उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
साल 2025 तकएथेनॉलडिस्टिलेशन क्षमता दोगुनी करने और 20 प्रतिशतब्लेंडिंग हासिल करने का लक्ष्य-सचिव, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग
ईबीपी कच्चे तेल के आयात बिल में करेगा 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत,साथ हीआयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और पेट्रोलियम क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी: श्री सुधांशु पाण्डे
इस कदम से लगभग 5 करोड़ गन्ना किसान और उनके परिवार और चीनी मिलों एवं अन्य सहायक गतिविधियों से जुड़े 5 लाख श्रमिक लाभान्वित होंगे: श्री पाण्डे
पिछले 6 वर्षों में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत परिवर्तनों के कारण, शीरा आधारित डिस्टिलरी की क्षमता दोगुनी कर दी गई है
सरकार डिस्टिलरी को एफसीआई के पास उपलब्ध चावल और मक्का से एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है
खाद्य एवंसार्वजनिक वितरण के सचिव ने मीडियाकर्मियों को पेट्रोल के साथ एथेनॉल मिश्रण (ईबीपी) कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी
Posted On:
15 JUN 2021 3:18PM by PIB Delhi
खाद्य एवंसार्वजनिक वितरण के सचिव श्री सुधांशु पाण्डे ने आज मीडिया कर्मियों को पेट्रोल के साथ एथेनॉल मिश्रण (ईबीपी) कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी ।
भारत में एथेनॉल ब्लेंडिंग (मिश्रण) 2020-25 का रोडमैप प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 5 जून, 2021 यानी विश्व पर्यावरण दिवस पर जारी किया गया। अप्रैल, 2023 तक ई-20 ईंधन उपलब्ध कराने के संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है।
यह ध्यान देने वाली बात है कि ई12 और ई15 ब्लेंडिंग के लिए बीआईएस दिशा निर्देशों को भी 2 जून, 2021 को अधिसूचित किया गया है। प्रधानमंत्री द्वारा पुणे के 3 स्थानों से ई 100 वितरण की पायलट परियोजना भी शुरू की गई।
डीएफपीडी के सचिव ने कहा कि मांग और आपूर्ति जैसे मुद्दों के समाधान के लिए, उठाए गए विभिन्न उपायों के परिणामस्वरूप, यह संभावना है कि देश में एथेनॉल डिस्टिलेशन क्षमता 2025 तक दोगुनी से अधिक हो जाएगी और हम 20 प्रतिशतब्लेंडिंग का लक्ष्य प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
श्री पाण्डे ने कहा कि ईबीपी से देश की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह एथेनॉल को एक ईंधन के रूप में बढ़ावा देगा। जो स्वदेशी, गैर-प्रदूषणकारी और वस्तुतः असीम ऊर्जा वाला, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने वाला होगा। क्योंकि ई20 ईंधन के उपयोग से कार्बन मोनोऑक्साइड का 30-50 प्रतिशत और हाइड्रोकार्बन का 20 प्रतिशत तक उत्सर्जन कम हो जाता है।
ब्लेंडिंग लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, सरकार चीनी मिलों और डिस्टिलरी को उनकी डिस्टिलेसन क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। ऐसा करने के लिए सरकार उन्हें बैंकों से ऋण लेने की सुविधा प्रदान कर रही है, जिसके लिए सरकार द्वारा 6 प्रतिशत तक की ब्याज छूट दी जा रही है। इस ब्याज छूट की राशि को सरकार खुद वहन कर रही है।
उन्होंने कहा कि ईंधन ग्रेड एथेनॉल का उत्पादन और तेल विपणन कंपनियों को इसकी आपूर्ति 2013-14 से 2018-19 तक 5 गुना बढ़ गई है। ईएसवाई 2018-19 में, हमने ऐतिहासिक रूप से लगभग 189 करोड़ लीटर के उच्च आंकड़े को छुआ है। जिससे 5 प्रतिशतब्लेंडिंग की मात्रा है। यह उम्मीद की जाती है कि मौजूदा एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2020-21 में, 8 से 8.5 प्रतिशतब्लेंडिंग स्तर प्राप्त करने के लिए ओएमसी को 300 करोड़ लीटर से अधिक एथेनॉल की आपूर्ति किए जाने की संभावना है। यह भी संभावना है कि हम 2022 तक 10 प्रतिशतब्लेंडिंग लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे।
उन्होंने आगे बताया कि क्षमता में बढ़ोतरी/नई डिस्टिलरीज में लगभग 41,000 करोड़ रुपये के आगामी निवेश से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। श्री पाण्डे ने कहा कि इस कदम से कच्चे तेल के आयात बिल में 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत होगी और आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी, जिससे पेट्रोलियम क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
श्री पाण्डे ने कहा कि अगले चीनी मौसम 2021-22 में लगभग 35 लाख मीट्रिक टन चीनी और 2025 तक लगभग 60 लाख मीट्रिक टन चीनी को इथेनॉल में बदलने का लक्ष्य रखा गया है। जिससे अतिरिक्त गन्ना/चीनी की उपलब्धता की समस्या का भी समाधान होगा। साथ ही चीनी मिलों को किसानों का गन्ना मूल्य बकाया चुकाने में भी मदद मिलेगी। श्री पाण्डे ने कहा कि पिछले तीन चीनी मौसमों में चीनी मिलों / डिस्टिलरी द्वारा ओएमसी को एथेनॉल की बिक्री से 22,000 करोड़ रुपये की आय हुई है।
श्री पाण्डे ने कहा कि इस कदम से लगभग 5 करोड़ गन्ना किसान और उनके परिवार एवं चीनी मिलों और अन्य सहायक गतिविधियों से जुड़े 5 लाख श्रमिक लाभान्वित होंगे। गन्ना किसानों को गन्ना के बकाया का भुगतान समय पर मिलेगा। क्योंकि एथेनॉल की बिक्री से भुगतान,चीनी की बिक्री की तुलना में बहुत तेजी से प्राप्ति होता है।
यह भी ध्यान देने की बात है कि भारत अतिरिक्त चीनी की स्थिति का सामना कर रहा है, जिससे चीनी मिलों को नकदी की समस्या हो रही है और गन्ना बकाया भुगतान में देरी हो रही है। सरकार चीनी मिलों को अतिरिक्त गन्ने को इथेनॉल बनाने और उसे पेट्रोल के साथ मिश्रित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
डीएफपीडी के सचिव ने आगे बताया कि वर्ष 2014 तक, शीरा-आधारित डिस्टिलरी की एथेनॉल डिस्टिलेसन क्षमता 200 करोड़ लीटर से कम थी। ओएमसी को एथेनॉल की आपूर्ति केवल 38 करोड़ लीटर थी। जिसमें एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2013-14 में केवल 1.53 प्रतिशत का ब्लेंडिंग स्तर था। हालांकि, पिछले 6 वर्षों में सरकार द्वारा किए गए नीतिगत परिवर्तनों के कारण, शीरा-आधारित डिस्टिलरी की क्षमता दोगुनी हो गई है और वर्तमान में यह 445 करोड़ लीटर है। अनाज आधारित डिस्टिलरी की क्षमता वर्तमान में लगभग 258 करोड़ लीटर है।
श्री पाण्डे ने कहा कि एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2020-21 के लिए सरकार ने अब कच्चे माल की लागत और रूपांतरण लागत के आधार पर विभिन्न फीड स्टॉक से प्राप्त इथेनॉल की एक्स-मिल कीमत में बढ़ोतरी की है। श्री पाण्डे ने कहा कि सरकार, ईंधन ग्रेड एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के एफसीआई के पास उपलब्ध चावल और मक्का से एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए डिस्टिलरी को भी प्रोत्साहित कर रही है।
सरकार ने मक्का और एफसीआई चावल से एथेनॉल का लाभकारी मूल्य तय किया है। खाद्यान्नों से एथेनॉल/अल्कोहल का उत्पादन करने के लिए 165 एलएमटी से अधिक अतिरिक्त खाद्यान्न का उपयोग किया जाएगा। अतिरिक्त खाद्यान्न की यह खपत अंततः किसानों को लाभान्वित करेगी क्योंकि उन्हें अपनी उपज और सुनिश्चित खरीदारों के जरिए बेहतर मूल्य मिलेगा और इस प्रकार, देश भर के करोड़ों किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
हैंड सैनिटाइज़र के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 से पहले, हैंड सैनिटाइज़र का वार्षिक उत्पादन लगभग 10 लाख लीटर प्रति वर्ष था और इसका उपयोग मुख्य रूप से अस्पतालों में किया जाता था। कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सैनिटाइज़र की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, डीएफपीडीने उद्योग और राज्य सरकारों के साथ समन्वय करके उद्योगों को सैनिटाइजर का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
डीएफपीडीऔर राज्य सरकारों के सामूहिक प्रयासों से900 से अधिक डिस्टिलरी / स्वतंत्र इकाइयों को हैंड सैनिटाइज़र बनाने की अनुमति दी गई थी। हैंड सैनिटाइजर के उत्पादन के लिए स्थापित क्षमता को 30 लाख लीटर प्रतिदिन तक बढ़ा दिया गया है।
31.05.2021 तक लगभग 3.9 करोड़ लीटर हैंड सैनिटाइजर का उत्पादन किया जा चुका है। श्री पाण्डे ने कहा कि देश में सैनिटाइजर की अतिरिक्त उपलब्धता को देखते हुए सैनिटाइजर के निर्यात की अनुमति से देश की प्रतिष्ठा में भी बढ़ोतरी हुई है।
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