आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय

मंत्रिमंडल द्वारा सतत शहरी विकास के क्षेत्र में भारत और जापान के बीच सहयोग समझौते को मंजूरी

Posted On: 02 JUN 2021 12:52PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सतत शहरी विकास के लिएभारत के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय तथा जापान के मिनिस्ट्री ऑफ लैंड, इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट एंड टूरिज्म मंत्रालय के बीच सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने को मंजूरी दे दी है, जो शहरी विकास के हवाले से 2007 के समझौता-ज्ञापन की जगह लेगा।

कार्यान्वयन रणनीतिः

इस समझौता-ज्ञापन के दायरे में सहयोग के सम्बन्ध में कार्यक्रमों का क्रियान्यवन करने और रणनीति तैयार करने के लिये एक संयुक्त कार्य-दल गठित किया जायेगा। संयुक्त कार्य-दल की बैठक साल में एक बार होगी और बारी-बारी से जापान और भारत में आयोजित की जायेगी।

इस समझौता-ज्ञापन के तहत सहयोग उसी दिन से शुरू हो जायेगा, जिस दिन हस्ताक्षर किए जायेंगे और समझौते की अवधि पांच साल है। उसके बाद पांच साल की अवधि पूरी होने पर उसका नवीनीकरण अगले पांच साल के लिये अपने-आप हो जायेगा।

प्रमुख प्रभावः

समझौता-ज्ञापन से दोनों देशों के बीच सतत शहरी विकास के क्षेत्र में मजबूत, गहरे औरदीर्घकालिक द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।

लाभः

आशा की जाती है कि समझौता-ज्ञापन से शहरी नियोजन, स्मार्ट सिटी विकास, सस्ते आवास (किराये के मकान सहित), शहरी बाढ़ प्रबंधन, सीवर और अपशिष्ट जल प्रबंधन, शहरी यातायात (बौद्धिक यातायात प्रबंधन प्रणाली, यातायात की सुविधा से लैस विकास
और बहुपयोगी एकीकरण सहित) तथा आपदा का सामना करने योग्य विकास समेत सतत शहरी विकास के क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

विवरणः

समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य भारत और जापान के बीच सतत शहरी विकास के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग को मजबूत बनाना है। इसमें शहरी नियोजन, स्मार्ट सिटी विकास, सस्ते आवास (किराये के मकान सहित), शहरी बाढ़ प्रबंधन, सीवर और अपशिष्ट जल प्रबंधन, शहरी यातायात (बौद्धिक यातायात प्रबंधन प्रणाली, यातायात की सुविधा से लैस विकास
और बहुपयोगी एकीकरण सहित) तथा आपदा का सामना करने योग्य विकास समेत सतत शहरी विकास शामिल हैं। इनके अलावा दोनों पक्षों द्वारा आपस में तय किये गये क्षेत्र भी शामिल होंगे। प्रस्तावित समझौता-ज्ञापन के जरिये उपरोक्त क्षेत्रों में उत्कृष्ट व्यवहारों और प्रमुख अनुभवों का आदान-प्रदान भी संभव होगा।

 

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