विद्युत मंत्रालय
वर्षान्त समीक्षा-2021: ऊर्जा मंत्रालय
7 जुलाई, 2021 को भारत की 2,00,570 मेगावाट की उच्चतम मांग पूरी की गई
कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए उन्नत कोयला भंडारण नियम जारी
अंडमान निकोबार द्वीप समूह, बिहार, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में 5 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए गए
ग्रीन टर्म अहेड (पावर ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म) बाजार में कुल स्वीकृत मात्रा 2020-2021 में 785.83 एमयू से बढ़कर 2021-22 में 2744 एमयू हो गई
27.10.2021 से 07.12.2021 तक ग्रीन डे अहेड मार्केट में 211 एमयू का कारोबार औसतन 4.52 रुपये प्रति यूनिट पर हुआ
घाटे को कम करने के लिए 7000 सीकेएम से अधिक एरियल बंच्ड/अंडरग्राउंड केबल बिछाई गई, 45 नए पावर सब स्टेशन शुरू किए गए
बिजली मंत्रालय ने आरई विकास के लिए बिजली (मस्ट रन पावर प्लांट से बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना) नियम, 2021 को अधिसूचित किया
नई अक्षय तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र तंत्र को नया रूप दिया गया
कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में बायोमास के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन का शुभारंभ
डिस्कॉम्स के लिए ऊर्जा लेखांकन अनिवार्य
वार्षिक लक्
Posted On:
27 DEC 2021 2:20PM by PIB Delhi
चालू वर्ष में ऊर्जा मंत्रालय ने कई सुधार किए हैं। केंद्रीय विद्युत और नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने सुधारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमने व्यापार करने में आसानी और जीवन की सुगमता के लिए नियम और प्रक्रियाएं बनाए हैं। उन्होंने कहा कि सुधारों के परिणामस्वरूप बिजली क्षेत्र अधिक विकास के लिए तैयार है और अगले वर्ष इसमें और अधिक सुधार होने की संभावना है।
श्री सिंह ने उल्लेख किया कि बिजली क्षेत्र ने 2021 में मांग में मजबूत वृद्धि दिखाई है क्योंकि यह पिछले वर्ष की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक है, यह इस तथ्य का संकेत है कि हमारी अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और हमने जो 28 मिलियन नए उपभोक्ता जोड़े हैं वे अधिक उपकरण जोड़ रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि सरकार ने बिजली क्षेत्र में सुधार जारी रखा है और बिजली की कीमत कम रखने के प्रयास भी जारी हैं।
सुधारों को निम्नलिखित श्रेणियों में रखा जा सकता है :
- सुधार और पुनर्गठन (आरएंडआर)
· बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020
ऊर्जा मंत्रालय ने विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 176 के तहत 31.12.2020 को विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 को अधिसूचित किया है। ये नियम बिजली के उपभोक्ताओं को सशक्त बनाएंगे और इस विश्वास से उत्पन्न होता है कि उपभोक्ताओं की सेवा के लिए बिजली व्यवस्था मौजूद है और उपभोक्ताओं को विश्वसनीय सेवाएं और गुणवत्ता वाली बिजली प्राप्त करने का अधिकार है।
इन नियमों के कार्यान्वयन से यह सुनिश्चित होगा कि नए बिजली कनेक्शन, रिफंड और अन्य सेवाएं समयबद्ध तरीके से दी जाती हैं। उपभोक्ता अधिकारों की जान बूझकर अवहेलना करने पर सेवा प्रदाताओं पर जुर्माना लगाया जाएगा।
29.09.2021 को बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 में एक संशोधन भी अधिसूचित किया गया था, जिसमें नेट मीटरिंग (निर्धारित माप) की सीमा 10 किलोवाट से बढ़ाकर 500 किलोवाट कर दी गई थी।
· देर से भुगतान अधिभार नियम 2021
बिजली (विलंब भुगतान अधिभार) नियम, 2021 को केंद्र सरकार द्वारा 22 फरवरी 2021 को अधिसूचित किया गया। लेट पेमेंट सरचार्ज या विलंब भुगतान अधिभार का अर्थ है एक वितरण कंपनी द्वारा एक उत्पादन कंपनी या बिजली व्यापारी को उससे प्राप्त बिजली के लिए या एक ट्रांसमिशन सिस्टम के उपयोगकर्ता द्वारा एक ट्रांसमिशन लाइसेंसधारी को देय तिथि से परे मासिक शुल्क के भुगतान में देरी के कारण देय शुल्क विलंब भुगतान अधिभार देय तिथि के बाद बकाया भुगतान पर डिफॉल्ट के पहले महीने की अवधि के लिए लागू लेट पेमेंट सरचार्ज के आधार दर पर देय होगा।
· सौर और पवन ऊर्जा के लिए आईएसटीएस ट्रांसमिशन शुल्क और नुकसान की छूट
ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ऊर्जा मंत्रालय ने 30 जून 2023 तक चालू की गई सौर और पवन परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली के प्रसारण के लिए इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क और नुकसान की छूट के विस्तार के लिए 5 अगस्त 2020 को एक आदेश जारी किया। इसके अलावा सौर और पवन परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली के प्रसारण के लिए 30.06.2025 तक इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क की छूट के विस्तार के लिए 21.06.2021 को एक आदेश जारी किया गया था। इसके अलावा इस आदेश के तहत हाइड्रो पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) और बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) के लिए आईएसटीएस शुल्क की छूट की भी अनुमति दी जाएगी।
· अक्षय खरीद दायित्व (आरपीओ) प्रक्षेपपथ जारी करना
2016-17 से 2018-19 की अवधि के लिए दीर्घकालिक आरपीओ विकास प्रक्षेपपथ को ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 22.7.2016 को अधिसूचित किया गया। ऊर्जा मंत्रालय द्वारा दिनांक 14.06.2018 को टैरिफ नीति के प्रावधानों के तहत आरपीओ प्रक्षेपपथ पर तीन वर्षों की अवधि के लिए अर्थात 2019-20 से 2021-22 तक एक आदेश जारी किया गया। दिनांक 22.7.2016 और 14.06.2018 के अपने आदेशों में ऊर्जा मंत्रालय ने दिनांक 29.01.2021 के माध्यम से नया आरपीओ प्रक्षेपपथ निर्दिष्ट किया। इसी आदेश के माध्यम से एचपीओ के लिए प्रक्षेपपथ (ट्रैजेक्ट्री) भी जारी किया गया।
इससे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अक्षय ऊर्जा उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
· ग्रीन डे अहेड मार्केट (जीडीएएम) का परिचय
ग्रीन डे अहेड मार्केट (जीडीएएम) एक दिन आगे के आधार पर अक्षय ऊर्जा के व्यापार के लिए एक बाजार है। इससे हरित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सुविधा होगी और साथ ही सबसे कुशल, प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी तरीके से हरित ऊर्जा के एकीकरण में सहायता मिलेगी। 25.10.2021 को जीडीएएम का शुभारंभ किया गया था।
ग्रीन डे अहेड मार्केट पावर एक्सचेंजों के माध्यम से उपलब्ध होगा। जीडीएएम बाजार संरचना मौजूदा डे अहेड मार्केट (डीएएम) संरचना के भीतर होगी, लेकिन अक्षय और पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के लिए एक अलग समाशोधन तंत्र और मूल्य का निर्धारण करेगी।
यह आरई जनरेटर को अपनी बिजली बेचने और कटौती को कम करने और आरई के खरीदार को पारदर्शी रूप से बाजार से हरित बिजली खरीदने का अवसर देगा। यह बाध्य संस्थाओं को अपने अक्षय खरीद दायित्व (आरपीओ) को पूरा करने में भी सुविधा प्रदान करेगा।
· बिजली (कानून में बदलाव के कारण लागत की समय पर वसूली) नियम, 2021
कानून में बदलाव के कारण लागत के समय पर वसूली का महत्व है, क्योंकि बिजली क्षेत्र में निवेश काफी हद तक समय पर भुगतान पर निर्भर करता है। वर्तमान में कानून में बदलाव के तहत बाहर से लाने में काफी समय लग रहा है, जिससे बिजली क्षेत्र में निवेश शुष्क रहा है। यदि भुगतान समय पर नहीं किया जाता है तो यह क्षेत्र की व्यवहार्यता को प्रभावित करता है और डेवलपर्स आर्थिक रूप से परेशान हो जाते हैं। अगर अभी इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो निवेश नहीं आएगा और बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर बिजली की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा मंत्रालय ने 22.10.2021 को बिजली (कानून में बदलाव के कारण लागत की समय पर वसूली) नियम, 2021 को अधिसूचित किया।
· बिजली (मस्ट रन पावर प्लांट से बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना) नियम, 2021
ऊर्जा मंत्रालय ने 22.10.2021 को बिजली (मस्ट रन पावर प्लांट से बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना) नियम, 2021 को अधिसूचित किया। यह नियम मुख्य रूप से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए है और अक्षय स्रोतों से उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि उपभोक्ताओं को हरित और स्वच्छ बिजली मिले और आने वाली पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण हो।
· बाजार आधारित आर्थिक प्रेषण (एमबीईडी) के चरण 1 का कार्यान्वयन
उपभोक्ताओं के लिए बिजली खरीद की लागत को कम करने के लिए वर्तमान बाजार तंत्र को नया स्वरूप देने के उद्देश्य से बाजार आधारित आर्थिक प्रेषण (एमबीईडी) के चरण 1 के कार्यान्वयन के लिए ढांचा जिसमें आईएसजीएस (अंतर राज्यीय उत्पादन स्टेशन) संयंत्रों की अनिवार्य भागीदारी और अन्य उत्पादकों द्वारा स्वैच्छिक भागीदारी को 1 अप्रैल, 2022 से लागू करने के लिए सीईआरसी को सूचित किया गया था।
· अक्षय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) तंत्र को नया स्वरूप देना
ऊर्जा मंत्रालय को मौजूदा नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (आरईसी) तंत्र में संशोधन करने के लिए वर्तमान आरईसी तंत्र को बिजली परिदृश्य में उभरते परिवर्तनों के साथ संरेखित करने और नई नवीकरणीय तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए अनुमति दी गई थी।
2. बिजली बाजार में सुधार
- ग्रीन टर्म अहेड बाजार (जीटीएएम) : बिजली के क्षेत्र में अखिल भारतीय ग्रीन टर्म अहेड मार्केट 1 सितंबर 2020 को शुरू किया गया था। बाजार के हिस्से के रूप में इसने बिजली के व्यापार के लिए अक्षय ऊर्जा के लिए एक और अवसर प्रदान किया है, जो अन्य बातों के साथ-साथ भारत सरकार के महत्वाकांक्षी अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा। जीटीएएम कॉन्ट्रैक्ट बाध्य संस्थाओं को पावर एक्सचेंजों पर प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अक्षय ऊर्जा की खरीद करने और आरपीओ को पूरा करने में मदद करेगा। यह नवीकरणीय समृद्ध राज्यों पर बोझ को भी कम करेगा जो राज्य अखिल भारतीय के भीतर उत्पन्न अधिशेष नवीकरणीय उत्पादन का व्यापार कर सकते हैं। 2020-2021 में जीटीएम में कुल क्लीयर वॉल्यूम (स्वीकृत मात्रा) 785.83 एमयू था। 2021-22 में सितंबर 2021 तक कुल स्वीकृत मात्रा 2744 एमयू था।
- ग्रीन डे अहेड मार्केट (जीडीएएम) : अगस्त 2020 में ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (जीटीएएम) के सफल लॉन्च के बाद 25 अक्टूबर 2021 को माननीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने ग्रीन डे अहेड मार्केट (जीडीएएम) एक दिन आगे के आधार पर अक्षय ऊर्जा के व्यापार के लिए बाज़ार को लॉन्च किया। व्यापारियों को बढ़ावा देने के इरादे से ग्रीन पावर प्लांट और मौजूदा अक्षय ऊर्जा संयंत्रों को अतिरिक्त बिक्री के रास्ते प्रदान करना है जो या तो मौजूदा पीपीए के तहत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के साथ भुगतान जोखिम का सामना कर रहे हैं या जिनके पास अतिरिक्त ऊर्जा है। जीडीएएम की शुरूआत से अपेक्षित लाभ हरित बाजार को चमकदार बना रहे हैं, नवीकरणीय क्षमता को जोड़ने में तेजी ला रहे हैं, पीपीए आधारित अनुबंध से बाजार आधारित मॉडल में बदलाव और हरित ऊर्जा की कटौती में कमी कर रहे हैं। अक्टूबर 2021 में शुरू ग्रीन डे अहेड मार्केट में 27.10.2021 से 07.12.2021 तक लगभग 211 एमयू का औसत मूल्य 4.52 रुपये प्रति यूनिट कारोबार हुआ।
- सरकार ने 3 जून 2020 को बिजली के अखिल भारतीय रीयल टाइम मार्केट (आरटीएम) की शुरुआत की। खरीदारों और विक्रेताओं के लिए वास्तविक समय के करीब ऊर्जा व्यापार के लिए एक संगठित मंच आरटीएमए की शुरूआत ने न केवल नवीकरणीय ऊर्जा के ग्रिड एकीकरण की सुविधा प्रदान की है बल्कि बाजार की दक्षता में भी वृद्धि की है। आरटीएम के साथ खरीदारों/विक्रेताओं के पास प्रत्येक 15 मिनट के समय ब्लॉक के लिए खरीद/बिक्री बोली लगाने का विकल्प होता है। आरटीएम सभी हितधारकों को लाभान्वित कर रहा है जैसे नवीकरणीय जनरेटर सहित जनरेटर जिनके पास अपने अधिशेष को बेचने का अवसर है, अक्षय उत्पादन की परिवर्तनशीलता का बेहतर प्रबंधन, प्रसारण प्रणालियों का बेहतर उपयोग, वितरण उपयोगिताओं के लिए वास्तविक समय के करीब बिजली खरीदने या बेचने का अवसर और अंत में उपभोक्ता को विश्वसनीय बिजली की आपूर्ति मिल रही है। वित्त वर्ष 2020-21 में रीयल टाइम मार्केट में कुल स्वीकृत मात्रा 9467.96 एमयू था। वित्त वर्ष 2021-22 में रीयल टाइम मार्केट में सितंबर 2021 तक कुल स्वीकृत मात्रा 9933.4 एमयू था। 28 अगस्त 2021 को उच्चतम दैनिक कारोबार 98.334 एमयू का हुआ।
- कोविड 19 महामारी के बावजूद अखिल भारतीय मांग ने नए मानक हासिल करना जारी रखा। 07 जुलाई 2021 को 200570 मेगावाट की उच्चतम अखिल भारतीय मांग हासिल की गई थी।
3. एकीकृत विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस)
भारत सरकार ने डिस्कॉम/विद्युत विभागों के संसाधनों के पूरक के लिए शहरी क्षेत्रों में सब ट्रांसमिशन और वितरण नेटवर्क और मीटरिंग में अंतराल को दूर करने के लिए पूंजीगत व्यय के खिलाफ वित्तीय सहायता देने के लिए दिसंबर 14 को "एकीकृत बिजली विकास योजना" (आईपीडीएस) अधिसूचित की।
इस योजना का परिव्यय 32612 करोड़ रूपये है जिसमें संपूर्ण कार्यान्वयन अवधि के दौरान भारत सरकार की ओर से 25354 करोड़ रुपये की बजटीय सहायता शामिल है।
प्रगति (01.11.2020 से 31.10.2021 तक)
- इस अवधि में भारत सरकार और राज्यों द्वारा आईपीडीएस के तहत निवेश की गई कुल धनराशि 3800 करोड़ रूपये के आसपास है, भारत सरकार के अनुदान के रूप में ऊर्जा मंत्रालय ने 2290 करोड़ रूपये जारी किए।
- कोविड महामारी के बावजूद 500 से अधिक शहरों को कवर करते हुए 70 से अधिक सर्किलों में सब ट्रांसमिशन और वितरण नेटवर्क की प्रणाली को मजबूत करने और निम्नलिखित बुनियादी ढांचे को जोड़ने का काम पूरा कर लिया गया।
- 45 नए बिजली सब स्टेशन चालू किए गए।
- 50 से अधिक मौजूदा विद्युत उपकेन्द्रों की क्षमता में वृद्धि की गई।
- घाटे को कम करने के लिए 7000 सीकेएम से अधिक एरियल बंच्ड/अंडरग्राउंड केबल बिछाई गई।
- शहरों में बिजली आपूर्ति में सुधार के लिए लगभग 3000 नए वितरण ट्रांसफार्मर लगाए गए।
- हरित ऊर्जा की दिशा में योगदान के रूप में सरकारी भवनों और सबस्टेशनों पर लगभग 1 एमडब्ल्यूपी सोलर पैनल स्थापित किए गए।
- पूर्वोत्तर राज्यों, हरियाणा में पहली बार गैस इंसुलेटेड स्विचगियर (जीआईएस) सबस्टेशन चालू किए गए, आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड के 25 सबस्टेशनों में काम पूरा हुआ।
- वाराणसी और कुंभ क्षेत्र, हरिद्वार में आईपीडीएस के तहत भूमिगत केबल बिछाने की प्रमुख परियोजनाएं पूर्ण हुई।
- अयोध्या में लगभग 1000 किमी अंडरग्राउंड केबलिंग के लिए 240 करोड़ रुपये स्वीकृत।
- अंडमान निकोबार द्वीप समूह, बिहार, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और राजस्थान आदि में 5 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए गए।
- इस अवधि के दौरान 5 डिस्कॉम में पूर्ण/अपग्रेड की गई डिस्कॉम की परिचालन क्षमता में सुधार के लिए 6 डिस्कॉम और एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) में छोटे शहरों की आईटी सक्षमता पूरी हुई।
- कुल मिलाकर आईपीडीएस ने शहरी क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के घंटों को बढ़ाकर 22 घंटे/दिन करने में योगदान दिया है और डिजिटल भुगतान आदि के माध्यम से उपभोक्ता सुविधा में सुधार किया है।
इसके अलावा, संशोधित सुधार आधारित और परिणाम से जुड़ी वितरण क्षेत्र योजना को जुलाई 2021 में ऊर्जा मंत्रालय द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 तक पांच वर्षों की अवधि में डिस्कॉम को सुधार करने और उससे जुडे उद्देश्यों के साथ समयबद्ध तरीके से प्रदर्शन में सुधार करने के लिए सशर्त वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 3,03,758 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया है।
- वित्तीय रूप से टिकाऊ और परिचालन रूप से कुशल वितरण क्षेत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता, विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार करना।
- 2024-25 तक एटीएंडसी घाटे को अखिल भारतीय स्तर पर 12 से 15 प्रतिशत तक कम करना।
- 2024-25 तक एसीएस एआरआर अंतर को शून्य तक कम करना।
4. जल विद्युत विकास
- जलविद्युत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय द्वारा 28.09.2021 को बाढ़ नियंत्रण/भंडारण हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर परियोजनाओं और सक्षम बुनियादी ढांचे की लागत यानी सड़कों और पुलों के लिए बजटीय सहायता प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे।
- अरुणाचल प्रदेश में नीपको द्वारा निर्मित कामेंग हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट (600 मेगावाट) की सभी 04 इकाइयां पूरी तरह से चालू हो चुकी हैं और 12.02.2021 से संचालन शुरू कर दिया है।
- लुहरी स्टेज 1 एचईपी (210 मेगावाट) : भारत सरकार द्वारा 20.11.2020 को निवेश स्वीकृति प्रदान की गई। 24.11.2020 को सिविल और एचएम कार्यों के लिए ईपीसी पैकेज प्रदान किए गए और ईएम कार्यों के लिए 16.07.2021 को मंजूरी दी गई।
- धौलासिद्ध एचईपी (66 मेगावाट) : 01.10.2020 को भारत सरकार द्वारा निवेश स्वीकृति प्रदान की गई। 06.05.2021 को ईपीसी पैकेज के लिए सिविल और एचएम कार्यों का फैसला लिया गया।
- हाइड्रो सीपीएसयू में विवाद निवारण तंत्र के लिए "स्वतंत्र अभियंता" के माध्यम से मॉडल अनुबंध दस्तावेज ओ. एम. के माध्यम से दिनांक 27.09.2021 को जारी किया गया।
- खोलोंगछु (600 मेगावाट) भूटान में जल विद्युत परियोजना
परियोजना के लिए रियायत समझौते पर भूटान की रॉयल सरकार (आरजीओबी) और खोलोंगछु हाइड्रो एनर्जी लिमिटेड (केएचईएल) एसजेवीएन लिमिटेड (भारतीय सीपीएसयू) के संयुक्त उद्यम (जेवी) और डीजीपीसी भूटान (आरजीओबी पीएसयू) के बीच 29.06.2020 को माननीय विदेश मंत्री, भारत सरकार और माननीय विदेश मंत्री, आरजीओबी की उपस्थिति में भूटान में हस्ताक्षर किए गए थे। सभी तीन मुख्य सिविल कार्य पैकेज 04.03.2021 को मंजूर किए गए और परियोजना फरवरी 2026 तक चालू होने वाली है।
- नेपाल में लोअर अरुण हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (679 मेगावाट)।
लोअर अरुण परियोजना एसजेवीएन लिमिटेड को नेपाल सरकार (जीओएन) द्वारा बिल्ड ओन ऑपरेट एंड ट्रांसफर (बीओओटी) के आधार पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से 04.02.2021 को आवंटित की गई थी। 11 जुलाई 2021 को एसजेवीएन लिमिटेड और निवेश बोर्ड नेपाल (आईबीएन) के बीच 679 मेगावाट लोअर अरुण एचईपी के विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
- 850 मेगावाट की रतले जलविद्युत परियोजना के लिए 11.02.2021 को 5281.94 करोड़ अनुमानित परियोजना लागत के साथ निवेश अनुमोदन प्रदान किया गया (नवंबर 2018 पीएल)। निवेश की मंजूरी की तारीख से 60 महीने के भीतर परियोजना को पूरा किया जाना निर्धारित है।
- रंगित चतुर्थ जलविद्युत परियोजना के लिए 30.03.2021 को 938.29 करोड़ रुपये की अनुमानित परियोजना लागत के साथ 120 मेगावाट निवेश की मंजूरी दी गई (अक्टूबर 2019 पीएल)। निवेश की मंजूरी की तारीख से 60 महीने के भीतर परियोजना को पूरा किया जाना निर्धारित है।
5. तापीय ऊर्जा
- कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों में संशोधित/नए कोयला संग्रहण मानदंड।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए), दैनिक कोयला खपत आवश्यकताओं के साथ-साथ बिजली स्टेशनों पर रखे जा रहे कोयले के स्टॉक की निगरानी करता है। पहले के कोयला भंडारण मानदंड कई बार सलाहकार प्रकृति के थे, बिजली संयंत्र मानदंडों के अनुसार कोयले का स्टॉक नहीं रखते, जो निरंतर संयंत्र संचालन के लिए वांछनीय नहीं था। इसे देखते हुए बिजली संयंत्रों को अधिक ईंधन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा कोयला भंडारण मानदंडों को संशोधित कर केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा उसे 06.12.2021 को जारी किया गया, ताकि जुलाई से सितंबर के महीने के दौरान सीआईएल/एससीसीएल द्वारा कम आपूर्ति की अवधि के दौरान भी प्रत्येक बिजली स्टेशनों पर पर्याप्त कोयला स्टॉक रहे।
संशोधित मानदंड पिट हेड स्टेशनों पर 12 से 17 दिनों के कोयला स्टॉक और गैर पिट हेड स्टेशनों पर 20 से 26 दिनों के कोयला स्टॉक को वर्ष के दौरान 85 प्रतिशत पीएलएफ के अनुरूप कोयला प्रेषण/कोयला खपत पैटर्न के आधार पर महीने वार भिन्नता के साथ अनिवार्य करता है, बिजली संयंत्रों द्वारा कोयला स्टॉक को अनिवार्य रूप से बनाए रखने के लिए निर्धारित करता है और स्टॉकिंग मानदंडों को बनाए नहीं रखने के लिए दंड की व्यवस्था है। हर साल फरवरी से जून के दौरान पिट हेड प्लांट में 17 दिनों के लिए और नॉन पिट हेड पावर प्लांट में 26 दिनों के स्टॉक को अनिवार्य किया गया।
कोयले के भंडार को नहीं बनाए रखने के लिए बिजली संयंत्रों को लाल, पीले और हरे रंग के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और घटे हुए कोयले के स्टॉक के कारण उनकी मानक उपलब्धता को नहीं बनाए रखने के लिए दंडित किया जाएगा और उनके निर्धारित शुल्क को एक श्रेणीबद्ध तरीके से कम किया जाएगा।
- कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में बायोमास के उपयोग पर राष्ट्रीय मिशन :
विद्युत मंत्रालय ने 17 नवंबर 2017 को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में सह फायरिंग के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए बायोमास उपयोग पर नीति जारी की। इस पूर्व की नीति में यह सलाह दी गई थी कि कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र, बिजली उत्पादन उपयोगिताओं के बॉल और ट्यूब मिल वाले को छोड़कर, मुख्य रूप से तकनीकी व्यवहार्यता अर्थात सुरक्षा पहलू आदि का आकलन करने के बाद कृषि अवशेषों से बने बायोमास पेलेट के 5-10 प्रतिशत मिश्रण का उपयोग करने का प्रयास करें। देश में ऊर्जा गति को समर्थन देने और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नीति में संशोधन कर दिनांक 08.10.2021 को जारी किया गया। यह संशोधित नीति वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने में आवश्यक दिशा प्रदान करेगी।
- शक्ति के तहत ईंधन की सहलग्नता
भारत सरकार के कोयला मंत्रालय ने 17 मई 2017 को नई कोयला सहलग्नता आवंटन नीति को मंजूरी दी थी जिसका नाम शक्ति (भारत में पारदर्शी रूप से कोयले के दोहन और आवंटन की योजना) है। पिछले एक साल में शक्ति नीति के तहत दिए गए सहलग्नता (लिंकेज) :
शक्ति नीति पारा बी (ii) घरेलू कोयले पर आधारित पीपीए के साथ स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों (आईपीपी) के लिए नीलामी के आधार पर सहलग्नता शक्ति नीति के खंड बी 2 के तहत नीलामी में भाग लेने वाले आईपीपी मौजूदा दर पर छूट के लिए बोली लगाते हैं।
- पीएफसीसीएल द्वारा चौथे दौर की नीलामी 28.09.2021 को पूरी हुई जिसमें 3.1983 एमटी (जी11 ग्रेड) अस्थायी रूप से आवंटित किया गया था।
शक्ति नीति पारा बी (viii)(a) शॉर्ट टर्म और डीएएम के लिए गैर पीपीए क्षमता के लिए नीलामी के आधार पर सहलग्नता : ऊर्जा मंत्रालय ने इस संबंध में 02.12.2019 को लघु अवधि और डे अहेड मार्केटस (डीएएम) की गतिशील आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर तिमाही में इस तरह की नीलामी करने के लिए एक कार्यप्रणाली जारी की। 12.05.2020 को कार्यप्रणाली में संशोधन जारी किया गया था।
- अब तक छह तिमाहियों अप्रैल-जून 20, जुलाई-सितंबर 20 और अक्टूबर-दिसंबर 20, जनवरी-मार्च 21, अप्रैल-जून, 21 और जुलाई-सितंबर 21 के लिए आयोजित नीलामी में विभिन्न बिजली संयंत्रों को 5.39 मीट्रिक टन (जी13 ग्रेड समकक्ष) कोयले का आवंटन किया गया है।
2500 मेगावाट बिजली की खरीद के लिए पायलट परियोजना
देश में बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) की कमी की समस्या को दूर करने के लिए ऊर्जा मंत्रालय ने असंबद्ध क्षमता वाली चालू परियोजनाओं के साथ जनरेटर से 3 साल की अवधि के लिए प्रतिस्पर्धी आधार पर 2500 मेगावाट की खरीद की योजना अधिसूचित की थी।
दूसरा दौर (2500 मेगावाट):
- 21 बोलीदाताओं (उत्पादक कंपनियों) ने अपनी तकनीकी और वित्तीय बोली पेश की। वित्तीय बोलियां 07.02.2020 को खोली गईं। ई-रिवर्स नीलामी के बाद रुपये 3.26/kWh (1.63 रुपये प्रति यूनिट का निश्चित शुल्क और 1.63 रुपये प्रति यूनिट का परिवर्तनीय शुल्क) दर का निर्धारण किया गया।
- 10.11.2021 को पीटीसी द्वारा प्रदान की गई स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, पीटीसी ने उन बोलीदाताओं के साथ पीपीए निष्पादित किए हैं जिन्हें पीएफसीसीएल ने कुल 820 मेगावाट की कुल मात्रा के लिए यूटिलिटीज/डिस्कॉम के साथ एलओए और पीएसए जारी किए हैं।
- ताप विद्युत क्षेत्र में दबावग्रस्त परिसंपत्तियां
वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने 22.03.17 को विद्युत क्षेत्र में दबावग्रस्त परियोजनाओं की एक सूची विद्युत मंत्रालय (एमओपी) को भेजी। डीएफएस सूची में उल्लिखित 34 गैर.कैप्टिव कोयला आधारित बिजली परियोजनाएं ज्यादातर निजी हैं और इनकी कुल स्थापित क्षमता 40130 मेगावाट है। डीएफएस द्वारा सूचित किया गया कि 40130 मेगावाट क्षमता की 34 ताप विद्युत परियोजनाओं पर बोझ है:
- 20,290 मेगावाट की कुल क्षमता वाली 17 परियोजनाओं का समाधान किया जा चुका है।
- 9,310 मेगावाट की कुल क्षमता वाली 7 परियोजनाएं समाधान के विभिन्न चरणों में हैं।
- 10,530 मेगावाट की कुल क्षमता वाली 10 परियोजनाएं निर्माण के शुरुआती चरण में हैं और पूरी तरह से रुकी हुई हैं। ऐसी परियोजनाओं को या तो समाप्त करने का आदेश दिया गया है या परिसमापन की ओर बढ़ रहा है।
6. ऊर्जा दक्षता के अंतर्गत मुख्य विशेषताएं:
- भारत की आजादी का अमृत महोत्सव के तहत शुरू की गई ऊर्जा दक्षता पहल।
- औद्योगिक क्षेत्रों में ऊर्जा संक्रमण में तेजी लाने के उद्देश्य से केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने 1 मार्च 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पीएटी योजना के विभिन्न हितधारकों जैसे बीईई, सीईआरसी, पीओएसओसीओ आदि के लिए "उपयोगकर्ता नियमावली' जारी की।
- ऊर्जा बचत, निवेश की रिपोर्ट, तकनीकी उन्नयन के साथ-साथ सीओ2 उत्सर्जन में कमी सहित पीएटी साइकिल 2 के विस्तृत परिणाम को बीईई द्वारा "उद्योग क्षेत्र में त्वरित परिवर्तन के लिए मार्ग" के रूप में प्रलेखित किया गया और 1 मार्च 2021 को केंद्रीय मंत्री द्वारा जारी किया गया था।
- "आत्मनिर्भर भारत" के दृष्टिकोण के तहत केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने मार्च 2021 में 'ईंट निर्माण क्षेत्र के लिए ऊर्जा दक्षता उद्यम (ई3) प्रमाणनीकरण कार्यक्रम' शुरू किया।
- "स्थायी आवास के लिए लक्ष्य : ऊर्जा दक्षता 2021 के निर्माण में नई पहल" केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने 16 जुलाई 2021 को भवन क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता की दिशा में भारत सरकार द्वारा की जा रही विभिन्न पहलों की घोषणा की। शुरूआत की गई पहलों में शामिल हैं :
- ईको निवास संहिता 2021 के साथ निर्माण सेवाओं और सत्यापन ढांचे के लिए कोड अनुपालन दृष्टिकोण और न्यूनतम ऊर्जा प्रदर्शन आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करना।
- वेब आधारित प्लेटफॉर्म "द हैंडबुक ऑफ रेप्लिकेबल डिजाइन्स फॉर एनर्जी एफिशिएंट रेजिडेंशियल बिल्डिंग्स" एक सीखने के उपकरण के रूप में है, जिसका इस्तेमाल भारत में ऊर्जा कुशल घरों के निर्माण के लिए रेप्लिकेबल डिजाइनों के रेडी टू यूज संसाधनों का एक पूल बनाने के लिए किया जा सकता है।
- निर्माण सामग्री की एक ऑनलाइन निर्देशिका बनाना जो ऊर्जा कुशल निर्माण सामग्री के लिए मानक स्थापित करने की प्रक्रिया की परिकल्पना करेगी।
- बीईई के ऊर्जा संरक्षण भवन संहिताओं का अनुपालन करने वाले असाधारण कुशल भवन डिजाइनों को प्रोत्साहित करने के लक्ष्य के साथ एनईईआरएमएएन (निर्माण) (किफायती और प्राकृतिक आवास की दिशा में आंदोलन के लिए राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता रोडमैप) पुरस्कारों की घोषणा करना है।
- ऊर्जा दक्षता में सुधार और व्यक्तिगत घरों में ऊर्जा की खपत को कम करने के लिए बनाए गए ऊर्जा कुशल घरों के लिए ऑनलाइन स्टार रेटिंग टूल। यह पेशेवरों को घरों की ऊर्जा दक्षता के लिए सर्वोत्तम विकल्प चुनने में मदद करने के लिए विश्लेषण प्रदान करता है।
- ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (ईसीबीसी) 2017 और पारिस्थितिकी निवास संहिता (ईएनएस) 2021) पर 15000 से अधिक वास्तुकारों, इंजीनियरों और सरकारी अधिकारियों का प्रशिक्षण।
- उद्योग क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता
- पीएटी चक्र –II 31 मार्च 2019 को समाप्त हुआ, जिसमें 11 क्षेत्रों के 621 नामित उपभोक्ताओं (डीसी) ने लगभग 14.08 मिलियन टन ऑयल इक्विवेलेंट (एमटीओई) की कुल ऊर्जा बचत हासिल की, जिससे लगभग 66 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड से बचा जा सका। पीएटी साइकिल –II ऊर्जा बचत को ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र में परिवर्तित कर दिया गया है जिसे पावर एक्सचेंजों में बेचा जा सकता है। पीएटी के दूसरे चक्र के तहत 349 औद्योगिक इकाइयों को कुल 57.38 लाख ईएससीर्ट जारी किए गए हैं और 193 औद्योगिक इकाइयां 36.68 लाख ईएससीर्ट्स खरीदने की हकदार हैं।
- पीएटी साइकिल–VII को 2022-23 से 2024-2025 तक अधिसूचित किया गया है, जिसमें 9 क्षेत्रों के 509 नामित उपभोक्ताओं को 6.627 एमटीओई के कुल ऊर्जा खपत में कमी के लक्ष्य के साथ अधिसूचित किया गया है।
- एसएमई में ऊर्जा दक्षता
- 5 क्षेत्रों (सिरेमिक, डेयरी, फाउंड्री, हैंड टूल्स, ब्रास) में 600 लघु परियोजनाओं को लागू किया गया है, जिससे लगभग 11452 टन ऊर्जा की बचत हुई है। इससे 61515 टन सीओ2 उत्सर्जन कम हुआ, जिससे अब तक 88 करोड़ का निवेश आकर्षित हुआ है। वर्तमान में यह परियोजना 23 क्लस्टरों में बड़े पैमाने पर चल रहा है।
- उपकरण क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता।
- लेबल लगाने के कार्यक्रम में 28 उपकरण। 10 अनिवार्य उपकरण और 18 स्वैच्छिक उपकरण।
- यूएचडी टीवी और एयर कंप्रेसर के लिए स्वैच्छिक स्टार लेबलिंग कार्यक्रम 11 जनवरी 2021 को शुरू किया गया।
- ट्यूबलर फ्लोरोसेंट लैंप (टीएफएल), एलईडी, स्टोरेज वॉटर हीटर, रूम एयर कंडीशनर, कलर टीवी और रेफ्रिजरेटर (एफएफआर और डीएफआर) की संशोधन अधिसूचना अधिसूचित।
- चिलर, वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव ओवन के लिए मौजूदा ऊर्जा खपत मानकों को 1 जनवरी 2022 से शुरू होकर 31 दिसंबर 2022 तक 1 वर्ष की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया है।
- भवन क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता।
- 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश राजस्थान, ओडिशा, उत्तराखंड, पंजाब, कर्नाटक, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, असम, मिजोरम, मध्य प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार और पुडुचेरी (केंद्र शासित प्रदेशों) ने अपने राज्यों के लिए ईसीबीसी अधिसूचित किया है।
- राज्य नामित एजेंसियों (एसडीए) में स्थित बीईई के ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ईसीबीसी) प्रकोष्ठ राज्य स्तर पर ईसीबीसी के कार्यान्वयन का सहयोग कर रहे हैं। 31 अक्टूबर 2021 की स्थिति के अनुसार 8 राज्यों के 48 शहरी स्थानीय निकायों ने अनुमोदन प्रक्रिया के निर्माण के लिए ईसीबीसी के प्रावधानों को शामिल किया है।
31 अक्टूबर 2021 तक 264 भवनों को विभिन्न श्रेणियों में स्टार रेटिंग प्रदान की गई है।
- परिवहन क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता :
- माननीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने भारत में ई-मोबिलिटी और ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 19 फरवरी 2021 को "गो इलेक्ट्रिक" अभियान शुरू किया। लॉन्च में "गो इलेक्ट्रिक" लोगो का अनावरण देखा गया जो ई मोबिलिटी इको सिस्टम के विकास को दर्शाता है।
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की तैनाती में कार्यान्वयन एजेंसियों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए बीईई ने ईवी हितधारकों के साथ 9 साझेदारों से परामर्श किया।
- गो इलेक्ट्रिक अभियान के तहत राज्य नोडल एजेंसियों/राज्य नामित एजेंसियों ने देश भर के कई राज्यों में बिजली बिलों पर 15 रोड शो, 35 वेबिनार और विभिन्न अन्य जागरूकता गतिविधियों रेडियो जिंगल, ईवी कार्निवल, होर्डिंग्स, पैम्फलेट विज्ञापनों का आयोजन किया।
- डिस्कॉम्स में ऊर्जा लेखांकन को मजबूत करना :
- मौजूदा अधिसूचना में संशोधन : ऊर्जा मंत्रालय ने सभी विद्युत वितरण कंपनियों डिस्कॉम्स को ईसी अधिनियम के पूर्वावलोकन के तहत शामिल करने के लिए एक अधिसूचना जारी की। अधिसूचना (एसओ 3445 (ई) दिनांक 28 सितंबर 2020) के हिसाब से जिसे बीईई के परामर्श से तैयार किया गया था 'सभी संस्थाओं को विद्युत अधिनियम 2003 (2003 का 36) के तहत राज्य/संयुक्त विद्युत नियामक आयोग द्वारा वितरण लाइसेंस जारी किया गया है' को नामित उपभोक्ताओं (डीसी) के रूप में अधिसूचित किया गया है। इससे पहले डिस्कॉम्स जिनकी वार्षिक ऊर्जा हानि 1000 एमयू के बराबर या उससे अधिक थी केवल नामित उपभोक्ताओं के रूप में कवर की गई थी।
- 6 अक्टूबर 2021 को ईसी अधिनियम के तहत विनियमन को बीईई द्वारा अधिसूचित कर डिस्कॉम्स द्वारा ऊर्जा लेखांकन को अनिवार्य किया गया।
- राज्य नामित एजेंसियां
- वार्षिक लक्ष्यों पर राज्य वार कार्रवाई और ऊर्जा दक्षता पर प्रगति (साथी) पोर्टल 11 जनवरी 2021 को शुरू किया गया। यह एसडीए के लिए एक इंटरैक्टिव वेब पोर्टल है और पूरे देश में राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों द्वारा कार्यान्वित की जा रही ऊर्जा दक्षता गतिविधियों की भौतिक और वित्तीय प्रगति को तेज करने में सहायक होगा।
- 22 अक्टूबर 2021 को राज्य सरकारों और उद्योग भागीदारों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ऊर्जा दक्षता और राज्य एजेंसियों द्वारा लागू किए जा रहे स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के क्षेत्र में गतिविधियों के वर्तमान स्तर की समीक्षा करने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की। बैठक के दौरान निम्नलिखित रिपोर्ट जारी की गईं।
- राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक– 2020 – राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक–2020 की रिपोर्ट राष्ट्रीय जलवायु व्यापार लक्ष्यों के लिए योगदान करके राज्यों को उनके कार्यक्रमों की निगरानी में मदद करने के लिए है।
- एसडीए द्वारा सर्वोत्तम संचालन प्रथाओं पर ईबुक–सहकर्मी समूहों के समन्वय और अन्य राज्यों द्वारा सर्वोत्तम हुनर को अपनाने की सुविधा के लिए राज्य नामित एजेंसियों की सर्वोत्तम ऊर्जा दक्षता परिपाटी पर ई बुक।
- बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए पहल
- सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीटीयूआईएल) का गठन :
- सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीटीयूआईएल) पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी है जो 9 मार्च 2021 को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 38 के तहत केंद्रीय ट्रांसमिशन उपयोगिता के रूप में अधिसूचित किया गया और 1 अप्रैल 2021 से सीटीयूआईएल ने कार्य करना शुरू कर दिया। आने वाले समय में यह पूरी तरह से स्वतंत्र और 100 प्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी होगी।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (आईएनवीआईटी) के माध्यम से भारत के पावर ग्रिड कॉरपोरेशन (पीजीसीआईएल) की प्रसारण परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण
सीसीईए के अनुमोदन पर ऊर्जा मंत्रालय द्वारा 15.09.2020 के आदेश पर पीजीसीआईएल ने मई 21 में पावरग्रिड इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (पीजीआईएनवीआईटी) के माध्यम से पांच टीबीसीबी परियोजनाओं का मुद्रीकरण किया। यह किसी सीपीएसई द्वारा प्रायोजित पहला आईएनवीआईटी है और किसी भी आईएनवीआईटी/आरईआईटी द्वारा सबसे बड़ा सार्वजनिक प्रस्ताव है। पीजीसीआईएल को 7735 करोड़ रुपये मिले। नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना के अनुसार पावरग्रिड को रुपये का मुद्रीकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 45200 करोड़ की संपत्ति (वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान पहले ही जुटाई गई 7735 करोड़ रुपये सहित)।
मजबूत ट्रांसमिशन अवसंरचना के लिए अपनाए गए नियम/नीतियां
- 06.08.2021 को जारी मानक बोली दस्तावेजों (एसबीडी) के साथ टीबीसीबी प्रक्रिया के माध्यम से आईएसटीएस की खरीद के लिए संशोधित दिशानिर्देशों और एसबीडी के संबंध में एमओपी पत्र दिनांक 06.08.2021 में आईएसटीएस स्थापित करने के लिए टीबीसीबी प्रक्रिया के माध्यम से टीएसपी के चयन के प्रस्ताव के लिए मानक एकल चरण अनुरोध शामिल है। टीबीसीबी रूट के माध्यम से बिजली के प्रसारण के लिए आईएसटीएस प्रणाली के विकास और संचालन के लिए परियोजनाओं और मानक प्रसारण सेवा समझौता शामिल है।
ऊर्जा मंत्रालय ने अगस्त 2021 में टीबीसीबी पर अंतर राज्यीय प्रसारण प्रणाली (आईएसटीएस) परियोजनाओं के पुरस्कार के लिए प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) और ट्रांसमिशन सर्विस एग्रीमेंट (टीएसए) वाले संशोधित मानक बोली दस्तावेज (एसबीडी) जारी किए। अंतिम एसबीडी 2008 में जारी किए गए थे। इसी तरह ऊर्जा मंत्रालय ने पहले अप्रैल 2006 में "ट्रांसमिशन सर्विस के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली (टीबीसीबी) दिशानिर्देश" और "ट्रांसमिशन परियोजनाओं के विकास में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए दिशानिर्देश" अधिसूचित किया था। इन दिशानिर्देशों को भी अगस्त 2021 में संशोधित और अधिसूचित किया गया था।
- प्रसारण परियोजनाओं के विकास में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के दिशानिर्देश और टीबीसीबी दिशानिर्देशों पर दिनांक 10 अगस्त 2021 को भारत के राजपत्र में एमओपी का संकल्प प्रकाशित किया गया
व्यापक हितधारकों के परामर्श के आधार पर टीबीसीबी पर आईएसटीएस सिस्टम प्रदान करने के लिए संशोधित एसबीडी और संशोधित दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। संशोधित एसबीडी और संशोधित दिशानिर्देश ट्रांसमिशन क्षेत्र में निजी डेवलपर्स के लिए व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देंगे, जोखिम साझा करने पर डेवलपर्स की चिंताओं को दूर करेंगे, ट्रांसमिशन में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करेंगे और ट्रांसमिशन लाइनों को समय पर पूरा करने की सुविधा प्रदान करेंगे। इन सभी प्रावधानों से प्रसारण क्षेत्र में और अधिक निजी निवेश आएगा।
- 01.10.2021 को बिजली (प्रसारण योजना, विकास और आईएसटीएस प्रसारण शुल्क की वसूली) नियम 2021 जारी
केंद्र सरकार ने देश भर में बिजली क्षेत्र की उपयोगिताओं को बिजली ट्रांसमिशन नेटवर्क तक आसान पहुंच प्रदान करने के लिए ट्रांसमिशन सिस्टम योजना के पूर्ण ओवरहालिंग का मार्ग प्रशस्त करते हुए उपरोक्त नियमों को लागू किया है। नियम ट्रांसमिशन एक्सेस की एक प्रणाली को रेखांकित करते हैं जिसे अंतर राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम में सामान्य नेटवर्क एक्सेस कहा जाता है। यह राज्यों के साथ-साथ उत्पादन स्टेशनों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार ट्रांसमिशन क्षमता हासिल करने, धारण करने और स्थानांतरित करने के लिए लचीला रूख प्रदान करता है। इस प्रकार ट्रांसमिशन योजना की प्रक्रिया के साथ-साथ इसकी लागत में नियम तर्कसंगतता, जिम्मेदारी और निष्पक्षता लाएंगे।
- क्षेत्रीय विद्युत समितियों (प्रसारण योजना) के विघटन के लिए एमओपी आदेश दिनांक 20.10.2021
इस आदेश के पूर्व क्षेत्रीय विद्युत समिति (प्रसारण योजना) (आरपीसी टीपी) और क्षेत्रीय विद्युत समिति (आरपीसी) में आईएसटीएस प्रणाली की योजना बनाने के लिए क्षेत्रीय परामर्श किया जाता था। आईएसटीएस योजना प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए केवल आरपीसी के साथ आईएसटीएस प्रणाली की योजना पर क्षेत्रीय परामर्श करने और आरपीसी टीपी को भंग करने पर सहमति हुई। इसके फलस्वरूप आदेश आईएसटीएस योजना प्रक्रिया के दौरान क्षेत्रीय घटकों के साथ दोहरे परामर्श को समाप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा।
- सब ट्रांसमिशन सिस्टम के प्रदर्शन में सुधार के लिए 33 केवी सिस्टम को ट्रांसमिशन के तहत लाने के लिए रिपोर्ट के साथ सभी राज्यों को दिनांक 1.9.2021 को एमओपी की एडवाइजरी
ऊर्जा मंत्रालय ने पावरग्रिड के सीएमडी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसमें केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, हरियाणा, महाराष्ट्र और ओडिशा की राज्य ट्रांसमिशन यूटिलिटीज और सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने सबट्रांसमिशन में नुकसान को कम करने के उपायों, प्रणाली व विश्वसनीयता और कुशल प्रदर्शन सुनिश्चित करने और सब ट्रांसमिशन सिस्टम में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सिफारिश करने का सुझाव दिया था। समिति ने उच्च वोल्टेज स्तर की तुलना में 33 केवी स्तर पर उच्च हानि और आउटेज दर देखी थी।
33 केवी प्रणाली के प्रदर्शन में सुधार के लिए ऊर्जा मंत्रालय ने 01.09.2021 को राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों को निम्नलिखित कार्रवाई करने के लिए परामर्श जारी किया है:
- बेहतर योजना, हानि में कमी और आपूर्ति की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए डिस्कॉम्स से एसटीयू को 33 केवी प्रणाली सौंपी जानी चाहिए। इसे चरणबद्ध तरीके से किया जा सकता है। पहले चरण में 33 केवी नेटवर्क में वृद्धिशील संपत्ति और मौजूदा अतिभारित संपत्ति/संपत्ति एसटीयू को सौंपी जा सकती है।
- राज्य सरकार को एसटीयू 33 केवी परिसंपत्तियों के उन्नयन ध्आधुनिकीकरण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता होगी।
- राज्य सरकार एसटीयू को वित्तीय सहायता प्रदान करने की स्थिति में नहीं है तो एसटीयू को अपने वित्तीय संसाधनों को जुटाने के लिए 50: 50 इक्विटी आधार पर पावरग्रिड के साथ संयुक्त उद्यम बनाने के लिए कहा जा सकता है।
- "ट्रांसमिशन पर राष्ट्रीय समिति" (एनसीटी) के पुनर्गठन के लिए एमओपी आदेश
ऊर्जा संक्रमण लक्ष्य के हिस्से के रूप में भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य रखा है। प्रसारण प्रणाली की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के निर्माण के लिए आवश्यक कम समयावधि को देखते हुए विशेष रूप से अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली की निकासी के लिए आवश्यक प्रसारण प्रणाली की योजना और अनुमोदन के लिए लगने वाले समय को कम करने के लिए विद्युत मंत्रालय द्वारा प्रसारण योजना और अनुमोदन प्रक्रिया को नया रूप दिया गया है।
ऊर्जा पारगमन लक्ष्य के अनुरूप देश में आरई विकास को और सुगम बनाने के लिए अंतर्राज्यीय प्रसारण प्रणाली (आईएसटीएस) योजना और अनुमोदन की प्रक्रिया को सरल, ट्रांसमिशन पर राष्ट्रीय समिति (एनसीटी) के संदर्भ की शर्तों को आरई के लिए आईएसटीएस को फास्ट ट्रैक करने के लिए सीटीयू और एनसीटी को शक्तियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ 28.10.2021 को संशोधित किया गया है।
- तटीय क्षेत्रों में चक्रवात प्रतिरोधी मजबूत बिजली ट्रांस और वितरण बुनियादी ढांचे पर कार्य बल की रिपोर्ट के साथ ही तटीय क्षेत्र में चक्रवात प्रतिरोधी मजबूत विद्युत प्रसारण और वितरण अवसंरचना पर कार्यबल की रिपोर्ट पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एमओपी का पत्र
राज्य से प्राप्त विरोध पत्र के आधार पर मंत्रालय द्वारा देश के तटीय क्षेत्रों में चक्रवात के कारण प्रसारण और वितरण अवसंरचना को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए निवारक और शमन उपायों की सिफारिश करने के लिए दिनांक 02.06.2020 के आदेश द्वारा एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था।
टास्क फोर्स ने एक बहु-आयामी दृष्टिकोण का सुझाव दिया, जिसमें प्राकृतिक आपदाओं से टीएंडडी बुनियादी ढांचे की रक्षा के लिए आवश्यक डिजाइन, बेहतर योजना और आधुनिक तकनीकी समाधानों को अपनाने और प्रतिरोधात्मकता, विश्वसनीयता व प्रणाली की उपलब्धता बढ़ाने के लिए परिवर्तन शामिल है।
रिपोर्ट की स्वीकृति के बाद मंत्रालय द्वारा इसे तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एमओपी के पत्र दिनांक 10 जून 2021 को इस अनुरोध के साथ साझा किया गया था कि प्रत्येक तटीय राज्य/केंद्र शासित प्रदेश तट रेखा के 20 से 30 किलोमीटर के भीतर चक्रवात की संभावना वाले क्षेत्रों को चिह्नित कर सकते हैं और इन क्षेत्रों में विद्युत प्रणालियों का कोई भी नया निर्माण/पुनर्निर्माण इस रिपोर्ट में निर्धारित डिजाइन मानकों का पालन करेगा।
***********
एमजी/एएम/आरकेजे/डीवी
(Release ID: 1786654)
Visitor Counter : 1391