पर्यटन मंत्रालय

बौद्ध पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने बोधगया में सम्मेलन का आयोजन किया


संपर्क (कनेक्टिविटी) में सुधार के लिए बुनियादी ढांचे का विकास, युवाओं के बीच बौद्ध स्थलों को बढ़ावा देना और विशेष बौद्ध सर्किट ट्रेन मुख्य आकर्षण थे

Posted On: 06 OCT 2021 1:55PM by PIB Delhi

प्रमुख बिंदु

  • 4 अक्टूबर से 8 अक्टूबर, 2021 तक निर्धारित बौद्ध सर्किट ट्रेन परिचय (एफएएम) यात्रा और सम्मेलन का संचालन किया जा रहा है
  • सम्मेलन के दौरान हवाई, रेल और सड़क संपर्क सहित बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया
  • आईआरसीटीसी ने बौद्ध स्पेशल ट्रेन और ट्रेन में आईआरसीटीसी द्वारा दी जा रही सुविधाओं के संबंध में एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिनमें छोटी पुस्तकालय भी शामिल है

पर्यटन मंत्रालय ने 5 अक्टूबर,2021 को बौद्ध पर्यटन की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए बोधगया में एक सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में भारत सरकार में पर्यटन मंत्रालय के महानिदेशक श्री जी. कमला वर्धन राव, बिहार सरकार में निदेशक (पर्यटन), जिला अधिकारी (गया) और पर्यटन मंत्रालय के अन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य बौद्ध सर्किट में भारत सरकार के किए गए प्रयासों व विकास को प्रस्तुत करना और भारत में बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आगे के रास्ते पर चर्चा व विचार-विमर्श करना था। यह सम्मेलन 4 अक्टूबर से 8 अक्टूबर, 2021 तक निर्धारित पर्यटन मंत्रालय के बौद्ध सर्किट ट्रेन परिचय (एफएएम) यात्रा का हिस्सा था। बौद्ध सर्किट परिचय यात्रा 4 अक्टूबर, 2021 को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से शुरू किया गया था, जिसे पर्यटन और रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

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इसके प्रतिनिधियों/प्रतिभागियों में इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर (आईएटीओ), एसोसिएशन ऑफ डोमेस्टिक टूर ऑपरेटर (एडीटीओआई) और एसोसिएशन ऑफ बुद्धिस्ट टूर ऑपरेटर्स (एबीटीओ) के सदस्य शामिल थे। इस सम्मेलन के दौरान हवाई, रेल और सड़क संपर्क सहित बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके अलावा, इस बात पर भी जोर दिया गया कि गया को बौद्ध स्थलों और आकर्षणों की यात्रा करने को लेकर युवा पीढ़ी सहित सभी उम्र के पर्यटकों के लिए पूरे वर्ष गंतव्य के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। बिहार पर्यटन ने एक विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें विकास के लिए प्रस्तावित पर्यटन उत्पादों और शुरू की गई सरकारी पहलें शामिल थीं। साथ ही, आईआरसीटीसी ने बौद्ध विशेष ट्रेन और इसमें आईआरसीटीसी द्वारा दी जा रही सुविधाओं के संबंध में एक विस्तृत प्रस्तुति दी। इन सुविधाओं में छोटी पुस्तकालय भी शामिल है। इसके अलावा, बौद्ध पर्यटन के समग्र विकास और इसके संवर्धन के बारे में चुनौतियों और अवसरों पर भी चर्चा की गई।

 

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यह परिचय यात्रा दिल्ली से दिल्ली तक का है, जिसमें प्रमुख बौद्ध स्थलों की यात्रा और बोधगया व वाराणसी में सम्मेलन शामिल हैं। इस कार्यक्रम में टूर ऑपरेटरों, होटल व्यवसायियों, मीडिया और पर्यटन मंत्रालय व राज्य सरकारों के अधिकारियों सहित लगभग 125 प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की संभावना है। इसके अलावा, लगभग 100 स्थानीय टूर ऑपरेटर और पर्यटन व आतिथ्य क्षेत्र के अन्य हितधारक इस सर्किट में पर्यटन के विकास और प्रचार के संबंध में प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बोधगया व वाराणसी में होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।

पर्यटन मंत्रालय विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और बिहार व उत्तर प्रदेश के राज्य सरकारों के सहयोग से बिहार और उत्तर प्रदेश में सभी बौद्ध स्थलों के बीच बौद्ध सर्किट विकसित कर रहा है। बौद्ध सर्किट के तहत विकास के प्रमुख कार्यक्षेत्र-संपर्क, अवसंरचना व लॉजिस्टिक्स, सांस्कृतिक अनुसंधान, विरासत व शिक्षा, जन जागरूकता, संचार और पहुंच (आउटरीच) हैं। इन कार्यक्षेत्रों के तहत प्रमुख हस्तक्षेप किए जा रहे हैं। इनमें कुशीनगर व श्रावस्ती में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों का विकास, बौद्ध स्थलों को जोड़ने वाले आरसीएस उड़ान मार्गों का संचालन, गया रेलवे स्टेशन का विकास, बौद्ध स्थलों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों का निर्माण, प्रतिष्ठित स्थलों व स्वदेश दर्शन योजना के तहत बोधगया का विकास, बौद्ध स्थलों पर संग्रहालयों व विरासत केंद्र का विकास, बौद्ध-तिब्बती संस्थानों में पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण व संरक्षण और बौद्ध धर्म आदि पर पाठ्यक्रमों का विकास शामिल हैं। वहीं, लोगों के बीच जागरूकता, संचार और पहुंच (आउटरीज) कार्यक्षेत्र के तहत भारत में बौद्ध स्थलों और विरासत को बढ़ावा देने के लिए हस्तक्षेप करने की योजना है। इनमें राष्ट्रीय संग्रहालय में साझा बौद्ध विरासत पर वर्चुअल गैलरी का विकास, कार्यक्रमों के वार्षिक कैलेंडर का निर्माण, प्रमुख सोर्स मार्केट (जहां से पर्यटक आते हैं) में बौद्ध मीडिया अभियान और बौद्ध सम्मेलन आदि शामिल हैं।

 

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