इस्पात मंत्रालय
केंद्रीय इस्पात मंत्री ने इस्पात क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम के पूंजीगत परिव्यय (सीएपीईएक्स) और राष्ट्रीय इस्पात नीति के लक्ष्यों तक पहुंचने की योजनाओं की समीक्षा की
Posted On:
19 APR 2022 4:27PM by PIB Delhi
केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान इस्पात क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम द्वारा किए गए पूंजीगत परिव्यय (सीएपीईएक्स) की समीक्षा करने और वर्तमान वर्ष 2022-23 के लिए पूंजीगत परिव्यय के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम की योजनाओं का आकलन करने के लिए आज यहां एक बैठक की अध्यक्षता की। सेल, एनएमडीसी, आरआईएनएल, केआईओसीएल एनओआईएल और मेकॉन जैसे इस्पात क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के मुख्य महाप्रबंधकों और इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया।
इस्पात मंत्री ने इस्पात उत्पादन क्षमता बढ़ाने, पुराने संयंत्र के उपकरणों के आधुनिकीकरण और भविष्य के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए समय पर पूंजीगत व्यय के महत्व पर जोर दिया। इस तरह का व्यय भारतीय अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान करता है। यह बताया गया कि वित्त वर्ष 2021-22 में इस्पात क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा पूंजीगत परिव्यय 10,038 करोड़ रुपए था, जो वित्त वर्ष 2020-21 के 7266.70 करोड़ रुपए के पूंजीगत परिव्यय की तुलना में 38 प्रतिशत अधिक है।
इस्पात क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के संबंध में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 1,3156.46 करोड़ रुपए के पूंजीगत परिव्ययका लक्ष्य है। केंद्रीय इस्पात मंत्री ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम को सुझाव दिया कि वे अपनी मासिक पूंजीगत परिव्यय की योजनाओं का पालन करें तथा समयबद्ध कार्यान्वयन एवं वार्षिक लक्ष्य को समय पर सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए परियोजनाओं की बारीकी से निगरानी करें। इस्पात क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के मुख्य महाप्रबंधकों ने आश्वासन दिया कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पूंजीगत परिव्यय का लक्ष्य हासिल किया जाएगा।
समीक्षा के दौरान, राष्ट्रीय इस्पात नीति (एनएसपी) 2017 के तहत केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम की योजनाओं पर भी विचार-विमर्श किया गया, क्योंकि यह भारत में विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी इस्पात उद्योग बनाने की परिकल्पना करता है। राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 में 300 मिलियन टन (एमटी) इस्पात बनाने की क्षमता और प्रति व्यक्ति खपत 158 किलोग्राम की परिकल्पना की गई है। महामारी के बावजूद, भारतीय इस्पात क्षेत्र ने पिछले पांच वर्षों में 16.29 मिलियन टन प्रतिवर्ष की क्षमता बढ़ाकर 154.27 एमटीपीए की क्षमता हासिल कर ली है। वर्तमान आकलन के आधार पर सरकार को 2030-31 तक 300 एमटीपीए की क्षमता तक पहुंचने का भरोसा है। अधिकांश क्षमता विस्तार ब्राउन फील्ड और कुछ ग्रीनफील्ड विस्तार के माध्यम से आता है जो 2025-30 से संभव हो सकता है।
केंद्रीय इस्पात मंत्री ने इस्पात क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को अपनी पूंजी परियोजनाओं के लिए एनएसपी-2017 के अनुरूप विवेकपूर्ण तरीके से योजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि मौजूदा स्तर की तुलना में लगभग 80 प्रतिशत अपनी उत्पादन क्षमता में वृद्धि सुनिश्चित करने के क्रम में उसे मौजूदा लगभग 25 मिलियन टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 2030-31 तक 45 मिलियन टन प्रतिवर्ष के स्तर तक पहुंचना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम को परिकल्पित क्षमता विस्तार का पालन सुनिश्चित करने के लिए अपनी भविष्य की योजनाओं में अतीत और वर्तमान विस्तार परियोजनाओं से सीख लेने के पर्याप्त उपाय करना चाहिए।
केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने इस्पात क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के मुख्य महाप्रबंधकों को अपनी अन्वेषण विशेषज्ञता विकसित करने, जलवायु संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए क्षमता वृद्धि के लिए काम करने और ग्रीन स्टील के उत्पादन की दिशा में काम करने, योजना बनाने और 'अमृत काल' के लिए रोडमैप तैयार करने,भविष्य की जरूरतों के लिए विशेषज्ञता का पुन: आविष्कार तथा विकास करना और उसके अनुसार अपने स्किलिंग रोडमैप तैयार करने और बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहने की दृष्टि से अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने का भी निर्देश दिया।
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