वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय
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सरकार ने निर्यातकों को व्यापक प्रोत्साहन दिया


विभिन्न निर्यात संवर्धन योजनाओं के तहत 56,027 करोड़ रुपये जारी किए जाने हैं

ये लाभ 45,000 से अधिक निर्यातकों के बीच वितरित किए जाएंगे, जिनमें लगभग 98 प्रतिशत एमएसएमई वर्ग में छोटे निर्यातक हैं

केंद्र सरकार ने निर्यातकों को बड़ी राहत उपलब्ध कराई है

यह राशि पहले ही घोषित आरओडीटीईपी योजना के लिए 12,454 करोड़ रुपये तथा आरओएससीटीएल योजना के लिए 6,946 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है

ये लाभ सेक्टरों को नकदी प्रवाह बनाये रखने तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में निर्यात मांग पूरी करने में सहायता करेंगे

इस सहायता का विविध प्रकार से वृद्धि संबंधित प्रभाव पड़ेगा और इससे रोजगार सृजन में तेजी आएगी

हाल के महीनों में निर्यात में जोरदार वृद्धि देखी जा रही है और इस निर्णय से आगे आने वाले महीनों के दौरान और अधिक तेजी से निर्यात में वृद्धि होगी

Posted On: 09 SEP 2021 5:34PM by PIB Delhi

माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व के तहत भारत सरकार ने निर्यातकों को बकाया सभी लंबित निर्यात प्रोत्साहनों को संवितरित करने के लिए चालू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान ही 56,027 करोड़ रुपये का प्रावधान करने का निर्णय लिया है। इस राशि में एमईआईएस, एसईआईएस, आरओएसएल, आरओएससीटीएल से संबंधित दावों, पहले की नीतियों से संबंधित स्क्रिप आधारित योजनाओें तथा वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में निर्यात के लिए रोडटेप तथा आरओएससीटीएल के लिए छूट सहायता शामिल है। ये लाभ 45,000 से अधिक निर्यातकों के बीच वितरित किए जाएंगे, जिसमें लगभग 98 प्रतिशत एमएसएमई वर्ग में छोटे निर्यातक हैं।

56,027 करोड़ रुपये की यह बकाया राशि विभिन्न निर्यात संवर्धनों तथा छूट स्कीमों: एमईआईएस (33,010 करोड़ रुपये), एसईआईएस (10,002 करोड़ रुपये), आरओएससीटीएल (5,286 करोड़ रुपये), आरओएसएल (330 करोड़ रुपये), आरओडीटीईपी (2,568 करोड़ रुपये), टार्गेट प्लस आदि (4,831 करोड़ रुपये) जैसी अन्य लीगेसी योजनाओं के लिए हैं। यह राशि इस वित्त वर्ष अर्थात 2021-22 के लिए पहले ही घोषित आरओडीटीईपी स्कीम के लिए 12,454 करोड़ रुपये तथा आरओएससीटीएल स्कीम के लिए 6,946 करोड़ रुपये के अतिरिक्त है।

भारत में निर्यातों में हाल के महीनों में जोरदार बढ़ोतरी देखी गई है। अप्रैल-अगस्त, 2021 के लिए मर्केन्डाइज निर्यात लगभग 164 बिलियन डॉलर था जो वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में 67 प्रतिशत तथा 2019-20 की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक था। इसी वित्त वर्ष के भीतर सभी लंबित निर्यात प्रोत्साहनों को मंजूरी दिए जाने से आगे आने वाले महीनों के दौरान और अधिक तेजी से निर्यातों में बढ़ोतरी होगी।

मर्केन्डाइज निर्यातों के लिए, एमईआईएस के तहत कवर किए गए सभी सेक्टर जैसे फार्मास्यूटिकल्स, लोहा एवं इस्पात, इंजीनियरिंग, रसायन, मत्स्य पालन, कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों, ऑटो तथा ऑटो कंपोनेंट पहले के वर्षों में निर्यात के लिए दिए गए लाभों का दावा करने में सक्षम हो जाएंगे। ये लाभ ऐसे सेक्टरों को नकदी प्रवाह बनाये रखने तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार, जिसमें इस वित्त वर्ष के दौरान तेज सुधार देखा जा रहा है, में निर्यात मांग पूरी करने में सहायता करेंगे।

यात्रा, पर्यटन तथा आतिथ्य क्षेत्रों सहित सेवा क्षेत्र से जुड़े निर्यातक वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एसईआईएस लाभों का दावा करने में सक्षम हो जाएंगे जिनके लिए 2,061 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एसईआईएस के लिए सेवा वर्गों तथा दरों में कुछ विशेष संशोधनों को अधिसूचित किया जा रहा है। इस सहायता का गुणक बढ़ाने वाला प्रभाव पड़ेगा और इससे रोजगार सृजन में तेजी आएगी।

वस्त्र क्षेत्र जोकि एक प्रमुख श्रम केंद्रित सेक्टर है, को आरओएसएल तथा आरओएससीटीएल के तहत पिछली बकाया राशियों का भुगतान होगा और एक दूसरे से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखलाओं के सभी हितधारक अंतरराष्ट्रीय बाजारों में त्यौहारी सीजन की मांग की पूर्ति करने के लिए मजबूत स्थिति में आ जाएंगे।

पहले के वर्षों से संबंधित निर्यात दावों के लिए निर्यातकों द्वारा 31 दिसंबर 2021 तक दावा दाखिल करने की आवश्यकता होगी जिसके बाद वे समय-बाधित हो जाएंगे। एमईआईएस तथा अन्य स्क्रिप आधारित आवेदनों को स्वीकार करने के लिए जल्द ही नलाइन आईटी पोर्टल को सक्षम बनाया जाएगा और बजटीय ढांचे के तहत निर्यात प्रोत्साहनों के प्रावधान तथा संवितरण की निगरानी करने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा गठित एक मजबूत तंत्र के साथ उन्हें सम्मिलित कर दिया जाएगा।

महामारी से उत्पन्न अन्य बजटीय प्रतिबद्धताओं के बावजूद इसी वित्त वर्ष के भीतर सभी लंबित निर्यात प्रोत्साहनों की अनुमति देने के निर्णय का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था के इस अत्यंत महत्वपूर्ण स्तंभ को सही समय पर तथा निर्णायक सहायता उपलब्ध कराना है।

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