विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया, वैज्ञानिक अनुप्रयोगों और प्रौद्योगिकीय सहायता एवं समाधान के लिए 33 मंत्रालयों की ओर से 168 प्रस्‍ताव मिले


डॉ. जितेंद्र सिंह ने समस्‍त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयों/विभागों की प्रथम उच्‍च स्‍तरीय क्षमता निर्माण बैठक की अध्‍यक्षता की

कृषि, खाद्य, शिक्षा, कौशल, रेलवे, सड़क, जल शक्ति, विद्युत और कोयला आदि जैसे क्षेत्रों के लिए वैज्ञानिक अनुप्रयोगों और समाधानों की मांग की गई : डॉ. जितेंद्र सिंह

Posted On: 22 DEC 2021 5:03PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन और परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा सहित सभी छह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों द्वारा वैज्ञानिक अनुप्रयोगों और प्रौद्योगिकीय सहायता और समाधान के लिए 33 सम्बद्ध मंत्रालयों/विभागों से 168 प्रस्ताव मिले/आवश्यकताओं की जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि संबंधित विज्ञान मंत्रालयों और विभागों ने इन पर काम करना शुरू कर दिया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात समस्‍त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयों/विभागों की एक उच्च स्तरीय क्षमता निर्माण संयुक्त बैठक में कही। बैठक में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के विजय राघवन, क्षमता निर्माण आयोग में सचिव हेमांग जानी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन, डीएसटी में सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर, डीबीटी में सचिव डॉ. राजेश गोखले डीएसआईआर में सचिव डॉ. शेखर सी मंडे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह अनूठी पहल इस साल सितंबर के मध्य में प्रारंभ की थी, जिसके तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष/इसरो, सीएसआईआर और जैव प्रौद्योगिकी सहित समस्‍त विज्ञान मंत्रालयों के प्रतिनिधियों ने इस बात का पता लगाने के लिए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के साथ अलग-अलग विचार-विमर्श किया था कि किस क्षेत्र में कौन से वैज्ञानिक अनुप्रयोगों का उपयोग किया जा सकता है। डॉ. सिंह ने किसी मंत्रालय विशेष या किसी विभाग विशेष पर आधारित परियोजनाओं के स्‍थान पर एकीकृत विषय आधारित परियोजनाओं की आवश्यकता पर बल दिया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि सितम्बर में यह पहल प्रारंभ किए जाने के तीन महीने के भीतर ही कृषि, डेयरी, खाद्य, शिक्षा, कौशल, रेलवे, सड़क, जल शक्ति, विद्युत और कोयला जैसे क्षेत्रों के लिए विभिन्न वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के उपयोग के लिए मंत्रालयों से इतनी बड़ी संख्या में प्रस्ताव प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि इस बात को ध्यान में रखना होगा कि आज प्रत्येक क्षेत्र काफी हद तक वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी पर निर्भर हो चुका है।
 

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि न केवल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विज्ञान के प्रति स्वाभाविक झुकाव है, बल्कि वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित पहलों और परियोजनाओं को समर्थन और बढ़ावा देने की दिशा में भी तत्पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि अपने दायरों से बाहर आने और बेहतर परिणाम देने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण का अनुसरण करने का यह उपयुक्त समय है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि बैठक ने भारत सरकार के अंतर्गत विज्ञान मंत्रालयों और विभागों के क्षमता निर्माण के लिए विजन निर्धारित कर दिया है ताकि देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने और सभी नागरिकों के लिए जीवन को सुगम बनाने से संबंधित प्रधानमंत्री के विजन को प्राप्त किया जा सके। इन विभागों की क्षमता निर्माण की आवश्यकता मिशन कर्मयोगी के प्रमुख परिणामों में से एक है, जिसका उद्देश्य लोक सेवा क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण बदलाव के माध्यम से देश में शासन प्रणाली को व्यापक बनाना है।

  1. उल्लेखनीय है कि डॉ. जितेंद्र सिंह के निर्देश पर, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के विजय राघवन अब तक संबंधित विभागों/मंत्रालयों और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के साथ दर्जन से अधिक बैठकों की अध्यक्षता कर चुके हैं और बैठक के पांच विषयों की पहचान की गई है (i) ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन शमन, (ii) अवसंरचना और उद्योग; (iii) कृषि, खाद्य और पोषण (iv) शिक्षा, कौशल और सामाजिक अधिकारिता; (v) स्वास्थ्य।

बैठक में समाधान आधारित अनुसंधान, सार्वजनिक अनुसंधान एवं विकास प्रणाली, संबंधित मंत्रालयों की चुनौतियों का ध्यान रखने, उद्योगों की आर्थिक प्रतिस्पर्धा में सुधार लाने और नागरिकों को सरकारी सेवाएं प्रदान करने पर जोर दिया गया। इसी तरह, संबंधित मंत्रालयों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों के तालमेल से उद्देश्योन्मुखी अनुसंधान के लिए अपनी जरूरतों की पहचान करने तथा अपने आर एंड डी बजट का उपयोग करने के लिए कहा गया है।

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