विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
ध्रुवीय जीव विज्ञान क्षेत्र में समुद्री संसाधनों के संवर्धन और सुगमता के लिए अंतर-मंत्रालयी सहयोग
जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने डीबीटी एमओईएस ध्रुवीय शोध केंद्र की स्थापना के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए
Posted On:
14 JUL 2021 6:33PM by PIB Delhi
आज यहां जैव प्रौद्योगिकी विभाग और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बीच हुए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर डीबीटी सचिव और एमओईएस सचिव ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन और अन्य वैज्ञानिक मंत्रालयों / विभागों के सचिव भी मौजूद रहे। ध्रुवीय क्षेत्र में अंटार्कटिक, आर्कटिक, दक्षिणी महासागर और हिमालय एक अद्वितीय पारिस्थितिकी तंत्र होने के कारण बाकी दुनिया की तुलना में अत्यंत कठिन जलवायु के चलते खासी दिलचस्पी पैदा करता है। हालांकि दुनिया भर के शोधकर्ताओं ने अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दिया है, लेकिन ध्रुवीय क्षेत्र को अभी तक एक अस्पष्टीकृत पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में जाना जाता है।
एमओयू ध्रुवीय जीव विज्ञान के क्षेत्र में उपयुक्त सवालों के समाधान के लिए एक जगह पर और मिलकर काम करने में सहयोग, एकजुटता और तालमेल की संभावनाओं पर परस्पर भागीदारी की कल्पना करता है। विशेष रूप से ध्रुवीय जीवाणुओं के जैव प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और डीबीटी दोनों के बीच इस सहयोग का केंद्र हो सकता है।
इस एमओयू को ध्रुवीय विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान के परस्पर सहमति वाले क्षेत्रों में सहयोग के उद्देश्य से लागू किया जाएगा।
प्रारंभ में इन प्रयासों को ध्रुवीय क्षेत्रों में एमओईएस की उपलब्ध मौजूदा सुविधाओं के इस्तेमाल से एमओईएस के शोधकर्ताओं द्वारा सहयोग प्रस्तावों के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा। इस भागीदारी को मजबूत बनाने और ध्रुवीय क्षेत्रों में शोध को तेज करने के क्रम में एमओईएस स्टेशनों पर संयुक्त प्रयोगशालाओं की स्थापना की जाएगी। इससे शोधकर्ताओं को नमूनों को भारत में मुख्य प्रयोगशालाओं तक पहुंचाने की जरूरत के बिना अपनी साइट पर प्रयोग करने का मौका मिलेगा और इस विशेष वातावरण में जुड़ी बहुमूल्य जानकारी और नवीन उत्पाद सामने आएंगे।
इस प्रमुख भागीदारीपूर्ण दृष्टिकोण को देश में प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ नेटवर्किंग के माध्यम से एक मिशन के रूप में आगे बढ़ाया जाएगा।
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