विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाइड्रोजन सेंसिंग और विश्लेषण प्रौद्योगिकी के स्वदेश में विकास के लिए महाराष्ट्र से एक हाइड्रोजन स्टार्टअप को 3.29 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की
डॉ. जितेंद्र सिंह विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड और मेसर्स मल्टी नैनो सेंस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, महाराष्ट्र के बीच स्वदेशी रूप से हाइड्रोजन सेंसर के निर्माण का समर्थन करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की अध्यक्षता की
हाइड्रोजन स्टार्टअप को वित्तीय सहायता देना भारत को हरित हाइड्रोजन हब बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की परिकल्पना के अनुरूप है : डॉ. जितेन्द्र् सिंह
भारत हाइड्रोजन रिसाव का पता लगाने वाले सेंसर के आयात पर अब अपनी अधिक निर्भरता को कम करेगा क्योंकि प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड – विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (टीडीबी-डीएसटी) स्वदेशी रूप से विकसित सेंसर का समर्थन करता है : डॉ. जितेंद्र सिंह
Posted On:
19 AUG 2022 4:06PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज हाइड्रोजन सेंसिंग और विश्लेषण प्रौद्योगिकी के स्वदेश में विकास के लिए महाराष्ट्र से एक हाइड्रोजन स्टार्टअप को 3.29 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की घोषणा की है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हाइड्रोजन स्टार्टअप के लिए वित्तीय सहायता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (एनएचएम) की उस परिकल्पना के अनुरूप है जिसकी पिछले वर्ष भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से घोषणा की गई थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन (एनएचएम) का लक्ष्य अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने एवं भारत को हरित हाइड्रोजन हब बनाने में सरकार की सहायता करना है। मंत्री महोदय ने कहा कि इससे 2030 तक 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करने और अक्षय ऊर्जा क्षमता से संबंधित विकास में सहायता मिलेगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वदेशी रूप से हाइड्रोजन संवेदक (सेंसर) के निर्माण का समर्थन करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) तथा मेसर्स मल्टी नैनो सेंस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, महाराष्ट्र के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर की अध्यक्षता की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह कंपनी नए युग के अनुप्रयोगों के लिए एक स्वदेशी अत्याधुनिक हाइड्रोजन विश्लेषण सेंसर विकसित कर रही है। यह विकास किसी भी प्रकार के रिसाव का पता लगाने और/अथवा हाइड्रोजन के विश्लेषण के लिए सार्वभौमिक लघुरूपांतरित (मिनियेचराइज्ड) कोर सेंसर डिजाइन से भी संबंधित है। इसके लिए पेटेंट कराया गया हाइड्रोजन गैस सेंसर और विश्लेषक एक ऐसे कोर सेंसर पर आधारित है; जिसे पूरी तरह से भारत में अवधारित, विकसित, निर्मित और प्रयोग किया गया है। मंत्री महोदय ने बताया कि वर्तमान में इस सेंसर के लिए आयात करने पर बहुत अधिक निर्भरता है क्योंकि ऐसे सभी कोर सेंसर के अवयव तत्व चीन, अमेरिका, इंग्लैण्ड, जापान और जर्मनी से आयात किए जाते हैं।
इन सेंसरों की प्रमुख गुणवत्ता यह है कि ये अन्य दहनशील या अपघटित होने वाली गैसों से किसी भी सीधे हस्तक्षेप का सामना नहीं करते हैं और विद्यमान वायु के साथ-साथ निष्क्रिय / निर्वात पृष्ठभूमि में भी कार्य कर सकते हैं तथा 1पीपीएम से 100% शुद्ध हाइड्रोजन तक विश्लेषण कर सकते हैं। इस प्रौद्योगिकी के साथ, भारत अपने स्वदेश निर्मित उत्पादों के माध्यम से घरेलू मांग को पूरा करने के लिए वैश्विक बाजार में आसानी से प्रवेश कर सकता है। इस सेंसर में न्यूनतम पहचान : पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) की प्रसार सीमा; अधिकतम पहचान : 100% शुद्ध हाइड्रोजन; 3 सेकंड के भीतर त्वरित प्रतिक्रिया; कोर सेंसर ऑपरेशन के लिए कम बिजली की खपत जैसी कई अनूठी और पथप्रवर्तक विशेषताएं हैं। पोर्टेबल डिटेक्टर एक बार चार्ज करने पर लगातार 36 घंटे तक काम कर सकते हैं तथा गैर असंक्षारक (नॉन – कोरोसिव) होने के साथ ही इनकी 5 साल की लंबी जीवन अवधि भी है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऊर्जा की मांग बढ़ रही है और मौजूदा संसाधनों की सीमा को देखते हुए वैकल्पिक ईंधन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन वर्तमान जीवाश्म ईंधन के स्थान पर भविष्य का ईंधन होने की परिकल्पना करता है और इसलिए अक्षय ऊर्जा से बिजली का उपयोग करके ऐसे हाइड्रोजन ईंधन का उत्पादन करना, जिसे हरित हाइड्रोजन कहा जाता है, अब राष्ट्र की पर्यावरणीय रूप से स्थायी ऊर्जा सुरक्षा के लिए प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। मंत्री महोदय ने कहा कि नीति आयोग की एक रिपोर्ट' हार्नेसिंग ग्रीन हाइड्रोजन : अपॉर्चुनिटीज फॉर डीप डीकार्बोनाइजेशन इन इंडिया' शीर्षक के अनुसार हाइड्रोजन एक हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था के उद्भव में तेजी लाने के लिए एक मार्ग प्रदान करेगा, जो वर्ष 2070 तक भारत के लिए अपनी शुद्ध-शून्य महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक आईपी एंड टीएएफएस ने कहा " जैसा कि सीओपी26 शिखर सम्मेलन, ग्लासगो में माननीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (जीरो - नेट इमीशंस) के लक्ष्य को वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों को बढ़ावा देकर ही प्राप्त किया जा सकता है। हाइड्रोजन एक ऐसा संसाधन है जिसके उपयोग के दौरान सुरक्षा और सुरक्षा सहित स्वदेशी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास की आवश्यकता होती है। इस दिशा में एक प्रारंभिक कदम के रूप में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड हाइड्रोजन रिसाव का पता लगाने और प्रणालीकी सुरक्षा तथा प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए अत्यधिक उन्नत रिसाव (एडवांस्ड लीकेज) डिटेक्शन सेंसर के विकास और उसके विनिर्माण के लिए स्टार्टअप 'मैसर्स मल्टी नैनो सेंस' का समर्थन कर रहा है।
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