वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग की वर्षात समीक्षा-2021
जीडीपी वृद्धि दर के चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 20.1 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत ऊपर आने के साथ अर्थव्यवस्था ने सुधार के संकेत देना आरंभ कर दिया
ई-वे बिल, रेल माल भाड़ा, बंदरगाह ट्रैफिक, जीएसटी संग्रह तथा बिजली उपभोग जैसे कई उच्च बारंबारता वाले संकेतकों ने वी-आकार का सुधार प्रदर्शित किया
आईआईपी और आईसीआई के रुझानों से औद्योगिक उत्पादन के पुनरुद्धार का संकेत मिला
अप्रैल-अक्टूबर, 2021 के दौरान आईआईपी में 20 प्रतिशत का उछाल आया जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान इसमें -17.3 प्रतिशत का संकुचन देखा गया था, समान अवधि के दौरान हुई भारी गिरावट के मुकाबले खनन, विनिर्माण तथा बिजली क्षेत्रों ने दो अंकों की वृद्धि दर्ज कराई
भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने तथा भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए पीएलआई योजनाएं लागू की गईं
14 प्रमुख सेक्टरों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये (26 बिलियन डॉलर) के परिव्यय के साथ पीएलआई योजनाएं लागू की गईं
एफडीआई नीति को और उदार बनाया गया - ऑटोमैटिक रूट के तहत बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की गई तथा पीएनजी एवं दूरसंचार क्षेत्रों में 100 प्रतिशत तक की गई
भारत ने 2020-21 में अब-तक की सर्वाधिक 81.97 बिलियन डॉलर की वार्षिक एफडीआई आवक दर्ज कराई
अवसंरचना विकास के लिए एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान पीएम गति शक्ति लॉन्च की गई
2021 में स्टार्ट अप्स ने लगभग 2 लाख रोजगारों का सृजन किया जो चार वर्षों में सर्वाधिक है
विनियामकीय अनुमोदनों के लिए एक वन स्टॉप प्रणाली -नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) लॉन्च की गई
डीपीआईआईटी ने 1 जनवरी, 2021 को विनियामकीय अनुमोदन पोर्टल लॉन्च किया, 25,000 से अधिक अनुमोदनों में कमी आई
Posted On:
29 DEC 2021 6:50PM by PIB Delhi
भूमिका
- कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2020 में उथल-पुथल देखी गई जो आर्थिक विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा बन कर उभरा। भारतीय अर्थव्यवस्था ने वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में 24.4 प्रतिशत की तेज गिरावट तथा दूसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत की कमी दर्ज कराई।
- कोविड महामारी से संबंधित चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिए, 29.87 लाख करोड़ रुपये के बराबर के आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा के अतिरिक्त सरकार द्वारा कई सारे उपाय किए गए जिससे कि आर्थिक स्थिति में सुधार आ सके। अर्थव्यवस्था तथा आजीविका की सहायता करने के लिए लक्षित युक्तियां की गईं। इसके अतिरिक्त, संरचनागत सुधारों की गति में तेजी लाई गई।
- निवेश को सुगम बनाने, अनुपालन बोझ में कमी लाने और मंजूरी प्रदान करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम के लिए आत्मनिर्भर पैकेज के तहत आरंभ किए गए प्रमुख सुधारों में एमएसएमई ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी, क्षेत्रवार संरचनागत सुधार, सीपीएसई के रणनीतिक विनिवेश पर नीति, सार्वजनिक खरीद में सुधार, निवेश को सुगम बनाने के लिए सचिवों के अधिकारसंपन्न समूह तथा परियोजना विकास प्रकोष्ठों का गठन शामिल हैं।
- आरंभ किए गए संरचनागत सुधारों के अतिरिक्त, इन उपायों ने अर्थव्यवस्था को उसके आरंभिक पुनरोत्थान में सहायता की है। कोरोना महामारी के पहले भारत एन-95, पीपीई किट्स, वेंटिलेटरों आदि का निर्माण नहीं कर रहा था, पर अब उसने इन सभी का उत्पादन करना आरंभ कर दिया और यहां तक कि विश्व के बाजारों को भी इसकी आपूर्ति शुरु कर दी तथा आत्मनिर्भर बन गया। सरकार ने जनवरी, 2021 में टीकाकरण अभियान आरंभ किया और कोविड महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में स्वदेशी रूप से कोवैक्सीन टीके का विकास किया। आज की तारीख तक भारत में पहले ही 143 करोड़ से अधिक कोविड टीके लगाये जा चुके हैं। इसने न केवल लोगों की जानें बचाई हैं बल्कि अर्थव्यवस्था के आरंभिक पुनरोद्धार की गति भी बढ़ा दी है।
- अर्थव्यवस्था ने 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर में 20.1 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत ऊपर आने के साथ सुधार के संकेत देना आरंभ कर दिया है। ई-वे बिल, रेल माल भाड़ा, बंदरगाह ट्रैफिक, जीएसटी संग्रह तथा बिजली उपभोग जैसे कई उच्च बारंबारता वाले संकेतकों ने वी-आकार का सुधार प्रदर्शित किया है।
ii. औद्योगिक प्रदर्शन
- वर्ष 2020-21 के दौरान औद्योगिक क्षेत्र के प्रदर्शन में उल्लेखनीय रूप से -8.4 प्रतिशत तक की गिरावट आई जो मुख्य रूप से मार्च 2020 के बाद से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर कोविड-19 महामारी द्वारा उत्पन्न प्रभाव को सीमित करने के लिए सरकार द्वारा उद्योगों की राष्ट्रव्यापी बंदी के कारण, आई थी। खनन और विनिर्माण क्षेत्रों पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ा था जिनमें क्रमशः -7.8 प्रतिशत तथा -9.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी जबकि विद्युत उत्पादन क्षेत्र में -0.5 प्रतिशत की कमी आई थी।
- अप्रैल-अक्टूबर, 2020 के लिए औद्योगिक उत्पादन के संचयी सूचकांक में 17.3 प्रतिशत की गिरावट आई। बहरहाल, टीकाकरण और संरचनागत सुधारों तथा भारतीय उद्योगों की अनुकूलता सहित सरकार द्वारा उठाये गए विभिन्न कदमों ने अर्थव्यवस्था के आरंभिक पुनरोत्थान में सहायता की है जिससे 2021 की समान अवधि के दौरान आईआईपी में 20.0 प्रतिशत की उछाल देखी गई। इसी प्रकार, खनन, विनिर्माण और विद्युत क्षेत्रों ने भी समान अवधि के दौरान क्रमशः 20.4 प्रतिशत, 21.2 प्रतिशत तथा 11.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कराई है।
iii. आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि में रुझान
- आठ बुनियादी उद्योगों (आईसीआई) का सूचकांक आठ कोर उद्योगों अर्थात कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली के प्रदर्शन की माप करता है। आईसीआई में शामिल उद्योग औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक (आईआईपी) में 40.27 प्रतिशत भार रखते हैं।
- वर्ष 2020-21 के दौरान, आईसीआई की वृद्धि दर पिछले तीन वर्षों अर्थात 2017-18 से 2019-20 के दौरान 3.0 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर की तुलना में -6.4 प्रतिशत रही। चालू वित्त वर्ष (अप्रैल से अक्टूबर 2021-22) के दौरान वृद्धि दर मजबूत अर्थात 15.1 प्रतिशत रही है। आठ कोर क्षेत्रों में से, छह ने दो अंकों की बढ़ोतरी प्रदर्शित की है जिसमें सीमेंट और इस्पात क्षेत्रों ने क्रमशः 33.6 प्रतिशत तथा 28.6 प्रतिशत की वृद्धि दरों के साथ इस समूह में अपनी बढ़त प्रदर्शित की। हालांकि, समान अवधि अर्थात (अप्रैल से अक्टूबर 2021-22) के दौरान कच्चा तेल और उर्वरक क्षेत्रों की वृद्धि हल्की बनी रही। ये बुनियादी क्षेत्रों के पुनरोत्थान को प्रदर्शित करते हैं।
iv. डीपीआईआईटी ‘विश्व के लिए मेक इन इंडिया’ बनाने के क्षेत्र में कई पहल करने में अग्रणी रहा है। इस संबंध में उठाये गए प्रमुख कदम निम्नलिखित हैं:
उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन स्कीम:
- ‘आत्मनिर्भर’ बनने के भारत के विजन तथा भारत की विनिर्माण क्षमताओं तथा निर्यातों में बढोतरी करने को ध्यान में रखते हुए, वित्त वर्ष 2021-22 से आरंभ करके विनिर्माण के 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए पीएलआई स्कीम के लिए आम बजट 2021-22 में 1.97 लाख करोड़ रुपये ( 26 बिलियन डॉलर) के एक परिव्यय की घोषणा की गई है। इन 14 सेक्टरों के नाम हैं: ( i ) ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कंपोनेंट, ( ii ) फार्मास्यूटिकल्स ड्रग्स, ( iii) स्पेशियलिटी स्टील, ( iv ) दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पाद, ( v ) इलेक्ट्रोनिक/प्रौद्योगिकी उत्पाद, ( vi ) व्हाइट गुड्स (एसी एवं एलईडी लाइट्स), ( vii ) खाद्य उत्पाद, ( viii ) कपड़ा उत्पाद: एमएमएफ सेगमेंट एवं टेक्निकल टेक्सटाइल, ( ix ) उच्च प्रभावशीलता सोलर पीवी मोड्यूल ( x ) एडवांस्ड कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी, ( xi ) मेडिकल डिवाइस, ( xii ) मोबाइल फोन सहित व्यापक पैमाने वाले इलेक्ट्रोनिक मैन्यूफैक्चरिंग, ( xiii ) क्रिटिकल की स्टार्टिंग मैटेरियल्स/ड्रग इंटरमीडियरीज और एपीआई एवं ( xiv ) ड्रोन एवं ड्रोन कंपोनेंट।
- सभी पीएलआई स्कीमों के लिए दिशानिर्देश पहले ही जारी कर दिए गए हैं और अधिकांश स्कीमों के लिए आवेदन भी प्राप्त हो गए है।
- जहां डीपीआईआईटी पीएलआई स्कीमों के लिए समग्र समन्वयन कर रहा है, व्हाइट गुड्स (एसी एवं एलईडी लाइट्स) के लिए पीएलआई स्कीम के लिए यह नोडल विभाग है जिसका परिव्यय 6238 करोड़ रुपये है। स्कीम के दिशानिर्देश 4 जून, 2021 को प्रकाशित हुए थे। 4,614 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के साथ 42 आवेदकों का इस पीएलआई स्कीम के लिए लाभार्थियों के रूप में अंतरिम रूप से चयन किया गया है। चयन किए गए आवेदकों में से 3,898 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के साथ एयर कंडीशनर विनिर्माण के लिए 26 तथा 716 करोड़ रुपये के प्रतिबद्ध निवेश के साथ एलईडी लाइट्स विनिर्माण के लिए 16 आवेदक शामिल हैं।
पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (एनएमपी):
- प्रधानमंत्री ने 13 अक्टूबर, 2021 को अवसंरचना विकास के लिए एक राष्ट्रीय मास्टर प्लान गति शक्ति लॉन्च की। गति शक्ति एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो रेलवे तथा सड़क मार्ग सहित 16 मंत्रालयों को समेकित योजना निर्माण और अवसंरचना कनेक्टिविटी कार्यान्वयन के लिए एक साथ लाएगा।
- पीएम गति शक्ति का उद्वेश्य प्रमुख अवसंरचना परियोजनाओं के लिए हितधारकों के लिए समग्र योजना निर्माण को संस्थागत बनाने के माध्यम से पिछले मुद्दों का समाधान करना है। अलग-अलग योजना निर्माण करने तथा डिजाइन करने की जगह, परियोजनाओं की रूपरेखा साझा विजन के साथ बनाई जाएगी तथा उन्हें निष्पादित किया जाएगा। यह भारतमाला, सागरमाला, अंतर्देशीय जलमार्गों, सूखे/ भूमि बंदरगाहों, उड़ान आदि जैसी विभिन्न मंत्रालयों तथा राज्य सरकारों की अवसंरचना स्कीमों को शामिल करेगी। कनेक्टिविटी में सुधार लाने तथा भारतीय कंपनियों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए टेक्सटाइल क्लस्टरों, फार्मास्यूटिकल क्लस्टरों, रक्षा गलियारों, इलेक्ट्रोनिक पार्कों, औद्योगिक गलियारों, फिशिंग क्लस्टरों, एग्री जोन जैसे आर्थिक जोनों को शामिल किया जाएगा। यह बीआईएसएजी-एन (भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीच्यूट फॉर स्पेस ऐप्लीकेशंस एंड जियोइनफॉर्मिटक्स) द्वारा विकसित इसरो इमेजरी के साथ स्थानिक प्लानिंग टूल्स सहित प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से लाभ उठाएगा।
स्टार्ट अप इंडिया प्रोग्राम:
- स्टार्ट अप इंडिया पहल प्रधानमंत्री द्वारा 16 जनवरी 2016 को भारत सरकार की एक प्रमुख पहल के रूप में आरंभ की गई थी। इस पहल का उद्देश्य भारत की स्टार्ट अप संस्कृति के पोषण के लिए एक अधिक मजबूत परितंत्र का निर्माण करना था जो हमारे आर्थिक विकास को और आगे बढ़ाएगा, उद्यमिता की सहायता करेगा और बड़े पैमाने पर रोजगार अवसरों का सृजन करेगा। 60,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्ट अप्स के साथ, भारत रोजगारपरकता को सहयोग देते हुए तथा हमारी आत्मनिर्भरता को बढ़ाते हुए तीसरे सबसे बड़े स्टार्ट अप परितंत्र में रूपांतरित हो गया है। स्टार्ट अप इंडिया की भूमिका श्रेणी 1 शहरों से आगे निकल कर उद्यमशीलता का पोषण करने में अहम रही है। राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के प्रयासों के माध्यम से क्षेत्रीय विकास ने हमारे आर्थिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रीय परितंत्र का सृजन किया है। जहां हमारे 55 प्रतिशत मान्यता प्राप्त स्टार्ट अप्स श्रेणी 1 शहरों से हैं तथा 45 प्रतिशत मान्यता प्राप्त स्टार्ट अप्स क्रमशः श्रेणी 2 एवं 3 शहरों से हैं, 45 प्रतिशत स्टार्ट अप्स का प्रतिनिधित्व महिला उद्यमी करती हैं। यह तथ्य प्रदर्शित करता है कि देश में स्टार्ट अप्स की जड़ें काफी गहरी जम चुकी हैं। मान्यता प्राप्त स्टार्ट अप्स ने श्रेणी 2 एवं श्रेणी 3 शहरों में गहरी पैठ बना ली है।
- स्टार्ट अप्स नीतियों के निर्माण के साथ स्टार्ट अप्स अब कुल 30 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के 633 जिलों में फैल चुकी हैं। डीपीआईआईटी द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट अप्स ने 2021 में लगभग 2 लाख रोजगारों के सृजन की रिपोर्ट की है जो चार वर्षों में सर्वाधिक है। स्टार्ट अप इंडिया पहल के आरंभ होने के बाद से कुल मिला कर, अब तक 6.5 लाख से अधिक रोजगारों का सृजन किया जा चुका है।
- स्टार्ट अप्स के लिए फंडों का फंड (एफएफएस) के तहत, 80 वैकल्पिक निवेश फंडों (एआईएफ) के लिए 6,495 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता की जा चुकी है तथा 540 स्टार्ट अप्स में समर्थित एआईएफ द्वारा 8,085 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है। स्टार्ट अप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) के लिए, 58 इनक्यूबेटरों का चयन किया गया है तथा स्कीम के तहत अनुदान के रूप में 232.75 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है।
निवेश संवर्धन
i. निवेश मंजूरी प्रकोष्ठ:
आम बजट 2020-21 प्रस्तुत करते हुए, केंद्रीय वित्त मंत्री ने एक निवेश मंजूरी प्रकोष्ठ (आईसीसी) के गठन की योजनाओं की घोषणा की थी जो निवेश-पूर्व परामर्श, सहित निवेशकों को ‘समग्र’ सुविधा तथा सहायता उपलब्ध कराएगा, भूमि बैंकों से संबंधित सूचना उपलब्ध कराएगा तथा केंद्र और राज्य स्तर पर मंजूरियों को सुगम बनाएगा। प्रस्ताव रखा गया कि यह प्रकोष्ठ एक ऑनलाइन डिजिटल पोर्टल के माध्यम से प्रचालन करेगा।
इसके बाद, डीपीआईआईटी ने इनवेस्ट इंडिया के साथ मिल कर एक नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) के रूप में पोर्टल को विकसित करने की प्रक्रिया आरंभ की। देश में सभी नियामकीय मंजूरियों और सेवाओं के लिए वन स्टाप के रूप में परिकल्पित एनएसडब्ल्यूएस [www.nsws.gov.in] को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने 22 सितंबर, 2021 को सॉफ्ट रूप से लॉन्च किया।
यह राष्ट्रीय पोर्टल भारत सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की विद्यमान मंजूरी प्रणालियों को बिना मंत्रालयों/विभागों के वर्तमान आईटी पोर्टलों को बाधित किए एकीकृत करता है। 18 मंत्रालयों/विभागों तथा 10 राज्य सिंगल विंडो प्रणालियों की मंजूरियों को पहले चरण में ऑन-बोर्ड किया जा चुका है। 32 केंद्रीय विभागों तथा 14 राज्यों की पूरी ऑन बोर्डिंग अगले चरणों में संपन्न हो जाएगी, शेष सभी राज्य चरणबद्ध तरीके से ऑन-बोर्ड कर दिए जाएंगे।
ii. व्यवसाय करने की सुगमता:
डीपीआईआईटी तीन प्रमुख पहलों-विश्व बैंक की व्यवसाय करने की सुगमता, राज्य और जिला सुधार कार्य योजना तथा कंपनियों पर नियामकीय अनुपालन बोझों को कम करने के लिए प्रणालीगत दृष्टिकोण पर फोकस करते हुए देश में व्यवसाय करने की सुगमता में सुधार लाने का निरंतर प्रयास कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप, विश्व बैंक की ईओडीबी रिपोर्ट के अनुसार, भारत की रैंक 2014 के 142 से सुधर कर 2020 में 63 हो गई।
केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों तथा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अनुपालन के बड़े डाटाबेस की निगरानी के लिए, डीपीआईआईटी ने 1 जनवरी, 2021 को नियामकीय अनुपालन पोर्टल (https://eodbrcp.dpiit.gov.in/) लॉन्च किया। नियामकीय अनुपालन पोर्टल पर अपलोड किए गए डाटा के आधार पर, केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों तथा राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल मिला कर 25,000 से अधिक अनुपालनों में कमी कर दी गई है।
डीपीआईआईटी ने कटौती करने के लिए पेसो, बायलर, आईपीआर, एनईआईडीएस, औद्योगिक लाइसेंसीकरण से संबंधित 194 अनुपालनों की पहचान की। इनमें से, 134 अनुपालनों में ‘कमी’ कर दी गई है, 31 ‘समीक्षा के अधीन’ हैं तथा 29 को ‘बनाये रखा’ गया है। जिन अनुपालनों के प्रकारों में कमी गई है, वे हैं: (i) प्रमाणपत्र, लाइसेंस और अनुमति (ii) फाइलिंग (ii) निरीक्षण, परीक्षण तथा लेख परीक्षा (iv) रजिस्टर एवं रिकार्ड (v) डिस्प्ले की आवश्यकता (vi) अधिकता (vii) गैर अपराधीकरण (viii) प्रौद्योगिकी एवं (ix) अन्य
iii. परियोजना विकास प्रकोष्ठ :
केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के बीच समन्वयन में निवेश को फास्ट ट्रैक करने के लिए 29 मंत्रालयों/विभागों में परियोजना विकास प्रकोष्ठों (पीडीसी) का गठन किया गया है और इसके जरिये भारत में निवेश योग्य परियोजनाओं की पाइपलाइन बढोतरी तथा इसके फलस्वरूप घरेलू निवेश तथा एफडीआई आवक में वृद्धि हुई है।
iv. भारत औद्योगिक भूमि बैंक (आईआईएलबी):
आईआईएलबी औद्योगिक अवसंरचना -कनेक्टिविटी, अवसंरचना, प्राकृतिक संसाधन एवं भूभाग, रिक्त भूखंडों पर भूखंड स्तर सूचना, गतिविधि की रेखा और संपर्क विवरण से संबंधित सभी सूचनाओं पर एक वन स्टॉप रिपोजेटरी के रूप में डीपीआईआईटी द्वारा विकसित एक जीआईएस आधारित पोर्टल है। वर्तमान में, आईआईएलबी के पास भूमि के 5.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मानचित्रित लगभग 4500 औद्योगिक पार्क हैं जो भूमि की खोज करने वाले दूर स्थित निवेशकों के लिए एक निर्णय सहायता प्रणाली के रूप में कार्य कर रहे हैं। इस प्रणाली को 24 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों, जिनके नाम हैं: आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दादर एवं नागर हवेली तथा दमन एवं दीव, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, पुदुचेरी, सिक्किम, तमिलनाडु, त्रिपुरा, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश हैं, की उद्योग आधारित जीआईएस प्रणालियों के साथ एकीकृत कर दिया गया है तथा इसमें वास्तविक समय आधार पर 2113 जीआईएस सक्षम पार्कों के विवरण हैं। आईआईएलबी का एक मोबाइल ऐप्लीकेशन (जिसमें लाग इन की आवश्यकता नहीं है) भी निवेशक की सुगमता के लिए एंड्रायड तथा आईओएस पर उपलब्ध है।
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश
- भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाने के लिए हाल के दिनों में विभिन्न सेक्टरों में एफडीआई नीति प्रावधानों को प्रगतिशील तरीके से उदार और सरल बनाया गया है। एफडीआई नीति सुधारों पर सरकार द्वारा उठाये गए कदमों का परिणाम देश में बढ़े हुए एफडीआई के रूप में आया है जो साल दर साल नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है। 2014-15 में भारत में एफडीआई का प्रवाह 45.15 बिलियन डॉलर था और तब से इसमें निरंतर बढ़ोतरी होती रही है। 2015-16 में एफडीआई का प्रवाह बढ़कर 55.56 बिलियन डॉलर हो गया, 2016-17 में 60.22 बिलियन डॉलर हो गया, 2017-18 में 60.97 बिलियन डॉलर हो गया, 2018-19 में 62.00 बिलियन डॉलर हो गया, 2019-20 में 74.39 बिलियन डॉलर हो गया तथा वित्त वर्ष 2020-21 में भारत ने अब-तक का सर्वाधिक 81.97 बिलियन डॉलर (अनंतिम संख्या) का वार्षिक एफडीआई प्रवाह दर्ज कराया। भारत के एफडीआई के ये रुझान वैश्विक निवेशकों के बीच एक पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में इसकी स्थिति की पुष्टि करते हैं।
2021 के दौरान एफडीआई नीतिगत सुधार:
- बीमा क्षेत्र: सरकार ने ऑटोमैटिक रूट के जरिये बीमा कंपनियों में अनुमति योग्य एफडीआई सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने के लिए दिनांक 14.06.2021 को प्रेस नोट 2 (2021) जारी किया और सुरक्षा उपायों के साथ विदेशी स्वामित्व और नियंत्रण की अनुमति दी। यह लंबी अवधि की पूंजी के बढ़े प्रवाह वैश्विक प्रौद्योगिकी, प्रक्रियाओं तथा सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय प्रचलनों को सुगम बनाएगा जो भारत के बीमा क्षेत्र के विकास में सहायता करेगा।
- पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस सेक्टर: ऐसे मामलों में जहां सरकार ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस सेक्टर में शामिल सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) के रणनीतिक विनिवेश के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी प्रदान की है, ऑटोमैटिक रूट के तहत 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति देने के लिए दिनांक 29.07.2021 का प्रेस नोट 3 (2021) जारी किया गया है।
- दूरसंचार क्षेत्र : दूरसंचार सेवा क्षेत्र में ऑटोमैटिक रूट के तहत 100 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति देने के लिए दिनांक 06.10.2021 का प्रेस नोट 4 (2021) जारी किया गया है।
बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर): विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने, रचनात्मकता का प्रसार करने तथा स्थानीय नवोन्मेषकों को प्रोत्साहित करने के लिए ढांचा।
- विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने, रचनात्मकता का प्रसार करने तथा स्थानीय नवोन्मेषकों को उनके अपने विचारों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करन के लिए एक प्रभावी आईपीआर ढांचा अपरिहार्य है। इस परिप्रेक्ष्य में, डीपीआईआईटी भारत में आईपी परितंत्र को सुदृढ़ बनाने की दिशा में प्रतिबद्ध है। इस संबंध में, 2021 के दौरान आरंभ की गईं प्रमुख पहलें और कदम निम्नलिखित हैं:
- 25.01.2021 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित डिजाइन (संशोधन) नियम, 2021 स्टार्ट अप्स और छोटे निकायों को उनकी डिजाइनों के संरक्षण तथा डिजाइन फाइलिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, पैटेंट और ट्रेडमार्क नियमों के तहत समान तर्ज पर शुल्कों को कम कर दिया गया है।
- कॉपीराइट (संशोधन) नियम, 2021 को 30.03.2021 को अधिसूचित किया गया जिसका उद्देश्य विद्यमान नियमों को अन्य संगत कानूनों के साथ समानता में लाना है। यह कॉपीराइट सोसाइटीज द्वारा जारी की जाने वाली एक अनिवार्य वार्षिक पारदर्शिता रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। इसका उद्वेश्य संचार के प्राथमिक माध्यम के रूप में इलेक्ट्रोनिक माध्यमों को अपनाने के द्वारा डिजिटल युग में तकनीकी उन्नति के आलोक में सुचारू और त्रुटिरहित अनुपालन सुनिश्चित करना है।
- पैटेंट (संशोधन) नियम, 2021: 21 सितंबर, 2021 को प्रभावी हुए पैटेंट (संशोधन) नियम, 2021 के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों के लिए पैटेंट शुल्क में 80 प्रतिशत की कमी की गई है। यह संशोधन शैक्षणिक संस्थानों को एमएसएमई तथा स्टार्ट अप की ही तरह की सहायता का स्तर उपलब्ध कराएगा तथा आईपी परितंत्र में शैक्षणिक संस्थानों की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करेगा।
राष्ट्रीय आईपीआर नीति को अपनाने के बाद से, भारत में आईपी फाइलिंग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है। भारत में कोविड की प्रतिकूल स्थिति के बावजूद, आईपीआर की फाइलिंग में कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं देखा गया है। इसके अतिरिक्त, पिछले कुछ वर्षों में ट्रेडमार्क और जीआई के आवेदन दायर करने में भारी वृद्धि देखी गई है।
एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी)
- भारत सरकार देश के सभी जिलों में संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए एक रूपांतरकारी पहल पर काम कर रही है। इसे एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पहल कहते हैं जिसका उद्देश्य भारत के प्रत्येक जिले में अनूठे उत्पादों के उत्पादन की पहचान करना तथा बढ़ावा देना है जिनकी वैश्विक स्तर पर मार्केटिंग की जा सकती है। यह किसी जिले की वास्तविक क्षमता को प्राप्त करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, रोजगार तथा ग्रामीण उद्यमशीलता का सृजन करने में सहायता प्रदान करेगी। ओडीओपी को वाणिज्य विभाग के डीजीएफटी द्वारा कार्यान्वित की जा रही ‘निर्यात हब के रूप में जिला‘ पहल के साथ प्रचालनगत तरीके से विलय कर दिया गया है जिसमें डीजीएफटी द्वारा आरंभ किए गए कार्यों को समन्वित करने के लिए डीपीआईआईटी एक प्रमुख हितधारक है। ओडीओपी के तहत इनवेस्ट इंडिया के साथ डीपीआईआईटी द्वारा जिन प्रमुख कार्यकलापों को सुगम बनाया जा रहा है, उनमें विनिर्माण, विपणन, ब्रांडिंग, आंतरिक व्यापार तथा ई-कॉमर्स शामिल हैं।
- वर्तमान में जारी विस्तार प्रक्रिया में चरण-1 से सूची, जो 103 जिलों के 106 उत्पादों से निर्मित्त हैं, का वर्तमान चरण-2 तक विस्तार शामिल है जिसमें 739 जिलों को कवर करते हुए 739 से अधिक उत्पाद शामिल होंगे। ओडीओपी पहल के तहत निर्यातों को बढ़ावा देने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की गई है।
स्वच्छता अभियान
- इस विशेष अभियान के दौरान, डीपीआईआईटी और इसके उप-संगठनों में 49,686 फाइलों की समीक्षा की गई है। समीक्षा की गई फाइलों में से 49,449 फाइलों को हटा दिया गया है। फाइलों की छंटनी के कारण, डीपीआईआईटी और इसके उप संगठनों में 2222 वर्ग फुट क्षेत्र को रिक्त/मुक्त कराया गया है। बेकार/पुरानी मदों के निपटान के कारण, 3277 वर्ग फुट क्षेत्र रिक्त कर दिया गया है जिससे साफ सफाई तथा स्वच्छता की स्थिति में सुधार हुआ है। इसके अतिरिक्त, 5,60,000 रुपये का राजस्व भी सृजित हुआ है।
- विभाग ने सभी 31 लोक शिकायतों तथा 3 लोक शिकायत अपीलों के निस्तारण के द्वारा जन शिकायतों के संबंध में 100 प्रतिशत लक्ष्य अर्जित किया। इसके अतिरिक्त, 48 वीआईपी संदर्भों में से 29 मामलों का निपटान कर दिया गया है। विभाग ने ‘व्यवसाय करने की सुगमता‘ के तहत सरलीकरण के लिए 194 नियमों/नियमनों की पहचान की थी। इनमें से 134 नियमों का सरलीकरण कर दिया गया है।
- पुरानी फाइलों/अभिलेखों का डिजिटलीकरण: विशेष अभियान से पहले ही, सीआईएम के निर्देशानुसार पुरानी फाइलों/अभिलेखों का डिजिटलीकरण प्राथमिकता के आधार पर किया गया था। इस अवधि के दौरान, 19,53,666 पृष्ठों वाली 12,387 फाइलों की स्कैनिंग/डिजिटलीकरण का काम पूरा कर लिया गया है और स्कैन की गई सभी फाइलों को भविष्य के संदर्भ के लिए ई-ऑफिस में स्थानांतरित कर दिया गया है।
- कैबिनेट सचिव के निर्देश तथा डीएआरपीजी के परामर्श पर सरकार में निर्णय लेने की बढ़ती क्षमता: सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के साथ डीपीआईआईटी ने निर्णय लेने में दक्षता बढ़ाने तथा लेवल को कम करके 4 (अधिकतम) पर लाने के लिए प्रस्तुतिकरण के माध्यम तथा निपटान के स्तर को संशोधित किया है। इससे मामलों के निपटान में तेजी आएगी और निर्णय निर्माण में सुधार होगा।
- सीआईएम द्वारा समीक्षा: सीआईएम ने अभियान अवधि के दौरान नियमित रूप से विशेष अभियान की समीक्षा की है। 31.10.2021 को विशेष अभियान की समाप्ति के बाद, सीआईएम साप्ताहिक आधार पर स्वच्छता अभियान की समीक्षा कर रहे हैं। सीआईएम परिसरों की स्वच्छता की समीक्षा करने के लिए नियमित रूप से उद्योग भवन में घूमते हैं।
2021 में ब्रिक्स की भारत की अध्यक्षता के दौरान डीपीआईआईटी द्वारा आयोजित कार्यक्रम :
ब्रिक्स का 13वां सम्मेलन भारत की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। 2012 तथा 2016 के बाद, तीसरी बार भारत ने ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी की। भारत की अध्यक्षता की थीम ‘ ब्रिक्स @ 15: निरंतरता, समेकन और सर्वसहमति‘ थी। भारत द्वारा ब्रिक्स की अध्यक्षता के दौरान, डीपीआईआईटी द्वारा उद्योग से संबंधित मुद्वों पर चार कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिनके नाम हैं: उद्योग मंत्रियों की बैठक, निवेश, औद्योगिकीकरण, नवोन्मेषण, समावेशन तथा डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए पार्टएनआईआर बैठक (नई औद्योगिक क्रांति पर साझीदारी), 13वीं एचआईपीओ (बौद्धिक संपदा कार्यालयों के प्रमुख) बैठक तथा ब्रिक्स की व्यापार एवं निवेश एजेन्सियों के बीच परस्पर बातचीत का गोल मेज सम्मेलन ।
डीपीआईआईटी ने आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के तहत निम्नलिखित कार्यक्रमों का आयोजन किया है:
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को 20.09.2021 से 26.09.2021 तक का सप्ताह आवंटित किया गया था। इसी के अनुरूप, डीपीआईआईटी ने ‘उद्योग सप्ताह’ अर्थात 20 सितंबर से 26 सितंबर, 2021 के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जिसे विभिन्न प्लेटफॉर्मों द्वारा व्यापक रूप से प्रकाशित किया गया। डीपीआईआईटी द्वारा आयोजित कुछ कार्यक्रम निम्नलिखित थे:
क. पेट्रालियम और विस्फोटक क्षेत्र में औद्योगिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों के साथ साथ व्यापार करने की लागत को कम करने तथा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए एक सक्षमकारी परितंत्र के सृजन के लिए उपायों पर 21 सितंबर, 2021 को डीपीआईआईटी के अपर सचिव द्वारा संबोधित प्रेस वार्ता।
ख. निवेश पूर्व परामर्श, भूमि बैंकों से संबंधित जानकारी तथा केंद्रीय एवं राज्य स्तरों पर मंजूरियों को सुगम बनाना और परितंत्र में पारदर्शिता, उत्तरादायित्व एवं जवाबदेही लाने सहित समग्र सुगमीकरण, सहायता उपलब्ध कराने के लिए श्री पीयूष गोयल द्वारा 22 सितंबर, 2021 को राष्ट्रीय सिंगल विंडो सिस्टम सॉफ्ट लॉन्च की गई और सभी सूचनाएं एक सिंगल डैशबोर्ड पर उपलब्ध होंगी।
ग. स्टार्ट अप इंडिया ने जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्वेश्य से 21.09.2021 से 26.09.2021 के दौरान स्टार्ट अप आयोजनों, जिनमें विविध कार्यक्रम, प्रमुख पहलों के आरंभ, स्टार्ट अप सम्मेलनों के उद्घाटन तथा स्टार्ट अप नीतियों के लॉन्च आदि शामिल थे, को आयोजित करने एवं उनमें भाग लेने के लिए विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय किया था।
घ. पूर्वात्तर गोल मेज का आयोजन 23 सितंबर, 2021 को क्षेत्र में व्यवसाय तथा निवेश के अवसरों को प्रदर्शित करने एवं कार्यान्वित सुधारों पर विचार विमर्श करने के लिए राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश की उपस्थिति में किया गया था।
च. माननीय केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल, राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश एवं राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल की उपस्थिति में 28 सितंबर, 2021 को अनुपालन बोझ में कमी लाने पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था। केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अभी तक 25,000 से अधिक अनुपालनों में कमी लाई जा चुकी है।
छ. औद्योगिक पार्क रेटिंग प्रणाली रिपोर्ट 2.0 राज्य मंत्री (वाणिज्य एवं उद्योग) श्री सोम प्रकाश द्वारा 05 अक्टूबर, 2021 को लॉन्च की गई।
ज. पीएम गति शक्ति प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए 13 अक्टूबर, 2021 को लॉन्च की गई।
- 20-25 दिसंबर, 2021 के दौरान सुशासन सप्ताह: डीपीआईआईटी ने ‘जीवन जीने की सरलता’ तथा ‘व्यवसाय करने की सुगमता’ में सुधार लाने के राष्ट्र के लक्ष्य को साकार करने के लिए 22 दिसंबर, 2021 को ‘अनुपालन बोझ में कमी लाने के लिए सुधारों का अगला चरण’ पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया है। माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कार्यशाला को संबोधित किया।
- डीपीआईआईटी नवोन्मेषण परितंत्र सप्ताह (10-16 जनवरी, 2022) का भी आयोजन करेगा: प्रस्तावित कार्यक्रम में डीपीआईआईटी यूनिकॉर्न तथा स्टार्ट अप्स को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों को प्रदर्शित करेगा। इस कार्यक्रम की अगुवाई शिक्षा मंत्रालय करेगा।
एमजी/एएम/एसकेजे
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