरों में आईटी/आईटीईएस/ईएसडीएम उद्योग को फैलाना है।
- एसटीपी/ईएचटीपी योजनाओं के तहत पंजीकृत इकाइयों की जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए निर्यात (अस्थायी) 6.28 लाख करोड़ रुपये है।
नवाचार और स्टार्टअप
- एमईआईटीवाई स्टार्टअप हब (एमएसएच): एमएसएच भारतीय स्टार्टअप में सार्थक तालमेल बनाने की दिशा में तकनीकी स्टार्टअप समुदाय के लिए एक गतिशील, अनोखा और सहयोगी मंच है। स्केलेबिलिटी, मार्केट आउटरीच और घरेलू मूल्य संवर्धन में सुधार के मामले में घरेलू टैक स्टार्टअप के लिए एमएसएच का त्वरित मूल्यवर्धन और विभिन्न हितधारकों के साथ अभिनव साझेदारी स्थापित करना देश में टैक स्टार्टअप इकोसिस्टम को शुरू करने के एमएसएच के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण पहचान रहा है। एमएसएच ने 3330 से अधिक स्टार्टअप, 475 इनक्यूबेटर, 420 परामर्शदाता और 22 अत्याधुनिक उत्कृष्टता केन्द्रों(सीओई), वर्तमान और दबाव वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए नवीन उत्पादों/सेवाओं के विकास को प्रोत्साहित करने वाले विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में 143 चुनौतियों को सफलतापूर्वक संचालित/संचालन करने वालों का एकीकरण देखा है।
- टाइड (उद्यमियों के लिए प्रौद्योगिकी नवाचार विकास) 2.0 - एमईआईटीवाई टीआईडीई 2.0 योजना के माध्यम से तकनीकी उद्यमिता को बढ़ावा देने में लगा हुआ है, जिसमें आईओटी, एआई, ब्लॉक-चेन, रोबोटिक्स इत्यादि जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके आईसीटी स्टार्टअप में सहयोग करने वाले इनक्यूबेटरों को वित्तीय और तकनीकी सहायता शामिल है। इस योजना को तीन स्तरीय संरचना के जरिये 51 इन्क्यूबेटरों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा संस्थानों और प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठनों में विकसित करने की गतिविधियों को बढ़ावा देना है। पांच साल की अवधि में 264 करोड़ रुपये के परिव्यय की इस योजना से लगभग 2000 तकनीकी स्टार्ट-अप को विकसित करने के लिए सहायता प्रदान करने की उम्मीद है। इस योजना के तहत, 51 विकास केन्द्रों में 780 से अधिक स्टार्टअप प्रक्रिया से गुजर चुके हैं, जिनमें से 74 स्टार्टअप के पास ग्राहक हैं, 128 उत्पाद विकसित किए गए, 155 आईपीआर बनाए गए, 2100 रोजगार सृजित किए गए और स्टार्टअप्स ने 54 पुरस्कार/पुरस्कार/मान्यताएं प्राप्त की।
- इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और डिजाइन निर्माण उद्यमी पार्क: नवाचार लाने के लिए एसटीपीआई नई दिल्ली, कोचीन केरल में मेकर्स विलेज, आईआईटी पटना और बिहार सरकार के माध्यम से आईआईटी हैदराबाद में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स और फैबलेस चिप डिजाइन विकास केन्द्र की स्थापना की गई है। लगभग 250 स्टार्टअप जिनमें से अनेक को सहयोग किया गया है और उत्पादन की प्रक्रिया में हैं।
- डोमेन स्पेसिफिक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई): तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करने और ढांचागत उत्कृष्टता उत्पन्न करने के लिए फिनटेक, मेडटेक, आईओटी, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विविध क्षेत्रों में 20 डोमेन विशिष्ट सीओई बनाने की परिकल्पना की गई है। अब तक, 19 सीओई स्थापित किए गए हैं। ये डोमेन विशिष्ट सीओई सक्षमकर्ता के रूप में कार्य करते हैं और नवाचार के लोकतंत्रीकरण और प्रोटोटाइप की प्राप्ति के माध्यम से भारत को एक नवाचार केन्द्र बनाने में सहायता कर रहे हैं।
- एसटीपीआई भुवनेश्वर, ओडिशा में फैब लैब: एसटीपीआई फैब फाउंडेशन, यूएसए और ओडिशा सरकार के समर्थन से भुवनेश्वर में पहली फैब लैब के साथ आया है। लैब में मुख्य रूप से लेजर कटर, बड़े पैमाने पर सीएनसी मिल, मिनी सीएनसी मिल, 3डी प्रिंटर, विनाइल कटर, सैंड ब्लास्टर, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स एंड टूल्स, मोल्डिंग एंड कास्टिंग टूल्स, और इलेक्ट्रॉनिक्स टेस्ट इक्विपमेंट आदि जैसे आविष्कार शामिल हैं। ।
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) के लिए एमईआईटीवाई-सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई): केन्द्र को सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर वित्त पोषित किया जाता है। [50:50 (एमईआईटीवाई: उद्योग) बैंगलोर के लिए ईआरएनईटी और 47:40:13 के माध्यम से (एमईआईटीवाई: राज्य: उद्योग) अन्य 3 केन्द्रों के लिए]।
इन केन्द्रों में कई स्टार्ट-अप विकसित हो रहे हैं और राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधा में एमईआईटीवाई द्वारा वित्त पोषित उन्नत उपकरणों तक निर्बाध पहुंच प्राप्त कर रहे हैं। बैंगलोर 3 अन्य केन्द्रों (स्पोक्स) गुरुग्राम, गांधीनगर और विजाग का केन्द्र है।
अनुसंधान और विकास
हाल के दिनों में, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी उद्योग देश में उद्योग की आय के एक प्रमुख योगदानकर्ता के साथ-साथ रोजगार के अवसर प्रदाता के रूप में उभरा है। देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों का एक अनुसंधान और विकास केन्द्र बन गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी क्षेत्र अर्थव्यवस्था और दुनिया में सबसे अधिक वैश्वीकृत उद्योगों में से एक है। भारत स्थित अनेक बहुराष्ट्रीय दिग्गजों ने भी भारत में अपने अनुसंधान एवं विकास और नवाचार केन्द्र स्थापित किए हैं। सरकार डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी नई पहलों के कार्यान्वयन के लिए अनुसंधान और विकास को आवश्यक मानती है और अनुसंधान एवं विकास में नई योजनाएं शुरू की हैं।
अनुसंधान और विकास की प्रमुख पहलों में राष्ट्रीय भाषा प्रौद्योगिकी मिशन, राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम), पावर इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय मिशन (एनएएमपीईटी), इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स (आईटीएस) प्रौद्योगिकी, ऑटोमेशन सिस्टम्स टेक्नोलॉजी सेंटर (एएसटीईसी), प्रसंस्करण उद्योग में ऑटोमेशन प्रौद्योगिकियों की तैनाती, मेडिकल लीनियर एसीलरेटर एंड लिक्ंड एसेसरीज, एमआरआई, ई-कचरा प्रबंधन, सुपर-कैपेसिटर का विकास, चिप से सिस्टम डिजाइन के लिए विशेष जनशक्ति विकास कार्यक्रम (एसएमडीपी), एनालॉग डिजाइन में उत्कृष्टता केन्द्र, नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स में उत्कृष्टता केन्द्र, इंडियन नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स यूजर प्रोग्राम (आईएनयूपी), क्वांटम टेक्नोलॉजीज, ब्लॉकचेन, डेटा एनालिटिक्स, आईओटी, परसेप्शन इंजीनियरिंग, एप्लीकेशन ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि शामिल हैं। इस वर्ष की कुछ प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
- भाषिणी, राष्ट्रीय भाषा टेक्नोलॉजी मिशन (एनएनटीएम), की शुरूआत माननीय प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप-शिक्षा इकोसिस्टम का लाभ उठाने के लिए भाषायी बाधाओं को दूर करने के उद्देश्य से भाषिणी मंच से भाषण और विषय के अनुवाद के समाधान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) आधारित ओपन-सोर्स भाषा प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करने के लिए जुलाई 2022 में की थी। ये प्रौद्योगिकियां संगठनों को बेहतर नागरिक सेवाएं और डिजिटल संसाधन प्रदान करने के लिए अपनी वेबसाइटों और ऐप्स में आवाज-आधारित इंटरफेस सहित नवीन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित बहुभाषी इंटरफेस बनाने में सक्षम बनाती हैं। अब तक, 10 भारतीय भाषाओं में भाषा अनुवाद के लिए 289 पूर्व-प्रशिक्षित एआई मॉडल भाषिणी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराए गए हैं।
- क्वांटम कंप्यूटिंग: क्वांटम कंप्यूटिंग में अनुसंधान में मदद करने के लिए एक "क्वांटम कंप्यूटर सिम्युलेटर" विकसित किया गया है, क्वांटम कंप्यूटिंग एल्गोरिदम/कार्यक्रमों और व्यावहारिक प्रशिक्षण के परीक्षण की सुविधा प्रदान करता है। सिम्युलेटर को परम शावक और परम सिद्धि जैसे एचपीसी बुनियादी ढांचे पर पोर्ट किया गया है।
- क्वांटम प्रौद्योगिकियों में उत्कृष्टता केन्द्र : क्वांटम प्रौद्योगिकियों में बुनियादी ढांचे, क्षमता और योग्यता निर्माण के लिए एक बहु-संस्थागत (आईआईएससी, सीडीएसी और आरआरआई) परियोजना शुरू की गई। परियोजना के उद्देश्य में 4 क्यूबिट स्वदेशी क्वांटम प्रोसेसर का विकास, क्वांटम संचार हार्डवेयर का विकास, क्वांटम सेंसर और क्वांटम एल्गोरिदम का विकास आदि शामिल हैं।
- राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम): सी-डैक ने शैक्षणिक संस्थानों में विभिन्न क्षमताओं (50टीएफ, 833टीएफ, 1.66पीएफ, 3.33पीएफ) के 11 नए सुपर कंप्यूटर चालू किए हैं। चरण-3 सिस्टम के निर्माण के लिए 6000 रुद्र सर्वर नोड्स का निर्माण आरंभ किया गया है। एचपीसी एप्लीकेशनों का विकास अंतिम चरणों में है। एचपीसी क्षेत्रों में 4000 से अधिक जनशक्ति को प्रशिक्षित किया गया है।
- माइक्रोप्रोसेसर डेवलपमेंट प्रोग्राम (एमडीपी): 32-बिट/64-बिट माइक्रोप्रोसेसरों के एक परिवार और संबंधित सॉफ्टवेयर टूल-चेन और आईपी कोर को ओपन-सोर्स आईएसए (इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर) का उपयोग करके स्वदेशी रूप से डिजाइन किया जा रहा है और एमडीपी के अंतर्गत रणनीतिक और वाणिज्यिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ढलाईखाने में निर्मित किया गया है।
- 32-बिट/64-बिट शक्ति प्रोसेसर आईआईटी मद्रास द्वारा डिजाइन किया गया है और 180 एनएम, एससीएल मोहाली और 22 एनएम, इंटेल ढलाईखाने का उपयोग करके बनाया गया है।
- वेगा प्रोसेसर के 64-बिट सिंगल/डुअल/ क्वाड-कोर वैरिएंट को सी-डैक द्वारा डिजाइन किया गया है। 32-बिट/ 64-बिट सिंगल-कोर वेगा प्रोसेसर 130 एनएम, सिल्टेरा फाउंड्री पर निर्मित और 180 एनएम, एससीएल फाउंड्री पर निर्माण के लिए भेजा गया।
- आईआईटी बॉम्बे द्वारा डिजाइन किया गया 64-बिट क्वाड-कोर अजित प्रोसेसर।
वाणिज्यिक-ग्रेड सिलिकॉन और डिजाइन हासिल करने के लिए माननीय राज्य मंत्री (एमईआईटीवाई) द्वारा घोषित डिजिटल इंडिया आरआईएसी-वी (डीआरआई-वी) दिसम्बर 2023 तक डीआरआई-वी वेगा और डीआईआर-वी शक्ति हासिल करने में सफल होंगे।
- क्षेत्र विशेष चालू आर एंड डी केन्द्र : उद्योग के नेतृत्व वाले अनुसंधान, सेवा के रूप में आर एंड डी और आर एंड डी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स सामग्री, घटकों और रीसाइक्लिंग के क्षेत्रों में क्षेत्र विशिष्ट चालू केन्द्र बनाने की परिकल्पना है। अब तक 12 ऐसे केन्द्र क्वांटम मेटीरियल, एडीटिव निर्माण, सिलिकॉन फोटोनिक्स, ग्राफीन, ई-कचरा, ली-आयन/ना-आयन बैटरी सेल, आईआईओटी आदि क्षेत्रों में स्थापित किए गए हैं।
- पावर इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय मिशन (चरण-III): देश में पावर इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी का आधार मजबूत करने के उद्देश्य से एनएएमपीईटी-III कार्यक्रम चल रहा है। विभिन्न गतिविधियां जैसे प्रौद्योगिकी विकास और परिनियोजन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, जागरूकता निर्माण और सहयोगपूर्ण अनुसंधान के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास और शैक्षणिक संस्थानों के साथ उद्योग की बातचीत प्रगति पर है। वाइड बैंड गैप डिवाइस आधारित चुंबकीय क्षेत्र/करंट सेंसर का विकास, प्लानर चुंबकीय का डिजाइन और विकास, हाउस बोट में लो वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एलवीडीसी) आधारित पावर पैक की तैनाती, इलेक्ट्रिकल वाहन चार्जिंग सिस्टम, लाइट इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए वायरलेस चार्जर, माइक्रो-ग्रिड की तैनाती, माइक्रो-ग्रिड का इंटरकनेक्शन विभिन्न चरणों में प्रगति कर रहा है। देश के विभिन्न हिस्सों में पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के विशेष अनुप्रयोगों पर बारह लघु अवधि के पाठ्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
दो उत्पाद अर्थात इलेक्ट्रिक वाहन के लिए 3.3 केडब्ल्यू एसी चार्जर और हाउसबोट को बिजली देने के लिए लो वोल्टेज डायरेक्ट करंट (एलवीडीसी) होटल लोड विकसित किए गए और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए तैयार थे।
- viii. एग्रीएनिक्स: कृषि और पर्यावरण में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईसीटी एप्लीकेशनों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम: आईओटी, आईसीटी, मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी के हस्तक्षेप के साथ कृषि और पर्यावरण क्षेत्रों में सुधार के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस प्रमुख कार्यक्रम का उद्देश्य उपयोगकर्ता के अनुकूल और बाजार व्यवहार्य प्रौद्योगिकी बनाने के लिए विषयगत क्षेत्रों के संबद्ध डोमेन में काम कर रहे उद्योग, उपयोगकर्ता, शिक्षा, अनुसंधान एवं विकास संस्थान को सम्मिलित करना है।
एक्यू-एआईएमएस का पहला संस्करण: एआई आधारित वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली पर्यावरण प्रदूषकों पीएम1, पीएम2.5, पीएम 10 एसओ2, एनओ2, सीओ, ओ3, परिवेश के तापमान और सापेक्ष आर्द्रता की निगरानी के लिए विकसित की गई है, फील्ड परीक्षण पूरा हो चुका है और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए तैयार है।
- इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सब सिस्टम का विकास: इलेक्ट्रिक मोटर, कंट्रोलर, कन्वर्टर चार्जर आदि के क्षेत्रों में छोटे से लेकर बड़े इलेक्ट्रिक वाहन आदि के सब-सिस्टम स्वदेशी रूप से विकसित करने के व्यापक उद्देश्य के साथ "इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) सब सिस्टम के विकास" पर एक कार्यक्रम शुरू किया गया है। प्रौद्योगिकी/उत्पाद का अपेक्षित परिणाम किफायती, गुणवत्ता प्रतिस्पर्धी और व्यावसायीकरण के लिए तैयार होना चाहिए। ईवी सब-सिस्टम विकास को सरकारी संस्थानों/डिजाइन और विकास के लिए अनुसंधान एवं विकास संगठन, इसका व्यावसायीकरण करने के लिए उद्योग और विनिर्माण में विकसित उत्पाद का उपयोग करने के लिए वाहन निर्माता से मिलकर कंसोर्टियम मोड में लिया जा रहा है। वर्तमान में ईवी के लिए मोटर/नियंत्रक/कनवर्टर/चार्जर की प्रौद्योगिकियों का विकास प्रगति पर है।
ई-रिक्शा के लिए 1.2 केडब्ल्यू मोटर/कंट्रोलर की टेक्नोलॉजी, ई-ऑटो के लिए 5केडब्लयू मोटर/कंट्रोलर और ई-रिक्शा के लिए 1 केडब्लयू बीएलडीसी मोटर/कंट्रोलर की तकनीक का विकास, परीक्षण किया गया है और व्यावसायीकरण के लिए उद्योगों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की गई है।
साइबर सुरक्षा
- साइबर सुरक्षित भारत (सीएसबी): इसे सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में उद्योग संघ के साथ साझेदारी में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य साइबर सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान करने के लिए केन्द्रीय/राज्य सरकारों, बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (सीआईएसओ) और प्रमुख आईटी समुदाय को शिक्षित और सक्षम बनाना है। लगभग 1200 अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और सक्षम बनाने के लिए 6 शहरों में प्रशिक्षण आयोजित किया गया। नवम्बर 2022 तक, 31 बैच (18 फिजिकल और 13 ऑनलाइन मोड में) गहन प्रशिक्षण के आयोजित किए गए और सरकार, पीएसयू, बैंकों और सरकारी संगठनों के 1266 सीआईएसओ/आईटी अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया।
- स्टार्ट-अप्स के लिए साइबर सिक्योरिटी ग्रैंड चैलेंज: इसे जनवरी 2020 में शुरू किया गया था ताकि साइबर स्पेस इकोसिस्टम में आने वाली मौजूदा चुनौतियों के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक 6 चिन्हित अनोखी समस्या विवरण (विवरणों) पर साइबर सुरक्षा उत्पाद विकसित किए जा सकें। ग्रैंड चैलेंज के तीन चरण थे, विचार चरण, न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (एमवीपी) चरण और अंतिम चरण। विचार चरण में, अवधारणा, प्रस्तावित दृष्टिकोण के आधार पर, 6 समस्याओं के समाधान/उत्पाद तैयार करने के लिए, जूरी ने 12 टीमों को शॉर्टलिस्ट किया और प्रत्येक टीम को 5 लाख रुपये की राशि और संरक्षण सहायता दी गई। एमवीपी चरण में, उनके दृष्टिकोण, यूएसपी और मूल्य प्रस्ताव, तैनाती और उत्पाद बाजार में फिट होने के आधार पर, जूरी ने 6 टीमों को शॉर्टलिस्ट किया, जिनमें से प्रत्येक को 10 लाख रुपये दिए गए। अंतिम परिणाम 18 नवम्बर 2021 को घोषित किया गया और विजेता को 1 करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार मिला। प्रथम उपविजेता को 60 लाख रुपये का नकद पुरस्कार मिला और दूसरे उपविजेता को 40 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।
साइबर सिक्योरिटी ग्रैंड चैलेंज (सीएसजीसी) 2.0 के संचालन के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और सीएसजीसी 2.0 के संचालन के लिए डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) के लिए प्रशासनिक स्वीकृति जारी कर दी गई है।
- केन्द्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों के अधिकारियों का ऑनलाइन साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण:
- भारत सरकार के सभी अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए लगभग 6-8 घंटे की अवधि का सामान्य ऑनलाइन साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण (जागरूकता प्रशिक्षण) : 31 नवम्बर, 2022 तक 76 मंत्रालयों/विभागों के 12279 सरकारी अधिकारियों को शामिल करते हुए 40 बैच पूरे कर लिए गए हैं।
- साइबर सुरक्षा/आईटी में तकनीकी रूप से योग्य या अपेक्षित योग्यता के साथ साइबर सुरक्षा में ऑनलाइन फाउंडेशन प्रशिक्षण (अग्रिम स्तर) (60 घंटे सिद्धांत + 40 घंटे प्रयोगशाला): 30 नवम्बर , 2022 तक 76 मंत्रालयों/विभागों के 656 सरकारी अधिकारियों को कवर करके 11 बैच पूरे किए गए हैं।
- साइबर सुरक्षा में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केन्द्र (एनसीओई):
साइबर सुरक्षा अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से वित्त पोषित परियोजना के अंतर्गत भारत की डेटा सुरक्षा परिषद के साथ मिलकर साइबर सुरक्षा में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केन्द्र (एनसीओई) की स्थापना की गई है। उपरोक्त पहल देश भर में एक स्थायी साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी और उद्योग विकास की गति का निर्माण करने का एक प्रयास है। केन्द्र के प्रमुख उद्देश्य हैं: (i) साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकी विकास और उद्यमिता के इकोसिस्टम का निर्माण (ii) सुरक्षा उत्पादों को अनुसंधान एवं विकास में बदलना (iii) सुरक्षा उत्पादों के आधुनिक और अग्रणी का प्रौद्योगिकी स्टैक बनाना और (iv) वित्तीय क्षेत्रों सहित साइबर सुरक्षा के विभिन्न डोमेन में विकसित उत्पादों को बाजार में अपनाना। एनसीओई के तहत अब तक 55 स्टार्ट-अप को साइबर सुरक्षा के विभिन्न प्रमुख डोमेन में उत्पाद/समाधान विकसित करने के लिए रखा गया है। 20 और स्टार्ट-अप विश्वसनीय सलाहकार की प्रक्रिया में हैं।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र में साइबर सुरक्षा के लिए क्षमता निर्माण
पूर्वोत्तर राज्यों में साइबर फोरेंसिक प्रशिक्षण और जांच प्रयोगशालाओं का विकास और क्लाउड आधारित केन्द्रीकृत साइबर फोरेंसिक लैब इंफ्रास्ट्रक्चर: इस परियोजना के तहत पूर्वोत्तर राज्यों के 8 एनआईईएलआईटी केन्द्रों में साइबर फोरेंसिक प्रशिक्षण और प्रयोगशालाएं हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब तक 1692 कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके अलावा, एनआईईएलआईटी कोहिमा में क्लाउड आधारित बुनियादी ढांचे का उपयोग सभी आठ उत्तर पूर्वी राज्यों के एलईए के लिए साइबर फोरेंसिक पर साइबर फोरेंसिक टूल, सामग्री वितरण और क्लाउड आधारित आभासी प्रशिक्षण साझा करने के लिए किया जाता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 की धारा 79ए के तहत 'इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के परीक्षक' के रूप में फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की अधिसूचना
सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 की धारा 79ए केन्द्र सरकार को किसी भी अदालत या अन्य प्राधिकरण के समक्ष इलेक्ट्रॉनिक रूप साक्ष्य पर विशेषज्ञ राय प्रदान करने के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के परीक्षक को अधिसूचित करने का अधिकार देती है। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के परीक्षक की पहचान और चयन के लिए, एमईआईटीवाई ने पायलट आधार पर इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के परीक्षक तक पहुंचने और सूचित करने के लिए एक योजना तैयार और विकसित की है। अब तक, एमईआईटीवाई द्वारा बारह साइबर फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को अधिसूचित किया गया है।
- इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पान्स टीम (सीईआरटी-इन): सीईआरटी-इन को सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 की धारा 70बी के तहत घटना प्रतिक्रिया के लिए राष्ट्रीय एजेंसी के रूप में सेवा देने के लिए नामित किया गया है। सीईआरटी-इन रिपोर्ट की गई साइबर सुरक्षा घटनाओं पर समय पर प्रतिक्रिया देने के लिए 24x7 घटना प्रतिक्रिया हेल्प डेस्क संचालित करता है। सीईआरटी-इन घटना की रोकथाम और प्रतिक्रिया सेवाओं के साथ-साथ सुरक्षा गुणवत्ता प्रबंधन सेवाएं प्रदान करता है।
- 2022 में, नवम्बर तक, साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में 21 प्रशिक्षण/कार्यशालाओं/ऑनलाइन सत्रों में सरकारी, महत्वपूर्ण क्षेत्रों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के कुल 6,207 अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है।
- 2022 में, सीईआरटी-इन द्वारा वर्ष 2022 (नवम्बर तक) के दौरान 32 परामर्श, 463 अतिसंवदेनशील नोट और 599 सुरक्षा अलर्ट (कुल 1094) जारी किए गए ताकि संगठनों और उपयोगकर्ताओं को अपने सिस्टम और डेटा को सुरक्षित रखने में सक्षम बनाया जा सके।
- साइबर सुरक्षा अभ्यास "सिनर्जी"-टेबल टॉप एक्सरसाइज का "सिनर्जी" सिंगापुर की साइबर सुरक्षा एजेंसी (सीएसए) के सहयोग से 13 देशों के लिए 31 अगस्त 2022 को अंतर्राष्ट्रीय काउंटर रैंसमवेयर पहल के हिस्से के रूप में सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। अभ्यास का विषय “रैंसमवेयर हमलों का मुकाबला करने के लिए नेटवर्क लचीलापन बनाना था।
- 15 और 16 नवम्बर 2022 को आसियान सदस्य राज्यों के 48 साइबर सुरक्षा पेशेवरों के लिए सीईआरटी-इन और आसियान-सिंगापुर साइबर सुरक्षा उत्कृष्टता केन्द्र (एएससीसीई), सिंगापुर द्वारा "साइबर थ्रेट हंटिंग" पर दो दिवसीय संयुक्त वेबिनार आयोजित किया गया था।
- सीईआरटी-इन ने 3 नवम्बर 2022 को आईबीएसए (भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) सदस्य देशों के 22 साइबर सुरक्षा पेशेवरों के लिए "साइबर थ्रेट हंटिंग" पर एक वेबिनार आयोजित किया।
- सीईआरटी-इन 13 सितम्बर 2022 से कंप्यूटर सुरक्षा घटना प्रतिक्रिया टीमों/विश्वसनीय परिचयकर्ता (टीएफ-सीएसआईआरटी/टीआई) के लिए टास्क फोर्स का मान्यता प्राप्त सदस्य है। टीआई की स्वीकृति की मुहर अन्य पार्टियों को विश्वास के साथ यह मानने की अनुमति देती है कि सीईआरटी परिपक्वता और कार्यक्षमता के एक निश्चित स्तर तक पहुँच गया है, जो पूरे सीईआरटी समुदाय में विश्वास पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- सीईआरटी- साइबर स्वच्छता केन्द्र (सीएसके), थ्रेट इंटेलिजेंस शेयरिंग प्लेटफॉर्म और नेशनल राष्ट्रीय साइबर कोऑरडिनेशन सेंटर (एनसीसीसी) चला रहा है। वर्तमान में, सीएसके बॉटनेट/मैलवेयर संक्रमण के बारे में अधिसूचनाओं के लिए ~94 प्रतिशत ग्राहक आधार को कवर कर रहा है। संगठन सेवाओं का उपयोग करके लाभान्वित हो रहे हैं जिनमें दूरसंचार (आईएसपी) क्षेत्र, सरकार, वित्त, स्वास्थ्य सेवा, आईटी और आईटीईएस, परिवहन, ऊर्जा, शिक्षा, उपयोगिताओं और उद्योग और विनिर्माण के संगठन शामिल हैं।
- सीईआरटी-इन ने सरकार और महत्वपूर्ण क्षेत्र के संगठनों के नेटवर्क बुनियादी ढांचे के अतिसंवदेनशील मूल्यांकन और प्रवेश परीक्षण सहित सूचना सुरक्षा ऑडिट करने के लिए कड़े योग्यता मानदंडों के आधार पर 150 सूचना सुरक्षा ऑडिटिंग संगठनों को सूचीबद्ध किया है। सूचीबद्ध लेखापरीक्षा संगठनों में सीईआरटी-इन की इस सूची का उनकी लेखापरीक्षा आवश्यकताओं के लिए सरकारी और महत्वपूर्ण क्षेत्रों की संस्थाओं द्वारा अक्सर परामर्श किया जाता है।
- सीईआरटी-इन ने 2022 में मंत्रालयों, सरकारी संगठनों, उद्योग और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों के लिए 10,665 प्रतिभागियों को शामिल करते हुए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया है।
- सीईआरटी-इन ने अक्टूबर 2022 (एनसीएसएएम 2022) के दौरान भारत में नागरिकों के साथ-साथ तकनीकी साइबर समुदाय के लिए "सी योरसेल्फ इन साइबर" विषय के साथ विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन करके राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जागरूकता माह मनाया। • एनसीएसएएम 2022 के दौरान, सीईआरटी-इन ने तकनीकी सत्रों के माध्यम से तकनीकी साइबर समुदाय के लिए विभिन्न तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए और सीईआरटी-इन विशेषज्ञों, सहयोग भागीदारों और उद्योग द्वारा प्रत्यक्ष रूप से जुड़कर प्रमाण दिए। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा जागरूकता माह अक्टूबर 2022 की कुल पहुंच 71,16,57,905 है।
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एमजी/एएम/केपी
(Release ID: 1884687)
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