वित्‍त मंत्रालय

केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (एनआईआईएफ) की शासी परिषद की पांचवीं बैठक की अध्यक्षता की   


एनआईआईएफ की बहुमत हिस्सेदारी वाली दो इन्फ्रा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने बिना किसी गैर-निष्पादित ऋण (एनपीएल) के ही 3 वर्षों में अपनी संयुक्त ऋण पुस्तिका को 4,200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 26,000 करोड़ रुपये कर दिया  

Posted On: 17 NOV 2022 4:17PM by PIB Delhi

केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कल (16 नवंबर 2022) देर शाम नई दिल्ली में राष्ट्रीय निवेश और अवसंरचना कोष (एनआईआईएफ) की शासी परिषद (जीसी) की पांचवीं बैठक की अध्यक्षता की।

जीसी ने यह नोट किया कि एनआईआईएफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विश्वसनीय और वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य या लाभप्रद निवेश प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित हो गया है, जिसे अनगिनत अत्‍यंत सम्मानित वैश्विक और घरेलू निवेशकों का समर्थन प्राप्‍त है, और जिन्होंने भी भारत सरकार के साथ-साथ एनआईआईएफ के विभिन्‍न फंडों में निवेश किया है।

एनआईआईएफ के पहले द्विपक्षीय फंड, जो कि भारत सरकार के योगदान के साथ स्‍थापित किया गया "इंडिया जापान फंड" है, को नेशनल इनवेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड लिमिटेड (एनआईआईएफएल) और जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (जेबीआईसी) के बीच हस्‍ताक्षरित एक सहमति पत्र (एमओयू) के माध्यम से प्रस्तावि‍त किया गया है। इस एमओयू पर हाल ही में 9 नवंबर, 2022 को हस्ताक्षर किए गए थे। एनआईआईएफ की विभिन्‍न द्विपक्षीय सहभागिता के संबंध में इस अहम अद्यतन या अपडेट को जीसी द्वारा अनुमोदित किया गया था।

 

 

जीसी ने इस बात की सराहना की कि एनआईआईएफ की बहुमत हिस्सेदारी वाली दो इन्फ्रा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने अब तक बिना किसी गैर-निष्पादित ऋण (एनपीएल) के ही 3 वर्षों में अपनी संयुक्त ऋण पुस्तिका को 4,200 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 26,000 करोड़ रुपये कर दिया है।  

जीसी ने एनआईआईएफ को निवेश योग्य पीपीपी परियोजनाओं की एक पाइपलाइन बनाने हेतु केंद्र और राज्य सरकारों की सहायता करने के लिए अत्‍यंत सक्रियतापूर्वक सलाहकार गतिविधियां शुरू करने का भी निर्देश दिया।

वित्त मंत्री ने एनआईआईएफएल टीम से अब तक किए गए कार्यों के आधार पर आगे विकास करने और अपने परिचालन का विस्तार करने के लिए भारत के आकर्षक निवेश माहौल का लाभ उठाने को कहा। श्रीमती सीतारमण ने इस टीम को उन देशों के निवेशकों के साथ चर्चा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जो भारत में निवेश करने के इच्छुक हैं।

वित्त मंत्री ने एनआईआईएफएल टीम को राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन, पीएम गतिशक्ति और राष्ट्रीय अवसंरचना कॉरिडोर, जिसमें निवेश योग्य ग्रीनफील्ड एवं ब्राउनफील्ड निवेश परियोजनाओं का एक बड़ा समूह शामिल है, के तहत व्‍यापक अवसरों का पता लगाने, और इसके साथ ही इन अवसरों में वाणिज्यिक पूंजी के निवेश के लिए प्रयास करने और इसे जुटाने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

इस बैठक के दौरान पिछले कुछ वर्षों में एनआईआईएफ द्वारा की गई प्रगति पर एक अपडेट और इसके निवेश परिचालन से मिली प्रमुख सबकों को शासी परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जीसी को उन तीन फंडों की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया गया जिनका प्रबंधन वर्तमान में एनआईआईएफएल द्वारा किया जा रहा है जिनमें मास्टर फंड, फंड ऑफ फंड्स (एफओएफ), और स्ट्रेटेजिक अपॉर्चुनिटीज फंड (एसओएफ) शामिल हैं। ये फंड जिन सेक्‍टरों पर फोकस करते हैं, जुटाई गई धनराशि की ताजा स्थिति, और उनके तहत किस तरह के निवेश किए गए हैं, उन्हें जीसी के साथ साझा किया गया। जीसी को अपशिष्ट प्रबंधन, जल शोधन, स्वास्थ्य सेवा, ईवी के निर्माण जैसे सेक्‍टरों में इसके प्रवेश के अलावा बंदरगाहों एवं रसद (लॉजिस्टिक्स), नवीकरणीय ऊर्जा, और डिजिटल अवसंरचना जैसे सेक्‍टरों में एनआईआईएफ की ऑपरेटिंग या परिचालन कंपनियों के निवेश और प्रदर्शन के बारे में सूचित किया गया।

इस बैठक में भाग लेने वाले जीसी के अन्य सदस्यों में श्री अजय सेठ, सचिव, आर्थिक कार्य विभाग; श्री विवेक जोशी, सचिव, वित्तीय सेवा विभाग; श्री दिनेश खारा, चेयरमैन, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई); श्री हेमेंद्र कोठारी, चेयरमैन, डीएसपी समूह; और श्री टी.वी.मोहनदास पाई, चेयरमैन, मणिपाल ग्लोबल शामिल थे।    

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