उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने शिक्षा के क्षेत्र में भारत को एक बार फिर विश्वगुरु बनाने का आह्वाहन किया


राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है

उपराष्ट्रपति ने शिक्षकों को छात्रों के लिए शिक्षण को एक आनंददायक अनुभव बनाने की सलाह दी

उपराष्ट्रपति ने महामारी के दौरान शिक्षा में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों के प्रयासों की सराहना की व्यक्तियों में उत्कृष्टता की पहचान भारतीय संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है

उपराष्ट्रपति ने छात्रों को 'प्रतिभा पुरस्कारम' प्रदान किए

Posted On: 01 MAR 2022 6:10PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने आज भारत को शिक्षा के क्षेत्र में एक बार फिर से विश्वगुरु बनाने का आह्वाहन किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) - 2020 इस दिशा में उठाया गया एक कदम है।

उपराष्ट्रपति ने आज गुंटूर में आंध्र प्रदेश के कृष्णा और गुंटूर जिलों के पड़ोसी मंडलों के सरकारी व सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले मेधावी छात्रों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित किया। इस समारोह का आयोजन रामिनेनी फाउंडेशन ने किया। उन्होंने कहा कि एनईपी, भारतीय संस्कृति में निहित मूल्य आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना चाहती है।

उन्होंने कहा कि व्यक्तियों में उत्कृष्टता की पहचान और उनका सम्मान करना भारतीय परंपरा व संस्कृति का हिस्सा है। यह दूसरों को उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने और नई ऊंचाइयों की प्राप्ति को लेकर प्रेरित करने के लिए भी है।

उन्होंने कहा कि भारत के युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है और इस समय की जरूरत है कि उनकी प्रतिभा की पहचान की जाए व उन्हें जरूरी कौशल प्रदान किया जाए। उपराष्ट्रपति ने अपनी यह इच्छा भी व्यक्त की कि शिक्षक छात्रों के लिए शिक्षण को एक अधिक परस्पर संवादात्मक, बहु-आयामी और आनंददायक अनुभव बनाएं। उन्होंने हर एक शिक्षक और विद्यालय प्रशासक से एनईपी के प्रावधानों को पूरी तरह लागू करने का अनुरोध किया।

श्री नायडू ने मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के तहत देश की लंबी अधीनता ने देश के कुछ लोगों के बीच एक हीन भावना उत्पन्न कर दी। उन्होंने औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़ने व भारतीय जड़ों की ओर लौटने की जरूरत पर जोर दिया। इस संदर्भ में उन्होंने सार्थक और समग्र शिक्षा के लिए 'गुरु-शिष्य' परंपरा के महत्व को दोहराया।

इस अवसर पर उन्होंने गुंटूर जिले के मंडल शिक्षा अधिकारियों को महामारी के दौरान उनकी सेवाओं की सराहना के लिए 'गुरु सम्मानम' पुरस्कार भी प्रदान किए। उन्होंने पूरे देश के शिक्षकों, विशेषकर सरकारी विद्यालयों में महामारी के दौरान अभिनव माध्यमों के जरिए शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने के प्रयासों की सराहना की।

श्री नायडू ने छात्रों में मूल्यों को विकसित करने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें छात्रों के आचरण को सुधारने, किसी भी विपरीत परिस्थिति का सामना करने के लिए उनमें आत्मविश्वास जगाने और सामने आने वाली किसी भी परिस्थिति में सही रास्ते पर चलने की सीख देने की जरूरत है।

उपराष्ट्रपति ने भारत को एक मजबूत, स्थिर और शांतिपूर्ण देश के रूप में विकसित करने का आह्वाहन किया, जहां बिना किसी भेदभाव के सभी को एकसमान माना जाता है। उन्होंने अस्थायी राजनीतिक लाभ के लिए लोगों के बीच विभाजन उत्पन्न करने के लिए कुछ ताकतों के प्रयासों की आलोचना की। श्री नायडू ने 20 से अधिक वर्षों से लगातार उत्कृष्ट शिक्षकों, प्रशासकों और छात्रों को सम्मानित करने में रामिनेनी फाउंडेशन के प्रयासों की सराहना की।

इस समारोह में आंध्र प्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री आदिमुलपु सुरेश, राज्य सभा सांसद श्री मोपीदेवी वेंकटरमण राव, गुंटूर जिला परिषद की अध्यक्ष श्रीमती हेनरी क्रिस्टीना, आंध्र प्रदेश सरकार के विशेष सचिव श्री आर.पी. सिसोदिया, आंध्र प्रदेश विधान परिषद के पूर्व सदस्य श्री सोमू वीरराजू, आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री श्री कन्ना लक्ष्मी नारायण, डॉ. रामिनेनी फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री रामिनेनी धर्मप्रचारक, शिक्षक, छात्र, उनके माता-पिता और अन्य उपस्थित थे।

*****

एमजी/एएम/एचकेपी/वाईबी



(Release ID: 1802165) Visitor Counter : 391