विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्ट-अप और उद्यमियों द्वारा टेलीमेडिसिन,  कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डिजिटल हेल्थ और बिग डेटा में 75 नवाचारों की पहचान करने के लिए "जन केयर" शीर्षक से "अमृत ग्रैंड चैलेंज कार्यक्रम" का शुभारम्भ किया


नई दिल्ली में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद के 10वें  जैव प्रौद्योगिकी नवोन्मेष सम्मेलन (बायोटेक इनोवेटर्स मीट) - "विज्ञान से विकास" को संबोधित किया

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद को सहायता और समर्थन के लिए परिषद से संपर्क करने के बजाय युवा स्टार्टअप तक सक्रिय रूप से पहुंचने का निर्देश दिया

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा - भारत की जैव अर्थव्यवस्था 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के लिए प्रभावी रूप से योगदान करने के लिए 150 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर

भारत में निर्मित 10,000 जैव-प्रौद्योगिक स्टार्टअप्स - भारत और विश्व के लिए उत्पादों में नवाचार और ज्ञान के अनुप्रयोगों को बढ़ावा देंगे: डॉ. जितेंद्र सिंह

Posted On: 28 SEP 2021 3:31PM by PIB Delhi

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, राज्य मंत्री प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज टेलीमेडिसिन, डिजिटल हेल्थ, एमहेल्थ में बिग डेटा, एआई, ब्लॉक चेन और अन्य तकनीकों के साथ 75 स्टार्ट-अप नवाचारों की पहचान करने के लिए "जनकेयर" नामक "अमृतग्रैंड चैलेंज प्रोग्राम" लॉन्च किया।

इस अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस ग्रैंड चैलेंज का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए आजादी का अमृत महोत्सव के साथ हो रहा है, इसलिए युवा स्टार्टअप और उद्यमियों के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि वे भारत की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के लिए अभिनव विचारों और समाधानों के साथ आएं। उन्होंने कहा, भारत की स्वतंत्रता के शताब्दी समारोह के दौरान, अगले 25 वर्षों में देश का नेतृत्व करने के लिए 75 सर्वश्रेष्ठ चुने गए ये स्टार्टअप भारत के लिए एक अमूल्य धरोहर होंगे।

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नई दिल्ली में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद के 10वें जैव प्रौद्योगिकी नवोन्मेषक सम्मेलन - "विज्ञान से विकास" को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्टअप्स को नए विचारों से लेकर उनके उत्पादों के अनुप्रयोगों की अवस्था आने तक पूरा समर्थन देने का वादा किया। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि इस अमृत चुनौती के लिए कई उद्योगों, अस्पतालों के निवेशकों, इनक्यूबेटरों और अन्य हितधारकों की प्रतिबद्धता है, जो 31 दिसंबर, 2021 तक समाप्त हो जाएगी। उन्होंने खुशी जताई कि कल प्रधानमंत्री के डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की घोषणा के एक दिन बाद इसे लॉन्च किया जा रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) को निर्देश दिया कि वह मदद और समर्थन के लिए स्टार्टअप तक सक्रिय रूप से पहुंचे, बजाय इसके कि स्टार्टअप्स इस काम के लिए उसके पास आएं। उन्होंने कहा, इस संबंध में साल के अंत तक लेखा परीक्षण किया जाएगा। डॉ. सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि युवा होनहार नवोन्मेषकों  को स्थापित औद्योगिक केंद्रों की तुलना में मदद और समर्थन के मामले में प्राथमिकता मिलेगी। उन्होंने कहा, हालांकि देश में प्रतिभावान मानव संसाधन स्रोतों की कोई कमी नहीं है, परन्तु मुख्य नए प्रतिमान विकसित करने के लिए इसे सही दिशा देना ही मुख्य चुनौती हैI

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कुछ शीर्ष जैव प्रौदोगिक और कृषि स्टार्टअप्स और हितधारकों के साथ बातचीत करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा की उनका दृढ़ विश्वास है कि स्टार्टअप्स के इकोसिस्टम में यह क्षमता है कि वह आयात-केंद्रित चिकित्सा उपकरणों के क्षेत्र वाले संतुलन को भारत में निर्मित (मेड इन इंडिया) और वैश्विक विकल्पों की ओर झुका सकती है। उन्होंने कहा कि नैदानिक किट, स्वास्थ्य सेवा और कृषि के क्षेत्र में पिछले दो वर्षों में विकसित किए गए कई नवाचारों की कोविड के बाद के युग में प्रासंगिकता होगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण में प्रभावी योगदान देने के लिए 150 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर है। नई दिल्ली में बीआईआरएसी की 10वीं बायोटेक इनोवेटर्स मीट को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, सनशाइन बायोटेक सेक्टर वर्तमान में 70 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2025 तक 150 बिलियन डॉलर हो जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नवाचार और स्टार्टअप समर्थन के परिणामस्वरूप व्यावसायीकरण के विभिन्न चरणों में 600 से अधिक प्रौद्योगिकी और उत्पाद प्राप्त हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि स्टार्टअप्स इकोसिस्टम भी 10,000 जैव-प्रौद्योगिक स्टार्टअप्स तक पहुंचने के लिए तैयार है, जो इनोवेशन और नॉलेज ट्रांसलेशन को मेड इन इंडिया - फॉर इंडिया एंड वर्ल्ड के उत्पादों में बदल रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) ने देश में 60 विश्व स्तरीय बायो-इनक्यूबेटर स्थापित किए हैं। इसके अलावा, बीआईआरएसी आज 5000 से अधिक ऐसे स्टार्टअप्स और युवा उद्यमियों के साथ जुड़ा हुआ है जिन्हें इस सन्गठन से वित्तीय और परामर्श समर्थन प्राप्त हुआ है क्योंकि पूरे भारत में और सभी प्रमुख वैश्विक बायोटेक गंतव्यों तक इसकी पहुँच और प्रभाव है। उन्होंने कहा, यह देखना भी प्रसन्नता  की बात है कि महिला संस्थापकों के नेतृत्व वाले स्टार्टअप का लगभग 27 प्रतिशत प्रतिनिधित्व है और यह आगे भी बढ़ रहा है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रतिभा पूल को पोषित करने, स्टार्टअप्स को आगे बढने, सफल होने और नए कीर्तिमान गढ़ने के अवसर प्रदान करने में बीआईआरएसी का समर्थन स्पष्ट है क्योंकि उनमें से हजारों को न केवल वित्तीय समर्थन मिला है बल्कि नियामक, बाजार में उतरने (गो-टू-मार्केट), रणनीति विकास, धन सहायता प्राप्त करने और व्यावसायीकरण के लिए सलाहकारों और विशेषज्ञता तक पहुंच भी प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि इस समृद्ध स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र के कारण हमने बहुत कम समय में युवा स्टार्टअप द्वारा विकसित और निर्मित कई कोविड-19 नैदानिक किट देखे हैं और इस प्रक्रिया ने हमारे देश को स्वदेशी डायग्नोस्टिक किट और संबंधित उत्पादों का उपयोग करके परीक्षण के लिए आत्मनिर्भर बनने में सक्षम बनाया है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की सचिव एवं जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) की अध्यक्ष  डॉ. रेणु स्वरूप, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की संयुक्त सचिव एवं बीआईआरएसी की प्रबंध निदेशक अंजू भल्ला, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, नवप्रवर्तनकर्ताओं और उद्यमियों, सलाहकारों और  बायोटेक विशेषज्ञों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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