कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय

'पर्पल रेवोलुशन' के एक हिस्से के रूप में रामबन में सीएसआईआर-आईआईआईएम के अरोमा मिशन के तहत 'लैवेंडर की खेती' शुरू की जाएगी


समावेशी और क्षेत्रीय संतुलित विकास के लिए दुर्गम क्षेत्रों का विकास जरूरी : डॉ. जितेंद्र सिंह

डीडीसी, बीडीसी, पीआरआई अपने क्षेत्रों में विकास से जुड़ी प्राथमिकताएं तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे: डॉ. जितेंद्र सिंह

Posted On: 20 FEB 2022 7:25PM by PIB Delhi

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍य मत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधि अपने अधिकार क्षेत्र में विकास के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को चिन्हित करने के लिए अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि वे न केवल स्थानीय स्तर पर विकास से जुड़ी पहलों के लिए लोगों के प्रति जवाबदेह हैं बल्कि विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन में कमी को उजागर करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इस प्रकार लोगों और प्रशासन के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करते हैं। उन्होंने यह बात आज रामबन जिले के लिए जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की कन्वेंशन सेंटर जम्मू में बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।

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बैठक के दौरान डोडा तथा रियासी जिलों की तर्ज पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से सीएसआईआर-आईआईआईएम के अरोमा मिशन के तहत लैवेंडर की खेती को प्रोत्साहित करके रामबन जिले में 'पर्पल रेवोलुशन' शुरू करना का एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। डॉ. सिंह ने आज इस बैठक में यह घोषणा करते हुए कहा कि डोडा तथा रामबन में समान जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियां हैं इसलिए जिले के युवाओं के लिए आय के स्रोत बढ़ाने के लिए लैवेंडर की खेती रामबन में शुरू की जा सकती है। डोडा जिले में बदरवाह, खिलानी और रियासी के ऊपरी इलाकों में कुछ क्षेत्रों का उदाहरण देते हुए, डॉ. सिंह ने कहा कि पर्पल रेवोलुशन से 500 से अधिक युवाओं ने लाभ उठाया है और उनकी आय में कई गुना वृद्धि हुई है। 

ऐसी कई सफलता की कहानियों के बीच, डॉ. सिंह ने उल्लेख किया कि कुछ इंजीनियरिंग स्नातकों ने भी अपनी नौकरी छोड़ कर लैवेंडर की खेती को अपनाया है। यह एक आकर्षक अवसर है जो युवाओं को काफी लाभ दिला रहा है। चूंकि रामबन में भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अरोमा मिशन के तहत लैवेंडर की खेती के लिए समान क्षमता है, उन्होंने कहा, "यह नवोदित किसानों और कृषि-उद्यमियों को आजीविका के साधन प्रदान करने में मदद करेगा और स्टार्ट-अप इंडिया अभियान को बढ़ावा देगा और क्षेत्र में उद्यमिता की  भावना को मजबूती देगा।"

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डॉ. सिंह ने केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के कामकाज की समीक्षा करते हुए उल्लेख किया कि दिशा मंच ने बड़े जनहित के लिए विभिन्न विकासात्मक मुद्दों पर एक साथ काम करने के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों को एक अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने बहुत प्रभावी और अच्छी तरह से संकल्पित योजनाएं शुरू की हैं और इन योजनाओं का पूरा लाभ उठाने के लिए कार्यान्वयन में कमियों या समस्याओं को दूर करना महत्वपूर्ण है ताकि समय पर समाधान निकाला जा सके और परियोजनाएं निर्धारित समय सीमा को प्राप्त कर सकें। 

रामबन जिले की विभिन्न दुर्गम पंचायतों और प्रखंडों के पंचायती राज संस्थान (पीआरआई) सदस्यों तथा प्रतिनिधियों के विभिन्न सुझावों को सुनते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि जिले की भूगौलिक परिस्थितियां इतनी विकट और दुर्गम हैं कि यहां 'आखिरी आदमी' तक पहुँचने का काम बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार इस चुनौती का सामना करने और प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएमजीएसवाई तथा मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ रामबन और जम्मू-कश्मीर के अन्य दुर्गम क्षेत्रों की दूर की पंचायतों तथा ब्लॉकों में रहने वाले लोगों को प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। डॉ. सिंह ने पीएम किसान निधि, ग्रामीण विकास क्षेत्र की योजनाओं में अच्छे प्रदर्शन के लिए जिला प्रशासन और पीआरआई सदस्यों के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने विभिन्न विभागों के अधिकारियों से पीआरआई सदस्यों के साथ समन्वय में काम करने और बेहतर समन्वय के लिए एसओपी बनाने का आग्रह किया ताकि समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

एमजी/एएम/पीके/वाईबी 



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