कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा-2021- पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग

Posted On: 30 DEC 2021 3:47PM by PIB Delhi

 

1. जीवन प्रमाण (डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र) से संबंधित सुधार

  • नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री ने जीवन प्रमाण पत्र "जीवन प्रमाण" जमा करने के लिए एक ऑनलाइन प्रणाली शुरू की थी।
  • जीवन प्रमाण के माध्यम से, एक पेंशनभोगी अपने पीसी / मोबाइल से बायोमेट्रिक डिवाइस को जोड़कर या किसी कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) या किसी नजदीकी बैंक शाखा की सेवाओं का उपयोग करके कभी भी और कहीं से भी ऑनलाइन जीवन प्रमाण पत्र दे सकता है।
  • डीओपीपीडब्ल्यू ने डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट के लिए डाक विभाग के तहत इंडिया पोस्ट एंड पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) से करार किया है। आईपीपीबी अब 1,89,000 डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों की मदद से पेंशनभोगियों के घर से डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (डीएलसी) एकत्रित कर डीओपीपीडब्ल्यू की इस प्रमुख पहल को सार्थक कर रहा है। अब तक इस सुविधा का लाभ केंद्र सरकार के लगभग 2,99,816 पेंशनभोगी उठा चुके हैं।
  • डीओपीपीडब्ल्यू ने सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंकों के साथ भी एक करार किया है जो बैंकिंग सुधारों में आसानी के तहत देश के 100 प्रमुख शहरों में अपने ग्राहकों के लिए "डोरस्टेप बैंकिंग" सेवा मुहैया कराता है। करार के अनुसार, ये बैंक इस सेवा के तहत जीवन प्रमाण पत्र भी संग्रह करेंगे।
  • 2014 से अब तक केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों द्वारा जमा किए गए डीएलसी की कुल संख्या लगभग 1,06,51,196 है। 2021 में अब-तक जमा किए गए कुल डीएलसी 19,45,013 हैं।
  • डीओपीपीडब्ल्यू ने सभी पेंशन वितरण बैंकों को सलाह दी है कि वे भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के तहत पेंशनभोगियों से जीवन प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए वीडियो आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी) को एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में अपनाएं। अधिकांश प्रमुख पेंशन वितरण बैंकों ने इस वर्ष इसे लागू किया है।
  • सभी पेंशनभोगियों / पारिवारिक पेंशनभोगियों के जीवन को आसान बनाने के लिए, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने पेंशनभोगियों / पारिवारिक पेंशनभोगियों द्वारा डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के एनआईसी और यूआईडीएआई के साथ मिलकर यूआईडीएआई आधार सॉफ्टवेयर पर एक चेहरा-प्रमाणीकरण प्रौद्योगिकी-आधारित प्रणाली विकसित की है। इस सुविधा के तहत चेहरा पहचान तकनीक के जरिए किसी भी व्यक्ति की पहचान पुख्ता की जाएगी और तब किसी भी एंड्रॉइड स्मार्ट फोन से जीवन प्रमाण पत्र जमा करना संभव होगा। राज्य मंत्री (पीपी) ने 29.11.2021 को इस सुविधा का शुभारंभ किया। चेहरा पहचान तकनीक के माध्यम से डीएलसी एक सफल तकनीक है जो पेंशनभोगियों की बाहरी बायो-मीट्रिक उपकरणों पर निर्भरता को कम करेगी और प्रक्रिया को अधिक सुलभ और किफायती बनाएगी। इस प्रकार यह तकनीक सभी पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए जीवनयापन में आसानी सुनिश्चित करेगी।

2. पेंशन नियमों की समीक्षा और सुसंगतीकरण – सेंट्रल सिविल सेवा (सीसीएस) (पेंशन) नियम, 2021 पर पुस्तक का विमोचन

  • 01.01.2004 से पहले नियुक्त सिविल सरकारी कर्मचारियों के संदर्भ में पेंशन, पारिवारिक पेंशन और ग्रेच्युटी केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों द्वारा विनियमित होते हैं।
  • इससे पहले के पेंशन नियम 50 साल पहले 1972 में अधिसूचित किए गए थे। तब से, सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 में कई संशोधन किए जा चुके हैं।
  • इन नियमों के विभिन्न प्रावधानों की व्याख्या और स्पष्टीकरण के संबंध में समय-समय पर कई कार्यालय ज्ञापन आदि भी जारी किए गए हैं। चूंकि ऐसे निर्देश और स्पष्टीकरण सांविधिक नियमों का हिस्सा नहीं थे, इसलिए मंत्रालयों/विभागों द्वारा उनके कार्यान्वयन में एकरूपता लाने के लिए उन्हें नियमों में शामिल करने की आवश्यकता थी।
  • सचिवों के क्षेत्रीय समूह-9 (एसजीओएस-9) को पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा की जाने वाली रणनीतिक पहलों के तहत पेंशन नियमों की समीक्षा और सुसंगतीकरण का कार्य दे दिया गया। इन रणनीतिक पहलों की निगरानी कैबिनेट सचिवालय/पीएमओ द्वारा की जा रही है। तदनुसार, विभाग ने पेंशन नियमों का एक संशोधित और अद्यतन संस्करण अर्थात सिविल सेवा (सीसीएस) (पेंशन) नियम, 2021 जारी किया है।
  • विभाग ने एक ऑनलाइन पेंशन स्वीकृति और ट्रैकिंग प्रणाली 'भविष्य' विकसित की है। इस प्रणाली से पेंशन मामलों के निपटारे में में तेजी, सटीकता और जवाबदेही आई है। नए नियमों की एक खास विशेषता यह है कि इसने पेंशन मामलों के निपटारे का काम 'भविष्य' के माध्यम से करना अनिवार्य कर दिया है।
  • सीसीएस (पेंशन) नियम, 1972 की तुलना में सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 में किए गए अन्य महत्वपूर्ण नीति और प्रक्रियात्मक सुधार निम्नानुसार हैं:

 

नीति में सुधार

  • छुट्टी के दौरान अर्जित वेतनवृद्धि, जो वास्तव में प्राप्त नहीं की गई है, पेंशन / पारिवारिक पेंशन /ग्रेच्युटी के लिए आय के रूप में गिनी जाएगी, चाहे छुट्टी की अवधि और प्रकार कुछ भी हो।
  • सेवानिवृत्ति के बाद वेतन में पूर्वव्यापी अनुमानित वृद्धि (न्यायालय के आदेश, डीपीसी समीक्षा आदि के कारण) का लाभ पेंशन/ग्रेच्युटी के लिए उपलब्ध होगा।
  • बर्खास्तगी/हटाने के मामले में अनुकम्पा भत्ता प्रदान करने के प्रश्न पर फैसला लेने के लिए तीन माह की समय-सीमा निर्धारित की गई है। बर्खास्तगी/हटाने के पुराने मामलों में अनुकंपा भत्ता पर भी फैसला छह माह के भीतर लेना होगा।
  • तीस वर्ष की सेवा के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के प्रावधान को अनावश्यक होने के कारण हटा दिया गया है।
  • स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के नोटिस को वापस लेने के लिए अनुरोध सेवानिवृत्ति की निर्धारित तिथि से कम से कम 15 दिन पहले करना होगा, ताकि सक्षम अधिकारी को अनुरोध पर निर्णय लेने के लिए पर्याप्त समय दिया जा सके।
  • पेंशन/पारिवारिक पेंशन/ग्रेच्युटी के भुगतान में देरी के मामले में ब्याज के भुगतान और जिम्मेदारी तय करने का प्रावधान किया गया है।
  • संयुक्त राष्ट्र निकायों आदि में प्रतिनियुक्त सरकारी कर्मचारी के पास पेंशन अंशदान का भुगतान करने या न करने का विकल्प होगा। पेंशन योगदान का भुगतान करने पर ही सेवा को पेंशन और ग्रेच्युटी के लिए गिना जाएगा।
  • दिव्यांग बच्चों/भाई-बहनों को सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी पर निर्भर माना जाएगा और तदनुसार वे पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र होंगे, यदि उनकी आय तय पारिवारिक पेंशन और महंगाई राहत को मिलाकर कुल राशि से कम है।
  • एक तलाकशुदा बेटी, जिसके मामले में उसके माता-पिता की मृत्यु के बाद तलाक का आदेश जारी किया गया है, तो वह पारिवारिक पेंशन के लिए पात्र होगी बशर्ते तलाक की याचिका उसके माता-पिता की मृत्यु से पहले दायर की गई हो।
  • ऐसे मामलों में जिसमें एक सरकारी कर्मचारी की मौत किसी ऐसे दंड की अवधि के दौरान हो जाती है, जिसका प्रभाव उसके वेतन को केवल उस दंड की अवधि के दौरान कम करने का होता है तो पारिवारिक पेंशन की गणना इस तरह के दंड के प्रभाव की अनदेखी करते हुए अनुमानित वेतन के आधार पर की जाएगी।
  • यदि पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने के लिए किसी पात्र व्यक्ति (जैसे पति/पत्नी) पर सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी की हत्या के अपराध का आरोप लगाया जाता है, तो उस व्यक्ति को आपराधिक कानूनी कार्यवाही समाप्त होने तक पारिवारिक पेंशन का भुगतान नहीं किया जाएगा। इसके बदले पारिवारिक पेंशन परिवार के अन्य पात्र सदस्य (जैसे बच्चा) को भुगतान किया जाएगा।
  • सेवा के दौरान किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर परिवार के सदस्यों को सरकारी आवास के लिए कोई बकाया लाइसेंस शुल्क और अगले तीन महीने तक की अवधि के लिए किसी लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी।

प्रक्रियात्मक सुधार

  • पेंशन मामलों को ऑनलाइन पेंशन स्वीकृति और ट्रैकिंग प्रणाली- 'भविष्य', के माध्यम से ही निपटाना अनिवार्य होगा।
  • सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति/मौत पर पीपीओ के शीघ्र जारी होने को सुनिश्चित करने के लिए एचओओ और पीएओ द्वारा पेंशन/पारिवारिक पेंशन मामलों के निपटारे के लिए समय-सीमा को सुव्यवस्थित/तर्कसंगत बनाया गया है।
  • पेंशन स्वीकृति/भुगतान प्रक्रिया में सीपीएओ और पेंशन वितरण प्राधिकरणों/बैंकों की भूमिकाओं को नियमों में दर्शाया गया है और उनके लिए समय-सीमा प्रदान की गई है।
  • यदि कोई सरकारी कर्मचारी किसी शारीरिक या मानसिक दुर्बलता के कारण फार्म नहीं भर पाता है या सरकारी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति के बाद लेकिन पेंशन के कागजात दाखिल करने से पहले मृत्यु हो जाती है, तो पति/पत्नी/परिवार के सदस्य को पेंशन के कागजात जमा करने की अनुमति दी जाएगी।
  • पीएओ के पास पेंशन मामले को भेजे जाने की प्रतीक्षा किए बिना मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ पारिवारिक पेंशन के लिए दावा प्रस्तुत करने पर अल्पकालीन पारिवारिक पेंशन तुरंत स्वीकृत की जाएगी।
  • गुमशुदा सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी के परिवार को पारिवारिक पेंशन एवं अन्य लाभों की स्वीकृति एवं भुगतान के लिए नियमों में विस्तृत प्रावधान शामिल किए गए हैं।
  • अब तक मंत्रालय/विभाग सरकार द्वारा अधिसूचित नियमों को लेकर स्वामी के प्रकाशनों पर निर्भर थे। विभाग ने पहली बार केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 पर अपनी स्वयं की पुस्तिका निकाली है।

3. भविष्य (डीओपीपीडब्ल्यू द्वारा विकसित पेंशन स्वीकृति और भुगतान के लिए एक ऑनलाइन ट्रैकिंग प्रणाली) संबंधित सुधार

  • 'भविष्य' प्लेटफॉर्म, जो एक एकीकृत ऑनलाइन पेंशन निपटान प्रणाली है, को केंद्र सरकार के सभी विभागों के लिए 01.01.2017 से अनिवार्य कर दिया गया है।
  • यह 'भविष्य' प्रणाली अभी 812 संबद्ध कार्यालयों सहित 96 मंत्रालयों/विभागों के मुख्य सचिवालय में सफलतापूर्वक काम कर रही है। अब-तक कुल 1,34,856 मामलों का निपटारा किया जा चुका है अर्थात पीपीओ जारी किए गए हैं जिसमें 55,000 से अधिक ईपीपीओ शामिल हैं।
  • यह 'भविष्य' प्रणाली अब एक मोबाइल ऐप पर उपलब्ध करा दी गई है। इससे विशेष रूप से अर्धसैनिक बलों को अपने पेंशन मामलों पर नज़र रखना आसान हो गया है।
  • भविष्य 8.0 को डिजिलॉकर में ईपीपीओ को भेजने  की नई सुविधा के साथ अगस्त, 2020 में जारी किया गया था। भविष्य' डिजिलॉकर की डिजिलॉकर आईडी आधारित पुश तकनीक का उपयोग करने वाला पहला एप्लिकेशन है।
  • "भविष्य" सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ई-पीपीओ प्राप्त करने के लिए अपने डिजिलॉकर खाते को "भविष्य" से जोड़ने का विकल्प प्रदान करता है। इस पहल ने डिजिलॉकर में पेंशनभोगियों के पीपीओ को सुरक्षित रखने का एक स्थायी रिकॉर्ड बनाया है। इसने नए पेंशनभोगियों को पीपीओ अग्रेषित करने में देरी और इसकी भौतिक प्रति सौंपने की आवश्यकता को खत्म कर दिया है।

4. दिव्यांगजनों को सक्षम बनाने के संबंध में उपलब्धियां

दिव्यांगता से पीड़ित बच्चा पहले पारिवारिक पेंशन के लिए तभी पात्र होता था, जब पारिवारिक पेंशन के अलावा अन्य स्रोतों से उसकी आय न्यूनतम पारिवारिक पेंशन (अर्थात रु. 9000/- प्रति माह) और उस पर स्वीकार्य मंहगाई राहत से कम हो। इससे दिव्यांग बच्चों को परेशानी हो रही थी। दिव्यांग बच्चे की विशेष जरूरतों को ध्यान में रखते हुए दिनांक 8.2.2021 को आदेश जारी किया गया थे कि मृत सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी का मानसिक या शारीरिक रूप से दिव्यांग बच्चा आजीवन पारिवारिक पेंशन का पात्र होगा, यदि पारिवारिक पेंशन के अलावा अन्य स्रोतों से उसकी कुल आय सामान्य दर पर तय पारिवारिक पेंशन और संबंधित सरकारी कर्मचारी/पेंशनभोगी की मृत्यु पर देय महंगाई राहत से कम है। इस प्रावधान को केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 में भी शामिल किया गया है।

यदि कोई कर्मचारी ड्यूटी के दौरान चोट या बीमारी के कारण दिव्यांग हो जाता है और ऐसी अक्षमता के बावजूद वह सरकारी सेवा में बना रहता है, तो उसे दिव्यांगता पेंशन के दिव्यांगता तत्व के आधार पर एकमुश्त मुआवजा दिया जाता है। हालांकि, यह लाभ एनपीएस कर्मचारियों के लिए उपलब्ध नहीं था। लेकिन, अब एनपीएस कर्मचारियों को भी एकमुश्त मुआवजे का लाभ देने के लिए ओ.एम. 1.1.2021 के माध्यम से आदेश जारी किए गए हैं बशर्ते वे ड्यूटी करने के दौरान दिव्यांग हुए हों और ऐसी अक्षमता के बावजूद सरकारी सेवा में बने रहे हों।

5. सीपीईएनजीआरएएमएस (केंद्रीकृत पेंशन शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली) से संबंधित उपलब्धियां:

  • पेंशनभोगियों के लिए 20 जून, 2019 को एक एकीकृत शिकायत प्रकोष्ठ और कॉल सेंटर का उद्घाटन किया गया ताकि वे टोल-फ्री नंबर 1800-11-1960 पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज करा सकें।
  • इस विभाग ने 6.08.2021 को जारी ओ.एम. के जरिए सभी मंत्रालयों/विभागों को एक जवाबदेही तंत्र स्थापित करने और बिना उचित गुणात्मक कार्रवाई के शिकायतों का संक्षेप में निपटारा करने वाले अधिकारी को जवाबदेह  बनाने के लिए एक एडवाइजारी जारी की थी। इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देशों पर दिनांक 6.08.2021 को जारी ओ.एम में फिर से जोर दिया गया है।
  • लंबे समय से लंबित पड़ी शिकायतों को लेकर जनवरी 2021 से दिसंबर 2021 तक करीब 35 विभागों के साथ 7 वीसी बैठकें हो चुकी हैं। लंबे समय से लंबित शिकायतों की वर्ष-वार स्थिति निम्नानुसार है:

6. डिजिटल पेंशन अदालत से संबंधित सुधार

  • विभाग की पहली पेंशन अदालत 20 सितंबर, 2017 को आयोजित की गई थी। अदालत में उठाई गई 29 शिकायतों में से 26 का समाधान किया गया।
  • दूसरी पेंशन अदालत 9 फरवरी, 2018 को लगाई गई। अदालत में उठाई गई 34 शिकायतों में से 30 का समाधान किया गया।
  • अखिल भारतीय पेंशन अदालत - 2018: 18 सितंबर, 2018 को एक अखिल भारतीय पेंशन अदालत, जिसमें सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के साथ-साथ रक्षा, रेलवे, दूरसंचार और डाक जैसे गैर-सिविल मंत्रालयों सहित पूरे देश में मंत्रालयों / विभागों में पेंशन अदालतें आयोजित की गईं। राज्यों के मुख्य सचिवों को भी अखिल भारतीय सेवा पेंशनभोगियों के लिए अदालतें आयोजित करने के लिए कहा गया जो इस मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। सूचना के अनुसार, इन पेंशन अदालतों में 12,849 मामलों को निराकरण के लिए लिया गया। केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों/संगठनों से संबंधित 9,368 (73%) शिकायतों का समाधान किया गया। इसके अलावा, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने भी अखिल भारतीय सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारियों के लिए पेंशन अदालत आयोजित की जिसमें उसी दिन 1614 शिकायतों का निपटारा किया गया। यह देश में अब तक किए गए सबसे बड़े पेंशनभोगी शिकायत समाधान प्रयासों में से एक था।
  • डीओपीपीडब्ल्यू द्वारा दिनांक 23.08.2019 को अखिल भारतीय पेंशन अदालत का आयोजन देश भर के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को शामिल करके किया गया था। एक ही दिन में लगभग 4,000 पेंशनभोगियों के मामलों का निपटान किया गया।
  • पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने 29 फरवरी, 2020 को पहली बार दिल्ली के बाहर जम्मू में एक क्षेत्रीय पेंशन अदालत का आयोजन किया। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) सहित केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के पेंशनभोगियों से संबंधित 342 शॉर्टलिस्ट किए गए मामलों में से 320 मामलों को मौजूदा नियमों के अनुसार निपटाया गया।
  • प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दिसंबर 2020/जनवरी 2021 में पहली बार ऑनलाइन अखिल भारतीय पेंशन अदालत का आयोजन किया गया। इस पहल में भाग लेने वाले विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा 3643 मामलों में से 2540 मामलों का मौके पर समाधान किया गया।

7. प्रक्रियात्मक सुधारों से संबंधित उपलब्धियां:

  • सभी मामलों में सेवानिवृत्ति बकाया का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए दिनांक 09.03.2021 को निर्देश जारी किए गए हैं कि सीसीएस (पेंशन) नियमों के तहत निर्धारित समय-सीमा का कड़ाई से पालन किया जाए ताकि पेंशन मामलों के निपटान और अन्य सेवानिवृत्ति देय राशि के साथ सेवानिवृत्ति के समय पेंशनभोगी को पीपीओ की प्रति सौंपी जा सके।
  • बैंक के माध्यम से नियमित पारिवारिक पेंशन का संवितरण, सरकारी कर्मचारी की मृत्यु पर परिवार के अन्य अधिकारों का भुगतान और पारिवारिक पेंशन का दावा प्राप्त होने के एक महीने के भीतर बैंक द्वारा पारिवारिक पेंशन का वितरण और पारिवारिक पेंशन के लिए पीपीओ जारी करना सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर एक साथ काम करने के लिए 03.06.2021 को निर्देश जारी किए गए हैं।
  • दिनांक 16.06.2021 को निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें मृतक पेंशनभोगी को जारी किए गए पीपीओ में पति/पत्नी/परिवार के सदस्य, जिनका भी नाम शामिल है, द्वारा बैंक में जमा किए जाने वाले दस्तावेजों/विवरणों के बारे में बताया गया है। पेंशन वितरण करने वाले बैंकों के सीएमडी/सीपीपीसी को सलाह दी गई है कि वे पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदकों से केवल न्यूनतम आवश्यक विवरण/दस्तावेज की ही मांग करें और यह सुनिश्चित करें कि परिवार के सदस्यों (आवेदक के अलावा) के विवरण जैसे अनावश्यक विवरण और दस्तावेज, जो बैंक द्वारा पारिवारिक पेंशन शुरू करने के लिए प्रासंगिक नहीं हैं, मांगकर उन्हें किसी भी तरह का उत्पीड़न का शिकार नहीं होने दें।

8. राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस)

  • राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) एक अंशदान आधारित पेंशन योजना है जिसे आर्थिक मामलों के विभाग की दिनांक 22.12.2003 को जारी अधिसूचना के माध्यम से शुरू की गई थी। 1.1.2004 को या उसके बाद कार्यभार ग्रहण करने वाले सरकारी कर्मचारियों को नई योजना के अंतर्गत अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। हालांकि, एनपीएस कर्मचारियों के सेवा मामलों से संबंधित नियम लागू नहीं थे। सचिव पेंशन की अध्यक्षता में एक समिति की सिफारिशों के आधार पर, सीसीएस (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली का कार्यान्वयन) नियम, 2021 को 30.03.2021 को अधिसूचित किया गया है। इन नियमों में एनपीएस के तहत कर्मचारियों के पंजीकरण के लिए प्रक्रिया और समयसीमा, योगदान की दरें, योगदान के देर से क्रेडिट होने पर ब्याज का भुगतान, सेवानिवृत्ति/कर्मचारियों के बाहर निकलने पर कार्रवाई, अनुशासनात्मक मामलों में कार्रवाई, मृत्यु या दिव्यांगता, आदि मामले में पुरानी पेंशन योजना के लागू होने का विकल्प है।
  • डीओपीपीडब्ल्यू ने 24.09.2021 को एनपीएस के तहत शामिल किए गए केंद्र सरकार के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी और मृत्यु ग्रेच्युटी को विनियमित करने के लिए केंद्रीय सिविल सेवा (एनपीएस के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है।

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एएम / एके



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