अल्‍पसंख्‍यक कार्य मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा: अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय


2014-15 से 2021-22 के दौरान कुल 4,43,50,785 प्री-मैट्रिक छात्रवृत्तियां (52.24 फीसदी महिलाओं सहित) प्रदान की गईं

57,06,334 पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियां (55.91 फीसदी महिलाओं सहित) और 10,02,072 योग्यता-सह-साधन छात्रवृत्ति (37.81 फीसदी महिलाओं सहित) को मंजूरी दी गई

साल 2022 में प्रधानमंत्री विकास योजना के तहत विभिन्न गतिविधियों को शुरू किया गया

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम ने अपनी स्थापना के बाद से अब तक 14,12,425 महिला लाभार्थियों को ऋण प्रदान किया है

सरकार ने 2021-22 में 15वें वित्त आयोग चक्र यानी वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 के दौरान पीएमजेवीके को जारी रखने के लिए इसके संशोधित रूप को मंजूरी दी है

23 जनवरी, 2022 को मौजूदा केंद्रीय वक्फ परिषद का पुनर्गठन एक साल की अवधि यानी 4 फरवरी, 2022 से 3 मार्च, 2022 तक के लिए किया गया

सऊदी अरब में हज- 2022 का सफल संचालन हुआ, 79,200 भारतीय हज यात्रियों (मेहरम के बिना 1796 महिलाओं सहित) ने दो साल के अंतराल के बाद हज किया

पहली बार भारतीय हज समिति के सभी हज यात्रियों के लिए मरकजिया में रहने की व्यवस्था की गई

Posted On: 16 DEC 2022 3:19PM by PIB Delhi

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की स्थापना साल 2006 में अल्पसंख्यक समुदायों को सशक्त बनाने के लिए की गई थी। इन समुदायों में जैन, पारसी, बौद्ध, सिख, ईसाई और मुसलमान हैं। यह मंत्रालय हमारे राष्ट्र के बहु-नस्लीय, बहु-जातीय, बहु-सांस्कृतिक, बहु-भाषी और बहु-धार्मिक चरित्र को मजबूत करने के लिए एक सक्षम वातावरण का निर्माण करना चाहता है। इसका मिशन सकारात्मक कार्रवाई और समावेशी विकास के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों की सामाजिक- आर्थिक स्थिति में सुधार करना है, जिससे हर एक नागरिक को शिक्षा, रोजगार, आर्थिक गतिविधियों में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए समान हिस्सेदारी की सुविधा और उनके उत्थान को बढ़ाने को लेकर एक गतिशील राष्ट्र के निर्माण में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने का समान अवसर प्राप्त हो।

छात्रवृत्ति योजनाएं

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित छात्रों के शैक्षणिक सशक्तिकरण के लिए तीन छात्रवृत्ति योजनाओं- (i) प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति, (ii) पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति और (iii) योग्यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति को संचालित कर रहा है।

छात्रवृत्ति योजनाओं की पारदर्शिता में सुधार के संबंध में साल 2016-17 के दौरान छात्रवृत्ति में विस्तार को लेकर अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय सहित केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल 2.0 के एक नए और संशोधित संस्करण को शुरू किया गया था। इस मंत्रालय की उपरोक्त तीनों छात्रवृत्ति योजनाएं एनएसपी 2.0 पोर्टल पर उपलब्ध हैं। इन छात्रवृत्तियों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से छात्रों के बैंक खातों में स्थानांतरित की जाती हैं। जहां भी आधार संख्या उपलब्ध है, छात्रों के बैंक खातों को लिंक किया जाता है और ऐसे खातों में छात्रवृत्ति स्थानांतरित की जाती है।

(i) प्री- मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना: प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है। पिछली परीक्षा में 50 फीसदी अंक या समकक्ष ग्रेड प्राप्त करने वाले और माता-पिता की वार्षिक आय 1 लाख रुपये से अधिक नहीं होने वाले छात्र इसके पात्र हैं। इसके तहत 30 फीसदी छात्रवृत्ति छात्राओं के लिए निर्धारित है। 2014-15 से 2021-22 के दौरान कुल 4,43,50,785 छात्रवृत्तियों (52.24 फीसदी महिलाओं सहित) को मंजूरी दी गई है।

(ii) पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना: यह तकनीकी/व्यावसायिक डिप्लोमा पाठ्यक्रमों सहित ग्यारहवीं कक्षा से लेकर एमफिल/पीएचडी स्तर तक की पढ़ाई के लिए प्रदान की जाने वाली केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है। वैसे छात्र जिन्होंने पिछले वर्ष की अंतिम परीक्षा में 50 फीसदी अंक या समकक्ष ग्रेड प्राप्त किया है और जिनके माता-पिता/अभिभावकों की वार्षिक आय 2 लाख रुपये से अधिक नहीं है, वे इस छात्रवृत्ति को प्राप्त करने के पात्र हैं। इस योजना के तहत नवीनीकरण के अलावा हर साल 5 लाख नई छात्रवृत्तियां प्रदान की जानी हैं। इसमें लगभग 30 फीसदी छात्रवृत्तियां छात्राओं के लिए निर्धारित हैं। 2014-15 से 2021-22 के दौरान कुल 57,06,334 छात्रवृत्तियों (55.91 फीसदी महिलाओं सहित) को मंजूरी दी गई है।

(iii) योग्यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति: योग्यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति योजना केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना है। इसके तहत उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तरों पर व्यावसायिक व तकनीकी पाठ्यक्रमों में आगे पढ़ाई करने के लिए छात्रवृत्तियां प्रदान की जाती हैं। इस योजना के संबंध में पात्र होने के लिए एक छात्र का किसी उपयुक्त प्राधिकरण द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी तकनीकी या व्यावसायिक संस्थान में नामांकन होना चाहिए। बिना प्रतियोगी परीक्षा के नामांकन लेने वाले छात्रों के मामले में उन्हें 50 फीसदी से कम अंक नहीं होने चाहिए। वहीं, माता-पिता/अभिभावकों की सभी स्रोतों से वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। इस योजना के तहत नवीनीकरण के अलावा हर साल 60,000 नई छात्रवृत्तियों को प्रदान करने का प्रस्ताव है। इस योजना के तहत 30 फीसदी छात्रवृत्तियां छात्राओं के लिए निर्धारित हैं। इसमें व्यावसायिक और तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए 85 संस्थानों को सूचीबद्ध किया गया है। इन संस्थानों में नामांकित अल्पसंख्यक समुदायों के पात्र छात्रों को पूरे पाठ्यक्रम शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाती है। वहीं, अन्य संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को हर साल पाठ्यक्रम शुल्क में 20,000 रुपये की प्रतिपूर्ति की जाती है। इसके अलावा चयनित छात्रों को हर साल 10,000 रुपये (छात्रावास में रहने वाले के लिए) और 5,000 (डे स्कॉलर के लिए) को रखरखाव भत्ते भी प्रदान किए जाते हैं। 2014-15 से 2021-22 के दौरान कुल 10,02,072 छात्रवृत्तियों (37.81 फीसदी महिलाओं सहित) को मंजूरी दी गई है।

 

प्रधानमंत्री विकास

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय (एमओएमए) ने प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम विकास) योजना की परिकल्पना की है। यह मंत्रालय की पांच मौजूदा योजनाओं- सीखो और कमाओ (एसएके), उस्ताद, हमारी धरोहर, नई रोशनी और नई मंजिल का विलय करती है। प्रधानमंत्री विकास का लक्ष्य एक परिवार- केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना है, जिसमें कारीगर परिवार, महिला, युवा और अलग-अलग दिव्यांगों पर विशेष ध्यान देने के साथ सभी अल्पसंख्यक समुदायों के लाभार्थियों को लक्षित किया गया है। इस योजना को चार घटकों में लागू करने की योजना बनाई गई है:

  • कौशलता और प्रशिक्षण घटक
  • क्रेडिट सहायता के साथ नेतृत्व और उद्यमिता घटक
  • विद्यालय छोड़ने वालों के लिए शिक्षा घटक, और
  • मंत्रालय की पीएमजेवीके योजना की सहभागिता में अवसंरचना विकास घटक

 

वर्ष- 2022 में इस योजना की प्रमुख गतिविधियां:

  • 11 अक्टूबर, 2022 को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में लड़कियों के लिए गैर-पारंपरिक आजीविका में कौशल पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन- 'बेटी बने कुशल' में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय व कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस  समझौता ज्ञापन का उद्देश्य तीन मंत्रालयों के सक्रिय समन्वय और सम्मिलन के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायों की युवा लड़कियों तक प्रधानमंत्री विकास के कौशल और नेतृत्व की पहुंच को अनुकूलित करना है।
  • कारीगरों की कार्यशालाओं के कुछ हिस्सों को नीचे दिखाया गया है:

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सीखो और कमाओ (एसएके)

यह अल्पसंख्यकों के लिए प्लेसमेंट ‘सीखो और कमाओ’ (लर्निंग एंड अर्निंग) संबद्ध कौशल विकास योजना है, जिसे अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने सितंबर, 2013 में शुरू किया था। इसका उद्देश्य विभिन्न आधुनिक/पारंपरिक कौशलों में अल्पसंख्यक युवाओं (14-45 साल आयु वर्ग में) के कौशल का उन्नयन करना है।

इस योजना को अब नई एकीकृत प्रधानमंत्री विकास योजना में एक घटक के रूप में विलय कर दिया गया है।

साल 2022 में की गई अन्य गतिविधियां:

  1. अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय समग्र पोषण (पोषण अभियान) के लिए प्रधानमंत्री की व्यापक योजना के राष्ट्रीय एजेंडे में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रहा है। इस पहल के तहत मंत्रालय लगभग 8 लाख महिला लाभार्थियों तक पहुंचा है।
  2. 'आजादी का अमृत महोत्सव' (एकेएएम) और 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' में भागीदार मंत्रालय के रूप में विभाग ने सभी परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों (पीआईए) के साथ विस्तृत बातचीत की। इन सभी एजेंसियों को पहलों की लोकप्रियता और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनकी गतिविधियों को बढ़ावा देने का निर्देश दिया गया था।
  3. मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय के रूप में स्थापना के बाद राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) ने अब तक 14,12,425 महिला लाभार्थियों को ऋण प्रदान किया है।

 

उस्ताद

उस्ताद (विकास के लिए पारंपरिक कलाओं-शिल्पों में कौशलों का उन्नयन और प्रशिक्षण) योजना को औपचारिक रूप से 14 मई, 2015 को शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों की पारंपरिक कलाओं/शिल्पों की समृद्ध विरासत को संरक्षित करना है। 2016-17 से हुनर हाट को इस योजना के एक घटक के रूप में लागू किया गया है।

 

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हुनर हाट एक प्रभावी मंच है, जहां पूरे देश के अल्पसंख्यक कारीगरों/शिल्पकारों और पाक विशेषज्ञों को अपने बेहतरीन हस्तशिल्प व उत्कृष्ट रूप से तैयार किए गए स्वदेशी उत्पादों का प्रदर्शन और विपणन करने का अवसर प्रदान किया जाता है। इसके अलावा इसने कारीगर, शिल्पकार और संबंधित व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न किए हैं और उनके बाजार संबंधों को मजबूत किया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान महाराष्ट्र के मुंबई और उत्तर प्रदेश के आगरा में हुनर हाट का आयोजन किया गया।

इसके अलावा अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने उस्ताद योजना के तहत डिजाइन हस्तक्षेप, उत्पाद श्रृंखला विकास, पैकेजिंग, प्रदर्शनियों और ब्रांड निर्माण आदि के लिए विभिन्न शिल्प समूहों में काम करने को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित संस्थानों को शामिल किया है। इनमें राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) और राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी) शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान निम्नलिखित क्लस्टरों में डिजाइन और विकास कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं:

    • ब्लैक पॉटरी (काली मिट्टी के बर्तन), मणिपुर
    • सॉफ्ट स्टोन, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
    • लकड़ी की कटलरी, उदयगिरी, आंध्र प्रदेश
    • टिल्ला कढ़ाई, श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर
    • बीदरीवारे, बीदर, कर्नाटक
    • चन्नापटना खिलौने, चन्नापटना, कर्नाटक
    • नगालैंड के वस्त्र, दीमापुर, नगालैंड
    • चिकनकारी, लखनऊ, उत्तर प्रदेश

 

प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम

प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसका कार्यान्वयन अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इसे निर्धारित क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास की कमी वाले चिन्हित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे से संबंधित परियोजनाओं, जो सामुदायिक संपत्ति हैं, को विकसित करने के उद्देश्य से कार्यान्वित किया जा रहा है। सरकार ने साल 2021-22 में संशोधित पीएमजेकेवी 15वें वित्त आयोग चक्र यानी वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 के दौरान जारी रखने को मंजूरी दी है। इस संशोधित पीएमजेवीके योजना को सभी आकांक्षी जिलों सहित पूरे देश में लागू की जाएगी। इस योजना के तहत परियोजनाओं को उन चिन्हित क्षेत्रों में अनुमोदित किया जाता है, जहां अल्पसंख्यक आबादी की सघनता (15 किलोमीटर का दायरा) में 25 फीसदी से अधिक है। 

इस योजना के तहत साल 2021-22 में विभिन्न परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गई है। इनमें विद्यालय भवन, आवासीय विद्यालय, छात्रावास, आईटीआई, स्वास्थ्य परियोजनाएं जैसे कि अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र, सद्भाव मंडप, सामुदायिक भवन, खेल परियोजनाएं जैसे कि खेल परिसर, कामकाजी महिला छात्रावास आदि शामिल हैं। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने इसरो के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र के सहयोग से इस योजना के तहत निर्मित बुनियादी ढांचे की जियो टैगिंग शुरू कर दी है।

 

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग

इसकी स्थापना 1978 में की गई थी। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम- 1992 को लागू किए जाने के साथ यह एक वैधानिक निकाय बन गया। इसके बाद इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कर दिया गया। साल 1993 में पहले वैधानिक राष्ट्रीय आयोग को गठित किया गया था।

एनसीएम अधिनियम, 1992 के अनुसार इस आयोग के निम्नलिखित कार्य हैं:

1. केंद्र और राज्यों के अधीन अल्पसंख्यकों के विकास की प्रगति का मूल्यांकन करना

2. संविधान और संसद व राज्य विधानसभाओं द्वारा अधिनियमित अधिनियमों में प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की निगरानी करना

3. केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा को लेकर सुरक्षा उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सिफारिशें करना

4. अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों व सुरक्षा से वंचित करने के संबंध में विशिष्ट शिकायतों को देखना और ऐसे मामलों को उपयुक्त अधिकारियों के सामने रखना

5. अल्पसंख्यकों के खिलाफ किसी भी तरह के भेदभाव से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का अध्ययन करवाना और उन्हें दूर करने के उपायों की सिफारिश करना

6. अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक विकास से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन, अनुसंधान और विश्लेषण करना

7. किसी भी अल्पसंख्यक के संबंध में केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा किए जाने वाले उचित उपायों को लेकर सुझाव देना

8. केंद्र सरकार को अल्पसंख्यकों से संबंधित किसी भी मामले और विशेष रूप से उनके सामने आने वाली कठिनाइयों पर आवधिक या विशेष रिपोर्ट सौंपना, और

9. केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए अन्य मामले

अल्पसंख्यक आयोग ने 18 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में अल्पसंख्यकों के लिए आयोग की स्थापना की है। इनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) दिल्ली सरकार, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल हैं।

भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए आयोग:

1957 में भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए आयुक्त कार्यालय (सीएलएम) की स्थापना संविधान के अनुच्छेद 350-बी के प्रावधान के अनुसार किया गया था। इसमें संविधान के तहत देश में भाषाई अल्पसंख्यकों को प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की सीएलएम द्वारा जांच किए जाने की परिकल्पना की गई है। इसके साथ ही इन मामलों पर वैसी कमियों के संबंध में राष्ट्रपति को रिपोर्ट करना, जिन्हें राष्ट्रपति निर्देशित कर सकते हैं। राष्ट्रपति की इच्छा पर ऐसी सभी रिपोर्टों को संसद के हर एक सदन के सामने रखी जा सकती हैं और संबंधित राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन को भेजी जा सकती हैं। सीएलएम संगठन का मुख्यालय दिल्ली और क्षेत्रीय कार्यालय चेन्नई व कोलकाता में स्थित हैं। इसके अलावा सीएलएम भाषाई अल्पसंख्यकों को प्रदान किए गए संवैधानिक और राष्ट्रीय स्तर पर सहमत सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ बातचीत करता है।

 

भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए संवैधानिक सुरक्षा

भारतीय संविधान के तहत धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को कुछ सुरक्षा उपाय प्रदान किए गए हैं। अनुच्छेद- 29 और 30 अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करते हैं। साथ ही उनकी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति के संरक्षण व उनकी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के अधिकार को मान्यता देते हैं। वहीं, अनुच्छेद- 347 किसी राज्य या उसके किसी हिस्से की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से द्वारा बोली जाने वाली किसी भी भाषा की आधिकारिक मान्यता के लिए राष्ट्रपति के निर्देश का प्रावधान करता है, जैसा कि राष्ट्रपति निर्दिष्ट कर सकती हैं। अनुच्छेद- 350 केंद्र या राज्य के किसी भी प्राधिकरण को केंद्र/राज्यों में उपयोग की जाने वाली किसी भी भाषा में शिकायतों के निवारण के लिए प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने का अधिकार देता है। अनुच्छेद- 350ए भाषाई अल्पसंख्यक समूहों से संबंधित बच्चों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान करता है। वहीं, अनुच्छेद- 350बी संविधान के तहत भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांच करने के लिए भाषाई अल्पसंख्यकों के आयुक्त के रूप में नामित एक विशेष अधिकारी का प्रावधान करता है।

 

केंद्रीय वक्फ परिषद

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद एक वैधानिक निकाय है। इसकी स्थापना वक्फ अधिनियम, 1954 के प्रावधानों के अनुरूप 1964 में की गई थी। यह देश में वक्फ बोर्डों के कामकाज व औकाफ के प्रशासन से संबंधित मामलों के संबंध में केंद्र सरकार के लिए एक सलाहकारी निकाय के रूप में कार्य करती है। वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधित प्रावधान के तहत परिषद की भूमिका में काफी विस्तार हुआ है। अब परिषद को केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के साथ राज्य वक्फ बोर्डों को सलाह देने का अधिकार दिया गया है। सलाहकार के रूप में इस विस्तारित भूमिका के अलावा, अब यह बोर्ड को अपने प्रदर्शन को लेकर परिषद को जानकारी देने के संबंध में निर्देश जारी कर रही है। यह निर्देश विशेष रूप से उनके वित्तीय प्रदर्शन, वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमण का सर्वेक्षण राजस्व रिकॉर्ड और वार्षिक व लेखापरीक्षा रिपोर्ट आदि से संबंधित है।  

इस परिषद के अध्यक्ष वक्फ के प्रभारी केंद्रीय मंत्री होते हैं। इसके अलावा भारत सरकार अधिनियम में निर्धारित विभिन्न श्रेणियों से आने वाले सदस्यों की नियुक्ति करती है। इनकी संख्या अधिकतम 20 होती है। वर्तमान में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी केंद्रीय वक्फ परिषद की पदेन अध्यक्ष हैं। मौजूदा परिषद का पुनर्गठन 23 जनवरी, 2022 को एक वर्ष की अवधि के लिए यानी 4 फरवरी, 2022 से 03 फरवरी, 2023 तक किया गया है। केंद्रीय वक्फ परिषद के कार्यालय यानी केंद्रीय वक्फ भवन को नई दिल्ली के पुष्प विहार स्थित सेक्टर-6 के साकेट पारिवारिक अदालत के सामने स्थानांतरित किया गया है।

 

दरगाह ख्वाजा साहेब अधिनियम, 1955

यह दरगाह के उचित प्रशासन और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, जिसे आम तौर पर दरगाह ख्वाजा साहब- अजमेर के नाम से जाना जाता है, की बंदोबस्ती के लिए प्रावधान करने के लिए एक अधिनियम है।

दरगाह समिति का कार्य दरगाह ख्वाजा साहेब अधिनियम- 1955 और इसके उपनियम 1958 के प्रावधानों के अनुसार बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से लोगों को सेवा प्रदान करना है।

 

हज यात्रा 2022

सऊदी अरब में हज- 2022 का सफल परिचालन हो गया है। इस साल 79,200 भारतीय तीर्थयात्रियों (मेहरम के बिना 1796 महिला तीर्थयात्रियों सहित) ने दो साल के अंतराल यानी 2020 और 2021 के बाद हज यात्रा की।

हज- 2022 का संचालन अभूतपूर्व परिस्थितियों और कोविड प्रतिबंधों के तहत महामारी के बाद की अवधि में आयोजित किया गया। सऊदी मंत्रालय ने विपरित परिस्थितियों और शॉर्ट नोटिस के बावजूद हज- 2022 की पुष्टि की। हज- 2022 के संचालन के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय हज समिति व हज संचालन में शामिल अन्य हितधारकों के बीच उत्कृष्ट समन्वय और सहयोग की जरूरत थी। सभी मंत्रालयों की त्वरित और समन्वित कार्रवाई के परिणामस्वरूप लगभग 45 दिनों की बहुत ही कम अवधि में हज की तैयारी पूरी हो गई और तीर्थयात्रियों के लिए हज- वीजा प्राप्त करने वाला पहला देश बन गया।

हज- 2022 की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखति हैं:-

1. महामारी के बाद की अवधि में स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सऊदी अरब ने तीर्थयात्रियों की कुल संख्या को 10 लाख तक सीमित कर दिया था। इनमें बाहर से आए 8.5 लाख यात्री शामिल थे।

2. 65 वर्ष से कम आयु के तीर्थयात्री, जिन्हें स्वीकृत कोविड टीकों के साथ पूर्ण टीकाकरण किया गया था, उन्हें इसके लिए अनुमति दी गई।

3. इससे पहले हज- संचालन की तैयारियों से संबंधित कार्यों को 5-6 माह पहले ही पूरा कर लिया जाता था, लेकिन हज- 2022 के लिए बहुत कम समय यानी डेढ़ माह की शार्ट नोटिस पर व्यवस्था की गई थी।

4. मुख्य हज की अवधि 5 जुलाई से 12 जुलाई, 2022 के बीच थी। लेकिन तीर्थयात्रियों की रवानगी 24 जून, 2022 से शुरू कर दी गई। द्विपक्षीय हज समझौते पर 20 अप्रैल, 2022 को हस्ताक्षर किए गए थे।

5. भारतीय हज समिति के तीर्थयात्रियों के लिए मक्का में कुल 188 भवन किराए पर लिए गए थे। ये भवन बुनियादी सुविधाएं से सुसज्जित थे। इसी तरह तीर्थयात्रियों को 40 बार नमाज पूरी करने की सुविधा प्रदान करने के लिए मरकजिया क्षेत्र मदीना में रहने की व्यवस्था की गई थी।

6. पहली बार भारतीय हज समिति के सभी हज यात्रियों को मदीना के मरकजिया क्षेत्र में ठहराया गया। हर हज के लिए मरकजिया क्षेत्र में समिति के तीर्थयात्रियों की हिस्सेदारी को अधिकतम करने का प्रयास किया जाता है। यह क्षेत्र साफ तौर पर हरम के आसपास के तीर्थयात्रियों के लिए पसंदीदा विकल्प है। पिछले वर्षों में भारतीय हज समिति के 60 फीसदी हज यात्रियों के लिए मरकजिया आवास को लक्षित किया गया था। हज- 2022 के लिए, इस साल वैट में 15 फीसदी की बढ़ोतरी और अतिरिक्त 2.5 फीसदी नए आवास शुल्क के बावजूद प्रति हज यात्री 50 सऊदी रियाल (एसआर) पर भी समिति के सभी यात्रियों के लिए मरकजिया में आवास की व्यवस्था की गई थी। यह धनराशि हज- 2019 की तुलना में कम है।

7. भारतीय हज यात्रियों के अजीजिया और हज स्थल में उनके आवास के बीच आरामदायक और बाधारहित मुक्त आवाजाही के लिए नई बसें किराए पर ली गईं।

8. हज कमेटी ऑफ इंडिया के सभी तीर्थयात्रियों के लिए पहली बार माशाएर मेट्रो ट्रेन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। इससे यह सुनिश्चित करने में सहायता मिली कि हज के दिन समय पर अराफात नहीं पहुंचने वाले भारतीय हज समिति के किसी भी तीर्थयात्री को कोई जोखिम नहीं था।

9. वाणिज्य दूतावास ने 10 उप-कार्यालय को शुरू किया, जिन्हें 'शाखा कार्यालय' कहा गया। इनका संचालन प्रतिनियुक्तियों की एक टीम और स्थानीय कर्मचारियों की एक टीम द्वारा की जाती थी। इन्हें मक्का स्थित भारतीय हज यात्रियों के आवास, मदीना में 3 शाखा कार्यालयों और एक-एक जेद्दा व मदीना हवाईअड्डे पर भारतीय हाजियों की सेवा के लिए तैनात किया गया था। इसके अलावा भारतीय हज यात्रियों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए हर एक शाखा कार्यालय के निकट, मक्का में 10 औषधालय, मदीना में 3 औषधालय और जेद्दा हवाई अड्डे पर एक औषधालय भी खोले गए। इसके अलावा मक्का में दो अस्पताल (40-बेड व 30-बेड वाले) और मदीना में 15 बेड वाले डिस्पेंसरी भी खोले गए। इन्हें भारत के डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों की टीम द्वारा प्रबंधित किया गया था। इसके अलावा मुख्य हज अवधि के दौरान मीना में एक शिविर कार्यालय-सह-औषधालय भी स्थापित किया गया था।

हज- 2022 के दौरान डिजिटल पहल:-

1. एक समर्पित टोल-फ्री नंबर, व्हाट्सएप नंबर के साथ-साथ ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन प्रणाली भारतीय तीर्थयात्री के किसी भी मुद्दे या चिंताओं को तत्काल दूर करने के लिए चौबीसों घंटे सेवा दे रही थी। भारत के प्रधानमंत्री के 'डिजिटल इंडिया' के कागज रहित कार्यालय की सोच को साकार करने के लिए आंतरिक परिचालन के तहत डिजिटल मीडिया और एप, विशेष रूप से व्हाट्सएप का प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया है।

2. उर्दू, हिंदी, मलयालम और तमिल भाषाओं में भारतीय हज यात्रियों के लिए एक प्रशिक्षण वीडियो से सऊदी अरब के नवीनतम दिशानिर्देशों को लेकर तीर्थयात्रियों की उन्मुखीकरण में सहायता मिली। इस वीडियो को लगभग 70,000 बार देखा गया।

3. हज यात्रा संचालन पर दैनिक वीडियो रिपोर्ट बनाई गई और यूट्यूब चैनल पर अपलोड की गई, जिसे भारत और सऊदी अरब में व्यापक रूप से साझा किया गया।

4. हज यात्रियों के लाभ को लेकर इस यात्रा के संचालन से संबंधित सभी डेटा के लिए एक समर्पित मोबाइल एप "भारतीय हाजी सूचना प्रणाली" भी विकसित की गई। यह एप तीर्थयात्रियों के बीच बहुत लोकप्रिय था और उनके आवास, मीना में मकतबों, शाखा कार्यालयों आदि के साथ-साथ कोई शिकायत/परेशानी दर्ज करने व इसके समाधान में सहायता करता था।

5. भारतीय हज यात्रियों के स्वास्थ्य विवरण, उनके रोगों, नैदानिक ​​मूल्यांकन, निर्धारित दवाओं के साथ-साथ इसके वितरण को ऑनलाइन ओपीडी प्रणाली ई-मसीहा (विदेश में भारतीय हाजियों के लिए चिकित्सा सहायता प्रणाली) में रिकॉर्ड किया गया। यह ऑनलाइन ओपीडी प्रणाली हज अवधि के दौरान चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठाने वाले सभी भारतीय हज यात्रियों के स्वास्थ्य डेटाबेस को बनाने और इसे बनाए रखने में सक्षम है।

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